Sunday, March 31, 2024

अप्रैल फूल मनाते हो तो हो जाइए सावधान, अंग्रेजों ने बनाई थी प्रथा

01 April 2024

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🚩भारतवासी अधिकतर अनजाने में ऐसे त्यौहार मनाते है कि उनको वास्तविकता पता ही नही होती है और अपनी ही संस्कृति का नाश कर लेते है, अंग्रेज भले ही चले गए हो लेकिन उन्होंने जो भारतीय संस्कृति का नाश करने के लिए अनेक षडयंत्र किये थे वो आज भी भारत मे प्रचलित है और भारतीय अनजाने में उसका शिकार बनते है ।


🚩ऐसे ही एक भारत मे प्रचलित है कि अप्रैल फूल मनाना, आइये आज उसकी वास्तविकता से अवगत कराते है, अप्रैल फूल की सच्चाई जानकर आप भी उससे नफरत करने लगेंगे ।


🚩भारत माता को जब अंग्रेजो ने गुलामी की जंजीरो से जकड़ लिया था तब उन्होंने पूर्ण प्रयास किया कि भारतीय संस्कृति को मिटाया जाए, भारतीय पहले सृष्टि का उदगम दिन पर ही हर साल नववर्ष मनाते थे जो करीब अप्रैल महीने की शुरुआत में ही आता था इसको नष्ट करने के लिए ईसाई अंग्रेजो ने 1 जनवरी को नया साल भारतवासियों पर थोप दिया फिर भी भारतवासी उसी दिन ही नववर्ष मना रहे थे जिसके कारण अंग्रेजो ने 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस घोषित कर दिया ।


🚩आपको बता दे कि भारतीय सनातन कैलेंडर, जिसका पूरा विश्व अनुसरण करता है उसको मिटाने के लिए 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर अपनाने का फरमान जारी कर दिया था जिसमें 1 जनवरी को नया साल के प्रथम दिन के रूप में बनाया गया।


🚩जिन भारतवासीयों ने इसको मानने से इंकार किया, उनका 1 अप्रैल को मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे 1 अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख दिवस बन गया।


🚩अप्रैल फूल मतलब हिन्दुओं को मूर्ख बनाना ।

ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है।

भारत मे आज भी बही खाते और बैंक के हिसाब-किताब 31 मार्च को बंद होते है और 1 अप्रैल से नये शुरू होते है।


🚩भारत में अंग्रेज़ो ने विक्रम संवत का नाश करने के लिए ही 1 जनवरी को नया साल थोपा और अप्रैल में आने वाले हिन्दू नववर्ष की मजाक उड़ाने के लिए ही “अप्रैल फूल” मनाना शुरू किया मतलब हिन्दुओं को मूर्ख बनाये जिससे वे खुद का नया साल भूल जाये ।


🚩अंग्रेज़ो की यह साजिश थी जिससे  1 अप्रैल को मूर्खता दिवस “अप्रैल फूल” का नाम दिया ताकि भारतीय संस्कृति मूर्खता भरी लगे ।


🚩अब आप स्वयं सोचे कि आपको अप्रैल फूल मनाना चाहिए या अपनी हिन्दू संस्कृति का आदर करना चाहिए।


🚩आइये जाने अप्रैल माह के आस पास ऐतिहासिक दिन और त्यौहार कितना महान है।


🚩हिन्दुओं का पावन महिना इन दिनों से ही शुरू होता है (शुक्ल प्रतिपदा)


🚩हिंदुओं के रीति -रिवाज़ सब इन दिनों में कलेण्डर के अनुसार बनाये जाते है।


🚩महाराजा विक्रमादित्य की काल गणना इन दिनों से ही शुरू होती है।


🚩भगवान श्री रामजी का अवतरण दिवस भी इन दिनों में आता है।


🚩भगवान झूलेलाल, भगवान हनुमानजी, भगवान महावीर,  भगवान स्वामीनारायण आदि का प्रागट्य दिवस भी इन दिनों में ही आता हैं ।


🚩 अंग्रेज ईसाई सदा से भारतीय सनातन संस्कृति के विरुद्ध थे इसलिए हिंदुओं के त्योहारों को मूर्खता का दिन कहते थे । पर अब हिन्दू भी बिना सोचे समझे बहुत शान से अप्रैल फूल मना रहे है।


🚩 कुछ भारतवासी आज अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए अप्रैल फूल मना रहे है।


 🚩भारतवासी अब “अप्रैल फूल” किसी को बनाकर गुलाम मानसिकता का सबूत ना दे ।


 🚩आज देश विरोधी ताकते हमारे महान भारत देश को तोड़ने के लिए अनेक साजिसे रच रहे है, जिसमे अधिकतर मीडिया, टीवी, फिल्मे, चलचित्रों, अखबार, नॉवेल, इंटरनेट आदि के माध्यम से भारतवासियों को अपने संस्कृति से दूर ले जाने का भरपूर प्रयास चल रहा है, लेकिन हम क्यों अपनी महान संस्कृति भूलकर अंग्रेजो की गुलामी वाली प्रथा अपना रहे है।


🚩भारतीय आप सब से निवेदन है कि अपनी संस्कृति के अनुसार ही पर्व त्योहार मनाये अभी जितनी भी अंग्रेजो वाली प्रथायें है वे बन्द करे और भारतीय संस्कृति के अनुसार जो भी प्रथायें हैं उनको शुरू करें ।


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Saturday, March 30, 2024

जेल से हिन्दू संत आसाराम बापू ने न्यायालय को लिखा पत्र

31  March 2024

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🚩हिन्दू संत आशाराम बापू पिछले 11 साल से जोधपुर जेल में हैं। सेंट्रल जेल से उन्होंने कुछ समय पहले न्यायलय को एक पत्र लिखा था,जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा हैं।


 🚩उन्होंने लिखा था की हमारे विरुद्ध षड्यंत्रपूर्वक एक आरोप को ठूस दिया गया है। जबकि हमारे द्वारा पिछले 60  वर्षों से राष्ट्र व समाज को सही दिशा में ले जाने हेतु जो कार्य किये गए हैं, उन्हें दबा दिया गया है। इन कार्यों की प्रशंसा देश के कई प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों एवं न्यायविदों व समाज के हर वर्ग द्वारा की गई है।


🚩आगे लिखा है की हमारी संस्था द्वारा हजारों बाल संस्कार केंद्र चल रहे हैं। गौशालाओं में लगभग 9000 गायों का पालन पोषण किया जा रहा है। संस्था द्वारा बच्चों व युवाओं को संस्कारित किये जाने का कार्य मातृ-पितृ पूजन दिवस जैसे कार्यक्रमों द्वारा किया जा रहा है। समाज में गरीब व पिछड़े लोगों के उत्थान के लिए कई सेवा प्रकल्प चलाये जाते हैं। स्नेह, सद्भाव, भाई चारा एवं राष्ट्रीय एकता की महता, बेटी बचाओ, बेटी पढाओं का नारा व नारी उत्थान के कार्य चलाये जाते हैं।


🚩गौरतलब है कि बापू आसारामजी का समाज व देशहित के सेवाकार्यों में अतुलनीय योगदान रहा है जिसकी भूरी-भूरी प्रशंसा बड़ी-बड़ी सुप्रसिद्ध हस्तियों ने उनके आश्रम को प्रशस्ति पत्र देकर की है 


🚩आइये अब बापू आसारामजी द्वारा हुए सेवाकार्यों पर भी नजर डालें ।


🚩ईसाई मिशनरियों को दिन के तारे दिखाकर, लाखों ईसाई बने हिंदुओं की घरवापसी करवाई और लाखों हिंदुओं होने वाला धर्म परिर्वतन पर रोक लगाई ।


🚩शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया ।


🚩कत्लखाने जाती हजारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।


🚩राजस्थान पशु पालन विभाग की ओर से उनकी निवाई गौशाला को राजस्थान की सर्वश्रेष्ठ गौशाला घोषित कर पुरस्कृत किया गया है।

https://twitter.com/AshramGaushala/status/956841906549415937


🚩विदेशी कंपनियों से हो रही शारीरिक व आर्थिक हानि से देश को बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथी का प्रचार-प्रसार कर एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से होने वाले रोगों से समाज को सचेत किया ।


🚩अमेरिका,शिकांगो,कनाडा, चाईना, पाकिस्तान आदि बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया ।


🚩देश में बढ़ती वृद्धाश्रमों की संख्या व बुजुर्ग माता-पिता की वेदना से व्यथित हो युवावर्ग को वेलेंटाइन डे जैसी कुरीति से मोड़कर “मातृ-पितृ पूजन दिवस” जैसी अनोखी पहल की जिसे आज विश्वस्तर पर मनाया जाने लगा है ।


🚩क्रिसमस डे के दिन क्रिसमस ट्री के बजाय हिन्दू संस्कृति में पूजनीय, माँ तुलसी की पूजा करके ये दिन हिन्दू संस्कृति के अनुसार तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने को प्रेरित किया ।


🚩बिकाऊ मीडिया को रुपयों के पैकेज ना देकर जगह-जगह पर गरीब इलाकों में चलचिकित्सालय चलवाकर निःशुल्क दवाईयाँ उपलब्ध करवाई  ।


🚩पिछले 70 वर्षों से लगातार आदिवासियों के बीच मुफ्त भंडारा,मकान, कपड़े, अनाज व दक्षिणा बांटने के साथ-साथ उन्हें हिन्दू संस्कृति की महिमा बताई ।


🚩नशा मुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसन-मुक्त करवाया, जिसका भारी नुकसान विदेशी कंपनियों को झेलना पड़ा ।


🚩महिलाओं के सर्वागीण विकास के लिए जगह-जगह पर महिला मंडलों द्वारा नारी सशक्तिकरण के लिए कई अभियान चलाये ।


🚩17000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र और अनेकों गुरुकुलों द्वारा बच्चों के सर्वागीण विकास के साथ-साथ बचपन से ही उन्हें अपनी संस्कृति की ओर अभिमुख किया ।

https://www.youtube.com/user/BaalSanskar


🚩हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, संत श्री आशारामजी गुरुकुल, अहमदाबाद द्वारा बनाया गया विश्व में सबसे ऊंचा मानव पिरामिड ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1975793302658723&id=1567668100137914


🚩भौतिकता और आध्यात्मिकता का समन्वय कर मानव में छुपी शक्तियों को जगाकर भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन करवाने में सदैव प्रयासरत रहने वाले बापू आसारामजी, जिनको “भारत रत्न” की उपाधि से अलंकृत करना चाहिए वो संत बिना किसी सबूत के सालों से जेल में हैं ।


🚩आज करोड़ों लोगों की नजरें सरकार व न्यायालय की ओर हैं कि वो कब देशहित, समाजहित, प्राणिमात्र के हित में सेवारत रहने वाले बापू आसारामजी के साथ इंसाफ करती हैं ।


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Friday, March 29, 2024

धार भोजशाला सर्वे में मिली आकृतियां, हिंदू पक्ष ने कहा- ये सनातनी प्रतीक चिह्न

30 March 2024

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🚩मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) का सर्वे सातवें दिन गुरुवार को भी जारी है। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की 17 सदस्यीय टीम सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर भोजशाला पहुंची और सर्वे का काम शुरू किया। इस दौरान टीम के साथ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और मैपिंग के उपकरण भी नजर आए। एएसआई की टीम के साथ करीब 20 मजदूर भी परिसर में पहुंचे। इस दौरान हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा और आशीष गोयल तथा मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान भी भोजशाला में पहुंचे।


🚩भोजशाला के बाहर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। एएसआई की टीम के साथ पहुंचे मजदूरों को जांच के बाद भोजशाला में प्रवेश दिया गया। भोजशाला में उत्खनन, कार्बन डेटिंग जीपीएस, जीआरएस पद्धति सहित आधुनिक संसाधनों द्वारा सर्वे का काम किया जा रहा है। सर्वे का काम पीछे की तरफ चल रहा है। यहां तीन स्पॉट बनाए गए हैं, उसमें साढ़े छह फीट गहराई तक गड्ढे कर दिए गए।

खुदाई में मिले कई अवशेष सर्वे में खोदाई के दौरान जो पत्थर और अन्य अवशेष मिले हैं, उनको एएसआइ की टीम ने सुरक्षित किया है। इनके नमूने जांच के लिए भेज जाएंगे। हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने दावा किया है कि ये अवशेष सीधे तौर पर मंदिर और सनातनी संस्कृति के प्रमाण हैं। इससे हिंदू समाज में उत्साह है।इसके अलावा टीम ने मुख्य परिसर के बीचों-बीच स्थित हवन कुंड का भी परीक्षण किया। लाल पत्थरों से बनी दीवारों और स्तंभ की भी बारीकी से परीक्षण किया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो टीम कार्बन डेटिंग कराएगी।


🚩एक और कक्ष को सर्वे में किया शामिल  मंगलवार को हिंदू धर्मावलंबियों के दर्शन-पूजन के लिए परिसर में आने की वजह से एएसआइ की टीम भोजशाला के भीतरी क्षेत्र में सर्वे करने नहीं जा पाई थी। बुधवार को पर्यटकों के लिए रोक होने के कारण भोजशाला पूरी खाली रही। टीम ने भीतरी परिसर में सर्वे का कार्य विशेष रूप से किया। यहां पर कुछ स्थानों पर टीम ने वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की। 


🚩मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर उठाए सवाल 


🚩गुरुवार को सुबह भोजशाला पहुंचे मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने फिर सर्वे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राजा भोज का किला कहां था। किला था तो भोजशाला कहां थी। भोजशाला मिस्ट्री थी। उसको ढूंढने की कोशिश की जाए। हम भी चाहते हैं कि उसको ढूंढा जाए।


🚩क्या है मामला?


