Thursday, February 24, 2022

हिंदू ग्रंथ महान हैं, पढ़ने से मिलती है शांति : अमेरिका की स्वर्ण पदक विजेता मिसी

13 जुलाई 2021

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हिंदू धर्म सनातन धर्म है जबसे सृष्टि का उद्गम हुआ है तबसे यह धर्म चला आ रहा है, बाकी ईसाई धर्म 2021 और मुस्लिम धर्म करीब 1500 साल पुराना है। बड़ी बात तो ये है कि ईसाई धर्म की स्थापना यीशु ने तथा मुस्लिम धर्म की स्थापना मोहम्मद पैंगबर ने की, लेकिन हिन्दू धर्म की स्थापना किसी ने नहीं की अनादि काल से चली आ रही है और हिन्दू धर्म में ही भगवान व ऋषि-मुनियों के अवतार हुए हैं किसी अन्य धर्म में नहीं हुए हैं। जब-जब अधर्म बढ़ जाता है तब समाज को मार्गदर्शन देने के लिए स्वयं भगवान ही धरा पर अवतार लेते हैं।



सनातन हिन्दू धर्म की महिमा समझकर विदेशी लोग भी हिंदू धर्म के अनुसार आचरण करने लगे हैं।


हिन्दू धर्म की महानता भले ही भारतीय या हिन्दू न समझें परंतु ऐसे कई विदेशी लोग हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म की महानता को न केवल समझा अपितु अनुभव भी किया है।


बता दें कि लंदन ओलंपिक में पांच स्वर्ण पदक जीतने वालीं करिश्माई तैराक मिसी फ्रेंकलिन ने कहा कि "उन्हें हिन्दू ग्रंथों को पढ़ने से मानसिक शांति मिलती है।" अमेरिका की 23 वर्षीय तैराक ने पिछले वर्ष दिसंबर में संन्यास की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। कंधे के दर्द से परेशान इस तैराक ने संन्यास के बाद मनोरंजन के लिए योग करना शुरू किया।


हिन्दू धर्म के बारे में जानने के बाद उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ। वह जार्जिया विश्वविद्यालय में धर्म में पढ़ाई कर रही हैं। फ्रेंकलिन ने लॉरेस विश्व खेल पुरस्कार से इतर कहा कि "मैं पिछले एक साल से धर्म की पढ़ाई कर रही हूं। यह काफी आकर्षक और आंखें खोलने वाला है। मुझे विभिन्न संस्कृतियों, लोगों और उनकी धार्मिक मान्यताओं के बारे में पढ़ना पसंद है। मेरा अपना धर्म ईसाई है लेकिन मेरी दिलचस्पी हिन्दू धर्म में ज्यादा है।"


य ऐसा धर्म हैं जिसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता था, लेकिन उसके बारे में पढ़ने के बाद लगा कि ये शानदार है। तैराकी में सफल फ्रेंकलिन पढ़ाई में भी काफी अच्छी हैं। वह हिन्दू धर्म के बारे में काफी कुछ जानती हैं । वह रामायण और महाभारत की ओर आकर्षित हैं और अपरिचित नामों के बाद भी दोनों महाग्रंथों को पढ़ रही हैं।


उन्होंने कहा कि मुझे उसके मिथक और कहानियां अविश्वसनीय लगती हैं । उनके भगवान के बारे में जानना भी शानदार है । महाभारत और रामायण पढ़ने का अनुभव कमाल का है। महाभारत में परिवारों के नाम से मैं भ्रमित हो जाती हूं, लेकिन रामायण में राम और सीता के बारे में जो पढ़ा वह मुझे याद है ।

स्त्रोत : अमर उजाला


पहले भी कई विदेशी विद्वान और अन्य हस्तियां हिन्दू धर्म को महान बता चुके हैं और बाद में हिन्दू धर्म भी अपना लिया है।


हिन्दुत्व एक व्यवस्था है मानव से महामानव और महामानव से महेश्वर बनाने की । यह द्विपादपशु सदृश उच्छृंखल व्यक्ति को देवता बनाने वाली एक महान परम्परा है । 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का उद्घोष केवल इसी संस्कृति के द्वारा किया गया है..


विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता भारत में ही मिली है । संसार का सबसे पुराना इतिहास भी यहीं पर उपलब्ध है । हमारे ऋषियों ने उच्छृंखल यूरोपियों के जंगली पूर्वजों को मनुष्यत्व एवं सामाजिक परिवेश प्रदान किया, इस बात के लाखों ऐतिहासिक प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं।


यनान के प्राचीन इतिहास का दावा है कि भारतवासी वहाँ जाकर बसे तथा वहाँ उन्होंने विद्या का खूब प्रचार किया । यूनान के विश्वप्रसिद्ध दर्शनशास्त्र का मूल भारतीय वेदान्त दर्शन ही हैं।


समुअल जानसन के अनुसारः 'हिन्दू लोग धार्मिक, प्रसन्नचित्त, न्यायप्रिय, सत्यभाषी, दयालु, कृतज्ञ, ईश्वरभक्त तथा भावनाशील होते हैं । ये विशेषताएँ उन्हें सांस्कृतिक विरासत के रूप में मिली हैं।


हिंदू संस्कृति के प्रति विश्वभर के महान विद्वानों की अगाध श्रद्धा अकारण नहीं हो सकती। इस संस्कृति की उस आदर्श आचार संहिता ने समस्त वसुधा को आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।


