Friday, December 13, 2024

आवंला : - एक अमृत फल

 13 December 2024

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🚩 आवंला : - एक अमृत फल


🚩जिस दिन आपकी सब्ज़ी में आंवले का उपयोग होना शुरू हो गया उस दिन से आधा मेडिकल माफिया जो आपको दिन रात लुटता रहता है, वह भाग जाएगा। 


 🚩सनातन भारत में सब्जी में खट्टापन लाने के लिये टमाटर के स्थान पर आंवले का प्रयोग होता था । इसलिये सनातन हिंदुओ की हड्डियां महर्षि दधीचि की तरह कठोर होती थीं ,इतनी मजबूत होती थी कि महाराणा प्रताप का महावज़नी भाला उठा सकतीं थी।

आज तमाम तरह के कैल्शियम विटामिन्स खाने के बाद भी जवानी में ही हड्डियां कीर्तन करने लगती हैं।


🚩जिस मौसम में देशी टमाटर मिले तो ठीक लेकिन अंडे जैसे आकार के अंग्रेजी टमाटर खाने के स्थान पर आंवले का प्रयोग आपकी सब्ज़ी को स्वादिष्ट भी बनाएगा और आपको मेडिकल माफिया के मकड़जाल से भी बाहर निकालेगा।


🚩आंवला ही एक ऐसा फल है जिसमे सब तरह के रस होते है । जैसे आंवला , खट्टा भी है मीठा भी कड़वा भी है नमकीन भी । आँवले का सनातन संस्कृति में 

 इतना महत्व है कि दीपावली के कुछ दिन बाद आँवला नवमी मनाई जाती है।


🚩आपको करना केवल इतना है कि साबुत या कटा हुआ आँवला ,बिना बच्चों और आधुनिक सदस्यों को बताए सब्ज़ी में डाल देना है। अगर आँवला साबुत डाला है तो सब्ज़ी बनने के बाद उसको ऐसे ही खा सकतें है ।


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Thursday, December 12, 2024

#MenToo: निर्दोष पुरुषों के अधिकारों की रक्षा का आंदोलन

 12 December 2024

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#MenToo: निर्दोष पुरुषों के अधिकारों की रक्षा का आंदोलन


🚩हमारे समाज में महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा को प्राथमिकता देना अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि झूठे आरोपों के सहारे निर्दोष पुरुषों को निशाना बनाया जा रहा है। यह समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि इसे #MenToo आंदोलन के रूप में पहचाना जा रहा है।


🚩अतुल का मामला: निर्दोषता पर प्रश्नचिह्न


हाल ही में अतुल का मामला #MenToo आंदोलन की प्रासंगिकता को और गहराई से उजागर करता है।

क्या हुआ था?

अतुल पर उनकी पत्नी ने घरेलू हिंसा समेत 9 केस किया और परेशान किया । 

परिणाम:

इस झूठे आरोप ने अतुल की प्रतिष्ठा, पारिवारिक जीवन और मानसिक स्वास्थ्य को गहरा नुकसान पहुंचाया। यह दिखाता है कि झूठे आरोप किस हद तक किसी निर्दोष व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर सकते हैं। महिला रक्षण के कानूनों के दुरूपयोग का यह ताजा उदहारण है |


🚩संत श्री आशारामजी बापू का मामला


🚩संत श्री आशारामजी बापू पर भी झूठे आरोप लगाए गए, जिनका उद्देश्य उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना था।

मीडिया ट्रायल:

मीडिया ने पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग कर लोगों को गुमराह किया।

🚩अन्य निर्दोष संतों पर झूठे आरोप

1. स्वामी नित्यानंद:

झूठे आरोप और मीडिया ट्रायल के कारण उनकी प्रतिष्ठा को भारी नुकसान हुआ।

2. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर:

झूठे आतंकवाद के आरोपों ने उनके जीवन को अत्यंत कठिन बना दिया।

3. जगतगुरु कृपालु महाराज:

