Monday, November 26, 2018

जानिए भारत की व्यवस्था ने कैसे बना दिया हिन्दू को दूसरा दर्जे का नागरिक

26 नवम्बर 2018

🚩सनातन संस्था के द्वारा आयोजित किए गए हिन्दू अधिवेशन में दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा ने बताया कि भारत में  हिन्दू विरोधी व्यवस्था के कारण हिन्दूओं पर अत्याचार किया जा रहा है ।

आइये आपको बताते हैं क्या कहा कपिल मिश्रा जी ने....
Know how the Indian system has made
the Hindu second-class citizen
🚩दुनिया में अभी 2-3 तरीके के राज्य हैं एक तो खुद बोलते हैं, हम क्रिश्चियन हैं । ईसाई धर्म पर आधारित राज्य हैं, बाइबल को मानते हैं, हाथ में बाइबल लेकर शपथ ली जाती है राज्य व्यवस्था उसके आधार पर की जाती है । अपना एक स्टेंडर्ड कंटूटिशन भी होता है । दूसरे इस्लामिक राज्य हैं, तीसरे कुछ कम्युनिस्ट राज्य हैं । लेकिन दुनिया में एक अकेला राज्य भारत ऐसा है जो किसीके पक्ष में है या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन हिंदुओं के विरोध में पूरी व्यवस्था है । 

🚩हमारा कोई सेक्युलर राज्य नहीं है हिन्दू राज्य बनाने की बात लोग करते हैं, लेकिन अभी जो हमारी राज्य व्यवस्था है कि हिन्दू विरोधी राज्य व्यवस्था है ये राज्य व्यवस्था आपको मोटिवेट करती है कि आप हिन्दू धर्म को छोड़े, ये राज्य व्यवस्था आपको इस प्रकार का रोज सुबह उठने के साथ सोने तक ये एहसास कराती है कि आप इस देश में सेकंड क्लास है डिवीजन है, दूसरे दर्जे के नागरिक हैं । आप देश के अन्य नागरिकों के बराबर नहीं है । आपका बच्चा अगर पैदा होगा तो उसके अधिकार किसी अन्य धर्म में पैदा होने वाले बच्चों से कम होंगे । किसी अन्य धर्म में पैदा होता है तो सरकार उसे पैसा देगी, पढ़ने जाएगा तो सरकार उसे बस्ता देगी, किताब देगी, स्कॉलरशिप देगी, रिजर्वेशन देगी, नौकरी केवल धर्म आधारित पैसा रिजर्वेशन, व्रोटेशन, मोटिवेशन केवल और केवल धर्म आधारित पैसा रिजर्वेशन, प्रोक्शन, संगठन , मोटिवेशन इस देश की राज्य व्यवस्था दे रही है । उसमें भी शब्द यूज़ करते है कि minority अल्पसंख्यक। मेरे को लगता है पूरे ब्रह्मांड में 25 करोड़ वाला अल्पसंख्यक केवल भारत में ही बैठा हुआ है । और वो इतना अल्पसंख्यक है कि उसके हर बच्चे के 7-8 बच्चे पैदा हो रहे हैं । जब ये कहा गया कि मुसलमानों  की तरक्की के लिए योजना लाओ तो मुझे लगता है कि नसबन्दी की योजना सबसे बड़ी योजना है जिससे मुसलमानों की तरक्की हो सकती है । 

🚩एक ही योजना ऐसी है जिससे तरक्की हो सकती है। लेकिन उनका विश्वास नहीं है उनका विश्वास है कि पॉपुलेशन देहात में । मैं अपना व्यक्तिगत तौर पे ये उदाहरण देता हूँ कि विधायक होने के नाते मैं अपने दफ्तर में बैठा था सरकार विधवा महिलाओं को पेंशन देती है। तो मेरे पास एक 24 वर्ष की एक महिला आई जो विधवा थी और विधवा की बेटी थी, शादी के लिए भी सरकार सहायता देती है । तो वो मुझसे ये कहने आई कि मेरी बेटी की शादी में सरकार सहायता देगी क्या? तो मैंने कहा आपकी बेटी की उम्र कितनी है? तो उसने कहा 12 साल है शादी की बात चल रही है मैने कहा 18 साल से पहले शादी गैरकानूनी है । करना भी मत कोई कानूनी कार्यवाही हो जाएगी और सरकारी सुविधा कुछ मिल ही नहीं सकती क्योंकि कागज पे सर्टिफिकेट होना चाहिए कि 18 से ज्यादा उम्र है। फिर मैंने उससे पूछा कि 12 साल की बेटी की शादी की बात कर रही हो तुम्हारे और कितने बच्चे है? 24 साल में विधवा हो चुकी उस बहन के 8 बच्चे हैं । और जिसकी वो 12 साल में शादी की बात कर रही है उसके भी 24 की होते होते 8 बच्चे हो जाएंगे । 

