Wednesday, January 31, 2024

भारत कोई पश्चिमी देश नहीं जो लिव-इन रिलेशनशिप सामान्य हो : इलाहाबाद हाईकोर्ट

1 February 2024

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🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारत कोई पश्चिमी देश नहीं है जहाँ लिव इन रिलेशनशिप  सामान्य बात हो। हाईकोर्ट ने कहा कि भारत में लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को मानना चाहिए और इस पर गर्व करना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक याचिका की सुनवाई करते हुई की।


🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने एक व्यक्ति आशीष कुमार ने याचिका डाली थी कि एक महिला, जिससे उसका 2011 से प्रेम सम्बन्ध है, उसका परिवार उसे उससे मिलने नहीं दे रहा है। उसने इस संबंध ने याचिकाकर्ता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका डाली थी। उसका कहना था कि महिला को उसके परिवार वालों ने जबरन कैद कर रखा है।


🚩इस मामले की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शमीम अहमद ने कहा, “अदालत का मानना है कि हम एक पश्चिमी देश नहीं हैं जहाँ एक लड़की-लड़के का लिव इन रिलेशनशिप में रहना सामान्य बात हो। हम एक ऐसे देश हैं जहाँ लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति में विश्वास करते हैं और उस पर गर्वित हैं, ऐसे में हमें भी यही करना चाहिए।”


🚩आशीष कुमार ने कोर्ट के समक्ष याचिका के साथ एक पत्र भी रखा था जो कि उसने दावा किया था कि लड़की ने लिखा है। याचिकाकर्ता आशीष कुमार ने कोर्ट के सामने कुछ तस्वीरें भी रखी थीं और बताया था कि वह इस लड़की के 2011 से प्रेम संबंध में हैं। हालाँकि, कोर्ट ने कहा कि यह याचिका मात्र लड़की और उसके परिवार की छवि खराब करने के उद्देश्य से डाली गई है और इससे याचिकाकर्ता उन पर दबाव डाल कर अपने मन का निर्णय करवाना चाहता है।


🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, “अदालत के सामने कोई कारण नहीं है कि वह इस तरह की याचिका की सुनवाई करे जो कि किसी लड़की और उसके परिवार वालों की छवि खराब करने के उद्देश्य से डाली गई है। अदालत अगर ऐसी याचिका को सुनता है तो इससे लड़की और उसके परिवार की छवि धूमिल होगी और उन्हें भविष्य में उसके लिए दूल्हा ढूँढने में समस्या होगी।”


🚩कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि यदि वह और लड़की जिसके विषय में याचिका डाली गई है, वह 13 साल से एक दूसरे के साथ प्रेम सम्बन्ध में हैं तो विवाह क्यों नहीं किया। कोर्ट ने इसी के साथ ही याचिका को खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर ₹25,000 का जुर्माना भी लगाया।


🚩समाज को अस्थिर करने की योजना


 🚩इससे पहले इलहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा था कि, “ऊपरी तौर पर, लिव-इन का रिश्ता बहुत आकर्षक लगता है और युवाओं को लुभाता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है और मध्यमवर्गीय सामाजिक नैतिकता/मानदंड उनके चेहरे पर नजर आने लगते हैं, ऐसे जोड़े को धीरे-धीरे एहसास होता है कि उनके रिश्ते को कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं है।”


 🚩उन्होंने आगे कहा, “लिव-इन रिलेशनशिप को इस देश में विवाह की संस्था के फेल होने के बाद ही सामान्य माना जाएगा, जैसा कि कई तथाकथित विकसित देशों में होता है जहाँ विवाह की संस्था की रक्षा करना उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। अगर हम ऐसा करें तो , हम भविष्य में अपने लिए बड़ी समस्या खड़ी करने की ओर अग्रसर हैं। इस देश में विवाह की संस्था को नष्ट करने और समाज को अस्थिर करने और हमारे देश की प्रगति में बाधा डालने की योजनाबद्ध कु नीति ( षड्यंत्र ) बनाई गई है।”


 🚩टीवी धारावाहिक विवाह संस्था को पहुँचा रहे नुकसान


 🚩जज सिद्धार्थ ने यह भी कहा, “आजकल की फिल्में और टीवी धारावाहिक , विवाह की संस्था को खत्म करने में योगदान दे रहे हैं। शादीशुदा रिश्ते में पार्टनर से बेवफाई और उन्मुक्त लिव-इन रिलेशनशिप को प्रगतिशील समाज की निशानी के तौर पर दिखाया जा रहा है। युवा ऐसे दर्शन की ओर आकर्षित हो जाते हैं , लेकिन इसके दीर्घकालिक परिणामों से अनजान होते हैं।”


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Tuesday, January 30, 2024

अब तो हद पार हो गई, इतना अत्याचार तो मुगलों के समय भी नही होगा

31 January 2024

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🚩आपने आशारामजी बापू का नाम तो काफी सुना होगा, कि वो इस वक़्त जोधपुर जेल में हैं।लेकिन उनके आजीवन कारावास की सजा के पीछे क्या सच्चाई है और अभी तक उनके बार-बार बीमार पड़ने पर भी क्यों बेल की अर्जियां ख़ारिज की जा रही हैं,यह जानना भी बेहद ज़रूरी है।


🚩आज उनकी उम्र 87 साल की है और जेल में 11 साल से हैं। उन्हें काफी पहले से ट्रायजेमिनल न्यूरॉल्जिया , सायटिका और अन्य कष्टप्रद बीमारियां थी ही। फिर इतने समय से जेल में रहने और वहां मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण उनको 3 साल पहले कोरोना भी हो गया था, शरीर बिल्कुल रुग्ण हो गया और दवाओं के काफी सारे साइड ईफेक्ट्स भी हो गए ।


🚩इतनी बड़ी उम्र में शरीर इतना कमजोर होने और जेल के कष्टदायक परिस्थितियों के चलते उनको कई गंभीर बीमारियों ने घेर लिया है। जिसके कारण पिछले लगभग 20 दिनों से वे जोधपुर एम्स अस्पताल में भर्ती हैं और बिना पैरोल के वहीं कैद में ही उनका इलाज ( उनकी मर्जी के अनुसार इलाज मुहैय्या नहीं हो रहे उन्हें ) चल रहा है।


🚩जेल जाने के पीछे का कारण क्या थे?


🚩मीडिया ने आज तक जितना आशाराम बापू के खिलाफ मनगढ़ंत और फ़ेक मीडिया ट्रायल चलाए हैं , उतने किसी के खिलाफ नहीं चलाए होंगे , जानना चाहते हैं क्यों...!?

क्योंकि आशारामजी बापू ने गुनाह ही इतने बड़े-बड़े किये थे !


🚩आशारामजी बापू के गुनाहों की फ़ेहरिस्त...


🚩उनके गुनाहों की लिस्ट इतनी लंबी कि यहाँ सीमित स्थान व समय में सारा कुछ बता पाना संभव नहीं है,फिर भी उनमें से कुछेक यहाँ बता रहे हैं।


🚩1) उन्होंने संस्कृति जागरण अभियान, नर सेवा ही नारायण सेवा अभियान , और अन्य प्रकल्पों के माध्यम से इसाई बना दिए गए लाखों हिंदू आदिवासियों की घर वापसी करवाई । और तो और 11 साल से जेल में होकर भी अपनी उस मुहिम को रुकने नहीं दिए। अभी भी उनके आश्रम व समितियां उनके पद चिन्हों का अनुसरण कर रही हैं।


🚩2) करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति कट्टर बना दिया उन्होंने। सैकड़ों वैदिक शिक्षा पद्धति के गुरुकुल और 17000++ बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।450+ आश्रमों में दिन-रात आश्रमवासियों द्वारा देश व धर्म सेवा के कार्यक्रम चलते रहते हैं।


🚩3) कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाया, उनके पालन-पोषण हेतु अनेकों गौशालाएं खोल दीं।


🚩4) 2006 में 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के बदले मातृ-पितृ पूजन शुरू करवा दिया।

आज उनके करोड़ो अनुयायियों के साथ-साथ देश भर में सभी धर्म के लोग बड़ी कृतज्ञता से सहर्ष इस पावन पर्व को मनाने लगे हैं। इसकी सुवास अन्य देशों में भी फैल रही है।


🚩5)इतना ही नहीं विदेशों में भी उन्होंने भारतीय सनातन संस्कृति का परचम खूब ऊंचा फहराया । वहाँ भी उनके अनगिनत अनुयायी बन चुके थे।


🚩6)25 December को क्रिसमस के बदले तुलसी पूजन दिवस शुरू करवाये।


🚩7) 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक "विश्व गुरू भारत अभियान" शुरू करवाए...


🚩आज कौन नहीं वाकिफ इस बात से कि पूरे साल भर में यही वो सप्ताह है , जिसमें कुछ साल पहले तक व्यभिचार अपने चरम पर होता था।आशाराम जी के प्रयासों से ही आज सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले हैं।


🚩शराब, मांस भक्क्षण,युवाओ ,युवतियों द्वारा खुलेआम व्यभिचार, कुंवारी किशोरियों से लेकर युवतियों तक का गर्भवती होकर समाज पर बोझ होना। बलात्कार, छेडछाड, लडाई, दंगे फ़साद, खून खराबा, आत्महत्याएं और हत्याएं आदि.....अब कितने नाम गिनाए जाएं, ये सबकुछ इसी सप्ताह में खूब बढते थे।

पर आज , आज देशवासी 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन करते हैं और भी कई सुन्दर प्रकल्प होते हैं इस सप्ताह में आशाराम जी के आश्रमों और साधकों द्वारा ।।


🚩8) सनातनधर्म की रक्षा और सबका मंगल सबका भला करने के लिए उन्होंने रात-दिन एक करके पिछले 60 सालों से अप्रतिम सेवाएं कीं। सेवा, सत्संग दान और सुसंस्कार सिंचन के इतने विशाल यज्ञ कुण्ड में मानो उन्होंने स्वयं समेत अपने परिवार और अपनी तमाम खुशियों को भी अर्पण कर दिया।


🚩9) देश विदेश में करोड़ों लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया।

उनके सत्संग सान्निध्य के बाद करोडों लोगों ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया, क्लबों में जाना छोड़ दिया, ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे, स्वदेशी अपनाने लगे ।

हालाँकि इसके बड़े खतरनाक साइड ईफेक्ट्स भी हुए...

इसके कारण भारत को आंतरिक रूप से अपने अधीन करने का सपना लेकर यहाँ व्यापार कर रही विदेशी कंपनियों को अरबों-खरबों रुपयों के घाटे होने लगे।


🚩क्यों चलाई गई षड़यंत्रों की आंधी!?

