Saturday, February 29, 2020

जावेद अख्तर के नाम विजय मनोहर तिवारी का एक पैगाम*

29 फरवरी 2020

*🚩किसी शायर या अफसाना निगार के भीतर का दर्द ही उसकी शायरी और कथा-कहानी में अलफाजों की शक्ल लेता है। जावेद अख्तर फिल्मों में लिखते थे। पता नहीं कब शायर हो गए। पता नहीं पहले शायर थे और फिल्मों में लिखने बाद में गए। उनके पिता जांनिसार अख्तर भी शायर थे। मजाज लखनवी शायद मामू थे। शायरी लहू में है। फिर शबाना आजमी (पत्नी क्रमांक दो के रूप में) उनकी ज़िंदगी में आईं।*

*🚩वे कैफी आज़मी की दुख्तर हैं। कैफी वामपंथी सोच के एक ज़मीनी शायर थे। फिल्मों में भी गाने लिखे। सब जानते हैं। आज़मगढ़ की पहचान हैं वे। आज़मगढ़ की और भी पहचानें हैं। वह भी सबको पता है।*

*🚩हुनर हर कहीं से जावेद के आसपास है। पता नहीं फिर उनकी मुश्किल क्या है? मुझे याद नहीं सन् 84 में दिल्ली और देश की सड़कों पर जब बेकसूर सरदारों को घेर-घेरकर तुगलक के जमाने की बेरहमी से मारा जा रहा था तब शायर किस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने में मसरूफ था?*

*🚩फिर आया 90, जब कश्मीर की घाटी से चुन-चुनकर पंडितों को मार भगाया गया। इबादतगाहों से लाउड स्पीकरों पर बाकायदा धमकी दे-देकर। वह भयावह कत्लेआम था जब सड़कों पर लाशें फेंकी गईं। तब भी शायर किसी दरगाह पर समाधि की अवस्था में था। हाँ, सन् 75 में मान सकते हैं कि वह फिल्मी दुनिया में अपनी जगह बनाने में लगा था इसलिए इमरजेंसी का भभका उसे महसूस ही न हुआ हो! मतलब इस काले कालखंड में सब ठीक ही था जावेद की नज़र में।*

*🚩आज़ाद हिंदुस्तान की तारीख में इन मौकों पर शायर की नज़र में ज़रूर रामगढ़ में रामराज्य रहा होगा। जब 1993 और फिर 2008 में धमाकों से मुंबई दहली तब शायर महोदय की नाक पर ऐसा ही गुस्सा किसने देखा था? क्या धमाकों की आवाज़ जावेद के कानों में नहीं पड़ी थी? कोई गीत लिखा हो, मंचों पर गुस्साए हों, कोई आगबबूला तकरीर दाऊद और मेमन पर फटकारी हो? कोई दबी हुई म्याऊं जैसा ही कोई सुर निकाला हो?*

*🚩अब शायर रामगढ़ की चिंता में दुबला हुआ जा रहा है। बिल्कुल एंग्री यंगमैन के तेवर में है शायर। आँखों में खून उतरा हुआ। शायर ने कभी परदे पर एंग्री यंगमैन का किरदार गढ़ा था। ऐसा किरदार जो गब्बर को चित कर दे। लेकिन असल में पूरी कहानी गड़बड़ा गई। बड़ी चोट हो गई।*

*🚩परदे का वह निर्लज्ज एंग्री यंगमैन गुजरात में टूरिज्म का प्रचार करने लग गया। कम्बख्त वीरू भी बेवफा निकला। वह भी गब्बर के गिरोह में शामिल हो गया। बसंती को भी साथ कर दिया और अब अपने बड़े बेटे को भी संसद के घोड़ों पर सवार करा दिया। बेवफा निकले सब!*

