Sunday, December 31, 2017

अंग्रेजों के नए साल का कवि, पुजारी, नेता और हिन्दू संगठन क्यों कर रहे हैं विरोध?


December 31, 2017

हिंदू समाज अपनी संस्कृति और परम्पराओं से दिनोदिन दूर होता जा रहा है। पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के कारण हिन्दू इतने आधुनिक बनते जा रहे हैं कि न उन्हें गीता का ज्ञान है और न हिंदू रीति रिवाजों का मान । वेद और ग्रंथों के अध्ययन से तो वे लाखो कोष दूर हैं। समय-समय पर हिन्दू धर्म रक्षक हिदुओं को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जगाते रहे हैं ।

Why the British, New Year's Poets, Priests, Leaders and Hindu organizations are protesting?

तेलंगाना चिलकुर बालाजी मंदिर के पुजारी रंगराजन ने नए साल पर जश्न मनाने को हिंदुत्व के खिलाफ बताया है। 

उन्होंने अपने सभी भक्तों और हिदुओं से अपील की है कि वे नए साल में एक दूसरे को शुभकामनाएं न दे। यदि किसी भक्त ने उन्हें शुभकामनाएं दी तो वे उनसे उठक-बैठक लगवाएँगे। 

पुजारी रंगराजन ने कहा कि हम हिंदू संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। हम खुद अपनी संस्कृति को नजरअंदाज कर रहे हैं जिसे हमे बचाने की सख्त जरूरत है।  'उगादि' हमारा नया नया साल है, न कि 1 जनवरी ।


गन्दगी है नए साल का जश्न, फौरन हो बंद

मध्य प्रदेश के उज्जैन दक्षिण में बीजेपी के विधायक मोहन यादव ने कहा कि न्यू ईयर को मनाने के लिए होने वाली शराब पार्टी और देर रात तक होने वाली फुहड़ता हमारी संस्कृति खिलाफ है। ऐसी पार्टियां बंद होनी चाहिए। इंग्लिश न्यू ईयर हमने तब नहीं मनाया जब अंग्रेजों का शासन था तो अब क्यों मनाये?अंग्रेजी न्यू ईयर के स्थान पर गुड़ी पड़वा मनाना चाहिए जो हिंदू नववर्ष है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में भी इंग्लिश न्यू ईयर सेलिब्रेशन का विरोध किया जा रहा है। आगरा में तमाम हिंदूवादी संगठन नव वर्ष मनाने के तौर-तरीके का विरोध कर रहे हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि विदेशी सभ्यता को हम अपनी संस्कृति पर हावी नहीं होने देंगे ।

उन्होंने कहा कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन के नाम पर होटलों में अश्लीलता होती है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हिंदू संगठनों द्वारा न्यू ईयर सेलिब्रेशन के विरोध को बीजेपी सांसद प्रमोद गुप्ता का भी साथ मिला है। 

कवि रामधारी सिंह ने नूतन वर्ष पर लिखी कविता :

यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है,अपना यह त्यौहार नहीं है ।
अपनी यह तो रीत नहीं है, अपना यह व्यवहार नहीं है ।।

धरा ठिठुरती है सर्दी से, आकाश में कोहरा गहरा है ।

बाग बाजारों की सरहद पर,सर्द हवा का पहरा है ।।

सूना है प्रकृति का आँगन,कुछ रंग नहीं, उमंग नहीं ।

हर कोई है घर में दुबका हुआ,नव वर्ष का यह कोई ढंग नहीं ।।

चंद मास इंतजार करो,निज मन में तनिक विचार करो ।

नये साल नया कुछ हो तो सही,क्यों नकल में सारी अक्ल बही ।।

उल्लास मंद है जन-मन का,आयी है अभी बहार नहीं ।

यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं,है अपना यह त्यौहार नहीं ।।

यह धुंध कुहासा छंटने दो,रातों का राज्य सिमटने दो ।

प्रकृति का रूप निखरने दो,फागुन का रंग बिखरने दो ।।

प्रकृति दुल्हन का रूप धार,जब स्नेह-सुधा बरसायेगी ।

शस्य-श्यामला धरती माता,घर-घर खुशहाली लायेगी ।।

तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि,नव वर्ष मनाया जायेगा ।

आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर,जय गान सुनाया जायेगा ।।

युक्ति-प्रमाण से स्वयंसिद्ध,नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध ।

आर्यों की कीर्ति सदा-सदा,नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ।।

अनमोल विरासत के धनिकों को,चाहिये कोई उधार नहीं ।

यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है,अपना यह त्यौहार नहीं है ।।

अपनी यह तो रीत नहीं है, अपना यह त्यौहार नहीं। 

एक आर्य की कलम से नया साल के बारे में...

भगत सिंह, बिस्मिल , खुदीराम ,मंगल पांडेय के गले को रस्सी से घोंट कर मार डालने वालों 

अकेले घिरे चंद्रशेखर आजाद को मरने के लिए मजबूर कर देने वालों

भारत माता को 200 साल तक दासी बना कर  नोचने और लूटने वालों

अखंड राष्ट्र के 3 टुकडे करने वालों 

19 साल की रानी  लक्ष्मीबाई को दौडा कर मार डालने वालों 

आसाम , नागालैंड में गरीब हिंदू आदिवासियों को पैसा देकर मत परिवर्तन कराने वालों 

भारत पाकिस्तान युद्ध में हर बार पाकिस्तान का साथ देने वालों 

वैदिक भारत मे ब्लू फ़िल्म , समलेंगिक विवाह , झप्पी  किस आफ लव  ,लिव इन रिलेशनशिप संस्कृति  चलाने वालों

 "ईसाइयों " तुम्हे आज क्रिसमस की और कुछ दिन बाद 'न्यू ईयर' की  बधाई देने वाला #हिंदू वैसे ही अभागा और तुच्छ है ,मानो जिसने अपने शरीर से  अपने पूर्वजों का पवित्र रक्त फेंक कर अपनी नसों में अश्लीलता और अनैतिकता मिली हुई अंग्रेजी शराब भर ली हो.... 

धिक्कार है ऐसे सेक्युलर हिन्दुओं को,जिन्हें शायद पता नहीं कि हम अब भी अपने सारे त्यौहार होली,दीपावली, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, निर्जला एकादशी,श्रीरामनवमी,दशहरा ऒर रक्षा-बँधन आदि हिन्दू-पँचाग (हिन्दू केलेण्डर) देखकर ही मनाते हैं, न कि ईसाईयत वाला अँग्रेजी केलेण्डर देखकर !!