🚩विद्वान अल्दू हक्सले बताया है कि "हिन्दुत्व सदा बहने वाला (बारहमासी) दर्शन है जो कि सभी धर्मों का केन्द्र है।"


डॉ. एनी बेसेन्ट ने कहा है कि मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बड़े धर्मों का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है।


जो इस महान हिन्दू धर्म को नहीं समझ पाया वे मनुष्य कहलाने के लायक भी नहीं है । हिन्दू धर्म ही वास्तव में मनुष्य से महेश्वर तक पहुँचा सकती है, जीव से शिव बना सकती है । अतः इसकी महिमा समझें पालन करें, प्रचार करें और रक्षण करें।


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कम्युनिस्टों का केरल मॉडल: लव जिहाद, चर्च में शोषण, महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक

12 जुलाई 2021

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दश में वामपंथियों का बचा एकमात्र गढ़ केरल, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते खतरे को लेकर चर्चा में है। ट्विटर पर #JusticeforKeralagirls ट्रेंड कर रहा है। लोग एक 6 साल की बच्ची के साथ हुई बर्बरता से आहत हैं और वे अपनी बच्चियों को, घर की महिलाओं को वामपंथ के घोले जहर और इस्लामी कट्टरता से बचाना चाहते हैं।



पिछले दिनों वेंदीपेरियार में एक 6 साल की मासूम की रेप के बाद हत्या कर दी गई। मामला खुला तो वर्तमान विधायक उसकी पोस्टमॉर्टम का विरोध करने लगे। तमाम अवरोध के बाद जब जाँच आगे बढ़ी तो पता चला घिनौने काम को अंजाम देनेवाला कोई और नहीं, बल्कि माकपा का ही कार्यकर्ता था जिसने बच्ची का शोषण किया और बाद में उसे नारकीय प्रताड़ना देते हुए मारा। आज उसी बच्ची के साथ हुई निर्ममता का गुस्सा था कि ग्रामीणों ने पुलिस से भिड़कर आरोपित को पीटा।


यह हालिया घटना केवल एक मामला नहीं है जिसके आधार पर लोग वामपंथ के केरल मॉडल को कोस रहे हैं। इंटरनेट पर यदि सर्च करने जाएँ तो ऐसे तमाम मामले हैं जिनसे स्पष्ट है कि राज्य में महिलाएँ कई तरह के खतरों से जूझ रही हैं। केरल पुलिस की आधिकारिक साईट के अनुसार मई 2021 तक राज्य में 886 रेप के मामले, 1437 मोलेस्टेशन के केस, किडनैपिंग के 75, छेड़छाड़ के 149, घरेलू हिंसा के 1159, और अन्य अपराधों की सूची में 1502 मामले दर्ज हुए थे। कुल मिलाकर केवल 2021 के शुरुआती 5 महीनों में दर्ज हुए अपराधों की संख्या 5208 है। पिछले साल केरल में महिलाओं के ख़़िलाफ़ हुए अपराधों के 12,659 मामले प्रकाश में आए थे।


भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा है, “सीपीआईएम के केरल मॉडल ने महिलाओं और लड़कियों के लिए राज्य को असुरक्षित कर दिया है। संख्या आप को चौंका देगी।” उनके अनुसार वामपंथ के केरल मॉडल में दलित महिलाओं को निशाना बनाना आसान है।


बता दें कि 6 वर्ष की बच्ची के साथ हुआ दुष्कर्म पहला ऐसा मामला नहीं है जहाँ माकपा के कार्यकर्ता आरोपित मिले हों। अभी पिछले महीने ही केरल के कोझीकोड जिले में पुलिस ने सीपीएम के दो नेताओं के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया था। आरोप लगानेवाली महिला पार्टी की ब्रांच कमिटी मेंबर थी। इस मामले में पहले आरोपित की पहचान पुलुल्ला परमबथ बाबुराज, सीपीएम मुल्लियेरी ब्रांच के सचिव के तौर पर हुई थी, जबकि दूसरा आरोपित टीपी लिजीश पार्टी के यूथ विंग डीवाईएफआई (DYFI) का पथियाराक्कारा क्षेत्र का सचिव था। 

इसके अलावा साल 2019 में सत्तारूढ़ मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा/CPM) नेता कोदियेरी बालाकृष्णन के बड़े बेटे बिनॉय कोदियेरी के खिलाफ मुंबई की एक महिला ने बलात्कार का मामला दर्ज किया था। इसी तरह उसी साल एक 20 साल की लड़की ने बताया था कि केरल के पलक्कड़ जिले में माकपा के क्षेत्रीय समिति कार्यालय में उसके साथ बलात्कार किया गया था।


केरल से रिपोर्ट होनेवाले ऐसे रेप, शोषण और अत्याचार के मामलों की सूची बहुत लंबी है। सिर्फ सीपीएम सदस्य ही नहीं बल्कि केरल से चर्च में महिलाओं के साथ शोषण के मामले लगातार आते रहे हैं। लव जिहाद की घटनाएं भी धड़ल्ले से हो रही हैं। केरल के पूर्व कॉन्ग्रेसी नेता पीसी जॉर्ज का दावा है कि अकेले उनके निर्वाचन क्षेत्र में 47 लड़कियाँ लव जिहाद की शिकार हुईं थीं। वलसाड जिले के भाजपा उपाध्यक्ष विवेक राय का कहना है कि केरल में 5 माह में 1513 रेप की घटनाएँ हुई हैं और 15 बच्चों ने अपनी जान गँवाई है।

