Tuesday, March 7, 2017

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का जानिए इतिहास

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का जानिए इतिहास, महिला उत्थान मंडल सौंपेगा ज्ञापन

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष, 8 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं की उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।

अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर, यह दिवस सबसे पहले 28 फरवरी 1909 को मनाया गया।  इसके बाद यह फरवरी के आखरी इतवार के दिन मनाया जाने लगा। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया। उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिला को वोट देने का अधिकार नहीं था।
History of International Women's Day

1917 में रूस की महिलाओं ने, 8 मार्च महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया। यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी। जार ने सत्ता छोड़ी, अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया। उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनो की तारीखों में कुछ अन्तर है। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखरी इतवार 23 फरवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। इस समय पूरी दुनिया में (यहां तक रूस में भी) ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है। इसी लिये 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसके बाद पूरे विश्व में महिला दिवस मनाने लगा ।


विश्व महिला दिवस पर महिला उत्थान मंडल द्वारा देश भर में सौंपें जायेंगें ज्ञापन

महिला उत्थान मंडल महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा प्रदान किया गया है ।

“यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता”
अर्थात जहा नारी की पूजा होती है वहां पर ईश्वर स्वय खुद निवास करते है

एक समय था जब हमारे देश में भारतीय नारी को देवी और लक्ष्मी का रूप मानकर देश की महिलाओं को पूजा जाता था लेकिन पश्चात् संस्कृति का अंधानुसरण करके टीवी, फिल्मों, मीडिया, अश्लील उपन्याय आदि के कारण इन्सान अपने चरित्र से इस कदर नीचे गिर गया है कि उसके लिए स्त्री एक पूजनीय और इज्जत का रूप न रहकर केवल उपभोग की वस्तु समझी जाने लगी है ।

उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं को लेकर अनेक प्रकार के कुरीतियों का भी जन्म हुआ है जैसे दहेज, कन्या भ्रूण हत्या, उपभोग की वस्तु समझना ऐसी तमाम बुराईयाँ जन्म ले चुकी है इसे रोकने के लिए संत श्री आशारामजी बापू ने महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक कार्य किये हैं । कॉल सेंटरों, ऑफिसों में हो रहे महिला शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की तथा महिलाओं में आत्मबल, आत्मविश्वास, साहस, संयम-सदाचार के गुणों को विकसित करने के लिए महिला उत्थान मंडलों का गठन किया है जिससे जुड़कर कई महिलाएँ उन्नत हो रही हैं ।

उन्होंने आगे कहा कि संत आसारामजी बापू द्वारा बनाये गए महिला उत्थान मंडल द्वारा महिलाओं के लिए महिला सर्वांगीण विकास शिविर व सेवा-साधना शिविरों का आयोजन, गर्भपात रोको अभियान, तेजस्विनी अभियान, युवती एवं महिला संस्कार सभाएं, दिव्य शिशु संस्कार अभियान, मुफ्त चिकित्सा सेवा, मातृ-पितृ पूजन दिवस, कैदी उत्थान कार्यक्रम, घर-घर तुलसी लगाओ अभियान, गौ रक्षा  अभियान व दरिद्रनारायण सेवा आदि समाजोत्थान के कार्य किये जाते हैं । बापूजी ने नारियों का आत्मबल जगाकर उनका वास्तविक उत्थान किया है । उनकी अनुपस्थिति के कारण उपरोक्त विश्वव्यापी सेवाकार्यों में अपूर्णीय क्षति हो रही है । उन्होंने महिलाओं की अस्मिता की रक्षा के लिए भोगवादी सभ्यता से लोहा लिया एवं अथकरूप से अनेक प्रयास किये, इसलिए उन्हें शीघ्र रिहा किया जाये ।

महिला जागृति, नारी सशक्तीकरण व महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु देशभर में महिला उत्थान मंडलों का गठन किया गया है, जिनके अंतर्गत नारी उत्थान के अनेक प्रकल्प चलाये जा रहे हैं । 

उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का दुरूपयोग हो रहा है । कानून की आड़ में कई निर्दोष पुरुषों को फँसाया जा रहा है जिसके कारण उस पूरे परिवार को सजा भुगतनी पड़ती है । इसका विरोध करना बहुत जरूरी है ।

विश्व की 4 प्राचीन संस्कृतियों में से केवल भारतीय संस्कृति ही अब तक जीवित रह पायी है और इसका मूल कारण है कि संस्कृति के आधारस्तम्भ संत-महापुरुष समय-समय पर भारत-भूमि पर अवतरित होते रहे हैं लेकिन आज निर्दोष संस्कृति रक्षक संतों को अंधे कानूनों के तहत फँसाया जा रहा है ।  

निर्दोष संतों पर हो रहे षड्यंत्र की भर्त्सना करते हुए महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि ' संत आसारामजी बापू ने संस्कृति-रक्षा एवं संयम-सदाचार के प्रचार-प्रसार में अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया । मातृ-पितृ पूजन दिवस व वसुधैव कुटुम्बकम् की लुप्त हो रही परम्पराओं की पुनः शुरूआत कर भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों को पुनर्जीवित किया है । दो महिलाओं के बेबुनियाद आरोपों को मुद्दा बनाकर ऐसे महान संत को 42 महीनों से जेल में रखा गया है, क्या यही न्याय है ? हम लाखों बहनें जो उनके समर्थन में खड़ी हैं हमारी आवाज को क्यों नहीं सुना जा रहा है ? 

मंडल की सदस्याओं का कहना है कि बढ़ रहे पाश्चात्य कल्चर के अंधानुकरण के कारण आज महिला वर्ग के जीवन में संस्काररूपी जड़ें खोखली होती नजर आ रही हैं । ऐसे में अब हमें पुनः अपने मूल की ओर लौटने की आवश्यकता है । इतिहास साक्षी है कि यह कार्य सदा संतों-महापुरुषों के द्वारा ही सम्पन्न होता रहा है । अपनी ही संस्कृति एवं देश के हित के लिए, बालकों, महिलाओं एवं युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए, समस्त देशवासियों की भलाई के लिए अपना जीवन होम देनेवाले पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा 8 मार्च विश्व महिला दिवस के निमित मंडल के महत्वपूर्ण मुदों पर ध्यान केंद्रित करने व बापूजी की रिहाई की मांग करते हुए देशभर में डी सी ऑफिस में ज्ञापन सौंपा जाएगा ।  


International Women Day

Monday, March 6, 2017

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसान आत्महत्या पर गलत दिशा में है सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसान आत्महत्या पर गलत दिशा में है सरकार

किसानों की खुदकुशी के मामले में केंद्र सरकार की योजनाओं पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजे की व्यवस्था करने की बजाए सरकार को यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई भी किसान खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठाने पर मजबूर न हो।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सरकार से कहा कि ऐसी योजनाएं बनाई जानी चाहिए जिससे किसान खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठाने को मजबूर न हो। पीठ ने सरकार से कहा कि हमें लगता है कि आप गलत दिशा में जा रहे हैं। 

किसान कर्ज लेते हैं लेकिन उसे चुका नहीं पाते। लिहाजा वे खुदकुशी कर लेते हैं और आप उनके परिवारवालों को मुआवजा देते हैं। लेकिन हमारा मानना है कि पीड़ित परिवार को मुआवजा देना समाधान नहीं है बल्कि खुदकुशी को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए। 
                     सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसान आत्महत्या पर गलत दिशा में है सरकार



बैंकों के कर्ज से परेशान होकर किसानों ने की खुदकुशी !!

एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक कर्ज न चुका पाने के कारण खुदकुशी करने वालों किसानों में से 80 फीसदी ने बैंकों से कर्ज लिया था न कि साहूकारों से !!

एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक 2014 की तुलना में 2015 में किसानों के आत्महत्या करने की दर में 41.7 फीसदी का इजाफा हुआ है। 1995 से  31 मार्च 2013 तक के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 2,96 438 किसानों ने आत्महत्या की है ।


सरकारी सूत्रों के अनुसार 2014 में 5650 और 2015 में 8000 से अधिक मामले सामने आए। 

योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन ने बताया कि #बैंक लोन वसूलने में लचीला रुख नहीं अपनाते हैं। उन्होंने बताया कि कर्ज वसूलने में #माइक्रो फानैन्स कंपनियों का ज्यादा बुरा हाल है। यहां तक कि वो लोन वसूलने के लिए #गुडों का भी इस्तेमाल करते हैं।

2014 में देश की जनता ने केंद्र में भाजपा को बहुमत देकर देश की सत्ता सौंपी तो #देश के किसानों और मजदूरों ने सोचा था कि उनके अच्छे दिन आ सकते हैं।  लेकिन आकंड़े देखकर तो लगता है कि #सरकार से किसानो को कोई राहत नही मिल पा रही है ।


बैंकों से लिए कर्ज के कारण मरने को मजबूर हो जाता है किसान..!!

गरीब #किसान बैंकों से कर्ज लेकर खेती करता है और जब बे मौसम बरसात, ओले और तेज हवाओ और सूखे से उसकी #फसल नष्ट हो जाती है तो वो कर्ज नहीं चुका पाता है तो बैंक उससे कर्ज वसूलने के लिए उसके खेतों को नीलाम करके अपना कर्ज वसूलती है। जिसकी वजह से वो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। 


हजारों करोड़ के डिफाल्टर गरीबों का कर्ज माफ..!!

वहीं दूसरी तरफ #केंद्र सरकार ने विजय माल्या समेत 63 डिफाल्टरों का तकरीबन सात हजार करोड़ रुपए का बकाया लोन माफ करने का फैसला किया है। #डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआई ने बकाया वसूल नहीं कर पाने पर शीर्ष 100 विलफुल डिफाल्टरों में से 63 पर 7016 करोड़ रुपए का लोन माफ करने का फैसला किया है।

आपको बताते चलें कि 63 डिफाल्टरों की ये राशि कुल 100 डिफाल्टरों का 80 फीसदी है। यह छूट बैंक की प्रक्रिया बैड लोन के अंतर्गत की गई है। सभी कंपनियों को बैंक ने विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया।

विजय माल्या के अलावा #किंगफिशर एयरलाइंस का तकरीबन 1201 करोड़ रुपए, केएस ऑयल का 596 करोड़ रुपए, सूर्या फार्मास्यूटिकल का 526 करोड़ रुपए, जीईटी पावर का 400 करोड़ रुपए और साई इंफो सिस्टम का 376 करोड़ रुपए शामिल है। डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, उसने इस बारे में एसबीआई के अधिकारियों से जानकारी मांगनी चाही तो उसे कोई जवाब नहीं मिला।


सिर्फ #गरीब #किसान के #कर्ज माफी के लिए नहीं है #केंद्र #सरकार के पास पैसा..!!


एक तरफ जहाँ बैंक अमीर डिफाल्टरों के हजारों करोड़ यूँ ही माफ कर देता है वहीं दूसरी तरफ गरीब #किसानों का उतना कर्ज भी माफ नहीं कर पा रही है जो इन डिफाल्टरों का 20 फीसदी भी नहीं होगा।


सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने अडानी ग्रुप के ऊपर लगे 200 करोड़ के जुर्माने को भी माफ कर दिया ।


केंद्र #सरकार का ये दोगलापन किसानों के साथ कब तक जारी रहेगा.???


आपको जानकर आश्चर्य होगा कि #महाराष्ट्र में एक मंडी में किसान टमाटर लेकर आया तो एक किलो #टमाटर की कीमत केवल #पांच पैसे लगाई गई जिससे किसान ने उसे वापिस लाकर अपने खेतों में डाल दिया ऐसे ही कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ की एक मंडी ने टमाटर की कीमत 2 रूपये किलो लगाई तो उसने सड़कों पर टमाटर फेंक दिए जिससे सड़कें लाल हो गई थी । 


मध्य प्रदेश में भी कुछ दिन पहले #मंडी में #प्याज का भाव नही दिया गया तो सड़कों पर प्याज डाल दी गई । 


ये तो एक-दो उदाहरण तौर पर बताया गया है लेकिन #किसान दिन-रात मेहनत करता है जब फसल लेकर मंडी में आता है तो उसको निराश होने पड़ता है क्योंकि सिंचाई के पानी, खाद्य, बीज, कीटनाशक दवाइयों आदि का पैसा भी फसल की बिक्री से नही निकल पाता है । जो किसान ने कड़ी मेहनत की उसको तो वो गिनता ही नही।


पूर्व सरकार से ही किसानों का बहुत शोषण होता रहा है । #किसानों के बढ़ते संकट का निवारण करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए।


अब केंद्र सरकार को अन्नदाता किसानों को कर्ज से मुक्त कर देना चाहिए और उनके लिए पानी, बिजली, बीज, खाद्य, दवाइयां आदि सस्ते भाव देकर उनको राहत देनी चाहिये जिससे किसान भी अपना जीवन परिवार के साथ खुशहाली से जी सके ।

Sunday, March 5, 2017

रिपोर्ट : इस्‍लाम होगा सबसे बड़ा धर्म, भारत में होंगे सबसे ज्‍यादा मुसलमान

रिपोर्ट : इस्‍लाम होगा सबसे बड़ा धर्म, भारत में होंगे सबसे ज्‍यादा मुसलमान

5 मार्च 2017

अभी दुनिया में सर्वाधिक आबादी ईसाइयों की है लेकिन हाल ही में अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किये गए अध्ययन अनुसार इस सदी के अंत तक दुनिया में सबसे अधिक आबादी मुसलमानों की हो जाएगी।  

प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार मुसलमानों की आबादी बढ़ने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला, मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि दर बाकि धर्मों से ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर मुस्लिम महिला के औसतन 3.1 बच्चे होते हैं जबकि बाकि धर्मों का ये औसत 2.3 है।

मुसलमानों की जनसंख्या ज्यादा बढ़ने का दूसरा कारण है उनकी युवा आबादी। साल 2010 में मुसलमानों की औसत आयु 23 साल थी। जबकि उसी साल गैर-मुसलमानों की औसत आबादी 30 साल थी। युवा आबादी होने का मतलब है मुसलमानों की बढ़ती आबादी या तो बच्चे पैदा कर रहे है या भविष्य में करेंगे। सबसे ज्यादा प्रजनन दर और सबसे ज्यादा युवा आबादी के कारण मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ सकती है।
by-2050-muslim-will-be-biggest-religious-group-by-the-end-of-the-century-india-will-have-maximum-number-of-muslim-population

प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार अगर इस्लाम इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो इक्कीसवीं सदी के अंत तक वो ईसाई धर्म को पीछे छोड़ देगा। इस समय इंडोनेशिया दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है। लेकिन 2050 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी (करीब 30 करोड़) वाला देश बन जाएगा।

अभी भी हिन्दू नही जगे तो होगी पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी बुरी हालत !!

ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2016 की रिपोर्ट कहती है कि 20 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी हिन्दू गुलामों की जिंदगी बसर कर रहे हैं ।

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल 1000 हिंदू और ईसाई लड़कियों (ज्यादातर नाबालिग) को मुसलमान बनाकर शादी करा दी जाती है।

पाकिस्तान में सूदखोर मजबूर हिंदुओं की जवान लड़कियाँ उठाकर ले जाते हैं।

पाकिस्तान में एक संगठन से जुड़े गुलाम हैदर कहते हैं कि सूदखोर हिंदुओं की खूबसूरत लड़कियों को चुनते हैं। हैदर कहते हैं कि इसका शिकार होने वाले गरीब परिवार होते हैं। यहां तक ना मीडिया के कैमरे पहुंचते हैं और ना पुलिस स्टेशन में इनकी कोई सुनवाई होती है।

पाक में नरसंहार का सामना कर रहे हैं अल्पसंख्यक !!