 भारतीय नव वर्ष और नव केलेण्डर शुरू होता हैं, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से,जो विश्व के महानतम सम्राट राजा विक्रमादित्य के विक्रम सम्वत् के नाम से जानी जाती है। जब ईसा-मूसा का कहीं अता-पता भी नहीं था।।ॐ।।

कवि ने आगे लिखा है  कि मंगल, शेखर, लक्ष्मी , भगत,  बिस्मिल हम शर्मिंदा हैं ,
लार्ड मैकाले की नाजायज औलादें अब भी भारत में जिन्दा हैं ...

जब भारत और भारतीयों पर यह अंग्रेज अत्याचार कर रहे थे तब इनके ईसा मसीह की दया कौन से चारागाह में चरने चली गई थी?
 
यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, क्योंकि है अपना यह त्यौहार नहीं ।।

जय हिंद !!
जय भारत !!

Saturday, December 30, 2017

भारतीय और अंग्रेजी नववर्ष में जानिए अंतर क्या है?

भारतीय और अंग्रेजी नववर्ष में जानिए अंतर क्या है?

December 30, 2017

भारत में कुछ लोग अपना नूतन वर्ष भूल गए हैं और अंग्रेजो का नववर्ष मनाने लगे हैं, उसमें किसी भारतीय की गलती नही है लेकिन भारत में अंग्रेजो ने 190 साल राज किया है और अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति खत्म करके अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपनी चाही उसके कारण आज भी कई भारतवासी मानसिकरूप से गुलाम हो गये जिसके कारण वे भारतीय नववर्ष भूल गये और ईसाई अंग्रेजों का नया साल मना रहे हैं ।

1 जनवरी आने से पहले ही कुछ नादान भारतवासी नववर्ष की बधाई देने लगते हैं,
What is the difference between Indian and English New Year?

भारत देश त्यौहारों का देश है, सनातन (हिन्दू) धर्म में लगभग 40 त्यौहार आते हैं यह त्यौहार करीब हर महीने या उससे भी अधिक आते है जिससे  जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं और बड़ी बात है कि हिन्दू त्यौहारों में एक भी ऐसा त्यौहार नही है जिसमें दारू पीना, पशु हत्या करना, मास खाना, पार्टी करने आदि  के नाम पर दुष्कर्म को बढ़ावा मिलता हो । ये सनातन हिन्दू धर्म की महिमा है। भारतीय हर त्यौहार के पीछे कुछ न कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी छुपे होते हैं जो जीवन का सर्वांगीण विकास करते हैं हैं ।

ईसाई धर्म में 1 जनवरी को जो नया वर्ष मनाते है उसमें कुछ तो नयी अनुभूति होनी चाहिए लेकिन ऐसा कुछ भी नही होता है ।

रोमन देश के अनुसार ईसाई धर्म का नववर्ष 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर क्या है?

1. प्रकृति:-
एक जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी

चैत्र मास में चारों तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I

2. मौसम:-
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर।

चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I

3. शिक्षा :-
विद्यालयों का नया सत्र-दिसंबर जनवरी में वही कक्षा, कुछ नया नहीं ।

मार्च अप्रैल में स्कूलों का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यार्थियों का नया साल I

4. वित्तीय वर्ष:-
दिसम्बर-जनवरी में खातों की क्लोजिंग नही होती

31 मार्च को बैंको की (audit) क्लोजिंग होती है नए बहीखाते खोले जाते हैं I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।

5. कलैण्डर:-
जनवरी में सिर्फ नया कलैण्डर आता है।

चैत्र में ग्रह नक्षत्र के हिसाब से नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I

6. किसान:-
दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है।

मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उत्साह I

7. पर्व मनाने की विधि:-

31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते है, हंगामा करते हैं, रात को पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश।

भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है, गरीबों में मिठाई, जीवनपयोगी सामग्री बांटी जाती है, पूजा पाठ से शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I

8. ऐतिहासिक महत्त्व:-

1 जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नही है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन 
1-  ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नया संवत्सर शुंरू होता है। 
2- पुरूषोत्‍तम श्रीराम का राज्‍याभिषेक
3- माँ दुर्गा की उपासना की नवरात्र व्रत का प्रारंभ
4- प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ 
5-उज्‍जयिनी सम्राट- विक्रामादित्‍य द्वारा विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ

6- शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग)महर्षि दयानन्द द्वारा आर्य समाज की स्‍थापना

7- भगवान झुलेलाल का अवतरण दिन।

8 - मत्स्यावतार दिन

9- गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की ।

आप इन तथ्यों से समझ गए होंगे कि सनातन (हिन्दू) धर्म की भारतीय संस्कृति कितनी महान है । अतः आप गुलाम बनाने वाले अंग्रेजो का 1 जनवरी वाला वर्ष न मनाकर महान हिन्दू धर्म वाला चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही नववर्ष मनायें ।

Friday, December 29, 2017

जानिए 1जनवरी को कैसे मनाना शुरू हुआ नववर्ष? भारत का कौनसा नववर्ष है?


December 29, 2017

अपनी संस्कृति का ज्ञान न होने के कारण आज हिन्दू भी 31 दिसंबर की रात्रि में एक-दूसरे को हैपी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं ।

वास्तविकता यह है कि भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र-प्रतिपदा  ही हिंदुओं का नववर्ष का दिन है । किंतु कुछ हिन्दुस्तानी आज भी अंग्रेजों के मानसिक गुलाम बने हुए 31 दिसंबर की रात्रि में नववर्ष मनाने लगे हैं और भारतीय वर्षारंभ दिन चैत्र प्रतिपदा पर नववर्ष मनाना और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देनेवाले हिंदुओं के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं ।
Know how to celebrate 1 January on New Year? Which is the new year of India?
     
नव वर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि (हिन्दुओं का नववर्ष ) भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी ये तिथि नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी लेकिन रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आ रहा था इसलिए उसने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था ।

उसके बाद ईसाई समुदाय उनके देशों में 1 जनवरी से नववर्ष मनाने लगे ।

भारत देश में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की 1757 में  स्थापना की । उसके बाद भारत को 190 साल तक गुलाम बनाकर रखा गया। इसमें वो लोग लगे हुए थे जो भारत की ऋषि-मुनियों की प्राचीन सनातन संस्कृति को मिटाने में कार्यरत थे। लॉड मैकाले ने सबसे पहले भारत का इतिहास बदलने का प्रयास किया जिसमें गुरुकुलों में हमारी वैदिक शिक्षण पद्धति को बदला गया ।

भारत का प्राचीन इतिहास बदला गया जिसमें भारतीय अपने मूल इतिहास को भूल गये और अंग्रेजों का गुलाम बनाने वाले इतिहास याद रह गया और आज कई भोले-भाले भारतवासी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष नही मनाकर 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाने लगे ।

हद तो तब हो जाती है जब एक दूसरे को नववर्ष की बधाई देने लग जाते हैं ।

क्या ईसाई देशों में हिन्दुओं को हिन्दू नववर्ष की बधाई दी जाती है..???

