Friday, April 26, 2024

भारत नही नेपाल में भी हिंदू सुरक्षित नहीं है, पुजारी के सिर को ईंटों से फोड़ा

27 April 2024

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🚩हिंदू समाज केवल भारत में नही नेपाल और अन्य देशों में भी मुस्लिम जिहादियों से प्रताड़ित हो रहा हैं। कभी हिंदूओं पर पत्थर फेकना, गोली चलाना, कभी हिंदू मंदिर तोड़ना तो कभी लव जिहाद तो कभी लैंड जिहाद जैसे अनेक षड़यंत्र किए जा रहे हैं।


🚩हिन्दू मंदिर के पुजारी पर जानलेवा हमले 


🚩नेपाल के सिरहा जिले में एक हिन्दू मंदिर के पुजारी पर जानलेवा हमले की खबर है। हमले में पुजारी का सिर फट गया जिनको इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया। हमले का आरोप अताबुल मियाँ पर लगा है। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि नेपाली पुलिस ने अताबुल को हिरासत में ले कर थाने से ही छोड़ दिया। इस घटना और पुलिस की कार्रवाई से नाराज हिन्दू संगठन से सदस्यों ने प्रशासन को आंदोलन की चेतावनी दी है। घटना गुरुवार (18 अप्रैल, 2024) की है।


🚩नेपाल में सक्रिय ‘हिन्दू सम्राट सेना’ के अध्यक्ष राजेश यादव ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया कि घटना सिरहा जिले के कल्याणपुर इलाके की है। यहाँ के वार्ड नंबर 12 में राम जानकी मंदिर आसपास के हिन्दुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र है। यहाँ पुजारी हेबू मुखिया पूजापाठ करते हैं। गुरुवार की रात लगभग 8 बजे पुजारी मंदिर में आरती आदि कर के घर लौट रहे थे। इसी दौरान उन पर अताबुल मियाँ हमला कर देता है। हमले में ईंट का इस्तेमाल किया जाता है जिस से पुजारी का सिर फट गया।


🚩सिर पर चोट लगने से पुजारी हेबू गंभीर रूप से घायल हो गए। आसपास के लोगों ने उनको विराटनगर के अस्पताल में भर्ती करवाया। फ़िलहाल पुजारी हेबू मुखिया इलाज के बाद अपने घर आ चुके हैं। इधर पुलिस ने अताबुल मियाँ को हिरासत में ले लिया। हिन्दू सम्राट सेना का आरोप है कि राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस ने अताबुल को बिना केस दर्ज किए ही थाने से छोड़ दिया। पुलिस की यह हरकत नेपाल के हिन्दू संगठनों को नागवार गुजरी है। उन्होंने इसे अपराध को संरक्षण देने वाली हरकत बताया है।


🚩‘हिन्दू सम्राट सेना’ के सदस्यों ने जल्द से जल्द अताबुल मियाँ की गिरफ्तारी की माँग उठाई है। इस माँग के लिए संगठन ने सिरहा जिले के पुलिस अधीक्षक के ऑफिस पर प्रदर्शन का एलान किया है। पुजारी पर हुए हमले में अताबुल को हत्या के प्रयास की धाराओं में गिरफ्तार किए जाने की माँग की जा रही है।


🚩पुजारी की जमीन पर लैंड जिहाद की साजिश

ऑपइंडिया ने पुजारी हेबू मुखिया के बेटे रामकरन से बात की। उन्होंने बताया कि हमलावर अताबुल की उम्र लगभग 45 साल है। वो बेलहा किराने की दुकान चलाता है। उसके 2 बेटे हैं जो कतर देश में रहते हैं। पुजारी ने स्थानीय हिन्दू से एक जमीन खरीदी थी जिसे अताबुल मियाँ हड़पना चाहता है। वो पुजारी पर जबीन को फ्री में खुद को सौंप देने का दबाव लम्बे समय से बनाता आ रहा है। कुछ समय पहले भी उसने पुजारी को हथियार से मारने का प्रयास किया था। रामकरन ने अपने मामले में नेपाली पुलिस की कार्यशैली को भी असंतोषजनक बताया है।


🚩नेटीजेंस बता रहे घुसपैठ का नतीजा

नेपाल में पुजारी पर हुए इस हमले ने नेपाली सोशल मीडिया पर भी तूल पकड़ लिया है। नेपाली ‘X’ यूजर इस घटना पर नाराजगी जताते हुए अलग-अलग राय दे रहे हैं। विवेका ने लिखा कि पूरी नेपाल की सीमा पर रोहिंग्या बस चुके हैं। सुरेंद्र ने ‘राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी’ के सांसद को टैग करते हुए हमलावर पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है। सुरस्वामी ने लिखा कि नेपाल में विदेशियों की तादाद बढ़ती जा रही है जो कि वहाँ के मूल मधेशी लोगों के लिए एक बड़ा खतरा है।


🚩चित्र- X/@sanatanchautari पर आए कमेंट

एक अन्य ‘X’ यूजर @msapkota00043 ने नेपाल की पुलिस को टैग किया है। इसके साथ उन्होंने लिखा है कि हिन्दू पर दिन दहाड़े हमला नेपाल की शांति और सुरक्षा को खुली चुनौती है। शरद शर्मा ने लिखा, “पाकिस्तानी मुस्लिमों को नागरिकता देने का अंजाम भुगतना शुरू हो चुका है। यह मुस्लिमों को गले लगाने का अंजाम है।” शरद ने आशंका जताई है कि जल्द ही नेपाल के नए मालिक होंगे और तब मधेशी लोगों को तराई से भगा दिया जाएगा।


