Tuesday, December 4, 2018

रिपोर्ट : पैसों के लिए अस्पतालों ने किए 9 लाख सिजेरियन डिलीवरी

4 दिसंबर 2018

🚩हमारे देश के डॉक्टर पैसे कमाने के लिए मरीजों को नोच डालते हैं वे ये भी नहीं देखते हैं कि मरीज कितना गरीब है, कितना मजबूर है, कितना असहाय है और इलाज करना जरूरी है कि नहीं । बस कोई मरीज व्यक्ति उनके पास आया नहीं की लूट शुरू कर देते हैं जबरन कई टेस्ट करवाये जाते हैं, उसमें उनका कमीशन होता है, फिर हॉस्पिटल में भर्ती भी कर देते हैं, ये दवाई लो वे दवाई लो ऐसे करके व्यक्ति को पूरा मरीज बना देते हैं और जिंदगी भर दवाई खाने को मजरबुर करे देते हैं, इन डॉक्टरों को लूट मचाने की आदत पड़ गई है उसपर लोग लगनी चाहिए ।
Report: 9 lakh cesarean delivery by hospitals for money

🚩आजकल डॉक्टरों द्वारा जरा-जरा सी बात में ऑपरेशन की सलाह दे दी जाती है । वाहन का मैकेनिक भी अगर कहे कि क्या पता, यह पार्ट बदलने पर भी आपका वाहन ठीक होगा कि नहीं ? तो हम लोग उसके गैरेज में वाहन रिपेयर नहीं करवाते लेकिन आश्चर्य है कि सर्जन-डॉक्टर के द्वारा गारंटी न देने पर भी हम ऑपरेशन करवा लेते हैं ! जबकि उस ऑपरेशन की कोई आवश्यकता भी नहीं होती है डॉक्टरों ने तो बस पैसे कमाने के लिए एक बिजनेस चला दिया है उससे आप सावधान रहना ।

🚩एक ताजा रिपोर्ट ने देश के प्राइवेट अस्पतालों की पोल खोल कर रख दी है । अस्पतालों ने पैसे के लिए धड़ल्ले से नॉर्मल प्रसव को भी सिजेरियन सेक्शन (ऑपरेशन के जरिये) कर डाले । दरअसल, पिछले एक साल के दौरान निजी अस्पतालों में हुए 70 लाख प्रसवों में से 9 लाख प्रसव बगैर पूर्व योजना के सिजेरियन सेक्शन (सी-सेक्शन) के जरिए हुए, जिन्हें रोका जा सकता था और ये ऑपरेशन केवल पैसे कमाने के लिए किए गए ।

🚩भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-ए) ने एक अध्ययन में यह कहा है । रिपोर्ट की मानें तो शिशुओं के चिकित्सीय रूप से अनुचित ऐसे जन्म से ना केवल लोगों की जेब पर बोझ पड़ता बल्कि इससे स्तनपान कराने में देरी हुई, शिशु का वजन कम हुआ, सांस लेने में तकलीफ हुई ।

🚩इसके अलावा नवजातों को अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ा । आईआईएम-ए के फैकल्टी सदस्य अंबरीश डोंगरे और छात्र मितुल सुराना ने यह अध्ययन किया । अध्ययन में पाया गया कि जो महिलाएं प्रसव के लिए निजी अस्पतालों का चयन करती हैं, उनमें सरकारी अस्पतालों के मुकाबले बगैर पूर्व योजना के सी-सेक्शन से बच्चे को जन्म देने की आशंका 13.5 से 14 फीसदी अधिक होती है ।

🚩ये आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के 2015-16 में हुए चौथे चरण पर आधारित हैं जिसमें पाया गया कि भारत में निजी अस्पतालों में 40.9 फीसदी प्रसव सी-सेक्शन के जरिए हुए जबकि सरकारी अस्पतालों में यह दर 11.9 प्रतिशत रही ।