*🚩जनाबे-आला की बेचैनी तब और बढ़ गई जब वोटरों ने 2019 में भी दगा दे दिया। फिर श्रीनगर में 370 बोल्ट का करंट लग गया। तीन तलाक तो फिर भी खून का घूंट पीकर दाब लिया गया था। लेकिन कंबख्त अदालत ने अयोध्या में भी कहीं का नहीं छोड़ा। ऐसे कैसे सेक्युलरिज्म चलेगा भई? अब क्या हवाओं को भी बहने और पानी को बरसने की इजाज़त लेनी होगी? इतनी बुरी-बुरी खबरें आने के बाद शायर के जोड़ों का दर्द बढ़ गया। दर्द इतना बढ़ गया कि डॉ. आर्थो के गोली-तेल बेअसर हो गए।*

*🚩अब दिल्ली की बारी आई। दो महीने से निरक्षर खवातीनें सीएए की अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ बनकर एक बड़ा रास्ता रोककर गुंडागर्दी पर उतारू हैं और उन्हें परदे के पीछे से चलाने वाले ठेकेदार लोकतंत्र के सब्र का इम्तहान लेते रहे तब जावेद अंकल एक दफा समझाने नहीं गए कि हिजाब में कैद देवियों, सीएए के तहत आपमें से किसी को मुल्क से निकालकर कराची-लाहौर का टिकट नहीं दिया जाएगा? आप घर जाइए। रास्ता मत रोकिए। इस कानून का आपसे-हमसे कोई लेना-देना नहीं है। इतना वक्त बेटियों को पढ़ाने में लगाइए। उन्हें अच्छे कॉलेजों में भेजिए। खुली हवा में साँस लेने दीजिए।*

*🚩मगर चार दिन पहले दिल्ली सुलगी तो शायर भी सुलग गया। धुआँ तब और बढ़ गया जब देखा कि अरे ये क्या, जनाब ताहिर हुसैन साहब धरा रहे हैं। अपने किलेनुमा घर की छत पर जंग का पूरा साजोसामान सजाते हुए और दंगाइयों को डायरेक्शन देते हुए स्क्रीन पर देखे गए ताहिर में शायर को एक मजलूम मुसलमान नज़र आया, जिसे निशाना बनाया जा रहा है। पीड़ित पक्ष की सदाबहार फिल्म के लिए एक किरदार मिल गया। वजूद खतरे में आ गया। अब तो शायर की जान ही सुलग गई। सुबह ही उसने एक अदद ट्वीट दे मारा।*

*🚩शायर के तेवर तीखे हैं। गुस्सा नाक पर ही है। आँखों में चिंगारियाँ देखिए। अल्फाजों में तल्खी लाजमी है। सेक्युलर मंचों पर शायरी की बजाए जोरदार तकरीरें झाड़ रहे हैं। शायर को दो चेहरों से नफरत है। सख्त नापसंद हैं उसे गुजरात के दो चेहरे। वह उसे गब्बर और सांभा जैसे नज़र आ रहे हैं। बस चलता तो इंटरवल के पहले ही दोनों काे मरवाकर इंटरवल के बाद सेक्युलरिज्म के चार गाने डालकर फिलिम बना देता। मगर यह बॉलीवुड नहीं है। मूवी नहीं है। हकीकत है। जिंदगी की हकीकत। हिंदुस्तान की भोगी हुई हकीकत।*

*🚩आला हजरत खुद को मजहबी नहीं मानते। भोपाल के सैफिया कॉलेज में पढ़ते हुए पुराने भोपाल की ईद और रमजान पर कुछ बोलने को कहो तो फरमाते हैं- अमा यार कुछ और बात करो। हम एथीस्ट हैं। यानी नास्तिक। कितनी अच्छी बात है। एक शायर या लेखक को होना भी चाहिए। क्यों वह किसी की तरफदारी में दिखे। लेकिन दिख गया।*

*🚩खुलकर दिख गया। सुनकर देख लीजिए, उसकी तकरीरें कहीं से उसे नास्तिक साबित नहीं करतीं। वह पूरे मजहबी कलर में हैं। वह भी बिना चश्मे के थ्री-डी। बला की मासूमियत है कि वह देश के भविष्य को लेकर चिंतित है।*