 

🚩ईसाई मिशनरियों की धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं, फिर पूरे सुनियोजित ढंग से इन मिशनरीज ने भारत के ही हिन्दूधर्म विरोधी व राष्ट्र विरोधी ताकतों , दोगली मीडिया व स्वार्थी राजनेताओं की सांठ-गांठ से आशाराम जी के खिलाफ गहरा षड्यंत्र रच डाला ।


🚩डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जी और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी ने अपने वक्तव्यों में बताया है कि , उन्होंने आशाराम जी बापू को पहले ही बता दिया था... कि "आप जो धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं, उसके कारण वेटिकन सिटी के कर्ता-धर्ता बहुत नाराज हैं और वो लोग तत्कालीन भारत सरकार के सांठ-गांठ में आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

...इस पर आशारामजी बापू ने कहा कि “देश व धर्म की रक्षा के लिए सूली पर चढ़ जाऊँगा लेकिन हिन्दू धर्म की हानि नहीं होने दूँगा।”


🚩आपको बता दें कि आशारामजी बापू के ऊपर आरोप लगाने वाली लड़की ने जो FIR लिखवाया उसमें रेप शब्द का जिक्र ही नहीं...

यहाँ तक कि उसका मेडिकल करवाया गया तो रिपोर्ट में आया कि उसके शरीर पर एक खरोंच का निशान तक नहीं मिला ! मतलब साफ़ है कि आरोपकर्ता लड़की के साथ कुछ हुआ ही नहीं...

अर्थात् मेडिकल रिपोर्ट द्वारा छेड़छाड़ का आरोप भी खारिज हो गया।


🚩मीडिया ने आखिर किसके इशारे पर रेप रेप का हल्ला मचाया...!?

अब यह सच भी देश की जनता के सामने आ गया है।


🚩आश्चर्य ये कि मीडिया ने खूब दुष्प्रचार किया कि लड़की के साथ रेप हुआ है। जबकि खुद तत्कालीन जांच ऑफिसर अजय पाल लाम्बा ने बताया कि " FIR में रेप का आरोप है ही नहीं,सिर्फ छेड़छाड़ का आरोप है!" और मेडिकल रिपोर्ट से उसका भी खण्डन हो गया।

 फिर भी विदेशी फंडेड बिकाऊ मीडिया निर्दोष हिन्दू संत को अपने स्वार्थ में अंधी होकर बदनाम करती ही रही। और आज तक एक भी सही खबर इस केस की अपने चैनल्स पर नहीं दिखाई !


🚩न्यायपालिका का आश्चर्यजनक रूप से उदासीन और कट्टर रवैया...


🚩अब सोचने वाली बात है कि इन 11 सालों में अनगिनत आरोपियों और यहाँ तक कि अपराध सिद्ध नेताओ,अभिनेताओ, व्यवसायियों , मीडिया कर्मियों और तो और खूंखार आतंकियों तक को रिहाई , बेल और पैरोल मिली है।

...पर गंभीर रूप से बीमार होकर भी जमानत नहीं मिली तो सिर्फ आशाराम जी को !!


🚩सलमान खान को निचली अदालत से सजा होने के बाद भी ऊपरी कोर्ट तुरंत जमानत दे देती है । आतंकवादियों के हथियार रखने के मामले में सजायाफ्ता संजय दत्त को बेतुके कारणों से भी बार बार पैरोल देती रही...

वो ही न्यायालय हिंदू संत आशाराम जी बापू को 11 साल में एक दिन भी जमानत अथवा पैरोल नहीं देती , आख़िर क्यो !?


🚩घोर आश्चर्य !

जो कानून दिल्ली के इमाम बुखारी पर सैंकड़ों गैर जमानती वारंट होने के बाद भी उसको और पूरे भारत में कोरोना फैलाने वाले मौलाना साद को आजतक गिरफ्तार नहीं कर पाया , वही कानून गंभीर बीमारियों से जूझ रहे निर्दोष हिंदू संत आशाराम जी बापू को 11 साल से जेल में कैद रखे हुए है।


🚩गौरतलब है कि जो मीडिया सिर्फ हिंदू धर्म के साधु-संतों, मठ-मंदिरों आश्रमों के खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर बदनाम करती है वही मीडिया इन सब पर चुप्पी साध लेती है !!

और सेक्युलरिज्म की भयानक बीमारी के शिकार कुछ हिन्दू दोगली मीडिया की बात को ही सच्चा मानकर अपने धर्मगुरुओं के खिलाफ बोलना चालू कर देते हैं !!


🚩कोंग्रेस सरकार के समय कोई हिंदू धर्म के पक्ष में बोलने वाला नहीं था। वर्तमान प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उनके खिलाफ़ षड्यंत्र चल रहे थे , तब उनके अच्छे कार्यो को देखते हुए आशाराम जी बापू ने भरपूर समर्थन किया था और उन्हें प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद भी दिया था ।

लेकिन आश्चर्य कि आज वही माननीय प्रधानमंत्री जी आशाराम जी बापू के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय को अनदेखा कर रहे हैं !!


🚩स्वामी रामदेव पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने लाठी चार्ज करवाया था, तब आशाराम जी बापू ने नारा दिया था, कि " सोनिया मैडम भारत छोड़ो " और राम देव बाबा का पूरा साथ दिया लेकिन लगता है कि वो भी आज आशाराम जी बापू को भूल गए ।


🚩जागो हिंदुओ !!

अब समझ जाओ कि सनातन धर्म की रक्षा करने वालों को ही यहाँ कैसे षड़यंत्रों में फंसाया और सताया जाता है !

अभी भी समय है ! अपने आश्रमों,देवी-देवताओं और खाकर साधु-संतों के खिलाफ हो रहे षड्यंत्र पर आवाज़ उठाओ।

मत भूलो कि संत हैं तो ही संस्कृति है, इसलिए आशाराम जी बापू की शीघ्र रिहाई की आवाज बुलंद करो...नहीं तो हमें प्रकृति भी माफ नहीं करेगी !!


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Monday, January 29, 2024

वेटिकन के मुख्य पोप ने पहले सेक्स और अब दारू की दी छूट...

30 January 2024

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🚩भारतीय संस्कृति और पाश्चात संस्कृति में बहुत अंतर है। आइए देखें कुछ उदाहरण के द्वारा कि कैसे और क्या अन्तर है।

जब अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा थी तब आसपास के इलाकों में योगी जी ने दारू बंदी करवा दी और उस समय कई राज्यों में तो मांस बेचना बंद करवा दिया गया था। हमारी भारतीय संस्कृति में दारू पीने की छूट बिलकुल नही दी गई है। इससे स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है और साथ ही बुद्धि भी मारी जाती है, तामसी स्वभाव हो जाता है , इसीलिए हिंदू साधु संत तो दारू जैसे व्यसन से बचने को कहते है और व्यभिचार से दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन ईसाई धर्म के सबसे मुख्य पॉप ने पहले तो पादरियों के लिए सेक्स की छूट की पैरवी की और अब दारू पीने-पिलाने का भी खूब प्रोत्साहन कर रहे हैं ।


🚩आपको बता दें कि चर्चों में बच्चों के साथ दुष्कर्म करते पादरियों के पकड़े जाने के अनगिनत मामले आए दिन सामने आते रहते हैं।

अब इसके पीछे का मुख्य कारण यही है कि उनके धर्म गुरु ही ये सब करने की छूट दे रहे हैं , व्यभिचार और व्यसन की छूट दे रहे हैं।


अब अगर यह सब जानने के बावजूद भी भारतीय लोग , दबाव, दहशत या लालच में आकर ऐसा धर्म अपनाते है तो उनकी और उनके परिवार की क्या दुर्दशा होगी आप समझ ही सकते हैं।


🚩गांधीजी कहते थे…

“हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवारों का विदेशी भाषा, वेश-भूषा, रीति-रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है, पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।”


🚩आपको बता दे की हाल ही में ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि दारू भगवान की देन है और यह आनंद का असली स्रोत है। पोप फ्रांसिस ने यह बयान वेटिकन सिटी में दिया है, जो ईसाइयों की धर्मनगरी है। उन्होंने इसके पहले भी शराब के समर्थन में कई बयान दिए हैं।


🚩पोप फ्रांसिस ने यह बयान एक समारोह में दिया, जिसमें इटली से आए हुए तमाम शराब निर्माता शामिल थे। यह समारोह इतालवी शहर वेरोना के बिशप डोमेनिको पोम्पिली द्वारा आयोजित किया गया था। यह समारोह वेरोना में हर साल अप्रैल माह में होने वाली वाइन प्रतियोगिता के पहले आयोजित किया जाता है।


🚩पोप फ्रांसिस ने शराब बनाने वालों से कहा कि वह इससे सम्बंधित नैतिक जिम्मेदारियों का वहन करें और साथ ही पीने की सही आदतों को बढ़ावा दें। 


🚩बता दें कि पोप फ्रांसिस इससे पहले भी शराब का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में भी शराब के समर्थन में बयान दिया था। उन्होंने शराब को शादी समारोह का प्रमुख अंग कहा था। उन्होंने कहा था, “नवविवाहित जोड़े की शादी में शराब ना हो तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है, जैसे आपने चाय पीकर आपने शादी समारोह पूरा कर लिया।”


🚩आपको बता दें कि पोप ने पिछले साल एक वक्तव्य में कहा था कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी।

86 साल के पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल यौनशोषण जैसी घटनाओं पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की है।


🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल ही चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा तो पहले से ही थे , पर गुपचुप ढ़ंग से ।

पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी।


🚩देश को तोड़ने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है और ईसाई धर्म को फैलाने के लिए पादरियों के कुकर्मो को छुपाया जा रहा है इसलिए हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझकर सावधान रहें और संगठित हो कर सनातन धर्म पर हो रहे आक्रमण का कानून के दायरे में रहकर विरोध करें ।


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Sunday, January 28, 2024

अब तक सिर्फ़ अयोध्या, काशी , मथुरा की ही बात हुई है, 30 हज़ार मंदिरों की तो बात भी नहीं हुई....