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Thursday, April 25, 2024

आसाराम बापू के बारे में काफी सुना होगा लेकिन यह बात कभी आपके पास नही आई होगी

26 April 2024

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🚩हिंदू धर्मगुरु आशाराम बापू के बारे में आपने कई बार मिडिया सोशल मीडिया के माध्यम से अनेक कहानियां सुनी होगी लेकिन सच क्या है झूठ क्या है वे जानना अति आवश्यक हैं।


🚩वरिष्ठ अधिवक्ता ने बापू आशारामजी की ओर से कोर्ट में जो बहस किया था उससे पता चलता है की उनको जेल में भेजना एक सुनियोजित षड़यंत्र है साजिस के तहत फंसाए जाने की पुष्टि करने वाले एक से बढ़कर एक ऐसे आश्चर्यकारक तथ्य सामने आये हैं कि जिसका आरोप लगाने वाले पक्ष के पास कोई जवाब नहीं है ।


🚩सबसे बड़ा सनसनीखेज खुलासा जो सामने आया वो ये है कि लड़की कमरे में गई ही नहीं..


🚩अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया था कि लड़की ने रात 10:30 बजे का बापू आशारामजी पर छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है, लेकिन न्यायालय में गवाह पेश हुए जिन्होंने बताया कि बापू आशारामजी रात को 9:00 बजे से 11:45 तक नीम के पेड़ के नीचे बैठे थे, उनके सामने 60-70 लोग और भी बैठे थे, वहां सत्संग के बाद पूना व सुमेरपुर के परिवार के बीच हुई सगाई के निमित्त भगवान  झुलेलालजी की झाँकी निकाली गयी थी, जिसमें बापू आसारामजी भी उपस्थित थे और दोनों परिवारवालों को रात को 11:30 बजे आशीर्वाद दे रहे थे । उस सत्संग के समय के कई फोटोज भी हैं जो न्यायालय के सामने सन 2014 से हैं तथा उसमें उपस्थित परिवारवालों की गवाही भी न्यायालय में हो चुकी है । वहाँ पर जो सिक्योरिटी गार्ड था, वो भी इस बात का गवाह है* ।


🚩दूसरी ओर कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि रातभर लड़की अपने मित्र (पुरुष) Boy Friend को मैसेज करती रही, न्यायालय में मनीषा नाम की महिला के बयान हुए, उसने बताया कि मैं उसके (लड़की)पास ही सोई थी और उसको बोला भी था कि सो जा लेकिन वो सो नही रही थी और अपने मित्र से मैसेज पर देर रात तक बातें करती रही ।


🚩संदिग्ध तरीके से दर्ज हुई एफ.आई.आर…


🚩अभियोजन पक्ष द्वारा तथाकथित घटना 14 व 15 अगस्त 2013 की दरमियानी रात्रि की बतायी गयी । जोधपुर की इस तथाकथित घटना के संबंध में एफ.आई.आर. न जोधपुर, न शाहजहाँपुर और न ही छिंदवाडा बल्कि 600 कि.मी. दूर कमला नेहरु मार्केट पुलिस थाना, नई दिल्ली में करवाई गई ।


🚩एफ.आई.आर. की विडियो रिकॉर्डिंग गायब की गयी


🚩एफ.आई.आर. लिखते समय की गयी विडियोग्राफी की रिकॉर्डिंग, सी.डी. एवं अन्य संबंधित दस्तावेज न्यायालय में पेश नहीं किये गये तथा संबंधित गवाहों थाना प्रभारी प्रमोद जोशी व कान्स्टेबल पंकज को भी न्यायालय में पेश नहीं किया गया । संदेहास्पद तरीके से उस विडियोग्राफी को गायब कर दिया गया । ए.एस.आई. पुष्पलता ने न्यायालय में इस बात को स्वीकार भी किया है कि एफ.आई.आर. लिखते समय विडियोग्राफी की गयी थी,किंतु उन्होंने उसे न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया ।


🚩ओरिजिनल एफ.आई.आर. को बदल डाला


🚩अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया था कि ओरिजिनल एफ.आई.आर.को बदल दिया गया, यहाँ तक कि एफ.आई.आर. पर लड़की के दस्तखत भी नहीं करवाये गए जो धारा 154 में अनिवार्य प्रावधान है । रजिस्टर के ऊपर लिखा रहता है कि ‘यह पढ़ लिया है और सही है’ (read over and accepted to be correct) । जब ऐसा कॉलम है तो फिर हस्ताक्षर क्यों नहीं करवाये गए ?