पाकिस्तान के एक प्रसिद्ध विद्वान ने कहा है कि पाकिस्तान ‘एक धीमे नरसंहार’ का सामना कर रहा है और यह इस्लामी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को ‘सबसे खतरनाक’ तरीके से खत्म करना चाहता है।

पाकिस्तानी लेखिका, पत्रकार एवं नेता फरहनाज इस्पहानी ने कहा, ‘भारत एवं पाकिस्तान के बंटवारे से ठीक पहले इस्लाम के अलावा हमारे यहां हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी इन धर्मियों का बहुत अच्छा संतुलन था। अब पाकिस्तान में उनकी तादाद पूरी जनसंख्या के 23 प्रतिशत यानि एक तिहाई से गिरकर महज तीन प्रतिशत रह गयी है !’ उन्होंने कहा, ‘मैं इसे ‘धीमा नरसंहार’ कहती हूं क्योंकि यह धार्मिक समुदायों का सबसे खतरनाक तरह से खात्मा है !’ 

उन्होंने कहा, ‘यह नरसंहार एक दिन में नहीं होता। यह कुछ महीनों में नहीं होता। धीरे धीरे होता है जब कानून एवं संस्थान और नौकरशाह एवं दंड संहिताएं, पाठ्यपुस्तक दूसरे समुदायों की निंदा करते हैं, ऐसा तब तक होता है जब तक कि आपके यहां इस तरह की जिहादी संस्कृति जन्म नहीं ले लेती है जोकि पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर दिख रही है !’ 

पाकिस्तान में #हिन्दू मंदिर तोड़े जाते हैं । #हिन्दू #महिलाओं के साथ दुष्कर्म किये जाते हैं । यहाँ तक कि उठाकर मुस्लिम बना दिया जाता है , श्मशान घाट तक नही है, #हिन्दुओं की हत्यायें की जाती है इतना हिन्दुओं पर अत्याचार किया जाता है फिर भी उनके लिए कोई आवाज उठाने के लिए तैयार नही है ।

बांग्लादेश में हिन्दुओं का बुरा हाल !!

1. बांग्लादेश में वर्ष 2016 में हिन्दुओंपर किए गए आक्रमणों में 18 हिन्दुओं की हत्याएं की गई तथा 357 हिन्दू घायल हुए हैं ! 

2. मंदिरों में स्थित देवताओं के 209 मूर्तियों की तोड़-फोड़ की गई, 22 मूर्तियों को चुराया गया।

3. 22 हिन्दू लापता हुए, साथ ही 38 लोगों का अपहरण किया गया है।

4. बांग्लादेश के 711 हिन्दू देश छोडकर चले गए अथवा उनको देश छोडकर जाने की धमकियां दी गई।

5. 1 हजार 109 हिन्दुओं को जान से मारने की धमकियां मिली हैं तथा 18 हिन्दुओं की हत्या करने का प्रयास किया गया।

भारत में भी मुस्लिमों की कम संख्या होते हुए भी आतंक बढ़ा है जैसे कि कश्मीर से पंडितो को भगाना, कैराना,अलीगढ़(उत्तर प्रदेश) में हिंदुओं का पलायन होना, लव जिहाद द्वारा हिन्दू बहनों को फंसाना , केरल में हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्या और भी भारत में जहाँ मुस्लिम अधिक है वहाँ पर हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है ।

कोई हिन्दू संत या कार्यकर्ता हिंदुओं की संख्या बढ़ाने को बोलता है तो उसपर मीडिया और सेकुलर लोग उनको बदनाम करते हैं लेकिन मुस्लिमों के आतंक पर चुप्पी साध लेते हैं!!

आज भी अगर भारत में हिंदुओं ने "हम दो हमारे दो" के सिद्धान्त को नहीं तोड़ा तो पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसा हाल होने में देरी नही लगेगी । अतः हिन्दू सावधान रहें। 

मुस्लिम चार शादियां करके 40 बच्चे पैदा कर सकते है तो हिन्दू कम से कम 4-5बच्चे तो पैदा कर ही सकता है ।

Saturday, March 4, 2017

कोक और पेप्सी की बिक्री को लगा बड़ा धक्का !!

कोक और पेप्सी की बिक्री को तमिलनाडू व्यापारियों ने किया पूरी तरह से बंद 

4 मार्च 2017

तमिलनाडु राज्य में 1 मार्च से कोक और पेप्सी की बिक्री को व्यापारियों ने पूरी तरह से बंद कर दिया है। व्यापारियों के इस कदम से दोनों कंपनियों को 1400 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है।

गौरतलब है कि  27 जनवरी को प्रदेश के व्यापारी संगठनों ने इस बात का निर्णय लिया था कि वो दोनों विदेशी पेय ब्रांड की बिक्री को पूरी तरह से बंद कर देंगे।
tamilnadu-traders-starts-boycotting-sales-of-coke-pepsi

हालांकि अभी चेन्नई की कुछ ही दुकानों पर इनकी बिक्री जारी है, क्योंकि कई दुकानदारों ने निर्णय के पहले से ही काफी पैसा निवेश कर दिया था। परंतु ज्यादातर दुकानों ने बिक्री पर बैन कर दिया है और इसके लिए नोटिस भी लगा दिया है। इसके अलावा व्यापारी संगठनों ने राज्य सरकार से भी अपील की है कि वो इन कंपनियों पर तुरंत प्रतिबंध लगाए।

इन व्यापारी संगठनों ने लिया है निर्णय !!

तमिलनाडु वानीगर संगम और तमिलनाडु ट्रेडर्स फेडरेशन संगठनों ने कोक और पेप्सी को बंद करने का फैसला लिया है । इन दोनों संगठनों से लगभग 15 लाख व्यापारी जुडे़ हुए हैं। यह 15 लाख व्यापारी प्रदेश में फैले छोटे-छोटे 6 हजार से अधिक संगठनों से जुडे़ हैं।

पेप्सी का है राज्य में 60 प्रतिशत मार्केट शेयर !!

पेप्सीको के कोल्डड्रिंक ब्रांड पेप्सी का राज्य में 60 प्रतिशत शेयर है। कोक-पेप्सी के राज्य में पांच प्लांट हैं, जहां से पूरे राज्य में इनकी बिक्री होती है। दोनों कंपनियां स्थानीय स्तर पर काफी पैसा खर्च करती हैं।

दोनों कंपनियां देश में 14000 करोड़ रुपये का व्यापार करती हैं। (हिन्दू जन जाग्रति)

"पेप्सी और कॉक" में विषैले रासायनिक तत्व !!

1 - सोडियम मोनो ग्लूटामेट - कैंसर करने वाला रसायन है।

2 - पोटेशियम सोरबेट - ये भी कैंसर करने वाला है।

3 - ब्रोमिनेटेड वेजिटेबल ऑइल (BVO) - ये भी #कैंसर करता है।

4- मिथाइल बेन्जीन - ये #किडनी को खराब करता है।

5 - सोडियम बेन्जोईट - ये #मूत्र नली व #लीवर का कैंसर करता है।

इसमें चीनी के स्थान पर #Aspertem का प्रयोग किया जाता है जिससे मूत्रनली का कैंसर होता है।

इसमें सबसे खराब #जहर है - एंडोसल्फान - ये #कीड़े मारने के लिए खेतों में डाला जाता है।
और ऊपर से होता है - #कार्बन डाईऑक्साइड - जो कि बहुत जहरीली गैस है इसीलिए इन #कोल्ड ड्रिंक्स को "#कार्बोनेटेड वाटर" कहा जाता है 


सरकारी अध्ययन में सॉफ्ट ड्रिंक्स में पाये गए जहरीली धातुओं के अंश !!