26 January 2024

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🚩वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने जब काशी विश्वनाथ मंदिर को जबरन ढाह कर बनाई गई आलमगीरी मस्जिद के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा सर्वे का फैसला दिया,ज़रा सोचे नासमझ हिंदू कि इस पर अपने आराध्यों के लिए बने मंदिर के लिए इतनी छोटी जीत पर भी उचक-उचक कर खुश होना पड़ता है।


🚩यह कोई बधाई या प्रसन्नता की बात नहीं है और इसके दो कारण हैं। आज भी जब आप काशी विश्वनाथ के दर्शन को जाएँगे, तो उसकी ठीक बगल में जो आलमगीरी मस्जिद है (जिसे ज्ञानवापी भी कहा जाता है) – उसको देखकर एक धर्मप्राण हिंदू होने के नाते आपके आँसू निकल आएँगे। मस्जिद की दीवारों को देखकर ही समझ में आ जाता है कि उसे किसी ध्वस्त मंदिर के मलबे से बनाया गया है, यहाँ तक कि कुछेक जगहों पर तो दीवारों को भी नहीं मिलाया गया है।


🚩जिस तरह दिल्ली में कुतुबमीनार साफ-साफ मंदिरों के मलबे से बना दिखता है (और शर्मनाक तरीके से वहाँ ASI ने बोर्ड भी लगा रखा है), उसी तरह काशी-विश्वनाथ मंदिर की छाती पर पैबस्त आलमगीरी मस्जिद भी मंदिर पर निर्मित है, यह बात केवल आँख के अंधों को ही नज़र नहीं आएगी। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण प्रशस्त करने का फैसला आया तभी बधाई या प्रसन्नता की कोई बात नहीं है।


🚩लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के बाद हिंदुओं को अपने आराध्य के पूजन का, उनके मंदिर का अधिकार मिला है। इसके साथ ही अदालत ने 5 एकड़ का मुआवजा भी थमा दिया है, जो हिंदुओं के ऊपर जुर्माने से कम नहीं है। भाई, मुकदमा तो इसका था न कि अयोध्या में मंदिर को तोड़कर (भारत की अधिकांश मस्जिदें, मंदिर तोड़कर बनीं) मस्जिद बनाई गई, वह स्थल हिंदुओं के आराध्य की जगह है, उसे वापस हिंदुओं को देना है।


🚩इसमें 5 एकड़ मुआवजा क्यों देना था? हिंदुओं को तो राम के अस्तित्व का प्रमाण देना पड़ा, अदालती लड़ाई में कूदना पड़ा, जो राम इस देश के कण-कण में हैं, उस राम को झुठलाने के जिहादी-वामपंथी षड्यंत्र का कालकूट पीना पड़ा। इसमें बधाई की कौन सी बात थी। अब केवल सर्वेक्षण मात्र के फैसले पर कई सेक्युलर-कुबुद्धिजीवी खुलकर न्यायालय के फैसले की आलोचना कर रहे हैं। ओवैसी जैसा जिहादी सीना ठोक कर मुखालफत करता है।


🚩वह कहता है कि राम जन्मभूमि की तरह ही इस मामले में भी बेईमानी की जाएगी। ध्यान दीजिएगा, उसके शब्दों पर। कौमी-कॉन्ग्रेसी-कुबुद्धिजीवियों ने अयोध्या के फैसले पर हमें याद दिलाया था कि ‘तथ्यों के मुकाबले आस्था को प्राथमिकता’ डील पर यह निर्णय हुआ। कुतुबमीनार हो या ज्ञानवापी, भोजशाला हो या मथुरा, ढाई दिन का झोपड़ा हो या कोई भी बुलंद मस्जिद, वह हिंदुओं के स्वाभिमान को ध्वस्त करने के लिए उनके परम पूज्य आराध्यों के मंदिरों को भूमिसात कर बनाई गई हैं।


🚩आज भी उनके साक्षात प्रमाण हिंदुओं को मुँह चिढ़ाते हैं, उसके ज़ख्मों पर नमक छिड़कते हैं। और ये मक्कार, झूठे, लबार तथ्यों की बात करेंगे, जिन्होंने रोमिला-हबीब जैसे उपन्यासकारों के जरिए भयानक झूठ बोले, षड्यंत्र किए और जन्मभूमि के मामले को उलझाने की कोशिश की?


🚩कौन नहीं जानता है कि इस्लाम इस देश में एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में तलवार लेकर आया था। कौन नहीं जानता है कि मुगलों के दो सौ वर्षों के शासनकाल में, उनके सबसे सेकुलर राजाओं... उदाहरण के तौर पर अकबर और शाहजहाँ ने भी हिंदुओं के मंदिर तोड़े, जजिया लगाया और धर्म-परिवर्तन कराया।


🚩कौन नहीं जानता है कि गायों को हरावल दस्ते में आगे रखकर हिंदुओं को जीतने वाले कायर रेगिस्तानी बर्बरों ने हिंदुओं की चेतना को खत्म करने के लिए मंदिरों को अपवित्र किया, मूर्तियाँ तोड़ीं और बलात्कार किए। काशी-विश्वनाथ हो या राम-मंदिर, मथुरा हो या 30 हजार मंदिरों को तोड़ना और कब्जाना, आप इस देश में जहाँ कहीं भी एक भव्य मंदिर देखेंगे, ठीक उसके साथ ही, उसकी बगल में मस्जिद तामीर कर, 5 बार लाउडस्पीकर से चीखती-पुकारती आवाज़ आप हरेक शहर में सुन सकते हैं। पटना के महावीर मंदिर से लेकर मुंबई का खारघर तक, यही कहानी है।


🚩आलमगीरी मस्जिद प्रमाण है, औरंगजेब की कट्टरता का। 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है। उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खाँ द्वारा लिखित ‘मासीदे आलमगिरी’ में इस ध्वंस का वर्णन है। 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई थी।


🚩1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। अहिल्याबाई होलकर ने इसी परिसर में विश्वनाथ मंदिर बनवाया जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहाँ विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई। "नंदी प्रतिमा का मुख उल्टा होने का रहस्य यही है कि पहले मंदिर जहाँ थी, वहाँ मस्जिद बना ली गई !!"


इतिहास को विकृत करने की कॉन्ग्रेसी-कम्युनिस्ट कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी हैं औऱ बारहाँ इतिहास कब्र से जीवित होकर उठ खड़ा होता है। ऐतिहासिक दस्तावेज चीख-चीख कर कहते हैं कि मुहम्मद गोरी से लेकर औरंगजेब तक काशी विश्वनाथ ने जितने बर्बर आक्रमण झेले हैं, उसके बावजूद काशी की आत्मा बची है, तो केवल बाबा विश्वनाथ की महिमा से, हिंदुत्व की ज्योति से। और अंत में अचानक से कुछ धिम्मियों की आत्मा जागी है, उनके अंग-विशेष से आँसू निकल रहे हैं।


🚩वे हमें सिखा रहे हैं कि ‘प्रतिक्रिया देना मजहब विशेष से सीखें। उन्होंने जो संयम दिखाया है, उसे देखकर हिंदुओं को शर्म आनी चाहिए।’ पहली बात, सरकार के इक़बाल और पूरी तैयारी की वजह से हमारे ‘शांतिदूत’ भाई चुप हैं।


🚩गौरतलब है इनकी फ़ितरत से वाकिफ होने के बाद ये सोचना भी लाज़मी है कि, ये इतनी आसानी से चुप बैठ कैसे सकते हैं!?

" ...हालाँकि, यह एक वृहत तैयारी के पहले की खामोशी भी हो सकती है। "


🚩हिन्दू असहिष्णु होता न , तो दिल्ली, पटना, मध्य प्रदेश, गुजरात, यूपी… कोई भी जगह शांत न रहती, जहाँ सीधे नंगी आँखों को मंदिरों के ऊपर तामीर की गई मस्जिद दिखाई देती है।


🚩तीसरी और अंतिम बात, यह दूसरा मजहब यदि सचमुच सहिष्णु है तो तत्काल कम से कम काशी और मथुरा के मंदिरों को खुद खाली करे और हिंदुओं के साथ वहाँ भव्य मंदिर बनवाए। बाकी, 30 हज़ार मंदिरों की तो अब तक बात भी नहीं हुई ।


       - वरिष्ठ पत्रकार व्यालोक


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Saturday, January 27, 2024

14 फ़रवरी दूर है , पर देशभर में लोगों ने अभी से उत्साहपूर्वक मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम मनाना शुरू किया...

28 January 2024

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🚩भारत में अपने व्यापार का स्तर बढ़ाने(  और भारत को आंतरिक रूप से, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप  से खोखला करके पुनः अपना गुलाम बनाने के उद्देश्य से )के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां यहाँ मीडिया और अन्य माध्यमों में करोड़ो रूपए देकर वैलेंटाइन डे का खूब प्रचार प्रसार करवाती हैं जिसके कारण उनका व्यापार लाखों, करोड़ों, अरबों नहीं खरबों में हो जाता है। इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया जनवरी से ही वैलेंटाइन डे यानि पश्चिमी संस्कृति का प्रचार करने लगते हैं, जिसके कारण विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, गर्भनिरोधक सामग्री, नशीले पदार्थ आदि 10 गुना तेजी से बिकते हैं और उन्हें खरबों रुपयों का फायदा होता है।


🚩वैलेंटाइन डे से युवाओं का अत्यधिक पतन हो रहा है, इसलिए अब तो देशभर में लोगों ने अभी से 14 फरवरी के दिन “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के निमित्त कार्यक्रम मनाने की शुरूआत कर दी है।


🚩गौरतलब है कि पिछले 60 वर्षों से सनातन संस्कृति के सेवाकार्यों में रत रहने वाले तथा सनातन संस्कृति की महिमा से विश्वमानव को परिचित करवाने वाले हिन्दू संत श्री आशारामजी बापे ने जब अपने देश के युवावर्ग को पाश्चात्य अंधानुकरण से चरित्रहीन होते देखा तो उनका हृदय व्यथित हो उठा और उन्होंने साल 2006 से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस शुरू किया। उन्होंने वर्षों से एक नयी दिशा की ओर युवावर्ग को अग्रसर करते हुए एक विश्वव्यापी अभियान चलाया। 14 फरवरी मातृ पितृ पूजन दिवस आज विश्वव्यापी बन चुका है और करोड़ों लोगों के द्वारा मनाया जा रहा है।


🚩आशाराम जी बापू का कहना है कि भारत के युवक-युवतियां अगर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हुए तो परिणाम भयंकर आने वाला है।