🚩दरअसल, राजा भोज ने धार की भोजशाला को बनाया था। जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार यह एक यूनिवर्सिटी थी, जिसमें वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में बदल दिया था। इसके अवशेष प्रसिद्ध मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में भी देखे जा सकते हैं। यह मस्जिद भोजशाला के कैंपस में ही स्थित है, जबकि देवी प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी है। वर्ष 1902 में लॉर्ड कर्जन धार में मांडू के दौरे पर आए थे। उन्होंने भोजशाला के रखरखाव के लिए 50 हजार रुपये खर्च करने की मंजूरी दी थी। तब सर्वे भी किया गया था। सन 1951 को धार भोजशाला को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है। तब हुए नोटिफिकेशन में भोजशाला और कमाल मौला की मस्जिद का उल्लेख है। याचिका हिंदू फॉर जस्टिस ट्रस्ट की तरफ से लगाई गई थी। इसके अलावा छह अन्य याचिकाएं भी इस मामले में पूर्व में लगी हैं। ट्रस्ट की तरफ से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने पक्ष रखते हुए बताया था कि 1902 में हुए सर्वे में भोजशाला में हिंदू चिन्ह, संस्कृत के शब्द आदि पाए गए हैं। इसकी वैज्ञानिक तरीके से जांच होना चाहिए, ताकि स्थिति स्पष्ट हो।


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Thursday, March 28, 2024

भारतीयों का नववर्ष आ रहा है, अंग्रेजो की मानसिक गुलामी के कारण भूल गए थे अब करे तैयारी....

29 March 2024

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🚩सृष्टि का जिस दिन निर्माण हुआ वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा था इसलिए भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। इस साल 9 अप्रैल 2024 से नूतनवर्ष प्रारंभ होगा।


🚩चैत्र नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती है । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं।


🚩अंग्रेजी नूतन वर्ष में शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार करते हैं लेकिन भारतीय नूतन वर्ष संयम, हर्षोल्लास से मनाया जाता है । जिससे देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो जाता है ।


🚩इस साल 9 अप्रैल को नूतन वर्ष मनाना है, भारतीय नूतन वर्ष की दिव्यता को घर-घर पहुँचाना है ।

हम भारतीय नूतन वर्ष व्यक्तिगतरूप और सामूहिक रूप से भी मना सकते हैं ।


 🚩कैसे मनाये नववर्ष ?


🚩1 – भारतीय नूतनवर्ष के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें । संभव हो तो चर्मरोगों से बचने के लिए तिल का तेल लगाकर स्नान करें ।


🚩2 – नववर्षारंभ पर पुरुष धोती-कुर्ता / पजामा, तथा स्त्रियां नौ गज/छह गज की साडी पहनें ।


🚩3 – मस्तक पर तिलक करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें।


🚩4 – सूर्योदय के समय भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य देकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩5 – सुबह सूर्योदय के समय शंखध्वनि करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩6 – हिन्दू नववर्षारंभ दिन की शुभकामनाएं हस्तांदोलन (हैंडशेक) कर नहीं, नमस्कार कर स्वभाषा में दें ।


🚩7 –  भारतीय_नूतनवर्ष के प्रथम दिन ऋतु संबंधित रोगों से बचने के लिए नीम, कालीमिर्च, मिश्री या नमक से युक्त चटनी बनाकर खुद खाये और दूसरों को खिलायें ।


🚩8 – मठ-मंदिरों, आश्रमों आदि धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कॉलेज, सोसायटी, अपने दुकान, कार्यालयों तथा शहर के मुख्य प्रवेश द्वारों पर भगवा ध्वजा फहराकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें  और बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भारतीय नववर्ष का स्वागत करें । हमारे ऋषि-मुनियों का कहना है कि बंदनवार के नीचे से जो व्यक्ति गुजरता है उसकी  ऋतु-परिवर्तन से होनेवाले संबंधित रोगों से रक्षा होती है ।  पहले राजा लोग अपनी प्रजाओं के साथ सामूहिक रूप से गुजरते थे ।


🚩9 – भारतीय नूतन वर्ष के दिन सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करें ।


🚩10 – भारतीय संस्कृति तथा गुरु-ज्ञान से, महापुरुषों के ज्ञान से सभी का जीवन उन्नत हो ।’ – इस प्रकार एक-दूसरे को बधाई संदेश देकर नववर्ष का स्वागत करें । एस.एम.एस. भी भेजें ।


🚩11 – अपनी गरिमामयी संस्कृति की रक्षा हेतु अपने मित्रों-संबंधियों को इस पावन अवसर की स्मृति दिलाने के लिए आप बधाई-पत्र भेज सकते हैं । दूरभाष करते समय उपरोक्त सत्संकल्प दोहरायें ।


🚩12 – ई-मेल, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया के माध्यम से भी बधाई देकर लोगों को प्रोत्साहित करें ।


🚩13 – नूतन वर्ष से जुड़े ऐतिहासिक प्रसंगों की झाकियाँ, फ्लैक्स भी लगाकर प्रचार कर सकते हैं ।


🚩14  – सभी तरह के राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संगठनों से संपर्क करके सामूहिक रुप से सभा आदि के द्वारा भी नववर्ष का स्वागत कर सकते हैं ।


🚩15 – नववर्ष संबंधित पेम्पलेट बाँटकर, न्यूज पेपरों में डालकर भी समाज तक संदेश पहुँचा सकते हैं ।


🚩सभी भारतवासियों को प्रार्थना हैं कि रैली के द्वारा कलेक्टर, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति को भी भारतीय नववर्ष को सरकार के द्वारा सामूहिक रूप में मनाने हेतु ज्ञापन दें और व्यक्तिगत रूप में भी पत्र लिखें ।


🚩सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वो को बड़ी विशालता से जरूर मनाए ।


🚩समस्त भारतवासियों को आने वाले नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।


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Wednesday, March 27, 2024

स्वतंत्र भारत में आजतक हिंदुओं को शांतिपूर्वक त्योहार क्यों नही मनाते देते हैं ?

28 March 2024

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🚩भारत देश को मिली स्वतंत्रता के 77 साल होने आए है और स्वतंत्रता के समय अखंड भारत का विभाजन धर्म के नाम पर हुआ था, लेकिन भारत देश में आज भी हिंदू अपना त्योहार शांतिपूर्ण नही मानते हैं। होली, दीपावली , हिन्दू नववर्ष , भगवान झूलेलाल जयंती, रामनवमी, हनुमानजी जयंती, परशुराम जयंती, अमरनाथ यात्रा आदि जो भी हिन्दू पर्व आते हैं,उन पर्व के दिनों में मुस्लिम कत्थरपंथियो द्वारा हिन्दूओ पर पत्थर बरसाए जाते है ऐसा क्यो ? नमाज के बहाने दिन में 5 बार जोर शोर से लाउड स्पीकर चलाया जाता है लेकिन हिंदू ने आजतक कोई पत्थर नही फेंका आखिर हिंदु सहिष्णु है तो उनके त्यौहार पर पत्थर बरसाना क्या ये सही है? और वो भी हिंदु बाहुल्य देश में ऐसी घटना घटनी उचित नही हैं।


🚩आगरा में होली खेल रहे लोगों पर हमला


🚩उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में सोमवार (25 मार्च 2024) को होली खेल रहे हिन्दुओं पर मुस्लिम भीड़ द्वारा हमले की खबर है। कहा जा रहा है कि हमलावरों में महिलाएँ भी शामिल थीं। हमले के दौरान धारदार हथियार प्रयोग किए गए और होलिका माता को गंदी-गंदी गालियाँ देते हुए पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए। इस हिंसा में 2 लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने 34 नामजदों के साथ 40-50 अज्ञात हमलावरों के खिलाफ FIR दर्ज की है।


🚩घटना आगरा के थाना क्षेत्र रकाबगंज की है। यहाँ के रहना वाले विश्वजीत पात्रा नाम के व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। शिकायत में कहा गया है कि दोपहर 2 से 2:30 के बीच कुतुलपुर इलाके के ईदगाह एसआर हॉस्पिटल के सामने वाली गली में कुछ लोग होली खेल रहे थे। तभी मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया। हमले के दौरान पत्थरबाजी की गई। हमलावरों के हाथों में धारदार हथियार, लाठी और डंडे थे। हिंसक भीड़ द्वारा ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने की बात भी कही जा रही है।


🚩अचानक हुए इस हमले से अफरातफरी मच गई। भीड़ के शिकार विश्वजीत और मिथुन नाम के 2 व्यक्तियों को चोटें आईं। इनका इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है। हमलावरों में जमील, सलीम, रहीस, शौकत, बंटी, भइये, ईशाद, चाँद, चमन और उसके घर की औरतें, शाहीन, शहीद, हारून और उसके 2 भाई, इमरान, आसिन, पप्पन, शिक्की, रहमानी और उसके बेटे, गोश्त वाले हारून, इमरान, शकील, शमीम, आमिर, रिहान, आरिफ, चाँद मोहम्मद, टारजन, फतोले, बॉबी, गुड्डू और चाय वाले साजिद आदि नामजद किए गए हैं। ऑपइंडिया के पास शिकायत कॉपी मौजूद है।


🚩नामजद आरोपितों के अलावा FIR में 40-50 अज्ञात हमलावरों का भी जिक्र है। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ IPC की धारा 147, 148, 336, 352, 324 और 295- A के तहत कार्रवाई की है। घटना की जानकारी मिलते ही हिन्दू संगठनों के सदस्य थाने पहुँचे। उन्होंने सभी आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की है। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि इन्ही हमलावरों ने दीपावली पर भी हिन्दुओं पर हमला किया था। बजरंग दल पदाधिकारियों का आरोप है कि हिन्दुओं को मुस्लिमों द्वारा अलग-अलग दस्ते बना कर पीटा गया है। उन्होंने इसे सोची-समझी साजिश करार दिया।

https://twitter.com/pradeepkrawat1/status/1772271553884955110?t=8UekqNd2jxkOgZjWpSlztg&s=19


🚩तेलंगाना में होली का जश्न मना रहे लोगों पर हमला


🚩तेलंगाना के मेडचल-मलकजगिरी जिले के चेंगिचेरला इलाके में होली का त्योहार मनाते समय हिंदुओं पर मुस्लिमों की भीड़ ने धावा बोल दिया। होलिका दहन के बाद मस्जिद से सटे इलाके में लोगों ने हिंदुओं पर हमला किया, जिसमें महिलाओं समेत कई लोग घायल हो गए। ये घटनाक्रम रविवार (24 मार्च 2024) की शाम की है, जिसके बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया।


🚩एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया है कि चेंगिचेरला की पीतल बस्ती में होली मनाते समय कुछ लोगों ने स्पीकर लगा दिए। कुछ लोगों ने उनसे आवाज बंद करने को कहा, जिससे दो समुदायों के बीच बहस शुरू हो गई, जो एक-दूसरे पर हमले में बदल गई। यह घटना रविवार की शाम 4:15 बजे की है। इस हमले के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल रहे हैं।


🚩सुभी विश्वकर्मा ने एक्स पर लिखा, “ये वीडियो तेलंगाना का है, जहाँ इस्लामी भीड़ ने अनुसूचित जाति के लोगों पर हमला किया, क्योंकि उन्होंने मस्जिद के नजदीक ही होलिका दहन किया था। नमाज के दौरान होली के जश्न से ये लोग चिढ़ गए थे, क्योंकि होली के गाने बज रहे थे।”

https://twitter.com/subhi_karma/status/1772082065539830019?t=iyzgljq7OkCTPNfcdwbJUg&s=19


🚩अब हिन्दू है तो मुसलमान के पत्थर सहन नही करेंगे, क्योंकि मुगलों ने भी महाराणा प्रताप,पृथ्वीराज चौहान,छत्रपति शिवाजी महाराज ,महावीर सम्भाजी महाराज आदि भारत के महान वीर महापुरुषों को जीवन भर कष्ट दिए है।


🚩आज भी उनके वंशज मुस्लिम , हिन्दुओ को कष्ट दे रहे है,फिर चाहें वो हिन्दू नववर्ष हो या फिर रामनवमी या फिर हनुमान जयंती या फिर अमरनाथ यात्रा हो किसी भी हिन्दू पर्व या हिन्दू यात्राओं पर पत्थर फेंकने वाले मुसलमान हैं। 


🚩सरकार को इन पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।


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ईसाई मिशनरी का लाइसेंस रद्द : मामला धर्मांतरण और विदेशों से अवैध फंडिंग

27 March 2024

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🚩पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा था कि भारत में पादरियों का धर्म प्रचार (धर्मांतरण) हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र है। भोजन, चिकित्सा और शिक्षा का प्रलोभन देकर अथवा जबरन हिन्दुओं को धर्मान्तरित किया जा रहा है।


