Thursday, May 16, 2024

कोर्ट ने झूठे केस करने वाली लड़की को 1653 दिन की जेल और 6 लाख का जुर्माना लगाया

कोर्ट ने झूठे केस करने वाली लड़की को 1653 दिन की जेल और 6 लाख का जुर्माना लगाया 17 May 2024 https://azaadbharat.org
🚩महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावना से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है। 🚩निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नए कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करने वाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है। 🚩बरेली की घटना 🚩2019 में बरेली में रहने वाली 15 साल की लड़की ने अजय कुमार पर दिल्‍ली ले जाकर दुष्‍कर्म करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने पॉक्‍सो समेत कई धाराओं में केस दर्ज कर अजय को अरेस्‍ट कर लिया था। वह साढ़े चार सालों से जेल में बंद था। अब लड़की रेप के आरोप से मुकर गई है। 🚩यूपी के बरेली से एक ऐसी खबर आई है जो झूठे मुकदमों में फंसे निर्दोष युवकों के लिए नजीर बन सकती है। अदालत ने दुष्‍कर्म मामले में बयान से मुकरने वाली युवती को उतने ही दिन जेल में रहने की सजा सुनाई है जितने दिन तक आरोपी युवक कैद में रहा। साथ ही उस पर पांच लाख 88 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है जो निर्दोष को बतौर मुआवजा दिया जाएगा। कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कड़ी टिप्‍पणी की है। अदालत ने कहा कि दुष्‍कर्म जैसे जघन्‍य अपराध में फंसाने के लिए युवती ने सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का दुरुपयोग किया। इस कानून के तहत आरोपी को आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती थी। 🚩अपर सेशन जज 14 ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला अत्‍यंत गंभीर है। उन्‍होंने आरोपी युवक अजय उर्फ राघव को बाइज्‍जत बरी करने का आदेश दिया। झूठे मुकदमे की वजह से अजय को जेल में 1653 दिन (चार साल छह महीने और आठ दिन) बिताने पड़े। वह 2019 से आठ अप्रैल, 2024 तक जेल में रहा। जज ने आरोपी युवती को 1653 दिनों तक कैद की सजा सुनाई है। यह पूरा मामला 2019 का है। अजय कुमार पर आरोप लगा कि उन्‍होंने अपने साथ काम करने वाले सहयोगी की 15 साल की बहन का अपहरण कर रेप किया। नाबालिग ने पुलिस और कोर्ट को दिए बयान में बताया कि उसके साथ अजय ने दुष्‍कर्म किया। 🚩मां को नहीं पसंद था अजय और बड़ी बहन की नजदीकी' सरकारी वकील सुनील पांडेय ने बताया कि अजय कुमार के ऊपर पॉक्‍सो समेत कई धाराओं में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। नाबालिग ने कोर्ट को बयान दिया था कि अजय कुमार उसे दिल्‍ली लेकर गया और उसके साथ दुष्‍कर्म किया। चार साल बाद लड़की अपने बयान से मुकर गई और बताया कि अजय कुमार निर्दोष है। इस साल फरवरी में सुनवाई के दौरान लड़की ने बताया कि उसने अपनी मां के दबाव में आकर अजय पर झूठा आरोप लगाया था। अजय की उसकी बहन के साथ निकटता थी जो मां को पसंद नहीं था। लड़की की अब शादी हो चुकी है। उसके पति ने कोर्ट को बताया कि वह ट्रायल के चलते तंग आ चुका है। इसलिए उसकी पत्‍नी बयान बदलना चाहती है। 🚩जुर्माना न देने पर छह महीने और जेल में काटने पड़ेंगे सरकारी वकील सुनील पांडेय ने कहा कि लड़की के झूठ की वजह से एक निर्दोष व्‍यक्ति को जीवन के बहुमूल्‍य साढ़े चार साल जेल में बिताने पड़े। झूठी गवाही के आधार पर युवक को उम्रकैद की सजा हो सकती थी। आरोपी को जेल में रहने का कलंक झेलना पड़ा। कोर्ट ने झूठा बयान देने वाली लड़की को 1653 दिनों की सजा सुनाई है। पांच लाख 88 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न देने पर उसे छह महीने और जेल में काटने होंगे। 🚩देश में ऐसे कई मामले है,आखिर कब तक इस देश में निर्दोष पुरुषों को झूठे केस में जेल में रहना पड़ेगा??? 🚩जनता की भारत सरकार से मांग है कि वे पुरुषों के लिए भी सुरक्षा के लिए कानून बनाये और निर्दोष पुरुषों को जल्द रिहा किया जाय 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, May 15, 2024

करीना कपूर करवा चौथ की मजाक उड़ा रही थी अब बाइबिल पर फंस गई

करीना कपूर कर
वा चौथ की मजाक उड़ा रही थी अब बाइबिल पर फंस गई 
 16 May 2024
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 🚩बॉलीवुड ने फिल्मों और उसके संवादों के माध्यम से हिंदू समाज और उसकी संस्कृति का बड़े ही भद्दे ढंग से मजाक उड़ाया है। ये बात किसी फिल्म विशेष की नहीं, बल्कि एक दौर की है। हिंदू धर्म, उसके त्योहारों, उसके आचार-विचार, उसकी आस्था, उसकी मान्यता, उसके विश्वास से लेकर उसके अनुयायियों को बेहद फूहड़ता से दिखाने का जैसे फिल्मों में रिवाज सा चल पड़ा है। हालाँकि, किसी दूसरे समुदाय के साथ इस तरह का प्रयोग मुश्किल में डालने वाला होता है। 

 🚩दरअसल, बॉलीवुड अभिनेत्री एवं सैफ अली खान की बीवी करीना कपूर खान ने अपनी गर्भावस्था को लेकर एक पुस्तक लिखी है। उस पुस्तक के शीर्षक में उन्होंने बाइबिल शब्द का प्रयोग किया है। इसको लेकर ईसाई समाज के लोगों में रोष फैल गया। आखिरकार क्रिस्टोफर एंथनी नाम के एक वकील ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका डालकर अभिनेत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग की है। 

 🚩इस मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने गुरुवार (9 मई 2024) को करीना कपूर खान को नोटिस जारी किया। वकील एंथनी ने फरवरी 2022 में अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने करीना के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

 🚩याचिकाकर्ता ने कहा कि करीना ने अपनी किताब ‘करीना कपूर खान्स प्रेग्नेंसी बाइबिल‘ के शीर्षक में ‘बाइबिल’ शब्द का उपयोग करके ईसाई समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाया है। इसलिए करीना कपूर खान के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की जानी चाहिए। करीना के अलावा याचिका के अन्य प्रतिवादी अमेज़ॅन ऑनलाइन शॉपिंग, जगरनॉट बुक्स और पुस्तक के सह-लेखक हैं। 

 🚩दरअसल, वकील एंथनी ने शुरू में जबलपुर के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि करीना कपूर खान के कृत्य ने ईसाई समुदाय की भावनाओं को आहत किया है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था ‘पवित्र पुस्तक बाइबिल’ की तुलना अभिनेत्री की गर्भावस्था से नहीं की जा सकती है। हालाँकि, पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। 🚩इसके बाद वकील एंथनी ने मजिस्ट्रेट अदालत का रुख किया और इसी तरह की राहत की माँग करते हुए एक निजी शिकायत दर्ज कराई। हालाँकि, मजिस्ट्रेट ने भी इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि शिकायतकर्ता यह बताने में विफल रहा कि ‘बाइबिल’ शब्द के इस्तेमाल से ईसाई समुदाय की भावनाएँ कैसे आहत हुईं। 

 🚩इसके बाद एडवोकेट क्रिस्टोफर एंथनी ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय का रुख किया, लेकिन वहाँ भी उन्हें राहत नहीं मिली और कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद क्रिस्टोफर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के दरवाजे पर पहुँचे। यहाँ पर हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब माँगा है। 

 🚩दरअसल, हिंदुओं के दिवाली के त्योहार, मंगलसूत्र-बिंदी, कन्यादान आदि पर बॉलीवुड वाले मज़ाक उड़ाते रहते हैं। हालाँकि, अपनी सहिष्णुता की वजह से हिंदू समाज चुप रह जाता है। वहीं, हिंदुओं की तरह वे दूसरे समाज का माखौल उड़ाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें परेशानी भोगनी पड़ती है। चाहे वह किसी मुद्दे पर फिल्म बनानी हो या फिल्म का कोई दृश्य हो, गैर-हिंदू समुदाय बॉलीवुड को ऐसा करने की स्वतंत्रता नहीं देता है। इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। 

 🚩यही करीना कपूर हैं, जिन्होंने करवा चौथ का माखौल उड़ाया था। करीना कपूर ने एक बार कहा था, “जब बाकी औरतें भूखी रहेंगी, मैं खूब खाऊँगी। क्योंकि मुझे अपना प्यार साबित करने के लिए भूखे रहने की कोई भी जरूरत नहीं है।” नसीरुद्दीन शाह की बीवी रत्ना पाठक शाह ने भी इसे पिछड़ेपन से जोड़ दिया था। 🚩रत्ना पाठक ने कहा था, “एक बार मुझसे किसी ने पूछा था कि आप करवा चौथ का व्रत क्यों रखती। तो मैंने यही सोचा कि मैं क्या पागल हूँ क्या? ये बहुत ही अजीब है कि पढ़ी-लिखी महिलाएँ भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रख रही हैं।” उन्होंने यह भी कहा था कि इससे पता चलता है कि असहिष्णुता कितनी बढ़ गई है कि करवा चौथ तक का प्रश्न किया जाता है। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, May 14, 2024

रिपोर्ट में आया सामने : नेस्ले भारतीय बच्चों के लिए सेरेलेक में चीनी (Sugar) मिलाता है...

रिपोर्ट में आया सामने : नेस्ले भारतीय बच्चों के लिए सेरेलेक में चीनी (Sugar) मिलाता है...

15 May 2024


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  🚩खाने पीने के उत्पाद बनाने वाली कम्पनी नेस्ले के भारतीय समेत तमाम विकाशील या गरीब देशों के बच्चों पर दोहरे मानक सामने आ गए हैं। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नेस्ले भारतीय बच्चों के लिए बेचे जाने फूड सेरेलेक में मिठास के लिए चीनी जैसे उत्पाद मिलाती है जबकि यही काम यूरोप के बच्चों के लिए नहीं किया जाता। भारतीय बच्चों और यूरोपियन बच्चों के लिए बेंचे जानेवाले एक ही उत्पाद में इतना अंतर कैसे है? अब नेस्ले से इस बात का जवाब देते नहीं बन रहा है। अब भारत सरकार भी इस मामले का संज्ञान ले रही है। 

 🚩क्या है पूरा मामला❓ 

 🚩स्विटज़रलैंड के पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबीफूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) ने पूरे विश्व से नेस्ले के बच्चों के लिए बेंचें जाने वाले उत्पादों के सैंपल की जाँच की है। भारत समेत कई देशों में यह उत्पाद सेरेलेक के नाम से बेचा जाता है। यह उत्पाद छोटे बच्चों को खाने के रूप में दिया जाता है। फिलिपीन्स में बेचे जाने वाले इसी उत्पाद में प्रति खुराक में 7.3 ग्राम चीनी पाई गई। स्विटज़रलैंड समेत अन्य यूरोपियन देशों में बेंचे जाने वाले इन्हीं उत्पादों में बिलकुल भी चीनी नहीं थी। 

 🚩इस रिपोर्ट में बताया गया कि नेस्ले सेरेलेक के सभी उत्पादों में चीनी डाली जाती है। औसतन यह 4 ग्राम होती है। सबसे ज्यादा फ़िलीपीन्स के सैंपल में चीनी पाई गई। यूरोपियन बाजारों के सैंपल में चीनी नहीं मिली। भारत से लिए गए सैंपल की जाँच में भी बड़े खुलासे हुए। भारत में बिकने वाले सेरेलेक में औसतन हर खुराक में 3 ग्राम चीनी पाई गई है। यह भी बताया गया है कि चीनी इस उत्पाद में डाली गई लेकिन उसके विषय में डिब्बों पर स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया।

 🚩नेस्ले सेरेलेक सुगर रिपोर्ट में बताया गया है, “भारत में, जहाँ इस उत्पाद की बिक्री 2022 $250 मिलियन (लगभग ₹2000 करोड़) के पार थी, सभी सेरेलैक बेबीफूड में प्रति खुराक लगभग 3 ग्राम अतिरिक्त चीनी होती है। यही स्थिति अफ्रिका के मुख्य बाज़ार दक्षिण अफ़्रीका में भी है, जहाँ सभी सेरेलैक प्रति खुराक में 4 ग्राम या अधिक चीनी होती है।"

🚩सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश और पाकिस्तान समेत तमाम देशों में भी नेस्ले ने यही किया। यह भी बताया गया कि इनमें से कुछ पैकेज पर इनमें चीनी होने की बात लिखी तक नहीं थी। इन उत्पादों में शहद के रूप में चीनी थी जिसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मना करता है। 

