Tuesday, February 28, 2023

बच्चे, युवा, बूढ़े और महिलाओं के लिए विशेष लेख, इसका पालन करने से कभी नही होंगे बीमार

28  February 2023
http://azaadbharat.org

🚩धरती के घूमने पर अंगों की कार्यप्रणाली बदलती रहती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक पृथ्वी 24 घंटे अपनी धुरी पर घूमती रहती है। इससे मनुष्य शरीर के आंतरिक रसायन बुरी और अच्छी तरह प्रभावित होते रहते हैं। इस दौरान दिमाग, लिवर, दिल और कोशिकाओं के काम करने का तरीका तेजी से बदलता रहता है। वैज्ञानिक गहराई से अध्ययन कर रहे हैं ताकि समय और अंगों के काम करने के तरीके के संबंध में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल की जा सके, लेकिन भारतीय ऋषियों ने इसे पहले ही खोज लिया था।




🚩हमारे पूर्वजों ने सभ्यता के विकास के प्रारंभ में ही समय के महत्व को समझ लिया था। उन्होंने सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों एवं नक्षत्रों की गतिविधियों द्वारा समय का हिसाब-किताब रखने का एक विज्ञान विकसित किया। उन्होंने घड़ी के आविष्कार के पूर्व ही समय को भूत, भविष्य एवं वर्तमान, दिन-रात, प्रात:काल, मध्यकाल, संध्याकाल, क्षण, प्रहर आदि में बांटकर सोने-जागने, खाने-पीने, काम-आराम, मनोरंजन आदि सभी क्रियाकलापों को समयबद्ध तरीके से करने पर बल देकर संपूर्ण दिनचर्या को धार्मिक परंपरा में बांध दिया था। हमारे ऋषियों और आयुर्वेदाचार्यों ने जो जल्दी सोने-जागने एवं आहार-विहार की बातें बताई हुई हैं, उन पर अध्ययन व खोज करके आधुनिक वैज्ञानिक और चिकित्सक अपनी भाषा में उसका पुरजोर समर्थन कर रहे हैं।
 
🚩आपने नाम सुना होगा कलाई घड़ी, दीवार घड़ी, इलेक्ट्रॉनिक घड़ी और इलेक्ट्रॉनिक क्वार्ट्ज घड़ियां आदि का, लेकिन 'जैविक घड़ी' का नाम आपने शायद ही सुना होगा। दरअसल, यह घड़ी आपके भीतर ही होती है। इस घड़ी के भी 3 प्रकार हैं- एक है शारीरिक समय चक्र और दूसरा मानसिक समय चक्र और तीसरा आत्मिक समय चक्र। यहां हम बात करेंगे शारीरिक समय चक्र की जिसे 'जैविक घड़ी' कहा जाता है।
 
🚩प्रत्येक व्यक्ति का जन्म, जीवन और मृत्यु समय तय है। यह उसने खुद ही प्रकृति के साथ मिलकर तय किया है। हालांकि इसे समझना छोड़ा मुश्किल है। सिर्फ यह समझें कि प्रकृति की अपनी एक घड़ी है, जो संपूर्ण धरती के पेड़-पौधों, प्राणी जगत और मनुष्यों पर लागू होती है। प्रत्येक जीव-जगत उस घड़ी अनुसार ही कार्य करता है, लेकिन मानव ने उसके अनुसार कार्य करना ही छोड़ दिया है।
 
🚩प्रकृति ने हमें यह जो घड़ी दी है वह हमें दिखती तो नहीं है, लेकिन अपना काम सुनिश्चित रूप से निरंतर करती रहती है। प्रकृति में सभी जीव अपने बाह्य एवं आंतरिक वातावरण में हो रहे इन दैनिक, मासिक तथा वार्षिक परिवर्तनों के प्रति सचेत रहते हैं, लेकिन मानव नहीं। वातावरण में होने वाले इन परिवर्तनों की समय-सारिणी के अनुरूप ही उनकी यह आंतरिक 'जैविक घड़ी' शरीर के विभिन्न क्रियाकलापों का संचालन करती है।
 