किसी भी ईसाई देश में हिन्दू नववर्ष नहीं मनाया जाता है फिर भोले भारतवासी उनका नववर्ष क्यों मनाते हैं?

यह आने वाला नया वर्ष 2018 अंग्रेजों अर्थात ईसाई धर्म का नया साल है।

मुस्लिम का नया साल होता है और वो हिजरी कहलाता है इस समय 1438 हिजरी चल रही है।

हिन्दू धर्म का इस समय विक्रम संवत 2074 चल रहा है।

इससे सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना धर्म है । 

इस विक्रम संवत से 5000 साल पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए । उनसे पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानि जबसे पृथ्वी का प्रारम्भ हुआ तबसे सनातन (हिन्दू) धर्म है। 

कहाँ करोडों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म और कहाँ भारतीय अपनी गरिमा से गिर 2000 साल पुराना नव वर्ष मना रहे हैं!

जरा सोचिए....!!!

सीधे-सीधे शब्दों में हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है। 

यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं है परन्तु  सभी भारतवासियों को बताना चाहते हैं कि इंग्लिश कैलेंडर के बदलने से हिन्दू वर्ष नहीं बदलता!

जब बच्चा पैदा होता है तो पंडित जी द्वारा उसका नामकरण कैलेंडर से नहीं हिन्दू पंचांग से किया जाता है । ग्रहदोष भी हिन्दू पंचाग से देखे जाते हैं और विवाह,जन्मकुंडली आदि का मिलान भी हिन्दू पंचाग से ही होता है । सारे व्रत त्यौहार हिन्दू पंचाग से आते हैं। मरने के बाद तेरहवाँ भी हिन्दू पंचाग से ही देखा जाता है।

मकान का उद्घाटन, जन्मपत्री, स्वास्थ्य रोग और अन्य सभी समस्याओं का निराकरण भी हिन्दू कैलेंडर {पंचाग} से ही होता है।

आप जानते हैं कि रामनवमी, जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दूज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्री, नवरात्रि, दुर्गापूजा सभी विक्रमी संवत कैलेंडर से ही निर्धारित होते हैं  | इंग्लिश कैलेंडर में इनका कोई स्थान नहीं होता।

सोचिये! फिर आपके इस सनातन धर्म के जीवन में इंग्लिश नववर्ष या कैलेंडर का स्थान है कहाँ ? 

1 जनवरी को क्या नया हो रहा है..????

न ऋतु बदली ...न मौसम...

न कक्षा बदली... न सत्र....

न फसल बदली...न खेती.....

न पेड़ पौधों की रंगत...

न सूर्य चाँद सितारों की दिशा.... ना ही नक्षत्र ..... हाँ, नए साल के नाम पर करोड़ो /अरबों जीवों की हत्या व करोड़ों /अरबों गैलन शराब का पान व रात पर फूहणता अवश्य होगी।

भारतीय संस्कृति का नव संवत्  ही नया साल है.... जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की  दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है जो विज्ञान आधारित है और चैत्र नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण घर, मन्दिर, गली, दुकान सभी जगह पूजा-पाठ व भक्ति का पवित्र वातावरण होता है ।

अतः हिन्दुस्तानी अपनी मानसिकता को बदले, विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने और चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन ही नूतन वर्ष मनाये।

Thursday, December 28, 2017

हमने क्रिसमस भी नही मनाया, अब अंग्रेजो का नया वर्ष भी नही मनायेंगे : भारतवासी

December 28, 2017
भारत में सोशल मीडिया के जरिये अब भारतवासियो में जागृति आ रही है, 25 दिसम्बर क्रिसमस-डे का सोशल मीडिया पर इतना विरोध हुआ कि किसी ने भी क्रिसमस की बधाई नही दी और तो और क्रिसमस के दिन भारतवासियों ने तुलसी जी की पूजा करके तुलसी पूजन दिवस मनाया और कहा कि अब हम हर साल 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनायेंगे।

We did not celebrate Christmas, now will not celebrate the new year of British: India