 🚩नेस्ले का यह कदम बच्चों के लिए खतरनाक क्यों❓ इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के खाने में छोटी उम्र से ही अधिक चीनी दिया जाना ठीक नहीं है। इससे उनमें मोटापा, ह्रदय सम्बंधित बीमारियाँ और कैंसर आदि का खतरा बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा बच्चों के दाँतो पर भी चीनी का विपरीत प्रभाव पड़ता है। मिठास के लिए उत्पाद कम्पनियाँ उपयोग करती हैं, वह भी शुद्ध चीनी ना होकर अन्य मिठास वाले उत्पाद होते हैं। ऐसे में इनसे बचने की सलाह दी जाती है। https://twitter.com/OpIndia_in/status/1780931085095813555?t=XUYEICWvK7jsg05pf1JNxw&s=19 

 🚩औपनिवेशिक सोच का नतीजा 

 🚩नेस्ले के दोहरे मानकों पर सवाल उठाते हुए, जोहान्सबर्ग में विटवाटरसैंड विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य के प्रोफेसर और एक बाल रोग विशेषज्ञ करेन हॉफमैन ने पब्लिक आई से कहा, ”मुझे समझ में नहीं आता कि दक्षिण अफ्रीका बिकने वाले उत्पाद उन उत्पादों से अलग क्यों है जो विकसित देशों में बेचे जाते हैं। यह औपनिवेशीकरण का एक रूप है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। बच्चों के खाने में चीनी मिलाना भी एकदम सही नहीं है।” 

 🚩भारत में खाने-पीने की वस्तुओं की गुणवता का प्रमाणन करने वाली एजेंसी FSSAI ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और पब्लिक आई की रिपोर्ट के बाद इस पर कार्रवाई करेगी। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺
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Monday, May 13, 2024

गजवा-ए-हिन्द के मिशन में कांग्रेसी तुष्टिकरण का हाथ, घटते हिन्दू और बढ़ते मुस्लिम

14  May 2024

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🚩हाल ही में एक रिसर्च सामने आया। 1950 से लेकर 2015 तक के आँकड़ों का अध्ययन किए जाने के बाद इसमें पता चला कि जहाँ देश में हिन्दुओं की जनसंख्या 7.82% घट गई है, वहीं मुस्लिमों की जनसंख्या में 43.15% का भारी इजाफा हुआ है। इस रिसर्च का मानना है कि भारत में विविधता के फलने-फूलने के लिए एक उचित माहौल है, जिस कारण ऐसा हुआ। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने अपने सर्वे में ये जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि दुनिया भर में बहुसंख्यकों की आबादी घटने का ट्रेंड है।


🚩न सिर्फ हिन्दू, बल्कि जैन समाज के लोगों की जनसंख्या भी कम हुई है। जैन 0.45% से 0.36% हो गए हैं। 1950 में जहाँ हिन्दू 84.68% हुआ करते थे, वहीं अब 78.06% हो गए हैं। सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि ईसाइयों की जनसंख्या में भी इजाफा हुआ है। वो 5.38% बढ़ कर 2.24% से 2.36% हो गए हैं। सिख 1.24% से 1.85% हो गए हैं। पारसियों की संख्या जबरदस्त तरीके से घटी है। वो 85% घट कर 1950 में 0.03% से सीधे 0.004% हो गए हैं।


🚩इस रिसर्च पेपर में इस बात को भी इंगित किया गया है कि पड़ोसी मुल्कों में जहाँ बहुसंख्यक लगातार बढ़ रहे हैं, वहाँ के अल्पसंख्यकों ने संकट के समय भारत में शरण लिया। पाकिस्तान से भले ही बांग्लादेश कट कर अलग हो गया, लेकिन इसके बावजूद वहाँ इस अवधि में मुस्लिमों की जनसंख्या 10% बढ़ी। क्या मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ने को सचमुच विविधता का फलना-फूलना मान कर हमें जश्न मनाना चाहिए? नहीं, इतिहास तो ऐसा बिलकुल नहीं कहता है।


🚩हिन्दुओं की जनसंख्या बढ़ना खतरे की घंटी है, वहीं इसके साथ-साथ तेज़ी से मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ना और भी अधिक चिंता का विषय है। हमारे सामने उदाहरण है कि कैसे जिस भी इलाके में मुस्लिम प्रभावशाली होते चले जाते हैं, वहाँ वो अपने हिसाब से नियम-कानून चलाने लगते हैं, दूसरी परंपराओं की आस्था का वो सम्मान नहीं करते जिस कारण उन्हें पलायन के लिए विवश होना पड़ता है। गुजरात के सूरत में जैन समाज तो भरूच में हिन्दू समाज इसका निशाना बना।


🚩इसी को तो ‘लैंड जिहाद’ कहा जाता है – जहाँ भी बसो, अपने लोगों को बड़ी संख्या में बसाओ और शरिया चलाने लगो। सूरत के गोपीपुरा में कई जैन साध्वियाँ रहती थीं, लेकिन मुस्लिमों ने वहाँ फ़्लैट लेकर बकरियाँ काटनी शुरू कर दी। प्याज-लहसुन उनके घरों के बाहर छोड़ दिए जाते थे। भरूच के सोनी फलिया में मंदिर में आरती को ‘हराम’ बता कर रोक दिया गया। मुस्लिम अधिक दाम देकर संपत्ति खरीदते हैं, लालच में हिन्दू बेच कर निकल जाते हैं, फिर जो बचे-खुचे होते हैं वहाँ उनका रहना ही दूभर हो जाता है।


🚩बिहार में ही देख लीजिए। सीमांचल के जिलों में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ी तो वहाँ स्कूलों में रविवार की जगह जुमा को शुक्रवार के दिन साप्ताहिक अवकाश रहने लगा। यानी, शासन-प्रशासन के भी नियम ये अपने इलाकों में बदल देते हैं। मस्जिद के सामने से हिन्दू शोभा यात्रा नहीं गुजर सकती, ‘इनके इलाके’ में हिन्दू DJ नहीं बजा सकते। हाँ, इनके मस्जिद दिन भर में 5 बार माइक से अजान दें तो उसे हर हिन्दू को विवश होकर सुनना पड़ेगा। हर हिन्दू पर्व-त्योहार में पत्थर इकट्ठा करने की इनकी परंपरा है।


🚩जम्मू कश्मीर में देखिए, कश्मीरी हिन्दुओं को वहाँ से भगा दिया गया, महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ और बड़ी संख्या में नरसंहार भी। इसके बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने घाटी को बंधक बना लिया। भारत की आज़ादी के बाद से ही जवाहरलाल नेहरू ने अपने मित्र शेख अब्दुल्ला को खुली छूट दी, परिणाम ये हुआ कि वहाँ कट्टरपंथ बढ़ता गया, कई अलगाववादी पैदा हो गए। मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 और धारा-35A को निरस्त किया, जिसके बाद वहाँ स्थिति शांत हुई।


🚩आखिर मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ने के पीछे कारण क्या है? इसमें कॉन्ग्रेस पार्टी के तुष्टिकरण की राजनीति का हाथ नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि इसी कॉन्ग्रेस के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक़ मुस्लिमों का है। उन्होंने 10 वर्षों तक शासन किया, सोचिए उनकी नीतियों का हिन्दुओं को कितना नुकसान हुआ होगा। सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कॉन्ग्रेस एक बिल लेकर भी आई थी, जो अगर कानून बन जाता तो कहीं भी सांप्रदायिक दंगे होने पर हिन्दू समाज अपने-आप अपराधी घोषित कर दिया जाता और हिन्दू युवक जेल भेज दिए जाते।


🚩हिन्दुओं की जनसंख्या घटने को हम ‘बहुसंख्यकों की जनसंख्या घटना’ कह कर शुभ संकेत की तरह क्यों लें? ये देश हिन्दुओं का है। ये देश सनातन का है, यहाँ हिन्दू धर्म से ही बौद्ध, जैन और सिख जैसे संप्रदाय निकले और फिर वापस समाहित की छाया में ही समाहित हो गए। इस्लाम तो बाहर से आया, हिंसा और धोखेबाजी का सहारा लेकर यहाँ के लोगों को बड़े पैमाने पर धर्मांतरित किया गया। कभी किसी फकीर ने ‘चमत्कार’ दिखाया, कभी किसी बादशाह ने जजिया कर लगाया।


🚩भारत में अगर इस्लाम का प्रसार शांति से हुआ होता तो कोई दिक्कत की बात नहीं थी। कोई विचारधारा, जो हमारे देश की भूमि की सोच से मेल खाती ही नहीं है, वो बाहर से आकर यहाँ के मूलनिवासियों पर अपना आधिपत्य जमाने लगे तो इसमें खुश होने वाली कौन सी बात है? भारत में पहला बड़ा हमला करने वाला इस्लामी मुहम्मद बिन कासिम था, जिसने यहाँ की महिलाओं को सेक्स स्लेव बना कर अरब के बाजारों में भिजवाया, ये सोच तो भारत भूमि की नहीं हो सकती।


🚩दुर्रानी साम्राज्य ने सिखों का सिर काट कर लाने पर इनाम रखा। अयोध्या, मथुरा और काशी से लेकर अनंतनाग तक मंदिर तोड़े गए, जबरन उन अवशेषों से मस्जिदें बनाई गईं। हिन्दू राजाओं के किलों में जाने वाली नहरों में गोमांस फेंके गए। कभी कोई नादिर शाह दिल्ली को लूट ले गया, कभी कोई अहमदशाह अब्दाली आ धमका। आज भी जानबूझकर गोहत्या की जाती है, हिन्दुओं को भड़काने के लिए। सोच वही है, सिर्फ पीढ़ियाँ बदली हैं। आज भी तो खलीफा के शासन के लिए आतंकी हमले किए जाते हैं।


🚩भारत में PFI के एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय था, जिसे प्रतिबंधित किया गया। उससे पहले SIMI हुआ करता था। इनका एक ही लक्ष्य था – भारत में इस्लामी शासन की स्थापना। PFI की छात्र यूनिट SDPI ने कर्नाटक में कॉन्ग्रेस को समर्थन दिया। कॉन्ग्रेस इन ताकतों से मिली हुई है। केरल के वायनाड में राहुल गाँधी ने हरे झंडों वाले IUML (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) से हाथ मिलाया। कांग्रेस आज भी अपने घोषणा-पत्र के माध्यम से मुस्लिम तुष्टिकरण में लगी है।


🚩बिहार के फुलवारीशरीफ में भी PFI वालों के नेटवर्क पकड़ा गया, जहाँ गजवा-ए-हिन्द, यानी भारत में इस्लामी शासन के लिए साजिश चल रही थी। कई ठिकानों पर रेड पड़ी। कई दस्तावेज भी मिले, जिनमें इसके लिए 2047 यानी आज़ादी से 100 वर्ष बाद तक का लक्ष्य रखा गया था। कहीं युवाओं को हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है, कहीं ऑनलाइन सीरिया-पाकिस्तान में बैठे आकाओं से संपर्क करा कर भड़काया जाता है। आखिर हिन्दुओं में कोई आतंकी संगठन क्यों नहीं है, ये सब क्यों नहीं होता? हिन्दू तो भारत को अपनी भूमि मानते हैं, यहाँ की धरती को नुकसान क्यों पहुँचाएँगे?


🚩कांग्रेस पार्टी का एजेंडा है मुस्लिमों को आरक्षण देना, पिछड़ों का हक़ मार कर। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में नौकरी-एडमिशन से लेकर पंचायत चुनावों तक में मुस्लिमों को आरक्षण दिया जा रहा है। ये सब कॉन्ग्रेस ने किया। कॉन्ग्रेस की साजिश है देश की संपत्ति के बँटवारे की, ताकि हिन्दुओं की मेहनत की कमाई कई बच्चे पैदा करने वाले मुस्लिमों को पहुँच जाए। पार्टी घुसपैठियों का समर्थन करती है, इसने CAA का विरोध किया। पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तक कॉन्ग्रेस पार्टी घुसपैठियों को प्रश्रय देती है।


🚩एक तो भारत खुद ही इस्लामी ताकतों से परेशान है, ऊपर से बड़ी संख्या में म्यांमार-बांग्लादेश से रोहिंग्या घुसपैठियों के प्रति नरमी दिखा कर देश को तबाही की ओर धकेला जा रहा है। केंद्रीय मंत्री रहे कांतिलाल भूरिया कहते हैं कि पार्टी सत्ता में आने के बाद महिलाओं को एक-एक लाख रुपया देगी, 2 बीवी वालों को 2 लाख रुपए मिलेंगे। अब हिन्दू धर्म में तो बहुविवाह की इजाजत नहीं है। शरिया ही इसकी अनुमति देता है। और हाँ, मुस्लिमों को तो भारत में अपना अलग कानून चलाने की अनुमति भी है, उनके लिए ‘पर्नसल लॉ’ है।


🚩यही तो कारण है कि भाजपा अपने घोषणा-पत्र में UCC (समान नागरिक संहिता) लाने की बात करती है, जबकि कॉन्ग्रेस 2 बीवियों और ज़्यादा बच्चों वालों को प्रोत्साहित करती है। देश में सबके लिए समान कानून होना चाहिए, इसमें भला क्यों किसी को आपत्ति हो? महिला-पुरुष को बराबर अधिकार मिलें, इसमें कोई किसी को दिक्कत हो? लेकिन इस्लाम में तो मातृभूमि से पहले कुरान को रखा जाता है, स्वयं बाबासाहब भीमराव आंबेडकर कह गए हैं।


🚩केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि मुस्लिमों की हिस्सेदारी देश में 20% हो गई है। उनका कहना है कि ये सनातन को खत्म करने की साजिश है, घुसपैठियों को कॉन्ग्रेस ने अपना वोट बैंक बना रखा है। वास्तविक परिस्थितियाँ इससे भी भयावह हैं। भारत में कई छोटे-छोटे पाकिस्तान बन गए हैं जहाँ शरिया चलता है। जिस ‘सोने की चिड़िया’ को हजारों वर्षों से हिन्दुओं ने अपने खून-पसीने से सींच कर उपजाऊ बनाया, जिसे बहार से आक्रांता लूट-लूट कर ले गए, अब वो क्षेत्र भी हिन्दुओं के हाथों से चला जाए तो कैसा लगेगा?