🚩तो इतने में हमारे बच्चे कॉलेज पास करके सोचते हैं कि आगे जिंदगी में क्या करना है उसमें इनके 8×8=64 बच्चे उनके घर में खेलते होते हैं । और उन 64 बच्चों के पैदा होने पर भारत की सरकार पैसा देती है । स्कूल जाएंगे तो पैसा देगी, नौकरी करेंगे तो लोन भारत की सरकार देगी रिजर्वेशन देगी और सिंदे साहब की बात पर अगर कोई ज्यादा पढ़ना लिखना शुरू कर दे तो उसकी उच्च शिक्षा में या नौकरी में इतिहास में भारत की आज़ादी के बाद upsc में सबसे ज्यादा मुस्लिम हाईएस्ट अधिकारियों का चयन हुआ है । 

🚩ये कोई सहयोग नहीं है प्रॉपर योजना बना के प्लानिंग से ट्रेनिंग देकर उनके बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, निःशुल्क आवास, निःशुल्क प्रशिक्षण देकर उत्साहित किया जाता है कि हर साल ज्यादा से ज्यादा लोग IAS बने और ये भारत की सरकार की नीति है । ये कोई धर्म की अपनी संस्था की नीति नहीं है भारत की सरकार की नीति है । तो धर्म आधारित भेदभाव इस हद तक हो चुका है कि साउथ के आफ्रीका में काले और गोरे का भेद, हमें ये बात कहनी होगी, हम ये बात कहने में झिझकते हैं हिंदुओं की मेजोरिटी है कि काले और गोरे बीच में किया गया था अधिकार का साउथ अफ्रीका में, वो भेद हिंदुओं में और अन्य धर्म के अंदर आज भी किया जा रहा है । दूसरे दर्जे की नागरिकता दे दी गई है ।


🚩हमारे मंदिरों के बारे में कोई भी निर्णय ले सकता है हमारी परंपराओं के बारे में कोई भी निर्णय ले सकता है । ये कोई मजाक नहीं है आपका इतिहास ही आपको नहीं बताया जा रहा है । आपका इतिहास आपसे छुपाया जा रहा है आपका वर्तमान अटकाया जा रहा है राज्यव्यवस्था है । क्यों रामकृष्ण समाज मजबूर हो गया कोर्ट जाने के लिए ? कि हमें अल्पसंख्यक घोषित करो । क्यों आई ये स्थिति क्योंकि अल्पसंख्यक कराके वो अपनी परंपरा बना सकता है वो अपना एक मिशन चला सकता है । लेकिन वो अल्पसंख्यक नहीं है तो वो अपने ही बच्चों को अपने ही धर्म के बारे में ज्ञान नहीं दे सकता । अपनी परंपरा का संगठन नहीं कर सकता ।

🚩सबरीमाला पर न्यायालय बोला महिला जाएगी ये महिलाओं के अधिकारों की बात है कल को कोर्ट बोलेगा नवरात्रि में दुर्गा पूजा में लड़कों का भी पूजन करो कन्या पूजा क्यों करते हो? ये भी समानता की बात है कि अपने हमारे धर्म को नहीं मानो, आस्था को नहीं मानो, परंपरा को नहीं मानो । और मंदिर के अंदर बैठे देवता के प्राणप्रतिष्ठा की ये मानने से आपने इनकार कर दिया क्योंकि वो देवता जीवित है प्राण की प्रतिष्ठा की हुई है, उसकी मर्जी से किसीसे मिलेगा नहीं मिलेगा और आपने ये मान लिया कि देवता के प्राण के प्राण ही नहीं है वो एक निर्जीव है तो उसमें आपने पब्लिक से emporiums secular spare is public spare ये कोर्ट बोल रहा है। भाई जाके कोर्ट में याचिका डाल दी मुझे तो ठंड लगती है नंगे पैर जूता पहन के जाऊंगा तो कोर्ट बोलेगा नंगे पैर जूता पहन के जा क्योंकि पब्लिक स्पेयर है । 

🚩इस प्रकार के वातावरण तक हम पहुंच चुके हैं हमारी संस्कृति की न्यायपालिका चुप है क्योंकि वोट बैंक सबसे बड़ी कमजोरी है क्योंकि वोट बैंक कहाँ बढ़ाया जा रहा है रणनीति के तहत दिल्ली में एक डेमोग्राफिक है जिसमें अगले दस साल के बाद दिल्ली की 70 विधानसभाओं में से 48 विधानसभाओं में वही व्यक्ति चुनाव जीत पाएंगे जिनको मुस्लिम समाज समर्थन देंगे । 70 में से 48 ये दिल्ली के अंदर होगा अगले 10 सालो में इसप्रकार से डेमिग्राफिक चेंज हो रही है । हो सकता है पूरे भारत में भी ये स्थिति आ सकती है धीरे धीरे 5 साल, 10 साल, 15 साल या 20 साल इस देश की ऐसी ही कोई लोकसभा या विधानसभा की सीट बचेगी जिसमें धर्म के आधार पर चुनाव और धर्म के नाम पर 15-20 साल के बाद ऐसी कोई सरकार आती है तो केवल मुस्लिम वोट के आधार पर आती है इसको एक टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है । 