फेसबुक, ट्वीटर आदि सोशल साइटस पर आज भी लोग चर्चा कर रहे हैं कि हम अंग्रेजो द्वारा थोपा गया नया साल नही मनाएंगे क्योंकि अंग्रेजों ने हमें आर्थिक रूप से तो कमजोर बनाया ही है साथ में हमारी संस्कृति पर भी भारी कुठाराघात किया है ।
अंग्रेजो ने भारत की दिव्य परम्पराओं और त्यौहारों को मिटाकर अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपी, अंग्रेज भी जानते हैं कि अगर भारत पर राज करना है तो हिन्दू देवी-देवताओं एवं साधु-संतों के प्रति हिंदुओं की आस्था तोड़ो, उनके धार्मिक रीति-रिवाजों को तुच्छ दिखाकर अपने कल्चर की तरफ मोड़ो और हमने ये देखा कि भारत का बहुत बड़ा वर्ग मानसिक रूप से आज भी अंग्रेजों का ही गुलाम है ।
अब सोशल मीडिया के जरिये लोगों में जागरूकता आ रही है । धीरे-धीरे ही सही पर लोग अब अपनी संस्कृति की तरफ मुड़ रहे हैं।
ट्विटर ट्रेंड के जरिये भी लोग अपनी बात रख रहे हैं । लोगों का कहना है कि बाहरी चकाचौंध तथा कई प्रकार की बुराइयों से लिप्त अंगेजों का नववर्ष अब हम नहीं मनाएंगे । हमारी संस्कृति के अनुसार चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही अपना नया साल मनाएंगे  ।
समाज में बढ़ती इस कुरीति को रोकने का प्रयास करता आज का युवावर्ग #विश्वगुरु_भारत_अभियान हैशटैग के जरिये कुछ इस प्रकार अपनी बात रख रहा है ।
उनका कहना है कि...
भारत को विश्व का सिरमौर बनाना है ।
विश्वगुरु के पद पर भारत को बिठाना है ।।
गौ-गीता-गंगा की महत्ता बता जन-जन को जगाना है ।
पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण से युवाधन को चेताना है ।।
1. डॉ. भूमि लिखती हैं कि इतिहास गवाह है, अध्यात्म में भारत हमेशा विश्व का गुरु रहा है ! #विश्वगुरु_भारत_अभियान
https://twitter.com/drbhumi_v/status/946373282684534785
2. गार्गी पटेल लिखती है कि ये कैसा त्यौहार ??
जिसमें दारू पीना, गौमास भक्षण करना, महिलाओं से छेड़खानी करने की छूट दी जाती है !!
हम तो अपनी संस्कृति के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही नववर्ष मनाएंगे ।
#विश्वगुरु_भारत_अभियान
https://twitter.com/gargi088/status/946389560467927040
3.धनंजय कहते हैं कि उठो भारतवासी #विश्वगुरु_भारत_अभियान के साथ एक जुट हो जाओ; फिर कोई फिरंगी भारत को गुलाम बनाने की साजिश ना रच पायेगा।
https://twitter.com/DhananjayPraj15/status/946373627175243777
4. संस्कृति जी का कहना है कि भारतीय संस्कृति से उपराम समाज में व्रत त्योहारों पर उत्सव मनाकर पुनःजाग्रति ले आए Asaram Bapuji #विश्वगुरु_भारत_अभियान https://twitter.com/Sanskriti__/status/946371466081189889?s=08
5. श्रद्धा कहती हैं कि #विश्वगुरु_भारत_अभियान स्वराज हमें दिलाएगा,
भोगी कम्पनियों से छुटकारा हमें दिलाएगा। https://twitter.com/Ss_9611/status/946371533286473729
6.खुशबू लिखती हैं कि #विश्वगुरु_भारत_अभियान से जुड़कर हर एक राष्ट्रभक्त पहचान बनाएगा,
तिरंगे की शान पूरे विश्व में बढ़ाएगा। https://twitter.com/khushbuSahu8/status/946373121287757824
7.रोहित सिन्हा कहते हैं कि अब तक जो कभी ना हुआ, वो #विश्वगुरु_भारत_अभियान करके दिखायेगा।
संस्कृति के प्रचार प्रसार में पूरी जिंदगी लगाएगा।https://twitter.com/sinharohit14/status/946373008553160704
8.पूनम कहती हैं कि बिल्कुल सही बात की बानी जी , महिलाओं में सशक्तिकरण हो इस हेतु Asaram Bapu Ji ने 'महिला उत्थान मंडल' बनाने की प्रेरणा दी. #विश्वगुरु_भारत_अभियान https://twitter.com/poonamrajveer/status/946372713085419521?s=08
9.कृष्णा पटेल लिखती हैं कि #विश्वगुरु_भारत_अभियान ही हमारी पहचान है,
विधर्मियों को सबक सिखाने की पहली अटल शुरुआत है। https://twitter.com/KriSHnA_1052/status/946372605321216000
10.प्रणय लिखते हैं कि सनातन संस्कृति के,
संत है रक्षक जब-तक,
मिटा नही पाऐगा संस्कृति,
कोई भी दुश्मन तब-तक ||
#विश्वगुरु_भारत_अभियान https://twitter.com/Pranay1608/status/946373517083254785
11. आराध्य लिखती हैं कि युवाधन सुरक्षा व व्यसनमुक्ति अभियान द्वारा युवा मार्गदर्शन व हजारों व्यसनियों के व्यसन छूट रहे । #विश्वगुरु_भारत_अभियान https://twitter.com/Aradhya_G/status/946376871825907712
इस तरह के हजारों ट्वीटस आज हमें देखने को मिल रही हैं । आइये हम सब भी उनको उत्साहित करते हुए "विश्वगुरु भारत अभियान" का हिस्सा बने ।
गौरतलब है कि 25 दिसम्बर से 1 जनवरी  के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएँ, किशोर-किशोरियों व युवक युवतियों की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं। इसलिए हिन्दू संत आसाराम बापू ने  आवाहन किया हैः "25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक तुलसी पूजन, जप माला पूजन, गौ पूजन, हवन, गौ गीता गंगा जागृति यात्रा, सत्संग आदि कार्यक्रम आयोजित हों, जिससे सभी की भलाई हो, तन तंदुरुस्त व मन प्रसन्न रहे तथा बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रकट हो और न आत्महत्या करें, न गोहत्याएँ करें, न यौवन-हत्याएँ करें बल्कि आत्मविकास करें, गौ गंगा की रक्षा करें एवं स्वयं का विकास करें। गौ, गंगा, तुलसी से ओजस्वी तेजस्वी बनें व गीता ज्ञान से अपने मुक्तात्मा, महानात्मा स्वरूप को जानें।"
इसी लक्ष्य को लेकर बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ आम जनता एवं हिन्दू संगठनों व हिंदुत्वनिष्ठों की ट्वीटस जनता में जागृति ला रही है ।

Wednesday, December 27, 2017

अगर कोई भारतवासी 1जनवरी को नववर्ष मनाने जा रहा है तो पहले रिपोर्ट देख ले

December 27, 2017

भारत की इतनी दिव्य और महान संस्कृति है कि बिना वस्तु, व्यक्ति और विपरीत परिस्थितियों में भी इसका अनुसरण करने वाला सुखी रह सकता है इसके विपरीत विदेशों में भोग सामग्री होते हुए भी वहां के लोग इतने दुःखी व चिंतित हैं कि वहां के आकंड़े देखकर दंग रह जाएंगे आप लोग !! 

फिर भी भारत का एक बड़ा वर्ग उनका अंधानुकरण कर, उनका नववर्ष मनाने लगा और भूल गया अपनी संस्कृति को ।
If any Indian is going to celebrate New Year on January 1, then first see the report.

एक सर्वे के अनुसार...

खिस्ती नववर्ष पर तीन गुनी हुई एल्कोहल की खपत

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के क्रिसमस और खिस्ती नववर्ष पर एल्कोहल पर खपत किये गये सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है कि इन अवसरों पर 14 से 19 वर्ष के किशोर भी शराब का जमकर सेवन करते हैं और यही कारण है कि इस दौरान शराब की खपत तीन गुनी बढ़ जाती है। 

इन दिनों में दूसरे मादक पेय पदार्थों की भी खपत बढ़ जाती है। बड़ों के अलावा छोटी उम्रवाले भी बड़ी संख्या में इनका सेवन करते हैं। इससे किशोर-किशोरियों, कोमल वय के लड़के-लड़कियों को शारीरिक नुकसान तो होता ही है, उनका व्यवहार भी बदल जाता है और हरकतें भी जोखिमपूर्ण हो जाती हैं। उसका परिणाम कई बार एचआईवी संक्रमण (एड्स रोग) के तौर पर सामने आता है तो कइयों को टी.बी., लीवर की बीमारी, अल्सर और गले का कैंसर जैसे कई असाध्य रोग भी पैदा हो जाते हैं। करीब 70 प्रतिशत किशोर फेयरवेल पार्टी, क्रिसमस एवं खिस्ती नूतन वर्ष पार्टी, वेलेंटाइन डे और बर्थ डे जैसे अवसरों पर शराब का सेवन करते हैं। एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 40 प्रतिशत शराब के कारण होती हैं।

