Monday, January 28, 2019

सरकार मदरसे बंद करे नहीं तो मुस्लिम हो जाएंगे आतंकवादी समर्थक : वसीम रिजवी

28 जनवरी  2019

🚩विश्व में कई ऐसे देश हैं जो आतंकवादियों की चपेट में आये हैं, उससे देश में काफी दहशत भी रहती है, डर के कारण चारों ओर चेकिंग शुरू हो जाती है, सेक्युरिटी टाइट हो जाती है और इसपर कई देश बोल चुके हैं कि हम मिलकर आतंकवाद को खत्म कर देंगे, लेकिन जिन देशों के प्रमुखों ने ये बात बोली है उनकी नज़र आतंकवाद के मूल में कभी नहीं गई है, केवल लड़ाई करके आतंकवाद खत्म नहीं होगा, लेकिन जहाँ से उनको ऐसी कट्टरपंथी की शिक्षा दी जा रही है वहीं रोक लगाई जाए तो आतंकवाद आगे बढ़ेगा ही नहीं और आतंकवाद समूल नष्ट हो जाएगा । 
🚩भारत में आतंकवादी विचारधारा वाले लोग न बनें इस उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने एक बार फिर मदरसों को बंद करने की मांग दोहराई है । पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर वसीम रिज़वी ने प्राथमिक मदरसों को बंद करने को कहा है । वसीम रिज़वी ने लिखा कि "मदरसों में बच्चों को बाकियों से अलग कर कट्टरपंथी सोच के तहत तैयार किया जाता है । यदि प्राथमिक मदरसे बंद ना हुए तो 15 साल में देश का आधे से ज्यादा मुसलमान आईएसआईएस का समर्थक हो जाएगा । उन्‍होंने इसके बजाय हाई स्कूल के बाद धार्मिक तालीम के लिए मदरसे जाने के विकल्प का सुझाव दिया । कोई भी मिशन आगे बढ़ाने के लिए बच्चों का सहारा लिया जाता है और हमारे यहां भी ऐसा ही हो रहा है ! ये देश के लिए भी खतरा है।
🚩आपको बता दें कि इससे पहले शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने पिछले दिनों कहा था कि आतंकवाद को मदरसे से जोड़कर बयान देने के कारण सोशल मीडिया पर उनको धमकियां मिल रही हैं । इस कारण उन्‍होंने अपने लिए कब्र बनवा ली है, जिस पर बकायदा उन्होंने अपना नाम भी लिखा दिया है । वसीम ने कहा कि उन्होंने राजधानी लखनऊ के तालकटोरा में अपने वालिद (पिता) की कब्र के पास अपनी कब्र बनवा ली है । ऐसा करने के पीछे का कारण बताते हुए रिजवी ने कहा कि आजकल उन्हें सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है । उन्होंने कहा, "मैं मरने से नहीं डरता, मैं मरने को तैयार हूं, लेकिन मैंने कोई गलत बयान नहीं दिया" ।

🚩उन्होंने कहा था कि 'कुछ मरदसों में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां हैं, जो बंद होनी चाहिए । यह वह नहीं कह रहे हैं, यह तो साफ-साफ सरकार की रिपोर्ट कह रही है । उन्होंने तो बस मुस्लिम समाज के बच्चों की नस्ल सुधार के लिए ऐसा कहा'। वसीम रिजवी ने कहा था कि "लेकिन कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए ऐसे मदरसे चलाना चाहते हैं, इसलिए मुस्लिम समाज को भड़काकर समाज को उनका दुश्मन बनाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि अब सोशल मीडिया पर पूरे देशभर के मुस्लिम समाज से उन्हें धमकियां मिल रही हैं ।"

🚩आपको बता देते हैं कि जुलाई 2018 में पुणे के एक मदरसे के मौलवी को अपने ही मदरसे के बच्चों का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है । साथ ही 36 बच्चों को भी मुक्त कराया गया था ।

🚩पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन के स्तंभकार नाजिहा सईद अली ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें बताया कि, राजस्थान से लगती सीमा पर 2000 में जहां इक्का-दुक्का मदरसे थे, वे 2015 से अचानक 20 तक पहुंच गए हैं । ये मदरसे धर्म परिवर्तन कर नए मुस्लिमों के बच्चों की तालीम के लिए खुले हैं ।

आपको बता दें कि जाकिर नाईक ने कई मदरसे खोले थे उन मदरसों में वह कट्टरता की ट्रेनिंग देता था ।

