Thursday, January 31, 2019

विद्यालयों में प्रार्थना के खिलाफ डाली याचिका, जानिए प्रार्थना कितनी उपयोगी है

30 जनवरी  2019

*🚩देश के केंद्रीय विद्यालयों में प्रात:कालीन प्रार्थना संस्कृत और हिंदी में पढ़ी जाती हैं । इस प्रार्थना का संस्कृत भाग उपनिषद्, महाभारत आदि ग्रंथों की शिक्षाओं पर आधारित होता हैं जैसे "असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय"  तथा "दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना'' आदि । मध्य प्रदेश के रहने वाले एक व्यक्ति ने याचिका डाली है कि केंद्रीय विद्यालय में पढ़ी जाने वाली प्रार्थनाओं में किसी भी प्रकार के धार्मिक निर्देश नहीं दिए जा सकते । इसलिए इन्हें प्रार्थनाओं में से हटा देना चाहिए ।*


*🚩नास्तिक अथवा कम्युनिस्ट मानसिकता वाले इस व्यक्ति को धर्म की मुलभुत परिभाषा भी नहीं मालूम । यह व्यक्ति तो केवल कार्ल मार्क्स के धर्म अफीम है कि रट तक ही सीमित हैं । जिसे यह धर्म समझ रहा है वह धर्म नहीं मज़हब हैं । संस्कृत में वेद, उपनिषद् आदि ग्रन्थ केवल हिन्दू समाज के नहीं अपितु समस्त मानव समाज को दिशा निर्देश देने वाले ग्रन्थ हैं । ये ग्रन्थ समस्त प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव दिखाने और समस्त विश्व को एक परिवार के समान मानने का उपदेश देते हैं । वेद आदि ग्रन्थ की रचना जिस काल में हुई तब न तो देश आदि की सीमाएं थी,  न ही हिन्दू-मुस्लिम आदि थे । वेद केवल मानवधर्म का प्रतिपादक है । मत-मतान्तर आदि तो मानव समाज की देन हैं, जबकि वेद ईश्वर का शाश्वत ज्ञान है । आज समाज में नैतिक मूल्यों का जिस तेजी से अवमूल्यन हो रहा है ।  उसका मुलभुत कारण अध्यात्म विद्या से अनभिज्ञता और अज्ञानता है । इस अज्ञानता का उपचार धर्मग्रंथों की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार हैं । जिससे कि युवा पीढ़ी को सदाचारी बनाया जा सके ।*

*🚩हमारे पाठयक्रम में नैतिक मूल्यों को वर्तमान में ही कोई वरीयता नहीं मिलती । जो थोड़ी बहुत शिक्षाओं का प्रचार हो रहा हैं । उसे भी अनाप-शनाप बहाने बना कर रोकने की पूरी तैयारी हैं । याचिकाकर्ता का कहना है कि इन प्रार्थनाओं से मानसिक विकास रुक जाता हैं, जिससे भविष्य में वैज्ञानिक बुद्धि के विकास में रूकावट होगी ।  उक्त महोदय से पूछना चाहेंगे कि क्या वह यह बताएँगे कि क्या कोई भी आधुनिक मशीन यह सीखा सकती है कि हमें चरित्रवान होना चाहिए ।  हमें माता-पिता की सेवा करनी चाहिए । हमें अभावग्रस्त प्राणिमात्र की सहायता करनी चाहिए । हमें किसी को दुःख नहीं देना चाहिए । हमें किसी का शोषण नहीं करना चाहिए । हमें सत्य बोलना चाहिए-असत्य नहीं बोलना चाहिए । हमारा जन्म किसलिए हुआ है ? हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है ? नहीं । मानव जीवन से सम्बंधित एक भी समस्या का कोई भी समाधान एक मशीन से नहीं हो सकता। इससे तो यही सिद्ध हुआ कि केवल भौतिक प्रगति मनुष्य के जीवन की सभी समस्याओं के समाधान में असक्षम है । आध्यात्मिक ज्ञान में इन शंकाओं का समाधान हैं । मगर अपने दुराग्रह के चलते उन्हें मानने को,उन्हें अपनाने को ये महोदय तैयार नहीं हैं । उलटे अपनी इस दुराग्रही सोच को अन्यों पर थोपना भी चाहते हैं । धर्म संस्कृत भाषा का शब्द है । जोकि धारण करने वाली 'धृ' धातु से बना हैं । "धार्यते इति धर्म:" अर्थात जो धारण किया जाये वह धर्म है अथवा लोक परलोक के सुखों की सिद्धि के हेतु सार्वजानिक पवित्र गुणों और कर्मों का धारण व सेवन करना धर्म है । दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते है कि मनुष्य जीवन को उच्च व पवित्र बनाने वाली ज्ञानानुकुल जो शुद्ध सार्वजानिक मर्यादा पद्यति है। वह धर्म है। धर्म और मत/मज़हब में भेद को इस लेख के माध्यम से जाने ।*