समझदारों एवं सूत्रों का कहना है कि क्रिसमस (25 दिसम्बर) के दिनों में शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, युवाधन की तबाही व आत्महत्याएँ खूब होती हैं। 

भारत से 10 गुणा ज्यादा दवाईयां खर्च होती हैं ।

यूरोप, अमेरिका आदि देशों में मानसिक रोग इतने बढ़ गए हैं कि हर दस व्यक्ति में से एक को मानसिक रोग होता है । दुर्वासनाएँ इतनी बढ़ी हैं कि हर छः सेकंड में एक बलात्कार होता है और हर वर्ष लगभग 20 लाख से अधिक कन्याएँ #विवाह के पूर्व ही गर्भवती हो जाती हैं । वहाँ पर 65% शादियाँ तलाक में बदल जाती हैं । AIDS की बीमारी दिन दुगनी रात चौगुनी फैलती जा रही है | वहाँ के पारिवारिक व सामाजिक जीवन में क्रोध, कलह, असंतोष,संताप, उच्छृंखता, उद्यंडता और शत्रुता का महा भयानक वातावरण छाया रहता है ।

विश्व की लगभग 4% जनसंख्या अमेरिका में है । उसके उपभोग के लिये विश्व की लगभग 40% साधन-सामग्री (जैसे कि कार, टी वी, वातानुकूलित मकान आदि) मौजूद हैं फिर भी वहाँ अपराधवृति इतनी बढ़ी है कि हर 10 सेकण्ड में एक सेंधमारी होती है, 1 लाख व्यक्तियों में से 425 व्यक्ति कारागार में सजा भोग रहे हैं। इन सबका मुख्य कारण दिव्य संस्कारों की कमी है ।

31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर दारू पीते है। हंगामा करते है ,महिलाओं से छेड़खानी करते है, रात को दारू पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस व प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश होता है और 1 जनवरी से आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढ़ती ही रहती हैं ।

जबकि भारतीय नववर्ष नवरात्रों के व्रत से शुरू होता है घर-घर में माता रानी की पूजा होती है। शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है। चैत्र प्रतिपदा के दिन से महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म,
नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध है। 

भोगी देश का अन्धानुकरण न करके युवा पीढ़ी भारत देश की महान संस्कृति को पहचाने।

1 जनवरी में सिर्फ नया कलैण्डर आता है। लेकिन
 चैत्र में नया पंचांग आता है उसी से सभी भारतीय पर्व ,विवाह और अन्य मुहूर्त देखे जाते हैं । इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग। 

स्वयं सोचे कि क्यों मनाये एक जनवरी को नया वर्ष..???

केवल कैलेंडर बदलें अपनी संस्कृति नही...!!!
रावण रूपी पाश्‍चात्य संस्कृति के आक्रमणों को नष्ट कर, चैत्र प्रतिपदा के दिन नववर्ष का विजयध्वज अपने घरों व मंदिरों पर फहराएं।

अंग्रेजी गुलामी तजकर ,अमर स्वाभिमान भर ले भारतवासी।
हिन्दू नववर्ष मनाकर खुद में आत्मसम्मान भरले भारतवासी।।

Tuesday, December 26, 2017

सुप्रीम कोर्ट भारत के लिए बन रहा है पाकिस्तान, घटती जा रही है विश्वसनीयता


December 24, 2017


'जज कब बना रहे हो??'.. बोलो ना डियर, 'जज कब बना रहे हो'...???

आगे साहब ने जो भी उत्तर दिया था वह सारा का सारा उस सेक्स-सीडी में रिकॉर्ड हो गया... और यही सीडी कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के राजनीतिक पतन का कारण बनी।

पिछले 70 सालों से जजों की नियुक्ति में सेक्स, पैसा, ब्लैक मेल एवं दलाली के जरिए जजों को चुना जाता रहा।

अजीब विडंबना है कि हररोज औरों को सुधारने की नसीहत देने वाले लोकतंत्र के दोनों स्तंभ मीडिया और न्यायपालिका खुद सुधरने को तैयार नहीं।
Pakistan is going to become the Supreme Court of India, declining credibility

जब देश आजाद हुआ तब जजों की नियुक्ति के लिए ब्रिटिश काल से चली आ रही 'कॉलेजियम प्रणाली' भारत सरकार ने अपनाई.... यानी सीनियर जज अपने से छोटे अदालतों के जजों की नियुक्ति करते हैं। इस कॉलेजियम में जज और कुछ वरिष्ठ वकील भी शामिल होते हैं। जैसे सुप्रीम कोर्ट के जज हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति करते हैं और हाईकोर्ट के जज जिला अदालत की जजों की नियुक्ति करते हैं।

इस प्रणाली में कितना भ्रष्टाचार है वह लोगों ने अभिषेक मनु सिंघवी की सेक्स सीडी में देखा...  अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के सदस्य और उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के लिए जजों की नियुक्ति करने का अधिकार था.. उस सेक्स सीडी में वो वरिष्ठ वकील अनुसुइया सालवान को जज बनाने का लालच देकर उसके साथ इलू इलू करते पाए गए थे, वो भी कोर्ट परिसर के ही किसी खोपचे में।

कॉलेजियम सिस्टम से कैसे लोगों को जज बनाया जाता है और उसके द्वारा राजनीतिक साजिश से कैसे की जाती है उसके दो उदाहरण देखिए..