🚩आपको बता दें केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मोहन सी लाजरस द्वारा संचालित विवादास्पद ईसाई मिशनरी संगठन जीसस रिडीम्स का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई कानूनी कार्यकर्ता समूह लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम (LRPF) की एक शिकायत के बाद हुई है। शिकायत में एफसीआरए के प्रावधानों के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।


🚩ईसाई मिशनरी संगठन जीसस रिडीम्स तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित है। इसका उन संगठनों से विदेशी धन प्राप्त करने का बहुत ही संदिग्ध रिकॉर्ड है, जो भारतीय हितों के खिलाफ काम करने के लिए जाने जाते हैं। भारत सरकार द्वारा जाँच करने के बाद उसकी गतिविधियाँ संदिग्ध लगीं और आखिरकार उसका FCRA लाइसेंस (076160018) रद्द कर दिया गया।


🚩दरअसल, LRPF ने नवंबर 2023 में जीसस रिडीम्स और उसके विदेशी दानदाताओं की गतिविधियों की व्यापक जांँच का केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध किया था। उसने कहा था कि जीसस रिडीम्स नाम का यह संस्था लोगों के बीच धार्मिक, जातिय, नस्लीय, सामाजिक, भाषाई, क्षेत्रीय या सामुदायिक स्तर पर वैमनस्य पैदा करने की कोशिश करता है।


🚩अपनी शिकायत में एलआरपीएफ ने कहा था, “जीसस रिडीम्स के मुख्य पदाधिकारी के रूप में मोहन लाजरस उर्फ मोहन सी लाजरस का कार्य विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम 2010 की विभिन्न धाराओं को आकर्षित करता है, जो उक्त संगठन के एफसीआरए पंजीकरण निलंबन/रद्दीकरण का कारण बन सकता है। जैसे कि अध्याय II, 9 (ई) (v): धार्मिक, नस्लीय, सामाजिक, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों, जातियों या समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करना। अध्याय III 12 (4) (एफ) (vi): धार्मिक, नस्लीय, सामाजिक, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों, जातियों या समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करना।”


🚩LRPF ने गृह मंत्रालय से ‘जीसस रिडीम्स’ की आधिकारिक पत्रिका की भी जाँच करने का आग्रह किया था। इसे मोहन लाजरस द्वारा प्रकाशित किया जा रहा था। शिकायत में यह भी कहा गया था कि इस एनजीओ का संचालन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, मलेशिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कनाडा और श्रीलंका सहित कई अन्य देशों में है।


🚩भारत सरकार से मामले की जाँच का आग्रह करते हुए लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम ने कहा था कि जीसस रिडीम्स लगातार विदेशों में ईसाई धर्म का कार्यक्रम आयोजित कर रहा है और चीन सहित विभिन्न देशों से पादरियों को आमंत्रित कर रहा है। संस्था ने इन आयोजनों पर होने वाले खर्च की ऑडिट रिपोर्ट आदि की भी जाँच करने का आग्रह किया था।


🚩जीसस रिडीम्स को डैंगोटे ग्रुप के निदेशकों से भी भारी विदेशी फंड प्राप्त हुआ था। डैंगोटे नाइजीरिया की एक खनन कंपनी है, जिसका सिनोमा इंटरनेशनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के साथ बेहद करीबी संबंध है। सिनोमा इंटरनेशनल चीन के सरकारी स्वामित्व वाली एक कंपनी है।


🚩द कम्युन मैगजीन के अनुसार, मोहन लाजरस जीसस रिडीम्स नाम से एक ईसाई संगठन चलाता और इसके जरिए वह धर्मांतरण की गतिविधियों को संचालित करता है। वह हिंदू विरोधी बयान देकर सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के लिए भी कुख्यात है। हिंदू मंदिरों और हिंदू देवताओं के खिलाफ बयान देने के कारण लाजरस के खिलाफ तमिलनाडु के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में IPC की विभिन्न धाराओं में कई मुकदकमे दर्ज हैं।


🚩एक अन्य मामले में क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने मोहन लाजरस को नया पासपोर्ट जारी करने से इनकार कर दिया। दरअसल, लाजरस ने पासपोर्ट आवेदन में उनके खिलाफ लंबित 4 आपराधिक मामले की जानकारी छुपा ली थी। इतना ही नहीं, फरवरी 2021 में मद्रास उच्च न्यायालय ने हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ बयान देने के लिए इस पादरी को सख्त चेतावनी दी थी।

https://twitter.com/lawinforce/status/1768906606467854657?t=NWMScwlXsGyw5_a5L370_w&s=19


🚩हालाँकि, लाजर को 2020 के केस संख्या W.P.(MD)No.15829 के माध्यम से उच्च न्यायालय से राहत मिली, जिसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार के रूप में उसके ‘यात्रा करने के अधिकार’ पर जोर दिया गया।


🚩भारत में कैथोलिक चर्चों के पास अति विशाल भूमि है, विदेशी कैथोलिक उद्योगपति द्वारा दान भी बहुत अधिक है, इनका उपयोग मिडिया और शासन/ प्रशासन को नियंत्रण में किया जाता है,इसलिए इनके विरूद्ध मिडिया चुप है और शासन/ प्रशासन अन्धा बहरा, इसलिए प्रत्येक हिन्दू का कर्त्तव्य है कि मिशनरी के मकडजाल से सावधान रहे, दूसरों को भी सावधान करे, इस वहम में ना रहें कि...


🚩कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,

अफगानिस्तान तक थी बस्ती कभी तुम्हारी।


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Tuesday, March 26, 2024

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट को किया खत्म, कहा सेक्युलरिज्म के है खिलाफ यह एक्ट

26  March 2024

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🚩इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को खत्म कर दिया है। हाईकोर्ट ने इसे धर्मनिरपेक्षता विरोधी और असंवैधानिक भी बताया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मदरसे की शिक्षा सेक्युलरिज्म के सिद्धांतों के विरुद्ध है और सरकार को ये कार्यान्वित करना होगा कि मदरसों में मजहबी शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को औपचारिक शिक्षा पद्धति में दाखिल करें। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने इसके साथ ही यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया।


🚩अंशुमान सिंह राठौड़ नामक शख्स ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। उन्होंने इस एक्ट की कानूनी वैधता को चुनौती दी थी। इसके साथ-साथ उन्होंने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन अधिनियम, 2012 के कुछ प्रावधानों पर भी आपत्ति जताई थी। इससे पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से पूछा था कि मदरसा बोर्ड को शिक्षा विभाग की जगह अल्पसंख्यक विभाग द्वारा क्यों संचालित किया जा रहा है।


🚩देश से आतंकवादी संगठनों में जो मुस्लिम युवक- युवतियां भर्ती होने जाते हैं उसका कारण मदरसों में दी जा रही कट्टरपंथी शिक्षा ही है ।


🚩मदरसों में जब कट्टरपंथी की शिक्षा दी जाती है और कई मदरसों में बच्चों का मौलवी यौन शोषण कर रहे है तो ऐसे मदरसों पर बेन तो लगना ही चाहिए । 


🚩सरकार को तो मदरसों पर बैन लगाना चाहिए किंतु उसके विपरित सरकार मदरसों को अनुदान देती है। जबकि ‘मदरसों को अनुदान देना अर्थात सरकारी (जनता के टैक्स ) पैसों से आतंकवादियों का निर्माण करना है ।


🚩जनता का कहना है की मदरसे बंद करके उसी जगह स्कूल खोल देना चाहिए। जिससे बच्चों और देश का भविष्य उज्ज्वल बने।


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Monday, March 25, 2024

प्रह्लाद को गोदी में लेकर होलिका कोन सी जगह बैठी थी ?

आज उस स्थान की कैसी स्थिति है ?

25  March 2024

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🚩होली पर होलिका दहन और प्रह्लाद की याद भी आएगी, जिन्हें नहीं याद आया उन्हें इस कहानी में छुपे किसी तथाकथित नारीविरोधी मानसिकता की याद दिला दी जायेगी। कभी-कभी होलिका को उत्तर प्रदेश का घोषित कर के इसमें दलित विरोध और आर्यों के हमले का मिथक भी गढ़ा जाता है। ऐसे में सवाल है कि प्रह्लाद को किस क्षेत्र का माना जाता है ? आखिर किस इलाक़े को पौराणिक रूप से हिरण्याक्ष-हिरण्यकश्यप का क्षेत्र समझा जाता था ?


🚩वो इलाक़ा होता था कश्यप-पुर जिसे आज मुल्तान (पाकिस्तान का एक शहर) के नाम से जाना जाता है। ये कभी प्रह्लाद की राजधानी थी। यहीं कभी प्रहलादपुरी का मंदिर हुआ करता था, जिसे भगवान नरसिंह के लिए बनवाया गया था। कथित रूप से ये एक चबूतरे पर बना कई खंभों वाला मंदिर था। अन्य कई मंदिरों की तरह इसे भी इस्लामिक हमलावरों ने तोड़ दिया था। जैसी कि इस्लामिक परंपरा है, इसके अवशेष और इस से जुड़ी यादें मिटाने के लिए इसके पास भी हज़रत बहाउल हक़ ज़कारिया का मकबरा बना दिया गया। डॉ. ए.एन. खान के हिसाब से जब ये इलाक़ा दोबारा सिक्खों के अधिकार में आया तो 1810 के दशक में यहाँ फिर से मंदिर बना।


🚩मगर जब एलेग्जेंडर बर्निस इस इलाक़े में 1831 में आए तो उन्होंने वर्णन किया कि ये मंदिर फिर से टूटे-फूटे हाल में है और इसकी छत नहीं है। कुछ साल बाद जब 1849 में अंग्रेजों ने मूल राज पर आक्रमण किया तो ब्रिटिश गोला किले के बारूद के भण्डार पर जा गिरा और पूरा किला बुरी तरह नष्ट हो गया था। बहाउद्दीन ज़कारिया और उसके बेटों के मकबरे और मंदिर के अलावा लगभग सब जल गया था। इन दोनों को एक साथ देखने पर आप ये भी समझ सकते हैं कि कैसे पहले एक इलाक़े का सर्वे किया जाता है, फिर बाद में कभी 10 साल बाद हमला होता है। डॉक्यूमेंटेशन, यानि लिखित में होना आगे के लिए मदद करता है।


🚩एलेग्जेंडर कन्निंगहम ने 1853 में इस मंदिर के बारे में लिखा था कि ये एक ईंटों के चबूतरे पर काफी नक्काशीदार लकड़ी के खम्भों वाला मंदिर था। इसके बाद महंत बावलराम दास ने जनता से जुटाए 11,000 रुपए से इसे 1861 में फिर से बनवाया। उसके बाद 1872 में प्रहलादपुरी के महंत ने ठाकुर फ़तेह चंद टकसालिया और मुल्तान के अन्य हिन्दुओं की मदद से फिर से बनवाया। सन 1881 में इसके गुम्बद और बगल के मस्जिद के गुम्बद की ऊँचाई को लेकर दो समुदायों में विवाद हुआ जिसके बाद दंगे भड़क उठे।


🚩दंगे रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने कुछ नहीं किया। इस तरह इलाके के 22 मंदिर उस दंगे की भेंट चढ़ गए। मगर मुल्तान के हिन्दुओं ने ये मंदिर फिर से बनवा दिया। ऐसा ही 1947 तक चलता रहा, जब इस्लाम के नाम पर बँटवारे में पाकिस्तान हथियाए जाने के बाद ज्यादातर हिन्दुओं को वहाँ से भागना पड़ा। बाबा नारायण दास बत्रा वहाँ से आते समय भगवान नरसिंह का विग्रह ले आए। अब वो विग्रह हरिद्वार में है।

टूटी-फूटी, जीर्णावस्था में मंदिर वहाँ बचा रहा। सन 1992 के दंगे में ये मंदिर पूरी तरह तोड़ दिया गया। अब वहाँ मंदिर का सिर्फ अवशेष बचा है।


🚩सन् 2006 में बहाउद्दीन ज़कारिया के उर्स के मौके पर सरकारी मंत्रियों ने इस मंदिर के अवशेष में वजू की जगह बनाने की इजाजत दे दी। वजू मतलब जहाँ नमाज पढ़ने से पहले नमाज़ी हाथ-पाँव धो कर कुल्ला कर सकें। इसपर कुछ एन.जी.ओ. ने आपत्ति दर्ज करवाई और कोर्ट से वहाँ वजू की जगह बनाने पर स्टे ले लिया। अदालती मामला होने के कारण यहाँ फ़िलहाल कोई कुल्ला नहीं करता, पाँव नहीं धोता, वजू नहीं कर रहा। वो सब करने के लिए बल्कि उस से ज्यादा करने के लिए तो पूरा हिन्दुओं का धर्म ही है ना! इतनी छोटी जगह क्यों ली जाए उसके लिए भला?

