Wednesday, February 27, 2019

जानिए भारत से पाकिस्तान की दुश्मनी का कारण क्या है ?

27 फरवरी  2019

*🚩ट्रेन में एक हिंदू और कुछ मुसलमान के बीच हुई चर्चा का लेखरूप संकलन*

*ट्रेन में इमरान खान द्वारा भारत से पाकिस्तान के लिए सुधरने का मौका मांगे जाने पर चर्चा आरम्भ हुई । तो एक बुजुर्ग ने कहा- पाकिस्तान कमजोर है भारत मजबूत है । दोनों में कोई मैच नहीं । इसलिये भारत को पाकिस्तान पर हमला नहीं करना चाहिए । पाकिस्तान कंगाल है । उसको खोने के लिए कुछ नहीं है । भारत मजबूत है । भारत आगे बढ़ रहा है । भारत को युद्ध से परहेज करना चाहिए । ऐसा करने से भारत विकास करेगा । एक 75 साल के बुजुर्ग मुसलमान से अपना तजुर्बा मेरे सामने रखा ।* 
*🚩मैंने झट टोका और कहा कि माना कि पाकिस्तान कंगाल है, कमजोर है, उसको खोने के लिए कुछ नहीं है । भारत का विकास रुकेगा युद्ध करने से । किन्तु युद्ध न करने से पाकिस्तान के कारण हमारा विकास नहीं रुक रहा है ऐसा तो नहीं है । भारत का विकास तो रुका हुआ है ही 70 वर्षों से पाकिस्तान के कारण । तो फिर क्यों न पाकिस्तान को एक बार में खतम ही कर दिया जाय? जितना पैसा 1947 से आजतक भारत ने केवल कश्मीर में खर्च कर दिया है उतना पैसा हमारा बच गया होता तो आज हम अमेरिका के बराबरी पर खड़े होते । हमारी अर्थव्यस्था का आकार अमेरिका के बराबर हो गया होता । हम दुनियाँ की बहुत बड़ी ताकत होते । द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका और रशिया के समानांतर भारत दुनियाँ की सबसे बड़ी शक्ति होता । हम बहुत तेज गति से आगे बढ़ गए होते । किन्तु हमारी यह हानि केवल पाकिस्तान के कारण ही हुई । यदि पाकिस्तान न होता तो हम बहुत बड़ी ऊँचाई छू चुके होते । विकास के शिखर पर होते ।* 

*🚩तब बुजुर्ग भी निरुत्तर और उसके साथ बैठे 50 वर्ष वाले दो मुसलमान भी निरुत्तर हो गए । उनकी हामी भरती हुई मूँछ विहीन हिलती दाढ़ी देखकर मैंने उनके सुल्फ़ी बहावी अन्तरात्मा को लक्षित करना उचित समझा । मैं बात आगे बढ़ाना चाह ही रहा था कि एक सीनियर पचास वर्षीय मुसलमान ने कहा कि पाकिस्तान के आवाम में भारत के प्रति प्रेम है । और वो भारत के साथ मिलकर जीना चाहते हैं । तो 75 वर्षीय बुजुर्ग ने फिर कहा कि पाकिस्तान की असली समस्या इस्लाम नहीं है । पाकिस्तान की असली समस्या सिया सुन्नी विवाद है । बस उनका इतना कहना था कि मुझे उनका मुद्दा लपकने का स्वर्णिम अवसर पुनः मिल गया । मैं पाकिस्तान की आवाम के भारत प्रेम पर कुछ बात करने के मूड में नहीं था । इस अल तकिया को मैंने इग्नोर किया । मैंने उनको कहा कि सिया, सुन्नी और अहमदिया मुसलमानों में इस्लाम की दो बातों के बारे में कोई मतभेद नहीं है । और वो दो बातें हैं मोहम्मद साहब और कुरान । मतभेद केवल इतना ही है कि सिया अली को अपना खलीफा मानता है और सुन्नी अबु बकर को । तो अहमदिया मोहम्मद साहब के साथ साथ दूसरे तीसरे और अन्य पैगम्बर की बात भी मानता है । मोहम्मद साहब का विरोध वह भी नहीं करता । और न ही किसी खलीफा का विरोध करता है अहमदिया ।* 

*🚩पचास वर्षीय क्लीन शेव मुसलमान ने मेरी प्रशंसा करते हुए कहा कि आपको इस्लाम का बहुत नॉलेज है । फिर मैंने उसको कहा कि अब आप पाकिस्तान की गाथा सुनिए । पाकिस्तान की सेना का मतलब है रशिया । और कश्मीर की हुर्रियत का भी मतलब है रशिया । हुर्रियत को वार्ता का पक्षकार नहीं बनाने का मतलब है रशिया को पक्षकार नहीं बनाना । अबतक हुर्रियत के बहाने रशिया भारत पाक वार्ता में पक्षकार बनता आया था जिसे मोदी सरकार ने कभी वार्ता में सम्मिलित न करने का निर्णय लिया ।*

*🚩रशिया के इशारे पर ही पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर में 1948 में घुसपैठ किया । हमें आजाद होते ही तुरंत लड़ाई लड़नी पड़ी । और हमने बहुत कुछ गँवाया । क्योंकि तब हमें अपना जो धन अपनी विपन्न जनता पर खर्च करना चाहिए था वह हमें युद्ध में गँवाना पड़ गया । और इस हानि का प्रत्यक्ष कारण पाकिस्तान बना । दो तिहाई कश्मीर हमारे नासमझ चालबाज प्रधानमंत्री नेहरू के कारण हाथ से चला गया । तिब्बत बिना युद्ध के गँवाया नेहरू की मूर्खता के कारण ।* 