🚩सूर्य के उदयकाल की शुरुआत से सूर्यास्त के बाद तक और फिर सूर्यास्त के बाद से सूर्य उदय के काल तक समय एक चक्र की भांति चलता रहता है और उसी के अनुसार शरीर भी जागता, जीता और सोता रहता है। इस दौरान शरीर में उसी तरह परिवर्तन होते रहते हैं, जैसे कि प्रकृति में होते रहते हैं। प्रत्येक प्राणी सूर्य उदय के पूर्व उठ जाता है लेकिन मानव सोया रहता है। बिजली के आविष्कार के बाद तो मानव की संपूर्ण दिनचर्या ही बदल गई है। सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है और उसी के उदय के साथ हमारे शरीर का तापमान बढ़ता और उसके अस्त के बाद घटता जाता है।
 
🚩जिस तरह सूर्य उदय और अस्त हो रहा है उसी तरह चन्द्र भी उदय और अस्त हो रहा है। मंगल, शुक्र, शनि, बुध और बृहस्पति भी उदय और अस्त हो रहे हैं। सभी के उदय और अस्त होने के बीच में जो एक छाया काल आता है, उसे कुछ लोग राहु और केतु का काल कहते हैं और इसका सबसे ज्यादा असर धरती के ध्रुवों पर होता है। हालांकि राहु और केतु की ज्योतिष में अलग व्याख्या है।
 
🚩इस संपूर्ण चलायमान जगत के साथ ही व्यक्ति की प्रकृति जुड़ी हुई है और उसी के आधार पर उसकी आंतरिक 'जैविक घड़ी' निर्मित हुई है। प्रकृति ने खुद ही व्यक्ति के सोने-जागने, खाने-पीने और अन्य क्रियाएं करने का समय निर्धारण कर रखा है, लेकिन मनुष्य उस समय के विपरीत कार्य करता है।
 
🚩सभी का प्राकृतिक समय निर्धारित :
सभी पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों व अन्य प्राणियों की ‍दिनचर्या आधारित है प्राकृतिक रूप से निर्मित जैविक घड़ी पर। पेड़-पौधों में निश्चित समय पर फूल एवं फल लगना, बसंत के समय पतझड़ में पुरानी पत्तियों का गिरना, पौधों का नई कोंपलें धारण करना, समय पर ही बीज विशेष का अंकुरण होना- ये सब जैविक घड़ी की सक्रियता का परिणाम हैं। विज्ञान इस बात को साबित कर चुका है कि इंसानों की तरह पेड़-पौधे भी रात और दिन पहचानते हैं।

🚩दोप. 3 से 5 बजे तक मे – ( मूत्राशय में ) 2-4 घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृत्ति होगी ।

🚩शाम 5 से 7 बजे तक मे  – ( गुर्दे में ) इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें । शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते हैं ।

🚩रात्रि 7 से 9 बजे तक मे  – ( मस्तिष्क में ) इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।

🚩रात्रि 9 से 11 बजे – ( रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जू में ) इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है ।

🚩रात्रि 11 से 1 बजे तक मे  – ( पित्ताशय में ) इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा, नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएँ बनती हैं ।

🚩रात्रि के 1 से 3 बजे तक मे  – ( यकृत में ) इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन तंत्र को बिगाड़ देता है ।

🚩ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है । अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें, जिससे ऊपर बताये समय में खुलकर भूख लगे ।
 
🚩जिस समय शरीर नींद के वश में होकर नि‍ष्क्रिय रहता है उस समय जागते रहते से दृष्टि मंद होकर भ्रमित अवस्था में रहती है। ऐसे समय में ही अधिकतर सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।
 
🚩अंत में उपरोक्त बताए गए नियम 'जैविक घड़ी' अनुसार हैं जिस पर विज्ञान के बहुत शोध किया है। आधुनिक युग में जेम्स एवं डोरोथी मूर ने 'जैविक घड़ी' के संबंध में महत्वपूर्ण प्रयोग किए हैं। दक्षिण जर्मनी के म्युनिख शहर में मशहूर माक्समिलियान यूनिवर्सिटी में भी इस संबंध में कई शोध किए गए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार 'जैविक घड़ी' शुरू करने के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान भी कर ली गई है।

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Friday, February 24, 2023

होली क्यों ? फायदे क्या ? नुकसान कैसे ?