🚩हिन्दू चार्टर की जब हम बात करते हैं तो ये एक इस देश में हिंदुओं की मांग तो रखी जाए बोला तो जाए। अगर हम कहते हैं हिंदुओं को मुसलमान के समान अधिकार दिया जाए तो कहेंगे सम्प्रदायी हो । भड़काऊ बातें करते हो तुम्हारी बातों से दंगा फैल सकता है । तुम आतंकवादी हो केवल समान अधिकार मांगने पर इतनी बात बोल दी जाती है, लेकिन बचपन में एक बात सीखा दी गई थी कि बिना रोये माँ भी दूध नहीं देती तो अपनी बात कहने का, अपनी बात मांगने का बार-बार कहने का की हमें सेकंड क्लास के डिवीजन मत बनाओ बराबरी का अधिकार दो । 

🚩ये ये अधिकार दो इलीगल है ये कोई आज सार्वजनिक मंच पर आकर देश का राजनेता बोल ही नहीं रहा मिनोरटी कमीशन इलीगल है, मिनोरटी को दिये जाने वाली सारी सुविधाएं इलीगल है, गैरसंवैधानिक है, उनप्रोसेक्यूशन है । हमारा संविधान बनाने वालों को मेरा ये मानना है, ये मन में आस्था अभी भी है कि जिन्होंने संविधान बनाया शायद उनकी नियत नहीं थी ऐसा करने की वो तो शायद ये सोचते थे कि हिंदुओं को तो अधिकार मिल ही जायेगा । हिन्दू राष्ट्रमंत्री, हिन्दु  सरकार हिंदुओं को तो मिल ही जाएगा बाकियों के लिए लिख दो उनकी नियत तो शायद ऐसी होगी, लेकिन उसके बाद जो व्याख्या की गई इस संविधान की वो ये कह दी गई कि हिंदुओं को ही नहीं दिया जाएगा बाकी सबको दे दो। 

🚩और इस प्रकार से ये देश चलाया गया संविधान में सब्सिडी डाल दिये गए जो ना हमारी परंपरा में आते हैं ना धार्मिक परंपरा में आते हैं,  ना आध्यात्मिक, न सामाजिक देश की संस्कृति में ही नहीं आते । ये संविधान उनको हमारे संविधान में डाल दिया गया और उसके आधार पर ये सारे कमिश्नर रिपोर्ट को बार बार कहना, हक से कहना और मांगना और ये सुरक्षित करना कि इस देश के जितने भी लोग सरकारों पर पदों पर बैठे हैं, जिस चीज पर बैठे हैं उनको पता लगे, भारतीय जन मानस को पता लगे कि उसके साथ अन्याय हुआ है । लोग अन्याय देख रहें है अन्याय के प्रत्यक्ष भी गवाह है विटनेस हैं । ये अगर बार बार बोलेंगे तो इसका एक दबाव जरूर बनेगा ।

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Sunday, November 25, 2018

ईसाई पादरी ने 8 महिलाओं का किया रेप, बोला ईश्वर का आदेश है, भेजा जेल

25 नवम्बर 2018

🚩ईसाई पादरी खुद की वासना पूर्ति करने के लिए तहर-तरह के बयान देते है, भगवान तक को नहीं छोड़ते हैं, पादरी को भगवान शब्द की महिमा का भी पता नहीं होता है और दुष्कर्म करने के लिए ईश्वर के नाम का दुरुपयोग करते है । पहले भी एक बड़े फादर ने बयान दिया था कि बच्चों का यौनशोषण करना पादरियों का अधिकार है । इन बयानों से ऐसा लगता है कि ये लोग चर्च के नाम से सेक्स का अड्डा चला रहे हैं और धर्म के नाम पर जनता को ग़ुमराह कर रहे हैं । 

🚩ईसाई पादरी यीशु को भगवान मानते हैं और उनका आदेश बताकर लोगो का धर्मपरिवर्तन करवाते हैं, यदि लोग धर्मपरिवर्तन न करें तो उन्हें प्रलोभन दिया जाता है या जबरदस्ती करके भी अपने ईसाई धर्म मे लाने का कार्य करते हैं पर इनके खुद के कर्म देखें जाएं तो ये पादरी ईश्वर का नाम लेने के भी लायक नहीं है ये बस वासना के अंधे हैं धर्म के नाम पर दुष्कर्म करके अपना धंधा चला रहे हैं ।
Christian pastor raped 8 women, said God ordered, sent prison