🚩अध्ययन में कहा गया है कि सी-सेक्शन के जरिए नवजातों का जन्म कराने के पीछे मुख्य वजह वित्तीय लाभ कमाना रहा । एनएफएचएस का हवाला देते हुए आईआईएम-ए के अध्ययन में कहा गया है कि किसी निजी अस्पताल में प्राकृतिक तरीके से प्रसव पर औसत खर्च 10,814 रुपये होता है जबकि सी-सेक्शन से खर्च 23,978 रुपये होता है ।

🚩अध्ययन में कहा गया है, 'चिकित्सीय तौर पर स्पष्ट किया जाए तो सी-सेक्शन से प्रसव से मातृ और शिशु मृत्यु दर और बीमारी से बचाव होता है । लेकिन जब जरूरत ना हो तब सी-सेक्शन से प्रसव कराया जाए तो इससे मां और बच्चे दोनों पर काफी बोझ पड़ता है जो कि जेब पर पड़ने वाले बोझ से भी अधिक होता है ।

🚩इसमें कहा गया है कि सी-सेक्शन से प्रसव की संख्या कम करने के लिए सरकार को ना केवल उपकरणों और कर्मचारियों के लिहाज से बल्कि अस्पताल के समय, सेवा प्रदाताओं की अनुपस्थिति और बर्ताव के लिहाज से भी सरकारी अस्पतालों की सुविधाओं को मजबूत करना होगा । स्त्रोत : आजतक

🚩गर्भवती महिला को प्रसव नहीं हो रहा है तो 10 ग्राम देशी गाय के ताजा गोबर का रस पिला दीजिये तुरंत प्रसव हो जाएगा, डॉक्टरों के पास जाने की जरूरत नही पड़ेगी।

अस्पतालों में डॉक्टरों खुल्लेआम लूट चला रहे हैं पैसे कमाने के लिए व्यक्ति का बिनजरूरी अनेक टेस्ट करवा देते हैं फिर भर्ती करवाते हैं और ऑपरेशन करके हमेशा के लिए मरीज बना देते हैं । सभी को ध्यान रखना चाहिए ऐसे लुटरे डॉक्टरों के चक्कर में न आएं ।

🚩अंग्रेजी दवाइयों की गुलामी कब तक ?

सच्चा स्वास्थ्य यदि दवाइयों से मिलता तो कोई भी डॉक्टर, कैमिस्ट या उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता । स्वास्थ्य खरीदने से मिलता तो संसार में कोई भी धनवान रोगी नहीं रहता । स्वास्थ्य इंजेक्शनों, यंत्रों, चिकित्सालयों के विशाल भवनों और डॉक्टर की डिग्रियों से नहीं मिलता अपितु स्वास्थ्य के नियमों का पालन करने से एवं संयमी जीवन जीने से मिलता है ।

🚩अशुद्ध और अखाद्य भोजन, अनियमित रहन-सहन, संकुचित विचार तथा छल-कपट से भरा व्यवहार – ये विविध रोगों के स्रोत हैं । कोई भी दवाई इन बीमारियों का स्थायी इलाज नहीं कर सकती । थोड़े समय के लिए दवाई एक रोग को दबाकर, कुछ ही समय में दूसरा रोग उभार देती है । अतः अगर सर्वसाधारण जन इन दवाइयों की गुलामी से बचकर, अपना आहार शुद्ध, रहन-सहन नियमित, विचार उदार तथा व्यवहार प्रेममय बनायें रखें तो वे सदा स्वस्थ, सुखी, संतुष्ट एवं प्रसन्न बने रहेंगे । आदर्श आहार-विहार और विचार-व्यवहार ये चहुँमुखी सुख-समृद्धि की कुंजियाँ हैं ।

🚩सर्दी-गर्मी सहन करने की शक्ति, काम एवं क्रोध को नियंत्रण में रखने की शक्ति, कठिन परिश्रम करने की योग्यता, स्फूर्ति, सहनशीलता, हँसमुखता, भूख बराबर लगना, शौच साफ आना और गहरी नींद – ये सच्चे स्वास्थ्य के प्रमुख लक्षण हैं ।