🚩अब युवक-युवतियों का यह कहना कि “क्या हम प्यार न करें?”, तो उनको एक सलाह है कि दुनिया में आपको सबसे पहले प्यार किया था आपके माँ-बाप ने। आप दुनिया में आने वाले थे, तबसे लेकर आजतक आपको वो प्यार करते रहे लेकिन उनका प्यार तो आप भूल गये , उनको ठुकरा दिया। जब आप बोलना भी नहीं जानते थे तब उन्होंने आपका भरण पोषण किया। आपके ऊंचे से ऊंचे सपने पूरे करने के लिए खुद भूखे रहकर भी आपको उच्च शिक्षा दिलाई। उनका केवल एक ही सपना रहा कि मेरा बेटा या बेटी बड़ा तेजस्वी, ओजस्वी और महान बने। उनका ऐसा अनमोल प्यार भुलाकर आप किसी लड़के-लड़की के चक्कर में आकर अपने माँ-बाप को कितना दुःख दे रहे हैं, उसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते इसलिए आप यदि स्वयं को बर्बादी से बचाना चाहते हैं, माँ-बाप के प्यार का बदला चुकाना चाहते हैं, तो आपको एक ही सलाह है कि आप मीडिया, टीवी, अखबार के चक्कर में आकर वैलेंटाइन डे न मनाकर उस दिन अपने माता-पिता का पूजन करें।


🚩हे भारतवासी भाइयों - बहनों ! आओ एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं, एक सच्ची दिशा की ओर कदम बढ़ाएं।

अपने सनातनधर्म की आन, बान और शान बढ़ाएं। 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे न मनाकर , सनातन संस्कृति के रक्षक पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू द्वारा विश्वमानव के हित की भावना से शुरू किए गए... "मातृ-पितृ पूजन दिवस" को ही मनाएं और अपने सच्चे प्यार , अपने वास्तविक हितैषी माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाएं।

आओ भारत को विश्व गुरु पद की ओर ले जाएं और संतों के शुभ संकल्प को साकार बनाएं ।


🚩 जय हिंद  !

जय माँ भारती !!


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Friday, January 26, 2024

डॉक्टर से जानिए डार्क चॉकलेट्स खाने से नुकसान होता है या फायदा ?

27 January 2024

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🚩चॉकलेट्स खाना बहुत से लोगों को पसंद  होता है। कुछ लोग तो मूड स्विंग होने पर, तो कुछ लोग गुस्सा शांत करने के लिए भी चॉकलेट्स खाते हैं। मिल्क चॉकलेट्स की जगह आजकल इसके हेल्दी विकल्प के रूप में डार्क चॉकलेट्स मार्केट में आ गई हैं। ऐसा माना जाता है कि इन चॉकलेट्स का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए कुछ लोग डार्क चॉकलेट्स को बहुत ज्यादा खाने लगते हैं। लेकिन क्या सच में डार्क चॉकलेट्स हेल्दी होती हैं? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए पुणे स्थित आदित्य बिड़ला मेमोरियल हॉस्पिटल चिंचवड़ के क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ तेजस लिमये ने बताया  कि डार्क चॉकलेट में किसी भी अन्य चॉकलेट की तुलना में कैफीन की मात्रा बहुत अधिक होती है , जो कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती है । इसके अलावा डार्क चॉकलेट के अधिक सेवन से डिहाइड्रेशन और अनिद्रा की परेशानी भी होती है। यही नहीं डार्क चॉकलेट्स में ऑक्सलेट भी काफी मात्रा में पायी जाती है, जिससे किडनी में पथरी का खतरा भी बढ़ता है । इसके अलावा डार्क चॉकलेट में कैलोरी भी बहुत ज्यादा मात्रा में पाई जाती है, जिससे वजन बढ़ने और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। इसलिए यह मानना कि डार्क चॉकलेट्स का सेवन बहुत हेल्दी होता है, एकदम गलत है। आइए जानते हैं इससे होने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से।


🚩1. अनिद्रा और ब्लड प्रेशर की समस्या

🚩यदि आप डार्क चॉकलेट का अधिक सेवन करते हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है। दरअसल डार्क चॉकलेट में मौजूद उच्च कैफीन ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा कैफीन का ज्यादा सेवन करने से अनिद्रा की शिकायत भी होती है। अगर आपको भी सोते समय डार्क चॉकलेट खाने की आदत है तो अभी अपनी इस आदत को बदल दीजिए। साथ ही इसके अधिक सेवन से हृदय गति बढ़ जाती है , चिड़चिड़ापन और डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है। इससे एकाग्रता में भी कमी आती है।


🚩2. किडनी स्टोन की समस्या

 🚩डार्क चॉकलेट में ऑक्सलेट की अधिक मात्रा पाई जाती है। ये ऑक्सलेट शरीर में इकट्ठा होकर पथरी का कारण बन सकता है यदि आप पहले भी पथरी या स्टोन के शिकार हो चुके हैं तो आपको डार्क चॉकलेट खाने से परहेज बरतना चाहिए। यह पथरी के खतरे को बढ़ा सकता है।


🚩3.  माइग्रेन का खतरा बढ़ सकता है

डार्क चॉकलेट में टाइरामाइन नामक एक प्राकृतिक रसायन होता है,जो माइग्रेन का कारण बन सकता है। यह माइग्रेन के लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है इसलिए अगर आपको माइग्रेन की समस्या है तो डार्क चॉकलेट से परहेज करना जरूरी है।


🚩4.  ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है

🚩डार्क चॉकलेट में शुगर की मात्रा भी अधिक होती है और यह आपके ब्लड शुगर के स्तर को काफी बढ़ा सकता है। उच्च रक्त शर्करा या हाइपरग्लेसेमिया भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है।


🚩5. उच्च वसा

डार्क चॉकलेट में बड़ी मात्रा में सैचुरेटेड फैट और शुगर होता है। डार्क चॉकलेट के एक औंस में लगभग 150 कैलोरीज होती हैं, जिसमें अधिक मात्रा में वसा और चीनी पाई जाती है। अतिरिक्त वसा और चीनी के सेवन से आपका वजन भी बढ़ सकता है और हृदय रोग का खतरा भी बढ़ सकता है।


🚩इन आदतों से पहचाने आपको है चॉकलेट खाने की लत

डॉ तेजस लिमये के अनुसार, लगातार डार्क चॉकलेट खाने का मन करना,अत्यधिक तनाव और चिंता में चॉकलेट खाने का खयाल आना,प्रतिदिन अधिक मात्रा में डार्क चॉकलेट का सेवन करना आदि आदतें बताती हैं कि आपको चॉकलेट की लत लग चुकी है। इसके अलावा अगर आप अपने खाने का नियंत्रण खो रहे हैं और आपके लिए ये बेहद नुकसानदायक हो सकता है। इसके कारण गंभीर बीमारियां हो सकती है। डॉक्टर के अनुसार दिनभर में केवल 15-20 ग्राम चॉकलेट ही खाई जा सकती है।


🚩अपनी आदतों को कैसे सुधारें?


🚩डॉ. तेजस के अनुसार यदि आप अपनी चॉकलेट खाने की आदत सुधारना चाहते हैं तो अपने आपको हमेशा हाइड्रेट रखें और रोजाना कम से कम 8 गिलास पानी पिएं। साथ ही अपने आहार में तेल,नट्स और एवोकाडो जैसे हेल्दी फैट शामिल करें। इसके अलावा अतिरिक्त आर्टिफिशियल शुगर (चीनी, गुड़, स्टीविया आदि) उत्पाद को ज्यादा खाने से बचें। कुछ मीठा खाने की इच्छा हो तो फल , दूध या लस्सी का सेवन करें।


🚩डार्क चॉकलेट की जगह खाएं हेल्दी चीजें


🚩1. कोको पाउडर

कोको पाउडर कई पदार्थों का मिश्रण है। कोको पाउडर के एक चम्मच में लगभग 10 कैलोरी होती है। हालांकि इसमें कोई वसा,कोलेस्ट्रॉल या चीनी नहीं होती है क्योंकि यह 100 प्रतिशत कोको होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। इसकी मदद से आप होममेड हॉट चॉकलेट बना सकते हैं। इसके लिए आप बादाम या नारियल का भी प्रयोग कर सकते हैं।


🚩2. कोको बीन

 कोको बीन्स है को भुनकर छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है। कोको बीन्स कुरकुरे होते हैं और बिना चीनी वाली चॉकलेट की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इससे दही या स्मूदी के साथ मिक्स करके खाया जाता है। कोको बीन्स में कैलोरी स्वाभाविक रूप से कम होती है, जो आपके लिए एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है।


🚩3. फल

खाने के लिए फल से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता है। फलों में बहुत सारे पोषक तत्व जैसे विटामिन्स ,पोटेशियम,एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स पपाए जाते हैं। डार्क चॉकलेट की जगह आप स्ट्रॉबेरी,व्हीप्ड नारियल,चेरी,रसभरी,ब्लूबेरी या अनार जैसे फलों के मिश्रण का सेवन कर सकते हैं।

                       - स्त्रोत: ओनली माय हेल्थ 


🚩चॉकलेट के अधिक प्रयोग से दाँतों में कीड़ा लगना, पायरिया, दाँतों का टेढ़ा होना, मुख में छाले होना, स्वरभंग, गले में सूजन व जलन, पेट में कीड़े होना, मूत्र में जलन आदि अनेक रोग पैदा हो जाते हैं।


🚩वैसे भी शरीर स्वास्थ्य एवं आहार के नियमों के आधार पर किसी व्यक्ति को चॉकलेट की कोई आवश्यकता नहीं होती ।


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Thursday, January 25, 2024

गणतंत्र मतलब क्या और 26जनवरी को गणतन्त्र दिवस क्यों मनाते हैं...!?