🚩आपको बता दें कि  दक्षिण कोरिया में रेप के आरोप में पादरी को 15 साल जेल की सजा सुनाई गई है । पादरी ने 8 महिलाओं के साथ बलात्कार किया था । सभी पीड़ित महिलाएं उसके मेगाचर्च की अनुयायी थीं । रिपोर्ट्स के अनुसार ली-जे रॉक नाम का 75 वर्षीय पादरी महिलाओं का यह कहकर रेप करता था कि ईश्वर का आदेश है, जिसका वह पालन कर रहा है । पीड़ित महिलाओं ने भी अपने बयान में कहा है कि पादरी कहता था कि उसके पास दैवीय शक्ति है ।

🚩महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पादरी की बात को इसलिए माना क्योंकि वह कहता था कि वह खुद भगवान है । इस चर्च की स्थापना पादरी ने 12 फॉलोअर्स के साथ 1982 में की थी । हालांकि अब यह मेगाचर्च का रूप ले चुकी है । फिलहाल दुनिया भऱ में इसकी 10,000 शाखाएं और बहुत से चर्च इससे जुड़े हुए हैं ।

🚩अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीड़ित महिलाएं पादरी के आदेश को इसलिए मान रही थीं क्योंकि उन्हें लगता था कि इसके पालन से उन्हें स्वर्ग की राह मिलेगी । वे बचपन से ही उसके चर्च में आती थीं । अदालत ने कहा कि पादरी ने इस बात का फायदा उठाया कि महिलाएं कमजोर थीं और उसके आदेश का पालन करने से इंकार नहीं कर सकती थीं । स्त्रोत : नवभारत टाईम्स

🚩आपको बता दें कि पश्चिम में चर्च के अंदर लड़के-लड़कियों, पुरुष-महिलाओं के यौन-शोषण के आरोपों की बाढ़ सी आ गयी है ऐसा लगता है । ऐसे हजारों मामले अब दुनिया के सामने आ रहे हैं ।  न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले महीने यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि अमेरिका में पेनसिलवेनिया में पिछले 70 वर्षों में 300 से अधिक कैथोलिक पादरियों ने 1000 से अधिक बच्चों का यौन-शोषण किया था । रिपोर्ट के अनुसार हजारों ऐसे और भी मामले हो सकते हैं जिनका रिकॉर्ड नहीं है या जो लोग अब सामने नहीं आना चाहते ।

🚩बी.बी.सी. के अनुसार ‘ऑस्ट्रेलिया के कस्बों से लेकर आयरलैंड के स्कूलों और अमेरिका के शहरों से कैथोलिक चर्च में पिछले कुछ दशकों में बच्चों के यौन-शोषण की शिकायतों की बाढ़ आ गयी है । इस बीच इस पर पर्दा डालने का प्रयास भी चल रहा है और शिकायतकर्ता यह कह रहे हैं कि ‘‘वेटिकन ने उनसे हुई ज्यादतियों पर उचित कार्यवाही नहीं की ।’’ 

🚩अमेरिका में 1980 के बाद चर्च के अंदर चल रहे यौन-शोषण के मामलों पर चर्च को अभी तक 3.8 अरब डॉलर का मुआवजा देना पड़ा है । अमेरिका में यह शोषण इतना व्याप्त रहा है कि कई लॉ फर्म्स अभिभावकों से सम्पर्क कर पूछ रही हैं कि ‘‘क्या आपके बच्चे का यौन-शोषण तो नहीं हुआ ?’’ अधिकतर शिकार उस वक्त 8-12 वर्ष की आयु के बच्चे थे । 

🚩नीदरलैंड में एक समाचार के अनुसार वहाँ के आधे पादरी बच्चों के यौन-शोषण पर पर्दा डालने के अपराधी हैं । फ्रांस में हाल में एक पादरी पर चार भाइयों, जिनमें से सबसे छोटे की उम्र 3 वर्ष है, के यौन-शोषण का आरोप लगा है । 

🚩हर महाद्वीप - एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप से ये शर्मनाक समाचार निकल रहे हैं कि कैथोलिक चर्च के अंदर दशकों से बच्चों का यौन-शोषण होता रहा है और अधिकारियों ने पहले यह समाचार दबाने का प्रयास किया । 

🚩जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1946 से 2014 के बीच 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया । जर्मन मीडिया के अनुसार छः में से एक मामला रेप का है । रिपोर्ट बनानेवालों के अनुसार यह संख्या बढ़ भी सकती है ।

🚩चर्च के अंदर सब कुछ गुप्त और रहस्यमय रखा जाता है । इससे इसके बारे में कई किताबें लिखी जाने के बावजूद भी परनाला (बड़ी नाली) वहाँ-का-वहाँ है । पश्चिम के मीडिया में चर्च की डार्क साइड (अंधकारमय पहलू) की चर्चा हो रही है । पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने वाली भारतीय मीडिया इस पर चुप क्यों है ये बड़ा सवाल है ?