सरकार के एक अध्ययन के अनुसार स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलास्ते ने राज्यसभा में बताया है कि कुछ सॉफ्ट ड्रिंक्स और फार्मा प्रोडक्ट वाली पीईटी बोतलों (#स्प्राइट, #माउंटेन #ड्यू, #सेवन अप, #पेप्सी और #कोकाकोला) के सैंपल में भारी धातु मिले हैं जो #स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

सॉफ्ट ड्रिंक्स की लत से रोजाना 504 मौतें !!

अमेरिका हावर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक सॉफ्ट ड्रिंक की लत से होने वाले रोग जैसे डायबिटीज से हर साल 1.33 लाख जानें जाती हैं, हृदयरोग से लगभग 45,000 और कैंसर से 6,500 लोग मौत का शिकार बनते हैं। यानी कुल 1.84 लाख मौतों के लिए सॉफ्ट ड्रिंक जिम्मेदार है।


महिलाओं के लिए अधिक खतरनाक सॉफ्ट ड्रिंक !!

जो महिलाएं दिन में दो बार साफ्टड्रिंक का सेवन करती हैं, उनमें  हृदयरोगों का खतरा 35% तक बढ़ जाता है।  ‘डायबिटीज केयर’ संस्था ने तीन लाख से अधिक लोगों की सेहत पर कोल्ड ड्रिंक, डिब्बाबंद जूस और हेल्थ ड्रिंक का असर आंकने के बाद ही यह निष्कर्ष निकाला है।
उन्होंने इन पेय पदार्थो को हड्डियों, मांसपेशियों, दांतों, आंखों और किडनी की सेहत के लिए भी भारी हानिकारक करार दिया है।

कई विदेशी कंपनियाँ कुछ नेताओं की मिलीभगत से हिन्दुस्तान में बोतलबंद जहर खुल्लेआम बेच रही है, इस जहर को हिन्दुस्तान की सांसदों की केंटीन में प्रतिबंधित कर दिया गया है,  अगर कोल्ड्रिंक जहरीला है ये हमारे सांसद जानते हैं तो इसे पूरे भारत में प्रतिबंधित क्यों नहीं करते?? 


नेताओं का स्वास्थ्य बेहतर रहना चाहिए तो जनता का नहीं?? 

हमारे देश मे बहुत सी विदेशी कम्पनियाँ हानिकारक पेय व खाद्य सामग्री बेच रही है और सरकार टेक्स के चक्कर मे आंखे बन्द करके बैठी है ।

नींबू स्वास्थ्य में उत्तम लाभदायी !!

नींबू का रस स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी  है। रक्त की अम्लता को दूर करने का विशिष्ट गुण रखता है। त्रिदोष, वायु-सम्बन्धी रोगों, मंदाग्नि, कब्ज और हैजे में नींबू विशेष उपयोगी है। नींबू में कृमि-कीटाणुनाशक और सड़न दूर करने का विशेष गुण है। यह रक्त व त्वचा के विकारों में भी लाभदायक है। #नींबू की खटाई में #ठंडक उत्पन्न करने का विशिष्ट गुण है जो हमें गर्मी से बचाता है। 

मुँह सूखना, पित्तप्रकोप, उदररोग, अपच, अरुचि, पेटदर्द, मंदाग्नि,  मोटापा, कब्ज, दाँतों से खून निकलना, बालों की रूसी, सिर की फोड़े-फुंसी आदि नीबू के प्रयोग से मिट जाते हैं ।

क्यों ऐसी #विदेशी कंपनियों के #ज़हरीले पेय-पदार्थों का सेवन करना जो हमारा पैसा लेने के साथ-साथ हमारे शरीर को भी बिमारियों का घर बनाना चाहते है।

इसे तो प्राकृतिक वस्तुओं जैसे #नीबूं पानी #गुलाब शर्बत आदि का सेवन कर #गरीबों की रोजी #रोटी में मदद रूप हो और देश की समृद्धि में सहायक होने के साथ-साथ अपना स्वास्थ्य भी बढ़िया रखे।

Friday, March 3, 2017

श्री विनायक दामोदर वीर सावरकर जी स्मृतिदिन :4 मार्च


श्री विनायक दामोदर वीर सावरकर जी स्मृतिदिन (पुण्यतिथि) 4 मार्च (तिथि अनुसार)

सावरकर जी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर जी को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था ।

जीवन वृत्त !!
Azaad Bharat - Vinayak_Damodar_Savarkar

विनायक सावरकर का जन्म 28 मई 18 1883 में महाराष्ट्र (तत्कालीन नाम बम्बई) प्रान्त में नासिक के निकट भागुर गाँव में हुआ था। उनकी माता जी का नाम राधाबाई तथा पिता जी का नाम दामोदर पन्त सावरकर था। इनके दो भाई गणेश (बाबाराव) व नारायण दामोदर सावरकर तथा एक बहन नैनाबाई थी। जब वे केवल नौ वर्ष के थे तभी हैजे की महामारी में उनकी माता जी का देहान्त हो गया। इसके सात वर्ष बाद सन् 1899 में प्लेग की महामारी में उनके पिता जी भी स्वर्ग सिधारे। इसके बाद विनायक के बड़े भाई गणेश ने परिवार के पालन-पोषण का कार्य सँभाला। दुःख और कठिनाई की इस घड़ी में गणेश के व्यक्तित्व का विनायक पर गहरा प्रभाव पड़ा। विनायक ने शिवाजी हाईस्कूल नासिक से 1901 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। बचपन से ही वे पढ़ाकू तो थे ही अपितु उन दिनों उन्होंने कुछ कविताएँ भी लिखी थी । आर्थिक संकट के बावजूद बाबाराव ने विनायक की उच्च शिक्षा की इच्छा का समर्थन किया। इस अवधि में विनायक ने स्थानीय नवयुवकों को संगठित करके मित्र मेलों का आयोजन किया। शीघ्र ही इन नवयुवकों में राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रान्ति की ज्वाला जाग उठी।सन् 1901 में रामचन्द्र त्रयम्बक चिपलूणकर की पुत्री यमुनाबाई के साथ उनका विवाह हुआ। उनके ससुर जी ने उनकी विश्वविद्यालय की शिक्षा का भार उठाया। 1902 में मैट्रिक की पढाई पूरी करके उन्होने पुणे के फर्ग्युसन कालेज से बी०ए० किया।

लन्दन प्रवास !!

1904 में उन्हॊंने अभिनव भारत नामक एक क्रान्तिकारी संगठन की स्थापना की। 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद उन्होने पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। फर्ग्युसन कॉलेज, पुणे में भी वे राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत ओजस्वी भाषण देते थे। बाल गंगाधर तिलक के अनुमोदन पर 1906 में उन्हें श्यामजी कृष्ण वर्मा छात्रवृत्ति मिली। इंडियन सोशियोलाजिस्ट और तलवार नामक पत्रिकाओं में उनके अनेक लेख प्रकाशित हुये, जो बाद में कलकत्ता के युगान्तर पत्र में भी छपे। सावरकर रूसी क्रान्तिकारियों से ज्यादा प्रभावित थे। 

10 मई, 1907 को इन्होंने इंडिया हाउस, लन्दन में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्ण जयन्ती मनाई। इस अवसर पर विनायक सावरकर ने अपने ओजस्वी भाषण में प्रमाणों सहित 1857 के संग्राम को गदर नहीं, अपितु भारत के स्वातन्त्र्य का प्रथम संग्राम सिद्ध किया। जून, 1908  में इनकी पुस्तक द इण्डियन वार ऑफ इण्डिपेण्डेंस : 1857 तैयार हो गयी परन्तु इसके मुद्रण की समस्या आयी। इसके लिये लन्दन से लेकर पेरिस और जर्मनी तक प्रयास किये गये किन्तु वे सभी प्रयास असफल रहे। बाद में यह पुस्तक किसी प्रकार गुप्त रूप से हॉलैंड से प्रकाशित हुई और इसकी प्रतियाँ फ्रांस पहुँचायी गयी। इस पुस्तक में सावरकर ने 1857 के सिपाही विद्रोह को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ स्वतन्त्रता की पहली लड़ाई बताया। मई 1909 में इन्होंने लन्दन से बार एट ला (वकालत) की परीक्षा उत्तीर्ण की, परन्तु उन्हें वहाँ वकालत करने की अनुमति नहीं मिली।

लाला हरदयाल से भेंट !!