🚩डॉक्टरी इलाज के जन्मदाता हेपोक्रेटस ने स्वस्थ जीवन के संबंध में एक सुन्दर बात कही है :-
पेट नरम, पैर गरम, सिर को रखो ठण्डा।
घर में आये रोग तो मारो उसको डण्डा।।

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Monday, December 3, 2018

संस्कृत में पढ़ाई करके छात्र बन सकेंगे इंजीनियर और डॉक्टर, पाठ्यक्रम तैयार

3 दिसंबर 2018

🚩देववाणी संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है । यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है । संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा और वैज्ञानिक भाषा भी है । इसके सकारात्मक तरंगों के कारण ही ज्यादातर श्लोक संस्कृत में हैं । आज दुनिया मे जितनी भाषाएँ है संस्कृत से ही उनका उद्गम हुआ है ।

🚩संस्कृत की सर्वोत्तम शब्द-विन्यास युक्ति के, गणित के, कंप्यूटर आदि के स्तर पर नासा व अन्य वैज्ञानिक व भाषाविद संस्थाओं ने भी इस भाषा को एकमात्र वैज्ञानिक भाषा मानते हुए इसका अध्ययन आरंभ कराया है और भविष्य में भाषा-क्रांति के माध्यम से आने वाला समय संस्कृत का बताया है । अतः अंग्रेजी बोलने में बड़ा गौरव अनुभव करने वाले, अंग्रेजी में गिटपिट करके गुब्बारे की तरह फूल जाने वाले कुछ महाशय जो संस्कृत में दोष गिनाते हैं उन्हें कुँए से निकलकर संस्कृत की वैज्ञानिकता का एवं संस्कृत के विषय में विश्व के सभी विद्वानों का मत जानना चाहिए ।
Engineer and doctor will be able to become a student by studying in Sanskrit

🚩आपको बता दें कि संस्कृत के छात्र अब दुनिया से कदमताल करेंगे । उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में पढ़ाई का ढर्रा बदलेगा । पुरोहित-शिक्षक ही नहीं यहां के विद्यार्थी इंजीनियर व डॉक्टर भी बन सकेंगे । माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने नया पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है ।

🚩जनवरी में गठित पांच सदस्यीय कमेटी ने संस्कृत बोर्ड के छात्रों का नया पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है । इसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा । इंटर की पढ़ाई तीन वर्गो में विभाजित कर दी गई है। उत्तर मध्यमा प्रथम (कक्षा 11) व उत्तर मध्यमा द्वितीय (कक्षा 12) में कला, विज्ञान व वाणिज्य वर्ग का गठन होगा । वर्तमान पाठ्यक्रम में संस्कृत के साथ गणित, विज्ञान वैकल्पिक विषय के तौर पर शामिल हैं । ऐसे में संस्कृत बोर्ड के छात्र भी विज्ञान वर्ग से पढ़ाई कर इंजीनियरिंग व मेडिकल के क्षेत्र में जा सकेंगे ।

🚩उप निरीक्षक लखनऊ मंडल की पाठ्यक्रम समिति व अतिरिक्त सदस्य रेनू वर्मा का कहना है कि नया पाठ्यक्रम बन गया है । अब शासन से अनुमोदन शेष है । नए सत्र से नए पैटर्न पर पढ़ाई होगी । संस्कृत बोर्ड के छात्रों को भी अब इंजीनियर-डॉक्टर बनने का मौका मिलेगा ।