🚩बार-बार ये कह कर मजाक बनाया जाता है कि धर्म कभी खतरे में था ही नहीं। अगर धर्म खतरे में नहीं था, फिर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान कट कर कैसे अलग हुए भारत से? इतना बड़ा क्षेत्र हिन्दुविहीन कैसे हो गया? बांग्लादेश में एक अफवाह पर देश भर में नवरात्री के पूजा-पंडालों पर हमले होते हैं, अफगानिस्तान से गुरुग्रंथसाहिब को वापस आना पड़ता है, पाकिस्तान वो तो आए दिन हिन्दू लड़कियों को उठा कर ले जाते हैं और जबरन धर्मांतरण-निकाह कर देते हैं, सरकार तक मंदिरों को गिराने में साथ देती है।


🚩कॉन्ग्रेस पार्टी ने शुरुआत से ही जो माहौल पैदा किया, ये सब उसका परिणाम है। जवाहरलाल नेहरू कहते थे कि राम-कृष्ण जैसे देवताओं ने गरीबी के सिवा और कुछ नहीं दिया। जिस देश की आत्मा में राम और कृष्ण बसते हों, वहाँ इस तरह के बयान से हिन्दू विरोधी उत्साहित नहीं होंगे तो और क्या। कभी राजीव गाँधी मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट देते हैं, कभी कॉन्ग्रेस सरकार ऐसा कानून लेकर आती है जिससे हिन्दू अपने ही तबाह धर्मस्थल को लेकर न्याय का दावा नहीं कर सकें।

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🚩और हाँ, ये आँकड़े तो सिर्फ 2015 तक के हैं। ‘लव जिहाद’ से लेकर कई अन्य तरह की आपराधिक घटनाएँ तो इसके बाद और भी तेज़ हो गईं, क्योंकि इसके लिए बाहर से फंडिंग तक आने लगा। अब तो सलमान खुर्शीद की भतीजी मारिया आलम ने ‘वोट जिहाद’ की अपील कर दी है। 2015 के बाद के 9 वर्षों में ही 2020 के फरवरी में दिल्ली में दंगे हुए, दिव्यांगों को मुस्लिम बनाने का नेटवर्क पकड़ा गया, औरंगजेब के महिमामंडन के लिए बुद्धिजीवियों को लगाया गया और ‘भारत से बाहर ‘भारत में मुस्लिम खतरे में हैं’ वाला माहौल दुनिया भर में बनाया गया।


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Sunday, May 12, 2024

हिंदू धर्म का सर्वोत्तम तीर्थ कोन सा है ?

13th  May 2024

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🚩माँ गंगा पृथ्वी पर क्यों और कैसे आयी ? 


🚩गंगा नदी उत्तर भारत की केवल जीवनरेखा नहीं, अपितु हिंदू धर्म का सर्वोत्तम तीर्थ है। ‘आर्य सनातन वैदिक संस्कृति’ गंगा के तट पर विकसित हुई, इसलिए गंगा हिंदुस्तान की राष्ट्ररूपी अस्मिता है एवं भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। इस कलियुग में श्रद्धालुओं के पाप-ताप नष्ट हों, इसलिए ईश्वर ने उन्हें इस धरा पर भेजा है। वे प्रकृति का बहता जल नहीं; अपितु सुरसरिता (देवनदी) हैं। उनके प्रति हिंदुओं की आस्था गौरीशंकर की भांति सर्वोच्च है। गंगाजी मोक्षदायिनी हैं इसीलिए उन्हें गौरवान्वित करते हुए पद्मपुराण में (खण्ड ५, अध्याय ६०, श्लोक ३९) कहा गया है, ‘सहज उपलब्ध एवं मोक्षदायिनी गंगाजी के रहते विपुल धनराशि व्यय (खर्च) करनेवाले यज्ञ एवं कठिन तपस्या का क्या लाभ ?’ नारदपुराण में तो कहा गया है, ‘अष्टांग योग, तप एवं यज्ञ, इन सबकी अपेक्षा गंगाजी का निवास उत्तम है । गंगाजी भारत की पवित्रता का सर्वश्रेष्ठ केंद्र बिंदु हैं, उनकी महिमा अवर्णनीय है।’


🚩मां गंगाजी की ब्रह्मांड में उत्पत्ति:-


🚩‘वामनावतार में श्री विष्णु ने दानवीर बलीराजा से भिक्षा के रूप में तीन पग भूमि का दान मांगा। राजा बलि इस बात से अनभिज्ञ थे कि स्वयं भगवान श्री विष्णु ही वामन के रूप में आए हैं, राजा ने उसी क्षण भगवान वामन को तीन पग भूमि दान की। भगवान वामन ने विराट रूप धारण कर पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी तथा दूसरे पग में अंतरिक्ष व्याप लिया। दूसरा पग उठाते समय वामन के (श्रीविष्णु के) बाएं पैर के अंगूठे के धक्के से ब्रह्मांड का सूक्ष्म-जलीय कवच टूट गया। उस छिद्र से गर्भोदक की भांति ‘ब्रह्मांड के बाहर के सूक्ष्म-जल ने ब्रह्मांड में प्रवेश किया। यह सूक्ष्म-जल ही गंगा है। गंगाजी का यह प्रवाह सर्वप्रथम सत्यलोक में गया।ब्रह्मदेव ने उसे अपने कमंडलु में धारण किया। तदुपरांत सत्यलोक में ब्रह्माजी ने अपने कमंडलु के जल से श्रीविष्णु के चरणकमल धोए। उस जल से गंगाजी की उत्पत्ति हुई। तत्पश्चात गंगाजी की यात्रा सत्यलोक से क्रमशः तपोलोक, जनलोक, महर्लोक, इस मार्ग से स्वर्गलोक तक हुई। जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी है) इन दिनों में गंगाजी में गोता मारने से विशेष सात्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है।


🚩पृथ्वी पर गंगाजी की उत्पत्ति:


🚩सूर्यवंश के राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ आरंभ किया। उन्हों ने दिग्विजय के लिए यज्ञीय अश्व भेजा एवं अपने 60 सहस्त्र (हजार) पुत्रों को भी उस अश्व की रक्षा हेतु भेजा। इस यज्ञ से भयभीत इंद्रदेव ने यज्ञीय अश्व को कपिल मुनि के आश्रम के निकट बांध दिया। जब सगर पुत्रों को वह अश्व कपिल मुनि के आश्रम के निकट प्राप्त हुआ, तब उन्हें लगा, ‘कपिलमुनि ने ही अश्व चुराया है’। इसलिए सगर पुत्रों ने ध्यानस्थ कपिल मुनि पर आक्रमण करने की सोची । कपिलमुनि को अंतर्ज्ञान से यह बात ज्ञात हो गई तथा अपने नेत्र खोले। उसी क्षण उनके नेत्रों से प्रक्षेपित तेज से सभी सगर पुत्र भस्म हो गए। कुछ समय पश्चात सगर के प्रपौत्र राजा अंशुमन ने सगर पुत्रों की मृत्यु का कारण खोजा एवं उनके उद्धार का मार्ग पूछा। कपिल मुनि ने अंशुमन से कहा, “गंगाजी को स्वर्ग से भूतल पर लाना होगा। सगर पुत्रों की अस्थियों पर जब गंगाजल प्रवाहित होगा, तभी उनका उद्धार होगा !’’ मुनिवर के बताए अनुसार गंगा को पृथ्वी पर लाने हेतु अंशुमन ने तप आरंभ किया। अंशुमन की मृत्यु के पश्चात उसके सुपुत्र राजा दिलीप ने भी गंगावतरण के लिए तपस्या की। अंशुमन एवं दिलीप के हजार वर्ष तप करने पर भी गंगावतरण नहीं हुआ, परंतु तपस्या के कारण उन दोनों को स्वर्ग लोक प्राप्त हुआ। (वाल्मीकि रामायण, काण्ड १, अध्याय ४१, २०-२१)


🚩‘राजा दिलीप की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या की। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर गंगामाता ने राजा भगीरथ से कहा, ‘‘मेरे इस प्रचंड प्रवाह को सहना पृथ्वी के लिए कठिन होगा। अतः तुम भगवान शंकर को प्रसन्न करो।’’ आगे भगीरथ की घोर तपस्या से शंकर प्रसन्न हुए तथा भगवान शंकर ने गंगाजी के प्रवाह को जटा में धारण कर उसे पृथ्वी पर छोडा। इस प्रकार हिमालय में अवतीर्ण गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे हरिद्वार, प्रयाग आदि स्थानों को पवित्र करते हुए बंगाल के उपसागर में (खाडी में) लुप्त हुईं।’


🚩बता दे कि जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी) हैं और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुईं वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी ) के नाम से जाना जाता है।


🚩जगद्गुरु आद्य शंकराचार्यजी, जिन्होंने कहा है : एको ब्रह्म द्वितियोनास्ति । द्वितियाद्वैत भयं भवति ।। उन्होंने भी ‘गंगाष्टक’ लिखा है, गंगा की महिमा गायी है। रामानुजाचार्य, रामानंद स्वामी, चैतन्य महाप्रभु और स्वामी रामतीर्थ ने भी गंगाजी की बड़ी महिमा गायी है। कई साधु-संतों, अवधूत-मंडलेश्वरों और जती-जोगियों ने गंगा माता की कृपा का अनुभव किया है, कर रहे हैं तथा बाद में भी करते रहेंगे।


🚩अब तो विश्व के वैज्ञानिक भी गंगाजल का परीक्षण कर दाँतों तले उँगली दबा रहे हैं! उन्होंने दुनिया की तमाम नदियों के जल का परीक्षण किया परंतु गंगाजल में रोगाणुओं को नष्ट करने तथा आनंद और सात्त्विकता देने का जो अद्भुत गुण है, उसे देखकर वे भी आश्चर्यचकित हो उठे।


🚩ऋषिकेश  में स्वास्थ्य-अधिकारियों ने पुछवाया कि यहाँ से हैजे की कोई खबर नहीं आती, क्या कारण है ? उनको बताया गया कि यहाँ यदि किसीको हैजा हो जाता है तो उसको गंगाजल पिलाते हैं। इससे उसे दस्त होने लगते हैं तथा हैजे के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और वह स्वस्थ हो जाता है। वैसे तो हैजे के समय घोषणा कर दी जाती है कि पानी उबालकर ही पियें। किंतु गंगाजल के पान से तो यह रोग मिट जाता है और केवल हैजे का रोग ही मिटता है ऐसी बात नहीं है, अन्य कई रोग भी मिट जाते हैं। तीव्र व दृढ़ श्रद्धा-भक्ति हो तो गंगास्नान व गंगाजल के पान से जन्म-मरण का रोग भी मिट सकता है।


🚩सन् 1947 में जलतत्त्व विशेषज्ञ कोहीमान भारत आया था। उसने वाराणसी से गंगाजल लिया। उस पर अनेक परीक्षण करके उसने विस्तृत लेख लिखा, जिसका सार है – ‘इस जल में कीटाणु-रोगाणुनाशक विलक्षण शक्ति है।’


🚩दुनिया की तमाम नदियों के जल का विश्लेषण करनेवाले बर्लिन के डॉ. जे. ओ. लीवर ने सन् 1924 में ही गंगाजल को विश्व का सर्वाधिक स्वच्छ और कीटाणु-रोगाणुनाशक जल घोषित कर दिया था।


🚩‘आइने अकबरी’ में लिखा है कि ‘अकबर गंगाजल मँगवाकर आदर सहित उसका पान करते थे। वे गंगाजल को अमृत मानते थे।’ औरंगजेब और मुहम्मद तुगलक भी गंगाजल का पान करते थे। शाहनवर के नवाब केवल गंगाजल ही पिया करते थे।


🚩कलकत्ता के हुगली जिले में पहुँचते-पहुँचते तो बहुत सारी नदियाँ, झरने और नाले गंगाजी में मिल चुके होते हैं। अंग्रेज यह देखकर हैरान रह गये कि हुगली जिले से भरा हुआ गंगाजल दरियाई मार्ग से यूरोप ले जाया जाता है तो भी कई-कई दिनों तक वह बिगड़ता नहीं है। जबकि यूरोप की कई बर्फीली नदियों का पानी हिन्दुस्तान लेकर आने तक खराब हो जाता है।


🚩रुड़की विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कहते हैं कि ‘गंगाजल में जीवाणुनाशक और हैजे के कीटाणुनाशक तत्त्व विद्यमान हैं।’


🚩फ्रांसीसी चिकित्सक हेरल ने देखा कि गंगाजल से कई रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। फिर उसने गंगाजल को कीटाणुनाशक औषधि मानकर उसके इंजेक्शन बनाये और जिस रोग में उसे समझ न आता था कि इस रोग का कारण कौन-से कीटाणु हैं, उसमें गंगाजल के वे इंजेक्शन रोगियों को दिये तो उन्हें लाभ होने लगा!