*🚩 1. धर्म और मज़हब समान अर्थ नहीं है ।  और न ही धर्म ईमान या विश्वास का प्राय: है ।*

*2. धर्म क्रियात्मक वस्तु है।  मज़हब विश्वासात्मक वस्तु है।*

*🚩3. धर्म मनुष्य के स्वभाव के अनुकूल अथवा मानवी प्रकृति का होने के कारण स्वाभाविक है।  और उसका आधार ईश्वरीय अथवा सृष्टि नियम है। परन्तु मज़हब मनुष्य कृत होने से अप्राकृतिक अथवा अस्वाभाविक है। मज़हबों का अनेक व भिन्न-भिन्न होना तथा परस्पर विरोधी होना उनके मनुष्य कृत अथवा बनावती होने का प्रमाण हैं।*

*4. धर्म के जो लक्षण मनु महाराज ने बतलाये है । वह सभी मानव जाति के लिए एक समान है और कोई भी सभ्य मनुष्य उसका विरोधी नहीं हो सकता । मज़हब अनेक हैं ।  और केवल उसी मज़हब को मानने वालों द्वारा ही स्वीकार होते हैं। इसलिए वह सार्वजानिक और सार्वभौमिक नहीं है। कुछ बातें सभी मजहबों में धर्म के अंश के रूप में है।  इसलिए उन मजहबों का कुछ मान बना हुआ है।*

*🚩5. धर्म सदाचार रूप है।  अत: धर्मात्मा होने के लिये सदाचारी होना अनिवार्य है। परन्तु मज़हबी अथवा पंथी होने के लिए सदाचारी होना अनिवार्य नहीं है। अर्थात जिस तरह तरह धर्म के साथ सदाचार का नित्य सम्बन्ध है।  उस तरह मजहब के साथ सदाचार का कोई सम्बन्ध नहीं है । क्यूंकि किसी भी मज़हब का अनुनायी न होने पर भी कोई भी व्यक्ति धर्मात्मा (सदाचारी) बन सकता है। परन्तु आचार सम्पन्न होने पर भी कोई भी मनुष्य उस वक्त तक मज़हबी अथवा पन्थाई नहीं बन सकता । जब तक उस मज़हब के मंतव्यों पर ईमान अथवा विश्वास नहीं लाता । जैसे कि कोई कितना ही सच्चा ईश्वर उपासक और उच्च कोटि का सदाचारी क्यों न हो, वह जब तक हज़रत ईसा और बाइबिल अथवा हजरत मोहम्मद और कुरान शरीफ पर ईमान नहीं लाता तब तक ईसाई अथवा मुसलमान नहीं बन सकता ।*

*🚩6. धर्म ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है अथवा धर्म अर्थात धार्मिक गुणों और कर्मों के धारण करने से ही मनुष्य मनुष्यत्व को प्राप्त करके मनुष्य कहलाने का अधिकारी बनता है। दूसरे शब्दों में धर्म और मनुष्यत्व पर्याय है। क्यूंकि धर्म को धारण करना ही मनुष्यत्व है। कहा भी गया है- खाना,पीना,सोना,संतान उत्पन्न करना जैसे कर्म मनुष्यों और पशुओं के एक समान है। केवल धर्म ही मनुष्यों में विशेष है। जोकि मनुष्य को मनुष्य बनाता है। धर्म से हीन मनुष्य पशु के समान है। परन्तु मज़हब मनुष्य को केवल पन्थाई या मज़हबी और अन्धविश्वासी बनाता है। दूसरे शब्दों में मज़हब अथवा पंथ पर ईमान लेन से मनुष्य उस मज़हब का अनुनायी अथवा ईसाई अथवा मुस्लमान बनता है।  नाकि सदाचारी या धर्मात्मा बनता है।*