🚩FIR व FIR की कार्बन कॉपी में भी अंतर पाया गया है । जिसका स्पष्टीकरण सम्बन्धित पुलिस कर्मी न्यायालय के सामने हुई अपनी गवाही में नहीं दे पाया है ।


 🚩मेडिकल जाँच में मिली क्लीनचिट


🚩लोकनायक अस्पताल, दिल्ली की डॉ. शैलजा वर्मा एवं डॉ. राजेन्द्र कुमार ने लड़की की मेडिकल जाँच की थी । मेडिकल रिपोर्ट पूर्णतया नॉर्मल है । दोनों ही डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार का सेक्सुअल असॉल्ट (यौन-उत्पीड़न) अथवा फिजिकल असॉल्ट (शारीरिक उत्पीड़न) नहीं पाया गया । चोट का कोई निशान भी नहीं था । अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा से जिरह के दौरान जब यह पूछा गया कि चोट का निशान नहीं था तो मामला कैसे बना ? तो इसका उसके पास कोई जवाब नहीं था ।


🚩अनुसंधान अधिकारी भी नहीं थी निष्पक्ष


🚩न्यायालय में ऐसे कई तथ्य उजागर हुए थे,जिन्हें पुलिस द्वारा दबाया गया था । अनुसंधान पक्षपातपूर्ण किया गया तथा बापू आसारामजी पर नाजायज धाराएँ लगायी गयी । अनुसंधान के दौरान जिन व्यक्तियों ने सत्य को उजागर किया उनके महत्त्वपूर्ण बयान अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा ने चार्जशीट में लगाये ही नहीं । चंचल मिश्रा ने अपनी गवाही में इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने केस से संबंधित कई गवाहों के बयान आरोप-पत्र के साथ पेश नहीं किये हैं ।


🚩पोक्सो एक्ट किस आधार पर


🚩जिस पोक्सो एक्ट के कारण बापू आशारामजी को बेल तक नहीं मिल पाई,उस तथाकथित घटना के समय लड़की नाबालिग नहीं, बालिग थी । अधिवक्ता  ने अपनी दलीलों को कोर्ट के सामने जारी रखते हुए कहा कि LIC policy फॉर्म को लड़की की माँ ने खुद स्वीकार किया है और उसने उसके पैसे भी उठाए हैं | LIC Policy के संबंध में लड़की की माँ ने उक्त दस्तावेजों में भरे गए सभी तथ्यों को सही होने का स्वीकार करते हुए उस पर तीन जगह हस्ताक्षर किये हैं जिसमें लड़की की उम्र 1.7.94 भरी गई है जिसके हिसाब से लड़की कथित घटना के समय 19 साल से अधिक की हो जाती है ।


🚩50 करोड़ की फिरौती के लिए रचा गया षड्यंत्र..


🚩2008 में योग वेदान्त सेवा समिति अहमदाबाद आश्रम को एक फैक्स भेजा गया था जिसमें अमृत प्रजापति व उसके साथियों के द्वारा बापू आशारामजी को ये कहा गया था कि 50 करोड़ रुपये दो वर्ना उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ । हम झूठी लड़कियां तैयार करेंगे, प्लांट करेंगे जिसके कारण तुम जिंदगी भर जेल में रहोगे कभी बाहर नहीं आ सकोगे ।


🚩इस बात के लिए conspiracy वडोदरा (गुजरात) में की गई थी । जिसमें दीपक चौरसिया ( पूर्व में इंडिया न्यूज़) भी शामिल था जो मीडिया के ऊपर प्रचार प्रसार कर रहा था, कर्मवीर (परिवादिया का पिता) भी शामिल था । इन सबका जो एक motive था, वो 50 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का था । 50 करोड़ नहीं देने के कारण से मणाई गाँव का पूरा घटनाक्रम बनाया गया है ।



🚩उत्तर प्रदेश के पूर्व महानिदेशक सुव्रत त्रिपाठी जी ने ट्वीटर के माध्यम से बताया कि संत आशारामजी बापू केस में…

– FIR की वीडियो रिकॉर्डिंग को गायब कर दिया

– FIR और उसकी कार्बन कॉपी में अंतर पाया गया

– रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ें गए

– बर्थ सर्टिफिकेट में लड़की की अलग-अलग उम्र

– मेडिकल में नहीं मिला एक भी खरोंच का निशान

क्या ये उनको फंसाने की साजिश नहीं..??


🚩दूसरी ट्वीट के माध्यम से बताया कि संत आशारामजी बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई।


🚩करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति आस्थावान बनाया। वैदिक गुरुकुल और बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को दिव्य संस्कार दिए।


🚩कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर गौशालाएं खोल दी।


🚩वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया।


🚩क्रिसमस डे की जगह तुलसी पूजन दिवस प्रारम्भ करवाया।


🚩इन सब बातों से स्पस्ट होता है कि हिंदू संत आशाराम बापू को पूर्णतः षड्यंत्र के तहत फसाया गया हैं, आतंकवादियों को भी जमानत मिल जाती है पर 12 साल से 88 वर्षीय हिंदू संत आशाराम बापू को जमानत नही मिलना क्या ये बड़ी साजिस नही हैं?