उनके खिलाफ भी झूठे आरोप लगाए गए, लेकिन बाद में न्यायालय ने उन्हें निर्दोष पाया।


कानून का दुरुपयोग: निर्दोषों के खिलाफ साजिश


महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून, जैसे दहेज़ और यौन उत्पीड़न के कानूनों का कई बार झूठे आरोप लगाने के लिए दुरुपयोग किया गया है।

निर्दोष व्यक्ति को जेल में डालना।

उनकी सामाजिक और मानसिक स्थिति को नुकसान पहुंचाना।

उनके परिवार और रिश्तों को तोड़ना।


🚩झूठे आरोपों के खिलाफ मानवाधिकारों की सुरक्षा


🚩कानून में सुधार की आवश्यकता है ताकि निर्दोष पुरुषों के अधिकारों और मानवाधिकारों की रक्षा की जा सके:

1. निष्पक्ष जांच:

बिना ठोस सबूत के किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने की प्रक्रिया पर रोक लगनी चाहिए।

2. झूठे आरोप लगाने वालों पर सख्त कार्रवाई:

जो लोग झूठे आरोप लगाते हैं, उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि कानून का दुरुपयोग रोका जा सके।

3. गोपनीयता का अधिकार:

जांच पूरी होने तक आरोपी का नाम और पहचान सार्वजनिक न की जाए।

4. मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य की सुरक्षा:

झूठे आरोपों के कारण पीड़ित को हुए मानसिक और सामाजिक नुकसान की भरपाई के लिए उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।

5. मीडिया की जवाबदेही:

मीडिया को निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए।

झूठी खबरें फैलाने पर मीडिया संस्थानों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

6. लिंग-निरपेक्ष कानून:

सभी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कानून को लिंग-निरपेक्ष बनाया जाना चाहिए।

7. मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष न्यायिक आयोग:

झूठे मामलों की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग का गठन किया जाए।


🚩निष्कर्ष


पुरुषों के खिलाफ झूठे आरोप यह दिखाते हैं कि महिला सुरक्षा के कानून का दुरूपयोग न हो ऐसे कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। #MenToo आंदोलन इस दिशा में समाज को जागरूक करने का प्रयास है।

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Wednesday, December 11, 2024

गीता का अद्भुत ज्ञान

 11 December 2024

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🚩गीता का अद्भुत ज्ञान

(गीता जयंती पर विशेष लेख)


🚩गीता, जो महाभारत के भीष्म पर्व के अंतर्गत आती है, केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि जीवन जीने की अद्भुत कला सिखाने वाली प्रेरणा स्रोत है। यह वो दिव्य ज्ञान है जो भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्धक्षेत्र में अर्जुन को दिया था। गीता जयंती, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया गया था।


🚩गीता का इतिहास और महत्व


गीता का जन्म तब हुआ जब धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष चल रहा था। जब अर्जुन ने अपने धर्म और कर्तव्य को लेकर संशय व्यक्त किया, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें आत्मा, कर्म, धर्म और मोक्ष का दिव्य ज्ञान दिया। गीता 700 श्लोकों का एक ऐसा ग्रंथ है जो हर युग और हर परिस्थिति में मानवता का मार्गदर्शन करता है।


🚩गीता के ज्ञान का सार यह है कि इंसान को अपने कर्तव्यों का पालन बिना फल की चिंता किए करना चाहिए। यह जीवन में संतुलन, समर्पण और स्थिरता का महत्व बताती है।


🚩गीता के प्रमुख उपदेश


🕉️ कर्मयोग:

श्रीकृष्ण ने कहा - “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”

इसका अर्थ है कि व्यक्ति का अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर नहीं। इसलिए कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो।


🕉️भक्तियोग:


श्रीकृष्ण ने भक्ति को जीवन का आधार बताया। उन्होंने कहा कि सच्चे भाव और समर्पण से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है।


🕉️ ज्ञानयोग:


गीता आत्मा और परमात्मा का भेद समझाती है। यह सिखाती है कि आत्मा अमर है और शरीर नश्वर।


🕉️ संतुलित जीवन का संदेश:


गीता में बताया गया है कि जीवन में संतुलन बनाना जरूरी है। न अधिक भोजन करें, न अधिक उपवास; न अधिक सोएं, न अधिक जागें।


🚩आधुनिक युग में गीता का महत्व


आज के तनावपूर्ण जीवन में गीता का ज्ञान अधिक प्रासंगिक हो गया है। यह आत्म-विश्वास, मन की स्थिरता और सही निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करती है। गीता का संदेश हर व्यक्ति को यह समझने में मदद करता है कि सच्चा सुख भौतिक चीज़ों में नहीं बल्कि आत्मा की शांति में है।


🚩संत श्री आशारामजी बापू और गीता का प्रचार


संत श्री आशारामजी बापू ने हमेशा गीता के महत्व को समाज तक पहुँचाने का कार्य किया है। बापूजी के सत्संग में गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाया जाता है ताकि हर व्यक्ति इसे अपने जीवन में उतार सके। बापूजी ने गीता पाठ के लाभ बताए हैं, जैसे कि यह मन को शांत करता है, बुरे विचारों को दूर करता है और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।


🚩गीता जयंती का उत्सव


गीता जयंती पर गीता का पाठ, श्रीकृष्ण का भजन, ध्यान और दान करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन गीता के संदेशों को आत्मसात कर हम अपने जीवन को आध्यात्मिक और सार्थक बना सकते हैं।


🚩निष्कर्ष


श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा अमूल्य ग्रंथ है जो हर व्यक्ति को जीवन की सच्चाई से परिचित कराता है। गीता जयंती का दिन हमें यह याद दिलाता है कि हम अपने कर्तव्यों का पालन करें, आत्मा की शुद्धता पर ध्यान दें और भगवान के प्रति समर्पण रखें।


इस गीता जयंती पर आइए, गीता के अद्भुत ज्ञान को अपने जीवन में अपनाएँ और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हों।


“गीता का ज्ञान, जीवन का सच्चा मार्गदर्शन।”


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Tuesday, December 10, 2024

बांग्लादेश के हिंदुओं के प्रति उदासीनता पर चिंतन

 10 December 2024

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🚩बांग्लादेश के हिंदुओं के प्रति उदासीनता पर चिंतन


🚩बरेली में आज बांग्लादेश से जुड़े हिंदू सम्मेलन में उठाए गए प्रश्न और उनके मंचन की रोक ने एक गंभीर मुद्दे को सामने रखा है। यह प्रकरण दिखाता है कि हिंदुओं के प्रति संवेदनशील मुद्दों को किस तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।


🚩निम्नलिखित बिंदु इस स्थिति पर गहराई से चिंतन के लिए प्रस्तुत हैं 


🔅भारत सरकार का विरोध दर्ज न करना:


दिल्ली स्थित बांग्लादेशी हाई कमिश्नर को बुलाकर हिंदुओं के नरसंहार पर स्पष्ट विरोध क्यों नहीं किया गया? यह चुप्पी हिंदुओं के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाती है।


🔅शरणार्थी हिंदुओं पर रोक:


अपनी जान बचाकर भारत आने वाले बांग्लादेशी हिंदुओं को भारत में प्रवेश क्यों नहीं दिया गया, जबकि रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को भारत में घुसने की पूरी छूट है?


🔅 ढाका उच्चायोग की निष्क्रियता:


बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार के बावजूद ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग खामोश क्यों है? वह उनकी मदद के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठा रहा?


🔅 बांग्लादेश को रियायतें जारी:


बांग्लादेश को फ्री बिजली, डीजल, मशीनरी, खनिज पदार्थ, और अन्य संसाधनों की आपूर्ति जारी रखने का औचित्य क्या है, जब वहां हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं?