*🚩7. धर्म मनुष्य को ईश्वर से सीधा सम्बन्ध जोड़ता है और मोक्ष प्राप्ति निमित धर्मात्मा अथवा सदाचारी बनना अनिवार्य बतलाता है।  परन्तु मज़हब मुक्ति के लिए व्यक्ति को पन्थाई अथवा मज़हबी बनना अनिवार्य बतलाता है। और मुक्ति के लिए सदाचार से ज्यादा आवश्यक उस मज़हब की मान्यताओं का पालन बतलाता है। जैसे अल्लाह और मुहम्मद साहिब को उनके अंतिम पैगम्बर मानने वाले जन्नत जायेगे। चाहे वे कितने भी व्यभिचारी अथवा पापी हो जबकि गैर मुसलमान चाहे कितना भी धर्मात्मा अथवा सदाचारी क्यूँ न हो ।  वह दोज़ख अर्थात नर्क की आग में अवश्य जलेगा ।  क्यूंकि वह कुरान के ईश्वर अल्लाह और रसूल पर अपना विश्वास नहीं लाया है ।*

*🚩8. धर्म में बाहर के चिन्हों का कोई स्थान नहीं है।  क्यूंकि धर्म लिंगात्मक नहीं हैं -न लिंगम धर्मकारणं अर्थात लिंग (बाहरी चिन्ह) धर्म का कारण नहीं है। परन्तु मज़हब के लिए बाहरी चिन्हों का रखना अनिवार्य है। जैसे एक मुस्लमान के लिए जालीदार टोपी और दाड़ी रखना अनिवार्य है।*

*🚩9. धर्म मनुष्य को पुरुषार्थी बनाता है।  क्यूंकि वह ज्ञानपूर्वक सत्य आचरण से ही अभ्युदय और मोक्ष प्राप्ति की शिक्षा देता है।  परन्तु मज़हब मनुष्य को आलस्य का पाठ सिखाता है क्यूंकि मज़हब के मंतव्यों मात्र को मानने भर से ही मुक्ति का होना उसमें सिखाया जाता है ।*

*🚩10. धर्म मनुष्य को ईश्वर से सीधा सम्बन्ध जोड़कर मनुष्य को स्वतंत्र और आत्म स्वालंबी बनाता है।  क्योंकि वह ईश्वर और मनुष्य के बीच में किसी भी मध्यस्थ या एजेंट की आवश्यकता नहीं बताता। परन्तु मज़हब मनुष्य को परतंत्र और दूसरों पर आश्रित बनाता है क्यूंकि वह मज़हब के प्रवर्तक की सिफारिश के बिना मुक्ति का मिलना नहीं मानता । इस्लाम में मुहम्मद साहिब अल्लाह एवं मनुष्य के मध्य मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं ।*

*🚩11. धर्म दूसरों के हितों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति तक देना सिखाता है ।  जबकि मज़हब अपने हित के लिए अन्य मनुष्यों और पशुओं के प्राण हरने के लिए हिंसा रुपी क़ुरबानी का सन्देश देता हैं। वैदिक धर्म के इतिहास में ऐसे अनेक उदहारण है, जिसमें गौ माता की रक्षा के लिए हिन्दू वीरों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए ।*

*🚩12. धर्म मनुष्य को सभी प्राणी मात्र से प्रेम करना सिखाता है। जबकि मज़हब मनुष्य को प्राणियों का माँसाहार और दूसरे मज़हब वालों से द्वेष सिखाता है। जिहादी आतंकवादी इस बात का सबसे प्रबल प्रमाण है।*