लन्दन में रहते हुये उनकी मुलाकात लाला हरदयाल से हुई जो उन दिनों इण्डिया हाउस की देखरेख करते थे। 1 जुलाई 1909 को मदनलाल ढींगरा द्वारा विलियम हट कर्जन वायली को गोली मार दिये जाने के बाद उन्होंने लन्दन टाइम्स में एक लेख भी लिखा था। 13 मई 1910 को पैरिस से लन्दन पहुँचने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया परन्तु 8 जुलाई 1910 को एस०एस० मोरिया नामक जहाज से भारत ले जाते हुए सीवर होल के रास्ते ये भाग निकले।  14 दिसम्बर 1910 को उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गयी। इसके बाद 31 जनवरी 1911 को इन्हें दोबारा आजीवन कारावास दिया गया । इस प्रकार सावरकर को ब्रिटिश सरकार ने क्रान्ति कार्यों के लिए दो-दो आजन्म कारावास की सजा दी, जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा थी। सावरकर के अनुसार -

"मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश-सेवा ही ईश्वर-सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की।"

सेलुलर जेल में !!

नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड के अंतर्गत इन्हें 7 अप्रैल, 1911 को काला पानी की सजा पर सेलुलर जेल भेजा गया। उनके अनुसार यहां स्वतंत्रता सेनानियों को कड़ा परिश्रम करना पड़ता था। कैदियों को यहां नारियल छीलकर उसमें से तेल निकालना पड़ता था। साथ ही इन्हें यहां कोल्हू में बैल की तरह जुत कर सरसों व नारियल आदि का तेल निकालना होता था। इसके अलावा उन्हें जेल के साथ लगे व बाहर के जंगलों को साफ कर दलदली भूमी व पहाड़ी क्षेत्र को समतल भी करना होता था। रुकने पर उनको कड़ी सजा व बेंत व कोड़ों से पिटाई भी की जाती थी। इतने पर भी उन्हें भरपेट खाना भी नहीं दिया जाता था।।सावरकर 4 जुलाई, 1911 से 21 मई, 1921 तक पोर्ट ब्लेयर की जेल में रहे।

स्वतन्त्रता संग्राम !!

1921 में मुक्त होने पर वे स्वदेश लौटे और फिर 3 साल जेल भोगी। जेल में उन्होंने हिंदुत्व पर शोध ग्रन्थ लिखा। इस बीच 7 जनवरी 1925 को इनकी पुत्री, प्रभात का जन्म हुआ। मार्च, 1925 में उनकी भॆंट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक, डॉ॰ हेडगेवार से हुई। 17 मार्च 1928 को इनके बेटे विश्वास का जन्म हुआ। फरवरी, 1931 में इनके प्रयासों से बम्बई में पतित पावन मन्दिर की स्थापना हुई, जो सभी हिन्दुओं के लिए समान रूप से खुला था। 25 फरवरी 1931 को सावरकर ने बम्बई प्रेसीडेंसी में हुए अस्पृश्यता उन्मूलन सम्मेलन की अध्यक्षता की।

1937 में वे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के कर्णावती (अहमदाबाद) में हुए 19वें सत्र के अध्यक्ष चुने गये, जिसके बाद वे पुनः सात वर्षों के लिये अध्यक्ष चुने गये। 15 अप्रैल 1938 को उन्हें मराठी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया। 13 दिसम्बर 1937 को नागपुर की एक जन-सभा में उन्होंने अलग पाकिस्तान के लिये चल रहे प्रयासों को असफल करने की प्रेरणा दी थी। 22 जून 1941 को उनकी भेंट नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हुई। 9 अक्टूबर 1942 को भारत की स्वतन्त्रता के निवेदन सहित उन्होंने चर्चिल को तार भेज कर सूचित किया। सावरकर जीवन भर अखण्ड भारत के पक्ष में रहे। स्वतन्त्रता प्राप्ति के माध्यमों के बारे में गान्धी और सावरकर का एकदम अलग दृष्टिकोण था। 1943 के बाद दादर, बम्बई में रहे। 16 मार्च 1947 को इनके भ्राता बाबूराव का देहान्त हुआ। 19 अप्रैल 1945 को उन्होंने अखिल भारतीय रजवाड़ा हिन्दू सभा सम्मेलन की अध्यक्षता की। इसी वर्ष 8 मई को उनकी पुत्री प्रभात का विवाह सम्पन्न हुआ। अप्रैल 1946 में बम्बई सरकार ने सावरकर के लिखे साहित्य पर से प्रतिबन्ध हटा लिया। 1947 में इन्होंने भारत विभाजन का विरोध किया। महात्मा रामचन्द्र वीर नामक (हिन्दू महासभा के नेता एवं सन्त) ने उनका समर्थन किया।

स्वातन्त्र्योपरान्त जीवन !!

15 अगस्त1947 को उन्होंने सावरकर सिद्धान्तों में भारतीय तिरंगा एवं भगवा, दो-दो ध्वजारोहण किये। इस अवसर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मुझे स्वराज्य प्राप्ति की खुशी है, परन्तु वह खण्डित है, इसका दु:ख है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की सीमायें नदी तथा पहाड़ों या सन्धि-पत्रों से निर्धारित नहीं होती, वे देश के नवयुवकों के शौर्य, धैर्य, त्याग एवं पराक्रम से निर्धारित होती हैं । 5 फरवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के उपरान्त उन्हें प्रिवेन्टिव डिटेन्शन एक्ट धारा के अन्तर्गत गिरफ्तार कर लिया गया। 19 अक्टूबर 1949 को इनके अनुज नारायणराव का देहान्त हो गया। 4 अप्रैल 1950 को पाकिस्तानी प्रधान मंत्री लियाकत अली खान के दिल्ली आगमन की पूर्व संध्या पर उन्हें सावधानीवश बेलगाम जेल में रोक कर रखा गया। मई, 1952 में पुणे की एक विशाल सभा में अभिनव भारत संगठन को उसके उद्देश्य (भारतीय स्वतन्त्रता प्राप्ति) पूर्ण होने पर भंग किया गया। 10 नवम्बर1957 को नई दिल्ली में आयोजित हुए, 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के शाताब्दी समारोह में वे मुख्य वक्ता रहे। 8 अक्टूबर 1959 को उन्हें पुणे विश्वविद्यालय ने डी०.लिट० की मानद उपाधि से अलंकृत किया। 8 नवम्बर 1963 को इनकी पत्नी यमुनाबाई चल बसी। सितम्बर, 1966 से उन्हें तेज ज्वर ने आ घेरा, जिसके बाद इनका स्वास्थ्य गिरने लगा। 1 फरवरी 1966 को उन्होंने मृत्युपर्यन्त उपवास करने का निर्णय लिया। 26 फरवरी 1966 को बम्बई में भारतीय समयानुसार प्रातः 10 बजे उन्होंने पार्थिव शरीर छोड़कर परमधाम को प्रस्थान किया ।

सावरकर साहित्य !!

