Wednesday, January 16, 2019

बलात्कार आरोपी पादरी बिशप का विरोध करने वाली 4 नन को निकाला

16 जनवरी  2019

🚩अनगिनत बार ईसाइयों का पवित्रस्थल चर्च यौन उत्पीड़न के मामलों से भी कलंकित हुआ है । हाल ही के वर्षों में भारत सहित शेष विश्व में जिस तीव्र गति से इस तरह के मामले सामने आए हैं उससे स्पष्ट है कि रूढ़िवादी सिद्धांत, परंपराओं और प्रथाओं के नाम पर चर्च या फिर अन्य कैथोलिक संस्थाएं महिलाओं व बच्चों के यौन शोषण के अड्डे बन गए हैं । चर्च अपने पादरियों व ननों के ब्रह्मचर्यव्रती होने का दावा करता है किन्तु यथार्थ यही है कि दैहिक जरूरतों कि पूर्ति न होने के कारण अधिकतर कुंठित हो जाते हैं । यहां बाल यौन शोषण से लेकर समलिंगी यौन संबंध आम बात है । जब भी इस तरह की घटना जहां कहीं भी प्रकाश में आती है चर्च अपने ब्रह्मचर्य विधान पर ऐसी घटनाओं के बारे में सूचित कर उसका समाधान खोजने के विपरीत उसे दबाने की कोशिश में जुट जाता है । 

🚩अभी हाल ही में जालंधर के ईसाई पादरी बिशप फ्रैंको मुलक्कल ने केरल की नन के साथ 2014 से 2016 के बीच कई बार बलात्कार किया ऐसा आरोप लगाया गया  । उसके खिलाफ कई ननों ने फ्रैंको के खिलाफ अभियान चलाया जिसके तहत उसे जेल जाना पड़ा था ये बात और है कि मात्र 21 दिनों में ही उसे बेल मिल गयी ।

🚩केरल के बहुचर्चित नन रेप मामले में आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल का विरोध करने वाली पांच में से चार नन को हटा दिया गया है । इन सबको कोट्टम के कॉन्वेंट से बाहर जाने के लिए कह दिया गया है । विरोध करने वाली सिस्टर अनुपमा, सिस्टर एनसिटा, सिस्टर एल्फी और सिस्टर जॉसफाइन को तुरंत वापस पुराने कॉन्वेंट में जाने को कह दिया गया है ।

🚩इनमे से एक नन ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ रेप करने की शिकायत दर्ज की थी । बाद में इन सभी नन ने मुलक्कल की गिरफ्तारी को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था । चारों नन को तबादला पत्र थमाते हुए अलग-अलग कॉन्वेंट में जाने को कहा गया है ।

🚩बता दें कि नन ने 54 साल के बिशप पर 2014 से 2016 के बीच बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था । जून में कोट्टयाम पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में नन ने आरोप लगाया था कि बिशप ने मई 2014 में कुराविलंगाड गेस्ट हाउस में उनका बलात्कार किया और बाद में भी यौन शोषण करते रहे ।

तीन दिनों की पूछताछ के बाद मुलक्कल को पिछले साल 21 सितंबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था । बाद में 24 सितंबर को बलात्कार आरोपी फ्रैंको को दो हफ्ते की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था । बाद में उच्च न्यायालय ने आरोपी फ्रैंको मुलक्कल को सशर्त जमानत दे दी थी । स्त्रोत : न्यूज 18

🚩4 ननों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर कान्वेंट से बाहर किया लेकिन अब कोई भी बॉलीवूड फेमिनीस्ट या महिला अधिकार गैंग इनके बचाव में आवाज उठाने आगे नहीं आई और आएँगे भी क्यों  ये तो केवल सबरीमला जैसे हिन्दुओं के मुद्दों पर बोलते हैं !

🚩जब भी हिन्दू साधु-संतों से जुड़ी खबरें सामने आती हैं वे एकाएक सार्वजनिक विमर्श का हिस्सा बन जाती हैं किन्तु अन्य मजहबों से संबंधित मामलों में सन्नाटा पसरा मिलता है ऐसा क्यों ?
विश्व में कैथोलिक पादरियों द्वारा हजारों यौन उत्पीडऩ के मामले सामने आ चुके हैं । अकेले 2001-10 के कालखंड में 3 हजार पादरियों पर यौन उत्पीड़न और कुकर्म के आरोप लग चुके हैं जिनमें अधिकतर मामले 50 साल या उससे अधिक पुराने हैं । रोमन कैथोलिक चर्च एक कठोर सामाजिक संस्था है जो हमेशा अपने विचार और विमर्श को गुप्त रखती है । अपनी नीतियां स्वयं बनाती है और मजहबी दायित्व कि पूर्ति कठोरता से करवाती है । जब कोई पादरी कार्डिनल बनाया जाता है तो वह पोप के समक्ष वचन लेता है, ‘‘वह हर उस बात को गुप्त रखेगा जिसके प्रकट होने से चर्च कि बदनामी होगी या नुक्सान पहुंचेगा ।’’ इन्हीं सिद्धांतों के कारण पादरियों, बिशप और कार्डिनलों द्वारा किए जाते यौन उत्पीड़न के मामले दबे रह जाते हैं और चर्च या फिर अन्य कैथोलिक संस्थाओं को बदनामी से बचाना मजहबी कर्तव्य बन जाता है । 

🚩आपको बता दें कि पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने और उनके ऊपर झूठे मुकदमे चलाने के लिए विदेशी ताकतें काम कर रही हैं जो भारत से हिन्दू धर्म को मिटाने के लिए कार्य कर रहे है इसलिए ईसाई पादरियों के कुकर्म छुपाते है और हिन्दू धर्मगुरुओं को बदनाम करते हैं  ।

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