🚩होली पर ये दो कार्य जरूर करें, रहेगें स्वस्थ, होगा वातावरण शुद्ध और मिलेगा रोजगार.....

24  February 2023

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🚩हर साल की तरह इस बार भी मीडिया में 24 घंटे डिबेट चलने की पूरी संभावना है, कि होलिका दहन लकड़ियों से करने पर वातावरण प्रदूषित होगा, धुलेंडी खेलने पर पानी का बिगाड़ होगा आदि आदि…..


🚩हमारे ऋषि-मुनियों ने जो भी त्यौहार बनाए हैं , वो आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बड़े ही सार्थक होते हैं। ऐसे ही कोई कपोल-कल्पित त्यौहार हमारी संस्कृति में समाविष्ट नहीं किए गए, बल्कि उसके पीछे कई गूढ़ रहस्य छुपे होते हैं।



🚩होलिका दहन के पीछे का वैज्ञानिक महत्व :


बसंत ऋतु में जब प्रकृति में ऋतु परिवर्तन होता है तो शरीर में कफ पिघलकर जठराग्नि में आता है , जिसके कारण अनेक बीमारियां होती हैं । उससे बचाने के लिए होलिकोत्सव को निमित्त बनाकर हमारे ऋषियों ने होलिका दहन की परम्परा चलायी। होलिका की तपन से कफ जल्दी पिघल कर नष्ट हो जाता है और दूसरे दिन कूद-फांद कर धुलेंडी खेलने से कफ निकल जाता है। फलतः अनेक भयंकर बीमारियों से रक्षा होती है ।

होली अपने में आध्यात्मिक महत्व भी संजोए हुए है। जो संदेश देती है कि भग्वद् आश्रय रहने वाला भक्त हमेशा विजयी होता है, चाहे कोई कितना भी उसका अनिष्ट करने की चेष्टा करे, उसे तनिक भी हानि नहीं पहुँचा सकता ।


🚩प्राचीनकाल में होलिका दहन गाय के गोबर के कण्डों से किया जाता था। जिससे हवामान शुद्ध सात्विक होकर पुष्टिप्रद बन जाता है और जाने अनजाने कितने ही हानिकारक जीवाणु- किटाणु नष्ट हो जाते हैं । इसका आर्थिक महत्व भी है । इस प्रकार होलिका दहन से गौरक्षा के साथ ही साथ गरीबों को रोजगार भी मिलता है ।

प्राचीनकाल में धुलेंडी पलाश (केसूड़े) के फूलों के रंग से खेली जाती थी , जिससे शरीर ग्रीष्म ॠतु के कुप्रभावों को झेलने में सक्षम होकर गर्मी के कारण होने वाले रोगों से बच जाता था।


🚩गोबर से कण्डों से होली जलाने के फायदे:-


🚩एक गाय रोज करीब 10 किलो गोबर देती है । 10.. किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं ।

एक कंडे की कीमत 10 रुपए रख सकते हैं । इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिल सकते है । यदि किसी एक शहर में होली पर 10 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 1 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं। औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के 60 लाख रुपए तक आ जाएंगे । लकड़ी की तुलना में लोगों को कंडे सस्ते भी पड़ेंगे।


🚩केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम शुद्ध गैस निर्मित होती है । वैज्ञानिकों ने शोध किया है , कि गौ गोबर के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते हैं तो एक टन ऑक्सीजन बनता है।


🚩गाय के गोबर के कण्डों से होली जलाने पर गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है, जिससे गौहत्या कम हो सकती है, कंडे बनाने वाले गरीबों को रोजी-रोटी मिलेगी, और वतावरण में शुद्धि होने से हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहेगा।


🚩धुलेंडी खेलने के पीछे का वैज्ञानिक महत्व :