🚩संत तुलसीदासजी कहते हैं : गंग सकल मुद मंगल मूला। सब सुख करनि हरनि सब सूला।। (श्रीरामचरित. अयो. कां. : 86.2)


🚩सभी सुखों को देनेवाली और सभी शोक व दुःखों को हरनेवाली माँ गंगा के तट पर स्थित तीर्थों में पाँच तीर्थ विशेष आनंद-उल्लास का अनुभव कराते हैं : गंगोत्री, हर की पौड़ी (हरिद्वार), प्रयागराज त्रिवेणी, काशी और गंगासागर। गंगा दशहरे के दिन गंगा में गोता मारने से सात्त्विकता, प्रसन्नता और विशेष पुण्यलाभ होता है।


🚩गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया है :


🚩संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते । तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः ।।


🚩‘देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करनेवाली हैं। आप जीवनरूपा हैं। आप आधिभौतिक,आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का संहार करनेवाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं। आपको बार-बार नमस्कार है।’


🚩गंगा नदी को कुछ सालों से इतना गन्दा किया जा रहा है कि उसे अब स्वच्छ करने की अत्यधिक आवश्यकता हैं। ये जवाबदारी सरकार के साथ साथ हम आप सभी की हैं। हमें ध्यान रखना होगा कि हम गंगा नदी में कूड़ा करकट न डाले ओर नही ही किसी को डालने दे।


🚩जनता की मांग है की माँ गंगाजी की सफाई शीघ्रता से होनी चाहिए।


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Saturday, May 11, 2024

न्यायलय को इतना भी भेदभाव नहीं करना चाहिए.

12 May 2024

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🚩भारत देश में सबसे बड़ी मजाक बन गया है "कानून सबके लिए समान है" कानून समानता के लिए बनाया गया लेकिन कानून को चलाने वाले भेदभाव करने लगे है इसलिए जनता को कानून पर भरोसा उठता जा रहा हैं।


🚩आप नेता अरविंद केजरीवाल को इसलिए जमानत दी गई की उनको चुनवा प्रचार करना है, अगर इस तरीके से जमानत मिल जायेगी तो हर भ्रष्टाचारी नेता चुनवा के लिए जमानत हासिल कर देगा, इससे पहले लालू प्रसाद यादव को जमानत बीमारी ठीक करने को मिली लेकिन बाद में चुनाव का प्रचार करने लगे , जेल में बंद लाखों कैदी इसलिए बंद है की उनके पास पैसा नहीं है, राजनीतिक पहचान नही है उनके भी अपने घर के अनेक ज़रूरी काम होंगे लेकिन न्यायलय उनको जमानत नही दे रही , अगर कानून सभी के लिए समान होता तो उनको भी जमानत मिलनी चाहिए थी। नेता अभिनेता उद्योगपति ही नही आतंकवादियों को भी जमानत मिल जाति है लेकिन 12 साल से जोधपुर जेल में बंद 88 वर्षीय बुजुर्ग हिंदू संत आशाराम बापू को आजतक 1 दिन की रिहाई नही दी गई जबकि उनके पास निर्दोष होने के पुख्ता सबूत होने के बाजबूज भी पता नही न्यायलय और सरकार को उनके राष्ट्र और संस्कृति के कार्य करने से इतना परेशानी क्यों हो रही है जो आजतक रिहाई नही कर रहे हैं।


🚩बता दे की बंबई हाईकोर्ट ने धनशोधन मामले में गिरफ्तार जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को स्वास्थ्य के आधार पर दो महीने के लिए अंतरिम जमानत दिया। लेकिन दूसरी ओर जिन्होंने पूरा जीवन तपस्या व समाज, देश और संस्कृति के उत्थान के कार्य में बिताये, धर्मांतरण पर रोक लगाई- ऐसे 88 वर्षीय हिन्दू संत आशारामजी बापू 11 साल से जेल में हैं उनका स्वास्थ्य खराब होने के बाद भी एक दिन के लिए भी जमानत नहीं मिल पाई। 


🚩बता दे की देशभर में कोरोना फैलानेवाले मौलाना साद को जमानत मिल गई, देश के ‘टुकड़े’ करने का नारा लगाने वाले कन्हैया कुमार को जमानत मिल गई, बलात्कार आरोपी बिशप फ्रेंको व तरुण तेजपाल को जमानत मिल गई, 65 गैर जमानती वारंट होने के बाद भी दिल्ली के इमाम बुखारी को आज तक अरेस्ट नहीं कर पाए, सोये हुए गरीबों को कुचलनेवाले सलमान खान को 1 घंटे में जमानत मिल गई, लेकिन भारतीय संस्कृति के उत्थान का कार्य करनेवाले 88 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू को 12 साल से आज तक न्यायालय जमानत नहीं दे पाया।


🚩आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है जब उनके केस को पढ़ते हैं तो उसमें साफ है कि जिस समय की तथाकथित घटना आरोप लगाने वाली लड़की ने बताई है वह उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी जिसकी कॉल डिटेल भी है और आशारामजी बापू एक कार्यक्रम में थे, जहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे जिन्होंने गवाही भी दी है; मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोंच तक नहीं आने का प्रमाण है और एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नहीं है, केवल छेड़छाड़ का आरोप है।


🚩आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फैक्स भी आया था, जिसमें भेजनेवाले ने साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो नहीं तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।


🚩बता दें कि स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व हिंदू संत आसाराम बापू ने किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश में 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शुरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोले, करोड़ों लोगों को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं और उन्हें जमानत हासिल नहीं हो पा रही है।


🚩भारत में समाज, संस्कृति व राष्ट्र उत्थान के लिए कार्य करना गुनाह है- ऐसा जनता को लग रहा है, क्योंकि बड़े-बड़े अपराधियों को जमानत हासिल हो जाती है लेकिन कोई राष्ट्रहित के कार्य कर रहा है और उसपर षड्यंत्र के तहत जूठे आरोप लगे हैं फिर भी उनको बेल नहीं, जेल ही मिलती है। ऐसे कई उदाहरण हैं।


🚩जनता की मांग है की हिंदू संत आशाराम बापू और आम जनता जिनके पास केस लड़ने के पैसे नही है उनको रिहा करना चाहिए।


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Friday, May 10, 2024

रिपोर्ट : 56 प्रतिशत बीमारियों की वजह खराब खान-पान

10  May 2024

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🚩उत्तम स्वास्थ्य का आधार है यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्वक व्यवस्थित जीवन। बाह्य चकाचौंध की ओर अधिक आकर्षित होकर हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं इसलिए हमारा शरीर रोगों का घर बनता जा रहा है।


🚩‘चरक संहिता’ में कहा गया हैः

आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।

परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान हित सेवने।।


🚩'इस संसार में सुखी जीवन की इच्छा रखने वाले बुद्धिमान व्यक्ति आहार-विहार, आचार और चेष्टाएँ हितकारक रखने का प्रयत्न करें।'


🚩उचित आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य – ये तीनों वात, पित्त और कफ को समान रखते हुए शरीर को स्वस्थ व निरोग बनाये रखते हैं, इसीलिए इन तीनों को उपस्तम्भ माना गया है। अतः आरोग्य के लिए इन तीनों का पालन अनिवार्य है।


🚩आईसीएमआर की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 56.4 प्रतिशत बीमारियों की वजह खराब खानपान है। इन्हें देखते हुए ICMR ने खाने और पोषण से जुड़ी 17 डाइटरी गाइडलाइंस जारी की हैं। इनका उद्देश्य जरूरी पोषण को सुनिश्चित करना और मोटापे-डायिटीज जैसी बीमारियों से लोगों को दूर रखना है। दरअसल आईसीएमआर के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन (NIN) ने ये रिपोर्ट बनाई है।  रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी डाइट रखने और फिजिकल एक्टिविटीज बनाए रखने से दिल की बीमारियों और हाइपरटेंशन जैसी स्थितियों से बहुत हद तक बचा जा सकता है, साथ ही टाइप-2 डायबिटीज से भी 80 प्रतिशत तक सुरक्षा मिलती है.


🚩प्री-मैच्योर मौतों को रोकने के लिए जरूरी है हेल्दी लाइफस्टाइल:

रिपोर्ट कहती है कि 'अच्छी लाइफस्टाइल अपनाने से समय से पहले होने वाली मौतों की बड़ी संख्या को रोका जा सकता है। दरअसल बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड्स, जिनमें बड़ी मात्रा में शुगर और फैट होता है, जब उन्हें लगातार व्यक्ति खाता है, ऊपर से फिजिकल एक्टिविटीज भी बहुत सीमित होती हैं, तो शरीर में माइक्रोन्यूट्रीएंट की कमी होने लगती है, साथ में मोटापा भी घेर लेता है।'


🚩गाइडलाइंस की अहम बातें:

एनआईएन ने नमक कम खाने, फैट और ऑयल सीमित मात्रा में लेने, एक्सरसाइज करने, शुगर और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को कम करने की सलाह दी है।

एनआईएन का सुझाव है कि मोटापे से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की जरूरत है। साथ ही फूड लेबल्स में लिखी जानकारी को ठीक ढंग से पढ़कर इनफॉर्म्ड च्वाइस अपनाने की सलाह दी है।


🚩आईसीएमआर के डायरेक्टर डॉक्टर राजीव बहल कहते हैं, 'बीते कुछ दशकों में भारतीय लोगों की खान-पान की आदतों में बहुत जबरदस्त बदलाव आया है। इससे नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियों की मात्रा बढ़ेगी, जबकि कुपोषण की कुछ मौजूदा समस्याएं जस के तस बरकरार हैं।'


🚩बैलेंस डाइट में 45 प्रतिशत कैलोरी अनाज और मोटे-अनाज से होनी चाहिए। जबकि 15 प्रतिशत कैलोरी दालों, बीन्स (फलियों)  आदि से आनी चाहिए। बाकी कैलोरीज सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए।


🚩अशुद्ध और अखाद्य भोजन, अनियमित रहन-सहन, संकुचित विचार तथा छल-कपट से भरा व्यवहार – ये विविध रोगों के स्रोत हैं। कोई भी दवाई इन बीमारियों का स्थायी इलाज नहीं कर सकती। थोड़े समय के लिए दवाई एक रोग को दबाकर, कुछ ही समय में दूसरा रोग उभार देती है। अतः अगर सर्वसाधारण जन इन दवाइयों की गुलामी से बचकर, अपना आहार शुद्ध, रहन-सहन नियमित, विचार उदार तथा व्यवहार प्रेममय बनायें रखें तो वे सदा स्वस्थ, सुखी, संतुष्ट एवं प्रसन्न बने रहेंगे। आदर्श आहार-विहार और विचार-व्यवहार ये चहुँमुखी सुख-समृद्धि की कुंजियाँ हैं।


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Thursday, May 9, 2024

परशुरामजी कौन थे आज भारत को उनकी आवश्यकता क्यों है ???

9  May 2024

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🚩भगवान परशुरामजी का जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी क्षत्राणी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। वे भगवान विष्णु के छठे अंशावतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुरामजी कहलाये।


🚩शक्तिधर परशुरामजी का चरित्र एक ओर जहाँ शक्ति के केन्द्र सत्ताधीशों को त्यागपूर्ण आचरण की शिक्षा देता है वहीं दूसरी ओर वह शोषित, पीड़ित, क्षुब्ध जनमानस को भी उसके शक्ति और सामर्थ्य का एहसास दिलाता है। शासकीय दमन के विरूद्ध वह क्रान्ति का शंखनाद है। उनका जीवन सर्वहारा वर्ग के लिए अपने न्यायोचित अधिकार प्राप्त करने की मूर्तिमंत प्रेरणा भी देता है। वह राजशक्ति पर लोकशक्ति का विजयघोष है।


🚩आज स्वतंत्र भारत में सैकड़ों-हजारों सहस्रबाहु देश के कोने-कोने में विविध स्तरों पर सक्रिय हैं। ये लोग कहीं साधु-संतों की हत्या करते हैं, अपमानित करते हैं या कहीं न कहीं न्याय का आडम्बर करते हुए भोली जनता को छल रहे हैं; कहीं उसका श्रम हड़पकर अबाध विलास में ही राजपद की सार्थकता मान रहे हैं, तो कहीं अपराधी माफिया गिरोह खुलेआम आतंक फैला रहे हैं। तब असुरक्षित जन-सामान्य की रक्षा के लिए आत्म-स्फुरित ऊर्जा से भरपूर व्यक्तियों के निर्माण की बहुत आवश्यकता है। इसकी आदर्श पूर्ति के निमित्त परशुरामजी जैसे प्रखर व्यक्तित्व विश्व इतिहास में विरले ही हैं। इस प्रकार परशुरामजी का चरित्र शासक और शासित दोनों स्तरों पर प्रासंगिक है।


🚩शस्त्र शक्ति का विरोध करते हुए अहिंसा का ढोल चाहे कितना ही क्यों न पीटा जाये, उसकी आवाज सदा ढोल के पोलेपन के समान खोखली और सारहीन ही सिद्ध हुई है। उसमें ठोस यथार्थ की सारगर्भितता कभी नहीं आ सकी।


🚩सत्य,हिंसा और अहिंसा के संतुलन बिंदु पर ही केन्द्रित है। कोरी अहिंसा और विवेकहीन पाशविक हिंसा- दोनों ही मानवता के लिए समान रूप से घातक हैं। आज जब हमारे साधु-संत और राष्ट्र की सीमाएं असुरक्षित हैं; कभी कारगिल, कभी कश्मीर, कभी बांग्लादेश तो कभी देश के अन्दर नक्सलवादी शक्तियों के कारण हमारी अस्मिता का चीरहरण हो रहा है, तब परशुरामजी जैसे वीर और विवेकशील व्यक्तित्व के नेतृत्व की देश को आवश्यकता है।


🚩गत शताब्दी में कोरी अहिंसा की उपासना करने वाले हमारे नेतृत्व के प्रभाव से हम जरुरत के समय सही कदम उठाने में हिचकते रहे हैं। यदि सही और सार्थक प्रयत्न किया जाए तो देश के अन्दर से ही प्रश्न खड़े होने लगते हैं।


🚩परिणाम यह है,कि हमारे तथाकथित बुद्धिजीवियों और व्यवस्थापकों की धमनियों का रक्त इतना ठंडा हो गया,कि देश की जवानी को व्यर्थ में ही कटवाकर भी वे आत्मसंतोष और आत्मश्लाघा का ही अनुभव होता है।अपने नौनिहालों की कुर्बानी पर वे गर्व अनुभव करते हैं।उनकी वीरता के गीत तो गाते हैं,किन्तु उनके हत्यारों से बदला लेने के लिए उनका खून नहीं खौलता! प्रतिशोध की ज्वाला अपनी चमक खो बैठी है। शौर्य के अंगार तथाकथित संयम की राख से ढंके हैं। शत्रु-शक्तियां सफलता के उन्माद में सहस्रबाहु की तरह उन्मादित हैं !