*🚩1962 में चाईना से हमें युद्ध करना पड़ा । लद्दाख का बहुत बड़ा भूभाग हमारे हाथ से चाईना के कब्जे में गया । तब चीन ने कश्मीर के कुछ क्षेत्रों पर अधिकार पाने के कारण पाकिस्तान के निकट आया । चाईना ने पीओके का कुछ हिस्सा पाकिस्तान से लीज पर ले लिया । पाकिस्तान ने चाईना से 2 मार्च 1963 को समझौता करके गिलगिट बाल्टिस्तान इत्यादि क्षेत्र चाईना को सौंप दिया । बदले में 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध की सारी सुविधा चाईना ने पाकिस्तान को उपलब्ध करा दिया । नकद धन से लेकर रणनीति से लेकर हथियार तक सब कुछ चाईना ने दिया ।* 

*🚩1971 के युद्ध के समय भी चाईना पाकिस्तान के पीछे खड़ा था । किन्तु पाकिस्तान की सेना पर रशिया का दबदबा बना रहा । आईएसआई पर रशिया का दबदबा बना रहा । राजनीतिक स्तर पर चाईना ने व्यापारिक लेनदेन जारी रखा । राजनीति जहाँ आर्मी से सहमति बना लेती थी वहाँ चाईना अपनी भूमिका निभा लेता था । शेष रशिया की रणनीतिक पैठ पाकिस्तान में लगातार बनी रही । पाकिस्तान में सेना की बगावत का मतलब था रशिया की बगावत । रशिया यद्यपि भारत का मित्र बना हुआ था तब भी उसको हथियार बेचकर अपना देश चलाना था । अन्य महादेशों के कम्युनिष्ट शासन वाले देश रशिया के ग्राहक थे । और लोकतंत्र वाले देश अमेरिका के ग्राहक थे । भारत अकेला लोकतंत्र वाला देश था जहाँ रशिया के इशारे पर कांग्रेस ने समाजवादी लोकतंत्र भारत को घोषित कर दिया गया था । यह समाजवाद कुछ और नहीं भारत के रशिया का सबसे बड़ा हथियार खरीददार होने का लक्षण था । रशिया भारत के द्वारा खरीदे गए हथियारों से पोषित होता था । 1971 से भारत का कोई युद्ध किसी से हुआ नहीं । 80 के बाद रशिया डांवाडोल होने लग गया । हथियारों की खपत घटने लगी । परिणामस्वरुप रशिया बिखर गया ।* 

*🚩जब रशिया कमजोर होने लगा तो अमेरिका ने अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए रणनीतिक महत्व के अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने की योजना बनाया । अफगानिस्तान में डॉ नजीबुल्लाह के रूप में शासन में रशिया ही बैठा था । अफगानिस्तान का तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ नजीबुल्लाह लेनिनवादी कम्युनिष्ट था । अमेरिका ने अपने पैसे से अल कायदा और तालिबान खड़ा किया पाकिस्तान की राजनीतिक दलों की सहायता से । आज का आईएसआईएस भी इन्ही दोनों का बाय प्रोडक्ट है । डॉ नजीबुल्लाह की तालिबान द्वारा अमेरिका ने हत्या करवाया । तालिबान की सहायता से अमेरिका ने डॉ बुरहानुद्दीन रब्बानी को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति बनाया । आज अमेरिका का आर्मी बेस पीओके में भी है और अफगानिस्तान में भी । अब प्रश्न उठता है कि ये लड़ाईयाँ पाकिस्तान लड़ रहा था या इस्लाम लड़ रहा था, दिन की लड़ाई थी यह या जिहाद था यह या अमेरिका और रशिया के हाथों की कठपुतली बनकर पाकिस्तान कठपुतली की तरह नाच रहा था ?* 

*🚩अब तीनों हैरान थे । तीनों बड़े गंभीर होकर सुन रहे थे मेरा भाषण । आसपास के हिन्दू यात्री जमा होकर चर्चा में रुचि लेने लग गए थे । मैंने चर्चा जारी रखा । और पूछा कि जब मुसलमान अपनी लड़ाई लड़ने की स्थिति में था ही नहीं । वह दूसरों के इशारे पर खिलौना बना हुआ था फिर भारत का मुसलमान ताली किसके लिए बजा रहा था और अब भी बजा रहा है? अमेरिका के लिए या रशिया के लिए या फिर चाईना के लिए । मैंने पूछा कि आपको पता है कि सीरिया में क्या हुआ? उनको कुछ ज्ञान होगा भी तो शायद उनलोगों ने कुछ कहा नहीं । मैंने कहा कि अमेरिका से पैसा और हथियार लेकर विद्रोही लड़ाई लड़ रहे थे वहाँ । सीरिया की सरकार ने रशिया से सहयोग माँगा । रशिया ने उसपर बमबार्डिंग शुरू किया । अमेरिका हताहत होने लगा । तो रशिया और अमेरिका में तनाव उत्पन्न हुआ । तनाव बढ़ता चला गया । लगा कि विश्वयुद्ध हो जाएगा । किन्तु स्थिति की नाजुकता को देखकर दोनो ही सम्भले । अब भारत के मुसलमानों को लगता है कि लड़ाई आईएसआईएस लड़ रहा है । लेकिन मुसलमानों को वहाँ भी रशिया और अमेरिका ने ही उलझाया हुआ था ।* 