26 January 2024

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🚩गण अर्थात् -- जनता और तंत्र मतलब होता है – शासन।

गणतंत्र या लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ हुआ, जनता का शासन। ऐसा देश या राज्य जहाँ जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। ऐसे राष्ट्र को लोकतांत्रिक गणराज्य की संज्ञा दी गयी है। ऐसी व्यवस्था हमारे देश में है। इसीलिए हमारा देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य कहलाता है।


🚩गणतंत्र अर्थात ऐसा देश जहां सत्ताधारी सरकार को चुनने और हटाने का अधिकार आम जनता के पास होता है।


🚩गणतन्त्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है । 26 जनवरी और 15 अगस्त दो ऐसे राष्ट्रीय पर्व हैं जिन्हें हर भारतीय खुशी और उत्साह के साथ मनाता है ।


🚩भारतीयों की मातृभूमि भारत लंबे समय तक ब्रिटिश शासन की गुलाम रही जिसके दौरान भारतीय लोग ब्रिटिश शासन द्वारा बनाये गये कानूनों को मानने के लिये मजबूर थे। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा 300 वर्षों के संघर्ष के बाद अंतत: 15 अगस्त, 1947 को भारत को आज़ादी मिली ।


🚩सन् 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। उसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्त उपनिवेश (डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित इकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा ।


🚩26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया । उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा । तदनंतर स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकारा गया ।


🚩26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए विधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा लगभग ढाई साल बाद भारत ने अपना संविधान लागू किया और ख़ुद को लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में घोषित किया । कुल 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारी संसद द्वारा भारतीय संविधान को पास किया गया । खुद को संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने के साथ ही भारत के लोगों द्वारा 26 जनवरी “गणतंत्र दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा ।


🚩देश को स्वतंत्र कराने और गौरवशाली गणतंत्र राष्ट्र बनाने में जिन देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया उन्हें 26 जनवरी को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धाजंलि दी जाती है ।


🚩गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ तथ्य:


🚩1)  पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था ।


🚩2)  26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था।


🚩3)  गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 में दिल्ली के राजपथ पर हुई थी ।


🚩4)  भारतीय संविधान की दो प्रतियां हैं, जो हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई थी ।


🚩5)  भारतीय संविधान की हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं ।


🚩6)  भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी ।


🚩7)  गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं ।


🚩8)  26 जनवरी को हर साल देश के स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रध्वज के सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है ।


🚩9)  29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। जिसमें भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं । यह दिन 'गणतंत्र दिवस समारोह' के समापन के रूप में मनाया जाता है ।


🚩राष्ट्र-प्रतीकों राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगीत का सम्मान करें, राष्ट्राभिमान बढाएं !


🚩1. राष्ट्रध्वज को ऊंचे स्थान पर फहराएं ।


🚩2. प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों का उपयोग न करें ।


🚩3. ध्यान रखें कि राष्ट्रध्वज नीचे अथवा कूड़े में न गिरे ।


🚩4. राष्ट्रध्वज का उपयोग शोभावस्तु के रूप में अथवा पटाखे एवं खिलौने के रूप में न करें ।


🚩5. जिन वस्त्रों पर राष्ट्रध्वज छपा हुआ है, ऐसे वस्त्र न पहनें अथवा अपने मुख पर भी ध्वज चित्रित न करवाएं ।


🚩6. राष्ट्रगीत के समय बातें न करें, सावधान मुद्रा में खड़े रहें ।


🚩जय हिंद !

जय माँ भारती !!


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Wednesday, January 24, 2024

रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा से तिलमिलाए मुस्लिम कट्टरपंथी

अयोध्या मन्दिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा से तिलमिलाए मुस्लिम कट्टरपंथियों की नापाक हरकतें आयी सामने...

कहीं पथराव तो कहीं भगवा फाड़ा गया...

25 January 2024

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🚩राम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो गई है। अयोध्या राम मंदिर को लेकर जहाँ चारों ओर हर्षोल्लास देखने को मिल रहा है, वहीं हिंदू और राम नाम से घृणा करने वाले भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। गाजियाबाद में शादाब नामक व्यक्ति ने अपने कुत्ते को रामनामी पट्टा पहना कर पूरे मोहल्ले में घुमाया!

दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया में बाबरी के नारे लगाए गए!

गुजरात के वड़ोदरा में शोभा यात्रा को निशाना बनाया गया।

राजस्थान के बाड़मेर में भगवा झंडे को फाड़े गये!

बिहार के दरभंगा में भी शोभा यात्रा पर पथराव हुआ।


🚩गाजियाबाद में शादाब ने कुत्ते को रामनामी पहनाया

दिल्ली से सटे जिले गाजियाबाद में शादाब ने अपने कुत्ते के गले में भगवान राम के नाम का पट्टा डाला और उसे पूरे मोहल्ले में घुमाया। इस घटना पर स्थानीय लोगों ने तीखा विरोध किया तो पुलिस हरकत में आई। पुलिस ने शादाब को गिरफ्तार कर लिया है। सहायक पुलिस आयुक्त (इंदिरापुरम) स्वतंत्र कुमार सिंह ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि वैशाली सेक्टर तीन में मजहब विशेष के युवक ने ऐसा काम किया। कौशांबी पुलिस ने जाँच के बाद आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उसके खिलाफ धार्मिक भावनाएँ भड़काने समेत अन्य कई धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है।



🚩बिहार के दरभंगा में शोभा यात्रा पर पथराव

बिहार के दरभंगा में रामलला की शोभा यात्रा पर पथराव किया गया। ये मामला सिंहवाड़ा थाने के भपुरा गाँव का है। सोमवार (22 जनवरी 2024) को श्रीराम शोभा यात्रा के दौरान पथराव किया गया। उपद्रवियों ने दो बाइक सहित डीजे वाहन को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया। अचानक हुए हमले से शोभायात्रा में शामिल रामभक्तों में अफरातफरी की स्थिति हो गई। पुलिस ने मौके पर पहुँचकर स्थिति को नियंत्रित किया। उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।


🚩राजस्थान में फाड़ा गया भगवा झंडा

राजस्थान के बाड़मेर में एक पोल पर लगे भगवा झंडे को फाड़ दिया गया, जिसके बाद लोग गुस्से में आ गए। गुस्साए लोगों ने हाईवे को जाम कर दिया और आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की। मामला बाड़मेर के ग्रामीण कोतवाली क्षेत्र का है। पुलिस ने आरोपित को भाडखा कस्बे से गिरफ्तार कर लिया है। घटना 22 जनवरी के शाम की है।



🚩जामिया में बाबरी की गूँज, पुलिस बल की तैनाती

दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बाबरी मस्जिद के समर्थन में नारे लगाए गए। इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी के बाहर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी प्रशासन के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि नारेबाजी में कुछेक छात्र शामिल थे। इन्होंने ‘स्ट्राइक फॉर बाबरी’ जैसे नारे लगाए। हालाँकि शैक्षणिक गतिविधि पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।


🚩वडोदरा में शोभा यात्रा पर पत्थरबाजी

गुजरात के वडोदरा में भी शोभायात्रा निकाल रही टोली पर पत्थरों से हमला किया गया। वडोदरा के पडरा में जब शोभा यात्रा चल रही थी तो अचानक पत्थरों की बारिश होने लगी। सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें अफरातफरी का माहौल दिख रहा है। पास ही एक मस्जिद भी नजर आ रही है। फिलहाल हालात काबू में हैं।



🚩बता दें कि राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले भी कई जगहों से हिंसा की खबरें सामने आई थी। कहीं मुस्लिम भीड़ ने छतों से पत्थरबाजी की, तो कहीं पर चलती सड़क पर हिंदुओं को निशाना बनाया। एक जगह तो तिलमिलाहट में इस्लामी कट्टरपंथी ने अयोध्या के राम मंदिर को ही उड़ा डालने की धमकी दी है। गुजरात के मेहसाना में प्राण प्रतिष्ठा से पहले निकाली गई शोभा यात्रा पर छतों से पत्थरबाजी हुई। पुलिस को स्थिति काबू करने के लिए आँसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इलाके में पुलिस बल तैनात है और पत्थरबाजों पर कार्रवाई करते हुए 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें महिलाएँ भी शामिल हैं। इसी तरह मुंबई के मीरा रोड में भी सनातन यात्रा पर भीड़ ने हमला किया है।


🚩मुंबई में मीरा रोड हिंसा मामले में पीड़ित विनोद जायसवाल ने दर्ज करवाई FIR है। FIR से पता चला है कि 21 जनवरी की रात को 10:30 बजे यह घटना हुई। जायसवाल ने बताया है कि उनकी गाड़ी को 50-60 लोगों ने घेर लिया और हमला किया जबकि वह मीरा रोड पर जा रहे थे। उनकी गाड़ी पर लाठी-डंडों से हमला किया गया और उस पर लगा झंडा भी उखाड़ दिया।


🚩आगे उन्होंने बताया, “यहाँ सड़क जाम थी इसलिए हमने इसके बाद नयानगर की शिवार गार्डन रोड से जाने का फैसला किया। यहीं पर एक लड़के ने अचानक कार रोकी और धमकी देने लगा! धमकी देते कहा ‘हम तुम्हें दिखाएँगे कि हम कौन हैं।’  देखेंगे तुम्हारे राम तुम्हें बचाने आते हैं या नहीं। इसके तुरंत बाद लगभग 50-60 लोग यहाँ पर आ गए और रॉड व लाठियों से हमला करना शुरू कर दिया।”


🚩आगे उन्होंने FIR में लिखवाया, " उन दहशतगर्दों ने कार के बोनट पर भगवान हनुमान का पोस्टर देखा और उस पर उल्टी कर दी। उन्होंने अल्लाह-ओ-अकबर के नारे लगाए, मेरे सिर पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया और मेरी हत्या करने की कोशिश की। इससे हमारी हिंदू भावनाओं को ठेस पहुँची है। उन्होंने मेरे साथ आई महिलाओं और बच्चों पर भी पत्थर फेंके।”


🚩यह बात किसी से छुपी नहीं है कि हमारे देश में बहुसंख्यक हिन्दुओं पर अल्पसंख्यक समुदाय (तथाकथित डरे हुए ) के लोगों द्वारा कितने अत्याचार होते रहते हैं।

अब भले ही सुरक्षा इंतजामों के चलते इन गतिविधियों को बढ़ने से पहले ही रोक लिया गया।

पर ऐसी घृणा से प्रेरित खतरनाक और हिंसक वारदातें भविष्य में भी घटित होंगी ही , इसलिए इन्हें नज़रअंदाज बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता..!


https://www.youtube.com/live/hPtJaabcsXU?si=zi3jiFcNdWKDsxVT



🚩मोदी जैसे लोग जो सिर्फ राम का चोला तो ओढ़ रहे है किंतु हिन्दुओ पर खुले आम अति, संत समाज को टारगेट और मुस्लिमो का पोषण यह क्या संदेश आता है समाज अनभिज्ञ नही इससे...


🚩अयोध्या महोत्सव में

मुस्लिमों द्वारा  देशभर में कई जगह हिंदुओं को मारा पीटा गया,हिंसात्मक घटनाएं हुई।


🚩आखिर हिन्दुओ पर ही अत्याचार कब तक होता रहेगा ???


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Tuesday, January 23, 2024

"आजाद हिंद फ़ौज" ने स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी को धधकते ज्वालामुखी में बदल दिया

नेताजी द्वारा गठित "आजाद हिंद फ़ौज" ने स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी को धधकते ज्वालामुखी में बदल दिया... फलतः अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागना ही पड़ा !