🚩…लेकिन आज परशुरामजी अनुशासन और संयम के बोझ तले मौन हैं।


🚩 राष्ट्रकवि दिनकर ने सन् 1962 ई. में चीनी आक्रमण के समय देश को ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शीर्षक से ओजस्वी काव्यकृति देकर सही रास्ता चुनने की प्रेरणा दी थी। युग चारण ने अपने दायित्व का सही-सही निर्वाह किया। किन्तु राजसत्ता की कुटिल और अंधी स्वार्थपूर्ण लालसा ने हमारे तत्कालीन नेतृत्व के बहरे कानों तक उसकी पुकार ही नहीं आने दी। पांच दशक बीत गये। इस बीच एक ओर साहित्य में परशुराम के प्रतीकार्थ को लेकर समय पर प्रेरणाप्रद रचनाएं प्रकाश में आती रहीं और दूसरी ओर सहस्रबाहु की तरह विलासिता में डूबा हमारा नेतृत्व राष्ट्र-विरोधी षड़यंत्रों को देश के भीतर और बाहर दोनों ओर पनपने का अवसर देता रहा।


🚩परशुरामजी पर केन्द्रित साहित्यिक रचनाओं के संदेश को व्यावहारिक स्तर पर स्वीकार करके हम साधारण जनजीवन और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा कर सकते हैं।


🚩महापुरूष किसी एक देश, एक युग, एक जाति या एक धर्म के नहीं होते। वे तो समूचे राष्ट्र की, सम्पूर्ण मानवता की, समस्त विश्व की, विभूति होते हैं। उन्हें किसी भी सीमा में बाँधना ठीक नहीं। दुर्भाग्य से हमारे यहां स्वतंत्रता में महापुरूषों को स्थान, धर्म और जाति की बेड़ियों में जकड़ा गया है। विशेष महापुरूष , वर्ग-विशेष के द्वारा ही सत्कृत हो रहे हैं। एक समाज विशेष ही विशिष्ट व्यक्तित्व की जयंती मनाता है। अन्य जन उसमें रूचि नहीं दर्शाते, अक्सर ऐसा ही देखा जा रहा है। यह स्थिति दुभाग्यपूर्ण है। महापुरूष चाहे किसी भीदेश, जाति, वर्ग, धर्म आदि से संबंधित हो, वो सबके लिए समान रूप से पूज्य व उनके आदर्श सभी के लिए अनुकरणीय होने ही चाहिए ।


🚩इस संदर्भ में भगवान परशुरामजी को, जो उपर्युक्त विडंबनापूर्ण स्थिति के चलते केवल ब्राह्मण वर्ग तक सीमित हो गए हैं, समस्त शोषित वर्ग के लिए प्रेरणा स्रोत क्रान्तिदूत के रूप में स्वीकार किया जाना समय की माँग है । भगवान परशुराम सभी शक्तिधरों के लिए संयम के अनुकरणीय आदर्श हैं ।


🚩भा माने -अध्यात्म

रत माने – उसमें रत रहने वाले

“जिस देश के लोग अध्यात्म में रत रहते हैं उसका नाम है भारत।”


🚩भारत की गरिमा सदा उसकी संस्कृति व साधु-संतों से ही रही है। भगवान भी बार-बार जिस धरा पर अवतरित होते आये हैं, वो भूमि भारत की भूमि है। किसी भी देश को माँ कहकर संबोधित नहीं किया जाता पर भारत को “भारत माता” कहकर संबोधित किया जाता है, क्योंकि यह देश आध्यात्मिकता का शिरोमणी देश है, संतों महापुरुषों का देश है। भौतिकता के साथ-साथ यहाँ आध्यात्मिकता को उससे कहीं अधिक बढ़कर ही महत्व दिया गया है। पर आज की पीढ़ी के पाश्चात्य कल्चर की ओर बढ़ते कदम इसकी गरिमा को भूलते चले जा रहे हैं; संतों महापुरुषों का महत्व, उनके आध्यात्मिक स्पन्दन भूलते जा रहे हैं।


🚩संत और समाज के बीच खाई खोदने में एक बड़ा वर्ग सक्रिय है। ईसाई मिशनरियां सक्रिय हैं, कुछ मीडिया सक्रिय है, विदेशी कम्पनियाँ सक्रिय हैं, विदेशी फण्ड से चलने वाले NGOs सक्रिय हैं, जिहादी सक्रिय हैं, कई राजनैतिक दल व नेता सक्रिय हैं; क्योंकि इनका उद्देश्य है- भारतीय संस्कृति को मिटाकर पश्चिमी सभ्यता लाने का जिससे विदेशी कंपनियों की प्रोडक्ट की बिक्री भारी मात्रा में होगी और धर्मान्तरण भी जोरों शोरों से होगा, फिर उनका वोटबैंक बढ़ जायेगा और देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़ लेंगे।


🚩इतने सब वर्ग जब एक साथ सक्रिय होंगे तो किसी के भी प्रति गलत धारणाएं समाज के मन में उत्पन्न करना बहुत ही आसान हो जाता है और यही हो रहा है हमारे संत समाज के साथ।


🚩पिछले कुछ सालों से एक दौर ही चल पड़ा है हिन्दू संतों को लेकर। किसी संत की हत्या कर दी जाती है या किसी संत को झूठे केस में सालों जेल में रखा जाता है फिर विदेशी फण्ड से चलने वाली मीडिया उनको अच्छे से बदनाम करके उनकी छवि समाज के सामने इतनी धूमिल कर देती है कि समाज उन झूठे आरोपों के पीछे की सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास ही नहीं करता।


🚩अब समय है कि समाज को जागना होगा- भारतीय संस्कृति व साधु-संतों के साथ हो रहे अन्याय को समझने के लिए। अगर अब भी हिन्दू मूक – दर्शक बनकर देखता रहा तो हिंदुओं का भविष्य खतरे में है। इसलिए आज के समय में भगवान परशुराम की आवश्कता है।


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Wednesday, May 8, 2024

अक्षय तृतीया के बारे में, ये महत्वपूर्ण बातें जानोगे तो चमका देगी भाग्य

8 May 2024

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🚩अक्षय तृतीया पर्व इस वर्ष 10 मई 2024 शुक्रवार को  मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान हैं।


🚩अक्षय तृतीया में पूजा, जप-तप, दान स्नानादि शुभ कार्यों का विशेष महत्व तथा फल रहता है। इस तिथि का जहाँ धार्मिक महत्व है, वहीं यह तिथि व्यापारिक रौनक बढ़ाने वाली भी मानी गई है।


🚩यह दिन सौभाग्य और सफलता का सूचक है। इस दिन को ‘सर्वसिद्धि मुहूर्त दिन’ भी कहते है, क्योंकि इस दिन शुभ काम के लिये पंचांग देखने की ज़रूरत नहीं होती है।


🚩भगवान विष्णु के नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।


🚩भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है।


🚩 इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते है।


🚩वृन्दावन स्थित श्री बाँके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं।


🚩इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता।


🚩इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थीं। राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर अवतरित कराने के लिए हजारों वर्ष तक तप कर उन्हें धरती पर लाए थे। इस दिन पवित्र गंगा में डूबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।


🚩 इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इस दिन गरीबों को खाना खिलाया जाता है और भंडारे किए जाते हैं। मां अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई तथा भोजन में स्वाद बढ़ जाता है।


🚩अक्षय तृतीया के अवसर पर ही म‍हर्षि वेदव्‍यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था। महाभारत को पांचवें वेद के रूप में माना जाता है। इसी में श्रीमद्भागवत गीता भी समाहित है। अक्षय तृतीया के दिन श्रीमद्भागवत गीता के 18 वें अध्‍याय का पाठ करना चाहिए।


🚩 बंगाल में इस दिन भगवान गणेशजी और माता लक्ष्मीजी का पूजन कर सभी व्यापारी अपना लेखा-जोखा (ऑडिट बुक) की किताब शुरू करते हैं। वहां इस दिन को ‘हलखता’ कहते हैं।


🚩 भगवान शंकरजी ने इसी दिन भगवान कुबेर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने की सलाह दी थी। जिसके बाद से अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और यह परंपरा आज तक चली आ रही है।


🚩अक्षय तृतीया के दिन ही पांडव पुत्र युधिष्ठर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी। इसकी विशेषता यह थी कि इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।


🚩अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य करने का विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया के दिन कम से कम एक गरीब को अपने घर बुलाकर सत्‍कार पूर्वक उन्‍हें भोजन अवश्‍य कराना चाहिए। गृहस्‍थ लोगों के लिए ऐसा करना जरूरी बताया गया है। मान्‍यता है कि ऐसा करने से उनके घर में धन धान्‍य में अक्षय बढ़ोतरी होती है।


🚩अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हमें धार्मिक कार्यों के लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्‍सा दान करना चाहिए। ऐसा करने से हमारी धन और संपत्ति में कई गुना इजाफा होता है।


🚩वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। वैसे तो देशभर में परशुराम जयंती मनाते है पर,कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों में इस तिथि को परशुराम जयन्ती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दक्षिण भारत में परशुराम जयन्ती को विशेष महत्व दिया जाता है,इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।


🚩एक कथा के अनुसार परशुराम की माता और विश्वामित्र की माता के पूजन के बाद प्रसाद देते समय ऋषि ने प्रसाद बदल कर दे दिया था। जिसके प्रभाव से परशुराम ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय स्वभाव के थे और क्षत्रिय पुत्र होने के बाद भी विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाए।


🚩सौभाग्यवती स्त्रियाँ और कुंवारी कन्याएँ इस दिन गौरी-पूजा करके मिठाई, फल और भीगे हुए चने बाँटती हैं, गौरी-पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं ।


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Tuesday, May 7, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने जो कानून में बदलाव की सरकार से मांग की वे आपके लिए अति जरूरी हैं

8 May 2024

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🚩सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में महिला उत्पीड़न के झूठे आरोपों पर लगाम लगाने के लिए भारतीय न्याय संहिता में समुचित बदलाव करने पर केंद्र सरकार और विधायिका को फिर से विचार करने की बात कही है 


🚩संसद से पास हुए और चीफ जस्टिस की तारीफ से सराबोर तीन नए आपराधिक कानून देश भर में पहली जुलाई से लागू होने वाले हैं। लेकिन संसद से इनकी मंजूरी के चार महीने बाद और लागू होने से दो महीने पहले ही भारतीय न्याय संहिता के एक अहम प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में महिला उत्पीड़न के झूठे आरोपों पर लगाम लगाने के लिए भारतीय न्याय संहिता में समुचित बदलाव करने पर केंद्र सरकार और विधायिका को फिर से विचार करने की बात कही है।


🚩धारा 85 और 86 में बदलाव पर विचार


🚩जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अपने एक फैसले में कहा कि केंद्र झूठी शिकायतें दर्ज कराए जाने की लगातार बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 85 और 86 में जरूरी बदलाव करने पर वक्त रहते विचार और सुधार करे। यानी ये नए कानून लागू होने से पहले ही इस पर विचार हो जाए तो बेहतर होगा।


🚩'संवेदनशील मुद्दों पर गौर करे विधायिका...'


