Tuesday, February 5, 2019

जानिए कुंभ मेले में आम जनता का क्या कहना है आसाराम बापू के बारे में

05 फरवरी  2019

*🚩प्रयागराज कुंभ मेले में करोड़ो की तादाद में भक्त लोग जा रहे हैं, स्नान करके अपने को धन्य महसूस कर रहे हैं, लेकिन कुम्भ स्नान के अलावा एक और खास चर्चा का विषय रहा, वो था हिंदू संत आसाराम बापू का, क्योंकि एक तरफ तो उन्होंने देश, धर्म और संस्कृति की सेवा में अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया लेकिन दूसरी तरह उन्हें एक तथाकथित झूठे आरोप के आधार पर उम्रकैद हुई तो ऐसे में अब उनके बारे में जनता क्या सोचती है यह जानना बहुत जरूरी है ।*
*🚩कुम्भ मेले में गुजरात से आई प्रज्ञा ने बताया कि मुझे संत आसाराम जी बापू के बारे में जानने को मिला, हालांकि मैं इनके बारे में पहले से भी जानती थी, मैं इनके आश्रम भी गई हूँ हरिद्वार में । काफी कुछ देखने को, सीखने को और हर जगह जो बोर्ड लगे हुए थे उससे ये चीज जानने को मिली कि हम जैसे कि खाना खाते हैं तो किस तरीके से हमें कितनी देर बाद पानी पीना चाहिए, इन सब चीजों का जो नियम होता है, जीवन से सम्बंधित उन सारी चीजों के बारे में जानने को मिला ।*

*🚩प्रज्ञा ने आगे कहा कि आश्रम में आयुर्वेदिक दवाईयां भी काफी सस्ती थी, एक दो मैंने अमृतद्रव्य लिया था जो मुझे अच्छा सूट किया, अभी सब दुनिया कहती है कि भई! पतंजलि बाबा रामदेव से योग सीखते हैं लेकिन मैंने फर्स्ट टाइम जो योग सीखा है, वह संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा योगासन साहित्य से सीखा, उस समय न मेरे पास वीडियोज थे, न उस टाइम मोबाइल था, न लैपटॉप था, न मेरे पास कोई ऐसे सी.डी. कैसेट्स थे जिस वजह से मैं सीख पाऊं । उस साहित्य में हर चीज को इतनी बारीकी से लिखा हुआ था कि मैं बहुत सारे आसन सीख गई और भी काफी कुछ सीखने को मिला, बहुत अच्छा लगा ।*

*🚩प्रज्ञा ने आगे बताया कि जब मुझे ये फर्स्ट टाइम पता चला कि इनके ऊपर आरोप लगा है, सुनकर बहुत बुरा लगा, मैं उसे बोल भी नहीं सकती । फिलहाल जो सच्चाई मैं वहाँ देखकर आई हूँ, कहीं न कहीं,  मेरा दिल ये मानने को तैयार नहीं था कि ये इस तरह का काम कर सकते हैं, जिनकी काफी उम्र सत्कर्म में गुजर चुकी है । मुझे लगा कि ये केवल आरोप ही हैं । 
मेरी सभी से बस यही गुजारिश है कि कम से कम जो मीडिया परोस रही है, हम लोगों को जो मीडिया दिखाना चाह रही है उसके पीछे ना भागे, सच्चाई को जाने । ये सारी राजनेताओं की और षड्यंत्रकारियों की एक चाल है ।*

*🚩उन्होंने आगे कहा कि मीडिया हमें वो दिखाना चाह रही है जो हमको नही जानना चाहिए, मीडिया हम लोगों की जो पुरानी परम्पराएं, जो ऋषि महात्माओं, संतों के द्वारा चली आ रही हैं, जो हम आम आदमी आम जीवन में नही कर सकते, जैसे साधु-संत  बिना कपड़ों के सर्दियों में भी रह लेते हैं उनका तप ही है । आम आदमी के बस की बात नही है कि सर्दियों में भी बिना ऊनी कपड़े पहने रह सकें, तो कहीं न कहीं इनसब चीजो को देखो, साधु-संतों में तप बल है, उनके अंदर प्राणशक्ति है तभी वो रह रहे हैं। लेकिन मीडिया इन सब चीजों को नहीं दिखाती है ।*

*🚩बलात्कारी पुरुषों के अंदर ये चीजें नही हो सकती क्योंकि उनका मन तामसिक होता है, भोजन तामसिक होता है हर तरीके से इन सब चीजों से घिरे होते हैं इसलिए वो ज्यादा इन सब चीजों पर कंट्रोल नही कर पाते हैं, इसलिए वो कहीं न कहीं जाकर औरतों का अपनी इस गन्दी मानसिकता का शिकार बना देते हैं जिसमें कि बलात्कार कर दिया जाता है, और वो बच्चों को भी नही देखते, किसी को भी अपनी हवस का शिकार बना लेते हैं । 