पहला उदाहरण-- किसी भी राज्य के हाईकोर्ट में जज बनने की सिर्फ दो योग्यता होती है.. वो भारत का नागरिक हो और 10 साल से किसी हाईकोर्ट में वकालत कर रहा हो..या किसी राज्य का महाधिवक्ता हो।

वीरभद्र सिंह जब हिमाचल में मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर अपनी बेटी अभिलाषा कुमारी को हिमाचल का महाधिवक्ता नियुक्त कर दिया। फिर कुछ दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों के कॉलेजियम में उन्हें हाई कोर्ट का जज नियुक्त कर दिया और उन्हें गुजरात हाई कोर्ट में जज बना कर भेज दिया।

तब कांग्रेस गुजरात दंगों के बहाने मोदी को फंसाना चाहती थी और अभिलाषा कुमारी ने जज की हैसियत से कई निर्णय मोदी के खिलाफ दिए.. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उसे बदल दिया था।

दूसरा उदाहरण -- 1990 में जब लालूप्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तब कट्टरपंथी मुस्लिम आफताब आलम को हाई कोर्ट का जज बनाया गया.. बाद में उन्हें प्रमोशन देकर सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.. उनकी नरेंद्र मोदी से इतनी दुश्मनी थी कि तीस्ता सीतलवाड़ और मुकुल सिन्हा गुजरात के हर मामले को इनकी बेंच में अपील करते थे.. इन्होंने नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए अपना एक मिशन बना लिया था।

बाद में आठ रिटायर्ड जजों ने जस्टिस एम बी सोनी की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलकर आफताब आलम को गुजरात दंगों के किसी भी मामलें की सुनवाई से दूर रखने की अपील की थी.. जस्टिस सोनी ने आफताब आलम के लिए 12 फैसलों का डिटेल में अध्ययन करके उसे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को दिया था और साबित किया था कि आफताब आलम चूँकि मुस्लिम है इसलिए उनके हर फैसले में भेदभाव स्पष्ट नजर आ रहा है।

फिर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आफताब आलम को गुजरात दंगों से किसी भी केस की सुनवाई से दूर कर दिया।

जजों के चुनाव के लिए कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक नई विशेष प्रणाली की जरूरत महसूस की जा रही थी। जब मोदी की सरकार आई तो 3 महीने बाद ही संविधान के संशोधन (99 वाँ  संशोधन )करके एक कमीशन बनाया गया जिसका नाम दिया गया National Judicial Appointments Commission (NJAC).

इस कमीशन के तहत कुल छः लोग मिलकर जजों की नियुक्ति कर सकते थे।

1. इसमें एक सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश,
2. सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर जज जो मुख्य न्यायाधीश से ठीक नीचे हो,
3. भारत सरकार का कानून एवं न्याय मंत्री,
4. और दो ऐसे चयनित व्यक्ति जिसे 3 लोग मिलकर चुनेंगे। (प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश एवं लोकसभा में विपक्ष का नेता)।
            
परंतु एक बड़ी बात तब हो गई जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कमीशन को रद्द कर दिया, वैसे इसकी उम्मीद भी की जा रही थी।
           
इस वाक्य को न्यायपालिका एवं संसद के बीच टकराव के रूप में देखा , जाने लगा .... भारतीय लोकतंत्र पर सुप्रीम कोर्ट के कुठाराघात के रूप में इसे लिया गया।
           
यह कानून संसद के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित किया गया था जिसे 20 राज्यों की विधानसभा ने भी अपनी मंजूरी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट यह भूल गई थी कि जिस सरकार ने इस कानून को पारित करवाया है उसे देश की जनता ने पूर्ण बहुमत से चुना है।
सिर्फ चार जज बैठकर करोड़ों की इच्छाओं का दमन कैसे कर सकते है ? क्या सुप्रीम कोर्ट इतना ताकतवर हो सकता है कि वह लोकतंत्र में जनमानस की आकांक्षाओं पर पानी फेर सकता है ?
  
जब संविधान की खामियों देश की जनता पतिमार्जित कर सकती है तो न्यायपालिका की खामियों को क्यों नहीं कर सकती?

यदि NJAC को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक कह सकता है तो इससे ज्यादा असंवैधानिक तो कॉलेजियम सिस्टम है जिसमें ना तो पारदर्शिता है और ना ही ईमानदारी?

कांग्रेसी सरकार को इस कॉलेजियम से कोई दिक्कत नहीं रही क्योंकि उन्हें पारदर्शिता की आवश्कता थी ही नहीं।
मोदी सरकार ने एक कोशिश की थी परंतु सुप्रीम कोर्ट ने उस कमीशन को रद्दी की टोकरी में डाल दिया ।

शुचिता एवं पारदर्शिता का दम्भ भरने वाले सुप्रीम कोर्ट को तो यह कहना चाहिए था कि इस नए कानून (NJAC) को कुछ समय तक चलने देना चाहिए ... ताकि इसके लाभ हानि का पता चले, खामियां यदि होती तो उसे दूर किया जा सकता था परंतु ऐसा नहीं हुआ। 

जज अपनी नियुक्ति खुद करे ऐसा विश्व में कही नहीं होता है सिवाय भारत के।
  
क्या कुछ सीनियर IAS ऑफिसर मिलकर नये IAS की नियुक्ति कर सकते है? क्या कुछ सीनियर प्रोफेसर मिलकर नये प्रोफेसर की नियुक्ति कर सकते है ? 

यदि नहीं तो जजो की नियुक्ति जजो द्वारा क्यों की जानी चाहिए ? आज सुप्रीम कोर्ट एक धर्म विशेष का हिमायती बना हुआ है....

सुप्रीम कोर्ट गौरक्षकों को बैन करता है ।
सुप्रीम कोर्ट जल्लिकटु को बैन करता है ।
सुप्रीम कोर्ट दही हांडी के खिलाफ निर्णय देता है । सुप्रीम कोर्ट दस बजे रात के बाद डांडिया बंद करवाता है ।
 सुप्रीम कोर्ट दीपावली में देर रात पटाखे को बैन करता है ।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट आतंकवादी की सुनवाई के लिए रात 2 बजे अदालत खुलवाता है ।
सुप्रीम कोर्ट पत्थर बाजी को बैन नहीं करता है । सुप्रीम कोर्ट गौमांस खाने वालों पर बैन नहीं लगता है ।
ईद - बकरीद पर कुर्बानी को बैन नहीं करता ।
मुस्लिम महिलाओं के शोषण के खिलाफ तीन तलाक को बैन नहीं करता है ।

और कल तो सुप्रीम कोर्ट ने यहाँ तक कह दिया कि तीन तलाक का मुद्दा यदि मजहब का है तो वह हस्तक्षेप नहीं करेगा। 
ये बात हुई ? आधी मुस्लिम आबादी की जिंदगी नर्क बनी हुई है और आपको यह मुद्दा मजहबी दिखता है ? धिक्कार है आपके ऊपर ।

अभिषेक मनु सिंधवी के वीडियो को सोशल मीडिया, यु ट्यूब से हटाने का आदेश देते हो कि न्यायपालिका की बदनामी ना हो ? पर क्यों ऐसा ... ? 
क्यों छुपाते हो अपनी कमजोरी ...? 

जस्टिस कार्नर जैसे पागल और टुच्चे जजो को नियुक्त करके एवं बाद में 6 माह के लिए कैद की सजा सुनाने की सुप्रीम कोर्ट को आवश्कता क्यों पड़नी चाहिए ..? 