🔅 रेल और बस सेवाएं:


भारत ने बांग्लादेश को रेल और बस सेवाएं क्यों जारी रखी हैं, जबकि वहां हिंदू समुदाय संकट में है?


🔅मुसलमानों को वीजा सुविधा:


बांग्लादेशी हिंदुओं को भारत आने से रोका जा रहा है, लेकिन बांग्लादेशी मुसलमानों को फ्री इलाज और भ्रमण के लिए वीजा क्यों जारी किया जा रहा है?


🔅भारत सरकार की चुप्पी:


बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या, लूटपाट और बलात्कार जैसी घटनाओं पर भारत सरकार क्यों खामोश है?


🚩संघ और विहिप की भूमिका पर प्रश्न:


उक्त सम्मेलन में इन मुद्दों को मंच से उठाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई? यदि ये प्रश्न हिंदुओं के हित में हैं, तो आयोजक इन बिंदुओं को सार्वजनिक चर्चा से क्यों बचा रहे हैं?


🚩निष्कर्ष: 

इस पूरे मामले से स्पष्ट है कि हिंदुओं के साथ हो रहे अन्याय को लेकर सरकार और समाज के कुछ हिस्सों में गंभीरता की कमी है। यह स्थिति चिंतन का विषय है कि कौन किसे ठग रहा है और किस उद्देश्य से हिंदुओं के अधिकारों और सुरक्षा की उपेक्षा की जा रही है।


गिरधारीलाल गोयल


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Monday, December 9, 2024

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: एक गंभीर समस्या

 09 December 2024

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🚩बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: एक गंभीर समस्या


🚩बांग्लादेश, जो कभी भारत का हिस्सा था, 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। इस देश ने अपने संविधान में धर्मनिरपेक्षता का वादा किया, लेकिन समय के साथ वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और उत्पीड़न की घटनाएँ बढ़ती गईं। आज यह समस्या न केवल हिंदुओं की पहचान को संकट में डाल रही है, बल्कि मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक स्पष्ट उदाहरण बन चुकी है।


🚩बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति


🔅 संख्या में गिरावट:


🔸बांग्लादेश में कभी हिंदू समुदाय कुल जनसंख्या का 22% था, जो अब घटकर लगभग 8% रह गया है।


🔸लगातार हो रहे अत्याचार, जबरन धर्मांतरण, और सुरक्षा की कमी के कारण हिंदुओं को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा।


🔅 संपत्ति और मंदिरों पर हमले:


🔸 हिंदू परिवारों की ज़मीन और संपत्ति जबरन कब्जा कर ली जाती है।


🔸मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों को तोड़ने और अपवित्र करने की घटनाएँ आम हो चुकी हैं।


🔸दुर्गा पूजा और अन्य हिंदू त्योहारों के दौरान हिंसा की घटनाएँ अक्सर देखने को मिलती हैं।


🔅 महिलाओं पर अत्याचार:


🔸हिंदू महिलाओं को जबरन अगवा कर उनका धर्मांतरण और विवाह कराया जाता है।


🔸 न्याय की कमी और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण पीड़ित परिवारों को कोई मदद नहीं मिलती।


🔅धार्मिक असहिष्णुता:


🔸सोशल मीडिया पर हिंदू धर्म के खिलाफ भड़काऊ सामग्री फैलाकर साम्प्रदायिक हिंसा भड़काई जाती है।


🔸हिंदुओं पर ईशनिंदा के झूठे आरोप लगाकर उनकी जान-माल को नुकसान पहुँचाया जाता है।


🚩हिंदुओं को निशाना बनाए जाने के कारण


🔅 धर्म आधारित राजनीति:


🔸 बांग्लादेश में कुछ राजनीतिक दल धर्म के आधार पर अपनी सत्ता मजबूत करते हैं, जिससे अल्पसंख्यकों के खिलाफ असहिष्णुता बढ़ती है।


🔅कट्टरपंथी संगठनों का प्रभाव:


🔸कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों का प्रभाव बढ़ने से हिंदुओं पर हमले बढ़े हैं।


🔸ये संगठन हिंदू धर्म को खत्म करने और जबरन धर्मांतरण करने का प्रयास करते हैं।


🔅 न्यायिक प्रणाली की कमजोरी:


🔸हिंसा और अन्याय के मामलों में हिंदुओं को न्याय नहीं मिलता।


🔸पुलिस और प्रशासन अक्सर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहते हैं।


🔅सांस्कृतिक और धार्मिक असहिष्णुता:


🔸बांग्लादेश में हिंदू संस्कृति और परंपराओं को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है।


🔸 हिंदुओं के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को रोकने और उन पर हमला करने की घटनाएँ बढ़ रही हैं।


🚩मानवाधिकारों का उल्लंघन


बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही घटनाएँ मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का प्रतीक हैं।


🔅 अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता:


🔸संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन इस समस्या पर कोई ठोस कदम उठाने में असफल रहे हैं।


🔸भारत जैसे पड़ोसी देश ने भी कई बार इस मुद्दे पर चुप्पी साधी है।


🔅 मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया:


🔸मुख्यधारा मीडिया इन घटनाओं को अक्सर नजरअंदाज कर देता है।


🔸अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इन घटनाओं की कवरेज न के बराबर है।


🚩समाधान और जागरूकता की आवश्यकता


🔅 अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना:


🔸भारत और अन्य देशों को संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाना चाहिए ताकि वह हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे।


🔅धर्मनिरपेक्षता की पुनर्स्थापना:


🔸बांग्लादेश सरकार को अपने संविधान में दर्ज धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को प्रभावी तरीके से लागू करना चाहिए।


🔅सामाजिक और धार्मिक जागरूकता:


🔸 हिंदू समुदाय को संगठित होकर अपनी सुरक्षा और अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए।


🔸 सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म का उपयोग कर इन घटनाओं की सच्चाई को सामने लाना चाहिए।


🔅मंदिर और संपत्ति की सुरक्षा:


🔸मंदिरों और हिंदू संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाए जाने चाहिए।


🔅भारत का हस्तक्षेप:


🔸भारत को अपने पड़ोसी देश के हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।


🚩निष्कर्ष


बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार केवल एक धार्मिक समूह पर हमला नहीं हैं, बल्कि यह मानवता और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों पर हमला है। इसे रोकने के लिए समाज को जागरूक होना होगा और सरकारों को ठोस कदम उठाने होंगे। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह समझना होगा कि यदि इन घटनाओं को रोका नहीं गया, तो यह पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।


“हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा करना सिर्फ एक समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज का दायित्व है।”

“सत्यमेव जयते।”


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Sunday, December 8, 2024

हिंदुओं और धर्मगुरुओं को निशाना बनाए जाने का कारण: समाज जागरूकता और समाधान

 08 December 2024

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🚩हिंदुओं और धर्मगुरुओं को निशाना बनाए जाने का कारण: समाज जागरूकता और समाधान


🚩भारत और पड़ोसी देशों में हिंदू समाज और उनके धर्मगुरुओं को निशाना बनाए जाने की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। यह केवल किसी धर्मगुरु पर व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि पूरे समाज, उसकी संस्कृति और उसके मूल्यों पर आघात है। इन घटनाओं का उद्देश्य समाज को भटकाना, विभाजित करना और उसकी आत्मिक शक्ति को कमजोर करना है। इस लेख में हम इन मुद्दों का विश्लेषण करेंगे और समाधान के मार्ग पर चर्चा करेंगे।


🚩धर्मगुरुओं और हिंदू समाज को निशाना बनाए जाने की साजिश


हिंदू धर्मगुरुओं को बदनाम करने और उनके कार्यों को रोकने के लिए कई स्तरों पर साजिशें रची जाती हैं।


🔅झूठे आरोप और कानूनी मामले:


🔹धर्मगुरुओं को झूठे मामलों में फंसाकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने का प्रयास किया जाता है।


🔹 बिना ठोस सबूत के आरोप लगाकर उन्हें बदनाम किया जाता है।


🔅मीडिया ट्रायल और नकारात्मक प्रचार:


🔹मुख्यधारा मीडिया में धर्मगुरुओं के खिलाफ नकारात्मक और झूठे प्रचार किए जाते हैं।


🔹मीडिया का उद्देश्य समाज में उनके प्रति गलत धारणा बनाना और उनके अनुयायियों को भ्रमित करना होता है।


🔅 धर्मांतरण विरोध और उनके प्रति आक्रोश:


🔹धर्मगुरु धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाते हैं, जो कई ताकतों के लिए बाधा बनती है।


🔹उनकी इस भूमिका के कारण उन्हें निशाना बनाया जाता है।


🔅 राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव को खत्म करने का प्रयास:


🔹धर्मगुरु समाज को संगठित करने और जागरूक करने का कार्य करते हैं। यह कई राजनीतिक और विदेशी ताकतों के लिए चुनौती बनता है।


🚩 धर्मगुरुओं का समाज में योगदान


धर्मगुरु न केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए सेवा कार्य भी करते हैं।


🔅आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा:


🔹धर्मगुरु समाज को नैतिकता, संस्कार और जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।


🔹योग, ध्यान और साधना शिविरों के माध्यम से लाखों लोगों को आत्मिक बल प्रदान करते हैं।


🔅 धर्मांतरण रोकने का प्रयास:


🔹धर्मगुरु समाज में जागरूकता फैलाकर धर्मांतरण को रोकने का कार्य करते हैं।


🔹उनके प्रयासों से समाज अपनी संस्कृति और धर्म से जुड़ा रहता है।


🔅 पर्यावरण संरक्षण और गौ रक्षा:


🔹 धर्मगुरुओं ने पर्यावरण और गौ रक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्य किए हैं।


🔹वृक्षारोपण अभियान और गौशालाएँ इनके महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल हैं।


🔅गरीबों और पिछड़ों के लिए सेवा कार्य:


🔹गरीबों के लिए मुफ्त चिकित्सा शिविर, शिक्षा संस्थान और भोजन वितरण की व्यवस्था करते हैं।


🔹 आपदा के समय समाज की सहायता के लिए हमेशा आगे रहते हैं।


🚩हिंदू समाज को कमजोर करने का प्रयास


हिंदू समाज को कमजोर करने के लिए कई बाहरी और आंतरिक ताकतें सक्रिय रहती हैं।


🔅सांस्कृतिक एकता को तोड़ने का प्रयास:


🔹धर्मगुरुओं को बदनाम कर समाज की एकता को कमजोर करने की कोशिश की जाती है।


🔹समाज में विभाजन पैदा करना इन ताकतों का मुख्य उद्देश्य होता है।


🔅धर्मांतरण और विदेशी एजेंडा:


🔹धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए धर्मगुरुओं को निशाना बनाया जाता है।


🔹 समाज को अपनी जड़ों से अलग करने के लिए साजिशें रची जाती हैं।


🔅मीडिया और बाहरी ताकतों का दुरुपयोग:


🔹मीडिया के माध्यम से झूठी खबरें फैलाकर हिंदू धर्म और उसके प्रतिनिधियों को बदनाम किया जाता है।


🔹विदेशी ताकतों का उद्देश्य भारतीय संस्कृति को कमजोर करना है।


🚩 समाज में जागरूकता की आवश्यकता


हिंदू समाज और धर्मगुरुओं पर हो रहे हमलों का सामना करने के लिए समाज को जागरूक और संगठित होना जरूरी है।


🔅धर्मगुरुओं के योगदान का प्रचार:


🔹 धर्मगुरुओं के समाज के प्रति योगदान को लोगों तक पहुँचाना चाहिए।


🔹सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों का उपयोग कर सच्चाई को उजागर करें।