मैं देशवासियों को यही कह सकती हूँ कि अगर आपकी खुली सोच है, विचार कर सकते हैं तो ये देखिये जिनके अंदर प्राणशक्ति होती है, वही दुनिया में सबसे अलग होते हैं न कि तामसिक पुरुष। जिनकी तामसिक मानसिकताएं होती हैं वो ही ऐसी हरकतें कर सकते हैं । मेरा सभी से यही कहना है कि प्लीज आपलोग सच्चाई को देखे, सच्चाई को जाने, लोगों के कहने पर ना जाएं ।* 

*🚩मैंगजीन :
‘‘जागो भारतवासियों! जानो हकीकत...’’ 
जो है इसमें बापू आसारामजी के बारे में सारी चीजें, सारी सच्चाई दी हुई है, सभी देशवासी इसको प्लीज पढें और आजकल जो मीडिया द्वारा परोसा जा रहा है उसके चक्कर में ना रहें । कृपया इन सब चीजों को देखें, मैंने भी देखा।  मुझे यह मैंगजीन बहुत अछि लगी । 

मैंने जब इन सब चीजों को पढ़ा तो मेरा दिल किया कि मैं इसपे कुछ बोलूं, इसलिए मैं आप लोगों के सामने ये सब बातें रख रही हूं कि इसमें बहुत ही अच्छी चीज है, इसे कम से कम एकबार जरूर पढ़ें । जो हमारे सामने हमारी ही चीजों की बेइज्जती की जा रही है, हमारे ही समाज की बेइज्जती की जा रही है, हमारे ऋषि-मुनियों की बेइज्जती की जा रही है, उनकी बेइज्जती ना हो, कम से कम हम अवेयर हों, ताकि अपनी आने वाली जेनरेशन को अवेयर कर सकें, अपने बच्चों को अवेयर कर सकें और उनके सामने मुंह दिखाने लायक बन सके कि हाँ, हमारे दिनों में ये हुआ करते थे न कि वो कहें कि अरे बाबा सैंटा क्लाजी हमारे सब कुछ थे।*

*🚩सोनभद्र उत्तरप्रदेश से आए प्रवेश ने बताया कि संत आसारामजी बापू पर पूर्ण रूप से षड्यंत्र तो है ही इसमें कहीं से कोई संदेह नहीं है । एक व्यक्ति सर्वस्व छोड़ने के बाद तप व धर्म के मार्ग पर अग्रसर होता है और उसके लाखों करोड़ों लोग अनुयायी होते हैं। आखिर एक साधारण व्यक्ति के अनुयायी क्यों नही होतें ? 
24 घण्टे का समय हर व्यक्ति को मिलता है, उसकी क्रियाकलाप के लिए भी समय मिलता है, लेकिन उसी में कोई व्यक्ति होता है कि उसे देखने वालों की भीड़ लगी होती है, एक व्यक्ति वह भी होता है जिसे किसी को देखने की कोई आवश्यकता नही। तो मैं अपने आप को बहुत ही गौरान्वित और सौभाग्यशाली समझता हूँ  कि मुझे
‘जागो भारतवासियों! जानो हकीकत...’’ पुस्तक प्राप्त हुआ।*


*🚩एक अन्य नवयुवक ने बताया कि हमारी सोच यही होनी चाहिए कि जो साधु संत हैं वे गलत नही हो सकते हैं, जिस प्रकार से मैंने संत आसाराम बापू के बारे में देखा, मुझे सुनकर बहुत बुरी खबर लगी, "जागो भारतवासियों ! जानो हकीकत..." पुस्तक में बापू आसारामजी के बारे में सच्चाई को बताया गया है। इस पुस्तक को हम सभी को पढ़ना चाहिए, जो चीजें मीडिया द्वारा नही दिखाई जाती हैं, जो प्रॉस्टिट्यूट मीडिया है जो सिर्फ पैसा लेकर दिखाती है, लोगों को बदनाम करने के लिए नए नए जो एडिटिंग करके विजीवल इफ़ेक्ट में एनिमेटेड करके वीडियोज को दिखाया जाता है, लेकिन हमको लगता है कि ऐसी चीजों की सच्चाई को भी कहीं न कहीं मीडिया के अंदर में तथा और लोगों के बीच में आना चाहिए, आम जनमानस के बीच में आना चाहिए, जिससे कि वो जान सके कि हमारी संस्कृति सैंटा क्लॉज की संस्कृति नही अपितु हमारी संस्कृति साधु संतों की संस्कृति है। हम जो टोपी पहनकर लाल रंग की और केक काटे और हम मोमबती फूंके और कहें कि हैप्पी बर्थडे मना रहे हैं तो ये गलत है, हमारी संस्कृति जो है भारतीय संस्कृति के अनुसार होनी चाहिए और भारतीयता के अनुसार होनी चाहिए ।*

*🚩साधु संतों ने बताया कि संत आसाराम बापू अवतारी पुरुष हैं, उनको षड्यंत के तहत फंसाया गया है ।*

*🚩इस तरह से जब हजारों भक्तों और साधु-संतों की राय ली गई, तो सभी का यही कहना था कि संत आसाराम बापू पूर्णरूपेण निर्दोष संत हैं, उनको षड्यंत के तहत फँसाया गया है और कुछ बिकाऊ मीडिया द्वारा बदनाम किया जा रहा है लेकिन अब हर हिंदुस्तानी का कर्तव्य बनता है कि देश में हो रहे षड्यंत्र का खुलासा करने के लिए सभी तक "जागो भारतवासियों ! जानो हकीकत..." पुस्तक पहुंचानी चाहिए ।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻


 🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk


🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

 🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

 🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

 🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, February 4, 2019

50 हजार स्कूलों में होगा मातृ-पितृ पूजन, वैलेंटाइन डे को कर दिया विदा

04 फरवरी  2019

🚩भारत देश को तोड़ने के लिए विदेशी ताकतें अलग-अलग प्रकार से हथकंडे अपना रही हैं, कभी स्कूलों में गलत इतिहास पढ़ाया जाना तो कभी मीडिया द्वारा भारतीय संस्कृति विरोधी एजेंडे चलना, कभी जातिवाद के नाम पर तोड़ना तो कभी विदेशी त्यौहारों को मनाकर भारतीय संस्कृति को तोड़ने का प्रयास करना ।

🚩हाल ही में गए विदेशी त्यौहार क्रिसमस में केवल दिल्ली में 31 दिसम्बर की रात को शराब की खपत 16 लाख बोतल हुई मतलब करीब 45 करोड़ की शराब पी गये ।  साल 2017 में केवल दिसंबर महीने में 458 करोड़ रुपए की शराब बिकी थी । 2016-17 के वित्त वर्ष में सरकार को शराब की बिक्री से 4243 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था ।
इससे हम अंदाजा लगा सकते हैं कि देशभर में हुई मात्र शराब की खपत से  विदेशी कंपनियों ने कितने अरबों रुपये कमा लिये होंगे । मीडिया ने भी खूब जमकर प्रचार-प्रसार किया, जिसके कारण बलात्कार की घटनाएं बढ़ी, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा और युवावर्ग का चारित्रिक पतन हुआ ।

🚩इसी तरह अभी एक और बड़ा विदेशी त्यौहार आने वाला है वैलेंटाइन-डे । जिसमें युवक-युवतियां एक दूसरे को फूल देंगे, महंगे गिफ्ट देंगे, ग्रीटिंग कार्ड देंगे, शराब पीएंगे, मांस खाएंगे, व्यभिचार करेंगे, पार्टियां करेंगे । जिससे देश के युवावर्ग की तबाही होगी और देश के अरबों-खबरों रुपये फिर पहुँच जाएंगे विदेशी कम्पनियों के पास ।

🚩पाश्चात्य संस्कृति के इस त्यौहार वैलेंटाइन-डे को रोकने के लिए पिछले साल से झारखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है जिसमें सभी सरकारी स्कूलों में 14 फरवरी को वैलेंटाइन-डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाएगा ।

🚩झारखंड राज्य के लगभग 50 हजार सरकारी स्कूलों में मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम का आयोजन होगा । बच्चों को संस्कारी बनाने तथा उनमें अपने माता-पिता को भगवान तुल्य मानने की समझ विकसित करने को लेकर सभी स्कूलों में यह कार्यक्रम आयोजित होगा । पिछले साल स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की मंत्री नीरा यादव ने विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह को पत्र लिखकर इस कार्यक्रम के आयोजन का निर्देश दिया है ।

🚩बकौल मंत्री, इस कार्यक्रम का आयोजन साल में एक दिन सभी स्कूलों में होगा । विभाग चाहे तो सुविधानुसार अलग-अलग दिनों में भी स्कूलों में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है, लेकिन अवकाश के दिन ही इस कार्यक्रम के आयोजन का निर्देश दिया गया है, ताकि माता-पिता बिना किसी परेशानी के उसमें शामिल हो सकें । कार्यक्रम में छात्र-छात्राएं अपने-अपने माता-पिता के पैर धोएंगे, उनकी आरती उतारेंगे तथा उन्हें अपने गले से लगाएंगे । मंत्री के अनुसार, जिस तरह की पूजा मंदिरों में भगवान की होती है । उसी भाव से बच्चे अपने माता-पिता की भी पूजा करेंगे । कार्यक्रम के दौरान माता-पिता से संबंधित गीत भी बजाए जाएंगे ।

🚩झारखंड सरकार का फैसला सराहा गया, पूरे देश में लोग भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं, लोगों की जुबान पर बस एक ही बात है कि मंत्री ऐसे ही होने चाहिए ।

🚩आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने तो पिछले कई सालों से पूरे राज्य के स्कूलों में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन लागू कर दिया है और हर साल 14 फरवरी को माता-पिता का पूजन किया जाता है ।

🚩गौरतलब है कि पाश्चात्य सभ्यता की गन्दगी से युवावर्ग का चारित्रिक पतन होते देखकर हिन्दू संत आसारामजी बापू ने वर्ष 2006 से 14 फरवरी को वैलेंटाइन-डे की जगह "मातृ-पितृ पूजन दिवस" की अनूठी पहल की । जिसे उनके करोड़ो समर्थकों द्वारा देशभर में बड़े धूमधाम से स्कूलों, कॉलेजों, घरों,मंदिरों, पूजा स्थलों आदि पर मनाया जाने लगा । धीरे-धीरे इसमें कई हिन्दू संगठन व आम जनता जुड़ती चली गई और आज ये विश्वव्यापी अभियान के रूप में देखने को मिल रहा है ।