अभिषेक मनु सिंघवी जैसे अय्याशों को जजो को नियुक्त करने का अधिकार क्यों मिलना चाहिए? 
        
 क्या सुप्रीम कोर्ट जवाब देगा ... ?

लोग अब तक सुप्रीम कोर्ट की इज्जत करते आये है, कहीं ऐसा न हो कि जनता न्यायपालिका के विरुद्ध अपना उग्र रूप धारण कर लें उसके पहले उसे अपनी समझ दुरुस्त कर लेनी चाहिए ।  सत्तर सालों से चल रही दादागिरी अब बंद करनी पड़ेगी ... यह 'लोकतंत्र' है और 'जनता' ही इसकी 'मालिक' है।

कांग्रेस की सरकार लगातार 10 साल थी। लेकिन उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के किसी भी फैसले में चूं तक नहीं की, ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस ने अपनी पसंद के लोगो को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया था।

इसलिए वे चुपचाप पड़े रहते थे लेकिन जैसे ही देश में मोदी सरकार आई, सुप्रीम कोर्ट के जज नींद से जाग उठे, मोदी सरकार के सभी फैसले में हस्तक्षेप करने लगे, वर्तमान में ऐसा लग रहा है कि देश मोदी सरकार नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के जज चला रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार के हर फैसले में दखल दे रहा है, हर फैसले में रोक लगा रहा है, हिन्दू समाज के सभी त्यौहारों पर बैन लगा रहा है, पहले सुप्रीम कोर्ट ने जन्माष्टमी पर गोविंदा पर बैन लगाया और अब दीवाली पर पटाखा जलाने पर बैन लगा दिया।

आप खुद देखिये, भारत सरकार राम मंदिर बनाना चाहती है, देश के 80 फीसदी हिन्दू भी अयोध्या में राम मंदिर चाहते है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार-बार तारीख बढ़ाकर सुनवाई टाल रहा है।

इसके बाद रोहिंग्या का मामला सामने आया, केंद्र सरकार ने साफ साफ कह दिया कि रोहिंग्या देश की शांति के लिए खतरा है, इनके आतंकियों से संबंध रहे हैं। ये लोग म्यांमार में भी आतंकी गतिविधियों में शामिल है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की बात नहीं मानी और आज तुग़लकी फरमान देते हुए उन्हें भागने पर रोक लगा दी ।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में केंद्र सरकार से कहा कि जब तक इस मामले की सुनवाई हो रही है तब तब उन्हें जबरदस्ती भगाया न जाये क्योंकि अगर देश की सुरक्षा महत्वपूर्ण है तो मानव अधिकार भी महत्वपूर्ण है।

आपको पता ही है कि राम मंदिर मामले की 30 वर्षो से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है, लेकिन आज तक सुनवाई ही चल रही है।

इस तरह रोहिंग्या मामले की सुनवाई होती तो आराम से 40-50 वर्ष लग जाएंगे, मतलब अब रोहिंग्या 40-50 वर्षो तक भारत में रहेंगे, बच्चे पैदा करेंगे, देश का लोकतांत्रिक ढांचा व संतुलन नष्ट करेंगे, जिहाद करेंगे, हिंसा और आतंकवाद करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में तारीख पर तारीख चलती रहेगी।

अब आप देखिये:

'सुप्रीम कोर्ट ना तो राम मंदिर बनाने दे रहा है',
'ना रोहिंग्या को भगाने दे रहा है',

 'ना हिंदुओं को पटाखे जलाने दे रहा है',

'कश्मीरी हिंदुओं की सुनवाई नहीं कर रहा।'

'आतंकवादियों के सहायकों पर पैलेट गन प्रयोग नहीं करने दे रहा!'

'सुरक्षा व बलों व सेना पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रहा है!'

 'देश के लाखों लोगों के मामले पड़े है पैंडिंग! उन पर तो ध्यान नहीं, पर अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों को बचाने के प्रयास में रात को भी दरबार लगा रहा है !' 
एक तरह से सुप्रीम कोर्ट भारत के लिए पाकिस्तान बन रहा है।

भारत की सरकार और हिंदुस्तान के नागरिकों को अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट से ही लड़ना पड़ रहा है।

यह बहुत ही खतरनाक ट्रेंड व संकेत है देश के लिए।

स्त्रोत : हिन्दू वॉइस (नवंबर 2017)

Monday, December 25, 2017

मीडिया ने छुपाई खबर: क्रिसमस की जगह लोगों ने मनाया तुलसी पूजन दिवस

मीडिया ने छुपाई खबर: क्रिसमस की जगह लोगों ने मनाया तुलसी पूजन दिवस

December 25, 2017

 अंग्रेजो ने भारत में आकर बड़ी चालकी से हिन्दू धर्म को मिटाने के लिए हिन्दू संस्कृति को हटाकर अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपनी चाही, गत वर्षों तक इसका प्रभाव जनमानस पर देखने को मिला, लेकिन आज देश की जनता जागरूक भी हो रही है, धीरे-धीरे जनता पश्चिमी संस्कृति को भूल रही है और भारत की दिव्य संस्कृति की तरफ लौट रही है ।
Media hidden news: People celebrated Tulsi Puja Day in place of Christmas

25 दिसंबर निमित्त क्रिसमस डे की जगह देश-विदेश में विद्यालयों में, गांवों में, शहरों में, मन्दिरों आदि जगह-जगह पर तुलसी पूजन दिवस मनाया गया ।

आपको बता दें कि केवल #हिन्दू ही नही मुस्लिम, ईसाई, फारसी लोगों ने भी 25 दिसंबर को #तुलसी पूजन दिवस मनाया ।

केवल जमीनी स्तर पर ही नही ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर भी कल से #तुलसी पूजन दिवस की धूम मची है ।

गौरतलब है कि 2014 से 25 दिसंबर को #तुलसी पूजन हिंदू संत आसारामजी बापू की प्रेरणा से उनके करोड़ो अनुयायियों द्वारा जगह-जगह पर मनाना प्रारंभ किया गया । उसके बाद तो 2015 से इस अभियान ने #विश्वव्यापी रूप धारण कर लिया और अब 2017 में तो #देश-विदेश में अनेक जगहों पर #हिन्दू मुस्लिम और अन्य धर्मों की जनता भी उत्साहित होकर इस दिन को एक त्यौहार के रूप में मना रही है ।

संत #आसारामजी #आश्रम द्वारा बताया गया कि उनके अनुयायियों द्वारा #विश्वभर में विद्यालयों, महाविद्यालयों और जाहिर जगहों पर एवं घर-घर #तुलसी पूजन त्यौहार मनाया जा रहा है । 