होली के समय ऋतु परिवर्तन होता है, सर्दी से गर्मी में प्रवेश होता है । इसलिए गर्मी की तपन और गर्मीजन्य रोगों से बचने के लिए पलाश के रंगों से होली खेली जाती है । सामाजिक सौहार्द का भी इसमें महत्व है , कि हमारा यदी सालभर में किसी से भी कोई लड़ाई झगड़ा हुआ है , तो मिल-जुलकर होली खेलने से उसको भूलाकर आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होती है होली ।


🚩पलाश के रंग से धुलेंडी खेलने के फायदे:

पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत श्री आशारामजी बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है।


🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामुहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. पानी लगता है।


🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है।पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है।


🚩मीडिया से सावधान:


🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी और भाजपा नेता ड़ॉ सुब्रमण्यम स्वामी जी का तो यहाँ तक कहना है , कि अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया हिन्दुओं व उनके त्यौहारों के खिलाफ़ है, क्योंकि उनको विदेश से भारी फंड मिलता है । यहाँ गम्भीरतापूर्वक समझना आवश्यक है कि , ...... " हिन्दुओं के खिलाफ़ " ..... 

Sunday, February 19, 2023

क्या हिंदू धर्म और राष्ट्र सेवा करना गुनाह हैं ? क्यों 10 साल से जेल में रखा है ?

19  February 2023
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🚩आज से 10 साल पहले 31 अगस्त 2013 को ठीक रात के 12 बजे  हिन्दू संत आशारामजी बापू की गिरफ्तारी हुई थी।बिकाऊ मीडिया ने आज तक जितना उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल चलाया होगा शायद किसी के खिलाफ नहीं चलाया होगा,क्योंकि आशाराम बापू ने ईसाई बना दिए गए लाखों हिंदू आदिवासियों की घर वापसी करवा दी थी, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति कट्टर बना दिया था, सैंकड़ों गुरुकुल और 17000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित किया, कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर अनेकों गौशालाएं खोल दी, वेलेंटाइन डे के दिन करोडों लोगों द्वारा मातृ-पितृ पूजन शुरू करवा दिया । विदेशों में भी उनके लाखों अनुयायी बन चुके थे और वे भारतीय संस्कृति की वहाँ प्रचार करने लगे थे, करोड़ों लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया उसके बाद उन करोडों लोगों ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया, क्लबों में जाना छोड़ दिया, ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे, स्वदेशी अपनाने लगे इसके कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अरबों-खरबों रुपयों का घाटा हुआ और ईसाई मिशनरियों की धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं, फिर पूरे सुनियोजित ढंग से उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया।


🚩बताया जाता है कि अरबों-खरबों का कंपनियों को घाटा होने और धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने के कारण हिन्दू धर्म व राष्ट्र विरोधी ताकतों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा । डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के सुरेश चव्हाणके जी ने बताया है कि आशाराम बापू को पहले ही बता दिया था कि आप जो धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं, उसके कारण वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे सोनिया गांधी को बोलकर आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहा है, पर आशारामजी बापू ने कहा कि “देश व धर्म की रक्षा के लिए सूली पर चढ़ जाऊंगा लेकिन हिन्दू धर्म की हानि नहीं होने दूंगा।”

🚩आपको बता दें कि उनके खिलाफ षडयंत्र तो 2004 से शुरू हो गया था और 2008 में उसने जोर पकड़ा। उसमें उनके गुरुकुल के दो बच्चों की संदिग्ध रीति से मौत हो गई और तांत्रिक विद्या बताकर मीडिया ने उनके विरुद्ध इतना कुप्रचार किया कि आम जनता में भी रोष व्याप्त होने लगा; बाद में सुप्रीम कोर्ट ने और उसके बाद गुजरात सरकार ने क्लीनचिट दी लेकिन मीडिया ने क्लीनचिट का कुछ नहीं दिखाया। 2008 में उनको जेल भेजने की तैयारी थी, लेकिन उनके मंसूबे पूरे नहीं हुए लेकिन विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया उनके वैदिक होली का कुप्रचार करने लगी अर्थात उनके हर सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार कार्य की आलोचना करने लगी, उनको बदनाम करना जारी रखा।