🚩पाकिस्तान में जिहाद में झोंके जाने वाले बच्चे गरीब घरों के तथा मदरसों से निकले बच्चे हैं । इनकी शिक्षा पद्धति ही इन्‍हें आतंकवाद के रास्ते पर प्रेरित करती है ।

कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट भेजी है जिसमें कहा गया था कि कश्मीर में मस्जिदों, मदरसों और मीडिया पर नियंत्रण रखना होगा ।

🚩शिवसेना ने भी कहा है कि देश के मदरसों में उर्दू और अरबी की पढ़ाई बंद की जानी चाहिए और उनकी जगह हिंदी को लाया जाना चाहिए ।

फ़्रांस ने तो कई मस्जिदें बन्द कर दी वहाँ के गृहमंत्री बर्नार्ड कैजनूव ने कहा था कि  “फ्रांस में मस्जिदों या प्रेयर हॉल में नफरत भड़काने वाली शिक्षा दी जाती है, इसलिए मस्जिदों को बंद कर दिया है,  इन मस्जिदों में धार्मिक विचारों के प्रचार के नाम पर कट्टरवादी(देश विरोधी)शिक्षा दी जाती थी । कई मस्जिदों पर छापे के दौरान जेहादी दस्तावेज बरामद किए गए थे । इन मस्जिदों में सऊदी अरब से फंडिग होती थी ।

🚩फ़्रांस ने तो समझ लिया कि देश को तोड़ने के लिये विदेशी फण्ड से चलने वाली मस्जिदों में आतंकवादी बनने की ट्रेंनिग दी जाती है और देश विरोधी बातें सिखाई जाती हैं ।


देश में हिन्दुओं पर मुस्लिमों के बढ़ते आतंक की हालत देखकर भारत सरकार को फ्रांस से सीख लेनी चाहिए मुस्लिमों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण करना चाहिये ।

🚩आज जो लव जिहाद के लिए विदेश से पैसा आता है और आतंकवादी संगठनों में जो मुस्लिम युवक- युवतियां भर्ती होने जाते हैं उसका कारण मदरसों में दी जा रही कट्टरपंथी शिक्षा ही है ।

मदरसों में जब कट्टरपंथी की शिक्षा दी जाती है और कई मदरसों में बच्चों का मौलवी यौन शोषण कर रहे है तो ऐसे मदरसों पर बेन तो लगना ही चाहिए । 

🚩सरकार को तो मदरसों पर बैन लगाना चाहिए किंतु उसके विपरित सरकार मदरसों को अनुदान देती है। जबकि ‘मदरसों को अनुदान देना अर्थात सरकारी (जनता के टैक्स ) पैसों से आतंकवादियों का निर्माण करना है ।

देश को बाहरी आतंकवादियों से इतना खतरा नही जितना इन कट्टरपंथियों से है इसलिए सरकार को जांच करवानी चाहिए और विदेशी फंड से जितनी भी मस्जिदें चल रही हैं उसमें अगर देश विरोधी बातें सिखाई जाती हैं तो ऐसे मदरसों और मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए जिससे देश सुरक्षित रहे और सुख शांति बनी रहे ।

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Sunday, January 27, 2019

हिंदुस्तान से ही हिंदू संत को सरकार ने कर दिया गायब, 2 महीने से हैं लापता

27 जनवरी  2019

🚩भारत भूमि ऋषि-मुनि, साधु-संतों की भूमि रही है, भगवान भी जब अवतार लेकर आते हैं तो संतों की शरण में जाते हैं । साधु-संतों प्राणी मात्र का कल्याण करने की भावना से कार्य करते हैं, उन्होंने मनुष्य को सहीं जीवन जीने की कला सिखाई है और हर मनुष्य स्वस्थ, सुखी, सम्मानित जीवन जी सके उसके लिए अनेक सरल पद्धतियाँ भी बताई हैं, जिन्हें अपनाकर मनुष्य इहलोक के साथ-साथ परलोक भी सँवार सकता है । आज के वैज्ञानिक जो खोजे कर रहे हैं वे हमारे ऋषि-मुनियों ने पहले ही बिना किसी यन्त्र के कर दी है । साधु-संत प्राणी मात्र का उत्थान चाहते हैं वे किसी को भय नहीं पहुँचाते हैं, फिर भी दुष्ट लोग उनसे द्वेष करके उनको प्रताड़ित करते रहते हैं ।

🚩गौरक्षा आंदोलन के अध्यक्ष संत गोपालदास जी ने गौ रक्षा के लिए अनेक आंदोलन किये, मानसरोवर पार्क में वे धरने पर बैठ गए थे । 6 जून को प्रशासन ने उन्हें जबरन अनशन से उठा पी.जी.आई. में भर्ती कराया । बाद में उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में दाखिल कराया गया । जहां से छुट्टी मिलने के बाद वे सीधे रोहतक चले गए थे ।