बाकी, जब गर्व से कहना हो कि हम सदियों में नहीं हारे, हज़ारों साल से नष्ट नहीं हुए तो अब क्या होंगे ? या ऐसा ही कोई और मुंगेरीलाल का सपना आये, तो ये मंदिर जरूर देखिएगा। हो सकता है सेकुलर नींद से जागने का मन कर जाए।


🚩इस्लामिक आक्रमणकारीयों ने भारत मे आकर हजारों-लाखों मदिरों तोड़े, उसकी जगह मस्जिदें बनवा दी और आज बड़े-बड़े मन्दिर सरकारी नियंत्रण में है वे अपनी मनमानी से उसमें से धन खर्च करते हैं, ऑफिसर भ्रष्टाचार करते हैं, हिंदुओं के पैसे से हिंदुओं के विकास के लिए उन पैसे का उपयोग नहीं हो रहा है, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय के लिए किया जाता है, पहले भी हिंदू समाज सो रहा था, आज भी वही हाल है, इसलिए हर जगह लुटा जा रहा है, अब समय है जगने का नहीं तो देरी हो जाएगी फिर कुछ हाथ नहीं आएगा।


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Saturday, March 23, 2024

होली का इतिहास और सालभर स्वथ्य रहने के उपाय क्या हैं ?

24  March 2024

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🚩होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है जो होली, होलिका या होलाका नाम से मनाया जाता है । वसंत की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव भी कहा गया है।

 

🚩वैदिक, प्राचीन एवं विश्वप्रिय उत्सव

 

🚩यह होलिकोत्सव प्राकृतिक, प्राचीन व वैदिक उत्सव है। साथ ही यह आरोग्य, आनंद और आह्लाद प्रदायक उत्सव भी है, जो प्राणिमात्र के राग-द्वेष मिटाकर, दूरी मिटाकर हमें संदेश देता है कि हो… ली… अर्थात् जो हो गया सो हो गया।

 यह वैदिक उत्सव है। लाखों वर्ष पहले भगवान रामजी हो गये। उनसे पहले उनके पिता, पितामह, पितामह के पितामह दिलीप राजा और उनके बाद रघु राजा… रघु राजा के राज्य में भी यह महोत्सव मनाया जाता था।

 

🚩होली का प्राचीन इतिहास…

 

🚩पृथ्वी, अप, तेज, वायु एवं आकाश इन पांच तत्त्वों की सहायतावल से देवता के तत्त्व को पृथ्वी पर प्रकट करने के लिए यज्ञ ही एक माध्यम है। जब पृथ्वी पर एक भी स्पंदन नहीं था, उस समय के प्रथम त्रेतायुग में पंचतत्त्वों में विष्णुतत्त्व प्रकट होने का समय आया। तब परमेश्वर द्वारा एक साथ सात ऋषि-मुनियोंको स्वप्नदृष्टांत में यज्ञ के बारे में ज्ञान हुआ । उन्होंने यज्ञ की सिद्धताएं (तैयारियां) आरंभ की। नारदमुनि के मार्गदर्शनानुसार यज्ञ का आरंभ हुआ। मंत्रघोष के साथ सबने विष्णुतत्त्व का आवाहन किया। यज्ञ की ज्वालाओं के साथ यज्ञकुंड में विष्णुतत्त्व प्रकट होने लगा। इससे पृथ्वी पर विद्यमान अनिष्ट शक्तियों को कष्ट होने लगा। उनमें भगदड़ मच गई। उन्हें अपने कष्ट का कारण समझ में नहीं आ रहा था। धीरे-धीरे श्रीविष्णु पूर्ण रूप से प्रकट हुए। ऋषि-मुनियों के साथ वहां उपस्थित सभी भक्तों को श्रीविष्णुजीके दर्शन हुए। उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी। इस प्रकार त्रेतायुग के प्रथम यज्ञ के स्मरणमें होली मनाई जाती है। होली के संदर्भ में शास्त्रों एवं पुराणों में अनेक कथाएं प्रचलित हैं।

 

 🚩प्रह्लाद की भक्ति के कारण होली परम्परा शुरू हुई:


🚩प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षसराज हिरण्यकश्यपु ने तपस्या करके भगवान ब्रह्माजीसे वरदान पा लिया कि, संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य उसे न मार सके। न ही वह रात में मरे, न दिन में, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न घर में, न बाहर । यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे न मार पाए।

 ऐसा वरदान पाकर वह अत्यंत निरंकुश बन बैठा । हिरण्यकश्यपु के यहां प्रह्लाद जैसा परमात्मा में अटूट विश्वास करने वाला भक्त पुत्र पैदा हुआ । प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि थी।

 

🚩हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे। प्रह्लाद के न मानने पर हिरण्यकश्यपु ने उसे जान से मारने का निश्चय किया । उसने प्रह्लाद को मारने के अनेक उपाय किए लेकिन प्रभु-कृपा से वह बचता रहा।

 

🚩हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था। हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई।


 🚩होलिका बालक प्रह्लाद को गोद में उठा जलाकर मारने के उद्देश्य से आग में जा बैठी । लेकिन परिणाम उल्टा ही हुआ । होलिका ही अग्नि में जलकर वहीं भस्म हो गई और भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया । तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा ।

 

🚩तत्पश्चात् हिरण्यकश्यपु को मारने के लिए भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में खंभे से प्रगटे और संधिकाल में दरवाजे की चौखट पर बैठकर अत्याचारी हिरण्यकश्यपु को मार डाला।

 

🚩पूरे साल स्वस्थ्य रहने के लिए क्या करें होली पर..??

 

🚩1- होली के बाद 15-20 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमकवाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।

 

🚩2- इन दिनों में भुने हुए चने – ‘होला का सेवन शरीर से वात, कफ आदि दोषों का शमन करता है।

 

🚩3- एक महीना इन दिनों सुबह नीम के 20-25 कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।

 

🚩4- होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य हुआ था। इन दिनों में हरिनाम कीर्तन करना-कराना चाहिए। नाचना, कूदना-फाँदना चाहिए जिससे जमे हुए कफ की छोटी-मोटी गाँठें भी पिघल जायें और वे ट्यूमर कैंसर का रूप न ले पाएं और कोई दिमाग या कमर का ट्यूमर भी न हो। होली पर नाचने, कूदने-फाँदने से मनुष्य स्वस्थ रहता है।

 

🚩5 – लट्ठी-खेंच कार्यक्रम करना चाहिए, यह बलवर्धक है।

 

🚩6 – होली जले उसकी गर्मी का भी थोड़ा फायदा लेना, लावा का फायदा लेना।

 

🚩7 – मंत्र सिद्धि के लिए होली की रात्रि को भगवान नाम का जप अवश्य करें।

 

🚩हमारे ऋषि-मुनियों ने विविध त्यौहारों द्वारा ऐसी सुंदर व्यवस्था की जिससे हमारे जीवन में आनंद व उत्साह बना रहे।

( स्त्रोत्र : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका से)


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Friday, March 22, 2024

सेंसर बोर्ड में अटक गई वीर सावरकर पर बनी फिल्म...

23 March 2024

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🚩विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश होगा की जहां पर देशभक्तों और भारतीय संस्कृति रक्षकों को इतिहास में नीचा गया है और राष्ट्र विरोधी व संस्कृती विरोधियों को महिमा मंडन किया गया है ओर आश्चर्य की बात है की देशभक्तों व संस्कृति रक्षकों को प्रताड़ना जेलनी पड़ती है और उनके सच्चे इतिहास पर कोई फिल्म बनती है तो सेंसर बोर्ड पास भी नही करता है जैसे थोड़े दिन पहले छत्रपति संभाजी पर बनी फ़िल्म को रिलीजी होने से सेंसर बोर्ड ने रोक लगा दी थी अब महान स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर बनी फिल्म पर रोक लगा दी हैं।


🚩आपको बता दे कि अभिनेता रणदीप हुड्डा महान स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर फिल्म लेकर आए हैं। ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ फिल्म का निर्देशन भी उन्होंने ही किया है। गहन शोध के बाद बनाई गई इस फिल्म के लिए उन्होंने खासी मेहनत की है। कालापानी के दौर को पर्दे पर जीवंत करने के लिए रणदीप हुड्डा को अपने शरीर को काफी कमजोर करना पड़ा। हालाँकि, अब खबर आ रही है कि सेंसर बोर्ड में ये फलम अटक गई है, इसकी रिलीज को लेकर अनिश्चितता है।


🚩फिल्म कारोबार विश्लेषक सुमित काडेल ने एक ट्वीट के जरिए बताया, “कई सूत्रों से मुझे ये सुनने को मिल रहा है कि ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का सेंसर सर्टिफिकेट जानबूझकर रोक दिया गया है। इस कारण इसके कई शो रद्द हो रहे हैं। इससे फिल्म की रिलीज में बाधा आ सकती है और इसके प्रदर्शन का जो अधिकार है उसे नकारा जा सकता है। इससे संबद्ध संस्थाओं को इसकी अच्छी तरह जाँच करनी चाहिए। उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि न्याय हो।”


🚩सुमित काडेल ने कहा कि कलात्मक स्वतंत्रता को बनाए रखने और फिल्म निर्माण प्रक्रिया की अखंडता की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने ये आशंका भी जताई कि जब हिंदी सेंसर को इतने लंबे समय तक रोक कर रखा गया है तो मराठी के लिए अप्लाई करने का समय ही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर इस कारण फिल्म मराठी भाषा में रिलीज नहीं हो पाती है तो ये त्रासद होगा। बता दें कि वीर सावरकर मराठी ही थे।


🚩इस खबर के सामने आने के बाद लोगों ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को टैग कर के हस्तक्षेप करने की माँग की। ‘मिस्टर सिन्हा’ नामक ट्विटर हैंडल ने कहा कि ये परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि वामपंथी इकोसिस्टम सेंसर बोर्ड का प्रबंधन कर रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ हफ़्तों में ये दूसरी ऐसी घटना है। बता दें कि लेफ्ट लॉबी वीर सावरकर का विरोध करती है और उनके योगदानों को नकारती है, क्योंकि उन्होंने हिंदुत्व के लिए आवाज़ उठाई।


🚩जनता का कहना है की सेंसर बोर्ड और बॉलीवुड हमेशा भारतीय संस्कृति विरोधी रहा है, आजतक जितनी फिल्म बनाई है उसमे भारतीय इतिहास का अपमान किया होगा अथवा अश्लीलता वाले फिल्में बनाकर समाज में परोसी हैं, देशभक्तों व सही इतिहास अथवा हिंदुत्व पर फिल्मे बनती है उसपर सेंसर बोर्ड रोक लगा देते हैं। अब जनता का मूड बन रहा है की भारतीय संस्कृति विरोधी फिल्में का संपूर्ण बहिष्कार करेगें।


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Wednesday, March 20, 2024

भारत की न्याय व्यवस्था और सरकार का रवैया अंग्रेजों जैसा ?

21  March 2024
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🚩जोधपुर हाईकोर्ट का ड्रामे का 11 मार्च का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। हिंदू संत आशारामजी बापू की मरणासन्न स्थिति में भी हाईकोर्ट की व्यवस्था और उसके बाबू केवल भारत के संत आशारामजी का ही नहीं बल्कि उनके 12 करोड़ से अधिक शिष्यों का भी अपनी कार्यशैली से अपमान कर रहे हैं। हाईकोर्ट के बाबू की गंभीर लापरवाही है कि किसी याचिका की जगह दूसरी याचिका कम्प्यूटर में फीड कर दी, वो भी उस महापुरुष की जो गंभीर हृदयरोगी है।

🚩आपको बता दे कि बापू आशारामजी को 3 बार हार्ट अटैक आ चुका है। ऐसी स्थिति में कोई और मरीज रहता है तो अस्पताल पहुंचने पर डाक्टर कह देता है, सोरी आप 30 मिनट पहले आ जाते तो शायद मरीज की जान बच जाती। जहां मिनटों की कीमत होनी चाहिये, वहां घंटों तो ठीक है, दिनों की कीमत नहीं हो रही। ऐसी गंभीर हालत में कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी हाईकोर्ट इधर से उधर भटका रहे हैं। खुद कोर्ट की गलतियों का खामियाजा भी मरीज ही भुगतने को मजबूर हैं। 

🚩जोधपुर हाईकोर्ट ने 11 तारीख को डबल बेंच लगाकर भी पता नहीं क्या प्रदर्शन करने की कोशिश की। बापू आशारामजी ने याचिका में आयुर्वेदिक इलाज ही तो मांगा था। उस याचिका में जो पेज लगाये गये हाईकोर्ट के बाबू ने, वो पेज ही बदल दिये। उसके बाद बापू आशारामजी की ओर से लगे वकील ने अगली तारीख मांगी उसी याचिका को संशोधित करने के लिये तो भी उसे खारिज कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने एक केस में टाइपिंग की ग़लती के नाम पर पूरे का पूरा जवाब पेश करने के लिये समय ले लिया था और पूरा जबाब नया टाईप करके कोर्ट में दिया था। 

🚩न्यायालय जनता को न्याय देने के नाम पर बनाये गये हैं। न्यायाधीशों के वेतन से लेकर आर्डर सीट के कागज तक का खर्च जनता के उस खून पसीने की कमाई से आता है, जो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स के रूप में सरकारी खजाने में जमा होता है। उस पर अगर भारत के 12 करोड़ लोगों के देश-भर में प्रदर्शन, देश के जाने-माने सुप्रीम कोर्ट के वकील हाईकोर्ट की डबल बेंच से एक गंभीर हृदयरोगी के लिये आयुर्वेदिक इलाज की याचना या प्रार्थना कर रहे हैं तो उन वकीलों को न्यायाधीशों द्वारा कुत्तों की तरह दुत्कारा जा रहा है।

🚩क्या यह न्याय है या अन्याय भारत की जनता खुद ही फैसला करे,क्योंकि भविष्य में आपके परिवार का कोई सदस्य भी इसी तरह झूठे केस में फंसकर जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा होगा तो, इस तरह की न्याय व्यवस्था में आप कितना पैसा, कितने वकील और कितना धैर्य रख पायेंगे ? क्या आपको नहीं लगता बाबा राम रहीम  को बार बार पैरोल इस लिये दी जा रही है कि कहीं सरदार इंदिरा गांधी कांड न दोहरा दें? क्या इस देश के हिन्दू और सनातनी लोगों को देश की निचली अदालतें, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नपुंसक समझती है ? - सैनिक गर्जना समाचार पत्र

🚩आपको बता दे कि जोधपुर हाईकोर्ट में बापू आशारामजी को महाराष्ट्र पुणे स्थित माधव बाग अस्पताल में इलाज के लिए अपील पर 20 मार्च को सुनवाई हुई उसमे भी महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि हम लो एंड ऑर्डर नही संभाल सकते हैं। इसलिए इलाज के लिए कोर्ट ने मना कर दिया, इससे तो साफ होता है की कोर्ट और सरकार मिली भगत है, क्योंकी हिंदू संत आशाराम बापू की उम्र 87 वर्ष की है, 11 साल से जेल में रहने से मूलभूत सुविधाएं नही मिलने पर आज उनके शरीर में गंभीर बीमारियां हो गई हैं। फिर भी उनको आयुर्वेद इलाज के लिए भी जमानत नही मिल पा रही हैं,ये कैसा कानून और सरकार है ?