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Saturday, November 24, 2018

हिन्दू महिलाओं ने ऐसा तो क्या किया जो उनके ऊपर दर्ज हुई FIR..

24 नवम्बर 2018

🚩देश में धर्म निरपेक्षता का ज्वर बढ़ता जा रहा है । धर्म निरपेक्षता के नाम पर सिर्फ हिंदुओं पर अत्याचार ही किया जा रहा है और आज हालात ऐसे हैं कि अपने ही देश में हिन्दू बेगाना हो गया है । 

🚩ऐसे तो हमने धर्म निरपेक्षता से सम्बंधित कई किस्से सुने हैं लेकिन समझ नहीं आता कि आखिर सिर्फ हिंदुओं को ही धर्म निरपेक्ष बनने की सलाह क्यों दी जाती है ? किसी अन्य धर्म के लोग यदि अपने धर्म पर अडिग हैं तो उन्हें धर्मनिष्ठ कहा जाता है, उनके कार्यों को सराहा जाता है लेकिन वहीं अगर कोई हिन्दू अपने धर्म के प्रति निष्ठा दिखाए तो उसे कट्टर या असहिष्णु कह दिया जाता है यही नहीं चारों ओर उसके कार्यों की निंदा भी होने लगती है, उसपर FIR तक दर्ज कर दिया जाता है ।

🚩अभी हाल ही एक घटना घटित हुई है जिसमें ताजमहल में कुछ मुस्लिम महिलाओं ने नमाज पढ़ी तो उनके कार्य को सराहा गया और इसे उनका हक बताया गया लेकिन वहीं हिन्दू संगठन की कुछ महिलाओं ने ताजमहल में पूजा कर ली तो देश का सेकुलरिज्म खतरे में आ गया और सेकुलरिज्म को इस खतरे से बाहर निकालने के लिए हिन्दू संगठन की महिलाओं के मौलिक अधिकारों को भी दरकिनार करते हुए उनपर FIR दर्ज कर दिया गया ।
What did the Hindu women do so that the FIRs recorded above them?

🚩खबर के मुताबिक़, आगरा के ताजगंज थाने में हिंदूवादी संगठन, अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद से ताल्लुक रखने वाली तीन महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है । बता दें कि 17 नवंबर को तीन महिलाओं ने ताजमहल में बनी करीब 400 साल पुरानी मस्जिद में पहुंचकर पूजा की थी । इन महिलाओं ने मस्जिद परिसर में धूपबत्ती जलाई और गंगाजल भी छिड़का था । सोशल मीडिया पर संगठन की अध्यक्ष मीना देवी ने वीडियो जारी किया था । मीना देवी के मुताबिक अगर मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की इजाजत है तो फिर हम भी ‘तेजोमहालय’ में पूजा कर सकते हैं ।

🚩कहा जाता है कि ताजमहल बनने से पहले यहां भगवान शिव का मंदिर ‘तेजोमहालय’ था, जिसे बाद में ताजमहल कर दिया गया । अब इस मामले पर अज्ञात 3 महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है । जांच के लिए सीआईएसएफ से सीसीटीवी फुटेज मांगा गया है । वहीं अधिकारियों का कहना है कि सीआईएसएफ के जवानों को मस्जिद में प्रवेश करने की इजाजत नहीं है । इसलिए वे इस घटना के बारे में कुछ नहीं जानते हैं । 

🚩बता दें कि महिलाओं ने पूजा करने का पूरा वीडियो बनाया था और उसे वायरल भी कर दिया था । पिछले दिनों 14 तारीख यानी मंगलवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रोक के बाद भी ताज में नमाज पढ़ी थी । ताज में नमाज अदा करने के विरोध में राष्ट्रीय बजरंगदल ने ताजमहल में पूजा करने का ऐलान किया था तथा पूजा की थी जिसके बाद उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है ।  स्रोत :- सुदर्शन न्यूज़

🚩इस पूरी घटना से साफ पता चलता है कि यदि किसी अन्य धर्म का अनुयायी, नियमों के विरुद्ध जाकर भी अपने धर्म का पालन करे तो उसे कुछ कहा नहीं जाता लेकिन वहीं यदि हिन्दू धर्म का व्यक्ति अपने धर्म का पालन करे तो चारों ओर हल्ला मचा दिया जाता है ।