संत गोपालदास ने कहा कि सस्ती लोकप्रियता व राजनीति के चलते गौ माता के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है । संत को नहीं, प्रताड़ित करने वाली सरकार को ही इलाज की जरुरत है । मेरा इरादा अटल है । सरकार कितना जुल्म कर ले, अंतिम सांस तक गौरक्षा के लिए अनशन जारी रहेगा ।

🚩संत गोपालदास एम्स दिल्ली से लौटने के बाद मानसरोवर पार्क में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान चलाने से कुछ नहीं होगा । अच्छी ड्रेस पहनने के साथ ही मन भी साफ होना चाहिए । चित्त व चरित्र के साथ सोच भी कल्याणकारी रखनी पड़ेगी । कोई भी सरकार गौ माता का हक डकारते हुए ईमानदारी का बोर्ड नहीं टांग सकती है । जब तक सरकार गौ माता का गोचारण का हिस्सा नहीं देगी, मेरा अनशन जारी रहेगा । सरकार ने जबरदस्ती एम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया  ।

🚩आपको बता दें कि स्वामी सानन्द (हरिद्वार वाले) की मृत्यु हो गयी थी गंगा की रक्षा के लिये 111 दिन का आमरण अनशन करते हुए । उसके बाद संत गोपालदास ने उनका समर्थन करते हुए आमरण अनशन किया जिसके बाद उनकी तबियत खराब हो गयी तो उनको जबरदस्ती देहरादून के हॉस्पिटल में ले जाया गया जहाँ से वे पिछली 6 दिसम्बर से लापता हैं ।

🚩गंगा की सफाई के लिए पिछले चार महीने से अनशन पर बैठे संत गोपालदास संदिग्ध हाल में एम्स से ही गायब हो गए । इसको लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी पर ही संत को एम्स से गायब करवाने का आरोप लगा दिया । अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा- “संत गोपाल दास गौ रक्षा और गंगा सफ़ाई के लिए अनशन पर थे । उनको मोदी सरकार ने AIIMS से ग़ायब करवा दिया है । उनके पिता को भी केंद्र सरकार नहीं बता रही कि उनको कहां ले गए । संत गोपाल दास असली गौ रक्षक हैं । उनके साथ मोदी सरकार का ऐसा बर्ताव ? उन्हें तुरंत उनके पिता के सुपुर्द किया जाए ।“

🚩बता दें कि ऋषिकेश से दिल्ली एम्स में भर्ती कराए गए गोपालदास से जब उनके पिता शमशेर मिलने पहुँचे तो वह बुधवार सुबह वॉर्ड में नजर नहीं आए । जिसके बाद पिता ने पुलिस को संत गोपालदास की गुमशुदगी की सूचना दी । बाद में संत गोपालदास को एक बार देहरादून के एक अस्पताल में भेजने की बात कही गई और दूसरी बार भोपाल एम्स में भेजे जाने की । हालांकि सोमनाथ भारती ने एक कथित चिट्ठी को ट्वीट किया, जिसमें संत गोपालदास अपने पिता को संबोधित करते हुए लिख रहे हैं कि केंद्र सरकार उनके अनशन से परेशान है और वह दिल्ली से दूर किसी कोने में भेजना चाहती है ।

🚩संत गोपाल दास कैसे भी गायब हो गए हो लेकिन सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, वे भले सरकार की आलोचना कर रहे हों, लेकिन उनका उद्देश सहीं था वे माँ गंगा की सफाई और गौ रक्षा के लिए लड़ रहे थे ।

🚩जो कार्य सरकार द्वारा होना चाहिए वो अगर सरकार न कर पाए तो कोई हिन्दू साधु-संत या हिन्दू नेता उसके लिए आवाज उठाते हैं लेकिन अफ़सोस उस आवाज का समर्थन करने के बजाय उसे दबाने की कोशिश की जाती है, अगर आवाज दबती नहीं है तो उनकी हत्या कर दी जाती है या गुम कर दिया जाता है या फिर झूठे केस में फंसाकर जेल भिजवाया जाता है । जैसे धर्मान्तरण पर रोक लगाने वाले उड़ीसा के संत स्वामी लक्षमानन्द जी की हत्या हो गई और संत आसाराम बापू को जेल भिजवा दिया गया और अब देखिये संत गोपाल दास को गुम कर दिया गया ।