*🚩13. धर्म मनुष्य जाति को मनुष्यत्व के नाते से एक प्रकार के सार्वजानिक आचारों और विचारों द्वारा एक केंद्र पर केन्द्रित करके भेदभाव और विरोध को मिटाता है।तथा एकता का पाठ पढ़ाता है। परन्तु मज़हब अपने भिन्न-भिन्न मंतव्यों और कर्तव्यों के कारण अपने पृथक पृथक जत्थे बनाकर भेदभाव और विरोध को बढ़ाते और एकता को मिटाते है । संसार में धर्म के नाम पर भेदभाव एवं फुट का यही कारण है ।*

*14. धर्म एक मात्र ईश्वर की पूजा बतलाता है । जबकि मज़हब ईश्वर से भिन्न मत प्रवर्तक/मनुष्य आदि की पूजा बतलाकर अन्धविश्वास फैलाते हैं।*

*🚩धर्म और मज़हब के अंतर को ठीक प्रकार से समझ लेने पर मनुष्य अपने चिंतन मनन से आसानी से यह स्वीकार करके के श्रेष्ठ कल्याणकारी कार्यों को करने में पुरुषार्थ करना धर्म कहलाता है।  इसलिए उसके पालन में सभी का कल्याण हैं। -डॉ विवेक आर्य*

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Wednesday, January 30, 2019

शिक्षा मंत्री ने जनता व राष्ट्र हित में लिया फैसला, मीडिया दे रही है धमकी

30 जनवरी  2019

🚩 *भारत की मीडिया इस हद तक गिर चुकी है कि जनता , न्यायालय, सरकार को क्या करना है क्या नहीं करना है ऐसे फैसले भी करने लगती है, अगर कोई जज या नेता जनता के हित में फैसला लेते हैं तो मीडिया उनके पीछे हाथ धोकर पड़ जाती है, दबाव बनाने लगती है जिससे कोई भी नेता जनता के हित के लिए कोई कार्य ही न करें ।*

🚩 *समाजिक कार्यकर्ता विकास खेमका जी का तो यहाँ तक कहना है कि मीडिया जिस दिन वेश्यावृत्ति और पत्रिकारिता में फर्क समझने लगेगी उसी दिन वे देश हित का मीडिया कार्य में सहयोग करने लगेगी ।*

🚩 *आपको बता दें कि वैलेंटाइन्स डे एक विदेशी त्यौहार है और उसे पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन इस पर मीडिया को कोई आपत्ति नहीं है बल्कि उसका  प्रचार प्रसार भी खूब जोर शोर से करती है, लेकिन अगर उस दिन कोई माता-पिता की पूजा करे तो मीडिया को आपत्ति हो रही है । इसके पीछे एक बड़ा राज ये है विदेशी कम्पनियों का भारत मे अरबों का व्यापार करना, उसमें से कुछ करोड़ मीडिया को दे देते हैं, जिसके कारण मीडिया पाश्चात्य संस्कृति का खूब प्रचार प्रसार करती है । जबकि कई देश वैलेंटाइन्स डे को बैन कर चुके है क्योंकि उस दिन झूठे प्यार के नाम पर लाखों कुंवारी लड़कियां गर्भवती हो जाती हैं, युवापीढ़ी बर्बादी के रास्ते चल पड़ती है ।*
🚩 *आपको बता दें कि दो दिन पहले गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासमा ने हिन्दू संत आसारामजी के आश्रम में 14 फरवरी को मातृ-पितृ दिवस के रूप में मनाए जाने की बधाई दी है । गुजरात के मंत्री का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जो गुजरात की सरकार के लिए गर्व की बात है जिससे युवापीढ़ी बर्बाद होने से बचेगी और लाखों-करोड़ों मां-बाप का आशीर्वाद मिलेगा ।*

🚩 *भूपेंद्र सिंह जी ने पत्र में लिखा है, 'आपकी संस्था 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाकर सराहनीय काम कर रही है । जो अपने माता-पिता और गुरु की सेवा करते हैं, वो अपने आप में सम्मानित हैं ।'*