🚩बस उनका कसूर यही है कि वे हमेशा जनता के पक्ष लेते है, सरकार के गलत निर्णयों पर टोकते है, जिसके कारण सरकार नही चाहती है की बापू बाहर आएं और मीडिया और न्यायलय किसके इशारे पर कार्य कर रही है आप सभी को अच्छे से पता है, बस कहने का तात्पर्य यही है कि बापू आशारामजी ने 70 साल तक समाज, राष्ट्र और संस्कृती की सेवा किया , कांग्रेस सरकार के समय में जब कोई हिंदुत्व के लिए बोलता नही था, उस समय बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, करोड़ो लोगों को में सनातन धर्म की लो जगाई, करोड़ो लोगों के व्यसन और व्यभिचार छुड़ाए, मिशनरी और विदेशी कंपनियों को उखाड़ फेके और उनके पास निर्दोष होने के कई प्रमाण है, फिर जूठा केस लगाकर प्रताड़ित किया जा रहा है और आज तक जमानत तक नही मिल रही ये कैसा न्याय हैं ? जबकि नेता अभिनेता और आतंकवादियों तक को रिहा किया जा रहा हैं।

🚩बापूजी के अनुकूल आयुर्वेद इलाज के  लिए देशभर में पिछले 2 महीनो से महिला मंडलों  द्वारा लगातार रेलियां  निकाली गई है फिर भी 87 वर्षीय हिंदू संत श्री आशारामजी बापूजी को न्याय तो दूर बेल तक नही मिल रही है,ये इस सदी का सबसे बड़ा अन्याय है।

🚩करोड़ो लोगों की मांग है कि सरकार बापू आशारामजी को शीघ्र रिहा करवाए।

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Tuesday, March 19, 2024

होली इस रंग से खेलिए सालभर निरोग रहिए और कालसर्पदोष से मुक्ति पाइए...

19 March 2024

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होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है, लेकिन आजकल केमिकल रंगों से होली खेलने का जो प्रचलन चल रहा है वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ।


🚩पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं ।

इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन के तुल्य लाभ मिलते हैं ।


🚩कालसर्प दोष से मुक्ति


🚩कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है और ये करो, वो करो, इतना खर्चा करो, इतना जप करो, कई लोग इनको ठग लेते हैं । फिर भी कालसर्प दोष से उनका पीछा नहीं छूटता, लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जो पलाश के रंग अपने पर डालते हैं ।  कालसर्प दोष के भय से पैसा खर्चना नहीं और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं पलाश के रंग शरीर पर लगाओ जिससे काल कालसर्प दोष चला जायेगा ।


🚩पलाश से पाएं अनेक रोगों से मुक्ति


🚩‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा 10 हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है ।


🚩पलाश के फूल : प्रेमह (मूत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (50 मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें ।


🚩रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है । आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे ।


🚩वीर्यवान बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।


🚩पलाश के बीज : 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे ।


🚩पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है ।


🚩बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।


🚩छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।


🚩पलाश का गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं । यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।


🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आसाराम बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।


🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है ।


🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।

पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।


🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है ।  (स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका)


🚩आपको बता दें कि पलाश से वैदिक होली खेलने का अभियान हिन्दू संत आसाराम बापू ने शुरू किया था जिसके कारण केमिकल रंगों का और उससे फलने-फूलनेवाला अरबों रुपयों का दवाइयों का व्यापार प्रभावित हो रहा था ।


🚩बापू आसारामजी के सामूहिक प्राकृतिक होली अभियान से शारीरिक मानसिक अनेक बीमारियों में लाभ होकर देश के अरबो रुपयों का स्वास्थ्य-खर्च बच रहा है । जिससे विदेशी कंपनियों को अरबों का घाटा हो रहा था इसलिए एक ये भी कारण है उनको फंसाने का । साथ ही उनके कार्यक्रमों में पानी की भी बचत हो रही है ।


🚩पर मीडिया ने तो ठेका लिया है समाज को गुमराह करने का।  5-6 हजार लीटर प्राकृतिक रंग (जो कि लाखों रुपयों का स्वास्थ्य व्यय बचाता है) के ऊपर बवाल मचाने वाली मीडिया को शराब, कोल्डड्रिंक्स उत्पादन तथा कत्लखानों में गोमांस के लिए प्रतिदिन हो रहे अरबों-खरबों लीटर पानी की बर्बादी जरा भी समस्या नही लगती। ऐसा क्यों ???


🚩कुछ सालों से अगर गौर करें तो जब भी कोई हिन्दू त्यौहार नजदीक आता है तो दलाल मीडिया और भारत का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग हमारे हिन्दू त्यौहारों में खोट निकालने लग जाता है ।


🚩जैसे दीपावली नजदीक आते ही छाती कूट कूट कर पटाखों से होने वाले प्रदूषण का रोना रोने वाली मीडिया को 31 दिसम्बर को आतिशबाजियों का प्रदूषण नही दिखता । आतिशबाजियों से क्या ऑक्सीजन पैदा होती है?


🚩जन्माष्टमी पर दही हांडी कार्यक्रम नहीं हो लेकिन  खून-खराबा वाला ताजिया पर आपत्ति नही है।

ऐसे ही शिवरात्रि के पावन पर्व पर दूध की बर्बादी की दलीलें देने वाली मीडिया हजारों दुधारू गायों की हत्या पर मौन क्यों हो जाती है?


🚩अब होली आई है तो बिकाऊ मीडिया पानी बजत की दलीलें लेकर फिर उपस्थित होंगी । लेकिन पानी बचाना है तो साल में 364 दिन बचाओ पर पलाश की वैदिक होली अवश्य मनाओं । क्योंकि बदलना है तो अपना व्यवहार बदलो….त्यौहार नहीं ।


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दक्षिण में हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे वकीलों की फोज

17 March 2024

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🚩हिंदू मंदिरों को वापस से उनकी सही पहचान दिलाने के लिए आज जहाँ उत्तर भारत में वरिष्ठ वकील हरी शंकर जैन और उनके बेटे विष्णु जैन ने अपनी जी जान लगाई हुई है, तो वहीं दक्षिण में भी हिंदू मंदिरों और देवी-देवताओं की ओर से लड़ाई लड़ने के लिए वकीलों का एक समूह आ खड़ा हुआ है। अयोध्या-काशी के कारण हम पिता-पुत्र की जोड़ी को तो जान गए लेकिन केरल के इन वकीलों को अभी जानना हमारे लिए बाकी है।


🚩हाल में केरल की विभिन्न अदालतों में हिंदू मंदिरों की खोई संपत्ति वापस दिलाने के लिए सैंकड़ों याचिकाएँ दायर की गई। ये याचिका इन्हीं वकीलों की मेहनत का परिणाम है। यही वकील एकजुट होकर हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं जिसकी वजह से आज इनकी चर्चा है। द न्यूज मिनट पर तो इन्हें लेकर विस्तार से खबर भी प्रकाशित हुई है।


🚩इस समूह में एक वकील कृष्णा राज भी हैं। उन्हीं के नेतृत्व में हिंदू मंदिरों की जमीन पर अतिक्रण करने वाले लोगों, ट्रस्टों और संगठनों को लक्षित करते हुए 100 केसों को उठाया गया है। इस समूह के प्रयास के चलते ही ईसाई मिशनरी नेटवर्क सेंट फिलोमेना साधु जन संगम को अदालत में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने खुद धोखाधड़ी से कोन्नमकुलंगरा भगवती मंदिर की जमीन खरीदी थी और अब इस समूह के प्रयास ने उन्हें कोर्ट में लाकर खड़ा कर दिया है।


🚩बता दें कि केरल के वकीलों के इस समूह का नेतृत्व करने वाले कृष्णा राज अपने हिंदुत्व विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी टीम में प्रथीश विश्वनाथ जैसे साथी वकील हैं और कुछ अन्य दक्षिणपंथी कार्यकर्ता हैं। इन लोगों ने अपने इस अभियान के लिए SaveDeities नाम का संगठन भी खोला हुआ जिसमें 7 वकीलों का समूह है।


🚩इस संगठन की शुरुआत साल 2018 में की गई थी। इस टीम का हिस्सा- सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के वकील आर कृष्णा राज तो हैं हीं, इनके अलावा केरल हाई कोर्ट के बीएन शिवशंकर, प्रथीस विश्वनाथन, के ए बालन, वकील ई एस सोनी, कुमारी संगीता एस नायर और राजेश वीआर भी हैं। ये सारे वकील इस संगठन से जुड़कर और मिलकर हिंदू मंदिरों को पहचान दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।


🚩SaveDeities पर इस बात को भी विस्तार से बताया गया है कि इस समूह ने किन केसों को अदालतों में उठाया है। कहाँ-कहाँ मंदिरों की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हो रखा है और कैसे केरल में स्थिति यह है कि सरकार के हस्तक्षेप से राजस्व विभाग के माध्यम से अतिक्रमणकारियों को पट्टायम (खरीद प्रमाण पत्र) और अन्य कानूनी कब्ज़ा/स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी करके मंदिर संपत्तियों के अतिक्रमण को वैध बनाया जा रहा है।


🚩यही साइट ये भी बताती है कि इन वकीलों ने इस काम की शुरुआत इसलिए की थी क्योंकि ये केरल राज्य में किसी ने भी अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने और मंदिर की संपत्तियों को देवताओं, असली मालिकों को वापस करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया है। ऐसी परिस्थितियों में, ये समूह कब्जे वाले क्षेत्रों से मंदिरों की खोई संपत्ति को बचाने के लिए ऐसे प्रयास कर रहे हैं।


🚩द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, वकील कृष्ण राज कहते हैं, “मैं किसी संघ परिवार से जुड़ा नहीं हूँ। कानूनी मामलों में मैं बस उनकी सहायता करता हूँ। मैं गौरवान्वित हिंदू हूँ पर क्षमाप्रार्थी नहीं। मेरा उद्देश्य भगवान की खोई संपत्तियों को पुन: प्राप्त करना है। अकेले मैं इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा हूँ।”


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Sunday, March 17, 2024

खुला राज, कौन रोक रहा है भारत को शक्तिशाली बनने से...

18 March 2024

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🚩इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में सेक्युलर लोग भारतीय संस्कृति और देश के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार कर रहे हैं । इन दुष्प्रचार के आज की युवा पीढ़ी गुमराह हो रही है, जिसके कारण आजकल वे भी अपने ही संस्कृति, देवी-देवताओं, साधु-संतों और मंदिरों की मजाक उड़ाने लगे हैं ।


🚩सत्यमेव जयते फ़िल्म में भी कुछ ऐसे ही बताया गया है, कुछ युवा चाय के स्टाल पर चाय पीते-पीते अखबार पढ़ रहे थे, उस अख़बार में एक हिन्दू संत के लिए कुछ लिखा था और वे उसे पढ़कर मजाक उड़ाने लगे फिर एक नवयुवक जो हिन्दू संस्कृति को समझता था, उसने उन्हें क्या जवाब दिया है, इसे सुनकर आप भी चौक जाएंगे ।

https://youtu.be/n2AtCrh3YhY?si=NPjH1lVtVaCwYy4A


🚩नवयुवक ने भ्रमित युवकों को बताया कि वैसे भी संतो का काम ही क्या है ? जंगल मे जाकर तपस्या करना, मौन होकर बैठे रहना और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उपदेश देना । अगर करना ही है तो हिन्दुओं को लालच देकर दूसरे धर्म मे घसीटो ।

सही काम तो, देश मे अश्लीलता, भ्रष्टाचार, अशांति फैलाकर मल्टीनेशनल कंपनियां भारत को लूट कर रही है । गुलामी तो हम करते ही आए हैं, कभी अंग्रेजो की तो कभी मुगलों की, 

क्या बोलते हो ?  