🚩कहाँ गए वो पत्रकार, वो अभिनेता और अभिनेत्री तथा नेता और लेखक तथा वो अवार्ड वापसी गैंग जो भारत को असहिष्णु बोला करते थे ? क्या हिन्दू संगठन की महिलाओं पर दर्ज किया गया FIR असहिष्णुता नहीं है ? क्या हिंदुओं को स्वतंत्रता का अधिकार नहीं है? क्या एक ही देश में कानून का पालन धर्म देख कर किया जाता है ? अगर नहीं तो क्यों इतने बड़े अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू परिषद की महिलाओं पर FIR दर्ज किया गया ।

🚩जब इतने बड़े संगठन की महिलाओं के साथ ऐसा किया जा सकता है तो आम इंसान की बात ही क्या ?

🚩अब हिंदुओं को एकजुट होकर अपने धर्म के लिए खड़ा होना ही होगा अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब इतिहास के पन्नों से हिंदुओं का नामोनिशान मिट जाए।

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Friday, November 23, 2018

धर्म की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान दे दिया लेकिन धर्म नही छोड़ा

23 नवम्बर 2018
www.azaadbharat.org
🚩हिन्दुस्तान में मुगल बादशाह औरंगजेब का शासनकाल था । औरंगजेब ने यह हुक्म किया कि कोई हिन्दू राज्य के कार्य में किसी उच्च स्थान पर नियुक्त न किया जाय तथा हिन्दुओं पर जजिया (कर) लगा दिया जाय । उस समय अनेकों नये कर केवल हिन्दुओं पर लगाये गये । इस भय से अनेकों हिन्दू मुसलमान हो गये । हर ओर जुल्म का बोलबाला था । निरपराध लोग बंदी बनाये जा रहे थे । प्रजा को स्वधर्म-पालन को भी आजादी नहीं थी । जबरन धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था । किसी की भी धर्म, जीवन और सम्पत्ति सुरक्षित नहीं रह गयी थी । पाठशालाएँ बलात् बन्द कर दी गयीं।
🚩हिन्दुओं के पूजा-आरती तथा अन्य सभी धार्मिक कार्य बंद होने लगे । मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनवायी गयीं एवं अनेकों धर्मात्मा मरवा दिये गये । सिपाही यदि किसी के शरीर पर यज्ञोपवीत या किसी के मस्तक पर तिलक लगा हुआ देख लें तो शिकारी कुत्तों की तरह उन पर टूट पड़ते थे । उसी समय की उक्ति है कि रोजाना सवा मन यज्ञोपवीत उतरवाकर ही औरंगजेब रोटी खाता था...
उस समय कश्मीर के कुछ पंडित निराश्रितों के आश्रय, बेसहारों के सहारे गुरु तेगबहादुरजी के पास मदद की आशा और विश्वास से पहुँचे । 
Sacrificed life for protection of religion but did not leave religion