🚩भारत में ही नहीं अमेरिका, दुबई, केनेडा आदि अनेक देशों में भी 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाने लगा है ।  इस विश्वव्यापी अभियान से लाखों युवावर्ग पतन से बचे हैं एवं उनके जीवन में संयम व सदाचार के पुष्प खिले हैं ।

🚩आज हम सभी का कर्तव्य बनता है कि पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण न करके अपनी महान संस्कृति की महानता समझे और दूसरों तक भी अपनी संस्कृति की सुवास पहुचाएं तथा उन्हें भी वैंलेंटाइन डे के दिन ‘मातृ-पितृ दिवस’ मनाने की सलाह दें ।

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻


 🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk


🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

 🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

 🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

 🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, February 3, 2019

क्या भारत में हिन्दूओं को सहीं मायने में आजादी मिली है ?

3 फरवरी  2019
www.azaadbharat.org
🚩सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अब इस पर विचार करेगी कि केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को संस्कृत में प्रार्थना करना उचित है या नहीं ? असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय और कुछ अन्य प्रार्थनाओं पर आपत्ति जताने वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने कहा, चूंकि असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय जैसी प्रार्थना उपनिषद से ली गई है इसलिए उस पर आपत्ति की जा सकती है और इस पर संविधान पीठ विचार कर सकती है । क्या इसका यह मतलब है कि उपनिषद अपने आप में आपत्तिजनक स्रोत हैं और उनसे बच्चों को जोड़ना या पढ़ाना उपयुक्त नहीं है ? शोपेनहावर, मैक्स मूलर या टॉल्सटॉय जैसे महान विदेशी विद्वानों ने भी यह सुनकर अपना सिर पीट लिया होता कि भारत में असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय जैसी प्रार्थना पर आपत्ति की जा रही है । इस आपत्ति पर भारतीय मनीषियों का दुःखी और चकित होना स्वाभाविक है । उपनिषदों को मानवता की सर्वोच्च ज्ञान-धरोहर माना जाता है । वास्तविक विद्वत जगत में यह इतनी जानी-मानी बात है कि उसे लेकर दिखाई जा रही अज्ञानता पर हैरत होती है । मैक्स वेबर जैसे आधुनिक समाजशास्त्री ने म्यूनिख विश्वविद्यालय में अपने प्रसिद्ध व्याख्यान पॉलिटिक्स एज ए वोकेशन में कहा था कि राजनीति और नैतिकता के संबंध पर संपूर्ण विश्व साहित्य में उपनिषद जैसा व्यवस्थित चिंतन स्रोत नहीं है ।