वीर सावरकर ने 10,000 से अधिक पन्ने मराठी भाषा में तथा 1500  से अधिक पन्ने अंग्रेजी में लिखा है।

'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस -1857' सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक है, जिसमें उन्होंने सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिख कर ब्रिटिश शासन को हिला डाला था। अधिकांश इतिहासकारों ने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक सिपाही विद्रोह या अधिकतम भारतीय विद्रोह कहा था। दूसरी ओर भारतीय विश्लेषकों ने भी इसे तब तक एक योजनाबद्ध राजनीतिक एवं सैन्य आक्रमण कहा था, जो भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के ऊपर किया गया था।

जीवन के अन्तिम समय में वीर सावरकर !!

सावरकर एक प्रख्यात समाज सुधारक थे। उनका दृढ़ विश्वास था, कि सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार बराबरी का महत्त्व रखते हैं व एक दूसरे के पूरक हैं। उनके समय में समाज बहुत सी कुरीतियों और बेड़ियों के बंधनों में जकड़ा हुआ था। इस कारण हिन्दू समाज बहुत ही दुर्बल हो गया था। अपने भाषणों, लेखों व कृत्यों से इन्होंने समाज सुधार के निरंतर प्रयास किए। हालांकि यह भी सत्य है, कि सावरकर ने सामाजिक कार्यों में तब ध्यान लगाया, जब उन्हें राजनीतिक कलापों से निषेध कर दिया गया था। किंतु उनका समाज सुधार जीवन पर्यन्त चला। उनके सामाजिक उत्थान कार्यक्रम ना केवल हिन्दुओं के लिए बल्कि राष्ट्र को समर्पित होते थे। 1924 से 1937 का समय इनके जीवन का समाज सुधार को समर्पित काल रहा।


जरा विचार कीजिये कि देश को आजादी दिलाने के लिए अपने समग्र जीवन की आहुति देनेवाले इन वीर शहीदों के सपने को हम कहाँ तक साकार कर सके हैं..???

हमने उनके बलिदानों का कितना आदर किया है...???

वास्तव में, हमने उन अमर शहीदों के बलिदानों को कोई सम्मान ही नहीं दिया है । तभी तो स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारा देश पश्चिमी संस्कृति की गुलामी में जकड़ा हुआ है।

इन महापुरुषों की सच्ची पुण्यतिथि तो तभी मनाई जाएगी, जब प्रत्येक भारतवासी उनके जीवन को अपना आदर्श बनायेंगे, उनके सपनों को साकार करेंगे तथा जैसे भारत का निर्माण जैसा वे महापुरुष करना चाहते थे, वैसा ही हम करके दिखायें । यही उनकी पुण्यतिथि मनाना है ।

जयहिंद!!
जय भारत!!

Thursday, March 2, 2017

ईसाई पादरी ने किया नाबालिग लड़की से बलात्कार, हुआ गिरफ्तार

🚩ईसाई पादरी ने किया नाबालिग लड़की से बलात्कार, हुआ गिरफ्तार

🚩#केरल के कोच्चि में एक केथोलिक #दुष्कर्म आरोपी #ईसाई पादरी को एक #नाबालिग लड़की से #बलात्कार के मामलें में #गिरफ्तार किया गया हैं । #दुष्कर्म आरोपी 48 वर्षीय रोबिन वडक्‍कनचेरिल कन्‍नूर जिले के कोटियूर में सेंटर सेबेस्टियन #चर्च में #पादरी है ।

🚩पुलिस के अनुसार, #पादरी ने चर्च की ओर से मिले घर के बेडरूम में पीडिता से #बलात्कार किया । पीड़िता स्कूल की छात्र है। लड़की ने तीन सप्‍ताह पहले बच्‍चे को जन्‍म दिया है। बच्‍चे के जन्म के बाद बलात्कार का खुलासा हुआ है। नवजात को वायानाड जिले में एक निजी अनाथालाय को सौंप दिया गया ।


🚩पिछले साल मई में दुष्कर्म आरोपी #ईसाई पादरी ने 17 साल की पीड़िता के साथ रेप किया था । आरोपी पादरी उसी स्कूल में बतौर मैनेजर तैनात था, जहां पीड़िता पढ़ती थी ।

🚩पीड़िता की मानें तो #आरोपी पादरी ने एक दिन उसके अकेले होने का फायदा उठाकर उसके साथ रेप किया था । बदनामी के डर से उसने ये बात किसी को नहीं बताई ।

🚩शुरूआत की जांच में #पीड़िता ने #पादरी के डर से #बलात्कार के लिए उसके पिता को जिम्मेदार ठहरा दिया था । जब पुलिस ने महिला पुलिसकर्मी की मदद से पूछताछ की तो उसने फादर रोबिन का नाम लिया । पादरी पहले एक #कॉलेज में भी काम कर चुका है । साथ ही चर्च की ओर से चलने वाले अखबार दीपिका औश्र जीवन टीवी का निदेशक रह चुका है ।

🚩पुलिस का कहना है कि लड़की के माता-पिता को उसके प्रेगनेंट होने का पता ही नहीं चला । वह रोज स्‍कूल जाती थी और कपड़े इस तरह से पहनती थी कि किसी को उसके गर्भवती होने का पता नहीं चल पाया । मामले के सामने आने के बाद मनंथवड़ी पादरी क्षेत्र ने रोबिन का नाम और फोटो वेबसाइट से हटा दी ।

🚩पीड़िता के परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने #आरोपी #पादरी #रॉबिन के खिलाफ आईपीसी की धारा-376 और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है । पुलिस के मुताबिक, दुष्कर्म आरोपी #ईसाई पादरी रॉबिन ने पुलिस पूछताछ में अपना जुर्म कबूल कर लिया है ।

🚩पहले भी #कई ईसाई पादरियों का #सेक्स रैकेट का पर्दाफाश हुआ है

🚩पहले की कुछ घटनाएँ आपको बता रहे हैं...

🚩#नाबालिग शिष्या के साथ #पादरी ने किया बलात्कार

🚩तीन साल पहले चेन्नई, ज्ञानप्रगाशम सेलवन (Gnanapragasam Selvan) पेट्टाई में सेंट एंटनी चर्च में एक नाबालिग भगवान के गीत (carols) सीखने पादरी के पास आती थी। वह 40 वर्षीय पादरी नाबालिग छात्रा से बलात्कार करता रहा । 5 महीने बाद छात्रा के पिता को लालच देकर एक स्थानीय डॉक्टर एस मीनाक्षी की मदद से लडक़ी का जबरन गर्भपात कर भ्रूण को पेट्टाई के निकट तिरुपाणिकारिसंकुलम गाँव में करुवेलांकुलम के तट पर दफना दिया । पुलिस ने तिरुनेलवेली तहसीलदार की मौजूदगी में दफनाया भ्रूण मौके से बरामद कर लिया । 

🚩#छत्तीसगढ़ में पादरी ने मासूम छात्रा से किया बलात्कार !!

🚩कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नवी कक्षा की नाबालिग छात्रा पिता के साथ साइकल पर सवार होकर भाई के पास जा रही थी । पड़ोस में रहने वाला #पादरी #मरकू #मसीह भी साइकिल पर सवार होकर बकावण की ओर जाते दिखा । परिचित होने से लडक़ी के पिता ने पास्टर को अपने साथ राजनगर ले जाकर भोजन कराया । शाम 6 बजे पास्टर प्रार्थना कराए जाने की बात कहते हुये छात्रा को अपने साथ  ले गया  वहाँ #पादरी ने #छात्रा के साथ #बलात्कार  किया।  पीड़िता के परिजनों ने घटना के बाद पास्टर की जमकर पिटाई की थी ।

🚩पादरी 4 महीने तक चर्च में युवती से करता रहा बलात्कार !!