*🚩मुसलमान कहीं भी युद्ध की स्थिति में है ही नहीं । क्योंकि टर्की, ईरान और पाकिस्तान मात्र तीन इस्लामिक देशों के पास ही पाँच लाख से अधिक स्ट्रेंथ की सेना है । बाकी किसी के पास कोई खास ताकत नहीं है । सऊदी अरब में 1970 में विद्रोहियों ने मक्का पर कब्जा कर लिया था । तब सऊदी अरब चाहकर भी कुछ नहीं कर पाया । मक्का को मुक्त कराने के लिए सऊदी अरब को अमेरिका की सहायता लेनी पड़ी । युद्ध के खर्चे के बदले में अमेरिका ने सऊदी अरब का तेल तो ले ही लिया । साथ ही सुरक्षा का भार भी हाथ में ले लिया । सऊदी अरब समेत किसी भी इस्लामिक देश के पास कोई खास एयरफोर्स नहीं है । किसी भी इस्लामिक देश के पास बहुत ताकतवर नेवी नहीं है । सऊदी अरब का एयरपोर्ट भी अमेरिका ने बनाया है । और सुरक्षा का सारा मामला अमेरिका ने अपने पास रखा हुआ है । ऐसे में इस्लाम का केंद्रबिंदु सऊदी अरब ही जब पूरी तरह आजाद नहीं है तो फिर मुसलमान कहाँ से आजाद हो जाएगा । और फिर भारत का मुसलमान किस की ओर देखकर उछल रहा है ?* 

*🚩जब यूएई समेत कोई भी इस्लामिक देश अमेरिका के विरुद्ध एक कदम नहीं उठा सकता फिर भारत के मुसलमानों को अपने सोचने का तरीका बदलना होगा । मैंने उनको कहा कि इराक तो सद्दाम हुसैन की हत्या के बाद पूरी तरह अमेरिका के कब्जे में है । वहाँ की सेना भी सरकार भी सब अमेरिका चलाता है । वहाँ का तेल भी अमेरिका का ही है । ईरान भी कुछ विशेष तीर मारने की स्थिति में नहीं है । एक-एक इस्लामिक देश अमेरिका या रसिया के सीधे-सीधे गुलाम हैं । प्रथम विश्वयुद्ध हुआ तब कमजोर होकर बिखर रहे ओटोमैन एम्पायर पर कब्जे की नीयत से । तब का ओटोमैन एम्पायर का मतलब था इस्लामिक साम्राज्य । खलीफा की ताकत घटने से साम्राज्य ध्वस्त हो रहा था । उसके बिखर रहे टुकड़ों पर ऑस्ट्रिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, रशिया, जापान सब कब्जा करना चाह रहे थे । और इसी टसल में प्रथम विश्व युद्ध हुआ । युद्ध का कारण लेकिन झूठ गढ़कर यूरोप द्वारा दुनियाँ को बताया गया । ईस्लामिक देशों पर कब्जे की लड़ाई प्रथम विश्व युद्ध के बाद भी चलता रहा । इस्लामिक देशों में तेल निकल जाने के बाद लड़ाई ने दूसरा मोड़ ले लिया ।* 

*वहाँ के शासकों को अय्याशी कराके अमेरिका और यूरोप ने अपना कब्जा का खेल जारी रखा । यूरोप कालांतर में अपेक्षाकृत कमजोर हुआ तो उनका प्रभाव घटा । किन्तु अमेरिका का खेल आजतक जारी है । रशिया भी प्रयत्नशील है प्रभाव जमाने के लिए किन्तु उसकी घटी हुई आर्थिक ताकत उसके प्रभावी होने में आड़े आने लगी है । किन्तु इस्लामिक देश आज भी इनके इशारे पर ही उछल कूद कर रहे हैं । आज भी उनकी स्थिति कहीं भी अपने दम पर जिहाद चला लेने की नहीं हैं ।* 

*🚩मैंने उनको आगे कहा कि आपको मालूम है कि सऊदी अरब ने नरेंद्र मोदी को अक्षरधाम मंदिर बनाने के लिए सऊदी अरब में जमीन क्यों दिया? जबकि सऊदी अरब मक्का वाला देश है । हज का स्थान है वहाँ । इस्लाम का सेंटर है । तब भी उसने मंदिर के लिए अपने देश में जगह क्यों दिया? क्योंकि उसको भारत एक भविष्य का साथी दिख रहा है जो अमेरिकन कब्जे से उसको बाहर निकलने में शायद भविष्य में मदद कर सकेगा । इस तरह सऊदी अरब का इस्लाम भारत को तारणहार के रूप में देखता है किंतु भारत का मुसलमान आज भी पाकिस्तान के लिए तालियाँ बजा रहा है । मैंने उनको पूछा कि जब भारत के संबंध किसी भी इस्लामिक देश के साथ खराब नहीं हैं फिर पाकिस्तान से भारत की दुश्मनी का कारण क्या है? कारण एक ही है कि रशिया का हथियार और अमेरिका का हथियार बिकना चाहिए । इस उद्देश्य से रशिया पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का उपयोग भारत के खिलाफ करता रहा है । ऐसे में किस इस्लाम की ओर देख रहा है भारत का मुसलमान? पाकिस्तान की ओर देखकर भारत का मुसलमान यदि भटकता है आये दिन तो एक बार पाकिस्तान को नष्ट कर देना ही उचित होगा जिससे भारत के मुसलमानों को भटकने का अवसर न मिल पाए । इतना सुनते ही उनका अल तकिया बंद । सभी मौन ।*  *~मुरारी शरण शुक्ल*

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चर्च का घिनौना चेहरा आया सामने, मीडिया ने साधी चुप्पी

26 फरवरी  2019
www.azaadbharat.org
🚩हमारे भारत की मीडिया इतनी महान है कि  यदि ईसाई धर्मान्तरण करवाने वाली मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी जाती है तो मीडिया उसका लाइव दिखाती है, लेकिन जैसे ही ईसाई पादरियों पर बलात्कार के आरोप लगते हैं या साबित हो जाते हैं तब मीडिया मौन हो जाती है जिन बच्चे-बच्चियों का यौन शोषण हुआ है उनके प्रति कोई भी सहानभूति मीडिया नहीं दर्शाती है ।