पंडित कृपाराम ने गुरु तेगबहादुरजी से कहा : ‘‘सद्गुरुदेव ! औरंगजेब हमारे ऊपर बड़े अत्याचार कर रहा है । जो उसके कहने पर मुसलमान नहीं हो रहा, उसका कत्ल किया जा रहा है । हम उससे छः माह की मोहलत लेकर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए आपकी शरण आये हैं । ऐसा लगता है, हममें से कोई नहीं बचेगा । हमारे पास दो ही रास्ते हैं-‘धर्मांतरित होओ या सिर कटाओ ।’
🚩पंडित धर्मदास ने कहा : ‘‘सद्गुरुदेव ! हम समझ रहे हैं कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है । फिर भी हम चुप हैं और सब कुछ सह रहे हैं । कारण भी आप जानते हैं । हम भयभीत हैं, डरे हुए हैं । अन्याय के सामने कौन खड़ा हो?’’
‘‘जीवन की बाजी कौन लगाये ?’’ गुरु तेगबहादुर के मुँह से अस्फुट स्वर में निकला । फिर वे गुरुनानक की पंक्तियाँ दोहराने लगे ।
जे तउ प्रेम खेलण का चाउ । सिर धर तली गली मेरी आउ ।।
इत  मारग  पैर धरो जै ।  सिर  दीजै  कणि  न  कीजै ।।
गुरु तेगबहादुर का स्वर गंभीर होता जा रहा था । उनकी आँखों में एक दृढ़ निश्चय के साथ गहरा आश्वासन झाँक रहा था । वे बोले : ‘‘पंडितजी ! यह भय शासन का है । उसकी ताकत का है, पर इस बाहरी भय से कहीं अधिक भय हमारे मन का है । हमारी आत्मिक शक्ति दुर्बल हो गयी है । हमारा आत्मबल नष्ट हो गया है । इस बल को प्राप्त किये बिना यह समाज भयमुक्त नहीं होगा । बिना भयमुक्त हुए यह समाज अन्याय और अत्याचार का सामना नहीं कर सकेगा ।’’
पंडित कृपाराम : ‘‘परन्तु सद्गुरुदेव । सदियों से विदेशी पराधीनता और आन्तरिक कलह में डूबे हुए इस समाज को भय से छुटकारा किस तरह मिलेगा ?’’
गुरु तेगबहादुर : ‘‘हमारे साथ सदा बसनेवाला परमात्मा ही हमें वह शक्ति देगा कि हम निर्भय होकर अन्याय का सामना कर सकें ।’’
🚩उनके मुँह से शब्द फूटने लगे :
पतित उधारन भै हरन हरि अनाथ के नाथ । कहु नानक तिह जानिए सदा बसत तुम साथ ।।
इस बीच नौ वर्ष के बालक गोबिन्द भी पिता के पास आकर बैठ गये ।
🚩गुरु  तेगबहादुर  :  ‘‘अँधेरा  बहुत  घना  है  ।  प्रकाश  भी  उसी  मात्रा  में  चाहिए। एक दीपक से अनेक दीपक जलेंगे। एक जीवन की आहुति अनेक जीवनों को इस रास्ते पर लायेगी।
पं. कृपाराम : ‘‘आपने क्या निश्चय किया है, यह ठीक-ठीक हमारी समझ में नहीं आया । यह भी बताइये कि हमें क्या करना होगा ?’’
🚩गुरु तेगबहादुर मुस्कराये और बोले : ‘‘पंडितजी ! भयग्रस्त और पीड़ितों को जगाने के लिए आवश्यक है कि कोई ऐसा व्यक्ति अपने जीवन का बलिदान दे, जिसके बलिदान से लोग हिल उठें, जिससे उनके अंदर की आत्मा चीत्कार कर उठे । मैंने निश्चय किया है कि समाज की आत्मा को जगाने के लिए सबसे पहले मैं अपने प्राण दूँगा और फिर सिर देनेवालों की एक शृंखला बन जायेगी । लोग हँसते-हँसते मौत को गले लगा लेंगे । हमारे लहू से समाज की आत्मा पर चढ़ी कायरता और भय की काई धुल जायेगी और तब... ।’’
‘‘और तब शहीदों के लहू से नहाई हुई तलवारें अत्याचार का सामना करने के लिए तड़प उठेंगी ।’’
यह बात बालक गोबिंद के मुँह से निकली थी । उन सरल आँखों में भावी संघर्ष की चिनगारियाँ फूटने लगी थी ।
🚩तब गुरु तेगबहादुरजी का हृदय द्रवीभूत हो उठा । वे बोले : ‘‘जाओ, तुमलोग बादशाह से कहो कि हमारा पीर तेगबहादुर है । यदि वह मुसलमान हो जाय तो हम सभी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे ।’’
पंडितों ने यह बात कश्मीर के सूबेदार शेर अफगन को कही । उसने यह बात औरंगजेब को लिख कर भेज दी। तब औरंगजेब ने गुरु तेगबहादुर को दिल्ली बुलाकर बंदी बना लिया । उनके शिष्य मतिदास, दयालदास और सतीदास से औरंगजेब ने कहा : ‘‘यदि तुम लोग इस्लाम धर्म कबूल नहीं करोगे तो कत्ल कर दिये जाओगे ।’’
🚩मतिदास : ‘‘शरीर तो नश्वर है और आत्मा का कभी कत्ल नहीं हो सकता।’’
तब औरंगजेब ने मतिदास को आरे से चीरने का हुक्म दे दिया । भाई मतिदास के सामने जल्लाद आरा लेकर खड़े दिखाई दे रहे थे । उधर काजी ने पूछा : ‘‘मतिदास तेरी अंतिम इच्छा क्या है ?’’