🚩सनातन धर्म के संतों ने जब-जब व्यापकरूप से समाज को जगाने का प्रयास किया है, तब-तब विधर्मीयों के द्वारा उन्हें बदनाम करने के लिए षड्यंत्र किये गये हैं ।

सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और इस षडयंत्र पर रोक लगानी चाहिए, साथ ही साथ जनता को भी जागृत होकर संतो पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ।

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योगी सरकार से भी आगे निकल गई केजरीवाल सरकार

26 जनवरी  2019
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🚩हाल ही में 2 खबरें ज्यादा सुर्खियों में रही, पहली थी कि योगी सरकार साधु-संतों को भी देगी पेंशन, दूसरी खबर थी कि केरजीवाल सरकार दिल्ली के मस्जिदों के इमामों को वेतन देगी ।
आपको बता दें कि आगामी लोकसभा चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए एक सरकार ने साधुओं को लुभाने की बात की है तो दूसरी सरकार ने इमामो को...
🚩अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की मस्जिदों के इमामों और मोअज़्ज़िनों का वेतन बढ़ाने का एलान कर दिया है । केजरीवाल सरकार के नए फैसले के मुताबिक, दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के तहत आने वाली 185 मस्जिदों के इमामों को अब 18 हज़ार रुपये वेतन दिया जाएगा, पहले ये वेतन 10 हज़ार रुपये हुआ करता था । वही मुअज़्ज़िनों को अब 16 हज़ार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा जबकि अब तक मुअज़्ज़िन को 9 हज़ार रुपये मिला करता था ।
वक़्फ़ बोर्ड के तहत ना आने वाली मस्जिदों के इमामों को 14 हज़ार और मुअज़्ज़िन को 12 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा ।
*🚩मतलब दिल्ली की हर मस्जिद को केजरीवाल सरकार  ₹ 44,000/- प्रति माह देगी ।*
जबकि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में रोड और रैपिड रेल कॉरिडोर का पैसा देने को मना कर दिया है, कहा कि आर्थिक हालात ठीक नहीं है । केजरीवाल की सरकार के पास मस्जिदों के लिए पैसे हैं, लेकिन रोड और रैपिड रेल कॉरिडोर के लिए पैसे नहीं हैं, बड़ा आश्चर्य है !
🚩योगी सरकार
योगी सरकार ने अब साधु-संतों को पेंशन देने का फैसला किया है । राज्य सरकार ये पेंशन वर्तमान पेंशन योजनाओं के तहत ही साधु संतों को देगी । इसके लिए योगी सरकार राज्य के हर जिले में कैंप लगाकर साधु-संतों का पंजीकरण कराएगी ।
🚩जिन साधु-संत की आयु 60 वर्ष के ऊपर है उन्हें वृद्धावस्था पेंशन योजना में शामिल करने जा रही है, पेंशन में हर महीने 500 रूपये मिलेंगे ।
अब आप ही बताइए कि मुस्लिम इमाम को 18000 और साधु को केवल 500 रूपये मिलेंगे उसके बाद भी जब योगी सरकार ने संतों को पेंशन देने का एलान किया था तो तमाम सेक्युलर राजनेता तथा बुद्धिजीवी चीख पड़े थे कि योगी सरकार सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे रही है, लेकिन जैसे ही केजरीवाल ने इमामों तथा मुअज्जिनों का वेतन बढ़ाने का फैसला किया, सभी ने चुप्पी साध ली ।
🚩जबकि साधु-संत देश हित के कार्य करते हैं, देश में शांति का माहौल बनाते हैं और इमाम अपने धर्म के लोगो में कट्टरवाद को बढ़ावा देते हैं, जिसके कारण देश का माहौल अशांत हो जाता है  ।
सरकार के ऐसे निर्यण लेने के पीछे बड़ा कारण ये है कि हिंदूओं में एकता नहीं है और हिंदू एक होकर वोट दे भी दे और हिंदूवादी सरकार आ भी जाये तो हमारे देश का संविधान ही ऐसा है कि हिंदूओ के लिए खुलकर कोई कार्य नहीं कर सकता, संविधान अल्पंसखकों को ही बढ़ावा देता है बहुसंख्यक हिंदूओ के लिए कोई भी योजना नहीं बनाई है जो हिंदू हित में हो  ।
🚩सरकार इसके लिए कानून ला भी सकती है, लेकिन जो सरकार को हिंदू चुनते हैं वे ही सरकार सेकुलर एजेंडे पर चली जाती है, सबका साथ, सबका विकास बोलकर हिंदूओं की उपेक्षा कर देती है जिसके कारण हिंदू हताश हो जाता है कि अब किसको वोट दे ? जबकि दूसरी सरकारें जब आती है तब ईसाई मुस्लिम आदि अल्पसंख्यकों को खुलकर समर्थन करते हैं उनको लाभ पहुँचानें के लिए अनेक योजनाएँ लेकर आते हैं, इसके कारण वे खुलकर उनकी सरकार को वोट देते हैं और नतीजन वो जीत भी  जाते हैं ।
🚩हिंदूओ की सरकार हिंदूओ के लिए इतना कार्य नहीं कर पाती जबकि दूसरी पार्टियां अन्य धर्म के लिए खुलकर कार्य करते है । इसी वजह से हार जाती है अगर कोई भी सरकार हिंदूओ का खुलकर समर्थन करें और उनके हित के लिए योजनाएं लाये तो उसको हार का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि देश में 80-90 करोड़ हिदू हैं ।
🚩 सरकार को अब हिंदू हित के कार्य डंटकर करने चाहिए जैसे गौ हत्या पर रोक, श्री राम मंदिर निर्माण, साधु-संतों की जेल से रिहाई, कश्मीरी पंडितों को पुनः बसाने के कार्य, मंदिरों के दान के पैसे धर्म के कार्य में ही उपयोग हो, धर्मान्तरण पर रोक , लव जिहाद पर रोक आदि कार्य करने से सरकार बहुमत से आएगी और फिर से भारत विश्वगुरु बनेगा ।
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Friday, January 25, 2019