🚩क्या आपको बॉलीवुड की वे फिल्मे याद हैं जिनमें फादर को दया और प्रेम का मूर्तिमान स्वरूप दिखाया जाता था तो वहीं हिन्दू सन्यासियों को अपराधी । जो मीडिया हिंदू संत आशारामजी बापू पर झूठा आरोप लगने पर पागल हो गई और एक से बढ़कर एक मनगढ़ंत कहानियां बना दिखाने लगी, वही मीडिया आज चुप है, पता है क्यों ? क्योंकि यौन शोषण करने वाले पादरियों के काले कारनामे सामने आए हैं और अफसोस तो इस बात का है कि उनपर कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी ।
🚩आपको बता दें कि वेटिकन में कैथोलिक पोप के नेतृत्व में 2 दिन की मीटिंग हुई जिसका मुख्य एजेंडा था चर्च के पादरियों द्वारा किए गए बाल शोषण के विरुद्ध निर्णय लेना ।
🚩इस मीटिंग के अन्त में पोप ने अपराधियों को दण्डित करने या करवाने की कोई बात नहीं की । आश्चर्य यह है कि भारतीय मीडिया ने इसपर अधिक ध्यान नहीं दिया या जान बूझ कर अनदेखा कर दिया । अगर निष्पक्ष रूप से देखा जाए तो यह केवल मामले को दबाने की कोशिश है ।
🚩क्या है मामला ?
सन् 2009 में आयरलैंड में, विशेष सरकारी आयोगों द्वारा वर्षों के कार्यों के बाद, डबलिन महाधर्मप्रांत में स्कूल प्रणाली में रयान रिर्पोट एवं बाल दुराचार पर मर्फी रिपोर्ट प्रकाशित किया गया था ।
🚩मई में आई पहली रिपोर्ट के अनुसार 1930 से 1990 के दशक तक कैथोलिक गिरजाघरों के कर्मचारियों द्वारा हज़ारों बच्चों को पीटा गया, सर मुंडवाया गया, आग या पानी से यातना दी गई और बलात्कार किया गया । उन्हें नाम के बदले नम्बर दिया गया था । कभी-कभी तो वे इतने भूखे होते थे कि कूड़ा खाते थे ।
🚩नवम्बर में आई मर्फ़ी रिपोर्ट में सामने आया कि किस तरह चर्च ने दशकों तक बर्बर कारनामों को व्यवस्थित रूप से दबाए रखा । चर्च नेतृत्व बदनामी के डर से चुप रहा तो सरकारी दफ़्तरों ने नज़रें फेर लीं । जनमत के बारी दबाव के कारण चार बिशपों को इस्तीफ़ा देना पड़ा । तीन इस्तीफों पर पोप को अभी फ़ैसला लेना बाकी है । रिपोर्ट के अनुसार आर्कडियोसेज़ डब्लिन में 1975 से 2004 के बीच 300 बच्चों के साथ दुर्व्यवहार हुआ । इस बीच कम से कम 170 धर्माधिकारी संदेह के घेरे में हैं ।
🚩5 फरवरी 2014 ज़ारी अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति (सीआरसी) ने कहा कि वैटिकन को उन पादरियों की फ़ाइलें फिर से खोलनी चाहिए जिन्होंने बाल शोषण के अपराधों को छुपाया है ताकि उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया जा सके । रिपोर्ट में कहा गया है कि वेटिकन ने अपराधों की गंभीरता को स्वीकार नहीं किया है और इसे लेकर समिति बहुत चिंतित हैं ।
🚩सितम्बर 2018 में जर्मनी में छपी जर्मनी में एक रिपोर्ट के अनुसार कैथोलिक चर्च में 1946 से 2014 के बीच 3,677 बच्चों का यौन शोषण हुआ । जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस के प्रमुख कार्डिनल मार्क्स ने पीड़ितों से माफी मांगी है ।
🚩जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस में रिपोर्ट पेश करते हुए कार्डिनल मार्क्स ने पीड़ितों से माफी मांगते हुए कहा, "लंबे समय तक चर्च ने यौन शोषण के मामलों को झुठलाया, नजरअंदाज किया और दबाया । इस विफलता और उसकी वजह से पहुंची तकलीफ के लिए मैं माफी मांगता हूं ।" रिपोर्ट में कैथोलिक चर्च के पादरियों द्वारा बच्चों और किशोरों के यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए हैं । मार्क्स ने कहा, "मैं नष्ट हुए भरोसे के लिए, चर्च के अधिकारियों द्वारा किए गए अपराधों के लिए शर्मसार हूं ।"
🚩रिपोर्ट के अनुसार 1946 से 2014 के बीच कैथोलिक चर्च के 1,670 अधिकारियों ने 3,677 नाबालिगों का यौन शोषण किया । रिपोर्ट के लेखकों ने जर्मनी के 27 डियोसेजे में 38,156 फाइलों का विश्लेषण किया जिसमें 1,670 अधिकारियों के मामले में नाबालिगों का यौन शोषण किए जाने के आरोपों का पता चला । इस अध्ययन का आदेश जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस ने ही दिया था । टीम का नेतृत्व मनहाइम के मनोचिकित्सक हाराल्ड द्राइसिंग की टीम कर रही थी ।
रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों में 1429 डियोसेजे के पादरी थे, 159 धार्मिक पादरी थे और 24 डियाकोन अधिकारी थे । 54 फीसदी लोगों के मामले में सिर्फ एक का यौन शोषण का आरोप था जबकि 42 प्रतिशत कई मामलों के आरोपी थे । यौन शोषण के पीड़ितों में 63 फीसदी लड़के थे और 35 फीसदी लड़कियां थीं । पीड़ितों में तीन चौथाई का चर्च और आरोपियों के साथ धार्मिक रिश्ता था । वे या तो प्रार्थना सभाओं में सेवा देने वाले थे या धार्मिक कक्षाओं के छात्र ।
🚩कैथोलिक गिरजे में यौन शोषण के पीड़ितों के संघ एकिगे टिश ने इस अध्ययन की आलोचना करते हुए उसे सतही बताया है । संगठन के प्रवक्ता मथियास काच ने कहा है कि पीड़ितों की असली संख्या अध्ययन में बताई गई संख्या से कहीं ज्यादा है । काच ने इस बात की भी आलोचना की है कि अध्ययन के जरिए न तो अपराधियों के नाम बताए गए हैं और न ही इन मामलों को दबाने वाले बिशपों के नाम सामने आए हैं । उन्होंने कहा, "इस समाजशास्त्री अध्ययन को मामले की जांच नहीं समझा जाना चाहिए ।" संगठन ने मामलों की स्वतंत्र जांच कराने और कैथोलिक गिरजे से अपना आर्काइव खोलने की मांग की है ।
🚩जर्मनी की परिवार कल्याण मंत्री फ्रांसिस्का गिफाई ने भी मामले की दृढ़ता से जांच की मांग की है, उन्होंने कहा, "अध्ययन के नतीजे परेशान करने वाले हैं और साथ ही साफ है कि यह बस शुरुआत भर है।" परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि ये सोचना बर्दाश्त से बाहर है कि कैथोलिक चर्च में अब भी ऐसे लोग जिम्मेदार पदों पर हैं जिन्होंने बच्चों का यौन शोषण किया है । फ्रांसिस्का गिफाई ने बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा को सामाजिक समस्या बताया । पिछले साल जर्मनी में बच्चों के यौन शोषण के 11,500 मामले दर्ज किए गए हैं । असली संख्या और ज्यादा होने का अनुमान है।
पुरी दुनिया में पादरी बाल यौन शोषण के लिए बदनाम हैं परन्तु हमारी भारतीय मीडिया ने मानो मौन धारण कर लिया है ।
🚩चर्च के अंदर सब कुछ गुप्त और रहस्यमय रखा जाता है । इससे इसके बारे में कई किताबें लिखी जाने के बावजूद भी परनाला (बड़ी नाली) वहाँ-का-वहाँ है । पश्चिम के मीडिया में चर्च की डार्क साइड (अंधकारमय पहलू) की चर्चा हो रही है । पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने वाली भारतीय मीडिया इस पर चुप क्यों है ये बड़ा सवाल है ?
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Monday, February 25, 2019