🚩वर्तमान पाठ्यक्रम में कक्षा 11 में तीन अनिवार्य विषय, 51 वैकल्पिक विषय हैं । ऐसे ही कक्षा 12 में भी तीन अनिवार्य व 51 वैकल्पिक विषय हैं । कक्षा छह से आठ तक तीन अनिवार्य विषय व 20 वैकल्पिक विषय हैं । वहीं कक्षा नौ में तीन अनिवार्य व 37 वैकल्पिक विषय हैं । कक्षा 10 में भी तीन अनिवार्य व 37 वैकल्पिक विषय हैं । ऐसे में कुल 15 अनिवार्य व 196 के करीब वैकल्पिक विषय हैं । वहीं नए पाठ्यक्रम में विषयों की सूची सौ के अंदर होगी । कारण, इसमें कई विषयों को हटा दिया गया, वहीं कई को एक कर दिया गया । मसलन, संस्कृत गद्य व और संस्कृत पद्य काव्य को एक विषय कर दिया गया ।

🚩बता दें कि देववाणी संस्कृत मनुष्य की आत्मचेतना को जागृत करने वाली, सात्विकता में वृद्धि , बुद्धि व आत्मबलप्रदान करने वाली सम्पूर्ण विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है । अन्य सभी भाषाओ में त्रुटि होती है पर इस भाषा में कोई त्रुटि नहीं है । इसके उच्चारण की शुद्धता को इतना सुरक्षित रखा गया कि सहस्त्र वर्षों से लेकर आज तक वैदिक मन्त्रों की ध्वनियों व मात्राओं में कोई पाठभेद नहीं हुआ और ऐसा सिर्फ हम ही नहीं कह रहे बल्कि विश्व के आधुनिक विद्वानों और भाषाविदों ने भी एक स्वर में संस्कृत को पूर्णवैज्ञानिक एवं सर्वश्रेष्ठ माना है । 

🚩संस्कृत भाषा ही एक मात्र साधन हैं, जो क्रमशः अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं ।  इसका अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएं ग्रहण करने में सहायता मिलती है । वैदिक ग्रंथों की बात छोड़ भी दी जाए तो भी संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरंतर होती आ रही है । संस्कृत केवल एक भाषा मात्र नहीं है, अपितु एक विचार भी है । संस्कृत एक भाषा मात्र नहीं, बल्कि एक संस्कृति है और संस्कार भी है। संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है और वसुधैव कुटुंबकम की भावना भी है ।

🚩केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों को सभी स्कूलों, कॉलेजों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना चाहिए जिससे बच्चों की बुद्धिशक्ति का विकास के साथ साथ बच्चे सुसंस्कारी बने ।

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Sunday, December 2, 2018

ईसाई मिशनरियों का जिहाद बढ़ता ही जा रहा है, जनता पर बरसा रहे हैं कहर

2 दिसंबर 2018

🚩भारत सहिष्णु देश है उसका फायदा राष्ट्रविरोधी ताकतें जमकर उठा रही हैं । आज भारत मे ईसाई मिशनरियों का जिहाद बढ़ता ही जा रहा है, कभी लालच देकर या जबरन धर्मपरिवर्तन करवाना, पादरियों द्वारा बलात्कार करना, मानव-तस्करी करना, कॉन्वेंट स्कूलों में हिन्दू त्यौहारों पर बेन लगाना, तिलक, मेहंदी नहीं लगाने देना आदि अनेक काले कारनामे कर रहे हैं पर मीडिया, सरकार या न्यायालय किसी का भी उस तरफ ध्यान ही नहीं जा रहा है ।

🚩अभी हाल ही में दो ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसे पढ़कर आपको भी इन ईसाई मिशनरियों से नफरत होने लगेगी ।

🚩(1)50 लड़कियों का छुटकारा:-
Jihad of Christian missionaries continues to grow, people are ravaging the public

तमिलनाडु के तिरुवन्नमलाई के जिला कलेक्टर के. एस. कंदसामी को सूचित किया गया था कि उनके अधिकार क्षेत्र में मर्सी अदिकलपुरम मिशनरी होम सरकारी नियमों का उल्लंघन कर रहा था । इसके तुरंत बाद, उन्होंने होम को जाँच के लिए बंद कर दिया और उन्होंने जो देखा वह उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था ।