https://twitter.com/OpIndia_in/status/1414519371926491136?s=19


दनियाभर में कम्युनिस्ट राज-सत्ताएं तानाशाही, असहिष्णुता और हिंसा का पर्याय रही हैं। पर भारतीय वामपंथी आज भी उसी व्यवस्था के लिए आहें भरते हैं, जिसने रूस, चीन, पूर्वी यूरोप के अनेक देशों को तबाह किया। साथ ही, हर कहीं आर्थिक जर्जरता भी लाई। उन्हीं नीतियों की नकल में यहां भी नेहरूवादी-वामपंथी नीतियों ने अर्थव्यवस्था, राज्यतंत्र और शिक्षा को बेहिसाब नुकसान पहुंचाया है। यह अब भी जारी है। भारत को भी सबसे ज्यादा खतरा इन वामपंथियों से है, सभी देशवासी इनसे सावधान रहें।


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अमेरिकी लैब : आयोडीन नमक से कैंसर होता है ! सेंधा नमक के है अद्भुत फायदे

11 जुलाई 2021

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भारत में 1930 से पहले कोई भी व्यक्ति समुद्री नमक नहीं खाता था सिर्फ सेंधा नमक ही खाते थे, लेकिन विदेशी कंपनियां अपने फायदे के लिए भारत में नमक के व्यापार में आज़ादी के पहले से उतरी हुई है। उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी शासन द्वारा भारत की भोली जनता को आयोडीन मिलाकर समुद्री नमक खिलाना शुरू किया ।



विदेशी कंपनियों को नमक बेचकर बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने मे 1 से 2 रूपये किलो मे बिकता था । उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 10 रूपये प्रति किलो और आज तो 20-30 रूपये को भी पार कर गया है।


सत्रों के अनुसार दुनिया के 56 देशों ने आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बेन कर दिया है। डेन्मार्क की सरकार ने तो 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया। उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक लोगो को खिलाया !(1940 से 1956 तक ) पर अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनो मे जब भारत देश मे ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ तो देश के स्वार्थी नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता । पर कुछ समय पूर्व कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।


अमेरिकी लैब का खुलासा-


भारत में बिकने वाले ‘आयोडीन नमक’ पर अमेरिका स्थित एक लैब ने चौंकाने वाला खुलासा किया है । लैब ने अपनी जांच में पाया है कि भारत में बिकने वाले टॉप ब्रैंड्स के आयोडीन नमक में कार्सिनोजेनिक घटक मौजूद है । अमेरिकन वेस्ट एनालिटिकल लैबोरेटरीज ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया।


रिपोर्ट में सांभर रिफाइंड नमक, टाटा नमक, टाटा नमक लाइट जैसे उत्पादों को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है । गोधुम ग्रैन्स एंड फॉर्म्स प्रोडक्ट्स के चेयरमैन शिव शंकर गुप्ता ने इस रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए नमक बनाने वाली कंपनियों और सरकार को आड़े हाथों लिया है । उन्होंने कहा ‘भारत में बिक रहे आयोडीन नमक में पोटैशियम फेरोसायनाइड भारी मात्रा में पाया जाता है जो कि कैंसर का एक मुख्य कारण है।’


सेंधा नमक की उतप्ति-


एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt) । सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े-बड़े पहाड़ हैं, सुरंगे हैं । वहाँ से ये नमक आता है । ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में यह नमक सिंध, पश्चिमी पंजाब के सिन्धु नदी के साथ लगे हुए हिस्सों और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के कोहाट ज़िले से आया करता था जो अब पाकिस्तान में हैं । पश्चिमोत्तरी पंजाब में नमक कोह (यानि नमक पर्वत) नाम की मशहूर पहाड़ी श्रृंखला है जहाँ से यह नमक मिलता है । आजकल पीसा हुआ भी नमक मिलने लगा है ।


सेंधा नमक के फ़ायदे-


सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय (alkaline) है । क्षारीय चीज जब अम्ल में मिलती है तो वो न्यूट्रल(उदासीन) हो जाता है और रक्त से अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ।


य नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते हैं तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??


सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बड़ा जोखिम होता है । सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।


यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।


समुद्री नमक के भयंकर नुकसान-


ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है क्योंकि इसमें पहले से ही आयोडीन होता है । अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ पहले से नमक मे होता है । दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमें कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डालकर पूरे देश को बेच रही हैं । जिससे बहुत सी गंभीर बीमारियों का प्रवेश हमारे शरीर में हो रहा है । ये नमक मानव द्वारा फैक्ट्रीयों में निर्मित है।


आम तौर में उपयोग में लाये जाने वाले समुद्री नमक उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनते हैं । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ़ने से ये सब 48 रोग आते हैं । ये नमक पानी में कभी पूरी तरह नहीं घुलता, हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंततः किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।


य नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते हैं लेकिन बीमारियां निश्चित रूप से साथ मे मिल जाती हैं !


रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नहीं है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लॉकेज होने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गंठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक के कारण पानी की जरुरत ज्यादा होती है । 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है । यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।


पराचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।


आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आयोडीन होता है । बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरबी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। आयोडीन लद्दाख को छोड़ कर भारत के सभी स्थानों के जल में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है । अतः स्वास्थ्य के लिए आज से सेंधा नमक खाना शुरू करें।


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पादरी को ही आशाराम बापू ने बना दिया हिंदू, अब सनातन का प्रचार कर रहे हैं...

