09 March 2025
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🚩भारतीय दर्शन और आयुर्वेद के अनुसार, संपूर्ण सृष्टि पंचमहाभूतों (पाँच तत्वों) से बनी है। ये तत्व केवल भौतिक दुनिया के नहीं बल्कि मानव शरीर, मन और आत्मा के भी मूलभूत घटक हैं। यदि इनमें असंतुलन आ जाए तो शारीरिक और मानसिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। अतः इनका संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
🚩पंचमहाभूत और उनका महत्व
🔹पृथ्वी तत्व (Earth Element) – स्थिरता और पोषण
🔹जल तत्व (Water Element) – तरलता और प्रवाह
🔹अग्नि तत्व (Fire Element) – ऊर्जा और परिवर्तन
🔹वायु तत्व (Air Element) – गति और संचार
🔹आकाश तत्व (Ether Element) – अनंतता और चेतना
🚩हाथ, हस्त मुद्राएँ और पंचमहाभूतों का संबंध
👉🏻उंगली ...तत्व , गुण, मुद्रा संतुलन
🔸अंगूठा ...
अग्नि (Fire) ऊर्जा, पाचन, आत्मविश्वास , सूर्य मुद्रा, अग्नि मुद्रा
🔸 तर्जनी ...
वायु (Air) विचार, रचनात्मकता, गति , वायु मुद्रा
🔸मध्यमा ...
आकाश (Ether) चेतना, आत्मज्ञान, शांति आकाश मुद्रा
🔸अनामिका ...
पृथ्वी (Earth) स्थिरता, मजबूती, सहनशक्ति पृथ्वी मुद्रा
🔸 कनिष्ठा ..
जल (Water) प्रेम, करुणा, भावनाएँ जल मुद्रा
🚩निष्कर्ष
पंचमहाभूत केवल सृष्टि ही नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व का भी आधार हैं। इनका संतुलन बनाए रखने के लिए उचित खान-पान, योग, ध्यान और हस्त मुद्राओं का अभ्यास आवश्यक है।
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