🚩जनता की मांग है कि बापू आशारामजी को शीघ्र रिहा करना ही चाहिए।


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Wednesday, April 24, 2024

खालसा फ़ौज के 200 साल पुराने हथियार पर भगवान विष्णु का मंत्र, खालिस्तानी प्रोपेगंडा ध्वस्त

25 April 2024

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🚩सोशल मीडिया पर सिख इतिहास के विशेषज्ञ पुनीत साहनी ने एक तस्वीर शेयर की है। उन्होंने बताया कि ये सिखों की खालसा फ़ौज का हथियार है, जिसे चक्कर कहते हैं। ये लगभग 200 वर्ष पुराना है। साथ ही इस पर सोने से एक मंत्र अंकित है, जो गुरु अर्जुन देव द्वारा रचित है। इसे ‘रक्षा मंत्र’ कहा जाता है, अर्थात रक्षा के लिए इसमें प्रार्थना की गई है। ये सहस्कृति भाषा में रचित है, जो संस्कृत का ही एक रूप है। गुरु नानक देव जी ने इसका इस्तेमाल शुरू किया था।


🚩पुनीत साहनी ने बताया कि इस मंत्र में भगवान विष्णु से प्रार्थना की गई है। बता दें कि खालिस्तानी अक्सर हिन्दुओं और सिखों को विभाजित करने में लगे रहते हैं। वो सिख धर्म को सनातन का हिस्सा नहीं मानते और इसे हिन्दू विरोधी बता कर प्रचारित करने में लगे रहते हैं। जबकि सच्चाई ये है कि सिखों के सभी गुरु हिन्दू देवी-देवताओं की उपासना करते थे। गुरु गोविन्द सिंह माँ दुर्गा की पूजा करते थे, उन्होंने रामकथा भी लिखी। उक्त चक्कर पर अंकित मंत्र है:

🚩सिर मस्तक रख्या पारब्रहमं हस्त काया रख्या परमेस्वरह॥

आतम रख्या गोपाल सुआमी धन चरण रख्या जगदीस्वरह॥

सरब रख्या गुर दयालह भै दूख बिनासनह॥

भगति वछल अनाथ नाथे सरणि नानक पुरख अचुतह ॥५२॥


🚩ये मंत्र सिखों की सबसे पवित्र पुस्तक गुरु ग्रन्थ साहिब में लिखा हुआ है। इसका अर्थ है – “सिर, माथा, हाथ, शरीर, जीवात्मा, पैर, धन-पदार्थ -जीवों की हर तरह से रक्षा करने वाला परमब्रह्म परमेश्वर गोपाल, स्वामी, जगदीश्वर, सबसे बड़ा दया का घर परमात्मा ही है। वही सारे दुःखों का नाश करने वाला है। हे नानक! वह प्रभु निआसरों का आसरा है, भक्ति को प्यार करने वाला है। उस अविनाशी सर्व-व्यापक प्रभु का आसरा ले।” बता दें कि गोपाल और जगदीश्वर भगवान श्रीकृष्ण/विष्णु को कहा जाता है।

https://twitter.com/puneet_sahani/status/1781151949821247952?t=NXrdqpo7eDCpiVeSMIZ6sg&s=19


🚩‘विष्णु सहस्रनाम’ में भगवान विष्णु के जो नाम दर्ज हैं, उन्हीं का यहाँ इस्तेमाल किया गया है। इस इतिहास को जानने के बाद लोगों ने लिखा कि खालिस्तानी अपनी जड़ों को नकार तो सकते हैं, उन्हें मिटा नहीं सकते। हालाँकि, पुनीत साहनी का मानना है कि ये सब खालिस्तानी गुरुद्वारों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये बिलकुल उन पाकिस्तानियों की तरह है जिन्हें न सिर्फ अपने इतिहास को नकारना, बल्कि मिटाना भी सिखाया जाता है।


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भगवान हनुमानजी किनके अवतार थे ? और उनके पास कितनी सिद्धियां थीं ? जानिए.....

23 April 2024

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🚩हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग में चैत्र पूर्णिमा की पावन तिथि पर हुआ । तब से हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाता है । इस दिन हनुमान जी का तारक एवं मारक तत्त्व अत्याधिक मात्रा में अर्थात अन्य दिनों की तुलना में 1 सहस्र गुना अधिक कार्यरत होता है । इससे वातावरण की सात्त्विकता बढती है एवं रज-तम कणों का विघटन होता है । विघटन का अर्थ है, ‘रज-तम की मात्रा अल्प होना।’ इस दिन हनुमान जी की उपासना करने वाले भक्तों को हनुमान जी के तत्त्व का अधिक लाभ होता है।


🚩ज्योतिषियों की गणना अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6:03 बजे हुआ था । हनुमान जी भगवान शिवजी के 11वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान हैं।


🚩हनुमान जी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी तथा माता अंजना हैं । हनुमान जी को पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पवन देवता ने हनुमान जी को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


🚩हनुमानजी को बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि हनुमान जी का शरीर वज्र की तरह है।


🚩पृथ्वी पर सात मनीषियों को अमरत्व (चिरंजीवी) का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं । हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर विचरण करते हैं।


🚩हनुमानजी को एक दिन अंजनी माता फल लाने के लिये आश्रम में छोड़कर चली गई। जब शिशु हनुमानजी को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे । उनकी सहायता के लिये पवन भी बहुत तेजी से चला। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया । जिस समय हनुमान जी सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समय राहु सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था । हनुमान जी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया । उसने इन्द्र के पास जाकर शिकायत की “देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिये थे । आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है।”


🚩राहु की बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े । राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे । राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्र से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई।