*🚩शायर की द्वितीय पत्नी भी अदाकारा रही हैं। अक्सर साथ नज़र आती हैं। वे सोशल एक्टिविस्ट बनकर भी घूमती हैं। सुधारों की बात करती हैं। महिलाओं के मजबूत किरदार की पैरोकार हैं। लेकिन अपने ही आसपास महिलाओं की बुरके से आजादी पर लब हैं कि सिले हुए हैं।*

*🚩जबकि सब तरह के और सब तरफ से सुधार की सबसे ज्यादा गुंजाइश उनके ही चहल-पहल से भरे ईमान की रोशन से रौनकदार मोहल्ले में है। मगर वे अपने मोहल्ले में कोई हल्ला नहीं चाहतीं। हिम्मत ही नहीं है। कौन फतवों में उलझे। इसलिए आओ मियां एक घर छोड़कर चलें।*

*🚩सुधार के लिए इतना बड़ा हिंदुस्तान पड़ा है। सियासत पड़ी है। मजदूर हैं। नौकरियाँ नहीं हैं। गरीबी है। या अल्ला, सांप्रदायिकता तो बेहिसाब है। देश में डर कितना बढ़ गया है। देखो नसीर साब भी डर रहे हैं। कहाँ अपने मोहल्ले में बुरके और तालीम की बात करके हो-हल्ला खड़ें करें। अभी लेने के देने पड़ जाएंगे। वहां हाथ मत डालो। वहाँ मौलवी साब सब देख लेंगे। तो माेहल्ले में सब चलने दें। बुरका फर्ज है। वह मजहब की शान का प्रतीक है। मेजोरिटी की सांप्रदायिकता इस वक्त सबसे खास है। तो तकरीर के लिए अपन जोड़े से चलते हैं!*

*🚩अब सब उजागर है। सेक्युलरिज्म का नकाब गिर गया है। चेहरों पर सब तरफ से सच्चाई की रोशनी पड़ रही है। शायर की आँखें मिचमिचा रही हैं। सबको सब दिख रहा है। इनकी बेचैनी मौसमी है। वह मौसम देखकर आती है। वे बड़े बदलाव चाहते हैं बस एक खास वर्ग को बचाकर रखा जाए।*

*🚩सेक्युलरिज्म खतरे में आ जाता है अगर ताहिर की छत पर निगाह जाती है। ताहिर के घर की तरफ न देखें, अंकित शर्मा को ही आतंकी बता दें। अब तो वह मर गया। साबित कर दें कि वह किसी हमले की प्लानिंग से ताहिर के घर की तरफ बढ़ रहा था। उसे आईबी ने ही भेजा था। वही पेट्रोल बम, गुलेल और पत्थर लेकर आया था। सारी कहानी उसी पर बुन देते। कम से कम इंसानियत तो बच जाएगी। ताहिर ही नजर आया। गब्बर और सांभा अल्लाह से खौफ खाओ। मजलूमों पर ऐसे जुल्म न ढाओ। कयामत के दिन हिसाब होगा। दोजख से डरो।*

*🚩जावेद अख्तर को शायर के झीने लिबास से बाहर आ जाना चाहिए। वह तार-तार हो चुका है। वैसे भी मंचों पर उनकी मौजूदगी में अब शायरी कम और तकरीरें ज्यादा सुनाई दे रही हैं। आगबबूला तकरीरें। इन तकरीरों में उनका एंगल एथीस्ट होने का कहीं से नहीं है, यह भी दिख गया है। उनके इरादे शब्दों की शातिर चाशनी से पगे हो सकते हैं,  लेकिन ऊपर की मीठी परत के भीतर जाकिर नाइक का उत्पाद ही है। और भीतर जाएं तो जहर उगलते किसी काजी या इमाम का कड़वा स्वाद ही मिलेगा।*