🚩कुछ समय पूर्व #उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले के ईश्वरपुर गाँव की एक युवती की तबीयत खराब रहती थी । #ईसाई मिशनरी के कुछ लोगों ने उसे चंगाई कार्यक्रम के तहत #ईसाई धर्म कबूल करने की सलाह दी । इसके लिए वह चार माह पूर्व शहर के एक पादरी के पास पहुँच गयी । युवती का कहना है कि पादरी ने उसे झाड-फूँक (चंगाई) के बहाने घर में कैद कर लिया और उसके साथ चार माह तक दुराचार बलात्कार करता रहा । इस दौरान पादरी लोगो से झाड़-फूँक कर उसे ठीक करने की बात कहता रहा । यह बात तब समाने आयी जब वह युवती उस पदारी के चंगुल से भागने मे सफल हुई और प्रतापगढ के पुलिस अधीक्षक से मिल कर आपबीती बतायी ।


🚩पादरी ने किया बलात्कार, गर्भवती होने पर दी धमकी !!

🚩#श्री नगर के 32 वर्षीय बीजूमन के. एल. पादरी शादी के बहाने 19 वर्षीय एक लडक़ी से अपने आवास पर पेय पदार्थ में नशीली चीजें मिलाकर पिलाने के बाद उससे बलात्कार करता था । #पुलिस ने बताया कि #पादरी ने #किशोरी युवती के गर्भवती हो जाने पर जबरन #गर्भपात कराया और उसे #धमकी भी दी कि अगर उसने इस बारे में किसी से कुछ कहा तो सोशल मीडिया पर उसकी अश्लील तस्वीर जारी कर देगा ।

🚩पादरी पालनकर्ता बाप बनकर 4 वर्ष की उम्र से जवानी तक करता रहा बलात्कार !!

🚩#मुंबई में एक पादरी के हाथों यौन शोषण की शिकार हुई चौदह वर्ष की #लड़की की दास्तान सुनकर हर कोई हैरान रह जाएगा । उसकी जिंदगी में जो कुछ घटित हुआ उसकी कल्पना करने से भी शरीर में कम्पन पैदा हो जाता है । #शराबी पिता ने उसको चार वर्ष की उम्र में ही इस पादरी को बेच दिया था । #पादरी इस लडकी  का महज चार वर्ष की उम्र से ही लगातार #यौन शोषण कर रहा था ।  #जब वह शारीरिक तौर पर भी बड़ी हुई तब शारीरिक संबंध न बनाने पर उसको तरह तरह की यातनाएँ देने लगा । रोज #गर्भनिरोधक गोलियाँ खाने के लिए बाध्य करता था । 

🚩आपको बता दें कि अभी हाल ही में आस्ट्रेलिया की कैथोलिक चर्च ने ईसाई पादरियों के 3066 बच्चों के यौन-शोषण करने के मामले में करीब 21 करोड़ 20 लाख 90 हजार अमेरिकी डॉलर (1426 करोड़ रुपए) का हर्जाना दिया है। 

🚩सन् 2002 में आयरलैंड को अपने पादरियों के यौन-शोषण के अपराधों के कारण 12 करोड़ 80 लाख डॉलर का दंड चुकाना पड़ा था ।

🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर हो ही गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल चुकी है । चर्च कुकर्मो की पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी ।

🚩ईसाई पादरी इतने कुर्कम करते हैं लेकिन मीडिया उनको दिखाती नही है क्योंकि मीडिया का अधिकतर फंड वेटिकन सिटी से आता है इसलिए मीडिया केवल हिन्दू साधु-संतों को ही बदनाम करती है ।

🚩आज तक किसी #साधु-संत पर आरोप सिद्ध नही हुआ है लेकिन उनके ऊपर आरोप लगते ही मीडिया उनके खिलाफ खूब जहर उगलने लगती है पर जैसे ही वो निर्दोष बरी हो जाते हैं तो एक मिनट की भी न्यूज मीडिया नही दिखाती है और दूसरी ओर #ईसाई #पादरियों के #बलात्कार के मामले सामने आने पर भी,जुर्म साबित होने पर भी एक मिनट की #न्यूज मीडिया उनके खिलाफ नहीं दिखाती है ।

🚩इसे ये सिद्ध हो जाता है कि #मीडिया भले भारतीय है लेकिन वो काम कर रही है #विदेशियों के #इशारे पर ।

🚩अतः भारतीय सावधान !!

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk

🔺Facebook : https://goo.gl/immrEZ

🔺 Twitter : https://goo.gl/he8Dib

🔺 Instagram : https://goo.gl/PWhd2m

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺Blogger : https://goo.gl/N4iSfr

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

   🚩🇮🇳🚩 आज़ाद भारत🚩🇮🇳🚩

Wednesday, March 1, 2017

'मैं भी शहीद का बेटा पर गुरमेहर से सहमत नहीं', मनीष शर्मा ने दिया करारा जवाब...

'मैं भी शहीद का बेटा पर गुरमेहर से सहमत नहीं', मनीष शर्मा ने दिया करारा जवाब...

रामजस कॉलेज (दिल्ली) में इतिहास विभाग ने 21 फरवरी 2017 से दो दिन का सेमिनार ‘कल्चर ऑफ प्रोटेस्ट’ आयोजित किया था। 

पहले दिन इसमेंmyउमर खालिद (जिसने आतंकी अफजल गुरु के समर्थन में देश विरोधी नारे लगाये थे ) और जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व सदस्य शेहला राशिद को भी बुलाया गया था। लेकिन ABVP
(अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के विरोध की वजह से मंगलवार का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था। 
जिसका AISA(ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन) के छात्रों ने विरोध किया। बुधवार को ABVP और AISA के छात्र आमने-सामने आ गए और मारपीट हुई। 
Add caption

मारपीट के बाद दिल्ली की लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ने वाली गुरमेहर कौर की पोस्ट वायरल हो गई ।

इसके बाद हंगामा मचा गुरमेहर की उस तस्वीर पर जिसमें वो एक प्लेकार्ड लिए खड़ी हैं। इस पर अंग्रेजी में लिखा है, ''पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है।''

गुरमेहर कौर की इस पोस्ट का जवाब मनीष शर्मा ने दिया है।
पढ़िये नीचे दी गई चिट्ठी द्वारा !!

हाय गुरमेहर कौर,

पिछले कुछ दिनों में वायरल हुए आपके वीडियो और कुछ इंटरव्यू जिनमें आपने अभिव्यक्ति की आजादी की बात की और कहा कि, 'पाकिस्तान ने आपके डैड की हत्या नहीं की, युद्ध ने उन्हें मार डाला।' इस पोस्ट के चलते आपका नाम हर घर तक पहुंच गया है।

मैं सार्वजनिक तौर पर भावनाओं की अभिव्यक्ति से बचता हूँ लेकिन इस बार लगता है कि बहुत हो गया। मुझे नहीं मालूम कि आप ये जानबूझ कर रही हैं या अनजाने में, लेकिन आपकी वजह से डिफेंस से जुड़े परिवारों की भावनाएं आहत हो रही हैं ।

पहले मैं अपना परिचय दे दूं, मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में आईटी पेशेवर के तौर पर काम करता हूँ।  मेरे पिता भारतीय सेना में अधिकारी थे जो श्रीनगर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान चरमपंथियों से संघर्ष करते हुए मारे गए थे ।

मैं नहीं जानता कि मैं इसके लिए किसे दोष दूं - युद्ध को, पाकिस्तान को, राजनेताओं को और किसे दोष नहीं दूं क्योंकि मेरे पिता वहां संघर्ष कर रहे थे जो विदेशी जमीन ही थी क्योंकि वहां के स्थानीय लोग कहते हैं- इंडिया गो बैक ।

मेरे पिता ने अपनी जान दी उन्हीं लोगों के लिए, हमारे लिए और हमारे देश के लिए । 
बहरहाल, हम दोनों नैतिकता के एक ही धरातल पर मौजूद हैं- आपके पिता ने भी जान दी और मेरे पिता ने भी जान गंवाई है ।

अब कदम दर कदम आगे बढ़ते हैं । आपने कहा कि पाकिस्तान ने आपके पिता को नहीं मारा, ये युद्ध था जिसने आपके पिता को मारा ।

मेरा सीधा सवाल आपसे है? आपके पिता किससे संघर्ष कर रहे थे? क्या ये उनका निजी युद्ध था या फिर हम एक देश के खिलाफ लड़ रहे थे?