*इसके आगे उन्होंने लिखा है, 'भारतीय संस्कृति में एक सूत्र है- मातृ देवो भव, पितृ देवो भव और आचार्य देवो भव- जो सबको प्रेरित करता है । आपकी संस्था ने एक नई पहल की है जिसके तहत 14 फरवरी 2019 को आपके आश्रम में मातृ-पितृ दिवस मनाया जाएगा । मैं उम्मीद करता हूं कि इस शुरुआत को बड़ी सफलता मिले और युवक-युवतियां अपने माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें ।'*

🚩 *अंत में उन्होंने लिखा,'मैं आपकी संस्था को इस नेक काम के लिए बधाई देता हूं ।' इस बारे में भूपेंद्र सिंह ने जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, यह बहुत छोटा मामला है, इसे बड़ा न बनाएं ।'*

🚩 *आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री ने भी 14 फरवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस को सरहाना करके बधाई दी है, वैसे ही छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) के कलेक्टर ने तो सभी स्कूलों तथा कॉलेजों में सार्वजनिक रूप से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिसव मानने की घोषणा की है ।*

🚩 *बता दें कि हिन्दू संत आसाराम बापू ने 2006 में वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन की शुरआत करवाई थी, तबसे लेकर आजतक करोड़ो लोगों के द्वारा देश-विदेश में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाता है । इस साल भी 14 फरवरी आने के पहले से ही मातृ-पितृ पूजन की देशभर में धूम मची है ।*

🚩 *आप जरा सोचिए कि जेल में बैठे-बैठे देश व जनता का हित सोचकर 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन जैसा महान कार्य करवाने वाले महान हैं या विदेशी त्यौहार वैलेंटाइन्स डे का प्रचार प्रसार करके देश में गंदगी फैलाकर युवक-युवतियों का पतन करके मां-बाप को छोड़कर अपने लवर-लवरियो के साथ घूमने की बात सिखाने पढ़ाने वाली मीडिया महान है?*

🚩 *यही मीडिया हमारे त्यौहार होली, दिवाली, जन्माष्टमी का विरोध करती है और अंग्रेजों का न्यू ईयर 1 जनवरी का जश्न मनाती है, यही मीडिया फ्रेंडशिप डे, चॉकलेट दे को प्रमोट करती है, यही मीडिया गंदे विज्ञापन देती है, अश्लीलता परोसती है लेकिन कोई माता-पिता का पूजन करने को बोले तो उसका विरोध करती है । मीडिया का असली चेहरा सबके सामने आ गया है यही भारतीय संस्कृति को तोड़कर भारत में विदेशी सत्ता की स्थापना करना चाहती है ।*

🚩 *मीडिया को यह चुभ रहा था कि हिन्दू संत आसाराम बापू को सजा हो गई फिर भी मातृ-पितृ पूजन दिवस क्यों मना रहे है, लेकिन आपको बता दें कि सलमान खान को हिट एंड रन और काले हिरण हत्या केस में सेशन कोर्ट ने सजा सुना दी थी तब तो मीडिया सलमान खान के पक्ष में बोल रही थी एक भी शो बंद करने की मांग नहीं की, फिर उन्हें हाइकोर्ट से तुंरत जमानत भी मिल गई, लेकिन धर्मान्तरण पर रोक लगाने वाले हिन्दू संत आसाराम बापू के केस में 5 साल तक ट्रायल चला उसमें भी जमानत नहीं मिल पाई और सजा होने के बाद भी नहीं मिल पाई इससे साफ होता है कि राष्ट्रविरोधी ताकतें उन्हें बाहर नहीं आना देना चाहती हैं ।*

🚩 *आपको बता दें कि हिन्दू संत आसाराम बापू करीब 5 साल 3 महीने से जोधपुर जेल में बंद हैं उनको सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है, लेकिन हाईकोर्ट में उन्होंने सेशन कोर्ट की सजा के खिलाफ चैलेंज किया है, हाईकोर्ट ने उनकी अपील स्वीकार भी कर ली है । भक्तों का कहना है कि वहाँ से वे निर्दोष छूट जायेंगे । क्योंकि उनके पक्ष में अनेक सबूत भी है….*