*🚩इसलिए बेहतर है कि जावेद सेक्युलर शायर और फिल्म लेखक के खोल से बाहर आएँ। वे दाढ़ी-टोपी और तारेक फतह के मुताबिक बड़े भाई का कुरता और छोटे भाई का पाजामा धारण करके प्रकट हों। तब उनकी तकरीरें तब ज्यादा कहर ढाने वाली हो जाएँगी। तब कौम किसी बड़े बदलाव की उम्मीद कर सकती है। असली गेटप में।*

*🚩जावेद अख्तर जैसे जिहादी सोच वाले कई सेक्युलर है जो जनता को गुमराह करते है ऐसे जिहादी सोच वाले का बहिष्कार करना है एक मात्र उपाय है।*

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Friday, February 28, 2020

पाकिस्तान में हिंदुओं की दुःखद स्थिति देखरकर अमेरिका ने की निंदा

28 फरवरी 2020
 
*🚩पूरे विश्व मे सनातन हिंदू धर्म फैला था लेकिन कुछ स्वार्थी हिंदुओं के कारण आज हिंदू सिमटता गया जिसके कारण दुनिया मे एक भी हिंदू राष्ट्र नही है बल्कि 2021 साल पुराना ईसाई समुदाय ने अपने करीब 170 देश बना लिए और 1500 साल पुराना मजहब ने करीब 57 देश बना लिए इसका मुख्य कारण है हिंदुओं का सेक्युलर होना, धर्म के प्रति जागरूक नही होना और आपस मे जातियों में बंटना, कम बच्चे पैदा करना, हिंदुनिष्ठ नेता या धर्मगुरु का साथ न देना इन सभी कारण से आज हिंदुओं की हर जगह दुर्दशा हो रही है।*

*🚩हिंदू सिर्फ कमाने खाने में व्यस्त है पर कश्मीरी पंडितों के पास क्या नही था फिर भी उनके पास कुछ नही रहा अगर धर्म के प्रति आज भी जागरूक नही हुए तो जैसे कश्मीरी पंडितों का हाल हुआ था, दिल्ली में अभी जो हिंदुओं का हाल हुआ वैसा सभी जगह हो सकता है इसलिए अभी भी समय है अपने धर्म के प्रति जागरूक हो जाना चाहिए।*

*🚩अमेरिका ने की पाकिस्तान की निंदा*

*🚩अमेरिका ने बुधवार को अपने यहां अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा न करने के लिए पाकिस्तान की निंदा की है। अमेरिकी सचिव माइक पॉम्पियो ने 27-राष्ट्रों के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता गठबंधन के लॉन्च के दौरान कहा कि, हम आतंकवादियों और हिंसक चरमपंथियों की निंदा करते हैं जो धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं चाहे वे इराक में यजीदी हों, पाकिस्तान में हिंदू हों, पूर्वोत्तर नाइजीरिया में ईसाई हों या बर्मा में मुसलमान हों। बता दें कि, पोम्पियों का ये बयान तब आया है जब भारत में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 6 अल्पसंख्यक समुदायों के लिए नागरिकता संशोधन कानून लाया गया है।*

*🚩बता दें कि हिंदू स्थलों को तोड़े जाने और हिंदू लड़कियों के धर्म परिवर्तन की खबरें पाकिस्तान से लगातार आती है। ऐसे में पोम्पियो ने कहा कि हम ईशनिंदा और धर्मत्यागी कानून की निंदा करते हैं। स्त्रोत : लाइव्ह हिन्दुस्थान*

*🚩आपको बता दे कि पाकिस्तान में 23% हिंदू थे आज 2% बचे है। बांग्लादेश में 31%हिन्दू थे आज 8% बचे है। अफगानिस्तान में 22000 हिंदू परिवार थे वे आज मात्र 220 बचे है।*

*🚩बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि देश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है तो भारत में आ रहे हैं पर भारत में भी 8 राज्यो में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं, बाकी बंगाल, केरला आदि में हिंदुओं की हत्या जारी है और उत्तरप्रदेश में भी हिन्दू पलायन कर रहे हैं फिर अब हिन्दू कहाँ जाएंगे ? केंद्र और राज्य में हिंदूवादी सरकार होते हुए भी हिंदूओ को पलायन करना पड़ रहा है तो सोच लीजिये हिंदुओं का आगे क्या होगा?*