🔅मीडिया ट्रायल के खिलाफ आवाज उठाना:


🔹नकारात्मक प्रचार और झूठी खबरों का कानूनी और सामाजिक रूप से विरोध करना।

🔹सही जानकारी को साझा कर समाज को भ्रमित होने से बचाएँ।


🔅सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों का समर्थन:


🔹धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेकर समाज को संगठित करें।


🔹अपनी परंपराओं और मूल्यों को बचाने के लिए युवाओं को प्रेरित करें।


🔅धर्म और संस्कृति का अध्ययन:


🔹 युवाओं को धर्म, संस्कृति और इतिहास की सही जानकारी देकर उन्हें जागरूक बनाएँ।


🔅धर्मांतरण के खिलाफ संगठित प्रयास:


🔹धर्मांतरण रोकने के लिए समाज में जागरूकता अभियान चलाएँ।

🔹जरूरतमंदों की सहायता कर उन्हें धर्मांतरण से बचाएँ।


🚩निष्कर्ष


धर्मगुरुओं और हिंदू समाज पर हो रहे हमले केवल एक धर्म या व्यक्ति पर नहीं, बल्कि पूरी संस्कृति और उसकी जड़ों पर हमला है। समाज को एकजुट होकर इन साजिशों का सामना करना होगा। धर्मगुरुओं के कार्यों का प्रचार, सत्य की रक्षा और समाज में जागरूकता फैलाकर ही हम अपनी संस्कृति और धर्म को बचा सकते हैं।


“धर्म और संस्कृति की रक्षा हर भारतीय का कर्तव्य है।”

“सत्यमेव जयते।”


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Saturday, December 7, 2024

Ramayana: Not imagination, but real history of India

07 December 2024

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🚩रामायण: कल्पना नहीं, बल्कि भारत का वास्तविक इतिहास


🚩रामायण भारतीय संस्कृति और सभ्यता का आधारभूत ग्रंथ है। इसे पाश्चात्य दृष्टिकोण से “मिथक” कहा गया, लेकिन खगोलीय गणनाओं, पुरातात्विक खोजों और ऐतिहासिक संदर्भों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि रामायण केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि ऐतिहासिक घटना है। 

यह लेख रामायण को ऐतिहासिक दृष्टि से समझने के प्रमाण प्रस्तुत करता है।


🚩खगोलीय प्रमाण


वाल्मीकि रामायण में विभिन्न घटनाओं के दौरान ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का उल्लेख किया गया है। यह विवरण खगोलीय सटीकता के साथ मेल खाते हैं और ऐतिहासिक काल का निर्धारण करने में मदद करते हैं।


🟡 श्रीराम का जन्म:


रामायण के अनुसार, श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ।


 🔸चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में था।

 🔸सूर्य मेष राशि में था।

 🔸 पांच ग्रह उच्च स्थिति में थे (गुरु, शनि, मंगल, शुक्र और बुध)।


आधुनिक खगोलशास्त्रियों ने नासा के सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके इन स्थितियों का अध्ययन किया। 

डॉ. पुष्करण और अन्य खगोलशास्त्रियों ने पाया कि यह स्थिति लगभग 5114 ईसा पूर्व को बनी थी। 

इसी प्रकार, अन्य घटनाओं जैसे भरत मिलाप, रावण वध, और सीता हरण के समय भी ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को खगोलीय सॉफ्टवेयर से सत्यापित किया गया है।


🟡 अन्य घटनाएँ:


रामायण में जब श्रीराम और लक्ष्मण रावण से युद्ध के लिए समुद्र किनारे पहुंचे, तब चंद्र ग्रहण का उल्लेख है। यह स्थिति भी खगोलीय सॉफ्टवेयर द्वारा सत्यापित हुई है।


🚩पुरातात्विक प्रमाण


🟡 रामसेतु:


भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में स्थित यह पुल, जिसे “आदम्स ब्रिज” भी कहा जाता है, रामायण में वर्णित सेतुबंध राम का प्रमाण है।