🚩कोर्ट ने कहा कि ये धाराएं हू-ब-हू आईपीसी की धारा 498 (ए) जैसी ही है। फर्क बस यह है कि धारा 498 (ए) का स्पष्टीकरण भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 86 में दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि हम विधायिका से गुजारिश करते हैं कि वह हकीकत के मद्देनजर इस संवेदनशील मुद्दे पर गौर करे। भारतीय न्याय संहिता, 2023 के लागू होने से पहले धारा 85 और 86 में जरूरी बदलाव होना चाहिए।


🚩जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि वह भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 85 और 86 पर गौर कर रही है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को इस फैसले की एक-एक कॉपी केंद्रीय विधि सचिव और गृह सचिव को भेजने का निर्देश दिया है। यही दोनों इस पर अपनी अनुशंसा और टिप्पणी के साथ इसे विधि और न्याय मंत्री के साथ-साथ गृह मंत्री के समक्ष रखेंगे।


🚩नए कानून की धारा 85 और 86 में क्या कहा गया है?


🚩BNS की धारा 85 में कहा गया है कि अगर महिला का पति या पति का रिश्तेदार उसके साथ क्रूरता करेगा, तो अपराध सिद्ध होने पर उसे तीन साल तक जेल की सजा दी जाएगी। साथ ही उस पर नकद जुर्माना भी लगाया जाएगा। इस प्रावधान के साथ बीएनएस की धारा 86 "क्रूरता" की परिभाषा विस्तृत व्याख्या के साथ बताती है। इसमें पीड़ित महिला को मानसिक और शारीरिक, दोनों तरह से होने वाले नुकसान शामिल हैं।


🚩पीठ ने कहा कि उसने 14 साल पहले केंद्र से दहेज विरोधी कानून यानी IPC की धारा 498ए पर फिर से विचार करने के लिए कहा था, क्योंकि बड़ी संख्या में दहेज प्रताड़ना की शिकायतों में घटना को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता रहा है।


🚩कोर्ट ने यह सुझाव क्यों दिया?


🚩अदालत ने ये बातें एक महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ दायर दहेज-उत्पीड़न के मामले को रद्द करते हुए कही हैं। पीड़ित पत्नी की तरफ से दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक, पति और उसके परिवार के सदस्यों ने कथित तौर पर दहेज की मांग की और उसे मानसिक और शारीरिक नुकसान पहुंचाया। जबकि पीड़ित महिला के परिवार ने शादी के वक्त बड़ी रकम खर्च की थी। उसका "स्त्रीधन" भी पति और उसके परिवार को सौंप दिया था लेकिन शादी के कुछ वक्त बाद ही पति और उसके परिवार ने उसे झूठे बहाने से परेशान करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि वह एक पत्नी और घर की बहू के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रही है। इसकी आड़ में उस पर अपने मायके से और ज्यादा दहेज लाने के लिए दबाव भी डाला जाता रहा।


🚩बेंच ने कहा कि FIR और चार्जशीट यह इशारा करती है कि महिला के आरोप काफी अस्पष्ट, सामान्य और व्यापक हैं। साथ ही उनमें आपराधिक आचरण का कोई उदाहरण भी नहीं दिया गया है। पहली जुलाई को लागू होने के लिए प्रस्तावित इन तीनों कानूनी संहिताओं को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिल गई थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इनको अपनी सहमति देते हुए हस्ताक्षर भी कर दिए थे। स्त्रोत: आजतक 


🚩सुप्रीम कोर्ट ने झूठे केस दर्ज के बारे में चिंता जाहिर किया वे भारत की जनता के हित में है, आजकल बदला लेने, पैसा ऐठने अथवा साजिश के तहत जेल भेजने के लिए महिला सुरक्षा कानूनों का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है, इससे समाज को काफी नुकसान हो रहा है, जिस निर्दोष पुरूष को जेल भेजा जाता हैं उनकी मां, बहन, बेटी, पत्नी और पुरा परिवार परेशान होता है है इसलिए समाज के हित के लिए जूठे केस दर्ज करने वालो पर कड़ी कार्यवाही का भी कानून होना चाहिए जिससे समानता बनी रहे नहीं तो फिर एक के बाद एक निर्दोष पुरूष फंसते जाएंगे।


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Monday, May 6, 2024

हिंदू नेताओं की गर्दन काट दो , पाकिस्तान से मौलवी को मिली सुपारी, किया गिरफ्तार

7 May 2024

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🚩गुजरात पुलिस ने शनिवार (4 मई 2024) को सूरत से एक मौलवी को गिरफ्तार किया है। मौलवी का नाम सोहेल अबू बकर तिमोल है। 27 वर्षीय मौलवी पर भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा, हैदराबाद के गोशमहल से भाजपा विधायक टी राजा सिंह, सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके और सोशल मीडिया पर सक्रिय उपदेश राणा की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। मौलवी इन सभी को ‘गुस्ताख़’ मानता था। इन साजिशों को अंजाम देने के लिए सोहेल नेपाल और पाकिस्तान में बैठे आकाओं के सम्पर्क में था। सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए वह विदेशी सिम भी प्रयोग कर रहा था। फिलहाल उससे पूछताछ में और खुलासे होने की उम्मीद है।


🚩गुजरात पुलिस के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 के तहत पुलिस टीमें पूरी तरह से सतर्क थीं। इसी बीच सूरत की क्राइम ब्रांच ने एक मौलवी की संदिग्ध हरकतों पर नजर गड़ाई। मौलवी का नाम मोहम्मद सोहेल है, जिसे कुछ लोग अबू बकर तीमोल भी कहते हैं। वह मूल रूप से महाराष्ट्र के नंदुरबार का रहने वाला है। फिलहाल वह सूरत के एक मदरसे में हाफ़िज़ है और करजा-अम्बोली गाँव में मुस्लिम छात्रों को ट्यूशन के माध्यम से मज़हबी तालीम देता है। इन सभी के अलावा अबू बकर सूरत के डायमंड नगर की एक धागा फैक्ट्री में मैनेजर के तौर पर भी ड्यूटी करता है।


🚩पुलिस ने मौलवी की जाँच की तो पाया कि वह पिछले डेढ़ साल से पाकिस्तान और नेपाल के हैंडलरों के सम्पर्क में था। नेपाल के हैंडलर का नाम शहजाद बताया जा रहा है। इन सभी से बात करने के लिए मौलवी अबू बकर लाओस देश के एक नंबर का इस्तेमाल करता था। बातचीत के लिए वह व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया हैंडलों का प्रयोग करता था।


🚩आरोप है कि दोनों विदेशी आकाओं ने मौलवी को भारत में हिन्दू संगठनों द्वारा इस्लाम के पैगंबर के अपमान की पट्टी पढ़ाई। मौलवी को उसके आकाओं ने फरमान सुनाया कि वह नबी की शान में गुस्ताखी कर रहे लोगों को ‘सीधा करे’। यहाँ सीधा करने के कोड का अर्थ ‘हत्या करना’ माना जा रहा है।


🚩व्हाट्सएप ग्रुप में इंडोनेशिया से कजाकिस्तान के मेंबर

टारगेट के तौर पर विदेशी आकाओं ने मौलवी अबू बकर को सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके, भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा, सनातन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपदेश राणा और हैदराबाद के गोशमहल से भाजपा विधायक टी राजा सिंह के नाम गिनाए। इन लोगों की हत्या कमलेश तिवारी की तरह गर्दन काट कर करने को कहा गया था। इन हत्याओं की एवज में मौलवी को 1 करोड़ रुपए देने का वादा भी किया गया था। बताया यह भी जा रहा है कि विदेशी आकाओं के कहने पर मौलवी ने अपना एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और उसमें अपनी सोच के लोगों को एड किया।


🚩इस ग्रुप में मौलवी ने हिन्दू धर्म के खिलाफ अभद्र बातें लिखीं और उपदेश राणा की फोटो शेयर करके उनका काम तमाम करने की अपील की। अबू बकर पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के चित्रों से छेड़छाड़ करने का भी आरोप है। वह 6 दिसंबर को काला दिवस कहता था। अपने ग्रुप में वह हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें को आपत्तिजनक तरीके से एडिट करके शेयर कर रहा था। माना यह भी जा रहा है कि उसका सम्पर्क पाकिस्तान और नेपाल के अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान आदि के नंबरों से भी सामने आया है।


🚩मौलवी अबू बकर विदेशी हैंडलरों के माध्यम से हथियार मँगवाने की भी फिराक में था। हालाँकि आरोपित अपनी साजिश को अंजाम दे पाता, उससे पहले वह सूरत क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ गया। अबू बकर के खिलाफ सूरत के डी.सी.बी. पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 153(ए), 467, 468, 471, 120(बी) के साथ आईटी एक्ट की धारा धारा 66(डी), 67, 67(ए) के तहत कार्रवाई की गई है। सूरत क्राइम ब्राँच मामले की जाँच कर रही है। माना जा रहा है कि आगे की पूछताछ में अबू बकर कुछ और खुलासे कर सकता है।


🚩ओवैसी का फॉलोवर, सलमान का फैन और हमास का प्रेमी

ऑपइंडिया ने मौलवी अबू बकर और उसके हैंडलरों की पड़ताल की। गिरफ्तार मौलवी ने अपने व्हाट्सएप पर हमास के आतंकियों की प्रोफ़ाइल फोटो लगा रखी है। इन तस्वीरों में कई नकाबपोश आतंकी घातक हथियारों के आगे खड़े होकर सजदा कर रहे हैं। टूटी-फूटी अंग्रेजी में मौलवी अबू बकर ने अपने ट्रू कॉलर पर परिचय के तौर पर ओवैसी का फॉलोवर लिख रखा है।


🚩मौलवी की ट्रू कॉलर और व्हाट्सएप प्रोफ़ाइल फोटो

वहीं नेपाल में बैठा मौलवी का हैंडलर शहजाद बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान का फैन है। उसने अपने व्हाट्सएप DP पर सलमान खान और ऐश्वर्या राय की प्रोफ़ाइल लगा रखी है।



🚩मौलवी के नेपाली आका के व्हाट्सएप का प्रोफ़ाइल फोटो

साजिश रचने में ऐप का इस्तेमाल

मौलवी द्वारा ऑपरेट किए जा रहे व्हाट्सएप ग्रुप की पड़ताल में भी पुलिस जुटी है। सूरत के पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत ने बताया कि 27 वर्षीय मौलवी को सूरत के चौक बाजार इलाके से पकड़ा गया है। उन्होंने बताया कि मौलवी का मोबाइल चेक करके प्रथम दृष्टया ही पता चल गया था कि वह चरमपंथी विचारधारा से प्रेरित है। स्त्रोत ओप इंडिया 


🚩सूरत में ही रहने वाले उपदेश राणा को पिछले महीने मिली जान से मारने की धमकी में भी मौलवी अबू बकर का ही हाथ बताया जा रहा है। आरोपित कुछ ऐसे ऐप भी प्रयोग कर रहे थे, जिनको आसानी से ट्रेस नहीं किया जा सकता है। ये सभी अपने टारगेट की तस्वीरें और वीडियो अपने ग्रुप में डालते थे और उसकी हत्या की सामूहिक साजिश रचने में जुट जाते थे।


🚩हिंदू षड़यंत्र को समझे आपके हिस्से की लड़ाई लड़ने वाले हिन्दुनिष्ट लोगों को बदनाम करके झूठे केस में जेल भेजा जाता है अथवा उनकी हत्या कर दी जाती है, अतः उनका साथ देना बहुत जरूरी हैं नही तो एक के बाद एक की बारी करके सभी को खत्म कर दिया जाएगा।


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Sunday, May 5, 2024

आज के सभी पत्रकारों को इस लेख पढ़ना चाहिए, पत्रकारिता ऐसी होनी चाहिए

6 May 2024

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🚩भारतीय परम्पराओं में भरोसा करने वाले विद्वान मानते हैं कि देवर्षि नारद सम्पूर्ण और आदर्श पत्रकारिता के संवाहक थे। वे महज सूचनाएं देने का ही कार्य नहीं बल्कि सार्थक संवाद का सृजन करते थे।


🚩देवताओं, दानवों और मनुष्यों सबकी भावनाएं जानने का उपक्रम किया करते थे। जिन भावनाओं से लोकमंगल होता हो,ऐसी ही भावनाओं को जगजाहिर किया करते थे।


🚩इससे भी आगे बढ़कर देवर्षि नारद घोर उदासीन वातावरण में भी लोगों को सद्कार्य के लिए उत्प्रेरित करने वाली भावनाएं जागृत करने का अनूठा कार्य किया करते थे।


🚩दादा माखनलाल चतुर्वेदी के उपन्यास ‘कृष्णार्जुन युद्ध’ को पढ़ने पर ज्ञात होता है कि किसी निर्दोष के खिलाफ अन्याय हो रहा हो तो फिर वे अपने आराध्य भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण और उनके प्रिय अर्जुन के बीच भी युद्ध की स्थिति निर्मित कराने से नहीं चूकते । उनके इस प्रयास से एक निर्दोष यक्ष के प्राण बच गए ।

यानी पत्रकारिता के सबसे बड़े धर्म और साहसिक कार्य, किसी भी कीमत पर समाज को सच से रू-ब-रू कराने से वे पीछे नहीं हटते थे ।

सच का साथ उन्होंने अपने आराध्य के विरुद्ध जाकर भी दिया। यही तो है सच्ची पत्रकारिता, निष्पक्ष पत्रकारिता ।