*🚩दुनिया में किसी भी देश मे हिंदू चाहे उसदेश में अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक पर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है, उसपर अत्याचारों की बौशार लगाई जाती है, आज बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि में हिंदू नहीं के बराबर होते जा रहे हैं क्योंकि वहाँ उनको धार्मिक स्वतंत्रता नहीं दी जा रही है, बहु-बेटियों को उठाकर ले जाते हैं, संपति हड़प लेते हैं, घर, मंदिर, दुकानें जला देते हैं या तोड़ देते हैं, वहाँ उनकी न सरकार सुनती है न न्यायालय, बस अत्याचार सहन करते रहते हैं ।*

*🚩इन सबको देखकर भी हिंदू एक नही हुए तो फिर पछतावे के अलावा कुछ नही बचेगा।*

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Monday, February 24, 2020

भगवान शिवजी के 'तांडव नृत्य' को यूरोप ने माना ब्रह्मांडीय शक्ति

24 फरवरी 2020
www.azaadbharat.org
*🚩यूरोपीय देश हिन्दू धर्म की महानता को उजागर कर रहे हैं, पर यदि हमारे भारत देश में ऐसे होता, तो सेक्युलरवादी इस पर बवाल खड़ा कर इसका विरोध करते !*
*🚩भगवान शिव की पूजा धार्मिक नजरिए से महत्वपूर्ण तो है ही, विज्ञान में भी इसकी अहमियत है। ऑस्ट्रियन मूल के अमेरिकन भौतिकी वैज्ञानिक और दार्शनिक फ्रिटजॉफ कैपरा ने शिवजी के स्वरूप नटराज के तांडव नृत्य को परमाणु की उत्पत्ति और विनाश से जोड़ा है। कैपरा ने 1972 में प्रकाशित अपनी किताब ‘मेन करेंट्स ऑफ मॉडर्न थॉट’ में ‘द डांस ऑफ शिव’ लेख में शिवजी के नृत्य और परमाणु के बीच समानता की चर्चा की थी। इसके बाद 8 जून 2004 को जेनेवा स्थित सर्न के यूरोपियन सेंटर फॉर रिसर्च इन पार्टिकल फिजिक्स में तांडव नृत्य करती नटराज की 2 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस मूर्ति को सर्न के साथ भारत के लंबे सहयोग का जश्न मनाने के लिए दिया गया था।*