पादरी को ही आशाराम बापू ने बना दिया हिंदू, अब सनातन का प्रचार कर रहे हैं...

https://youtu.be/grA34VRIIt4


10 जुलाई 2021

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जहाँ जहाँ ईसाई मिशनरियां धर्मान्तरण करवा रही थीं, खास करके आदिवासी क्षेत्रों में वहाँ-वहाँ हिंदू संत आशाराम बापू ने जाकर लोगों को सनातन हिंदू धर्म की महिमा समझाई, उनको मकान, जीवन जरूरियात सामग्री, नकद राशि देना शुरू कर दिया और ईसाई मिशनरियों के षड़यंत्र से अवगत करवाया जिसके कारण लाखों हिंदुओं ने घरवापसी की और जो धर्मपरिवर्तन करनेवाले थे वे रुक गए। करोड़ों अरबों रुपये लगाकर ईसाई मिशनरियों के NGO's कार्य कर रहे थे उनके पैसे बर्बाद होने लगे क्योंकि आदिवासी समाज अपने हिंदू धर्म की महिमा समझ चुके थे इसलिए वे धर्मपरिवर्तन नहीं कर रहे थे। यहाँ तक कि धर्मपरिवर्तन करानेवाले पादरी ने भी आशारामजी बापू से हिंदू धर्म की महिमा सुनकर हिंदू धर्म अपना लिया।

https://youtu.be/zn2M6lJHTSU

https://youtu.be/4UxPuzV50Vg



ऐसे ही एक इंडोनेशिया के पादरी रॉबर्ट सोलोमन थे। वो चर्च के अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत धर्मपरिवर्तन करवाने का कार्य कर रहे थे लेकिन उन्होंने झारखंड में बापू आशारामजी का प्रवचन सुना और बाद में उन्होंने हिंदू धर्म का अध्ययन किया फिर उनको हिंदू धर्म की महिमा समझ में आई और उन्होंने बापू आशारामजी के कार्यक्रम में जाकर हिंदू धर्म अपना लिया और पादरी रॉबर्ट सोलोमन से बन गए डॉ. सुमन कुमार और आज वे खुद धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं और देश की रक्षा के लिए अपने प्राण देने को भी तैयार हुए हैं।

https://youtu.be/grA34VRIIt4


डॉ. सुमन ने क्या कहा अपने वक्तव्य में?


डॉ सुमन कुमार ने कहा कि मेरा पूर्व नाम रॉबर्ट सोलोमन था, वर्तमान नाम सुमन कुमार है। मैं मूल रूप से इंडोनेशिया (जकार्ता) का रहनेवाला था। पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन से करने के बाद 1987 तक चर्च के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत मैं काम कर रहा था। देश एवं विदेशों में मिशनरीज के कार्य में संलग्न था। भारतीय परंपरा, भारतीय दर्शन को ना मैं जानता था, ना मैं मानता था और ना ही सनातनी परंपरा को देखने-समझने का अवसर प्राप्त हुआ था। जाने अनजाने में जो हमसे बहुत बड़ी भूल हुई थी उस भूल को सुधारने के लिए पूजनीय बापूजी के श्री चरणों में आकर प्रायश्चित स्वरूप मैं सोलोमन से सुमन कुमार बनके हिंदू हित, हिंदू समाज, हिंदू दर्शन और हिंदू चिंतन को स्वीकार कर रहा हूं।


दशभक्ति ली लहर दौड़ रही है सुमन कुमार के भीतर


सुमन कुमार ने आह्वान किया- 

ओ भारत के वीर जवानों, मां का कर्ज चुका देना।

कटे-फटे इस मानचित्र को, अब भी ठीक बना देना।

पटना साहब से मिलने, ननकाना बेचैन खड़ा।

और अब के तिरंगा घुसकर, रावलपिंडी में फहरा देना।

अटक कटक से सिंधु नदी, सब कुछ हमको प्यारा है।

कश्मीर मत मांगो, पाकिस्तान हमारा है।

कोई चलता पद चिन्हों पर, कोई पद चिन्ह बनाता है।

है वही सूरमा इस जग में, दुनिया में पूजा जाता है।

ऐसे हमारे प्रातः स्मरणीय पूजनीय आसाराम बापूजी यहां विराजमान हैं। व्यक्ति को विचारों से, आचारों से, व्यवहारों से और संस्कारों से ढालने का प्रयत्न उनके माध्यम से करोड़ों लोगों तक यह संदेश पहुंचाया जा रहा है।

मैं नहीं तू ही तू ही जाकर, मौन तपस्वी साधक बनकर।।

हिमगिरि जैसे चुपचाप चले।।


आज़ादी के लिए क्या कहा?