जाहिर है ये पाकिस्तान और उसकी हरकतें ही थी, जिसके चलते आपके पिता और उनके जैसे कई सेना अधिकारियों को कश्मीर में तनावपूर्ण माहौल में अपनी जान गंवानी पड़ी ।

अपने पिता की मौत की वजह युद्ध बताना तर्कसंगत लगता है, लेकिन जरा सोचिए उनकी मौत की कई वजहें थी। -

1. पाकिस्तान और उसका विश्वासघाती कृत्य !

2. भारत के राजनीतिक नेतृत्व में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव !

3. हमारे नेतृत्व की एक के बाद एक गलतियां !

4. धार्मिक कट्टरता !

5. भारत में मौजूद स्लीपर सेल जो भारत में रहकर पाकिस्तानी आईएसआई की मदद करते हैं !

और इन सबके अलावा, उनकी मौत की वजह- अपनी ड्यूटी के प्रति उनका पैशन और उनकी प्रतिबद्धता थी ।

ये वजह थी ।

मैं इसे एक्सप्लेन करता हूँ ।

आपके पिता ने अपनी जान तब गंवाई जब उनकी उम्र काफी कम थी, आप महज दो साल की थी। ये देश के प्रति उनका पैशन था, राष्ट्रीय झंडे और अपने रेजिमेंट के प्रति सम्मान का भाव जिसने उन्हें शहीद होने का साहस दिया ।

नहीं तो हम लोग देख रहे हैं कि आपके पिता से ज्यादा उम्र के लोग अभी भी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं और देश के खिलाफ काम कर रहे हैं- किसी कुर्बानी की इनसे उम्मीद के बारे में तो भूल ही जाइए ।


क्या आपको मालूम है कि आपके पिता ने जिस कश्मीर के लिए अपनी जान दी, उसी कश्मीर की आजादी के लिए ये जेएनयू में नारे लगाते हैं ।

वे किस आजादी की बात करते हैं, वे कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बता रहे हैं, ये उनके लिए आजादी है और इसके खिलाफ हम दोनों के पिता ने संघर्ष किया था ।

आप जागरूक नागरिक होने के बाद भी इनकी वकालत कर रही हैं । ये वो लोग हैं जो अपने कभी ना खत्म होने वाले प्रोपगैंडे के लिए आपको प्यादे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं ।

मैंने आपका आज सुबह इंटरव्यू सुना जिसमें आप कह रही हैं कि आप किसी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ नहीं हैं, आप केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात कर रही हैं ।

मेरा आपसे सीधा सवाल है - आपके लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या है? क्या आपके लिए यह भारत के टुकड़े हो, जैसे नारे लगाना है?

क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब आपके लिए लोगों- मेरे और आपके अपने पिता और उनकी तरह सीमा पर दिन रात गश्त लगा रहे जवानों के अपमान करने का अधिकार मिल जाना है?

मिस कौर, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है । अगर आपके पिता आज जीवित होते तो वे आपको बेहतर बता पाते ।

मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है- आप अपने पिता से कुछ सीखिए । कम से कम अपने देश का सम्मान करना सीखिए क्योंकि देश हमेशा पहले आता है ।

मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी बात स्पष्टता से रख पाया हूँ ।

जय हिंद !!

मीडिया ने झूठ फैलाया था, करगिलर में शहीद नही हुए थे गुरमेहर कौर के पिता

यह घटना साल 1999 की है जब पाक घुसपैठियों ने जम्मू में राष्ट्रीय रायफल्स के कैंप पर हमला कर दिया था। गुरमेहर के पिता अमनदीप सिंह अपने कैंप को बचाने के लिए आतंकियों के सामने दीवार बन के खड़े हो गए। गोलीबारी में आखिर अमनदीप शहीद हो गए।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू बोले- जवानों की मौत पर जश्न मनाते हैं वामपंथी, यूनिवर्सिटी जाकर बच्चों को मत करें गुमराह !!

किरण रिजिजू ने कहा यह राष्ट्रवादी और गैर-राष्ट्रवादी विचारधारा रखने वाले लोगों के बीच की वैचारिक लड़ाई है।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि ‘सेना के शहीद की बेटी के मस्तिष्क को कौन प्रदूषित कर रहा है’ संबंधी उनका बयान वामपंथियों पर केंद्रित था, साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि वह अपने विचार व्यक्त करने को स्वतंत्र है। रिजिजू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही उन्होंने सवाल उठाया था कि 20 वर्षीय गुरमेहर कौर के मस्तिष्क को कौन प्रदूषित कर रहा है। 

रिजिजू ने कहा, ‘मैं अपने बयान पर कायम हूँ । कोई भी व्यक्ति जो सोशल मीडिया पर लिखता हो, उसे सजग रहना चाहिए । लेकिन विपरीत विचार रखने वालों को भी बोलने दिया जाना चाहिए। गुरमेहर युवा लड़की है और उसे अपने मन की बात रखने देना चाहिए। जब मैं कहता हूँ कि कोई उसके (गुरमेहर) मस्तिष्क को प्रदूषित कर रहा है, तब मेरा आशय वामपंथियों से होता है।’

गृह राज्य मंत्री रिजिजू ने कहा कि अगर कौर को कोई धमकी मिली है तब उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ लोग इस मुद्दे को लेकर राजनीति कर रहे हैं। वामपंथियों के रूख को लेकर आलोचना करते हुए रिजिजू ने कहा कि जब भी भारतीय सैनिक मरते हैं, वे उत्सव मनाते हैं।


रिजिजू ने आगे कहा, ‘मेरा वामपंथियों से कहना है कि जब भी कोई हमारा जवान शहीद होता है तो आप लोग जश्न मनाते हैं। जब साल 1962 में भारत और चीन की लड़ाई हुई थी, तब भी आपने चीन का साथ दिया था। आज भी हमारा कोई जवान आतंकियों के साथ लड़ाई लड़ते हुए शहीद हो जाता है तो आप जश्न मनाते हैं। आप लोग यूनिवर्सिटी और कॉलेज में जाकर लोगों और हमारे बच्चों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं, यह ठीक नहीं है।’

साथ ही उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस एक परिवार तक सीमित है। उनकी कोई विचारधारा नहीं है, इसलिए वे लोग चुप बैठे हैं। यह राष्ट्रवादी और गैर-राष्ट्रवादी विचारधारा रखने वाले लोगों के बीच की वैचारिक लड़ाई है। देश इसका निर्णय करेगा कि देश किस दिशा में जाएगा और भारत को कैसे मजबूत करना है यह देशवासी तय करेंगे।’ रिजिजू ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘अराजक’ करार देते हुए कहा कि वे कुछ ऐसे छात्रों का पक्ष ले रहे हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय में समस्या खड़ी कर रहे हैं।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि गुरमेहर कौर शहीद की बेटी है। आज उस शहीद की भी आत्मा रो रही होगी यह देखकर कि जवानों की लाश पर जश्न मनाने वाले लोग उनकी बेटी को गुमराह कर रहे हैं।

आपको बता दें कि इस घटना के बाद कई हस्तियां ट्वीटर पर भिड़ी और केजरीवाल और राहुल गाँधी जैसे नेताओं ने कौर का स्पोट भी लिया लेकिन देशभक्तों ने उनको करारा जवाब दिया है ।

देश को तोड़ने के लिए पढ़ने वाले बच्चों का ब्रेन वोश किया जा रहा है और उनसे भारत के ही विरोध में बुलवाया जा रहा है और फिर उनके समर्थन में कई देशविरोधी नेता, हस्तियाँ और मीडिया आ जाती है ।
अतः देशवासी इन षड्यंत्रकारियों से सावधान रहें ।