यदि हिन्दुओं की आबादी 80% से घटी, समझ लेना देश खतरे में है : सुब्रमण्यम स्वामी

25 फरवरी  2019

*🚩भारत में हिंदुओं की जनसंख्या लगातार घट रही है और मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ रही है यह देश के लिए खतरा है ।*

*पूरे विश्व में अब मात्र 13.95 प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं ! नेपाल कभी एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था परंतु वामपंथ के वर्चस्व के बाद अब वह भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है । कई चरमपंथी देश से हिन्दुओं को भगाया जा रहा है, परंतु कोई ध्यान नहीं देता । हिन्दू अपने एक ऐसे देश में रहते हैं, जहाँ के कई हिस्सों से ही उन्हें बेदखल किए जाने का क्रम जारी है, साथ ही उन्हीं के उप-संप्रदायों को गैर-हिन्दू घोषित कर उन्हें आपस में बांटे जाने का षड्यंत्र भी चरम सीमा पर है !*


*🚩अब भारत में भी हिन्दू जाति कई क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बचाने में लगी हुई है । इसके कई कारण हैं । इस सच से हिन्दू सदियों से ही मुंह चुराता रहा है जिसके परिणाम समय-समय पर देखने भी मिलते रहे हैं । इस समस्या के प्रति शुतुर्गमुर्ग बनी भारत की राजनीति निश्‍चित ही हिन्दुओं के लिए पिछले 100 वर्षों में घातक सिद्ध हुई है और अब भी यह घातक ही सिद्ध हो रही है । पिछले 70 वर्षो में हिन्दू अपने ही देश भारत के 8 राज्यों में अल्पसंख्‍यक हो चला है ।*

*🚩भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जिस दिन हिंदुओं की आबादी 80 प्रतिशत से कम हुई, समझ लेना देश खतरे में है । उन्होंने ट्वीट कर कहा, “भारतीय सच्चाई जानते हैं । हिंदुओं ने विदेशी आक्रमणकारियों को उखाड़ फेंकने के लिए सदियों तक लड़ाई लड़ी, इसमें पहले इस्लामिक विश्वास और दूसरा क्रिश्चियन विश्वास है । हिंदुओं ने इसके लिए अपने 750 साल गवाएं और गरीब हुए लेकिन आखिरकार लड़ाई जीत ली । वर्ष 1947 में ब्रेनवॉश हिंदुओं ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। अब इसे दोहराया नहीं जाना चाहिए ।”*

*🚩भाजपा सांसद ने कहा, “हम हिंदुओं को मालूम है कि भारत में रहने वाले सभी मुस्लिमों और किश्चियनों के पूर्वज हिंदू हैं । (जैसा कि डीएनए रिपोर्ट में दिखाया गया है।) आज के हिंदुस्तान में सभी एक परिवार की तरह एक साथ हैं । इसका मतलब यह है कि हमारी संस्कृति एक है । यह कहीं से उधार ली हुई या आयी हुई नहीं है ।” स्वामी ने कहा, “भारत में हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन करने, उन्हें बहकाने या प्रेरित करने की अनुमति नहीं होगी । यदि भारत में हिंदुओं (सिख, जैन, बुद्ध- आर्टिकल 25) की जनसंख्या 80 प्रतिशत से कम होती है तो यह खतरे की घंटी होगी।”*