🚩हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया । उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दी । जिससे संसार का कोई भी प्राणी साँस न ले सका और सब पीड़ा से तड़पने लगे । तब सारे सुर,असुर, यक्ष, किन्नर आदि ब्रह्मा जी की शरण में गये । ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये । वे मूर्छित हनुमान जी को गोद में लिये उदास बैठे थे । जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की । फिर ब्रह्माजी ने उन्हें वरदान दिया कि कोई भी शस्त्र इनके अंग को हानि नहीं कर सकता । इन्द्र ने भी वरदान दिया कि इनका शरीर वज्र से भी कठोर होगा । सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया। वरुण ने कहा कि मेरे पाश और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा । यमदेव ने अवध्य और निरोग रहने का आशीर्वाद दिया । यक्षराज कुबेर,विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये।


🚩इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत मे हनु) टूट गई थी । इसलिये उनको “हनुमान” नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, बालाजी महाराज आदि । इस प्रकार हनुमान जी के 108 नाम हैं और हर नाम का मतलब उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है।


🚩एक बार माता सीता ने प्रेम वश हनुमान जी को एक बहुत ही कीमती सोने का हार भेंट में देने की सोची लेकिन हनुमान जी ने इसे लेने से मना कर दिया । इस बात से माता सीता गुस्सा हो गई तब हनुमानजी ने अपनी छाती चीर का उन्हें उसे बसी उनकी प्रभु राम की छव‍ि दिखाई और कहा क‍ि उनके लिए इससे ज्यादा कुछ अनमोल नहीं।


🚩हनुमानजी के पराक्रम अवर्णनीय है । आज के आधुनिक युग में ईसाई मिशनरियां अपने स्कूलों में पढ़ाती है कि हनुमानजी भगवान नही थे एक बंदर थे । बन्दर कहने वाले पहले अपनी बुद्धि का इलाज कराओ। हनुुमान जी शिवजी का अवतार हैं। भगवान श्री राम के कार्य में साथ देने (राक्षसों का नाश और धर्म की स्थापना करने ) के लिए भगवान शिवजी ने हनुमानजी का अवतार धारण किया था।


🚩मनोजवं मारुततुल्य वेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।


वातात्मजं वानरयूथ मुख्य, श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये।


🚩‘मन और वायु के समान जिनकी गति है, जो जितेन्द्रिय है, बुद्धिमानों में जो अग्रगण्य हैं, पवनपुत्र हैं, वानरों के नायक हैं, ऐसे श्रीराम भक्त हनुमान की शरण में मैं हूँ।


🚩जिसको घर में कलह, क्लेश मिटाना हो, रोग या शारीरिक दुर्बलता मिटानी हो, वह नीचे की चौपाई की पुनरावृत्ति किया करे..।


🚩बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन – कुमार।


बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।


चौपाई–अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।


अस बर दीन्ह जानकी माता।।


🚩यह हनुमान चालीसा की एक चौपाई जिसमें तुलसीदास जी लिखते हैं कि हनुमानजी अपने भक्तों को आठ प्रकार की सिद्धियाँ तथा नौ प्रकार की निधियाँ प्रदान कर सकते हैं ऐसा सीता माता ने उन्हें वरदान दिया। यह अष्ट सिद्धियां बड़ी ही चमत्कारिक होती है जिसकी बदौलत हनुमान जी ने असंभव से लगने वाले काम आसानी से सम्पन किये थे। आइये अब हम आपको इन अष्ट सिद्धियों, नौ निधियों और भगवत पुराण में वर्णित दस गौण सिद्धियों के बारे में विस्तार से बताते हैं।


🚩आठ सिद्धयाँ :


हनुमानजी को जिन आठ सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है वे सिद्धियां इस प्रकार हैं-


🚩1.अणिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।


🚩इस सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने तब किया जब वे समुद्र पार कर लंका पहुंचे थे। हनुमानजी ने अणिमा सिद्धि का उपयोग करके अति सूक्ष्म रूप धारण किया और पूरी लंका का निरीक्षण किया था। अति सूक्ष्म होने के कारण हनुमानजी के विषय में लंका के लोगों को पता तक नहीं चला।


🚩2. महिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।


🚩जब हनुमानजी समुद्र पार करके लंका जा रहे थे, तब बीच रास्ते में सुरसा नामक राक्षसी ने उनका रास्ता रोक लिया था। उस समय सुरसा को परास्त करने के लिए हनुमानजी ने स्वयं का रूप सौ योजन तक बड़ा कर लिया था।


इसके अलावा माता सीता को श्रीराम की वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए महिमा सिद्धि का प्रयोग करते हुए स्वयं का रूप अत्यंत विशाल कर लिया था।


🚩3. गरिमा: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।


🚩गरिमा सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने महाभारत काल में भीम के समक्ष किया था। एक समय भीम को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था। उस समय भीम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमानजी एक वृद्ध वानर रूप धारक करके रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर बैठे हुए थे। भीम ने देखा कि एक वानर की पूंछ रास्ते में पड़ी हुई है, तब भीम ने वृद्ध वानर से कहा कि वे अपनी पूंछ रास्ते से हटा लें। तब वृद्ध वानर ने कहा कि मैं वृद्धावस्था के कारण अपनी पूंछ हटा नहीं सकता, आप स्वयं हटा दीजिए। इसके बाद भीम वानर की पूंछ हटाने लगे, लेकिन पूंछ टस से मस नहीं हुई। भीम ने पूरी शक्ति का उपयोग किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस प्रकार भीम का घमंड टूट गया। पवनपुत्र हनुमान के भाई थे भीम क्योंक‍ि वह भी पवनपुत्र के बेटे थे ।