*1●) शिव के तांडव में विज्ञान*

*शिवजी के नृत्य के दो रूप हैं। एक है लास्य, जिसे नृत्य का कोमल रूप कहा जाता है। दूसरा तांडव है, जो विनाश को दर्शाता है। भगवान शिव के नृत्य की अवस्थाएं सृजन और विनाश, दोनों को समझाती हैं। शिव का तांडव नृत्य ब्रह्मांड में हो रहे मूल कणों के उतार-चढ़ाव की क्रियाओं का प्रतीक है।*
*🚩यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्‍यूक्‍लियर रिसर्च यानी सर्न लेबोरेटरी के बाहर नटराज की मूर्ति रखी हुई है। नटराज की मूर्ति और ब्रह्मांडीय नृत्य के बारे में कैपरा ने बताया है कि वैज्ञानिक उन्‍नत तकनीकों का उपयोग करते हुए कॉस्‍मिक डांस का प्रारूप तैयार कर रहे हैं। कॉस्मिक डांस यानी भगवान शिव का तांडव नृत्य, जो विनाश और सृजन दोनों का प्रतीक है।*
*🚩तांडव करते हुए नटराज के पीछे बना चक्र ब्रह्मांड का प्रतीक है। उनके दाएं हाथ का डमरू नए परमाणु की उत्पत्ति और बाएं हाथ में अग्नि पुराने परमाणुओं के विनाश की ओर संकेत करती है। इससे ये समझा जा सकता है कि, अभय मुद्रा में भगवान का दूसरा दायां हाथ हमारी सुरक्षा, जबकि वरद मुद्रा में उठा दूसरा बायां हाथ हमारी जरूरतों की पूर्ति सुनिश्चित करता है।*
*2●) पूजन सामग्री : जल, दूध, दही, शहद और फूल*
*🚩उज्जैन के धर्म विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाली पूजन सामग्री पर शोध किया है। शोध में दावा किया है कि न्यूक्लियर रिएक्टर और शिवलिंग में समानता होती है। ज्योतिर्लिंग से ज्यादा मात्रा में ऊर्जा निकलती है। उस ऊर्जा को नियंत्रित करने के लिए शिवलिंग पर लगातार जल चढ़ाया जाता है।*
*🚩संस्थान के वरिष्ठ धर्म वैज्ञानिक डॉ. जगदीशचंद्र जोशी के अनुसार न्यूक्लियर में आग के पदार्थ कार्डिएक ग्लाएकोसाइट्स कैल्शियम ऑक्सीलेट, फैटी एसिड, यूरेकिन, टॉक्सिन पाए जाते हैं। इनसे पैदा होने वाली गर्मी को संतुलित करने के लिए ही शिव पूजा में मदार के फूल और बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं, जो कि न्यूक्लियर ऊर्जा को संतुलित रखते हैं।*
*🚩धर्म विज्ञान शोध संस्थान के वैभव जोशी के अनुसार दूध में फैट, प्रोटीन, लैक्टिक एसिड, दही में विटामिन्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस और शहद में फ्रक्टोस, ग्लूकोज जैसे डाईसेक्राइड, ट्राईसेक्राइड, प्रोटीन, एंजाइम्स होते हैं वही दूध, दही और शहद शिवलिंग पर कवच बनाए रखते हैं। इसके साथ ही शिव मंत्रों से निकलने वाली ध्वनि सकारात्मक ऊर्जा को ब्रह्मांड में बढ़ाने का काम करती है। धर्म और विज्ञान पर अध्ययन करने वाली इस संस्था ने शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाली चीजों की प्रकृति और उनमें पाए जाने वाले तत्वों की वैज्ञानिक व्याख्या के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है।*
*3●) बिल्वपत्र से नियंत्रित होती है गर्मी*
*🚩बिल्वपत्र से गर्मी नियंत्रित होती है। इसमें टैनिन, लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे रसायन होते हैं। इससे बिल्वपत्र की तासीर बहुत शीतल होती है। तपिश से बचने के लिए इसका उपयोग फायदेमंद होता है। बिल्वपत्र का औषधीय उपयोग करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। पेट के कीड़े खत्म होते हैं और शरीर की गर्मी नियंत्रित होती है।*
*4●) शिव के रूद्राक्ष में छुपा विज्ञान*
*🚩काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में बताया गया है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिवजी के आंसुओं से हुई है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार रूद्राक्ष में पाए जाने वाले गुण मनुष्य के नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखते हैं।*
*🚩रुद्राक्ष में केमो फॉर्मेकोलॉजिकल नाम का गुण पाया जाता है। इस गुण से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। रुद्राक्ष में आयरन, फॉस्फोरस, एल्युमीनियम, कैल्शियम, सोडियम और पोटैशियम गुण पर्याप्त मात्रा में होते हैं। रुद्राक्ष के ये गुण शरीर के नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखते हैं। स्त्रोत : दैनिक भास्कर*
*🚩हमारी भारतीय संस्कृति की कितनी महिमा है और हमारे भगवान कितने महान हैं, वे विदेश के लोग भी जानने लगे हैं। लेकिन कुछ भारतवासी अभीतक समझ नहीं पा रहे हैं, अभी समय आ गया है कि हमारी संस्कृति की महिमा समझकर उसका अनुसरण एवं प्रचार-प्रसार करें।*
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