🚩साल 2013 में उनके खिलाफ एक FIR दर्ज हुई लेकिन आपको बता दें कि आरोप लगाने वाली लड़की रहने वाली थी शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) की थी, पढ़ती थी छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) में, घटना जोधपुर (राजस्थान) की बता रही है और FIR करवाती है तथाकथित घटना के 5 दिन बाद दिल्ली में वो भी रात के 02:45 बजे; दिलचस्प बात तो ये है कि FIR में उस लड़की ने लिखवाया है कि मैं कमरे के अंदर थी और मुझ पर आशाराम बापू ने डेढ़ घण्टे तक हाथ घुमाया और मेरी माँ कमरे के बाहर गेट पर बैठी थी। तो क्या लड़की चिल्ला नहीं सकती थी? चिल्लाती तो तुरन्त ही उसकी मां को पता चल जाता। दूसरी बात कि वो घटना रात को 10:30 के आसपास की बता रही थी जबकि वो जिसके घर में रुकी थी वे लोग बता रहे थे कि 10:30 बजे तो हमारे घर में थी और हमने दरवाजा को लॉक कर दिया था और कॉल डिटेल के अनुसार तथाकथित घटना के समय लड़की अपने एक फ्रेंड से बात कर रही थी। जिनके घर पर वो रुकी थी,उन्होंने भी बताया कि सुबह हमारे साथ लड़की हंस खेल रही थी, हम उनको स्टेशन पर भी छोड़कर आये फिर उनको अचानक क्या हुआ कि FIR कर दिया। FIR करने के बाद आरोप लगाने वाली लड़की को उसकी सहेली ने पूछा कि ऐसे झूठे आरोप क्यों लगा रही है ?? तो उसने जवाब दिया कि मेरे को मेरे माता-पिता जैसे बोल रहे हैं वैसा कर रही हूं। फिर लड़की जो तथाकथित घटना बता रही है तो उस समय तो आशाराम बापू किसी कार्यक्रम में थे, उनके साथ 50-60 लोग भी थे जिन्होंने कोर्ट में गवाही भी दी है।

🚩आपको बता दें कि जब लड़की का मेडिकल करवाया गया तो उसमें एक खरोंच का निशान तक भी नहीं आया अर्थात लड़की के साथ कुछ हुआ ही नहीं और FIR में भी लिखा है कि रेप हुआ ही नहीं सिर्फ हाथ घुमाया। मेडिकल में वो भी बात खारिज हो गई लेकिन मीडिया ने दुष्प्रचार किया कि लड़की के साथ रेप हुआ है, जबकि खुद जांच ऑफिसर अजय पाल लाम्बा ने बताया कि रेप का आरोप है ही नहीं, तथाकथित छेड़छाड़ का आरोप है, फिर भी विदेशी फंडेड बिकाऊ मीडिया उनको बदनाम करती रही।


🚩आपको ये भी बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जन राज सुराणा ने न्यायालय में साजिश का खुलासा करते हुए बताया था कि Prosecution Witness PW-06 मणई फार्म हाउस के मालिक रामकिशोर ने ये कहीं नहीं कहा कि 15/08/2013 को लड़की या उसके माता-पिता रात्रि को 10 बजे कुटिया या कुटिया के आस-पास गए तो फिर जो रेप कमिट हुआ क्या वो हवा में कमिट हुआ? इन्होंने उसके existence को ही नकार दिया।

🚩अब प्रश्न ये पैदा होता है कि ये लड़की आखिर आरोप क्यों लगा रही है? इसके लिए हमने जिज्ञासा भावसार का स्टेटमेंट रीड किया। इसमें अमृत प्रजापति, कर्मवीर, राहुल सचान, महेंद्र चावला आदि जो बहुत से गवाह थे उन्होंने मिलकर conspiracy (षड्यंत्र) की- ऐसा कहा गया है। उनके अहमदाबाद स्थित आश्रम को एक फैक्स भेजा था जिसमें अमृत प्रजापति व उनके साथियों के द्वारा ये कहा गया था कि 50 करोड़ रुपये दो वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ। हम झूठी लड़कियां तैयार करेंगे, प्लांट करेंगे जिसके कारण बापूजी जिंदगी भर तक जेल में रहेंगे, कभी बाहर नहीं आ सकेंगे।