🚩और हिन्दू संत आशारामजी बापू ने क्या किया ?  

धर्मांतरण पर रोक, वेलेन्टाइन डे पर रोक…, क्रिसमिस डे पर रोक, गौ हत्या पर रोक और बाप रे बाप ! वेस्टर्न कल्चर पर रोक और इतने बड़े-बड़े रिस्की डिसीजन बापू ने अपने दम पर ले लिए । और पता है कि अगर सिस्टम साथ नही देगा तो विधर्मी लोग बापू की संस्था को जीरो मिशन तक पहुँचा सकते हैं । पर बापू तो बापू है ना !


🚩भले ही हिन्दु धर्म व भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए मिट जाएंगे, लेकिन पीछे नहीं हटेंगें 

क्या जरुरत थी बापू को दिन मे दो दो तीन तीन जगहों पर सत्संग करने की ? और वो भी बिना किसी फीस या डोनेशन के ।


🚩आखिर क्या जरुरत थी गुरुकुल खोलने की ? जहाँ आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी मिलते हैं ।


🚩हमारे देश ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तो बहुत विकास किया, लेकिन कोई ये सोचता है कि मेरे भारत का बच्चा-बच्चा चरित्रवान कैसे बनें ? संयमी , सदाचारी और बलवान कैसे बनें ? और दीवाली में बापू कहाँ जाते हैं, पता है ? उन गरीबों,आदिवासियों के बीच जिनको ठीक से खाने की दो वक्त की रोटी, कपड़ा और मकान नहीं ।


🚩अरे भाई जरा समझो, संतो पर आरोप लगाकर जेल में डालना जरुरी है क्योंकि उनके द्वारा विधर्मीयों के मंसूबे नाकाम हो रहे थे । और आखिर भारत में कानून तो सबके लिए एक है ना, देखो बड़े-बड़े लोगों को बेल और संतो को जेल ?  


🚩कुछ नहीं बहुत सारे दोष हैं, उनके ।


🚩1.युवा सेवा संघ खोल दिए, लाखों युवान नशा नहीं करते संयमी जीवन जीते हैं और राष्ट्र भक्त बन रहे हैं, ये कोई कम गुनाह है ?


🚩2. ऋषि प्रसाद पत्रिका द्वारा लोगों को सुखी, स्वस्थ व सम्मानित जीवन की कला सिखाना l


🚩3. बाल संस्कार केन्द्र खोले, जिसमें बच्चों को अच्छे संस्कार मिल रहे हैं ।


🚩4. महिलाओं को आत्मनिर्भऱ व सम्मानित बनाने के लिए महिला उत्थान मंडल खोले, कितना बड़ा गुनाह है ये 

अरे भाई… गुनाहों की लिस्ट तो अभी बाकी है ।


🚩5. कत्लखाने जा रही हजारों गायों को बचाकर गौ पालन करना ।


🚩6 गरीबों को राशन कार्ड देना व भंडारो का आयोजन करना |


🚩7. मुफ्त चिकित्सा सेवाएं देना |


🚩8. 

बाबाओं को संपत्ति की क्या जरुरत थी?

क्या जरुरत थी ? बापू को प्राकृतिक आपदाओं मे अन्न , जल व वस्त्र पहुँचाने की ।

संपत्ति की जरुरत तो धर्मांतरण, नशाखोरी, अश्लीलता, भ्रष्टाचार फैलाने वालो को है ।


🚩इन सब पर रोक लगाने वालों को और इतनी सारी सेवा करने के लिए कहाँ जरुरत है संपत्ति की ?  


🚩पर कौन आशारामजी बापू के पीछे लगा है ?


🚩नंबर 1. जो लोग भारत को फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं और अपना धर्म भारत में फैलाना चाहते हैं, ऐसी विदेशी मिशनरियाँ ।


🚩नंबर 2.. हिन्दु धर्म को बदनाम करने वाली – फॉरेन फंडेड मीडिया । 


🚩नंबर 3. मल्टीनेशनल कंपनीज ।


🚩सच को झूठ और झूठ को सच बनाने का जिसके पास आइडिया है उसी का नाम मीडिया है ।


🚩 और बापू मीडिया वालों को पैसा कहाँ देने वाले थे ? कभी मीडिया में उनके सेवाकार्यो की एक पट्टी भी चलती देखी तुमने ?  


🚩क्या होने वाला है वेलेन्टाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, क्रिसमस डे को तुलसी पूजन दिवस मनाने से ?  

और ये विश्वगुरु भारत और सबका मंगल, सबका भला से क्या होने वाला है ?  


🚩कुछ नही ।

नहीं चाहिए हमें स्वस्थ, सुखी और सम्मानित भारत, नहीं चाहिए हमें शिवाजी, महाराणा प्रताप, भगत सिंह, झाँसी की रानी जैसे वीर देशभक्त ?

नहीं चाहिए हमें ऐसे संत जो भारतीय संस्कृति का डंका पूरे विश्व में बजाते हैं । 


🚩तो फिर करते रहो गुलामी, बँटते रहो धर्म के नाम पर ।

अरे मेरे बाप… एक बार नही सौ बार कहता हूँ, वर्तमान में हिन्दु धर्म को बचाने वाले अगर कोई हैं तो सिर्फ बापू जैसे संत ही हैं । इसलिए करोड़ों रुपए खर्च करके बापू आसारामजी के ऊपर गंदा आरोप लगवाकर उन्हें जेल में डलवाया । अरे मेरे भाई… अब तो समझो अगर बापू को इसी तरह जेल रखा गया तो भारतीय संस्कृति और हिन्दु धर्म की रक्षा कौन करेगा ? फिर हमारे देश में घोर अपराध बढ़ते जायेंगें । और फिर ये देश कभी विश्वगुरु नही बन पायेगा ।


🚩सच कहता हूँ अगर जल्दी बापू जी बाहर नही आए तो आने वाले 100-200 साल तक ये लड़ाई लड़नेवाला और कोई नही होगा । फिर करते रहना 

मेरा भारत महान । मेरा भारत महान ।


🚩फिर बापू आसरामजी जेल में है क्यों हैं ?  


🚩बापू जी जेल में हैं क्योंकि वो एक हिंदु संत हैं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो सनातन धर्म व संस्कृति के लिए लड़ते हैं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो राष्ट्र को मानते हैं राजनेता को नहीं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो धर्म को मानते हैं धर्मांतरण को नहीं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि हम निष्क्रिय हैं ।

बापू जेल में है क्योंकि बापूजी निर्दोष हैं ,अगर दोषी होते तो वो बाहर होते।

प्रशासन निर्दोष, मीडिया निर्दोष, नेता निर्दोष, न्यायालय निर्दोष, अपने आपको निर्दोष कहने वाले ये लोग निर्दोष है कि नहीं ये मैं नही जानता पर बापू जी निर्दोष थे , हैं व रहेंगें ।


🚩लोग उनकों क्यो मानते हैं ?  

किसी की श्रद्धा का प्रमाण न्यायालय या मीडिया नहीं हो सकती है । उसका स्वंय का अनुभव होता है ।  

जरा सोचो इतना सब होने पर भी बापू के करोड़ों भक्तों का विश्वास अभी भी कायम है । अरे कुछ तो होगा उनके पास ?


🚩इतना सामर्थ्य होने पर बापू जी बाहर क्यों नहीं आते ?  

कौन कहता है कि बापू आसारामजी जेल में हैं । जेल में तो हमारे देश कि अस्मिता, संस्कृति, धर्म है । और सामर्थ्य का उपयोग संत अपने लिए थोड़े ही ना करते हैं ? जैसे जगदगुरु शंकराचार्य की माँ की अंत्येष्ठी के लिए उनके गाँववालों ने लकड़ी तक नहीं दी । तुकारामजी महाराज सामर्थ्यवान होते हुए भी कीर्तन में पत्थर के झाँझ का उपयोग करते थे । ऐसे ही संत ज्ञानेश्वर, बुद्ध भगवान आदि भी थे । अरे… कबीर जी को भी जेल जाना पड़ा था । और तो और संत तो क्या भगवान होते हुए भी श्री रामजी नागपाश में बंध गये थे । वाह … वाह री दुनिया … वाह री दुनिया को लोगों… संतों ने तुम्हें क्या दिया और संतों को तुम क्या दे रहे हो । 


🚩शंकाचार्यजी को भी झूठे आरोप में फँसाया फिर वो निर्दोष बरी हुए साध्वी प्रज्ञा , स्वामी असीमानंद को भी निर्दोष बरी किया गया । ऐसे ही बापू जी को फँसाया गया है । वे भी अवश्य निर्दोष बरी होगे । और याद रखो, चाहे जो हो जाये पर भारत विश्व गुरु बनकर ही रहेगा । I Support Asharamji Bapu


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Friday, March 15, 2024

नेपाल में हिन्दू राष्ट्र के लिए तेज हुआ आंदोलन

16 March 2024

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🚩नए-नवेले वामपंथी बने नेपाल को एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग जोर पकड़ने लगी है। यहाँ की जनता पुराने राजतंत्र को याद कर रही है। प्रदर्शनकारियों के कई समूह एक बार फिर से पुराने समय को लाने का संकल्प ले रहे हैं। नेपाल की अधिकतर जनता भी इन प्रदर्शनकरियों के साथ खड़ी दिख रही है। लोगों का मानना है कि वर्तमान समय में भ्र्ष्टाचार और कुव्यवस्था का बोलबोला है जिसे फ़ौरन बदलने की जरूरत है। हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिए साल 2023 से शुरू हुए और अब जोर पकड़ चुके इस आंदोलन में नेपाल का हर वर्ग भागीदारी कर रहा है जिसमें व्यापारी, छात्र, नेता और यहाँ तक कि सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बहुत ही कम समय में नेपाली जनता वहाँ की राजनैतिक पार्टियों और नेताओं से ऊब चुकी है। इन नेताओं ने देश की सत्ता तमाम झूठे वादे कर के हासिल की थी। इसमें शिक्षा, भ्र्ष्टाचार मुक्त शासन, बेरोजगारी, बेहतर स्वास्थ्य और सर्वांगीण विकास जैसे वादे शामिल थे। हालाँकि डेढ़ दशक से अधिक समय बीत जाने पर उनमें से किसी भी वादे पर लोगों ने अपने नेताओं को खरा उतरते नहीं देखा। उल्टे अब लोग इन नेताओं की खोखली बातों और भ्रष्टाचार आदि से तंग आ चुके हैं। अब एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग को ले कर वहाँ की जनता आंदोलित है।


🚩16 साल पहले तक नेपाल में राजशाही रही थी। तब ज्ञानेंद्र सिंह देश की सर्वोच्च सत्ता हुआ करते थे। देश में मची उथल-पुथल के दौरान उन्होंने सरकार को भंग कर दिया था और कई राजनेताओं को पत्रकारों सहित जेल भेज दिया था। देश में मिलिट्री शासन भी लगा दिया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में खून-खराबा हुआ था। आखिरकार ज्ञानेंद्र सिंह ने कदम पीछे खींच लिए थे और यहीं से नेपाल में कथित लोकतंत्र की शुरुआत हुई थी। साल 2008 में हुए इस बदलाव के बाद से अब तक नेपाल में 13 सरकारें बन चुकी हैं।


🚩हालाँकि, ये सरकारें जन-अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरीं। उलटे अब लोगों को सत्ता की ताकत से तंग भी किया जा रहा है। राजधानी काठमांडू में हिन्दूराष्ट्र के समर्थन में एक बड़ा प्रदर्शन हु। तब हजारों लोगों के इस प्रदर्शन में शामिल रुद्रराज ने मीडिया से कहा था कि नेपाल में हुए बदलाव से लोग अपने पारम्परिक मूल्यों को खोते जा रहे हैं। इस प्रदर्शन में लोग हाथों में नेपाल का झंडा और राजा ज्ञानेंद्र की तस्वीरें ले कर चल रहे थे। हालाँकि नेपाल की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी नेपाली कॉन्ग्रेस के नेता नारायण प्रकाश सऊद ने देश के फिर से हिन्दूराष्ट्र और राजतन्त्र जैसी संभावनाओं से इंकार किया है।


🚩ऑपइंडिया ने पूरे नेपाल में हिंदूवादी मूवमेंट चला रही हिन्दू सम्राट सेना के केंद्रीय अध्यक्ष राजेश कुमार यादव से बात की। उन्होंने हमें बताया कि हिन्दुओं को आपस में वामपंथी और दक्षिणपंथी के मुद्दों पर उलझा कर चीनियों और इस्लामी ताकतों ने अपना उल्लू सीधा किया है। राजेश ने हमें आगे बताया कि अब एक बार फिर से नेपाल को हिन्दूराष्ट्र बनाने की माँग शुरू हो चुकी है तो इसे अंजाम तक लाया जाएगा। वहीं नेपाल के ही कृष्ण कुमार ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि जब साल 2008 में नेपाल का नया संविधान बना था तब लोग जागरूक नहीं थे और भाईचारे के नशे में थे। कृष्ण कुमार का कहना है कि अब लोगों ने कथित भाईचारे का खुमार उतर चुका है क्योंकि वो आए दिन हमलों के शिकार हो रहे है।


🚩साल 2022 में ऑपइंडिया ने भारत की सीमा से लगने वाले नेपाल के दाँग और कपिलवस्तु जिलों का दौरा किया था। इस दौरान पता इस बात का खुलासा हुआ था कि न सिर्फ भारत बल्कि नेपाल की तरफ के भी कई सीमावर्ती गाँव और शहर मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं। हालात ऐसे मिले कि कुछ गाँवों में प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए हिन्दू प्रत्याशी ही नहीं खड़े हुए थे। इसके अलावा सीमा के दोनों तरफ सैकड़ों की तादाद में दरगाहें, मस्जिदें और अन्य इबादतगाहें बना ली गईं थीं। हालाँकि जाँच के बाद भारत की सीमा पर बने तमाम अवैध मदरसों को बंद करने का आदेश दिया गया है। तब खुद नेपाल के तत्कालीन सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने हालत को विस्फोटक जैसा बताते भारत और नेपाल दोनों को सीमावर्ती क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत बताई थी।


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Thursday, March 14, 2024

चार युग के नाम और उसके महत्व क्या हैं ?