1. *आरोप लगाने वाली लड़की घटना बताती है राजस्थान के जोधपुर की, रहने वाली थी उत्तर प्रदेश की, पढ़ती थी मध्यप्रदेश में और तथाकथित छेड़छाड़ की घटना के 5 दिन बाद FIR करवाई गई ।  वो भी जोधपुर की घटना बताकर FIR जोधपुर से 600 कि.मी.दूर दिल्ली में रात्रि 2:45 बजे ।*

🚩2. *जिस रजिस्टर में लड़की की घटना लिखी थी उस हेल्पलाइन रजिस्टर के कई पन्ने संदिग्ध तरीके से फाड़े गए ।*

3. *में F.I.R. लिखते समय की गई वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई, जो आज तक न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की गई ।*


🚩4. *मेडिकल में भी लड़की के शरीर पर एक खरोंच का भी निशान नहीं पाया गया ।*

5. *लड़की की कॉल डिटेल से स्पष्ट हुआ कि घटना की रात लड़की किसी संदिग्ध व्यक्ति से फोन द्वारा संपर्क में थी ।*

🚩6. *तथाकथित घटना के समय बापू आसारामजी एक मँगनी कार्यक्रम में व्यस्त थे, लड़की कुटिया में गई ही नहीं ।*

*बता दें कि जब लड़की कुटिया में गई ही नहीं, मेडिकल में कोई प्रूफ है नहीं, फिर भी उम्रकैद सजा देना ये आश्चर्यजनक है ।*

🚩 *आपको बता दें कि उनपर आरोप लगने से पहले उनके आश्रम में फैक्स आया था कि पचास करोड़ दो नहीं तो जेल जाओ और चूंकि आसाराम बापू ने पैसे नहीं दिए उसके बाद ये पूरी घटना हुई ।*

🚩 *बता दें कि डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कई बार खुलासा किया है कि बापू आसारामजी को धर्मपरिवर्तन पर रोक लगाने और लाखों हिन्दुओं की घरवापसी कराने के कारण षडयंत्र के तहत जेल भिजवाया गया है ।*

🚩 *गौरतलब है कि बापू आसारामजी का समाज व देशहित के सेवाकार्यों में अतुलनीय योगदान रहा है जिसकी भूरी-भूरी प्रशंसा बड़ी-बड़ी सुप्रसिद्ध हस्तियों ने उनके आश्रम को प्रशस्ति पत्र देकर की है । राष्ट्रविरोधी ताकतों को यह रास न आया और उन्हें षड्यंत्रपूर्वक जेल भेजा गया ।*

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Tuesday, January 29, 2019

मुम्बई में उल्हासनगर बन रहा है ईसाई नगर, 2 लाख हिन्दू बनाये गए ईसाई

29 जनवरी  2019


🚩हिन्दू बहुसंख्यक देश में हिन्दुओं का इस प्रकार से खुलेआम धर्मांतरित होना, यह अभीतक के शासनकर्ताओं द्वारा हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न देने का ही गंभीर परिणाम है ! यह अबतक के शासनकर्ताओं के लिए लज्जाप्रद है ! इस स्थिति को बदलने के लिए अब हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए ।

🚩जिस सिंधी समुदाय ने अखंड हिन्दुस्तान के विभाजन के समय हिन्दू धर्म जीवित रहे; इसके लिए पाकिस्तान में स्थित अपनी भूमि, संपत्ति और सबकुछ त्याग दिया, वही सिंधी समुदाय अब ईसाईयों के लालच की बलि चढ़ रहा है और उच्चवर्गीय सिंधीवर्ग अब मिशनरियों का प्रचार कर रहा है, यह दुर्भाग्यजनक स्थिति बन गई है ।
🚩उल्हासनगर में धर्मांतरण की घटनाओं को रोकना अब स्थानीय हिन्दुओं के नियंत्रण के बाहर जा चुका है । यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही, तो आनेवाले कुछ वर्षों में यहां के सिंधी अर्थात हिन्दू नष्ट होकर उल्हासनगर को महाराष्ट्र के पहले ईसाई नगर के रूप में घोषित होने में समय नहीं लगेगा ।