🚩आज यदि डॉ. भीमराव आंबेडकर होते तो उन्होंने भी माथा ठोक लिया होता । ध्यान रहे कि मूल संविधान के सभी अध्यायों की चित्र-सज्जा रामायण और महाभारत के विविध प्रसंगों से की गई थी । ठीक उन्हीं विषयों की पृष्ठभूमि में, जिन पर संविधान के विविध अध्याय लिखे गए । उस मूल संविधान पर संविधान सभा के 284 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं । दिल्ली के तीन-मूर्ति पुस्तकालय में उसे देखा जा सकता है । उपनिषद जैसे विशुद्ध ज्ञान-ग्रंथ तो छोड़िए, धर्म-ग्रंथ कहे जाने वाले रामायण और महाभारत को भी संविधान निर्माताओं ने त्याज्य या संदर्भहीन नहीं समझा था । उनके उपयोग से कराई गई सज्जा का आशय ही इन ग्रंथों को अपना आदर्श मानना था ।
🚩संविधान के भाग-3 यानी सबसे महत्वपूर्ण समझे जाने वाले मूल अधिकार वाले अध्याय की सज्जा भगवान राम, सीता और लक्ष्मण से की गई है । अगले महत्वपूर्ण अध्याय भाग-4 की सज्जा में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश दिए जाने का दृश्य है । यहां तक कि संविधान के भाग-5 की सज्जा ठीक उपनिषद के दृश्य से की गई है जिसमें ऋषि के पास शिष्य बैठकर ज्ञान ग्रहण करते दिख रहे हैं । यह सब महज सजावटी चित्र नहीं थे, बल्कि उन अध्यायों की मूल भावना (मोटिफ) के रूप में सोच-समझ कर दिए गए थे । इस पर कभी कोई मतभेद नहीं रहा ।
🚩शायद आज हमारे न्यायविदों को भी इस तथ्य की जानकारी नहीं है कि मूल संविधान हिंदू धर्मग्रंथों के मोटिफ से सजाया गया था । इसे उस समय के महान चित्रकार नंदलाल बोस ने बनाया था, जिन्होंने कविगुरु रबींद्रनाथ टैगोर से शिक्षा पाई थी । लगता है कि बहुतेरे वकील भी यह नहीं जानते कि संविधान की मूल प्रस्तावना में सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द नहीं थे । इन्हें इंदिरा गांधी की ओर से थोपे गए आपातकाल के दौरान छल-बल पूर्वक घुसा दिया गया था ।
🚩हमारे अज्ञान का जैसा विकास हो रहा है, उसे देखते हुए  हैरत नहीं कि मूल संविधान की उस सज्जा पर भी आपत्ति सुनने को मिले और उस पर न्यायालय विचार करता दिखे । ऐसे तर्क दिए जा सकते हैं कि एक सेक्युलर संविधान में हिंदू धर्म-ग्रंथों का मोटिफ क्यों बने रहना चाहिए ? उन सबको हटाकर संविधान को सभी धर्म के नागरिकों के लिए सम-दर्शनीय किस्म की कानूनी किताब बना देना चाहिए । आखिर, जब उपनिषद को ही आपत्तिजनक माना जा रहा है तब राम और कृष्ण तो हिंदुओं के साक्षात् भगवान ही हैं । ऐसी स्थिति में संविधान में उनका चित्र होना सेक्युलरिज्म के आदर्श के लिए निहायत नाराजगी की बात हो सकती है । यह संपूर्ण प्रसंग हमारी भयंकर शैक्षिक दुर्गति को दिखाता है । स्कूल-कॉलेजों से लेकर विश्वविद्यालयों तक की शिक्षा में हमारी महान ज्ञान-परंपरा को बाहर रखने से ही यह स्थिति बनी है । हमारे बड़े-बड़े लोग भी भारत की विश्व प्रसिद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित तक नहीं हैं । उपनिषद जैसे शुद्ध ज्ञान-ग्रंथ को मजहबी मानना अज्ञानता को दिखाता है । जबकि रामायण को भी मजहबी नहीं, वैश्विक सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है । तभी इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देश रामलीला का नाट्य राष्ट्रीय उत्साह से करते हैं ।
🚩अभी जो स्थिति है उसमें संविधान पीठ इस आपत्ति को संभवत: खारिज कर देगी । इस पर देश-विदेश में होने वाली कड़ी प्रतिक्रियाओं से उन्हें समझ में आ जाएगा कि उन्होंने किस चीज पर हाथ डाला है । पर यह अपने आप में कोई संतोष की बात नहीं । यदि हमारी दुर्गति यह हो गई कि हमारे एलीट अपनी महान ज्ञान-परंपरा से ही नहीं, बल्कि अपने हालिया संविधान की भावना तक से लापरवाह हो गए हैं तो हमारी दिशा निश्चित रूप से गिरावट की ओर ही है । तब यह केवल समय की बात है कि संविधान, कानून और शिक्षा को और भी गिरा डाला जाएगा ।
🚩भारत में यहां के मूल धर्म-ज्ञान-संस्कृति परंपरा के विरोध का मूल कारण हिंदू-विरोध में है । इस प्रसंग को राष्ट्रवादी जितना ही भुला दें, उन्हें समझना चाहिए कि सदैव अपनी पार्टी, चुनाव और सत्ता के मद में डूबे रहने से भारतीय धर्म-संस्कृति और शिक्षा की कितनी गंभीर हानि होती गई है । उन्हें इसकी कभी परवाह नहीं रही । आज जो सरकारी स्कूलों में उपनिषद पढ़ाने पर आपत्ति कर रहे हैं, कल को वे रामायण, महाभारत और उपनिषद को सरकारी पुस्तकालयों से भी हटाने की मांग करने लगें तो हैरत नहीं । इस दुर्गति तक पहुंचनेे में हमारे सभी दलों का समान योगदान है । उनका भी जिन्होंने अज्ञान और वोट-बैंक के लालच में हिंदू-विरोधियों की मांगों को दिनोंदिन स्वीकार करते हुए संविधान तथा शिक्षा को हिंदू-विरोधी दिशा दी । साथ ही उनका भी जिन्होंने उतने ही अज्ञान और भयवश उसे चुपचाप स्वीकार किया । केवल सत्ताधारी को हटाकर स्वयं सत्ताधारी बनने की जुगत में लगे रहे । यही करते हुए पिछले छह-सात दशक बीते हैं, और हमारी शिक्षा-संस्कृति, कानून और राजनीति की दुर्गति होती गई है । केवल देश के आर्थिक विकास पर सारा ध्यान रखते हुए तमाम बौद्धिक विमर्श ने भी वही वामपंथी अंदाज अपनाए रखा ।
🚩इसी का लाभ उठाते हुए हिंदू-विरोधी मतवादों ने स्वतंत्र भारत में धीरे-धीरे सांस्कृतिक, शैक्षिक, वैचारिक क्षेत्र पर चतुराई पूर्वक अपना शिकंजा कसा । उन्होंने कभी गरीबी, विकास, बेरोजगारी, जैसे मुद्दों की परवाह नहीं की । अनुभवी और दूरदर्शी होने के कारण उन्होंने सदैव बुनियादी विषयों पर ध्यान रखा । यही कारण है कि आज भारत का मध्यवर्ग दिनोंदिन अपने से ही दूर होता जा रहा है । इसी को विकास व उन्नति मान रहा है। केवल समय की बात होगी कि विशाल ग्रामीण, कस्बाई समाज भी उन जैसा हो जाएगा, क्योंकि जिधर बड़े लोग जाएं, पथ वही होता है । जिन्हें इस पर चिंता हो उन्हें इसे दलीय नहीं, राष्ट्रीय विषय समझना चाहिए । तदनुरूप विचार करना चाहिए । अन्यथा वे इसके समाधान का मार्ग कभी नहीं खोज पाएंगे । दलीय पक्षधरता का दुष्चक्र उन्हें अंतत: दुर्गति दिशा को ही स्वीकार करने पर विवश करता रहेगा । जो अब तक होता रहा है और जिसका दुष्परिणाम यह दु:खद प्रसंग है। - डॉ. शंकर शरण
🚩केंद्रीय विद्यालयों में जो बच्चें प्रार्थना करते है वे केवल हिंदूओ के लिए ही नहीं बल्कि सभी मनुष्यों के लिए परम् हितकारी है ।
प्रार्थना है...
असतो मा सदगमय ॥
तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
इसका हिन्दू में अर्थ है कि
हे प्रभु! हमें असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥
अब ऐसा कौन मनुष्य होगा जो सत्य की तरफ, प्रकाश की तरफ ओर अमरता की तरफ नहीं जाना चाहता होगा ? फिर भी इन्हें इस संस्कृत प्रार्थना में हिन्दू धर्म का प्रचार दिखता है !
🚩ईसाइयों के कॉन्वेंट स्कूलों में जो उनकी की प्रार्थना करवाई जाती है उसपर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है बस हिन्दू धर्म को नष्ट करने के सपने देखते रहते हैं ।
भारत को आजादी धर्म के बँटवारे से मिली है परन्तु आज यह लगता है भारत में हिन्दूओं को अभी आजादी  नहीं मिली है ।
🚩अपनी संस्कृति पर हो रहे कुठाराघात को रोकने के लिए हिंदुस्तानियों को संगठित होकर आवाज उठानी चाहिए ।
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Saturday, February 2, 2019