🚩इस बात के लिए साजिस वडोदरा (गुजरात) में की गई थी। जिसमें दीपक चौरसिया (इंडिया न्यूज़) भी शामिल था जो मीडिया के ऊपर प्रचार प्रसार कर रहा था, कर्मवीर (परिवादिता का पिता) भी शामिल था। सबने मिलकर जो conspiracy की थी वो जिज्ञासा भावसार के सामने की थी। इन सबका जो एक motive था, वो 50 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का था। 50 करोड़ नहीं देने के कारण से मणई गाँव का पूरा घटनाक्रम बनाया गया है।

🚩इस तरीके से सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया और उनको 76 उम्र में आधी रात में गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट में चल रहे ट्रायल जिसमें अपराध सिद्ध नहीं हुआ और जो 5 साल तक केस चला लेकिन उनको जमानत नहीं दी गई जबकि उनके केस की पैरवी दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी पैरवी कर चुके हैं और उनको लड़की के बयान को सही मानते हुए POCSO एक्ट लगाकर सेशन कोर्ट ने उम्रकैद सजा सुना दी,जबकि लड़की बालिग थी, उसके अलग अलग बर्थ सर्टिफिकेट से साबित भी हुआ था और बापू आशारामजी के पास निर्दोष होने के अनेकों प्रमाण हैं, फिर भी उन्हें उम्र कैद की सजा सुना दी गई । वो भी केवल एक लड़की के बयान पर। आपको बता दें कि निचली अदालत के कई फैसले हाईकोर्ट ओर सुप्रीम कोर्ट बदल देती है क्योंकि कई बार जल्दीबाजी में गलत निर्णय ले लिया जाता है। खैर जब वे ऊपरी कोर्ट में जायेंगे निर्दोष बरी होंगे लेकिन उनका देश व धर्म के लिए कार्य करने का इतना कीमती समय कौन लौटा पायेगा?

🚩सलमान खान को निचली अदालत से सजा होने के बाद भी ऊपरी कोर्ट तुरंत जमानत दे देती है और आतंकवादियों के हथियार रखने वाले संजय दत्त को बार बार पेरोल देती रही वो ही न्यायालय हिंदू संत आसाराम बापू को 10 साल में एक दिन भी जमानत अथवा पेरोल नहीं दे पाई।

🚩जो कानून पूरे भारत में कोरोना फैलाने वाले मौलाना साद को और दिल्ली के इमाम बुखारी पर सैंकड़ों गैर जमानती वारंट होने के बाद भी आजतक गिरफ्तार नहीं कर पाया वही कानून हिंदू संत आशाराम बापू को 10 साल से जेल में रखे है और मीडिया भी सिर्फ हिंदू धर्म के साधु-संतों के खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर बदनाम करती है वही मीडिया इन सबपर चुप है और सेक्युलर हिंदू तो वामपंथी मीडिया की बात को मानकर अपने ही धर्मगुरुओं के खिलाफ बोलना चालू कर देते हैं।

🚩इसलिए हिंदू अब समझ जाओ कि सनातन धर्म की रक्षा करने वालों को कैसे फंसाया जाता है, अभी समय है अपने धर्मगुरुओं के खिलाफ हो रहे षड्यंत्र पर आवाज उठाओ, उनकी रिहाई करवाओ नहीं तो आने वाले समय पर देश अफगानिस्तान जैसा न बन जाए।

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Saturday, February 4, 2023

न्याय पालिका बिक कर संत आशाराम बापू को प्रताड़ित कर रही है, पछताना पड़ेगा - सुरेश चव्हाणके

 04 February 2023

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🚩राष्ट्रवादी चैनल सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके ने कहा कि आजादी के पहले की स्थिति और मुगलों के समय का तो मुझे पता नहीं लेकिन आजादी के बाद हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा षड्यंत्रपूर्वक जिनको प्रताड़ित किया गया उन संत का नाम है आसाराम बापू जी। सबसे ज्यादा प्रताड़ित..इतनी प्रताड़ना की पराकाष्ठा मैंने कहीं नहीं देखी । हम सब जानते हैं कि बापूजी के साथ कैसे कानून का दुरुपयोग किया गया है ।