🚩सबसे पहले, होम का बुनियादी ढांचा एक अपमानजनक स्थिति में था । फिर, उन्होंने देखा कि 5 से 22 साल की उम्र के बीच लगभग 50 लड़कियां वहां रहती थीं और फिर भी एक पुरुष सुरक्षा गार्ड द्वारा पर्यवेक्षित की गई थी । जब कंदसामी ने पाया कि घर के निदेशक 65 वर्षीय लुबान कुमार भी अपने परिवार के साथ एक ही इमारत में रहते थे तो उन्हें संदेह हो गया और उन्होंने जांच शुरू की ।

🚩टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए, आईएएस अधिकारी ने कहा "लुबान कुमार ने जानबूझकर उन सभी बाथरूम  के दरवाजे हटा दिए ," उन्होंने कहा कि उनका कमरा इस बाथरूम से जुड़ा हुआ था और वह लड़कियों को स्नान करते देखने के लिए एक खिड़की खोल देता । इसके अलावा, उसने हॉल में एक सीसीटीवी कैमरा स्थापित किया था जिससे वो अपने कमरे से लड़कियों को कपड़े बदलते देखता था । "

🚩रिपोर्ट के मुताबिक, जब एक लड़की ने लुबान की पत्नी मर्सी को इस दुर्व्यवहार के खिलाफ बोलने का साहस दिखाया तो उसने लड़कियों को मारने के लिए लुबान के भाई को भेजा और उन्हें मुँह बंद रखने के लिए कहा गया ।

🚩‌यह सुनकर कंदसामी ने सभी लड़कियों को सरकारी होम में स्थानांतरित कर दिया । जब वे एक सुरक्षित स्थान पर होने के बारे में आश्वस्त हुईं तो उन्होंने आईएएस अधिकारी के सामने मर्सी मिशनरी होम का पर्दा फाश किया । अन्य चीजों के अलावा, लुबान कुमार लड़कियों को रात में अपने कमरे में आने आकर मालिश करने के लिए कहता ।

🚩कलेक्टर ने तुरंत जूवेनाइल जस्टिस एक्ट व प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सशुअल ऑफन्सेस एक्ट के तहत तिरुवनमलाई में एक पुलिस स्टेशन में लुबान कुमार, मर्सी और लुबान के भाई के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई । इसके बाद, मिशनरी होम भी सील कर दिया गया था।

🚩(2) रांची में धर्मांतरण मामला:-

रांची : रांची अदालत ने मंगलवार को पुलिस को शिक्षक द्वारा दर्ज शिकायत के बाद 'जबरन धर्मांतरण" के आरोप में कारमेल स्कूल के प्रिंसिपल और तीन अन्य कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया ।

🚩शिक्षक नलिनी नायक ने दावा किया कि उन्हें ईसाई धर्म अपनाने से इंकार करने के बाद सेवा से निकाल दिया गया था ।

नलिनी ने आरोप लगाया कि उसे धर्म परिवर्तित करने के लिए मजबूर किया जा रहा था और जब उसने मना कर दिया तो उसे प्रिंसिपल द्वारा सेवा से निकाल दिया गया।

🚩नायक के वकील अवीश रंजन मिश्रा ने बताया कि छेड़छाड़ के साथ आपराधिक षड्यंत्र के आरोप लगाए गए हैं ।

अदालत ने पुलिस को इस मामले में एक कार्यवाही की  रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया, उन्होंने कहा, "नायक को आरोपी द्वारा मानसिक रूप से यातना दी जा रही थी और यहां तक ​​कि उनके द्वारा भी पीटा भी गया था।"

🚩शिकायतकर्ता ने कहा कि वह 6 अप्रैल, 2013 को स्कूल में जोईन हो गई थी और 1 अप्रैल, 2016 को उनकी सेवा में इस शर्त पर पुष्टि की गई थी कि वह ईसाई धर्म अपनाएगी । नौकरी में पुष्टि होने के तुरंत बाद, प्रिंसिपल, सिस्टर डेलिया और स्टाफर्स सिस्टर एम रेनिशा, सिस्टर टेरेसिटा मारी और सिस्टर मारी टेरेसा ने देर रात स्कूल परिसर में चर्च सेवा और धार्मिक कार्यों में भाग लेने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया ।