15 March 2024

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🚩हिंदू धर्म में, समय को चार युगों में विभाजित किया गया है: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग। इन युगों को उनके गुणों के आधार पर व


र्गीकृत किया जाता है, जो कि सत्व, रज, और तम हैं। सत्व गुण का अर्थ है शुद्धता, ज्ञान, और सत्यता। रज गुण का अर्थ है गतिशीलता, कर्म, और इच्छा। तम गुण का अर्थ है अज्ञान, मूर्खता, और अंधकार।


🚩सतयुग


🚩सतयुग को सबसे अच्छा युग माना जाता है। इस युग में, लोग सतोगुणी होते हैं। वे ज्ञानी, धर्मी, और ईश्वर भक्त होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार होता है, और लोग शांति और समृद्धि में रहते हैं।


🚩सतयुग की अवधि 17,28,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 100,000 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 32 हाथ लंबे होते हैं।


🚩सतयुग के अवतार: मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिंह


🚩त्रेतायुग


🚩त्रेतायुग सतयुग के बाद आता है। इस युग में, सतोगुण रजगुण में बदल जाता है। लोग रजगुणी होते हैं। वे कर्मशील और इच्छाशील होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार कम होता जाता है, और अधर्म का प्रसार होता है।


🚩त्रेतायुग की अवधि 12,96,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 10,000 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर थोड़ा कम मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 21 हाथ लंबे होते हैं।


🚩त्रेतायुग के अवतार: वामन, परशुराम, राम


🚩द्वापरयुग


🚩द्वापरयुग त्रेतायुग के बाद आता है। इस युग में, रजगुण तमगुण में बदल जाता है। लोग तमगुणी होते हैं। वे अज्ञानी, मूर्ख, और स्वार्थी होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार और भी कम होता जाता है, और अधर्म का प्रसार होता रहता है।


🚩द्वापरयुग की अवधि 8,64,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 1,000 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर और भी कम मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 11 हाथ लंबे होते हैं।


🚩द्वापरयुग के अवतार: कृष्ण


🚩कलियुग


🚩कलियुग द्वापरयुग के बाद आता है। इस युग में, तमगुण पूर्ण रूप से प्रबल हो जाता है। लोग पूर्ण रूप से अज्ञानी, मूर्ख, और स्वार्थी होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार बहुत कम होता है, और अधर्म का प्रसार चरम पर होता है।


🚩कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 100 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर और भी कम मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 7 हाथ लंबे होते हैं।


🚩कलियुग के अवतार: कल्कि


🚩चारों युगों के लक्षण


🚩चारों युगों को उनके गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इन युगों के लक्षण इस प्रकार हैं:


🚩सतयुग


🚩सतोगुण का प्रबल होना

धर्म का प्रसार

शांति और समृद्धि

लोगों का ज्ञानी, धर्मी, और ईश्वर भक्त होना

लोगों का लंबा जीवन

लोगों का मजबूत और स्वस्थ शरीर


🚩त्रेतायुग


🚩रजगुण का प्रबल होना

धर्म का कुछ कम प्रसार

अधर्म का प्रसार

लोगों का कर्मशील और इच्छाशील होना

लोगों का थोड़ा कम लंबा जीवन

लोगों का थोड़ा कम मजबूत और स्वस्थ शरीर


🚩द्वापरयुग


🚩तमगुण का प्रबल होना

धर्म का और भी कम प्रसार

अधर्म का और भी अधिक प्रसार

लोगों का अज्ञानी, मूर्ख और स्वार्थी होना


🚩लोगों का और भी कम लंबा जीवन

लोगों का और भी कम मजबूत और स्वस्थ शरीर


🚩कलियुग


🚩तमगुण का पूर्ण रूप से प्रबल होना

धर्म का बहुत कम प्रसार

अधर्म का चरम पर प्रसार

लोगों का पूर्ण रूप से अज्ञानी, मूर्ख, और स्वार्थी होना

लोगों का बहुत कम लंबा जीवन

लोगों का बहुत कम मजबूत और स्वस्थ शरीर

चारों युगों का क्रम


🚩चारों युगों का क्रम इस प्रकार है:


🚩सतयुग → त्रेतायुग → द्वापरयुग → कलियुग


🚩चारों युगों को मिलाकर एक महायुग कहा जाता है। एक महायुग की अवधि 43,20,000 वर्ष है। कलियुग के अंत में महायुग का अंत हो जाता है, और नए सिरे से सतयुग की शुरुआत होती है।


🚩हिंदू धर्म में, यह माना जाता है कि हम वर्तमान में कलियुग में हैं। कलियुग की शुरुआत लगभग 5,122 वर्ष पहले हुई थी। यह माना जाता है कि कलियुग लगभग 4,27,000 वर्ष और चलेगा।


🚩कलियुग के अंत में, कल्कि अवतार लेंगे। कल्कि अवतार भगवान विष्णु का अंतिम अवतार होगा। वह अधर्म का नाश करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे। कल्कि अवतार के बाद नए सिरे से सतयुग की शुरुआत होगी।


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Wednesday, March 13, 2024

मिशनरी की मज़बूरी का फायदा उठाने की कला बड़ी अद्भुत हैं....

14 March 2024

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🚩24 मार्च 2015 को पोप फ्रांसिस ने ट्वीट किया था- ‘आपदा कन्वर्जन का आह्वान है।’

🚩अप्रैल 2015 में नेपाल में बहुत बड़ा भूकम्प आया, लाखों लोग बेघर हो गए, नेपाली गांव रिचेट भी सबसे पहले चर्च का पुनर्निर्माण हुआ. राहत शिविरों में बड़ी संख्या में हिन्दूओं को ईसाई बनाया गया।

 पूरी दुनिया ने सहायता के नाम पर दवाइयां, भोजन सामग्री, तिरपाल, नमक, चीनी व कम्बल आदि भेजे. सहायता करने वालों में भारतीय सबसे आगे थे. उन्होंने बिना भेदभाव के सहायता की. कैथोलिक मिशनरियों ने बड़ी संख्या में बाइबल भेजी, मिशनरी का सेवा भाव केवल दिखावा है जबकि वह मरते हुए इंसान को भी ईसाई बनाने मे विश्वास करते है। नेपाल मे लोग मर रहे है और मिशनरी के लोग इस को एक मौके के रूप मे देख रहे है. उन का मानना है कि मरते हुए आदमी की हेल्प कर के लोगो को आसानी से ईसाई बना सकते है। नेपाल के भूकंप पीडि़तों में बांटने के लिए 1 लाख बाइबल लायी गयी।


🚩नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने ईसाई मिशनरियों कहा है कि मैं आपसे आग्रह करता हूं कि उठें और वास्तव में कुछ करें। हमें अपने लोगों को बचाने के लिए राशन, पानी और टेंट चाहिए बाइबल की हमे कोई जरुरत नहीं हैं बिना किसी शर्म के बहुत से ईसाई नेपाल के भयंकर भूकम्प को एक मौका मानकर उसका उत्सव मना रहे हैं। वे मौत और तबाही में फायदा देख रहे हैं। जब बर्बादी के घाव ताजा हैं, तब ‘रिलीजन’ के व्यापारी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर आये हैं और ईसाइयत बेच रहे हैं। अनेक ईसाई मिशनरी इस विपत्ति का पैसा उगाहने के लिए दोहन कर रहे हैं। पैसा, जो पीडि़तों के दुख दूर करने के स्थान पर नेपालियों तक जीसस का ‘शुभ समाचार’ पहुंचाने में खर्च किया जायेगाा. जब नेपाल में धरती हिली तो सोशल मीडिया में भी हलचल मची। सारी दुनिया में मानवीय संवदनाएं उमड़ रही थीं। परन्तु मिशनरियों का मजहबी उन्माद भी चरम पर था।


🚩अमरीकी पास्टर टोनी मिआनो ने नेपालियों के घावों पर नमक छिड़कते हुए ट्वीट किया- ‘नेपाल के मृतकों के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। प्रार्थना कर रहा हूं कि एक भी ध्वस्त मंदिर दोबारा नहीं बनाया जाए और लोग जीसस को स्वीकार करें।’ अनेक हिन्दुओं ने इस पर आपत्ति जताई, तो टोनी ने दूसरा ट्वीट किया-‘मुझे फर्क नहीं पड़ता।


🚩जोशुआ एग्वीलर ने ट्वीट किया-‘1400 सोल्स मारी जा चुकी हैं, और ऊपर जा रही हैं। सोचता हूं उनमें से कितनों ने गॉस्पेल सुनी होगी।’ 

ब्रायन ई़फ्रेजर का ट्वीट था-‘नेपाल में 7. 8 तीव्रता का भयंकर भूकंप आया। जीसस के शीघ्र लौटने के चिन्ह दिखाई दे रहे हैं।’


🚩क्रिस चौडविक ने लिखा-‘नेपाल के लिए प्रार्थना कर रहा हूं कि यह आपदा लोगों के लिए गॉस्पेल स्वीकार करने का दरवाजा बने।’


🚩जेसन साइक्स ने लिखा-‘नेपाल के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। आशा करता हूं कि काटने के लिए फसल तैयार मिले।’ इस आपदा के कारण नेपाल के दरवाजे क्राइस्ट के लिए खुल जाएं।’


🚩नेपाल में बात बाइबिल और क्रॉस बांटने तक सीमित रहने वाली नहीं है। जब कन्वर्जन करना हो तो उसके लिए व्यक्ति की परंपरा से चली आ रही आस्था को भी खंडित करना आवश्यक होता है, तभी उसे फुसलाया जा सकता है। इसके लिए मिशनरी हिन्दू देवी-देवताओं के प्रति घृणा फैलाने वाला मुड़े-तुड़े तथ्यों और फरेब से भरा साहित्य स्थानीय भाषाओं में छापकर बांटतें हैं। छोटे-छोटे समूहों में ‘अविश्वासियो’ को ये साहित्य पढ़कर सुनाया जाता है।


🚩1990 के दशक में नेपाल में इसाइयों की आबादी मात्र 20 हजार बताई गई थी, वहीं अब इन वर्षो में यह आबादी बढ़ कर 7 फीसदी यानी 21 लाख से अधिक हो गई है. पिछले 20 सालों में नेपाल में इसाई मिशपरियों का जाल बहुत तेजी से फैला है यह बीमारी नेपाल के तमाम अंचलों में तेजी से फैल गई हैं. नेपाल के बुटवल में कई चर्च बन चुके हैं,इसके अलावा नारायण घाट से बीरगंज के बीच कोपवा, मोतीपुर, आदि में हजारों लोगों ने इसाई धर्म स्वीकर कर छोटे छोटे चर्च स्थापित कर लिए हैं.,जो अपना धार्मिक कारोबार इतना तेजी से विकसित कर रहे है कि आने वाले समय में नेपाल तो होगा किन्तु नेपाल का कुछ नहीं होगा।


🚩भारत में कैथोलिक चर्चों के पास अति विशाल भूमि है, विदेशी कैथोलिक उद्योगपति द्वारा दान भी बहुत अधिक है, इनका उपयोग मिडिया और शासन/ प्रशासन को नियंत्रण में किया जाता है,इसलिए इनके विरूद्ध मिडिया चुप है और शासन/ प्रशासन अन्धा बहरा, इसलिए प्रत्येक हिन्दू का कर्त्तव्य है कि मिशनरी के मकडजाल से सावधान रहे, दूसरों को भी सावधान करे, इस वहम में ना रहें कि

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,

अफगानिस्तान तक थी बस्ती कभी तुम्हारी।


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Tuesday, March 12, 2024

Oppenheimer : इस्लाम या ईसाइयत का अपमान करने वालों को सम्मानित करने की हिम्मत होती?