🚩4. लघिमा: इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।


🚩जब हनुमानजी अशोक वाटिका में पहुंचे, तब वे अणिमा और लघिमा सिद्धि के बल पर सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक वृक्ष के पत्तों में छिपे थे। इन पत्तों पर बैठे-बैठे ही सीता माता को अपना परिचय दिया था।


🚩5. प्राप्ति: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं।


🚩रामायण में इस सिद्धि के उपयोग से हनुमानजी ने सीता माता की खोज करते समय कई पशु-पक्षियों से चर्चा की थी। माता सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया था।


🚩6. प्राकाम्य: इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं। इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे। साथ ही, वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को प्राप्त कर सकते हैं। इस सिद्धि से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं।


🚩इस सिद्धि की मदद से ही हनुमानजी ने श्रीराम की भक्ति को चिरकाल तक प्राप्त कर लिया है।


🚩7. ईशित्व: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।


ईशित्व के प्रभाव से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था। इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा। साथ ही, इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर सकते हैं।


🚩8. वशित्व: इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।


🚩वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं। हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमानजी अतुलित बल के धाम हैं।


🚩नौ निधियां :


हनुमान जी प्रसन्न होने पर जो नव निधियां भक्तों को देते है वो इस प्रकार हैं :-


🚩1. पद्म निधि : पद्मनिधि लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।


🚩2. महापद्म निधि : महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।


🚩3. नील निधि : नील निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।


🚩4. मुकुंद निधि : मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।


🚩5. नन्द निधि : नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है।


🚩6. मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है।


🚩7. कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।


🚩8. शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।


🚩9. खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देते हैं ।


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Tuesday, April 23, 2024

अरबपति ने 200 करोड़ की प्रॉपर्टी दान करके पत्नी के साथ लिया संन्यास

24 April 2024

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🚩विश्व में एक तरफ पैसा कमाने की होड़ लगी हुई है और जीवन में पैसा ही सबकुछ है , पैसा नही है तो कुछ नही एक तरफ ऐसी विचारधारा चल रही है दूसरी तरफ अपनी अरबों की संपत्ति दान करके संन्यास ले रहे हैं, जैसे राज कुमार ने राजपाट छोड़कर संन्यास लिया और भगवान बुद्ध बन गए, राजा भृतहारी, राजा गोपीचंद जैसे अनेक उदाहरण है जिन्होंने राजपाट धन संपत्ति भोग विलास छोड़कर संन्यास ले लिया और कठोर तपस्या किया और भगवान की प्राप्ति कर लिया फिर समाज में ज्ञान, सुख, शांति बांटकर लाखो करोड़ो लोगो के दिलों में सुख शांति पहुंचाई। इसलिए जीवन में सबकुछ पैसे ही नही शांति और आनंद की अत्यंत आवश्कता है और वो केवल भगवान की भक्ति, ज्ञान से प्राप्त होती हैं।


🚩200 करोड़ रुपयों दान करके बने संन्यासी 


🚩गुजरात के अरबपति व्यापारी और उनकी पत्नी ने अपनी जीवन भर की सारी कमाई (करीबन 200 करोड़ रुपयों) को दान करके जैन संन्यासी बनने का निर्णय लिया है। इस व्यापारी का नाम भावेश भंडारी है। वह गुजरात के हिम्मतनगर के रहने वाले हैं।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भावेश भंडारी का जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था। जब उन्होंने कारोबार की दुनिया में कदम रखा तो कंस्ट्रक्शन समेत कई क्षेत्रों में अपनी किस्मत आजमाई। धीरे-धीरे वह भारत के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो गए। मगर, समय के साथ आगे बढ़ने की इच्छा की जगह उनका मन मोह-माया से उजड़ने लगा। नतीजतन उन्होंने खुद को अपने काम धंधे से दूर कर लिया और फिर जैन दीक्षा लेने का निर्णय लिया।


🚩आपको जानकर शायद हैरानी हो कि भावेश भंडारी के साथ न केवल उनकी पत्नी ने संन्यासी होने का जीवन चुना है, बल्कि उनके 2 बच्चे भी उनसे पहले सांसरिक मोह-माया त्यागकर दीक्षा ले चुके हैं। हाल में दोनों पति-पत्नी ने 4 किलोमीटर की शोभा यात्रा भी निकाली थी जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे।

https://twitter.com/PTI_News/status/1780055695531938303?t=HgcxIIAapcOeg-7l0VloLg&s=19


🚩बता दें कि पूरे परिवार द्वारा भिक्षु बनने का निर्णय लिए जाने के बाद भावेश भंडारी ने अपनी 200 करोड़ रुपए की संपत्ति को दान कर दिया। हालाँकि अभी उन्होंने औपचारिक रूप से दीक्षा नहीं ली है। 22 अप्रैल को संभवत: वह जैन भिक्षु बनने के लिए दीक्षा लेंगे। उसके बाद उन्हें भिक्षुओं जैसा जीवन ही जीना होगा। जैसे अपनी प्रतिज्ञा लेने के बाद उन्हें पारिवारिक रिश्तों से दूर रहना होगा। किसी सांसरिक वस्तु का भोग करने की अनुमति नहीं होगी। वो सिर्फ नंगे पाँव चलेंगे और भिक्षा माँगेंगे। उन्हें सिर्फ सफेद वस्त्र पहनने होंगे, वस्तु के नाम पर एक कटोरा रखना होगा और राज्यारोहण। इसका प्रयोग वह कहीं बैठने से पहले जगह साफ करने के लिए करेंगे।