*🚩पुलवामा अटैक को लेकर स्वामी ने कहा कि भारत को पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर कब्जा कर लेना चाहिए । इससे अच्छा मौका कभी नहीं मिलेागा । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के पक्ष में माहौल बना हुआ है । हमारे पास सीजफायर उल्लंघन करने और पीओके से मुजफ्फराबाद को दोबारा हासिल करने का शानदार मौका है । अभी ही उचित वक्त है कि धारा 370 को भी खत्म कर देना चाहिए ।*

*🚩बता दें कि भारत में हिन्दू खत्म किये जा रहे हैं । अगर अब भी हिन्दू नहीं जगे तो हिंदुओं का अस्तित्व समाप्त होता चला जायेगा । हिन्दुओं के खात्मे की बड़ी भयंकर साजिश रची जा रही है ।*

*🚩आपको बता दें कि भारत में एक ओर जहां अधिकतर स्थानों पर ईसाई पादरी प्रलोभन देकर #धर्मान्तरण करवा रहे हैं वहीं दूसरी ओर मुस्लिमों द्वारा जबरन  या लवजिहाद द्वारा धर्मपरिवर्तन कराया जा रहा है अभी भी हिन्दू नहीं जगे तो जैसे आठ राज्यों में हिन्दू #अल्पसंख्यक हो गये हैं, ऐसे ही अन्य राज्यों में भी होने लगेंगे ।*

*🚩वेटिकन सिटी और इस्लामिक देशों द्वारा भारतीय मीडिया में भारी फंडिंग की जा रही है जिससे वे गरीबी, श्री राम मंदिर, धारा 370, गौ-हत्या, महंगाई, किसानों की #आत्महत्या, जवानों की हत्या, हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार आदि समस्याओं पर बहस नहीं करके केवल हिन्दू साधु-संतों के खिलाफ ही खबरें दिखाते हैं और भोले हिन्दू इस बात को सहीं समझकर उनके ही धर्मगुरुओं पर उंगली उठाते हैं और गलत टिप्पणियाँ करते हैं । जबकि मीडिया ईसाई पादरियों और मौलवियों द्वारा हो रहे कुकर्मों को छुपाता है क्योंकि उनके द्वारा फंडिग की जा रही है ।*

*🚩गौरतलब है कि आजतक जिन्होंने भी हिन्दू धर्म के हित की बात की, धर्मांतरण पर रोक लगाई, हिन्दुओं की घर वापसी करवाई, विदेशी कम्पनियों का बहिष्कार करवाया, पाश्चात्य संस्कृति का विरोध किया उन हिन्दू साधु-संतों एवं कार्यकताओं के खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र करके उनकी हत्या करवा दी गई या मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर तथा राजनेताओं से मिलकर जेल भिजवा दिया गया ।*

*🚩हिन्दुआें की जो स्थिति आज इन 8 राज्यों में है वह स्थिति बाकि राज्यों में भी ना हो इसलिए हिन्दुआें को जाग्रत होकर स्वयं का अस्तित्व बचाने हेतु अब संगठित होना होगा ।*

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Sunday, February 24, 2019

जानिए "35A" के कारण कितनी भयंकर हानि हो रही है ?

23 फरवरी  2019

🚩 ‘धारा 370 एवं 35 A’ जम्मूवासियों के साथ सभी स्तरों पर भेदभाव करनेवाली धाराएं हैं, यह कड़वा सच है और इन अत्याचारी धाराओं का विसर्जन करने का समय अब आ गया है ! जम्मू की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है और इस महत्त्वपूर्ण राज्य में स्थित लोगों का संयम शीघ्रता से समाप्त होने की कगार पर आ चुका है ! फलस्वरूप जम्मू की जनता कभी भी क्षुब्ध हो सकती है तथा उसकी तीव्रता वर्ष 2008 में अनुभव किए गए क्षोभ से भी अधिक हो सकती है !

🚩1. अमरनाथ बोर्ड की भूमि के संदर्भ पर कश्मीरी जनता का क्षोभ:

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, बालटाल स्थित भूमि को तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड को प्रदान किया गया था; परंतु तत्कालीन कांग्रेस एवं पीडीपी के गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में कार्यरत संयुक्त शासनद्वारा इस भूमि को बोर्ड से छीन लेने के षडयंत्र के कारण वहां की जनता क्षुब्ध हो चुकी थी । इसके फलस्वरूप 28 जून से 31 अगस्त की अवधि में राजनीतिक गतिविधियां तीव्र होकर आजाद शासन गिर गया और वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया । इस संदर्भ पर जम्मू की जनता में इतना क्षोभ था कि वर्तमान मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती तथा नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूख अब्दुल्ला भी 5 मास तक जम्मू की यात्रा करने का साहस नहीं दिखा सके ।

🚩 2. जम्मू की स्थिति बिगाड़ने हेतु कई विदेशी वहां कर रहे निवास !

जम्मू में अब वर्ष 2008 से भी अधिक भीषण स्थिति है ! यह क्यों हुआ, इसके भी कई कारण हैं । पहला कारण यह है कि अवैध विस्थापित रोहिंग्या-बांग्लादेशी लोग आपराधिक कृत्य कर रहे हैं; परंतु वहां का वर्तमान पीडीपी-भाजपा शासन उनको देश से बाहर करने में असफल हुआ है । इस हिन्दूबहुसंख्यक क्षेत्र की स्थिति में परिवर्तन लाकर वहां भी कश्मीर जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न करने हेतु यह विदेशी लोग वहां जाकर बस रहे हैं, ऐसा जम्मू के लोगों का मानना है । उनके इस आरोप की अनदेखी करना तो मूर्खतापूर्ण और हास्यास्पद होगा ! ऐसी स्थिति में भी जम्मू-कश्मीर शासन द्वारा इन आपराधिक पार्श्वभूमिवाले विदेशियों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवा दी गई हैं और उनके लिए 24 से भी अधिक शिक्षकों को नियुक्त किया गया है !