मित्रों बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी।

बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी।

इसे हम खोने नहीं देंगे और देश में रह रहे गद्दारों को हम चैन से जीने नहीं देंगे।

हम चैन से जीने नहीं देंगे।

भारत हमारी मां है, भारत हमारी मां है।

माता का रूप है प्यारा।

करना इसकी रक्षा, यही कर्तव्य है हमारा।


आगे कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है, प्रायश्चित स्वरूप पूजनीय आसाराम बापूजी के श्री चरणों में आने का मौका मिला। हम जानते हैं कि बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी। आज जो आजादी हम को प्राप्त हुई है उस आजादी को हमें पूरा बनाए रखना है, बचाए रखना है, बरकरार रखना है और यही संस्कार पूजनीय बापूजी हमें देते हैं। दिस इज माय होली मदर लैंड। मैं तो कहता हूँ कि यह हमारे लिए पूजनीय वंदनीय प्रातः स्मरणीय भूमि है। हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए। छत्रपति शिवाजी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, विनायक सावरकर ने यह जो मार्ग हमको दर्शाए थे आज उन्हीं मार्गों को पुनः स्मरण करने की हमें आवश्यकता है। तो मित्रों मैं तो कहूंगा व्यक्ति को विचार, आचार, संस्कार से ढालने का जो पूजनीय बापूजी ने कार्य किया है, वो पूरी हिंदू सोसायटी के लिए किया है। इन हिन्दू सोसाइटी देअर आर मेनी स्कूल ऑफ आर्ट्स बट ओनली वन स्कूल ऑफ हार्ट। पूज्य बापूजी में वह ताकत है जो पूरे समाज को, पूरे विश्व को दिशा देने के लिए है और मैं तो कहता हूं कि भारतीय परंपरा और भारतीय चिंतन अब विश्व को मार्गदर्शन देने की स्थिति में है और इसलिए सनातनी परंपरां जो सनातनी सच है उस सच को हम समझें।


डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने बयान में कई बार बताया कि मेरे को एक बार फ्लाइट में आसाराम बापू मिले। उनसे मैंने बातचीत करते समय बताया कि आप जो धर्मांतरण रोकने का कार्य पुरजोश से कर रहे हैं इससे आपके ऊपर वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे लोग सोनिया गांधी को बोलकर आपको जेल भिजवाने की तैयारी में लगे हैं लेकिन बापू आशारामजी निश्चिंत थे। उन्होंने बोला कि भगवान जो करेगा अच्छा ही होगा। ये बात आसाराम बापू को जेल भेजने से पहले की है।

https://youtu.be/rwOJIG3YHEI


आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है जब उनका केस पढ़ते हैं तो वह पूरी तरह बोगस साबित होता है।

जिस समय आरोप लगानेवाली लड़की ने तथाकथित घटना बताई है वो उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी जिसकी कॉल डिटेल भी है और आशारामजी बापू एक कार्यक्रम में थे वहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे उन्होंने भी गवाही दी है और मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोंच तक नहीं आने की बात स्पष्ट लिखी है तथा एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नहीं है केवल छेड़छाड़ का आरोप है।

https://www.youtube.com/playlist?list=PLukTS7SXG2Yc5ubazrsi-uwmf6giCDFyB


आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फैक्स भी आया था उसमें साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो नहीं तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।

https://twitter.com/SanganiUday/status/1053870700585377792?s=19


बता दें कि उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश में 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शूरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोले, करोड़ों लोगो को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं।

https://youtu.be/wmswegtRqus

https://youtu.be/jZBu4ZSu-tE

https://youtu.be/LO7MWmLPz7w

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हाईकोर्ट ने भी माना कि देश में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है...

09 जुलाई 2021

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दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) की आवश्यकता का समर्थन किया है और केंद्र सरकार से इस मामले में जरूरी कदम उठाने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि आधुनिक भारतीय समाज धीरे-धीरे 'सजातीय' हो रहा है; धर्म, समुदाय और जाति की पारंपरिक बाधाएं खत्म हो रही हैं और इन बदलावों के मद्देनजर समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है।



समान नागरिक संहिता क्या है?


समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ एक धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है जो सभी धर्म के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है! दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है! यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है! देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून! यानी, ये एक तरह का निष्‍पक्ष कानून होगा! जब ये कानून बन जाएगा तो हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी को एक ही कानून का पालन करना होगा! यानी, मुस्लिम चार शादियां भी नहीं कर सकेंगे!


दर्भाग्यवश अधिकांश लोगों को इसकी चेतना नहीं। हालिया समय में संविधान के अनुच्छेद 25 से 31 की हिंदू-विरोधी व्याख्या स्थापित कर दी गई है। कई शैक्षिक, सांस्कृतिक, सामाजिक अधिकारों पर केवल गैर-हिंदुओं यानी अल्पसंख्यकों का एकाधिकार बना दिया गया है।


सरकार हिंदू शिक्षा संस्थानों और मंदिरों पर मनचाहा हस्तक्षेप करती है और अपनी शर्तें लादती है। वह ऐसा गैर-हिंदू संस्थाओं पर नहीं करती। इसी तरह अल्पसंख्यकों को संवैधानिक उपचार पाने का दोहरा अधिकार है, जो हिंदुओं को नहीं है। हिंदू केवल नागरिक रूप में न्यायालय से कुछ मांग सकते हैं, जबकि अन्य, नागरिक और अल्पसंख्यक, दोनों रूपों में संवैधानिक अधिकार रखते हैं। ऐसा अंधेर दुनिया के किसी लोकतंत्र में नहीं कि अल्पसंख्यक को ऐसे विशेषाधिकार हों जो बहुसंख्यक को न मिलें। यह हमारे संविधान निर्माताओं की कल्पना न थी।


1970 के आसपास कांग्रेस-कम्युनिस्ट दुरभिसंधि और हिंदू संगठनों के निद्रामग्न होने से संविधान के अनुच्छेद 25 से 31 को मनमाना अर्थ दिया जाने लगा। संविधान की उद्देशिका में जबरन "सेक्युलर" शब्द जोड़ने से लेकर दिनों-दिन विविध अल्पसंख्यक संस्थान, आयोग, मंत्रालय आदि बना-बना कर अधिकाधिक सरकारी संसाधन मोड़ने जैसे अन्यायपूर्ण कार्य होते गए। विडंबना यह कि इनमें कुछ कार्य स्वयं हिंदूवादी कहलानेवाले नेताओं ने किए। वे केवल सत्ता कार्यालय, भवन, कुर्सी आदि की चाह में रहे।