🚩पूर्व में भी कई अरबों पति और राजे महाराजे अपना धन वैभव छोड़कर ईश्वर के रास्ते चले है जिसके कारण उन्होंने वास्तविक सुख, आनंद और शांति पाई है।


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Sunday, April 21, 2024

महावीर स्वामी जी को निंदकों ने कितना पीड़ित किया था? जानिए.....

 22 April 2024

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🚩जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन है,जो सम्पूर्ण विश्व में बहुत धूमधाम से मनाया जाएगा।


🚩भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत बताए, जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं। ये सिद्धांत हैं- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।


🚩जैसे हर संत के जीवन में देखा जाता है,वैसे महावीर स्वामी के समय भी देखा गया…… जहाँ उनसे लाभान्वित होनेवाले लोग थे, वहीं समाजकंटक निंदक भी थे ।


🚩उनमें से पुरंदर नाम का निंदक बड़े ही क्रूर स्वभाव का था । वह तो महावीर जी के मानो पीछे ही पड़ गया था । उसने कई बार महावीर स्वामी को सताया, उनका अपमान किया पर संत ने माफ कर दिया ।



🚩एक दिन महावीर स्वामी (Mahavir Swami) पेड़ के नीचे ध्यानस्थ बैठे थे । तभी घूमते हुए पुरंदर भी वहाँ पहुँच गया । वह महावीर जी को ध्यानस्थ देख आग-बबूला होकर बड़बड़ाने लगा ,अभी इनका ढोंग उतारता हूँ,अभी मजा चखाता हूँ….।


और आवेश में आकर उसने एक लकड़ी ली और उनके कान में खोंप दी । कान से रक्त की धार बह चली लेकिन महावीर जी के चेहरे पर पीड़ा का कोई चिह्न न देखकर वह और चिढ़ गया और कष्ट देने लगा ।


🚩इतना सब होने पर भी महावीरजी किसी प्रकार की कोई पीड़ा को व्यक्त किये बिना शांत ही बैठे रहे । परंतु कुछ समय बाद अचानक उनका ध्यान टूटा, उन्होंने आँख खोलकर देखा तो सामने पुरंदर खड़ा है । उनकी आँखों से आँसू झरने लगे ।


🚩पुरंदर ने पूछा : क्या पीड़ा के कारण रो रहे हो ?


महावीर स्वामी : नहीं, शरीर की पीड़ा के कारण नहीं,


पुरंदर : तो किस कारण रो रहे हो ?


🚩“मेरे मन में यह व्यथा हो रही है कि मैं निर्दोष हूँ फिर भी तुमने मुझे सताया है तो तुम्हें कितना कष्ट सहना पड़ेगा ! कैसी भयंकर पीड़ा सहनी पड़ेगी ! तुम्हारी उस पीड़ा की कल्पना, करके मुझे दुःख हो रहा है ।”


🚩यह सुन पुरंदर मूक हो गया और पीड़ा की कल्पना से सिहर उठा ।


🚩पुरंदर की नाई गोशालक नामक एक कृतघ्न गद्दार ने भी महावीर स्वामी (Mahavir Swami) को बहुत सताया था ।


🚩महावीर जी के 500 शिष्यों को उनके खिलाफ खड़ा करने का उसका षड्यंत्र भी सफल हो गया था । उस दुष्ट ने महावीर स्वामी जी को जान से मारने तक का प्रयत्न किया लेकिन जो जैसा बोता है उसे वैसा ही मिलता है । धोखेबाज लोगों की जो गति होती है, गोशालक का भी वही हाल हुआ ।


🚩 सच्चे संतों के निंदको व कुप्रचारको ! अब भी समय है, कर्म करने में सावधान हो जाओ । अन्यथा जब प्रकृति तुम्हारे कुकर्मों की तुम्हें सजा देगी उस समय तुम्हारी वेदना पर रोनेवाला भी कोई न मिलेगा ।


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Saturday, April 20, 2024

हिंदू विवाह में रीति-रिवाज और उनका महत्व

21 April 2024

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🚩हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है। यह पति और पत्नी के बीच एक आध्यात्मिक संबंध है जो उन्हें एक साथ जीवन भर रहने के लिए बाध्य करता है। हिंदू विवाह में कई रीति-रिवाज और परंपराएं शामिल हैं जो इस बंधन को और अधिक पवित्र और मजबूत बनाती हैं।


🚩परंपरागत सौंदर्य में गहराई:

हिंदू विवाह के रीति-रिवाजों में सौंदर्य और गहराई होती हैं, जो इसको विशेष बनाती हैं। विवाह समारोहों में पूरे हवाएं भगवान की कृपा और आशीर्वाद की ओर इशारा करती हैं। रंग-बिरंगे वस्त्र, शानदार आभूषण, और परंपरागत संगीत के साथ रीति-रिवाज विवाह को यादगार बना देते हैं।