24 January 2024

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🚩अंग्रेजों को परास्त करने के लिए भारत की स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण का नेतृत्व नियती ने नेताजी के हाथों सौंपा था । नेताजी ने यह पवित्र और महत्त्वपूर्ण कार्य असीम साहस एवं तन, मन, धन तथा प्राण का त्याग करने में तत्पर रहने वाले सडातनी सैनिकों की ‘आजाद हिंद सेना’ संगठन द्वारा पूर्ण किया ।


🚩ब्रिटिश सेना के हिंदी सैनिकों का नेताजी ने बनाया संगठन

अंग्रेजों की स्थान बद्धता से भाग जाने पर नेताजी ने फरवरी 1943 तक जर्मनी में ही वास्तव्य किया । वे जर्मन सर्वसत्ताधीश हिटलर से अनेक बार मिले और उसे हिंदुस्तान की स्वतंत्रता के लिए सहायता का आवाहन भी किया ।


🚩दूसरे विश्वयुद्ध में विजय की ओर मार्गक्रमण करने वाले हिटलर ने नेताजी को सर्व सहकार्य देना स्वीकार किया । उस अनुसार उन्होंने जर्मनी की शरण में आए अंग्रेजों की सेना के हिंदी सैनिकों का अपने भाषणों द्वारा प्रबोधन करके उनका संगठन बनाया । नेताजी के वहां के भाषणों से हिंदी सैनिक देशप्रेम से भाव विभोर होकर स्वतंत्रता के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हो जाते थे ।


🚩आजाद हिंदी फ़ौज की स्थापना और ‘चलो दिल्ली’का नारा


🚩पूर्व एशियाई देशों में जर्मनी के मित्रराष्ट्र जापान की सेना ब्रिटिश सेना को धूल चटा रही थी । जापान में भी शरणार्थी बनकर आए हुए, ब्रिटिश सेना के हिंदी सैनिक थे । नेताजी के मार्गदर्शन में , वहां पहले से ही रह रहे ' रास बिहारी बोस ' ने हिंदी सेना का गठन किया ।


🚩इस हिंदी सेना से मिलने नेताजी 90 दिन पनडुब्बी से यात्रा करते समय मृत्यु से जूझते हुए जुलाई, वर्ष 1943 में जापान की राजधानी टोकियो पहुंचे। रास बिहारी बोस जी ने इस सेना का नेतृत्व नेताजी के हाथों सौंप दिया । 5 जुलाई ,1943 को सिंगापुर में नेताजी ने ‘आजाद हिंद फ़ौज ’ की स्थापना की ।


🚩उस समय सहस्रों सैनिकों के सामने ऐतिहासिक भाषण करते हुए वे बोले,

‘‘सैनिक मित्रों ! आपकी युद्ध घोषणा एक ही रहे ! चलो दिल्ली ! आपमें से कितने लोग इस स्वतंत्रता युद्ध में जीवित रहेंगे, यह तो मैं नहीं जानता,परन्तु मैं इतना अवश्य जानता हूं कि अंतिम विजय अपनी ही है। इसलिए उठो और अपने अपने शस्त्रास्त्र लेकर सुसज्ज हो जाओ । हमारे भारत में आपके आने से पहले ही क्रांतिकारियो ने हमारे लिए मार्ग बना रखा है और वही मार्ग हमें दिल्ली तक ले जाएगा । ….चलो दिल्ली ।”


🚩भारत के अस्थायी शासन की प्रमुख सेना सहस्रों सशस्त्र हिंदी सैनिकों की सेना सिद्ध होने पर और पूर्व एशियाई देशों की लाखों हिंदी जनता का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को समर्थन मिलने पर नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्थान का दूसरा अस्थायी शासन स्थापित किया । इस अस्थायी शासन को जापान, जर्मनी, चीन, इटली, ब्रह्मदेश आदि देशों ने उनकी मान्यता घोषित की ।


🚩इस अस्थायी शासन की आजाद हिंद सेना एक प्रमुख सेना बन गई ! आजाद हिंद सेना में सर्व जाति-जनजाति, अलग-अलग प्रांत, भाषाओं के सैनिक थे । सेना में एकात्मता की भावना थी । ‘कदम कदम बढाए जा’, इस गीत से समरस होकर नेताजी ने तथा उनकी सेना ने आजाद हिंदुस्थान का स्वप्न साकार करने के लिए विजय यात्रा आरंभ की ।


🚩 नेताजी ने झांसी की रानी के पदचिन्हों का अनुसरण कर महिलाओं के लिए ‘रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’ की स्थापना की । पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर महिलाओं को भी सैनिक प्रशिक्षण लेना चाहिए, इस भूमिका पर वे दृढ़ रहे । नेताजी कहते थे , हिंदुस्तान में 1857 के स्वतंत्रता युद्ध में लड़ने वाली झांसी की रानी का आदर्श सामने रखकर महिलाओं को भी स्वतंत्रता संग्राम में अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए ।


🚩आजाद हिंद फ़ौज द्वारा ब्रिटिशों को धक्का


🚩आजाद हिंद सेना का ब्रिटिश सत्ता के विरोध में सैनिकी आक्रमण आरंभ होते ही जापान के सत्ताधीश जनरल टोजो ने इंग्लैंड से जीते हुए अंदमान एवं निकोबार ये दो द्वीप समूह आजाद हिंद सेना के हाथों सौंप दिए । 29 दिसंबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्तान के प्रमुख होने के नाते नेताजी अंदमान गए और अपना स्वतंत्र ध्वज वहां लहराकर सेल्युलर कारागृह में दंड भोग चुके क्रांतिकारियो को श्रद्धांजलि अर्पित की । जनवरी 1944 में नेताजी ने अपनी सशस्त्र सेना ब्रह्मदेश में स्थानांतरित की ।


🚩19 मार्च, 1944 के ऐतिहासिक दिन आजाद हिंद सेना ने भारत की भूमि पर कदम रखा । इंफाल, कोहिमा आदि स्थानों पर इस सेना ने ब्रिटिश सेना पर विजय प्राप्त की । इस विजय निमित्त 22 सितंबर, 1944 को दिए गए भाषण में नेताजी ने गर्जना की... कि, ‘‘अपनी मातृभूमि स्वतंत्रता की मांग कर रही है ! इसलिए मैं आज आपसे आपका रक्त मांग रहा हूं । केवल रक्त से ही हमें स्वतंत्रता मिलेगी । तुम मुझे अपना रक्त दो । मैं तुमको स्वतंत्रता दूंगा !” (‘‘दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा लहराने के लिए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा”) यह भाषण इतिहास में अजर अमर हुआ । उनके इन हृदय झकझोर देनेवाले उद्गारों से उपस्थित हिंदी युवाओं का मन रोमांचित हुआ और उन्होंने अपने रक्त से प्रतिज्ञा लिखी ।


🚩‘चलो दिल्ली’का स्वप्न अधूरा; परंतु ब्रिटिशों को झटका


🚩मार्च 1945 से दोस्त राष्ट्रों के सामने जापान की पराजय होने लगी । 7 मई 1945 को जर्मनी ने बिना किसी शर्त के शरणागति स्वीकार ली, जापान ने 15 अगस्त को शरणागति की अधिकृत घोषणा की । जापान-जर्मनी के इस अनपेक्षित पराजय से नेताजी की सर्व आकांक्षाएं धूमिल हो गईं । ऐसे में अगले रणक्षेत्र की ओर अर्थात् सयाम जाते समय 18 अगस्त, 1945 को फार्मोसा द्वीप पर उनका बॉम्बर विमान गिरकर उनका हदयद्रावक अंत हुआ ।


🚩आजाद हिंद सेना दिल्ली तक नहीं पहुंच पाई; परंतु उस सेना ने जो प्रचंड आवाहन् बलाढ्य ब्रिटिश साम्राज्य के सामने खड़ा किया, इतिहास में वैसा अन्य उदाहरण नहीं । इससे ब्रिटिश सत्ता को भयंकर झटका लगा । हिंदी सैनिकों के विद्रोह से आगे चलकर भारत की सत्ता अपने अधिकार में रखना बहुत ही कठिन होगा, इसकी आशंका अंग्रेजों को आई । चतुर और धूर्त अंग्रेज शासन ने भावी संकट ताड़ लिया । उन्होंने निर्णय लिया कि पराजित होकर जाने से अच्छा है हम स्वयं ही यह देश छोड़कर चले जाएं । तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपनी स्वीकृति दे दी ।


🚩ब्रिटिश भयभीत हो गए और नेहरू भी झुके 


🚩स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाली नेताजी की आजाद हिंद सेना को संपूर्ण भारत वासियों का उत्स्फूर्त समर्थन प्राप्त था । नेताजी ने ब्रिटिश-भारत पर सशस्त्र आक्रमण करने की घोषणा की, तब पंडित नेहरू ने उनका विरोध किया; परंतु नेताजी की एकाएक मृत्यु के उपरांत आजाद हिंद सेना के सेनाधिकारियों पर अभियोग चलते ही, संपूर्ण देश से सेना की ओर से लोकमत प्रकट हुआ ।


🚩सेना की यह लोकप्रियता देखकर अंत में नेहरू को झुकना पडा, इतना ही नहीं उन्होंने स्वयं सेना के अधिकारियों का अधिवक्तापत्र (वकीलपत्र) लिया । अंततः आरोप लगाए गए सेना के 3 सेनाधिकारी सैनिक न्यायालय के सामने दोषी ठहराए गए; परंतु उनका दंड क्षमा कर दिया; क्योंकि अंग्रेज सत्ताधीशों की ध्यान में आया कि, नेताजी के सहयोगियों को दंड दिया, तो 90 वर्षों में लोक क्षोभ उफन कर आएगा । आजाद हिंद सेना के सैनिकों की निस्वार्थ देश सेवा की ज्योति से ही स्वतंत्रता की ज्वाला देशवासियों के हृदयों में निर्माण हुई ।


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Monday, January 22, 2024

राम जन्मभूमि ट्रस्ट के प्रमुख महंत नृत्यगोपालदासजी ने आशारामजी बापू के लिए क्या कहा ?