हिंदुओं को दूसरों के समान संवैधानिक अधिकार दिलाने की लड़ाई जरूरी है। इसमें दूसरे का कुछ नहीं छिनेगा। केवल हिंदुओं को भी वह मिलेगा, जो मुसलमानों, ईसाइयों को हासिल है। "संविधान दिवस" मनाने की अपील तो ठीक है, लेकिन यह समझा जाना चाहिए कि संविधान के अनुच्छेद 25 से 31 को देश के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू करना आवश्यक है। यह न केवल संविधान की मूल भावना के अनुरूप, बल्कि सहज न्याय है। हिंदुओं के हित की कुंजी अन्य धर्मावलंबियों जैसे समान अधिकार में है। स्वतंत्र भारत में हिंदू समाज का मान-सम्मान, क्षेत्र संकुचित होता गया है और यह प्रक्रिया चालू है।


भारत देश में मुस्लिमों के लिए अलग कानून है, हिन्दुओं के लिए अलग, ईसाईयों के लिए अलग कानून है। फिर देश में शांति और समन्वय कैसे कायम रह सकता है, जब अलग-अलग धर्म के लोग अपने अधिकारों में अंतर पाएंगे? ये तो देश की एकता के लिए भी खतरा है।


उदाहरण के लिए, मुस्लिम एक समय में 4 शादी कर सकता है पर दूसरे धर्मों के लोग केवल एक, ऐसा क्यों? मेहर कानूनी रूप से वैध है, दहेज कानूनी रूप से अवैध है, ईसाइयों में Gift के नाम पर सब चलता है, ऐसा क्यों? ये सभी कानूनन अवैध क्यों नहीं? हिन्दू मंदिरों की सम्पत्ति सरकार कानून बनाकर ले लेती है पर दूसरे धर्मों के स्थलों पर सरकार अपना हक कभी पेश नहीं करती। दूसरे धर्मवाले मदरसों, कॉन्वेंट स्कूलों में अपने धर्म की शिक्षा दे सकते है पर हिन्दू अपनी स्कूलों में अपने धर्म की शिक्षा नहीं दे सकते, ऐसा क्यों?


यही कारण है कि देश में लोगों के बीच भेदभाव बढ़ रहा है, लोगों में असंतोष बढ़ रहा है जो लोकतंत्र में किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं।


सबसे ज्यादा अन्याय अगर इस भिन्नता के कारण किसी के साथ हो रहा है तो वो है हिंदुओं के साथ। अल्पसंख्यक लोगों को धर्म के नाम पर विशेष छूट दी जाती है, लेकिन हिंदुओं के साथ सदैव अन्याय होता है। अगर हिन्दू अपनी धर्म के प्रति निष्ठा जाहिर करे तो उसे कट्टरता का नाम देते हैं, जबकि दूसरे धर्मवालों को धर्मनिष्ठ कहते हैं। यदि दो गुटों के बीच बहस हो रही हो तो सदैव हिन्दू को दोषी ठहराया जाता है। यहीं से आप समझ सकते हैं कि कानून में भिन्नता के कारण भी हिंदुओं केथ कितना अन्याय हो रहा है।


जब चीन में Uniform Civil Code लागू हो सकता है तो भारत मे क्यों नहीं ? भारत में Uniform Civil Code को मौलिक अधिकार बनाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने और उचित कानून बनाने की आवश्यकता है।


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गुरु गोविन्दसिंह के वीर सपूतों ने प्राण दे दिए पर धर्म नहीं बदला

8 जुलाई 2021

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सनातनियों को प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि धर्म की खातिर प्राण देने पड़े तो देंगे लेकिन अत्याचारियों के आगे कभी नहीं झुकेंगे। विलासियों द्वारा फैलाये गये जाल, जो आज हमें व्यसन, फैशन और चलचित्रों के रूप में देखने को मिल रहे हैं, उनमें नहीं फँसेंगे। अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहेंगे।



फतेहसिंह और जोरावरसिंह सिख धर्म के दसवें गुरु गोविन्दसिंहजी के सुपुत्र थे। आनंदपुर के युद्ध में गुरुजी का परिवार बिखर गया था। चार पुत्रों में से दो छोटे पुत्र गुरु गोविन्दसिंह की माता गुजरी देवी के साथ बिछुड़ गये। उस समय जोरावरसिंह की उम्र मात्र सात वर्ष ग्यारह माह तथा फतेहसिंह की उम्र पाँच वर्ष दस माह थी। दोनों अपनी दादी के साथ जंगलों, पहाड़ों को पार करके एक नगर में पहुँचे। गंगू नामक ब्राह्मण, जिसने बीस वर्षों तक गुरुगोविन्दसिंह के पास रसोइये का काम किया था, उसके आग्रह पर माता जी दोनों नन्हें बालकों के साथ उसके घर गयीं। गंगू ने रात्रि को माता गुजरी देवी के सामान में पड़ी सोने की मोहरें चुरा लीं, इतना ही नहीं इनाम पाने की लालच में कोतवाल को उनके बारे में बता भी दिया।