जानिए इतिहास क्यों मनाते है 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस

25 जनवरी  2019

🚩 गणतन्त्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है । 26 जनवरी और 15 अगस्त दो ऐसे राष्ट्रीय पर्व हैं जिन्हें हर भारतीय खुशी और उत्साह के साथ मनाता है ।

🚩हमारी #मातृभूमि भारत लंबे समय तक ब्रिटिश शासन की गुलाम रही जिसके दौरान भारतीय लोग ब्रिटिश शासन द्वारा बनाये गये कानूनों को मानने के लिये मजबूर थे, भारतीय #स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा लंबे संघर्ष के बाद अंतत: 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली ।
🚩सन 1929 के दिसंबर में #लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ उसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्तयोपनिवेश(डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा । 
  
🚩26 जनवरी 1930 तक जब #अंग्रेज #सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस भारतीय राष्ट्रीय ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय #आंदोलन आरंभ किया । उस दिन से 1947  में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा । तदनंतर स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया ।

🚩26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए विधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा लगभग ढाई साल बाद भारत ने अपना #संविधान लागू किया और खुद को लोकतांत्रिक गणराज्य के रुप में घोषित किया । लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारी संसद द्वारा भारतीय संविधान को पास किया गया । खुद को संप्रभु, #लोकतांत्रिक, #गणराज्य घोषित करने के साथ ही भारत के लोगों द्वारा 26 जनवरी "गणतंत्र दिवस" के रुप में मनाया जाने लगा ।

देश को गौरवशाली गणतंत्र #राष्ट्र बनाने में जिन देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया उन्हें 26 जनवरी दिन याद किया जाता और उन्हें श्रद्धाजंलि दी जाती है ।

🚩गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ तथ्य:

1- पूर्ण #स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था ।

🚩2- 26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था।

3- गणतंत्र दिवस की पहली #परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी ।

🚩4- भारतीय संविधान की दो प्रतियां जो हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई ।

5- भारतीय संविधान की #हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं ।

🚩6- भारत के पहले #राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी ।

🚩7- गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं ।

8-  26 जनवरी को हर साल 21 #तोपों की सलामी दी जाती है ।

🚩9- 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं । यह दिन #गणतंत्र दिवस के समारोह के समापन के रूप में मनाया जाता है ।
राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगीत का सम्मान करें  !

🚩 राष्ट्रप्रतीकों का सम्मान करें, राष्ट्राभिमान बढाएं !

1. राष्ट्रध्वज को ऊंचे स्थान पर फहराएं । 

2. प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों का उपयोग न करें ।

3. ध्यान रखें कि राष्ट्रध्वज नीचे अथवा कूड़े में न गिरे ।

4. राष्ट्रध्वज का उपयोग शोभावस्तु के रूप में अथवा पताका एवं खिलौने के रूप में न करें ।

5. जिन वस्त्रों पर राष्ट्रध्वज छपा हुआ है, ऐसे वस्त्र न पहनें अथवा अपने मुख पर भी ध्वज चित्रित न करवाएं ।

6. राष्ट्रगीत के समय बातें न करें, सावधान मुद्रा में खड़े रहें ।

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