🚩मतिदास : ‘‘मेरा शरीर आरे से चीरते समय मेरा मुँह गुरुजी के पिंजरे की ओर होना चाहिए ।’’
काजी : ‘‘यह तो हमारा पहले से ही विचार है कि सब सिक्खों को गुरु के सामने ही कत्ल करें ।’’
भाई मतिदासजी को एक शिकंजे में दो तख्तों के बीच बाँध दिया गया । दो जल्लादों ने आरा सिर पर रखकर चीरना शुरू किया । उधर भाई मतिदासजी ने ‘श्री जपुजी साहिब’ का पाठ शुरू कर दिया । उनका शरीर दो टुकड़ों में कटने लगा। चौक को घेरकर खड़ी विशाल भीड़ फटी आँखों से यह दृश्य देखती रही ।
दयालदास बोले : ‘‘औरंगजेब ! तूने बाबरवंश को एवं अपनी बादशाहियत को चिरवाया है ।’’
यह सुनकर औरंगजेब ने दयालदास को गरम तेल में उबालने का हुक्म दिया । उनके हाथ-पैर बाँध दिये गये । फिर उन्हें उबलते हुए तेल के कड़ाह में डालकर उबाला गया । वे अंतिम श्वास तक ‘श्री जपुजी साहिब’ का पाठ करते रहे । जिस भीड़ ने यह नजारा देखा, उसकी आँखें पथरा-सी गयीं ।
तीसरे दिन काजी ने भाई सतीदास से पूछा : ‘‘क्या तुम्हारा भी वही फैसला है ?’’
🚩भाई सतीदास मुस्कराये : ‘‘मेरा फैसला तो मेरे सद्गुरु ने कब का सुना दिया है ।’’
औरंगजेब ने सतीदास को जिंदा जलाने का हुक्म दिया । भाई सतीदास के सारे शरीर को रूई से लपेट दिया गया और फिर उसमें आग लगा दी गयी । सतीदास निरन्तर ‘श्री जपुजी’ का पाठ करते रहे । शरीर धू-धूकर जलने लगा और उसीके साथ भीड़ की पथराई आँखें पिघल उठीं और वह चीत्कार कर उठी ।
अगले दिन मार्गशीर्ष पंचमी संवत् सत्रह सौ बत्तीस (22 नवम्बर सन् 1675) को काजी ने गुरु तेगबहादुर से कहा : ‘‘ऐ हिन्दुओं के पीर ! तीन बातें तुमको सुनाई जाती हैं । इनमें से कोई एक बात स्वीकार कर लो । वे बातें हैं :
🚩(1) इस्लाम कबूल कर लो ।
🚩(2) करामात दिखाओ ।
🚩(3) मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’’
🚩गुरु तेगबहादुर बोले : ‘‘तीसरी बात स्वीकार है ।’’
बस, फिर क्या था ! जालिम और पत्थरदिल काजियों ने औरंगजेब की ओर से कत्ल का हुक्म दे दिया । चाँदनी चौक के खुले मैदान में विशाल वृक्ष के नीचे गुरु तेगबहादुर समाधि में बैठे हुए थे ।
जल्लाद जलालुद्दीन नंगी तलवार लेकर खड़ा था। कोतवाली के बाहर असंख्य भीड़ उमड़ रही थी । शाही सिपाही उस भीड़ को काबू में रखने के लिए डंडों की तीव्र बौछारें कर रहे थे । शाही घुड़सवार घोड़े दौड़ाकर भीड़ को रौंद रहे थे । काजी के इशारे पर गुरु तेगबहादुर का सिर धड़ से अलग कर दिया गया । चारों ओर कोहराम मच गया ।
तिलक जझू राखा प्रभ ताका । कीनों वडो कलू में साका ।।
धर्म हेत साका जिन काया । सीस दीया पर सिरड़ न दिया ।।
धर्म हेत इतनी जिन करी । सीस दिया पर सी न उचरी ।।
🚩धन्य हैं ऐसे महापुरुष जिन्होंने अपने धर्म में अडिग रहने के लिए एवं दूसरों को धर्मांतरण से बचाने के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों की भी बलि दे दी ।
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् । स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ।।
अच्छी प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है । अपने धर्म में तो मरना भी कल्याणकारक है और दूसरे का धर्म भय को देनेवाला है । (श्रीमद्भगवद्गीता : 3.35)
🚩भगवत्प्राप्त महापुरुष परमात्मा के नित्य अवतार हैं । वे नश्वर संसार व शरीर की ममता को हटाकर शाश्वत परमात्मा में प्रीति कराते हैं । कामनाओं को मिटाते हैं। निर्भयता का दान देते हैं । साधकों-भक्तों को ईश्वरीय आनन्द व अनुभव में सराबोर करके जीवन्मुक्ति का पथ प्रशस्त करते हैं ।
🚩ऐसे उदार हृदय, करुणाशील, धैर्यवान सत्पुरुषों ने ही समय-समय पर समाज को संकटों से उबारा है । इसी शृंखला में गुरु तेगबहादुरजी हुए हैं। जिन्होंने बुझे हुए दीपकों में सत्य की ज्योति जगाने के लिए, धर्म की रक्षा के लिए, भारत को क्रूर, आततायी, धर्मान्ध राज्य-सत्ता की दासता की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर दिया ।
(संत श्री आशारामजी आश्रम से प्रकाशित ‘बाल संस्कार केन्द्र पाठ्यक्रम’ पुस्तक से)
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