🚩सुरेश जी ने आगे कहा कि भाइयों को बताना चाहता हूँ कि कानून का मिसयूज कैसे किया जाता है मैक्सिमम मतलब उस Max का अंत नहीं इतना सब कुछ। बापू आशारामजी पर आरोप लगाने वाली उस लड़की की उम्र के कारण पॉक्सो एक्ट लगाया गया जबकि वह अल्पायु नहीं है उसके डॉक्यूमेंट भी है ।


🚩जो घटना घटी वहां पर मैं खुद गया था और खुद जाकर वह डिस्टेंस कितना है वो सब चेक किया । वाकई में क्या हुआ होगा इतनी देर में,में और मेरे साथ और कई पत्रकार और पुलिस अधिकारियों को भी लेकर गया था। ऐसे कई चीजों का विश्लेषण किया और कितनी चीज है जो हमारे (बापू आशारामजी के ) पक्ष में है उसके बावजूद भी किसी चीज को कानून के कटघरे में डाल दो और सालों किसी को जेल में सड़ाओ । मैंने तो ऐसा दूसरा कोई केस देखा नहीं जो बापूजी के बारे में देखा है ।

https://youtu.be/A65mB8owhVc


🚩बापूजी अत्याचार सहकर भी राष्ट्र सेवाकार्य कर रहे हैं....


🚩सुरेश जी ने आगे बताया कि बापू आशारामजी तो अंदर है लेकिन यह लोग (बापू आसारामजी के अनुयायी ) जो आज बापू आसारामजी का नाम लेकर इतना बड़ा सेवा कार्य चला रहे हैं विभिन्न आपदाओं के बावजूद कितनों को क्या-क्या झेलना नहीं पड़ा होगा पहले कुछ समय तक तो यह बिकाऊ मीडिया वालों की गंदी गेम के कारण बापू आसारामजी का नाम लेकर चलने वाले व्यक्ति की तरफ लोग गलत निगाह से देखते थे, कितनी हीन भावना से कैसे कैसे गंदे कॉमेंट्स रहे होंगे, ऐसे में काम करना कितना मुश्किल रहा होगा ।


🚩मित्रों! जो बापू आसारामजी के भक्तों ने झेला (सहन) किया है है मुझे लगता है कि इस देश में किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता नेता या यहां तक कि बंगाल, केरला में जो राजनीतिक कार्यकर्ता पर अत्याचार होते हैं उससे भी 1000 गुना ज्यादा अत्याचार बापू आसारामजी के भक्तों पर हुए। कितनी महिलाओं को लाठी डंडे झेलने पड़े कितने लोगों ने मतलब आप में से कई लोगों ने तो अपने घर को स्वाहा किया ।


🚩अनुयायी समाज तक सच्चाई पहुँचा रहे हैं


🚩सुरेश जी ने कहा कि बापू आसारामजी के भक्तों का कहना है कि हम लड़ेंगे क्योंकि पीछे हटेंगे तो पता नहीं यह लड़ाई कमजोर हो जाएगी, मैं ऐसे कई लोगों (बापू आसारामजी के भक्तों ) को जानता हूँ जिनकी दुकान तक बंद हो गई, जिनकी नौकरी छूट गई वह फिर भी थैला लेकर प्रूफ लेकर लोगों के पास जा रहे हैं RSS के लोगों को मिलते है, BJP से मिलते हैं, सत्ता से जुड़े लोगों को मिलते हैं, पत्रकारों को मिलते हैं, हमारे पास भी आते हैं कितने लोग मतलब वो कोई एक्टिविस्ट नहीं है लेकिन मैं बताऊं जब आप (षडयंत्रकारी) अत्याचार की अति कर देते हो तो उसके बाद सत्य का जो चक्र है ना वह उल्टा परिणाम देने लगता है, और वह चक्र क्या परिणाम दे रहा है यह तमाम वह लोग हैं जो लोग ईश्वर और खुद इसमें कनेक्ट है ।