23 January 2024

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🚩अयोध्या के सबसे बड़े मंदिर, मणि राम दास की छावनी के प्रमुख और राम जन्मभूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख महंत नृत्यगोपालदासजी हैं। वे श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के भी प्रमुख हैं।


🚩महंत नृत्यगोपालदासजी ने साफ तौर पर कहा हैं कि ‘‘संत आशारामजी बापू के प्रति जनता में बहुत भारी श्रद्धा है अतः दोष लगाने के लिए षड्यंत्रकारियों को कोई-न-कोई सहारा चाहिए। इसलिए इस प्रकार से सहारा लेकर उन्होंने चारित्रिक दोष की कल्पना की है लेकिन आशारामजी बापू महात्मा हैं।

https://youtu.be/YcVm0G-sMzA?si=E-TrNYpEMF2qk-_U


🚩जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य महाराज ने भी कहा की आशाराम बापू के साथ अति हो गया है अब उनको रिहा करना चाहिए, यह बात में भारत के प्रधान मंत्री को भी बताऊंगा।

https://youtu.be/hMdDNkyLpHo?si=TJTjXpoejuQQ4_At


🚩आपको बात दे की केवल महंत नृत्यगोपालदासजी और रामभद्राचार्य महाराज ही नही अयोध्या के अन्य संत भी आशाराम बापू की रिहाई के लिए आवाज उठाई है।

 

🚩भारतीय जनक्रांति दल, अयोध्या के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. श्री राकेश शरणजी महाराज ने अशोक सिंघलजी के जीवन को याद करते हुए बताया कि ‘‘श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रणेता अशोक सिंघलजी के दो लक्ष्य थे। एक था श्रीराम मंदिर निर्माण और दूसरा हमारे निर्दोष संत आशाराम बापू की रिहाई। एक लक्ष्य तो पूरा हुआ, दूसरा सरकार कब पूरा करेगी ?’’ 

महाराज जी ने बापू आशाराम जी को महान संत बताया और कहा कि उनका तो समाज के प्रति ऐसा योगदान है कि उन्हें तो श्रीराम मंदिर के कार्यक्रम में होना चाहिए था।


🚩राम मंदिर की तरह बापू की रिहाई के लिए भी हो सामूहिक प्रयास

अयोध्या के स्वामी अवधकिशोर शरणजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘‘बापू आशारामजी को मिशनरियों ने जबरदस्ती फँसाया है। सभी धर्मप्रेमियों, भक्तों, समाज व सभी संत-महापुरुषों से अनुरोध करूँगा कि जैसे राम मंदिर के लिए सभी ने इतना किया इसी तरह बापूजी के लिए भी आवाज उठानी चाहिए।’’

https://youtu.be/p5OaWwkyTX4

 

🚩अयोध्या संत समिति के महामंत्री महंत पवन कुमारदास शास्त्रीजी, राष्ट्रीय संत सुरक्षा परिषद के सम्पूर्ण दक्षिण भारत प्रभारी डॉ. श्रीकृष्ण पुरीजी, अयोध्या के महंत चिन्मयदासजी एवं श्री सतेन्द्रदासजी वेदांती ने भी संत आशाराम बापू की रिहाई के लिए यही बातें कही हैं।


🚩निश्चित ही श्री अशोक सिंघल, वी.एच.पी. व संस्कृतिप्रेमियों का राम मंदिर निर्माण का एक सपना तो साकार हो ही गया है और अब उनका संत आशाराम बापू की निर्दोष रिहाई का दूसरा सपना भी जल्द ही साकार होगा ऐसा जनता का मानना है। संतों और जनता की मांग है कि हिंदूवादी सरकार को बापू आशारामजी की शीघ्र रिहाई करवानी चाहिए।


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Sunday, January 21, 2024

भगवान श्री राम जी के अवतरण को आज लाखों वर्ष हुए , पर आज भी इतनी लोकप्रियता क्यों है ?

22 January 2024

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🚩भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में माना जाता है। धर्मशास्त्रों में, विशेषतः पौराणिक साहित्य में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक चतुर्युगी में 43,20,000 वर्ष होते हैं, जिनमें कलियुग के 4,32,000 वर्ष तथा द्वापर के 8,64,000 वर्ष होते हैं। श्री रामजी का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर युग से पहले हुआ था। चूंकि कलियुग का अभी प्रारंभ ही हुआ है (लगभग 5,144 वर्ष ही बीते हैं) और श्री रामजी का जन्म त्रेता के अंत में हुआ तथा अवतार लेकर धरती पर उनके वर्तमान रहने का समय 11,000 वर्ष से भी अधिक माना गया है। अतः श्री राम राज्य के 11,000 से अधिक वर्ष + द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अब तक बीते 5,144 वर्ष = कुल लगभग 8,80,144 वर्ष हुए। अतएव भगवान श्री रामजी का जन्म आज से लगभग 8,80,144 वर्ष पहले माना जाता है।


🚩एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श पिता, आदर्श शिष्य, आदर्श योद्धा और आदर्श राजा के रूप में यदि किसीका नाम लेना हो तो मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीरामजी का ही नाम सबकी ज़ुबान पर आता है। इसलिए राम-राज्य की महिमा आज लाखों-लाखों वर्षों के बाद भी गायी जाती है।


🚩भगवान श्रीरामजी के सद्गुण ऐसे विलक्षण थे कि पृथ्वी के प्रत्येक धर्म, सम्प्रदाय और जाति के लोग उन सद्गुणों को अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं ।


🚩भगवान श्रीरामजी सारगर्भित बोलते थे। उनसे कोई मिलने आता तो वे यह नहीं सोचते थे कि पहले वह बात शुरू करे या पहले वह ही मुझे प्रणाम करे। सामनेवाले को संकोच न हो इसलिए श्रीरामजी अपनी तरफ से ही बात शुरू कर देते थे।


🚩श्रीरामजी प्रसंगोचित बोलते थे। जब उनके राजदरबार में धर्म की किसी बात पर निर्णय लेते समय दो पक्ष हो जाते थे, तब जो पक्ष उचित होता श्रीरामजी उसके समर्थन में इतिहास, पुराण और पूर्वजों के निर्णय उदाहरण रूप में कहते, जिससे अनुचित बात का समर्थन करनेवाले पक्ष को भी लगे कि दूसरे पक्ष की बात सही है ।


🚩श्रीरामजी दूसरों की बात बड़े ध्यान व आदर से सुनते थे। बोलनेवाला जब तक स्वयं तथा औरों के अहित की बात नहीं कहता, तब तक वे उसकी बात सुन लेते थे। जब वह किसी की निंदा आदि की बात करता तब देखते कि इससे इसका अहित होगा या इसके चित्त का क्षोभ बढ़ जाएगा या किसी दूसरे की हानि होगी, तो वे सामनेवाले को सुनते-सुनते इस ढंग से बात मोड़ देते कि बोलनेवाले का अपमान नहीं होता था। श्रीरामजी तो शत्रुओं के प्रति भी कटु वचन नहीं बोलते थे ।


🚩युद्ध के मैदान में श्रीरामजी एक बाण से रावण के रथ को जला देते, दूसरा बाण मारकर उसके हथियार उड़ा देते फिर भी उनका चित्त शांत और सम रहता था। वे रावण से कहते : ‘लंकेश! जाओ, कल फिर तैयार होकर आना। ऐसा करते-करते काफी समय बीत गया तो देवताओं को चिंता हुई कि रामजी को क्रोध नहीं आता है, वे तो समता-साम्राज्य में स्थिर हैं, फिर रावण का नाश कैसे होगा? लक्ष्मणजी, हनुमानजी आदि को भी चिंता हुई, तब दोनों ने मिलकर प्रार्थना की: ‘प्रभु ! थोड़े कोपायमान होईए। तब श्रीरामजी ने क्रोध का आह्वान किया :

क्रोधं आवाह्यामि ।

‘क्रोध! अब आ जा।’


🚩श्रीरामजी क्रोध का उपयोग तो करते थे, किंतु क्रोध के हाथों में नहीं आते थे। श्रीरामजी को जिस समय जिस साधन की आवश्यकता होती थी, वे उसका उपयोग कर लेते थे। श्रीरामजी का अपने मन पर बड़ा विलक्षण नियंत्रण था। चाहे कोई सौ अपराध कर दे फिर भी रामजी अपने चित्त को क्षुब्ध नहीं होने देते थे।


🚩श्रीरामजी अर्थव्यवस्था में भी निपुण थे। “शुक्रनीति” और “मनुस्मृति” में भी आया है कि जो धर्म, संग्रह, परिजन और अपने लिए- इन चार भागों में अर्थ की ठीक से व्यवस्था करता है वह आदमी इस लोक और परलोक में सुख-आराम पाता है।


🚩श्रीरामजी धन के उपार्जन में भी कुशल थे और उपयोग में भी। जैसे मधुमक्खी पुष्पों को हानि पहुँचाए बिना उनसे परागकण से रस ले लेती है, ऐसे ही श्रीरामजी प्रजा से ऐसे ढंग से कर (टैक्स) लेते कि प्रजा पर बोझ नहीं पड़ता था। वे प्रजा के हित का चिंतन तथा उनके भविष्य का सोच-विचार करके ही कर( टैक्स ) लेते थे।


🚩प्रजा के संतोष तथा विश्वास-सम्पादन के लिए श्रीरामजी राज्यसुख, गृहस्थ-सुख और राज्य-वैभव का त्याग करने में भी कभी संकोच नहीं किया। जिसका उदाहरण है राम वनवास और राम जी द्वारा माता सीता को वन भेजना। इसलिए श्रीरामजी का राज्य आदर्श राज्य माना जाता है।


🚩राम-राज्य का वर्णन करते हुए ‘श्री रामचरितमानस में आता है :

बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग ।

चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहिं भय,सोक न रोग।।


🚩अर्थात्...