🚩मुंबई : ठाणे जनपद का उल्हासनगर अब ईसाई मिशनरियों के लिए धर्मांतरण का अड्डा बन गया है । विगत 5-6 वर्षों से षड्यंत्र के अंतर्गत यहां के लाखों हिन्दुओं का धर्मांतरण किया गया है । स्थानीय सिंधी संगठन और प्रतिनिधियों ने यह चौंका देनेवाली जानकारी दी है कि मिशनरियों ने यहां के बहुसंख्यक सिंधी समुदाय को अपना लक्ष्य बनाया है और विगत 5-6 वर्षों में यहां के 28 हजार परिवारों के डेढ़ लाख से भी अधिक सिंधी लोगों का धर्मांतरण किया गया है । यहां के सिंधी समुदाय के इस धर्मांतरण को अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र कहा जा रहा है ।

🚩स्थानीय लोगों ने यह जानकारी दी कि, उल्हासनगर में जमीन के भाव बहुत अधिक होते हुए भी इस परिसर में 18 बड़े चर्चों का निर्माण किया गया है । नगर में ईसाई मिशनरियों ने अपना इतना बड़ा जाल बनाया है कि इस क्षेत्र में कुल 25 से भी अधिक छोटे-बड़े चर्च और 100 से भी अधिक प्रार्थनास्थल बनाए गए हैं । वास्तव में गूगल पर खोजनेपर इस परिसर के 17 चर्चों के नाम उपलब्ध हुए हैं । वर्ष 1947 में देश के विभाजन के समय, इसके लिए सिंधी समुदाय भारत में आ गया । ईसाई मिशनरियों द्वारा विगत कुछ वर्षों से सिंधी समुदाय का अत्यंत नियोजनतापूर्वक तथा गुप्त पद्धति से धर्मांतरण किया जा रहा है । इस विषय में यहां के पत्रकार और सूचना अधिकार कार्यकर्ता श्री. सत्यम पुरी ने यहां की भयावह वास्तविकता बताते हुए कहा कि, उल्हासनगर के अधिकांश परिवार का न्यूनतम एक तो व्यक्ति ईसाई बन ही गया है ।

*🚩ईसाईयों द्वारा बांटी गई पत्रिकाएं-*

1. यहां के अनेक लोगों ने यह बताया कि ये धर्मांतरित सिंधी लोग अपने समुदाय के अन्य लोगों को भी धर्मांतरित होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं । यहां के जो व्यापारी और उनके परिवार ईसाई बन गए हैं, वे ईसाई पंथ के प्रचार हेतु अपने प्लैट, जमीन, साथ ही अपनी गाड़ियाँ भी ईसाई मिशनरियों को उपलब्ध करा रहे हैं ।

2. धर्मांतरित सिंधी व्यापारी वर्ग और उच्चस्तर के सिंधी लोग अपने परिजन और समुदाय के अन्य लोगों को भी धर्मांतरण के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ।

3. स्थानीय हिन्दू इन धर्मांतरण की घटनाओं के विरुद्ध वैधानिक पद्धति से संघर्ष कर रहे हैं; परंतु उनके प्रयास कम पड़ रहे हैं ।

*🚩धर्मांतरित सिंधी स्वयं का नाम न बदलकर सिंधी लड़कियों से विवाह कर उनसे कर रहे हैं धोखाधड़ी-*

श्री. सत्यम पुरी ने बताया कि सिंधी समुदाय में लड़कियों की संख्या लड़कों की संख्या की अपेक्षा कम है । ये लड़कियां इन धर्मांतरित सिंधी लड़कों के साथ विवाह करने राजी नहीं होती; इसलिए ईसाई प्रिस्ट इन धर्मांतरित सिंधी युवकों को अपना पहले का ही नाम चालू रखने के लिए कहते हैं । उसके कारण उनसे विवाह करनेवाली लड़कियों को विवाह के पश्‍चात उसके पति द्वारा ईसाई पंथ का स्वीकार करने की बात ज्ञात होती है । तत्पश्‍चात ये धर्मांतरित युवक अपनी पत्नी पर धर्मांतरण के लिए दबाव बनाते हैं । इस प्रकार की घटनाएं आज घर-घर में हो रही हैं ।