🚩 3. सभी महत्त्वपूर्ण पदों पर मुसलमानों की नियुक्ति कर हिन्दुओं के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार

जम्मूवासियों के दुःख का दूसरा कारण है कि जम्मूवासियों को महत्त्वपूर्ण सेवाक्षेत्रों से हटाकर उनको प्रशासकीय यंत्रणा में गौण स्थान देकर उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है ! जम्मू एवं कश्मीर लोकसेवा आयोग की ओर से 90 प्रतिशत राजपत्रित अधिकारियों के पद कश्मीरी मुसलमानों को दिए जाते हैं तो जम्मू के लोगों के हाथ में केवल 10 प्रतिशत पद ही आते हैं । विगत 70 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान अनुपात नीचांकपर है। केवल इतना ही नहीं, अपितु यहां की प्रशासकीय यंत्रणा में मुसलमानों की नियुक्ति करते समय उनके बहुसंख्यक होते हुए भी उनको ही प्रधानता देकर उनकी सहायता की जा रही है। आज के दिन केवल मुसलमानों को ही 100 प्रतिशत उच्च पद दिए जा रहे हैं, उदा. जम्मू वैद्यकीय महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में जनरल सर्जन के पदपर 4 मुसलमानों की नियुक्ति की गई है। इससे जम्मू के हिन्दुओं के साथ किए जानेवाले भेदभाव एवं अन्याय की गंभीरता ध्यान में आएगी !

🚩 4. शासनद्वारा राजशिष्टाचार की अनदेखी कर अत्याचारी धारा 35-ए को अविकल रखने का प्रयास:

जम्मू के लोगों में क्षोभ की लहर दौड़ने के कई कारण हैं और उनका यह क्षोभ ‘केंद्र में स्थित भाजपा शासन एवं राज्य का भाजपा एवं पीडीपी के संयुक्त शासन को लेकर है ! हम इन सभी कारणों को छोड़कर केवल इसे बल देनेवाले प्रमुख सूत्रपर ध्यान देंगे ! इस प्रकरण में कश्मीरी नेता, मुख्य प्रवाह में स्थित जनता एवं अलगाववादी ये सभी पाकिस्तान में विस्थापित हिन्दू-सिख एवं जम्मू-कश्मीर के बाहर की जनता के विरोध में एकत्रित हैं । फारूख अब्दुल्ला, उनका पुत्र तथा जम्मू-काश्मीर प्रतिपक्ष का नेता ओमर अब्दुल्ला, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती एवं कांग्रेस के नेता सैफुद्दीन सोज द्वारा अनेक आपत्तिजनक वक्तव्य दिए गए हैं, तो पीडीपी एवं नेशनल कॉन्फरन्स में तीव्र शत्रुता होते हुए 9 अगस्त को मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राजशिष्टाचार की अनदेखी कर और सभी मर्यादाओं को लांघकर फारूख अब्दुल्ला के साथ उनके घर जाकर उनसे भेंट की। उन्होंने उनके साथ अत्याचारी ‘धारा 35 अ’ को विकल रखने हेतु हम क्या कर सकते हैं ?, इस संदर्भ पर बातचीत भी की ! अतः इससे राजनीतिक वातावरण दूषित होकर जम्मूवासियों की समस्यारूपी इस आग में घी डाला गया !

🚩 5. महबूबा शासन द्वारा राष्ट्रीय एकता को बाधा पहुंचाने की चेतावनी:

‘संविधान की ‘धारा 35 अ’ को यदि हाथ लगाया गया, तो हिंसा भड़क जाएगी’, इस पर उनका एकमत है और जम्मू एवं लद्दाख के लोगों के सामने इन नेताओं के पीछे जाना यही एकमात्र विकल्प है, ऐसा कहकर ये लोग जनता का दिशाभ्रम कर रहे हैं । वो यह भी भय दिखा रहे हैं कि ‘धारा 35 अ’ को यदि थोड़ा भी हाथ लगाया गया, तो कोई भी देश के राष्ट्रध्वज का साथ नहीं देगा !’ धारा 35 अ को वापस लेने की मांग करनेवाले कश्मीर मुसलमानों की जनसंख्या को बढ़ाकर उनको जम्मूवासियों की पहचान को ही मिटाना है, वो इसी दिशा में एकमत से आग उगल रहे हैं ! (कश्मीर में 99.99 प्रतिशत मुसलमान हैं।) वास्तव में उनके द्वारा किया जानेवाला यह आरोप अत्यंत झूठा है !

14.5.1954 को राष्ट्रपति ने अध्यादेश निकालकर जम्मू एवं कश्मीर में धारा 35 अ को बड़ी जल्दबाजी में लागू किया था। तत्कालीन नेहरू शासन ने संविधान के अनुसार ‘धारा 368’ लागू नहीं की ! वास्तव में नेहरू शासनद्वारा लोकसभा को दूर रखकर यह धारा लागू की थी; क्योंकि यह धारा मुख्य संविधान में नहीं है, अपितु उसे केवल संविधान में परिशिष्ट में अंतर्निहित किया गया है !

🚩6. क्या है यह अत्याचारी ‘धारा 35 A


‘धारा 35 अ’ क्या है ?, वह हमें क्या देती है ? तो धारा 35 अ एक अन्यायकारी धारा है । यह धारा कश्मीर के लोगों को ‘वो सभी भारतीय हैं’, यह नाटक करने हेतु बनाई गई धारा है ! इस अत्याचारी धारा के कारण राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री अथवा कोई भी भारतीय नागरिक इस राज्य की एक इंच भी भूमि नहीं खरीद सकता ! धारा 370 तो जम्मू एवं कश्मीर के लोग और शेष भारतीयों में नेहरू शासनद्वारा खड़ी की गई दीवार ही है !