300 पादरियों ने बच्चों का किया यौन शोषण, मीडिया, बुद्धिजीवियों ने साधा मौन

2 फरवरी  2019

*🚩ईसाई पादरी धर्मगुरु बनकर छोटे-छोटे बच्चों के साथ बलात्कार करना, दारू पीना, मांस खाना, धर्म का पैसा बिजनेस में लगाना, लोगों का शोषण करना, कानून का पालन न करना, समाज उत्थान कार्य के नाम पर भोले-भाले हिन्दुओं का धर्मांतरण करवाना ये सारी चीजें कहाँ तक उचित हैं ?*

*🚩अभी हाल ही में अमेरिका के पेन्सिलवेनिया से एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा जा रहा है कि एक कैथोलिक चर्च में पादरियों ने 1,000 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया है ।*
*🚩अमेरिका के पेन्सिलवेनिया राज्य के बाद अब टेक्सास में भी बच्चों के यौन उत्पीड़न मामलों में 300 पादरी निशाने पर आ गए हैं । बड़ी बात यह है कि इन पादरियों की पहचान टेक्सास के 15 कैथोलिक डायोसिस ने की है । इन डायोसिस ने गुरुवार को पादरियों के नाम ऑनलाइन उजागर किए । अमेरिका में कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष कार्डिनल डेनियल डिनार्डो ने बताया दुष्कर्म के आरोपी कई पादरियों की जांच 1950 से चल रही है । कई अरोपियों की मौत हो चुकी है । बता दें कि टेक्सास में 85 लाख कैथोलिक हैं । ये टेक्सास की आबादी का 30 फीसदी हैं । अगस्त में पेन्सिलवेनिया में 300 पादरियों पर बच्चों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था । इसके बाद से अमेरिकी राज्यों के प्रशासन ने चर्चों में जांच में तेजी लाई थी ।*

*🚩पेन्सिलवेनिया में भी 300 पादरियों पर बच्चों के यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं:-*

*पिछले साल अगस्त में भी अमेरिका के पेन्सिलवेनिया प्रांत में 300 पादरियों पर बच्चों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था । पेन्सिलवेनिया के अटार्नी जनरल जोश शापिरो ने दो साल की जांच के बाद 1400 पेज की रिपोर्ट तैयार की थी । इसमें पादरियों के नाम थे । बच्चों के यौन उत्पीड़न के ये मामले पिछले 70 साल के हैं ।*

*🚩बिशप काॅन्फ्रेंस के अध्यक्ष बोले-पीड़ितों का दुख बांटना चाहते हैं :-*

*अमेरिका में कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष कार्डिनल डेनियल डिनार्डो ने कहा है कि बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वाले पादरियों की कई लोगों ने मदद की है । कई लोगों ने दोषी पादरियों का बचाव किया । ऐसे सभी लोगों के नाम भी सामने लाए जाएंगे । टेक्सास के कई बिशप ने मिलकर दोषी पादरियों के नाम उजागर करने का फैसला किया था । दोषी लोगों के नाम सामने लाकर पीड़ितों को न्याय दिलाने का यह प्रयास है । उम्मीद है इससे हम पीड़ितों का दुख बांट सकेंगे । अफसोस है कि इतने साल से बच्चों पर अत्याचार हो रहा था, लेकिन दोषी सजा से बचते रहे ।*