*🚩झूठे चमत्कार बताकर किया जाता है धर्मांतरण-*

 उल्हासनगर के निकट ही ताबोर आश्रम नामक एक ईसाई संस्था की स्थापना की गई है । यह तथाकथित आश्रम धर्मांतरण का बड़ा केंद्र बन गया है । साथ ही, नगर के विविध स्थानोंपर अंधविश्‍वास फैलानेवाले कार्यक्रम निरंतर चालू रहते हैं । ऐसे कार्यक्रमों के प्रचार के अंतर्गत विविध स्थानों पर ‘अपाहिज व्यक्ति चल सकेगा, अंधा देख पाएगा और इसके लिए ईसा मसीह के शरण में आएं’, ऐसे वाक्य छपे हुए पोस्टर्स लगाए हुए दिखाई देते हैं । (क्या महाराष्ट्र की अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति को यह अंधश्रद्धा नहीं दिखाई देती ?  या उन्हें ईसाईयों के विरुद्ध कुछ बोलना नहीं है ? – संपादक) ऐसा होते हुए भी प्रशासन की ओर से ऐसे अंधविश्‍वास फैलानेवाले कार्यक्रमों के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही होते हुए नहीं दिखाई देती । विविध चैनलों से इन कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण भी किया जाता है ।

*🚩धर्मांतरित धनवान लोगों द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण का मिशनरियों का षड्यंत्र-*

 मिशनरियों द्वारा धनवान सिंधी लोगों का धर्मांतरण कर उन्हें आसपास के गांवों में वहां के आदिवासी और निर्धन लोगों के धर्मांतरण के लिए भेजा जाता है । उल्हासनगर के धनवान लोगों द्वारा किए गए धर्मांतरण का उदाहरण प्रस्तुत कर ये धर्मांतरित सिंधी लोग निर्धन लोगों का धर्मांतरण करते हैं ।


*🚩धर्मांतरण का विरोध करनेवालों को झूठे अपराधों के प्रकरणों में फंसाया जा रहा है-*

🚩जानकारी के लिए बता दें कि यहां के एक बस्ती में जब धर्मान्तरण चल रहा था, तब वहां के स्थानीय हिन्दुओं ने उसका वैधानिक पद्धति से विरोध किया । तब ईसाई लोगों ने पुलिस थाने में हिन्दुओं के विरुद्ध उनका कार्यक्रम बिखेर देने का तथा हिन्दुओं द्वारा गालीगलोच किए जाने का झूठा परिवाद प्रविष्ट कर हिन्दुओं पर दबाव बनाने का प्रयास किया ।

🚩विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन यहां के धर्मांतरण की इन गंभीर घटनाओं का वैधानिक पद्धति से विरोध कर रहे हैं । स्थानीय हिन्दुत्वनिष्ठ धर्मांतरण के कार्यक्रम के विषय में पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट करना, जिस स्थानपर ये कार्यक्रम किए जाते हैं, उस स्थान के मालिकों का उद्बोधन करना जैसे प्रयास कर रहे हैं; परंतु उसकी अनदेखी कर धर्मांतरण की घटनाएं चल ही रही हैं । आज इस समस्या ने अत्यंत गंभीर रूप धारण किया है ।

सरकार का इसपर ध्यान न देना मतलब खुद का भी वोट बैंक कम करना हुआ, ईसाई बन जायेंगे तो हिंदू पार्टी को ही वोट कम जाएंगे।

 🚩स्वामी विवेकानंद कहते थे कि एक हिंदू अगर धर्मान्तरित होता है तो एक हिंदू कम हुआ नही बल्कि हिंदू समाज का एक दुश्मन बढ़ा इसलिए सरकार इस पर सख्त कमद उठाना चाहिये और ईसाई मिशनरियों का गोरखधंधा बंद करवा देना चाहिए ।

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