"27 सितंबर को, प्रिंसिपल ने मुझे अपने कक्ष में बुलाया और धमकी दी कि अगर मैं ईसाई धर्म में परिवर्तित होने से इंकार कर दूं तो मुझे मार दिया जा सकता है । 1 अक्टूबर को, मुझे सेवा से निकाल दिया गया । सौजन्य: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस

🚩इन खबरों से पता चलता है कि मिशनरियों का अत्याचार एक चरम सीमा तक पहुँच गया है तो अब इसपर रोक लगानी चाहिए, सरकार न्यायालय को संज्ञान लेना चाहिए ।

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Saturday, December 1, 2018

हांगकांग के अभिनेता जॅकी हुंग और फ्रांस के दंपति ने अपनाया हिंदू धर्म

1 दिसंबर 2018

🚩हिंदू धर्म सनातन धर्म है जबसे सृष्टि का उद्गम हुआ है तबसे यह धर्म चला आ रहा है, बाकी ईसाई धर्म 2018 और मुस्लिम धर्म 1500 साल पुराना है । बड़ी बात तो ये है कि ईसाई धर्म की स्थापना यीशु ने तथा मुस्लिम धर्म की स्थापना मोहम्मद पैंगबर ने की, लेकिन हिन्दू धर्म की स्थापना किसी ने नहीं की अनादि काल से चली आ रही है और हिन्दू धर्म में ही भगवान व ऋषि-मुनियों के अवतार हुए है किसी अन्य धर्म में नहीं हुए हैं । जब-जब अधर्म बढ़ जाता है तब समाज को मार्गदर्शन देने के लिए स्वयं भगवान ही अवतार लेते हैं ।

🚩सनातन हिन्दू धर्म की महिमा समझकर विदेशी लोग भी अपना धर्म छोड़कर हिन्दू धर्म में घरवासपी कर रहे हैं । एक सवाल जो आपके मन में भी आ रहा होगा वो ये कि इसे घरवासपी क्यों बताई जा रही है धर्मपरिवर्तन क्यों नहीं बोला गया? आपको बता दें कि जब सृष्टि का उद्गम हुआ था तब मात्र एक ही धर्म था जो केवल हिन्दू धर्म था, उसके बाद सारे मत पंथ निकले तो जन्म लेते ही हर मनुष्य हिन्दू ही होता है बाद में उसे बताया जाता है कि तू ईसाई है, मुसलमान है, बुद्धिष्ट है लेकिन वास्तव में हिन्दू ही होता है इसलिए हिन्दू धर्म अपनाना ये कोई धर्मपरिवर्तन नहीं हुआ बल्कि जो उनपर थोपा गया था कि तू ईसाई, मुसलमान आदि है उससे अपने मूल धर्म में वापस आता है तो उसको घरवासपी कहते हैं ।

🚩बता दें कि कई बड़ी हस्तियां और विदेशी लोग हिन्दू धर्म में आ चुके हैं अभी वर्त्तमान में  चाइनीज अभिनेता और फ्रांस के दंपति ने हिन्दू धर्म अपना लिया है।

Hong Kong actor Jackie Hung and French couple adopted Hindu religion

🚩अभिनेता ने अपनाया हिन्दू धर्म:-

हांगकांग से आए प्रसिद्ध अभिनेता और मार्शल आर्ट के कलाकार जॅकी हुंग ने कैंटोनमेंट स्थित एक होटल में पत्रकारों से कहा कि हांगकांग के बाद भारत की प्राचीन नगरी काशी मेरा पसंदीदा शहर है । मेरी इच्छा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर जैसा एक शिव मंदिर हांगकांग में बनवाऊं । जल्द ही अपना नाम भी बदलकर हिंदू रीति रिवाज के आधार पर रखूंगा ।