🚩किसी के दबाव या प्रभाव में न आकर अपनी बात कहना। मनोरंजन उद्योग ने भले ही फिल्मों और नाटकों के माध्यम से उन्हें विदूषक के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया हो, लेकिन देवर्षि नारद के चरित्र का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो ज्ञात होता है कि उनका प्रत्येक संवाद लोक कल्याण के लिए था। सिर्फ मूर्ख ही उन्हें कलहप्रिय कह सकते हैं ।


🚩नारद जी धर्माचरण की स्थापना के लिए ही सभी लोकों में विचरण करते थे । उनसे जुड़े सभी प्रसंगों के अंत में शांति, सत्य और धर्म की स्थापना का जिक्र आता है । स्वयं के सुख और आनंद के लिए वे सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं करते थे, बल्कि वे तो प्राणी-मात्र के आनंद का ध्यान रखते थे ।


🚩भारतीय परम्पराओं में भरोसा नहीं करने वाले ‘बुद्धिजीवी’ भले ही देवर्षि नारद को प्रथम पत्रकार, संवाददाता या संचारक न मानें, लेकिन पथ से भटक गई भारतीय पत्रकारिता के लिए आज नारद जी ही सही मायने में आदर्श हो सकते हैं ।


🚩भारतीय पत्रकारिता और पत्रकारों को अपने आदर्श के रूप में नारद जी को देखना चाहिए, उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिए । मिशन से प्रोफेशन बनने पर पत्रकारिता को इतना नुकसान नहीं हुआ था जितना कॉरपोरेट कल्चर के आने से हुआ है ।


🚩पश्चिम की पत्रकारिता का असर भी भारतीय मीडिया पर चढ़ने के कारण समस्याएं आई हैं । स्वतंत्रता आंदोलन में जिस पत्रकारिता ने ‘एक स्वतंत्रता सेनानी’की भूमिका निभाई थी, वह पत्रकारिता अब धन्ना सेठों के कारोबारों की चौकीदार बनकर रह गई है ।


🚩पत्रकार इन धन्ना सेठों के इशारे पर कलम घसीटने को मजबूर महज मजदूर हैं। संपादक प्रबंधक हो गए हैं । उनसे लेखनी छीनकर, लॉबिंग की जिम्मेदारी पकड़ा दी गई है ।

आज कितने संपादक और प्रधान संपादक हैं जो नियमित लेखन कार्य कर रहे हैं…???

कितने संपादक हैं, जिनकी लेखनी की धमक है…???

कितने संपादक हैं, जिन्हें समाज में मान्यता है..???

‘जो हुक्म सरकारी, वही पकेगी तरकारी’ की कहावत को पत्रकारों ने जीवन में उतार लिया है।


🚩मालिक जो हुक्म संपादकों को देता है, संपादक उसे अपनी टीम तक पहुंचा देता है। तयशुदा ढांचे में पत्रकार अपनी लेखनी चलाता है।

अब तो किसी भी खबर को छापने से पहले संपादक ही मालिक से पूछ लेते हैं- ‘ये खबर छापने से आपके व्यावसायिक हित प्रभावित तो नहीं होंगे।’

खबरें कम विज्ञापन अधिक हैं ।


🚩‘लक्षित समूहों’ को ध्यान में रखकर खबरें लिखी और रची जा रही हैं। मोटी पगार की खातिर संपादक सत्ता ने मालिकों के आगे घुटने टेक दिए हैं। आम आदमी के लिए अखबारों और टीवी चैनल्स पर कहीं जगह नहीं है ।


🚩एक किसान की ‘पॉलिटिकल आत्महत्या’ होती है तो वह खबरों की सुर्खी बनती है। पहले पन्ने पर लगातार जगह पाती है। चैनल्स के प्राइम टाइम पर किसान की चर्चा होती है ।

लेकिन इससे पहले बरसों से आत्महत्या कर रहे किसानों की सुध कभी मीडिया ने नहीं ली। जबकि भारतीय पत्रकारिता की चिंता होनी चाहिए- अंतिम व्यक्ति ।


🚩आखिरी आदमी की आवाज दूर तक नहीं जाती, उसकी आवाज को बुलंद करना पत्रकारिता का धर्म होना चाहिए, जो है तो, लेकिन व्यवहार में ऐसा कहीं भी दिखता नहीं है।

पत्रकारिता के आसपास अविश्वसनीयता का धुंध गहराता जा रहा है। पत्रकारिता की इस स्थिति के लिए कॉरपोरेट कल्चर ही एकमात्र दोषी नहीं है। बल्कि पत्रकार बंधु भी कहीं न कहीं दोषी हैं।


🚩जिस उमंग के साथ वे पत्रकारिता में आए थे, उसे उन्होंने खो दिया। ‘समाज के लिए कुछ अलग’ और ‘कुछ अच्छा’ करने की इच्छा के साथ पत्रकारिता में आए युवा ने भी कॉरपोरेट कल्चर के साथ सामंजस्य बिठा लिया है।


🚩बहरहाल, भारतीय पत्रकारिता की स्थिति पूरी तरह खराब भी नहीं हैं । बहुत-से संपादक-पत्रकार आज भी उसूलों के पक्के हैं । उनकी पत्रकारिता खरी है। उनकी कलम बिकी नहीं है । उनकी कलम झुकी भी नहीं है ।

आज भी उनकी लेखनी आम आदमी के लिए है । लेकिन, यह भी कड़वा सच है कि ऐसे ‘नारद पत्रकारों’ की संख्या बेहद कम है। यह संख्या बढ़ सकती है ।

क्योंकि सब अपनी इच्छा से बेईमान नहीं हैं । सबने अपनी मर्जी से अपनी कलम की धार को कुंद नहीं किया है । सबके मन में अब भी ‘कुछ’करने का माद्दा है । वे आम आदमी,समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए लिखना चाहते हैं, लेकिन राह नहीं मिल रही है ।


🚩ऐसी स्थिति में देवर्षि नारद उनके आदर्श हो सकते हैं । आज की पत्रकारिता और पत्रकार नारद जी से सीख सकते हैं कि तमाम विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी कैसे प्रभावी ढंग से लोक कल्याण की बात कही जाए । 

पत्रकारिता का एक धर्म है-निष्पक्षता-

आपकी लेखनी तब ही प्रभावी हो सकती है जब आप निष्पक्ष होकर पत्रकारिता करें । पत्रकारिता में आप पक्ष नहीं बन सकते।


🚩हां, पक्ष बन सकते हो लेकिन केवल सत्य का पक्ष । भले ही नारद देवर्षि थे लेकिन वे देवताओं के पक्ष में नहीं थे। वे प्राणी मात्र की चिंता करते थे। देवताओं की तरफ से भी कभी अन्याय होता दिखता तो राक्षसों को आगाह कर देते थे।

देवता होने के बाद भी नारद जी बड़ी चतुराई से देवताओं की अधार्मिक गतिविधियों पर कटाक्ष करते थे, उन्हें धर्म के रास्ते पर वापस लाने के लिए प्रयत्न करते थे।


🚩नारद घटनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं, प्रत्येक घटना को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते हैं,इसके बाद निष्कर्ष निकाल कर सत्य की स्थापना के लिए संवाद सृजन करते हैं।


🚩आज की पत्रकारिता में इसकी बहुत आवश्यकता है। जल्दबाजी में घटना का सम्पूर्ण विश्लेषण न करने के कारण गलत समाचार जनता में चला जाता है।

बाद में या तो खण्डन प्रकाशित करना पड़ता है या फिर जबरन गलत बात को सत्य सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है। आज के पत्रकारों को इस जल्दबाजी से ऊपर उठना होगा। कॉपी-पेस्ट कर्म से बचना होगा। जब तक घटना की सत्यता और सम्पूर्ण सत्य प्राप्त न हो जाए, तब तक समाचार बहुत सावधानी से बनाया जाना चाहिए।


🚩कहते हैं कि देवर्षि नारद एक जगह टिकते नहीं थे। वे सब लोकों में निरंतर भ्रमण पर रहते थे। आज के पत्रकारों में एक बड़ा दुर्गुण आ गया है, वे अपनी ‘बीट’ में लगातार संपर्क नहीं करते हैं। आज पत्रकार ऑफिस में बैठकर, फोन पर ही खबर प्राप्त कर लेता है। इस तरह की टेबल न्यूज अकसर पत्रकार की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़ा करवा देती हैं।


🚩नारद जी की तरह पत्रकार के पांव में भी चक्कर होना चाहिए। सकारात्मक और सृजनात्मक पत्रकारिता के पुरोधा देवर्षि नारद को आज की मीडिया अपना आदर्श मान ले और उनसे प्रेरणा ले तो अनेक विपरीत परिस्थितियों के बाद भी श्रेष्ठ पत्रकारिता संभव है। आदि पत्रकार देवर्षि नारद ऐसी पत्रकारिता की राह दिखाते हैं, जिसमें समाज के सभी वर्गों का कल्याण निहित है।- लोकेन्द्र सिंह


🚩पत्रकारिता की तीन प्रमुख भूमिकाएं हैं…

1)सूचना देना,

2)शिक्षित करना,

3)और मनोरंजन करना।

महात्मा_गांधी ने हिन्द स्वराज में पत्रकारिता की इन तीनों भूमिकाओं को और अधिक विस्तार दिया है ।

लोगों की भावनाएं जानना और उन्हें जाहिर करना । लोगों में जरूरी भावनाएं पैदा करना । यदि लोगों में दोष है तो किसी भी कीमत पर बेधड़क होकर उनको दिखाना।


🚩आज मीडिया की भूमिका अहम है, लेकिन कुछ मीडिया सिर्फ ब्लैकमेलिंग का धंधा बनकर रह गई है वो भी हिन्दू संस्कृति को तोड़ने के लिए । आज की मीडिया देश, सनातन संस्कृति तोड़ने के लिए लगी हुई है ।


🚩लेकिन ऐसी मीडिया हाउस को ध्यान रखना चाहिए जो सनातन नहीं मिटा रावण की दुष्टता से, जो सनातन नही मिटा कंस की क्रूरता से वो सनातन क्या मिटेगा आज की कुछ बिकाऊ मीडिया से ।


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तुम (हिंदू) 30%, हम (मुस्लिम) 70%… 2 घंटे में भागीरथी में बहा दूँगा’: विधायक हुमायूँ

4 May 2024

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🚩अखंड भारत भूमि सनातनियों की रही है लेकिन भारत को खंड खंड करना, भारत के सनातनियों को खत्म करना और भारत की संपत्ति हड़प करना और उसके ऊपर राज करना इसपर सदियों से भारत पर आक्रमण होते आए हैं। और वही सिलसिला आज भी जारी है, बस तरीके बदलते रहते हैं, इतने भयंकर साज़िश होने के बाद भी मुगलों और अंग्रेजों के समय जैसे हिंदू सो रहा था और मुट्ठीभर मुगल और अंग्रेज करोड़ो भारतीयों पर सैंकड़ों सालों तक राज किया वैसे आज भी हो रहा है फिर भी हिंदू जागरूक नही हो रहा है यह बड़ी दुखद बात हैं।


🚩लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण के लिए मतदान की तैयारियों के बीच पश्चिम बंगाल के तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) विधायक हुमायूँ कबीर ने हिंदुओं को धमकी दी है। चुनाव प्रचार करने के दौरान हुमायूँ कबीर ने कहा है कि वह हिंदुओं को दो घंटे में भागीरथी नदी (गंगा) में डूबो देंगे। कबीर के इस बयान की जमकर आलोचना हो रही है।


🚩हुमायूँ कबीर भरतपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। भरतपुर मुर्शिदाबाद जिले में आता है। बीते दिनों उन्होंने बहरामपुर से TMC के उम्मीदवार यूसुफ पठान के लिए भी चुनाव प्रचार किया था। इसके अलावा, वे पार्टी के कई उम्मीदवारों के प्रचार में शामिल हुए। एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने यह विवादित टिप्पणी की है। इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है।


🚩चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए हुमायूँ कबीर ने कहा, “तुम लोग (हिंदू) 70 फीसदी हो और हम लोग भी 30 फीसदी हैं। यहाँ पर तुम काजीपाड़ा का मस्जिद तोड़ोगे और बाकी मुसलमान हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे, यह कभी नहीं होगा। भाजपा को मैं यह बता देना चाहता हूँ कि यह कभी भी नहीं होगा। अगर 2 घंटे के अंदर भागीरथी नदी में बहा न दिया तो मैं राजनीति छोड़ दूँगा।”

https://twitter.com/MeghUpdates/status/1785941695970070867?t=qxsJRpZCvR-Fc2527ahO3w&s=19


🚩बता दें कि पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी TMC ने लोकसभा चुनाव के लिए क्रिकेटर यूसुफ पठान को बहरामपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद हुमायूँ कबीर ने कहा था कि अगर पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बदला तो वह बहरामपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। कबीर ने कहा था कि दूसरे राज्य से किसी को लाकर कॉन्ग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को नहीं हराया जा सकता है। 


🚩मुर्शिदाबाद जिला मुस्लिम बहुल है। यहाँ की कुल जनसंख्या में लगभग 75 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। यहाँ की अधिकांश आबादी बीड़ी बनाने के व्यवसाय से जुड़ी हुई है। मुर्शिदाबाद कभी बंगाल की राजधानी भी रही थी। यहाँ का हजारद्वारी महल इसके गौरवशाली अतीत का आईना है, फिर भी अधिकांश लोग गरीबी में जीने को मजबूर हैं।


🚩इसको लेकर भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बंगाल सरकार पर हमला बोला है। शक्तिपुर में बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में कबीर की टिप्पणी पर उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा, “मुर्शिदाबाद में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। सिर्फ 28 प्रतिशत। अब यह उनके साथ किया जा रहा है। कल्पना कीजिए, अगर हिंदू बंगाल के बाकी हिस्सों में अल्पसंख्यक हो जाएँ तो क्या होगा।”


🚩उन्होंने आगे कहा, “पश्चिम बंगाल में तुष्टीकरण की राजनीति नए निचले स्तर पर पहुँच गई है। ममता बनर्जी को धन्यवाद। बंगाल में हिंदू अब दोयम दर्जे के नागरिकों से भी बदतर हैं। क्या वह इस विधायक को पार्टी से बाहर निकालने की हिम्मत करेगी? क्या वे बुद्धिजीवी, जो नियमित रूप से हिंदुओं के खिलाफ जहर फैलाते हैं, एक शब्द भी बोलने का साहस कर सकते हैं?”