🚩एक षडयंत्र ने करोड़ो राष्ट्रवादी पैदा किये


🚩आगे बताते हुए सुरेश जी ने कहा कि बापू आसारामजी पर हुए अत्याचार ने इस देश में कई करोड़ हिंदूवादी एक्टिविस्ट पैदा कर दिए । जो (बापू आसारामजी के अनुयायी ) भक्ति भाव और भजन के आगे जाते नहीं थे देश में बाकि क्या चीजें हो रही हैं वह स्वाभाविक से आदमी अलग चीजों में होता है धार्मिक क्षेत्र का, लेकिन आज ज्यादातर लोग (बापू आसारामजी के अनुयायी) सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा एक्टिव है, ट्वीटर का ट्रेंड चलाते हैं तो टॉप ट्रेंड में रहते है, मैसेजेस भेजते हैं, भाषण सीख गए हैं। ऐसी ऐसी महिलाएं मुझे नहीं लगता कि वह घूंघट वाली महिलाएं हैं । मैंने दिल्ली में देखी थी वह चौराहे पर खड़े होकर भाषण दे सकती है यह सारा जोश उनके अंदर जो भरा वह इस एक घटना (बापू आसारामजी पर षड्यंत्र) ने भरा! कभी कभी मुझे ऐसा लगता है कि शायद हिंदुत्व का आंदोलन कमजोर पड़ रहा है और उस आंदोलन में एक साथ कई करोड़ कार्यकर्ता की जरूरत थी क्योंकि एक साथ कई कार्यकर्ता तो बड़ी मुश्किल से मिलते है । आपको तो पता है कि कार्यकर्ता खड़ा करना कितना मुश्किल होता है लेकिन हजारों साल के हिंदुत्ववादी मूमेंट में किसी एक घटना ने अगर करोड़ों कार्यकर्ताओं को खड़ा किया होगा तो बापू आसारामजी की घटना ने किया है यह इतिहास याद रखेगा की एक घटना का परिवर्तन कैसे होता है। हमें इस घटना का आज भी दुःख है ।


🚩न्यायपालिका को पछताना पड़ेगा


🚩सुरेश जी ने आगे कहा कि मैं दावा करता हूं कि आने वाले दिनों में हिंदुस्तान को और न्यायपालिका को पछतावा करना पड़ेगा कि दोनों ने जो बापू आसारामजी पर अत्याचार किये वो कितने गलत थे ।


🚩न्यापालिका बिकती है


🚩बापू आसारामजी जी हमारे लिए पवित्र थे, हैं और रहेंगे और हम यह केवल मैं आप लोगों के सामने नहीं कहता हूँ बल्कि मैं आप लोगों के सामने कम बोलता हूँ चैनल पर इससे ज्यादा बोलता हूँ। इस देश में न्यायपालिकाएं बिकती हैं प्रभावित होती है यह मैं पहले भी कह चुका हूँ आगे भी कहता हूँ कैमरे पे कहता हूँ क्योंकि मुझे ये कहने में डर नहीं हैं,खुद न्यायपालिका के अंदर के ही सिस्टम के अंदर के जज से लेकर मजिस्ट्रेट वकील इस बात को दोहरा चुके हैं इसलिए इन व्यवस्थाओं से बहुत ज्यादा भरोसा करने की जरूरत नहीं है।


🚩दिव्य शक्ति की इच्छा से नव हिंदुस्तान का निर्मित


🚩सुरेश जी ने बताया कि हम तो दिव्य व्यवस्था के वाहक हैं और इसलिए हमने उस दिव्य व्यवस्था पर अपनी श्रद्धा रखनी चाहिए भाव रखना चाहिए । वही व्यवस्था इन तमाम चीजों को क्योंकि भगवान किस बंदे से क्या करना चाहता है कोई बता नहीं सकता कभी-कभी वह बातें समझने में 100-100 साल लग जाते हैं और इसीलिए हम यह माने कि दिव्य शक्ति की इच्छा के आधार पर नव हिंदुस्तान को निर्मित करने की आवश्यकता है ।


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