🚩उन्होंने बताया कि आज से चार वर्ष पहले मैं चेन्नई में किसी कार्यवश गया था । वहीं पर एक शिव मंदिर में अपने मित्र के साथ गया । वहां पर मुझे ऐसी शांति का अनुभव हुआ जो इससे पहले कभी नहीं मिली थी । उसके बाद मैने हिंदू धर्म को स्वीकार कर लिया । उसके बाद मेरे जीवन शैली और दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है ।

🚩फ्रांस के दंपति ने अपनाया हिन्दू धर्म:-

फ्रांस के रहने वाले पेशे से डिजाइनर मेथियस और उनकी पत्नी डेनियला ने हिंदू धर्म अपनाया । दीक्षा प्राप्त करने के बाद उनका नाम और गोत्र परिवर्तित हुआ । मैथियास परमानंद नाथ और डेनियला आनंदमयी मां बन गईं ।

🚩डेनियला ने बताया कि वे कुंडलिनी साधना के बाद बहुत ऊर्जा महसूस कर रही थीं तब उन्होंने और उनके पति ने शिव शक्ति मंत्र की दीक्षा लेने की इच्छा गुरुदेव से प्रकट की । उन्होंने बताया कि इस दीक्षा को ग्रहण करने के बाद वह खुद को बहुत ज्यादा ऊर्जावान महसूस कर रही हैं । ईश्वर की साधना कर इस मंत्र का जाप करेंगी जिससे उनका और समस्त विश्व का कल्याण हो और विश्व में शांति हो ।

🚩वागीश शास्त्री ने बताया कि शिव शक्ति मंत्र की साधना प्रसुप्त शक्ति को जागृत करती है और मस्तिष्क विचारों से भर जाता है इससे व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है और नए-नए विचार आते हैं । जो साधक शिव शक्ति मंत्र दीक्षा लेने के बाद निश्चित संख्या में जप करते हैं और उसका दशांश हवन करते हैं उनको वांछित फल की प्राप्ति हो सकती है ।

🚩विश्व भर से लोग अध्यात्म, योग और तंत्र की साधना प्राप्त करने मेरे पास वर्षों से आते हैं और कुंडलिनी साधना में व्यक्ति अपने चक्रों को जागृत करता है । शिव शक्ति मंत्र साधना से साधक अपने इष्ट को प्रसन्न करता है और वांछित फल प्राप्त कर सकता है ।

🚩वागीश शास्त्री ने यह भी बताया कि परंतु बिना गुरु के दीक्षा के किसी भी मंत्र का प्रभाव नहीं मिलता है । आजकल व्यक्ति बिना गुरु के निर्देशन में कुंडलिनी साधना करते हैं वह उनके लिए उपयुक्त नहीं है और बिना गुरु के निर्देशन में साधना करना उनके लिए घातक हो सकता है । सभी व्यक्तियों को किसी सिद्ध गुरु के निर्देशन में ही कुंडलिनी साधना करनी चाहिए ।

🚩भारतीय संस्कृति एक दिव्य संस्कृति है । इसमें प्राणिमात्र के हित की भावना है । हिन्दुत्व को साम्प्रदायिक या आतंकवादी कहने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि हिन्दुत्व अन्य मत पंथों की तरह मारकाट करके अपनी साम्राज्यवादी लिप्सा की पूर्ति हेतु किसी व्यक्ति विशेष द्वारा निर्मित नहीं है ।

🚩हिन्दुत्व एक व्यवस्था है मानव में महामानव और महामानव में महेश्वर को प्रगट करने की । यह द्विपादपशु सदृश उच्छृंखल व्यक्ति को देवता बनाने वाली एक महान परम्परा है । 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का उद्घोष केवल इसी संस्कृति के द्वारा किया गया है इसलिए आज हिन्दू धर्म अपना रहे हैं ।

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