*🚩भारत में दो साल में पादरियों पर यौन उत्पीड़न के तीन बड़े मामले सामने आए:-*

*भारत में पिछले साल जुलाई में केरल के चर्च के चार पादरियों पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। अगस्त में पंजाब के जालंधर के चर्च के बिशप पर भी एक नन ने 14 बार दुष्कर्म का आरोप लगाया। 2017 में पटना में एक पादरी को दो महिलाओं से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। स्त्रोत : भास्कर*

*🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मों की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है ।*

*सेक्युलर, बुद्धजीवी और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों पर षड्यंत्र के तहत कोई आरोप भी लगा दे तो खूब बदनाम करते हैं, परंतु ईसाई पादरीयों के कुकर्मों पर चुप रहते हैं क्योंकि उन्हें वेटिकन सिटी से भारी फंडिंग मिलती है ।*

*🚩कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने #पादरियों और #ननों का #चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय #वासना से भरी थी ।*

*🚩आइये जानें इस बारे में विदेशी सुप्रसिद्ध हस्तियों के उद्गार-*

*🚩मैं ईसाई #धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और #चांडाल का पंथ है । - फिलॉसफर नित्शे*

*🚩दुनिया की सबसे बड़ी बुराई है रोमन कैथोलिक चर्च ।  - एच.जी.वेल्स*

*🚩मैंने पचास और साठ वर्षों के बीच बाईबल का अध्ययन किया तो तब मैंने यह समझा कि यह किसी पागल का प्रलाप मात्र है । - थामस जैफरसन (अमेरिका के तीसरे राष्ट्र पति)*

*🚩बाईबल पुराने और दकियानूसी अंधविश्वासों का एक बंडल है । बाईबल को धरती में गाड़ देना चाहिए और प्रार्थना पुस्तक को जला देना चाहिए । - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ*

*🚩मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बड़े धर्मो का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है । - डॉ. एनी बेसेन्ट*

*🚩हिंदुस्तानी ऐसे ईसाई पादरियों और उनका बचाव करने वाली मीडिया और सेक्युलर, बुद्धजीवियों से सावधान रहें  ।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻


 🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk


🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

 🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

 🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

 🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, February 1, 2019

मीडिया की खुली धमकी, कहा भारतीय संस्कृति के त्यौहार मनाना बंद करें

1 फरवरी  2019
www.azaadbharat.org
🚩भारत में अंग्रेजों ने कूटनीति करके भारतीय संस्कृति के पवित्र त्यौहारों और धर्मशास्त्रों के प्रति जो हिंदुओं की आस्था थी, उस पर पूरे ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कुठाराघात किया गया था । हमारे हर त्यौहार का अंग्रेज विरोध करते थे और उनके बिना सिर पैर के त्यौहार भारतीयों को मनाने मजबूर करते थे ।
🚩अब हालात ये हैं कि अंग्रेज तो चले गए लेकिन भारत में फिर ईसाई मिशनरी सक्रिय हुई और वे भी हमारे त्यौहार बंद कराने के पीछे पड़ गई । मिशनरियों का भी उद्देश्य था कि भारतीय संस्कृति को तोड़कर पाश्चात्य संस्कृति लाई जाए इसलिए उन्होंने एक सोची समझी साजिश के तहत भारत में वैलेंटाइन्स डे का मीडिया द्वारा खूब प्रचार-प्रसार करवाया ।