13 March 2024

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🚩कहा गया है – ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’, अर्थात कुछ भी जब बहुत ज़्यादा हो जाता है तो हानिकारक ही होता है। उदाहरण के लिए, बारिश फसलों के लिए लाभदायक है लेकिन अतिवृष्टि नहीं। इसी तरह, आजकल कुछ लोग कुछ ज़्यादा ही ‘जागरूक’ हो गए हैं। इतने ‘जागरूक’ कि किसी फिल्म में अश्वेत व्यक्ति को अच्छा दिखा दिया गया तो अवॉर्ड देने के मामले में अच्छी कहानी, निर्देशन और अभिनय वाली फिल्मों के ऊपर उसे तरजीह दे दी जाती है। इतने ‘जागरूक’, कि विमान में घूमने और फाइव स्टार होटल में रुकने वाले पर्यावरण पर ज्ञान बाँटते हैं और पूरी जनसंख्या को गाली देते हैं।


🚩ऐसे ही लोगों के कारण आज ‘Woke’ शब्द गाली बन गया है। इसका ताज़ा इस्तेमाल दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने किया है। पहले इसकी पृष्ठभूमि समझते हैं। असल में रविवार (10 मार्च, 2024) को 96वें एकेडमी अवॉर्ड्स का आयोजन हुआ, जिसमें परमाणु बम के जनक रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जीवन पर आधारित फिल्म ‘Oppenheimer’ को 7 पुरस्कारों से नवाजा गया। इसे कुल 13 नॉमिनेशन प्राप्त हुए थे। क्रिस्टोफर नोलन की ये फिल्म खासी विवादित रही थी।


🚩एलन मस्क ने ऑस्कर अवॉर्ड्स की आलोचना की है। उन्होंने अपने मालिकाना हक़ वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “आजकल ऑस्कर जितने का मतलब है कि आपने वोक प्रतियोगिता जीत ली।” उनके कहने का अर्थ था कि जिस फिल्म में Wokism का जितना ज्यादा छौंक होगा, बाकी चीजों को नज़रअंदाज़ कर उसे अवॉर्ड मिलने की संभावना उतनी बढ़ जाएगी। वास्तविक मुद्दों से हट कर बनावटी मुद्दों को बढ़ा-चढ़ा कर प्रदर्शित करना ही तो Woke होने की निशानी है।


🚩एलन मस्क ने ऑस्कर समारोह पर साधा निशाना


🚩एलन मस्क ने कहा कि जब किसी पुरस्कार को कमजोर कर दिया जाता है तो हर कोई, यहाँ तक कि इसे जीतने वाले भी जानते हैं कि अब ये सम्मान का पात्र नहीं रह गया है। ऑस्कर हॉलीवुड ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के फ़िल्मी समाज के लिए सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता रहा है लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इसकी गरिमा धूमिल हुई है। ‘Moonlight’ जैसी बोरिंग फिल्मों को अवॉर्ड मिलने के बाद इस पर तेज़ बहस शुरू हुई। सेक्सुअल ओरिएंटेशन, अश्वेत और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों का हौव्वा बना दिया गया।


🚩विवादों में रही थी फिल्म ‘Oppenheimer’


🚩फिल्म ‘Oppenheimer’ काफी विवादों में रही थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ‘मैनहटन प्रोजेक्ट’ के तहत विकसित किए गए ‘लॉस एलामोस लेबोरेटरी’ के डायरेक्टर अमेरिकी फिजिसिस्ट रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने जो परमाणु बम बनाया था, उसका ही इस्तेमाल कर के अमेरिका ने जापान में तबाही मचाई थी। जब दुनिया का पहला परमाणु ब्लास्ट सफल रहा था तब रॉबर्ट ओपेनहाइमर के मन में हिन्दू धर्मग्रंथ भगवद्गीता के शब्द गूँजे थे – “अब मैं मृत्यु बन गया हूँ, संसारों का विध्वंस करने वाला।”


🚩फिल्म में इस अंश को जिस तरह से प्रदर्शित किया गया, उस पर लोगों ने आपत्ति जताई। फिल्म में एक सेक्स वाले दृश्य में दिखाया गया है कि अभिनेता लड़की को भगवद्गीता पढ़ने के लिए देता है। युवती पूछती है कि ये क्या है? इस पर वो बताता है कि ये संस्कृत में है। इसके बाद वो इसे पढ़ने के लिए कहता है। इसके बाद वो ग्रन्थ का वो हिस्सा पढ़ती है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने विष्णु के रूप में अर्जुन को अपना विकराल स्वरूप दिखाते हैं। इसके बाद अभिनेता युवती को आगे पढ़ने के लिए कहता है।


🚩इस दृश्य में अभिनेता और अभिनेत्री, दोनों ही बिस्तर पर नंगे हैं। युवती को पूरी तरह न्यूड दिखाया गया है और उसके स्तन पर्दे पर दिख रहे होते हैं। आगे वो भगवद्गीता का वो श्लोक पढ़ती है, जिसे रॉबर्ट ओपेनहाइमर दोहराया करते थे। इतिहास में ऐसा कहीं नहीं लिखा कि सेक्स करते समय वो गीता पढ़ते थे। एक सेक्स सीन घुसा कर उसमें भगवद्गीता को दिखाना कहाँ तक उचित था? क्या इन्हीं चीजों के लिए ‘Oppenheimer’ को सम्मानित किया गया है?


🚩भरे समारोह में मंच पर नंगे जॉन सीना: ऑस्कर में Wokism


🚩2024 के ऑस्कर समारोह में एक और नज़ारा देखने को मिला। WWE के रेसलर जॉन सीना बेस्ट कॉस्ट्यूम का अवॉर्ड देने के लिए मंच पर पहुँचे। इस दौरान वो पूरी तरह नग्न थे। उन्होंने एक कार्डबोर्ड से अपने प्राइवेट पार्ट को ढँक रखा था। इस दौरान हँसी-मजाक भी चलता रहा। क्या कपड़े उतार देना ही जागरूक होने की निशानी है? खुले मंच पर नंगा हो जाना ही अगर जागरूकता है तो फिर कपड़ों की ज़रूरत ही नहीं है। अजीबोगरीब हरकतों को सामान्य साबित करने की प्रक्रिया ही तो Wokism है।


🚩यही कारण है कि एलन मस्क ने इस पुरस्कार समारोह पर निशाना साधा है। लोग अब उन्हें सलाह दे रहे हैं कि वो एकेडमी अवॉर्ड्स को भी ट्विटर की तरह खरीद लें और उसमें सुधार करें। हिन्दू धर्मग्रंथ का अपमान करने वाली फिल्म को जिस तरह से अवॉर्ड दिया गया है, उसके बाद ये सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इस्लाम या ईसाइयत का अपमान करने वालों को सम्मानित करने की इनकी हिम्मत होती? अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में ऑस्कर का और भी बुरा हाल होगा।


🚩भारत में बॉलीवुड भी इन्हीं चीजों से प्रेरणा लेता है। अमेरिकी फिल्मों में जिन चीजों को बढ़ावा दिया जाता है, बॉलीवुड उसकी नक़ल करता है। फिल्मों में पार्टी-पब कल्चर को दिखाना हो, पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ युवाओं को भड़काना हो, दारू-शराब-सिगरेट की लत को बढ़ावा देना हो, सेक्स-हिंसा के दृश्यों का महिमामंडन करना हो या फिर व्यभिचार को सामान्य बताना हो – बॉलीवुड हर मामले में इसी नक्शेकदम पर चलता दिखता है। यहाँ के अवॉर्ड समारोहों में भी वही फूहड़ता आ रही है।


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Monday, March 11, 2024

होली आने वाली है, अभी से दो कार्य जरूर कर लें, रहेगें स्वस्थ, मिलेगा रोजगार.....

12 March 2024

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🚩हर साल की तरह इस बार भी मीडिया में डिबेट चलने की संभावना है, कि होलिका दहन लकड़ियों से करने पर वातावरण प्रदूषित होगा, धुलेंडी खेलने पर पानी का बिगाड़ होगा आदि आदि….. जैसे हर त्योहार पर अपना अधूरा ज्ञान बांटने लग जाते हैं।


🚩हमारे ऋषि-मुनियों ने जो भी त्यौहार बनाए हैं , वो आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बड़े ही सार्थक होते हैं। ऐसे ही कोई कपोल-कल्पित त्यौहार हमारी संस्कृति में समाविष्ट नहीं किए गए, बल्कि उसके पीछे कई गूढ़ रहस्य छुपे होते हैं।


🚩होलिका दहन के पीछे का वैज्ञानिक महत्व :


🚩बसंत ऋतु में जब प्रकृति में ऋतु परिवर्तन होता है तो शरीर में कफ पिघलकर जठराग्नि में आता है , जिसके कारण अनेक बीमारियां होती हैं । उससे बचाने के लिए होलिकोत्सव को निमित्त बनाकर हमारे ऋषियों ने होलिका दहन की परम्परा चलायी। होलिका की तपन से कफ जल्दी पिघल कर नष्ट हो जाता है और दूसरे दिन कूद-फांद कर धुलेंडी खेलने से कफ निकल जाता है।


🚩फलतः अनेक भयंकर बीमारियों से रक्षा होती है ।


🚩होली अपने में आध्यात्मिक महत्व भी संजोए हुए है। जो संदेश देती है कि भग्वद् आश्रय रहने वाला भक्त हमेशा विजयी होता है, चाहे कोई कितना भी उसका अनिष्ट करने की चेष्टा करे, उसे तनिक भी हानि नहीं पहुँचा सकता ।


🚩प्राचीनकाल में होलिका दहन गाय के गोबर के कण्डों से किया जाता था। जिससे हवामान शुद्ध सात्विक होकर पुष्टिप्रद बन जाता है और जाने अनजाने कितने ही हानिकारक जीवाणु- किटाणु नष्ट हो जाते हैं । इसका आर्थिक महत्व भी है । इस प्रकार होलिका दहन से गौरक्षा के साथ ही साथ गरीबों को रोजगार भी मिलता है ।


🚩प्राचीनकाल में धुलेंडी पलाश (केसूड़े) के फूलों के रंग से खेली जाती थी , जिससे शरीर ग्रीष्म ॠतु के कुप्रभावों को झेलने में सक्षम होकर गर्मी के कारण होने वाले रोगों से बच जाता था।


🚩गोबर से कण्डों से होली जलाने के फायदे:-


🚩एक गाय रोज करीब 10 किलो गोबर देती है । 10.. किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं ।

एक कंडे की कीमत 10 रुपए रख सकते हैं । इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिल सकते है । यदि किसी एक शहर में होली पर 10 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 1 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं। औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के 60 लाख रुपए तक आ जाएंगे । लकड़ी की तुलना में लोगों को कंडे सस्ते भी पड़ेंगे।


🚩केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम शुद्ध गैस निर्मित होती है । वैज्ञानिकों ने शोध किया है , कि गौ गोबर के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते हैं तो एक टन ऑक्सीजन बनता है।


🚩गाय के गोबर के कण्डों से होली जलाने पर गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है, जिससे गौहत्या कम हो सकती है, कंडे बनाने वाले गरीबों को रोजी-रोटी मिलेगी, और वतावरण में शुद्धि होने से हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहेगा।


🚩धुलेंडी खेलने के पीछे का वैज्ञानिक महत्व :


🚩होली के समय ऋतु परिवर्तन होता है, सर्दी से गर्मी में प्रवेश होता है । इसलिए गर्मी की तपन और गर्मीजन्य रोगों से बचने के लिए पलाश के रंगों से होली खेली जाती है । सामाजिक सौहार्द का भी इसमें महत्व है , कि हमारा यदी सालभर में किसी से भी कोई लड़ाई झगड़ा हुआ है , तो मिल-जुलकर होली खेलने से उसको भूलाकर आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होती है होली ।


🚩पलाश के रंग से धुलेंडी खेलने के फायदे:


🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है।


🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामुहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. पानी लगता है।


🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है।पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है।


🚩मीडिया से सावधान:


🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी और भाजपा नेता ड़ॉ सुब्रमण्यम स्वामी जी का तो यहाँ तक कहना है , कि अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया हिन्दुओं व उनके त्यौहारों के खिलाफ़ है, क्योंकि उनको विदेश से भारी फंड मिलता है । यहाँ गम्भीरतापूर्वक समझना आवश्यक है कि , …… ” हिन्दुओं के खिलाफ़ ” …..


🚩मतलब केवल किसी एक हिन्दू के खिलाफ नहीं , बल्कि हिन्दुओं की जहां-जहां आस्था है , उसी केंद्र बिंदु को तोड़ने के लिए विदेशी ताकतों के इशारे पर काम करते हैं ये कुछेक बिकाऊ मीडिया चैनल्स व प्रिंट मीडिया ।


🚩विदेशी फंडेड मीडिया हाउसेज का टारगेट मुख्यरूप से हिन्दू देवी-देवता, हिन्दू त्यौहार, हिन्दू साधु-संत, वैदिक गुरुकुलों, मन्दिर, आश्रम व मठ आदि होते हैं । अतः आप बिकाऊ मीडिया के फैलाए हुए भ्रमजाल से स्वयं तो बचें ही औरों को भी अवश्य जागरूक करें । सनातन विरोधियों का पुरजोर विरोध करें और आनंद से वैदिक होली खेलें ।


🚩आओ मनाएं (वैदिक होली)… ऐसा त्यौहार जिससे महके घर आंगन और स्वस्थ रहे परिवार……


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