🚩 7. ‘धारा 35 अ’ जैसी है वैसी !

‘धारा 35 अ’ के माध्यम से जम्मू एवं कश्मीर के शासन को ‘किस भारतीय व्यक्ति को अथवा किस भारतीय समूह को नागरिकता देनी है’, इस संदर्भ में असीमित एवं विशेषाधिकार प्रदान किए गए हैं ! इस धारा के संदर्भ में योग्य दृष्टिकोण मिले; इसके लिए यह धारा यथाशब्द निम्न प्रकार से है –

‘‘जम्मू एवं कश्मीर राज्य में तथा राज्य की विधानसभा में भारतीय संविधानद्वारा निर्देशित की गई पद्धति से कोई विधि कार्यान्वित नहीं होगी !’’

अ. जम्मू एवं कश्मीर के कौन से लोग शाश्ववत निवासी होंगे अथवा

आ. शाश्व त निवासी एवं विशेषाधिकार और अधिकार अथवा दूसरी व्यक्तिपर बंधन लगाना, उससे संबंधित –

1. राज्यशासन में नियुक्तियां करना
2. राज्य में अचल संपत्ति प्राप्त करना
3. राज्य में निवास करना
4. इस धारा में किए गए प्रावधान के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक छात्रवृत्ति के अधिकार एवं उसी प्रकार का राज्यशासन से प्राप्त अनुदान प्राप्त करने हेतु पात्र नहीं होगा

🚩 8. धारा 35 अ के कारण भारतियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार !

इस धारा के कारण ही जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों को छोड़कर शेष लोग, पाकिस्तान से आए हुए शरणार्थी एवं राज्य की महिलाएं त्रस्त हैं। वर्ष 1947 से लेकर पाकिस्तान के सियालकोट क्षेत्र से विस्थापित अनुमानित 2 लाख हिन्दू एवं सिख यहां रह रहे हैं। उनको संपत्ति, शिक्षा, प्रशासनिक नौकरीयां, मतदान एवं अधिकोष से ऋण लेने से वंचित रखा गया है। वो चाहे भारतीय भी हों; परंतु वो इस राज्य के नागरिक नहीं हैं। वो अनेक दशकों से अपने अधिकारों के लिए लड रहे हैं; परंतु शासन ने उनके लिए कुछ नहीं किया है !

🚩 9. राज्य की महिलाओं पर भी अनेक बंधन:

जम्मू एवं कश्मीर की महिलाओं पर विवाह के लिए भी कई बंधन डाले गए हैं ! राज्य की किसी लड़की ने यदि राज्य में रहनेवाले अन्य किसी तत्कालीन निवासी से विवाह किया, तो उसके बच्चे एवं उसके पति के लिए राज्य में कोई अधिकार नहीं मिलते। उनकी श्रेणी तो पाकिस्तान से विस्थापित लोगों जैसी ही होती है !

वर्ष 2002 में जम्मू एवं काश्मीर उच्च न्यायालयद्वारा यह निर्णय किया था कि बच्चे एवं लडकियों को ‘शाश्व0त निवासी प्रमाणपत्र’ देते समय उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाए ! ऐसा होते हुए भी राज्य का राजस्व विभाग 24.9.2004 तक वहां की लड़कियों को ‘शाश्वोत निवासी प्रमाणपत्र’ देते समय ‘विवाह तक के लिए आधिकारिक’ की मुद्रा अंकित कर (मुद्रांक लगाकर) प्रमाणपत्र देते थे, इसका संज्ञान लिया जाना चाहिए। इसके लिए लेखक ने वर्ष 2004 में उच्च न्यायालय में याचिका क्र. 1002/2004 एवं सीएमपी (परिवाद) क्र. 1089/2004 प्रविष्ट कर न्यायालय के पहले के आदेश का पालन किए जाने की मांग की। इस याचिका पर निर्णय करते हुए न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अविवाहित लड़कियों को ‘शाश्व त निवासी प्रमाणपत्र’ देते समय ‘विवाहतक के लिए आधिकारिक’ मुद्रा अंकित नहीं की जाए !

🚩 10. ‘धारा 35 अ’ के शीघ्र ही रद्द होने की आहट !!!


धाराएं 370 एवं 35 अ जम्मूवासियों को भारत से दूर करती हैं ! अतः वास्तविक रूप से कश्मीरी नेताओं को राज्य में भारतीय संविधान को पूर्णरूप से लागू कर जम्मू-कश्मीर राज्य का पूर्णरूप से भारत में विलय करने हेतु प्रयास करने चाहिएं। इससे जम्मू के लोगों की भावनाओं का सम्मान हो सकेगा, अन्यथा राज्य की नेताओं की इच्छाओं को यदि जम्मू के लोगों पर थोपा गया, तो राज्य विभाजन की ओर अग्रसर होगा !

🚩भाजपा शासनद्वारा 10 अगस्त 2017 को ऐसा कहा गया है, ‘‘धारा 370 एवं धारा 35 अ’ के कारण देश एवं राज्य की हानि हो चुकी है, साथ ही जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र में अंतर्गत संबंधों को भी बाधा पहुंची है; इसलिए अब इन धाराओं को हटाने का समय आ गया है !’’ यह संतोषजनक बात है। इस दिन गृहमंत्रालय के अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ‘धारा 35 अ’ के संदर्भ में महाधिवक्ता (एटर्नी जनरल) के. के. वेणुगोपाल सर्वोच्च न्यायालय में शासन का पक्ष रखेंगे। यह भी एक संतोषजनक समाचार ही है !
– प्रा. हरि ओम महाजन, पूर्व विभागप्रमुख, सामाजिकशास्त्र शाखा, जम्मू एवं कश्मीर विश्वतविद्यालय (संदर्भ : ‘SwarajyaMag.com’ हे संकेतस्थळ)

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