नीचे दी गई लिंक पर आप देख सकते हैं कि किस प्रकार देश-विदेश के अनगिनत लोग #तुलसी पूजन द्वारा लाभान्वित हो रहे हैं ।


ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल साइट्स पर #तुलसी पूजन दिवस निमित्त #देशभर के स्कूल, कॉलेज, गाँवो, शहरों में हुए #तुलसी पूजन तथा यात्राओं के साथ हुए तुलसी वितरण के फोटोज अपलोड हुए हैं ।

रविवार (24 दिसम्बर) ट्वीटर पर टॉप में ट्रेंड करता हैशटैग-  #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस

सोमवार (25 दिसम्बर) ट्वीटर पर टॉप 3 में ट्रेंड करता हैशटैग- #तुलसी_पूजन_दिवस

आम जनता के साथ राष्ट्रवादी नेताओं, पत्रकार आदि ने भी ट्वीट करके इस दिन तुलसी पूजन करने का समर्थन किया है ।

आइये कुछ ट्वीट्स द्वारा जाने लोगों के मनोभाव...

1. भाजपा नेता कैलास विजय वर्गीय जी लिखते हैं  कि 
#तुलसी_पूजन_दिवस पर आओ मिलकर तुलसी पूजन करें। 

2. भाजपा नेता गिरिराज सिंह जी ने लिखा कि आप सभी को तुलसी पूजा की बधाई ।
तुलसी का पौधा एक अभियान के तहत हर घर में लगाएँ ।

3. मनोज नामदेव जी कहते हैं कि संत श्री Asaram Bapu Ji द्वारा प्रेरित #तुलसी_पूजन_दिवस और "घर-घर तुलसी लगाओ अभियान" जैसे लोकहितकारी दैवी कार्य खूब व्यापक हो और समस्त विश्वमानव इससे लाभान्वित हो ! 

4. पूजा गोस्वामी लिखती है कि मैं तुलसी पौधो लगाउ...
हे #पूजा नीत कराउ 
करे साये कष्ट कनाई..
थारे #लक्ष्मी रहे घर माही
हे उतम तुलसी का घर शुद्ध करे हैं सबका
और वास्तु दोस मिटाए रे निजार सू बचाए.. 
#तुलसी_पूजन_दिवस

5. ज्योति शेखावत ने लिखा कि में हिंदू हूं ईसाई नहीं जो में क्रिश्मश मनाऊं...
ये देश सैंटा का नहीं है ये देश सन्तों का है ऋषि मुनियों का है। यहां कोई सेंटा नहीं आएगा, यहां तो विवेकानंद, दयानंद, दधीचि, शंकराचार्य आएंगे।।
यहां कोई जीसस नहीं आएगा बल्कि यहां राम, कृष्ण, माँ भवानी आएंगी।।
#तुलसी_पूजन_दिवस

6. रवि प्रसाद लिखते हैं कि देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र के हित चिंतक पूज्य Asaram Bapu Ji द्वारा प्रेरित - #तुलसी_पूजन_दिवस !! 

7. सुदर्शन न्यूज के सुरेश चव्हाणके ने लिखा है कि
वैसे तो मैं रोज #तुलसी पूजन करता हूँ पर आज #25thDec_तुलसी_पूजन_दिवस पर #तुलसी_पूजन करते हुए। आप भी आज के दिन #तुलसी माँ के महत्व को समझे और अपनी रोज की दिनचर्या में इसे जरूर स्थान दें।

8. साध्वी निरंजन ज्योति ने लिखा कि तुलसी के पौधे की ‘जड़’ में सभी तीर्थ, ‘मध्य भाग (तना)’ में सभी देवी-देवता और ‘ऊपरी शाखाओं’ में सभी वेद यानी चारों वेद स्थित हैं. इसलिए इस मान्यता के अनुसार, तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है और इसके पूजन को मोक्षदायक कहा गया है । #तुलसी_पूजन_दिवस

इस प्रकार से अनेकों ट्वीटस हमें देखने को मिली जिसके जरिये लोगों ने बापू आसाराम जी द्वारा प्रेरित #तुलसी पूजन  दिवस को सराहा भी और इस दिन को हिन्दू संस्कृति अनुसार मनाने का खुद भी आह्वाहन किया तथा औरों को भी प्रेरित किया ।


बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ अनेक #हिन्दू संगठन और देश-विदेश के लोग भी मना रहे थे #तुलसी पूजन का त्यौहार!!

आपको बता दें कि #डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल जी और सुदर्शन न्यूज के सुरेश चव्हाणके और भी कई बड़ी हस्तियां #आसारामजी #बापू को जेल में मिलकर आये थे और उन्होंने बताया कि #बापूजी ने देशहित के अतुलनीय कार्य किये है और ईसाई धर्मांतरण पर रोक लगाई है, इसलिए उनको षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है।

आज तक देखने में आया है कि #बापू #आसारामजी के अनुयायियों ने अपने गुरुदेव से प्रेरणा पाकर हमेशा विदेशी अंधानुकरण का विरोध किया है और हिन्दू संस्कृति का समर्थन किया है । 

आज भले #बापू #आसारामजी अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत जेल में हों लेकिन आज भी उनके द्वारा प्रेरित किये गए #सेवाकार्यों की सुवास #समाज में देखने को मिलती है। जैसे 14 फरवरी को #मातृ-पितृ पूजन दिवस, #गौ-पूजन, दीपावली पर गरीबों में भंडारा, गीता जयंती निमित्त रैलियां, यात्रायें आदि आदि ।

पर मीडिया ने आज तक समाज को इस सच्चाई से अवगत नहीं कराया । जब भी बापू आसाराम जी के लिए कुछ बोला तो हमेशा उनके नाम के साथ बलात्कारी शब्द का उपयोग किया, सच तो ये है कि बापू आसाराम जी पर बलात्कार का आरोप ही नहीं हैं, छेड़छाड़ का आरोप लगाया है शाहजहांपुर की एक लड़की ने, अंतिम पड़ाव पर पहुँचे बापू के केस में कई सनसनीखेज खुलासे भी सामने आ रहे हैं जिसे मीडिया ने आजतक नहीं दिखाया ।

मीडिया के इस दोगलेपन के पीछे का राज है कि  मीडिया विदेशी फंड से चलती है । इसलिए ये समाज को वही दिखाती है जो इसे दिखाने के लिए कहा जाता है । इन्हें सत्य से कुछ लेना-देना नहीं, हर न्यूज के दाम फिक्स होते हैं । ऐसी मीडिया पर आप कब तक भरोसा करेंगे ???