🚩परिवार समर्थन और एकता का प्रतीक:

रीति-रिवाजों में छुपा होता है एक विशेष आदर्श, जिसमें परिवार का समर्थन और एकता का महत्वपूर्ण स्थान है। यह एक परिवार को एक साथ बाँधने वाला एक महत्वपूर्ण रूप है जो विवाह के माध्यम से स्थापित होता है।


🚩धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व:

रीति-रिवाजें हिंदू धर्म के मौल्यों और आध्यात्मिकता की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। विवाह के साक्षात्कार में धार्मिक संबंध स्थापित करना और आध्यात्मिक आदर्शों का पालन करना एक व्यक्ति को अपने जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में मदद कर सकता है।


🚩समृद्धि की ओर प्रगाधित:

रीति-रिवाजों के पालन से विवाह को एक समृद्धिपूर्ण और सुखमय जीवन की ओर प्रगाधित किया जा सकता है। सांस्कृतिक रूप से शुद्ध और धार्मिक तत्वों का पालन करना व्यक्ति को समृद्धि और शांति की दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है।


🚩हिंदू विवाह के रीति-रिवाज


🚩हिंदू विवाह के रीति-रिवाज को आमतौर पर 3 भागों में बांटा जाता है:


🚩पूर्व-विवाह समारोह

विवाह समारोह

विवाह के बाद के समारोह


🚩पूर्व-विवाह समारोह


🚩पूर्व-विवाह समारोह में वे सभी रीति-रिवाज शामिल होते हैं जो विवाह से पहले होते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:


🚩अंतर्दीक्षा: यह एक अनुष्ठान है जिसमें वर और वधू अपनी भावनाओं और इच्छाओं का मूल्यांकन करते हैं।


🚩परिवार के साथ चर्चा: दोनों परिवारों के बीच विवाह के लिए बातचीत होती है।


🚩शादी की तारीख और समय का निर्धारण: एक पुजारी की मदद से शादी की तारीख और समय का निर्धारण किया जाता है।


🚩शादी की व्यवस्था: शादी के लिए आवश्यक सभी व्यवस्थाओं को किया जाता है, जैसे कि भोजन, सजावट, और संगीत।

विवाह समारोह


🚩विवाह समारोह में वे सभी रीति-रिवाज शामिल होते हैं जो विवाह के दिन होते हैं। 


🚩इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:


🚩हवन: यह एक अनुष्ठान है जिसमें अग्नि के सामने वर और वधू को वरमाला पहनाया जाता है।


🚩पाणिग्रहण: यह एक अनुष्ठान है जिसमें वर और वधू एक दूसरे के हाथों को पकड़ते हैं और एक-दूसरे को जीवन भर का साथ देने का वादा करते हैं।


🚩मंगलासूत्र बंधन: यह एक अनुष्ठान है जिसमें वर वधू के गले में मंगलसूत्र पहनाता है। मंगलसूत्र को विवाहित महिला की पहचान का प्रतीक माना जाता है।


🚩सप्तपदी: यह एक अनुष्ठान है जिसमें वर और वधू सात फेरे लेते हैं। सात फेरे विवाह के सात वचनों का प्रतीक हैं।


🚩अग्नि परिक्रमा: यह एक अनुष्ठान है जिसमें वर और वधू अग्नि के चारों ओर सात बार चक्कर लगाते हैं। यह अनुष्ठान विवाहित जोड़े के बीच विश्वास और प्रेम को मजबूत करने का प्रतीक है।


🚩विवाह के बाद के समारोह


🚩विवाह के बाद के समारोह में वे सभी रीति-रिवाज शामिल होते हैं जो विवाह के बाद होते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:


🚩भात-भोजन: यह एक समारोह है जिसमें वर और वधू को पहली बार घर पर भोजन कराया जाता है।


🚩नंदलाज: यह एक समारोह है जिसमें दूल्हे के घरवालों को वधू के घर से उपहार दिए जाते हैं।


🚩विदाई: यह एक समारोह है जिसमें दुल्हन अपने घर से विदा होती है और अपने नए घर जाती है।


🚩हिंदू विवाह में रीति-रिवाजों का महत्व


🚩हिंदू विवाह में रीति-रिवाजों का बहुत महत्व है। ये रीति-रिवाज विवाह को एक पवित्र बंधन बनाते हैं और इसे और अधिक मजबूत और लंबे समय तक चलने वाला बनाते हैं।

पूर्व-विवाह समारोह में शामिल रीति-रिवाज विवाह के लिए दोनों पक्षों की तैयारी का प्रतीक हैं।


🚩विवाह समारोह में शामिल रीति-रिवाज विवाह के सात वचनों को साकार करते हैं।


🚩विवाह के बाद के समारोह में शामिल रीति-रिवाज विवाहित जोड़े के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करते हैं। ये रीति-रिवाज नए जोड़े को उनके नए जीवन की शुरुआत में आशीर्वाद और समर्थन प्रदान करते हैं।


🚩हिंदू विवाह की रीति-रिवाज आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे। ये रीति-रिवाज विवाह को एक महत्वपूर्ण और यादगार अनुभव बनाते हैं। वे वर और वधू के साथ-साथ उनके परिवारों और दोस्तों के लिए जीवन भर की खुशियों का आधार बनते हैं।


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