🔹 नासा के उपग्रह चित्रों में यह पुल स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।


🔹 भूवैज्ञानिकों के अनुसार, यह मानव निर्मित संरचना है और इसकी आयु लगभग 7000 वर्ष है।


🔹समुद्रशास्त्रियों का मानना है कि पुल का निर्माण उस समय संभव था जब समुद्र का स्तर वर्तमान से कम था।


🟡 अयोध्या में उत्खनन:


भारतीय पुरातत्व विभाग ने अयोध्या में किए गए उत्खननों में रामायण में वर्णित महलों और संरचनाओं के अवशेष पाए।

🔹 उत्खनन में प्राचीन मंदिर, पत्थर की नक्काशी, और पुराने नगर के चिह्न मिले।


🔹इन अवशेषों की आयु लगभग 7000 वर्ष है।


🟡लंका में प्रमाण:


श्रीलंका में त्रिकुट पर्वत (वर्तमान में रावण के किले के रूप में मान्यता प्राप्त) और अशोक वाटिका (जहाँ सीता जी को रखा गया था) जैसे स्थलों का उल्लेख रामायण में मिलता है। ये स्थल आज भी स्थानीय संस्कृति और इतिहास का हिस्सा हैं।


🚩सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रमाण


रामायण का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों में भी इसका गहरा प्रभाव है।


🟡 थाईलैंड: 


थाईलैंड की रामलीला (रामाकियन) रामायण पर आधारित है।


🟡इंडोनेशिया: 


बाली द्वीप में रामायण का व्यापक प्रचार-प्रसार है।


🟡 कम्बोडिया:


 अंकोरवाट मंदिर परिसर में रामायण की घटनाओं को पत्थरों पर उकेरा गया है।


🟡मलेशिया: 


यहाँ भी रामायण की कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी प्रचलित हैं।


इतने अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में रामायण का प्रभाव इस बात का प्रमाण है कि यह केवल धार्मिक कथा नहीं, बल्कि ऐतिहासिक सत्य है।


🚩वैज्ञानिक दृष्टिकोण


रामायण में वर्णित तकनीक और घटनाएँ विज्ञान की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।


🟡 पुष्पक विमान:


रामायण में पुष्पक विमान का वर्णन मिलता है, जो आधुनिक समय के विमानों के समान है। यह उन्नत तकनीक का प्रमाण देता है।


🟡संजय की दिव्य दृष्टि:


महाभारत की तरह रामायण में भी दिव्य दृष्टि का उल्लेख है, जो आज के लाइव ब्रॉडकास्ट या सैटेलाइट तकनीक के समान प्रतीत होती है।


🚩संतों और विद्वानों की दृष्टि


संत श्री आशारामजी बापू ने रामायण को केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि ऐतिहासिक दस्तावेज माना। बापूजी ने अपने प्रवचनों में खगोलशास्त्र, पुरातत्व और सांस्कृतिक प्रमाणों के माध्यम से यह समझाया कि रामायण भारत का वास्तविक इतिहास है। उनके अनुसार, भारतीय परंपरा में “इतिहास” का अर्थ है “यह हुआ था,” और रामायण उसी श्रेणी में आता है।

भारत के अनेक संत जैसे मोरारी बापू, सुधांशु महाराज, आदि अपने सत्संग में इसका उल्लेख करते है । 


🚩निष्कर्ष


रामायण के खगोलीय, पुरातात्विक, सांस्कृतिक, और वैज्ञानिक प्रमाण यह सिद्ध करते हैं कि यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास का सटीक दस्तावेज है। रामायण की घटनाएँ हमारे गौरवशाली अतीत का हिस्सा हैं और इसे “मिथक” कहना भारतीय सभ्यता के साथ अन्याय है। हमें रामायण को समझने और इसके ऐतिहासिक सत्य को स्वीकार करने की आवश्यकता है।


जय श्री राम!


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