🚩भारत में 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गया है , हिंदुओं को जगने का समय है, राष्ट्र और सनातन संस्कृति की रक्षा करने वालों को ही वोट देना चाहिए नही तो राष्ट्र और सनातन संस्कृति विरोधी आपको जीने नही देंगे बाद में बड़ा पछतावा होगा इसपर जातिवादी में बंटे हिंदुओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए।


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Saturday, May 4, 2024

सुप्रिम कोर्ट : केवल मैरिज सर्टिफिकेट से नही हिंदुओं की शादी बिना ‘सप्तपदी’ के मान्य नहीं

5 May 2024

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🚩सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं की शादी को लेकर अहम फैसला सुनाया और कहा कि हिंदुओं की शादी बिना ‘सप्तपदी’ के मान्य नहीं है। मैरिज सर्टिफिकेट होने से शादी नहीं मानी जा सकती, जब तक सात फेरों के प्रमाण न हों। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि हिंदुओं की शादी में ‘सप्तपदी’ यानी ‘अग्नि के समक्ष सात फेरों का होना’ सबसे महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदुओं का विवाह एक पवित्र बंधन है, ये सिर्फ खाने-पीने और नाच-गान का मौका भर नहीं। इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि हिंदुओं की शादी में ‘सप्तपदी’ अनिवार्य है, कन्यादान कोई अनिवार्य रस्म नहीं है।


🚩लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने एक अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के आधार पर एक ऐसी शादी को रद्द कर दिया है, जिसमें मैरिज सर्टिफिकेट पर पति-पत्नी के हस्ताक्षर तो थे, लेकिन दोनों के बीच विवाह की कोई रस्म नहीं हुई थी। दोनों की शादी का रजिस्ट्रेशन घर वालों ने ‘किसी वजह से’ करा दिया था, लेकिन अब उस कपल ने सुप्रीम कोर्ट से शादी को रद्द करने की गुहार लगाई थी।


🚩सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले कहा कि इस शादी में मैरिज सर्टिफिकेट तो बन गया है, क्योंकि उसके लिए अपील की गई थी, लेकिन शादी की प्रक्रिया ही नहीं पूरी की गई, ऐसे में इस शादी का कोई आधार ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मैरिज सर्टिफिकेट को खारिज करते हुए दोनों की शादी को रद्द कर दिया।


🚩सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जहाँ हिंदू विवाह सप्तपदी जैसे तय संस्कारों के साथ नहीं हुआ है, वो विवाह माना ही नहीं जाएगा। इसे ऐसे समझें कि वैध विवाह के लिए हिंदू विवाह में होने वाले सभी समारोहों को निभाया जाना जरूरी है। जिसमें सात फेरे की प्रक्रिया भी शामिल है। अगर कोई विवाद होता है, तो उसके निपटारे के लिए सात फेरों की प्रक्रिया का सबूत भी होना चाहिए। अगर किसी ने बिना सात फेरों के विवाह किया है, तो वो हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 7 के अनुसार हिंदू विवाह नहीं माना जा सकता। इन कार्यक्रों (वैवाहिक कार्यक्रमों) के बिना सिर्फ मैरिज सर्टिफिकेट बनवा लेना न तो शादी का सबूत है और न ही हिंदू मैरिज एक्ट के तहत वो शादी मान्य है, जिसका सर्टिफिकेट तो है, लेकिन सात फेरे जैसी अनिवार्य रस्में नहीं हुई।”


🚩सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “अगर सात फेरों का कोई सबूत नहीं है, तो सेक्शन 8 के तहत मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑफिसर ऐसी शादियों को पंजीकृत नहीं कर सकता। यानी मैरिज सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकता। मैरिज सर्टिफिकेट सिर्फ विवाह हो गया है, इसका सर्टिफिकेट है, लेकिन विवाह हुआ है, इसका सबूत देना अनिवार्य होगा।” अन्य शब्दों में कहें, तो मैरिज सर्टिफिकेट विवाह होने पर मुहर है, अगर सात फेरों की प्रक्रिया पूरी की गई हो। उसके बिना मैरिज सर्टिफिकेट का भी कोई वजूद नहीं होगा।


🚩कन्यादान अनिवार्य नहीं, सात फेरों की अनिवार्यता

इससे पहले, 22 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था और कहा था कि कन्यादान हिंदू विवाह के लिए एक अनिवार्य रस्म नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में केवल सात फेरे को हिंदू विवाह के लिए अनिवार्य रस्म माना गया है। कन्यादान का उल्लेख अधिनियम में नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अनुसार, ‘सात फेरे’ को विवाह की एकमात्र अनिवार्य रस्म माना गया है। ‘कन्यादान’ एक सांस्कृतिक रस्म है जिसमें पिता अपनी बेटी को दूल्हे को सौंपता है। यह रस्म पितृत्व से स्त्रीत्व की यात्रा का प्रतीक है। हाई कोर्ट ने कहा कि ‘कन्यादान’ एक महत्वपूर्ण रस्म हो सकती है, लेकिन यह विवाह की वैधता के लिए आवश्यक नहीं है।


🚩बिना सात फेरों के विवाह ही पूर्ण नहीं

इससे पहले, पिछले साल अक्टूबर में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अन्य फैसले में कहा था कि सप्तपदी के बिना हिंदुओं में शादी मान्य नहीं है। ये हिंदुओं के विवाह की सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर 2023 को ये फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर शादी में सारी प्रक्रिया पूरी कर दी जाए और अग्नि के फेरे ना लिए जाएँ तो वह विवाह संपन्न नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि एक हिंदू विवाह को तभी वैध माना जाएगा यदि वह ‘शादी के सभी रीति-रिवाजों के साथ’ संपन्न हुआ हो।


🚩सप्तपदी के बारे में जानें

सप्तपदी हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह अग्नि के चारों ओर सात चक्कर लगाने की प्रक्रिया है। इन सात चक्करों को सात वचनों का प्रतीक माना जाता है जो वर-वधू एक-दूसरे को देते हैं।


🚩सप्तपदी की प्रक्रिया

वर और वधू को अग्नि के सामने खड़ा किया जाता है।

वर वधू के दाहिने हाथ को अपने बाएँ हाथ में पकड़ता है।

वर-वधू एक-दूसरे के सामने खड़े होकर सात चक्कर लगाते हैं।

प्रत्येक चक्कर के दौरान, वर-वधू एक-दूसरे को एक वचन देते हैं।

सातवें चक्कर के बाद, वर-वधू अग्नि के चारों ओर एक साथ खड़े होते हैं।


🚩सात वचन इस प्रकार हैं:


🚩पहला वचन: मैं तुम्हें अपना पति/पत्नी मानता/मानती हूँ।

🚩दूसरा वचन: मैं तुम्हें अपना जीवनसाथी मानता/मानती हूँ।

🚩तीसरा वचन: मैं तुम्हारी खुशी के लिए जीने का वादा करता/करती हूँ।

🚩चौथा वचन: मैं तुम्हारी इच्छाओं का सम्मान करने का वादा करता/करती हूँ।

🚩पाँचवाँ वचन: मैं तुम्हारी रक्षा करने का वादा करता/करती हूँ।

🚩छठा वचन: मैं तुम्हें अपना जीवन भर प्यार करने का वादा करता/करती हूँ।

🚩सातवाँ वचन: मैं तुम्हारे साथ बुरे और अच्छे समय में रहने का वादा करता/करती हूँ।


🚩सप्तपदी हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो वर-वधू को एक-दूसरे के प्रति अपने वचनों को दोहराने का अवसर देता है। यह एक ऐसा क्षण है जब वे अपने जीवन को एक साथ बिताने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।


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Thursday, May 2, 2024

स्टालिन सरकार मंदिर के सामने बना रही थी शॉपिंग सेंटर, हाइकोर्ट डर से हटी पीछे

03 May 2024

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🚩हिंदू मंदिरों पर सदियों से अत्याचार होता आया है, कई मंदिरों को तोड़ा गया तो कई मंदिरों पर टैक्स लगाया गया और आज भी वही सिलसिला जारी है मंदिरों में शॉपिंग मॉल बनाकर श्रद्धालुओं की श्रद्धा पर आघात किया जा रहा है, तमिल नाडु की सरकार भी वही करने जा रही थी लेकिन हाइकोर्ट में अपील के बाद पीछे हटी।


🚩तमिल नाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में विश्व प्रसिद्ध अरुणाचलेश्वर मंदिर (अन्नामलाईयार मंदिर) स्थित है, जो कई शताब्दियों पुरानी है। इसे यूनेस्को ने संरक्षित इमारतों की सूची में भी रखा है। इस मंदिर का गोपुरम 66 मीटर ऊँचा है और ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के सबसे बड़े गोपुरम के सामने तमिलनाडु सरकार का हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (HR&CE) विभाग 150 दुकानों का शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनवा रहा रहा था और इसपर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। हालाँकि इस पर तमाम तरह की रोक थी, इसके बावजूद निर्माण कार्य शुरू होने के बाद मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई और अब इसपर निर्माण कार्य रुक गया है।


🚩ये याचिका मंदिर कार्यकर्ता और इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट के अध्यक्ष टीआर रमेश ने दाखिल की। टीआर रमेश ने 30 अप्रैल 2024 को एक्स पर बताया कि अब तमिल नाडु सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। तमिल नाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआरसीई) विभाग ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया है कि वह अरुणाचलेश्वर के परिसर में 150 दुकानों के अनधिकृत निर्माण को आगे नहीं बढ़ाएगा।”


🚩टीआर रमेश ने एक्स पर लिखा, “इस मामले में हाई कोर्ट की बेंच के सामने जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, वैसे ही HR&CE विभाग के वकील ने कोर्ट को बताया कि तिरुवन्नामलाई के प्रसिद्ध अरुणाचलेश्वर मंदिर के राजगोपुरम के सामने जो निर्माण कार्य होना था, उसकी योजना रद्द कर गई है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा ये कदम वापस लेने पर खुशी जताई और उम्मीद भी जताई कि ऐसा वाकई में तुरंत हो जाना चाहिए।”


🚩टी आर रमेश ने हाई कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा था कि राज्य सरकार सिर्फ केयरटेकर की भूमिका में है, वो ऐतिहासिक स्थलों से छेड़छाड़ नहीं कर सकती। वो मंदिर में आने वाले भक्तों के अधिकारों का हनन करके मंदिर के बाहर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स नहीं बनवा सकती। जिसके बाद सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एस वी गंगापुरवाला और जस्टिस जी चंद्रसेखरन जे ने कहा कि हमें इस मामले में अब कोई आदेश पास करने की जरूरत नहीं है। हमें खुशी है कि सरकार ने सही कदम उठाया।


🚩जानकारी के मुताबिक, ये मंदिर 10 एकड़ से ज्यादा बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें कई गोपुरम है। मुख्य गोपुरम राजगोपुरम है। इसी गोपुरम के सामने 6 करोड़ से ज्यादा की लागत से इन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण की योजना बनाई थी और इस पर काम भी शुरू हो गया था। इसके लिए पैसे भी मंदिर के खाते से ही निकाले गए थे और सरकार ने ये पैसा विधानसभा में पास किया था, लेकिन अब सरकार इस पैसे को वापस मंदिर के खाते में डाल देगी।


🚩अरुणाचलेश्वर मंदिर के बारे में जानिए

इस मशहूर मंदिर का निर्माण कई राजवंशों ने मिलकर कराया, जो पूरा हुआ चोल राजाओं के समय में। 9वीं शताब्दी में बनकर तैयार हुए इस मंदिर में महादेव की पूजा होती है। अरुणाचलेश्वर मंदिर (जिसे अन्नामलाईयार मंदिर भी कहा जाता है) अरुणाचला पहाड़ी की तली में स्थित है। अरुणाचल पहाड़ी को ‘शिवलिंग’ की मान्यता है। माना जाता है कि इसी जगह पर महादेव ने अर्धनारीश्वर अवतार धारण किया था। इस मंदिर में कार्तिकेय दीपम त्यौहार के समय 30 लाख से ज्यादा लोग एकत्रित होते हैं। इस मंदिर में अग्नि तीर्थम नाम का कुंड है, जिसे बेहद पवित्र माना जाता है। अरुणाचलेश्वर मंदिर शैव मत के अनुयायियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।


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