कोतवाल ने दोनों बालकों सहित माता गुजरी देवी को बंदी बना लिया। माता गुजरी देवी दोनों बालकों को उनके दादा गुरु तेगबहादुर और पिता गुरुगोविन्दसिंह की वीरतापूर्ण कथाएँ सुनाकर अपने धर्म में अडिग रहने के लिए प्रेरित करती रहीं।

सुबह सैनिक बच्चों को लेने पहुँच गये। दोनों बालक नवाब वजीर खान के सामने पहुँचे। शरीर पर केसरी वस्त्र, पगड़ी तथा कृपाण धारण किये इन नन्हें योद्धाओं को देखकर एक बार तो नवाब का भी हृदय पिघल गया। उसने कहाः "बच्चों! हम तुम्हें नवाबों के बच्चों की तरह रखना चाहते हैं। एक छोटी सी शर्त है कि तुम अपना धर्म छोड़कर हमारे धर्म में आ जाओ।"

नवाब की बात सुनकर दोनों भाई निर्भीकतापूर्वक बोलेः "हमें अपना धर्म प्राणों से भी प्यारा है। जिस धर्म के लिए हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों की बलि दे दी उसे हम तुम्हारी लालचभरी बातों में आकर छोड़ दें, यह कभी नहीं हो सकता।"

नवाबः "तुमने हमारे दरबार का अपमान किया है। यदि जिंदगी चाहते हो तो..."

नवाब अपनी बात पूरी करे इससे पहले ही नन्हें वीर गरजकर बोल उठेः "नवाब! हम उन गुरु तेगबहादुर के पोते हैं जो धर्म की रक्षा के लिए कुर्बान हो गये। हम उन गुरु गुरु गोविन्दसिंह के पुत्र हैं, जिनका नाम सुनते ही तेरी सल्तनत थर-थर काँपने लगती है। तू हमें मृत्यु का भय दिखाता है? हम फिर से कहते हैं कि हमारा धर्म हमें प्राणों से भी प्यारा है। हम प्राण त्याग सकते हैं परंतु अपना धर्म नहीं त्याग सकते।"


इतने में दीवान सुच्चानंद ने बालकों से पूछाः "अच्छा, यदि हम तुम्हें छोड़ दें तो तुम क्या करोगे?"


बालक जोरावरसिंह ने कहाः "हम सेना इकट्ठी करेंगे और अत्याचारी मुगलों को इस देश से खदेड़ने के लिए युद्ध करेंगे।"

दीवानः "यदि तुम हार गये तो?"

जोरावरसिंह (दृढ़तापूर्वक): "हार शब्द हमारे जीवन में ही नहीं है। हम हारेंगे नहीं, या तो विजयी होंगे या शहीद होंगे।"

बालकों की वीरतापूर्ण बातें सुनकर नवाब आगबबूला हो उठा। उसने काजी से कहाः "इन बच्चों ने हमारे दरबार का अपमान किया है तथा भविष्य में मुगल शासन के विरूद्ध विद्रोह की घोषणा की है। अतः इनके लिए क्या दंड निश्चित किया जाय?"

काजीः "इन्हें जिन्दा दीवार में चुनवा दिया जाय।"

फैसले के बाद दोनों बालकों को उनकी दादी के पास भेज दिया गया। बालकों ने उत्साहपूर्वक दादी को पूरी घटना सुनायी। बालकों की वीरता देखकर दादी गदगद हो उठी और उन्हें हृदय से लगाकर बोलीः "मेरे बच्चों! तुमने अपने पिता की लाज रख ली।" दूसरे दिन दोनों वीर बालकों को एक निश्चित स्थान पर ले जाकर उनकी चारों ओर दीवार बनानी प्रारम्भ कर दी गयी। धीरे-धीरे दीवार उनके कानों तक ऊँची उठ गयी। इतने में बड़े भाई जोरावरसिंह ने अंतिम बार अपने छोटे भाई फतेहसिंह की ओर देखा और उसकी आँखों में आँसू छलक उठे।

जोरावरसिंह की इस  अवस्था को देखकर वहाँ खड़ा काजी ने समझा कि ये बच्चे मृत्यु को सामने देखकर डर गये हैं। उसने कहाः "बच्चों! अभी भी समय है। यदि तुम हमारे धर्म में आ जाओ तो तुम्हारी सजा माफ कर दी जायेगी।"

जोरावरसिंह ने गरज कर कहाः "मूर्ख काजी! मैं मौत से नहीं डर रहा हूँ। मेरा भाई मेरे बाद इस संसार में आया परंतु मुझसे पहले धर्म के लिए शहीद हो रहा है। मुझे बड़ा भाई होने पर भी यह सौभाग्य नहीं मिला इसलिए मुझे रोना आता है।" सात वर्ष के इस नन्हें से बालक के मुख से ऐसी बात सुनकर सभी दंग रह गये। थोड़ी देर में दीवार पूरी हुई और वे दोनों नन्हें धर्मवीर उसमें समा गये।

कुछ समय पश्चात दीवार को गिरा दिया गया। दोनों बालक बेहोश पड़े थे परंतु अत्याचारियों ने उसी स्थिति में उनकी हत्या कर दी।


विश्व के किसी अन्य के इतिहास में इस प्रकार की घटना नहीं है, जिसमें सात और पाँच वर्ष के दो नन्हें सिंहों की अमर वीरगाथा का वर्णन हो।


धन्य हैं ऐसे धर्मनिष्ठ बालक! धन्य है भारत माता, जिसकी पावन गोद में ऐसे वीर बालकों ने जन्म लिया। 