🚩14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे के मनाने की परंपरा जो बनाई है, उससे हर देश की युवा पीढ़ी को भारी नुकसान हुआ है । उनका भयंकर पतन हुआ है, वे शारीरिक मानसिक बीमार बनने लगे, वैसे किसी भी देश के युवा राष्ट्र की नींव होते हैं, वे यदि इस प्रकार से गुमराह होंगे तो देश कमजोर बनेगा यही उद्देश्य अंग्रेजों और मिशनरियों का था । अब हर देश का मीडिया तंत्र और सरकारी तंत्र देश की युवा पीढ़ी को कैसा बनाना चाहता है, यह उन पर निर्भर करता है ।
🚩भारत में जब यह (वैलेंटाइन डे की) विकृत परम्परा आयी तब आपको याद होगा कि कईं फिल्मों में 'वैलेंटाइन डे' मनाने की प्रेरणा देने वाले गाने और अभिनय फिल्माए गए थे । अब तो और भी ज्यादा बड़े पैमाने पर बच्चों को "वैलेंटाइन डे' जैसी विकृत परम्परा को मनाने की प्रेरणा मीडिया हाउस द्वारा दी जाती है । लेकिन किसी ने भी भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों को समाज में स्थापित करने वाली फिल्में एवं नाटक बनाने में रुचि  नहीं दिखाई । इसका कारण साफ़ है, किसी को समाज के प्रति कोई उत्तरदायित्व महसूस ही नहीं होता,उन्हें तो बस पैसे और टी. आर. पी. से मतलब है । इन सबके द्वारा भारत की युवा पीढ़ी के मन में 'वैलेंटाइन डे' जैसी विकृति को मनाने के संस्कार डाले गए थे ।
🚩किसी भी मीडिया ग्रुप ने वेलेंटाइन डे का विरोध नहीं किया इससे प्रश्न उठता है कि आख़िर मीडिया हाउस को भारत की महान संस्कृति और भारत के दिव्य त्यौहारों में ही ऐसी क्या कमी लग रही थी जिससे मीडिया ने भारतीय संस्कृति को लज्जित करने वाला 'वैलेंटाइन-डे' मनाने के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित किया??? यह प्रेम दिवस तो हो ही नहीं सकता जिसमें सिर्फ़ शरीर की प्राथमिकता से ही एक-दूसरे को चुना जाता हो । शारीरिक और मानसिक तौर पर दुर्बल बना दे । और कोई भी माता-पिता नहीं चाहते कि हमारे बच्चे हमें छोड़कर किसी के चंगुल में फंसकर आवारा बनकर अपने उम्र और अधिकार के विपरीत कार्य करें ।
🚩इस प्रकार की विकृत परम्परा से जो समाज का नुकसान हो रहा था, भारत की युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही थी, कुवारी कन्याएं गर्भवती होने लगीं,  भारत का धन विदेशी कम्पनियां लेकर जाने लगी उसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया, अगर देश की इस बर्बादी पर किसी ने ध्यान दिया तो वे हैं हिन्दू संत आशारामजी बापू । उन्होंने समाज की दुर्दशा देखकर 2006 में हर वर्ष 14 फ़रवरी को 'वैलेंटाइन डे' ना मनाकर 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' मनाने का विकल्प दिया और 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' को प्रैक्टिकली समाज के बीच में अमल भी करवाया । इससे भारत की युवा पीढ़ी बर्बाद होने से बचने लगी, कुँवारी कन्याएं गर्भवती बनने से बचने लगी, माता-पिता का आदर होने लगा, भारत का धन विदेश में जाने से रुक गया, कितनों के घर उजड़ने से बचने लगे इससे प्रभावित होकर भारत की कईं राज्य सरकारें भी प्रभावित हुईं और छत्तीसगढ़ सरकार ने तो 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' को काफ़ी समर्थन दिया एवं राज्य में हर वर्ष 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का आदेश जारी किया ।
🚩छिंदवाड़ा (म.प्र) के कलेक्टर ने भी यही आदेश दिया था कि पूरे छिंदवाड़ा में मातृ-पितृ पूजन मनाया जाए और बड़े बड़े नेता, अभिनेता, साधु-संत, प्रसिद्ध हस्तियां भी इस पर्व को सपोट करने लगी ।
     
🚩एक सराहनीय कार्य हाल ही में वर्तमान में गुजरात सरकार के माननीय शिक्षा मंत्री ने किया है और हिन्दू संत आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित "मातृ-पितृ पूजन दिवस" के आव्हान के लिए सन्त आशारामजी बापू की संस्था को बधाई दी है ।
देश में "वैलेंटाइन डे" जैसे विकृत त्यौहार को मनाने की जगह हमारे युवक-युवतियाँ भारत की महान संस्कृति के अनुसार अपना जीवन बनायेंगे तो इससे वे स्वस्थ भी रहेंगे और अपने परिवार, समाज, देश तथा संस्कृति की सेवा भी ठीक से कर पायेंगे ।
🚩लेकिन मीडिया को विदेश से वैलेंटाईन डे को प्रमोट करने के लिए भारी मात्रा में फंडिग मिल रही है इसके कारण वे उस दिन मातृ-पितृ पूजन दिवस का विरोध कर रही है और उसका कोई समर्थन करता है तो उसके खिलाफ मुहिम चला रही है, मीडिया का कहना है कि आपने भारतीय त्यौहार मनाया तो हम उसका विरोध करेंगे ।
🚩मीडिया की विकृत मानसिकता तो देखिए जैसे कि होली नहीं खेलो पानी का बिगाड़ होता है, दिवाली नहीं मनाओ प्रदूषण होता है, दहीहांडी नहीं मनाओ इससे चोट लगती है, शिवरात्रि नहीं मनाओ इससे दूध का बिगाड़ होता है ये दूध गरीबो में बाँटो लेकिन मीडिया न्यू ईयर का प्रदूषण नहीं बतायेगी, फिल्मों में पैसे खर्च करते है उसके बारे में नहीं बतायेगी, चॉकलेट से दांत और पेट खराब होता ये नहीं बतायेगी क्योंकि इन चीजों को प्रमोट करने के लिए उन्हें पैसे मिलते हैं ।
🚩अभी वर्तमान में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस का विरोध कर रही है, बोलती है वैलेंटाईन डे मनाओ जिससे विदेशी कंपनियों के प्रोडक्ट बीके और देश की युवा पीढ़ी बर्बाद हो जाए , माता-पिता का पूजन करोगे तो हम आपके खिलाफ मुहिम चलायेंगे, बदनाम करेंगे आपको मूर्ख बतायेंगे जिससे आप माता-पिता का पूजन छोड़कर वैलेंटाईन डे मनाने लग जाएं ।
🚩भारतवासी आप सतर्क रहें कुछ मीडिया चैनल भारतीय संस्कृति को तोड़कर फिर से देश को गुलाम बनाने में सहयोग कर रही हैं इसका विरोध करें और विदेशी त्यौहार मनाना बंद करके भारतीय त्यौहार जरूर मनाएं ।
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