भारतवासियों! तुम भी अपने देश और संस्कृति की सेवा और रक्षा के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना।


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मासूम बच्ची का पादरी ने किया यौन-शोषण; मीडिया, सेक्युलर सब मौन हैं

मासूम बच्ची का पादरी ने किया यौन-शोषण; मीडिया, सेक्युलर सब मौन हैं


07 मई 2021

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कथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर हो ही गयी है। मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल चुकी है। चर्च कुकर्मों की पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है। पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी।



दश-विदेश में ईसाई पादरियों द्वारा यौन शोषण की इतनी सारी घटनाएं घटित हो रही हैं लेकिन मीडिया को इनपर चर्चा करने की या खबर दिखाने की फुर्सत नहीं है, उसे तो केवल हिन्दू संस्कृति मिटानी है इसलिए पवित्र हिन्दू साधु-संतों पर झूठे आरोप लगने पर बदनाम करती है।


10 साल की नाबालिग बच्ची का पादरी द्वारा यौन-शोषण


आंध्र प्रदेश के काकीनाडा स्थित सर्पवरम में पादरी द्वारा 10 साल की नाबालिग बच्ची का यौन-शोषण करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने 46 वर्षीय पादरी अलावला सुधाकर को गिरफ्तार कर लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपित काकीनाडा क्षेत्र के एक गाँव में पादरी है।

रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि आरोपित पादरी ने 22 जून 2021 को यौन-शोषण करने के साथ ही पीड़िता से मारपीट भी की थी। बच्ची की माँ को जैसे ही इस घटना के बारे में पता चला तो उसने सर्पवरम थाने में पादरी के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। पादरी के खिलाफ POCSO एक्ट के विभिन्न प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया। आरोपित को कोर्ट में पेश किया गया था, जहाँ से अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

सर्पवरम सर्किल के इंस्पेक्टर बी राजशेखर ने कहा, “काकीनाडा के रहने वाले पादरी की पहचान अलवला सुधाकर के तौर पर हुई है। 22 जून 2021 को वह शहर में हुए एक समारोह में शामिल हुआ था। इसी दौरान आरोपित ने कथित तौर पर लड़की को पास की एक झोपड़ी में ले जाकर उसके साथ दुर्व्यवहार किया।”


एक स्थानीय समाचार की रिपोर्ट में बताया गया है कि 22 जून को आरोपित पादरी एक समारोह में शामिल हुआ था। वहीं पर 10 वर्षीय बच्ची भी आई हुई थी। आरोपित सुधाकर बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने साथ चर्च से दूर ले गया और दुर्व्यवहार किया।


मदद के लिए गुहार लगाने पर आरोपित ने बच्ची को 50 रुपए का नोट पकड़ाकर इसके बारे में किसी से कुछ नहीं बताने को कहा। हालाँकि, ग्रामीणों और परिजनों के बार-बार पूछने पर पीड़िता ने अपने साथ हुई घटना के बारे में सबकुछ बयाँ कर दिया। इसके बाद पीड़िता की माँ ने आरोपित पादरी के खिलाफ पुलिस में शिकायत की। जिसके आधार पर पादरी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।


पादरियों द्वारा नाबालिगों का यौन-शोषण लंबे समय से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है, जिसे चर्च प्रशासन ने हमेशा से छुपाने की कोशिश की है। हाल ही में पोलैंड स्थित एक कैथोलिक चर्च के पादरियों पर नाबालिगों के साथ हुए यौन अपराधों के मामलों को दबाने का आरोप लगा था। एक रिपोर्ट के मुताबिक 1958 से वर्ष 2020 तक 292 पादरियों ने 300 बच्चों का यौन शोषण किया था। मामले में बवाल मचने के बाद कैथोलिक चर्च ने इस बात को स्वीकार किया था कि उसे पिछले तीन वर्षों में 368 लड़कों और लड़कियों के यौन शोषण की शिकायतें मिली थीं। इस मामले को दबाए जाने की बात को मानते हुए पोलिश चर्च के आर्कबिशप वोजशिक पोलाक ने पीड़ितों से माफी माँगी थी।

https://twitter.com/OpIndia_in/status/1412634794878328833?s=19


सान डियेगो चर्च के अधिकारियों ने पादरियों के द्वारा किये गये बलात्कार, यौन-शोषण आदि के 140 से अधिक अपराधों के मामलों को निपटाने के लिए 9.5 करोड़ डॉलर चुकाने का ऑफर किया था।


कन्नूर (केरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में इस तरह किया है- ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी। एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी। मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी। यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है।'


इसपर मीडिया मौन रहती है पर किसी पवित्र हिंदू साधु-संत पर झूठे आरोप लगते हैं तो दिनभर चिल्लाने लगती है, कुछ सेक्युलर हिंदू भी इनकी झूठी खबरें सुनकर अपने धर्मगुरु को गलत बोलने लग जाते हैं; इसलिए सावधान रहें।


हिंदुस्तान में बलात्कार करनेवाले पादरी धर्मांतरण करवाते हैं। देशवासी पादरी और चर्च से बचके रहें, धर्मपरिवर्तन करके अपना जीवन बर्बाद न करें। याद रहे- श्रीमद्भगवत गीता में श्री कृष्ण ने भी कहा है, "स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः" अर्थात स्वधर्म में मरना भी कल्याणकारक है, पर परधर्म तो भय उपजानेवाला है।

अतः धर्मान्तरण की आंधी से बचकर रहें।


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