‘राम-राज्य में सब लोग अपने-अपने वर्ण और आश्रम के अनुकूल धर्म में तत्पर रहते हुए सदा वेद-मार्ग पर चलते और सुख पाते हैं। उन्हें न किसी बात का भय है, न शोक और न कोई रोग ही सताता है।’


🚩राम-राज्य में किसी को आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक ताप नहीं व्यापते थे। सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते थे और वेदों में बताई हुई नीति (मर्यादा) में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते थे ।


🚩उस काल में धर्म अपने चारों चरणों (सत्य, शौच, दया और दान) से जगत में परिपूर्ण हो रहा था, स्वप्न में भी कहीं पाप नहीं था। पुरुष और स्त्री सभी रामभक्ति के परायण थे और सभी परम गति (मोक्ष) के अधिकारी हुए थे।

स्रोत : संत श्री आशारामजी बापू के प्रवचन से


🚩देश के नेता भी भगवान श्री रामजी से कुछ गुण ले लें तो प्रजा के साथ-साथ उन नेताओं का भी कितना कल्याण होगा, यह अवर्णनीय है और सदियों तक उनका यश भी फैला रहेगा।


🚩सभी देशवासी रामराज्य की स्थापना का संकल्प करें…


🚩रामराज्य में प्रजा धर्माचारिणी थी इसलिए उनको भगवान श्रीराम जैसे सात्त्विक राजा मिले और वे प्रजाजन आदर्श रामराज्य का उपभोग कर पाए।

इसके साथ यदि हम भी धर्मनिष्ठ और ईश्‍वर भक्त बनें, तो पहले के समान ही रामराज्य (धर्माधिष्ठित हिन्दूराष्ट्र) अब भी होगा ही, इसमें रंच मात्र संशय नहीं है।


🚩नित्य धर्माचरण में रत रह कर और परहित परायण भाव से राज्य कार्य करने वाले मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम को बारम्बार प्रणाम।

उस काल में प्रजा का जीवन सुखमय व संपन्न करने और सभी को परमार्थ ( ईश्‍वर प्राप्ति )हेतु प्रेरित करने वालेे रामराज्य की ख्याति थी , जिसमें अपराध , भ्रष्टाचार आदि के लिए कोई स्थान ही नहीं था।


🚩यहाँ सर्वोपरि ध्यान देने योग्य बात यह है कि राम-राज्य में साधु-संतों और आत्मज्ञानी महापुरुष को खूब खूब आदर-सम्मान होता था।श्रीराम जी स्वयं "महर्षि वशिष्ट जी" के श्रीचरणों में नित्य शीश नवाते थे और प्रत्येक कार्य व धर्मानुष्ठान अपने गुरुदेव के मार्गदर्शन में ही करते थे। यहाँ तक कि अयोध्या लौटकर रावण पर विजय का संपूर्ण श्रेय भी उन्होंने अपने सद्गुरुदेव को ही दिया था।

ऐसे आदर्श राज्य “हिन्दूराष्ट्र” की स्थापना का निश्‍चय हम सभी देशवासी करें... !!


🚩 जय श्रीराम 🚩


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भगवान श्री राम के पूर्वज कौन थे और आज कौनसी पीढ़ी चल रही है ?

20 January 2024

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🚩रामायण के बालकांड में गुरु वशिष्ठजी द्वारा राम के कुल का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार है:- ब्रह्माजी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के विवस्वान् और विवस्वान् के वैवस्वत मनु हुए। वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था। वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की।


🚩इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए। कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था। विकुक्षि के पुत्र बाण और बाण के पुत्र अनरण्य हुए। अनरण्य से पृथु और पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ। त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए। धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था। युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए और मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ। सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।


🚩भरत के पुत्र असित हुए और असित के पुत्र सगर हुए। सगर अयोध्या के बहुत प्रतापी राजा थे। सगर के पुत्र का नाम असमंज था। असमंज के पुत्र अंशुमान तथा अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए। दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतार था। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ और ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए। रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया। इसी कारण से राम जी के कुल को रघुकुल भी कहते हैं।


🚩रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध के पुत्र शंखण और शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए। सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था। अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग और शीघ्रग के पुत्र मरु हुए। मरु के पुत्र प्रशुश्रुक और प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए। अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था। नहुष के पुत्र ययाति और ययाति के पुत्र नाभाग हुए। नाभाग के पुत्र का नाम अज था। अज के पुत्र दशरथ हुए और दशरथ के ये चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हैं। वाल्मीकि रामायण- ॥1-59 से 72।।


🚩श्री राम जी के दो पुत्रों लव और कुश में से कुश की निम्नलिखित वंशावली भी मिलती है।

फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है अबतक , क्योंकि अलग अलग ग्रंथों में यह अलग अलग मिलती है। कारण यह कि कुश से लेकर राजा सवाई भवानी सिंह के बीच जिन राजाओं का उल्लेख मिलता है उनके अन्य भाई भी थे, जिनके अन्य वंश चले हैं। इस तरह संपूर्ण भारत देश में राम के वंशजों का एक ऐसा नेटवर्क फैला है जिसकी संपूर्ण वंशावली को यहां देना संभव नहीं है।


🚩 कुश की एक यह वंशावली-


🚩राम के जुड़वा पुत्र लव और कुश हुए। कुश के अतिथि हुए, अतिधि के निषध हुए, निषध के नल हुए, नल के नभस, नभस के पुण्डरीक, पुण्डरीक के क्षेमधन्वा, क्षेमधन्वा के देवानीक, देवानीक के अहीनर, अहीनर के रुरु, रुरु के पारियात्र, पारियात्र के दल, दल के शल , शल के उक्थ, उक्थ के वज्रनाभ, वज्रनाभ के शंखनाभ, शंखनाभ के व्यथिताश्व, व्यथिताश्व से विश्वसह, विश्वसह से हिरण्यनाभ, हिरण्यनाभ से पुष्य, पुष्य से ध्रुवसन्धि, ध्रुवसन्धि से सुदर्शन, सुदर्शन से अग्निवर्णा, अग्निवर्णा से शीघ्र, शीघ्र से मरु, मरु से प्रसुश्रुत, प्रसुश्रुत से सुगवि, सुगवि से अमर्ष, अमर्ष से महास्वन, महास्वन से बृहदबल, बृहदबल से बृहत्क्षण (अभिमन्यु द्वारा मारा गया था), वृहत्क्षण से गुरुक्षेप, गुरक्षेप से वत्स, वत्स से वत्सव्यूह, वत्सव्यूह से प्रतिव्योम, प्रतिव्योम से दिवाकर, दिवाकर से सहदेव, सहदेव से बृहदश्व, वृहदश्व से भानुरथ, भानुरथ से सुप्रतीक, सुप्रतीक से मरुदेव, मरुदेव से सुनक्षत्र, सुनक्षत्र से किन्नर, किन्नर से अंतरिक्ष, अंतरिक्ष से सुवर्ण, सुवर्ण से अमित्रजित्, अमित्रजित् से वृहद्राज, वृहद्राज से धर्मी, धर्मी से कृतन्जय, कृतन्जय से रणन्जय, रणन्जय से संजय, संजय से शुद्धोदन, शुद्धोदन से शाक्य, शाक्य (गौतम बुद्ध) से राहुल, राहुल से प्रसेनजित, प्रसेनजित् से क्षुद्रक, क्षुद्रक से कुंडक, कुंडक से सुरथ, सुरथ से सुमित्र और कुरुम , कुरुम से कच्छ, कच्छ से बुधसेन।


 🚩बुधसेन से क्रमश: धर्मसेन, भजसेन, लोकसेन, लक्ष्मीसेन, रजसेन, रविसेन, करमसेन, कीर्तिसेन, महासेन, धर्मसेन, अमरसेन, अजसेन, अमृतसेन, इंद्रसेन, रजसेन, बिजयमई, स्योमई, देवमई, रिधिमई, रेवमई, सिद्धिमई, त्रिशंकुमई, श्याममई, महीमई, धर्ममई, कर्ममई, राममई, सूरतमई, शीशमई, सुरमई, शंकरमई, किशनमई, जसमई, गौतम, नल, ढोली, लछमनराम, राजाभाण, वजधाम (वज्रदानम), मधुब्रह्म, मंगलराम, क्रिमराम, मूलदेव, अनंगपाल, श्रीपाल (सूर्यपाल), सावन्तपाल, भीमपाल, गंगपाल, महंतपाल, महेंद्रपाल, राजपाल, पद्मपाल, आनन्दपाल, वंशपाल, विजयपाल, कामपाल, दीर्घपाल (ब्रह्मपाल), विशनपाल, धुंधपाल, किशनपाल, निहंगपाल, भीमपाल, अजयपाल, स्वपाल (अश्वपाल), श्यामपाल, अंगपाल, पुहूपपाल, वसन्तपाल, हस्तिपाल, कामपाल, चंद्रपाल, गोविन्दपाल, उदयपाल, चंगपाल, रंगपाल, पुष्पपाल, हरिपाल, अमरपाल, छत्रपाल, महीपाल, धोरपाल, मुंगवपाल, पद्मपाल, रुद्रपाल, विशनपाल, विनयपाल, अच्छपाल (अक्षयपाल), भैंरूपाल, सहजपाल, देवपाल, त्रिलोचनपाल (बिलोचनपाल), विरोचनपाल, रसिकपाल, श्रीपाल (सरसपाल), सुरतपाल, सगुणपाल, अतिपाल, गजपाल (जनपाल), जोगेंद्रपाल, भौजपाल (मजुपाल), रतनपाल, श्यामपाल, हरिचंदपाल, किशनपाल, बीरचन्दपाल, त्रिलोकपाल, धनपाल, मुनिकपाल, नखपाल (नयपाल), प्रतापपाल, धर्मपाल, भूपाल, देशपाल (पृथ्वीपाल), परमपाल, इंद्रपाल, गिरिपाल, रेवन्तपाल, मेहपाल (महिपाल), करणपाल, सुरंगपाल (श्रंगपाल), उग्रपाल, स्योपाल (शिवपाल), मानपाल, परशुपाल (विष्णुपाल), विरचिपाल (रतनपाल), गुणपाल, किशोरपाल (बुद्धपाल), सुरपाल, गंभीरपाल, तेजपाल, सिद्धिपाल (सिंहपाल), गुणपाल, ज्ञानपाल (तक गढ़ ग्वालियर में राज किया), काहिनदेव, देवानीक, इसैसिंह (तक बांस बरेली में राज फिर ढूंढाड़ में आए), सोढ़देव, दूलहराय, काकिल, हणू ( आमेर में राज्य किया ), जान्हड़देव, पंजबन, मलेसी, बीजलदेव, राजदेव, कील्हणदेव, कुंतल, जीणसी (बाद में जोड़े गए), उदयकरण, नरसिंह, वणबीर, उद्धरण, चंद्रसेन, पृथ्वीराज सिंह (इस बीच पूणमल, भीम, आसकरण और राजसिंह भी गद्दी पर बैठे), भारमल, भगवन्तदास, मानसिंह, जगतसिंह (कंवर), महासिंह (आमेर में राजा नहीं हुए), भावसिंह गद्दी पर बैठे, महासिंह (मिर्जा राजा), रामसिंह प्रथम, किशनसिंह (कंवर, राजा नहीं हुए), कुंअर, विशनसिंह, सवाई जयसिंह, सवाई ईश्वरसिंह, सवाई मोधोसिंह, सवाई पृथ्वीसिंह, सवाई प्रतापसिंह, सवाई जगतसिंह, सवाई जयसिंह, सवाई जयसिंह तृतीय, सवाई रामसिंह द्वितीय, सवाई माधोसिंह द्वितीय, सवाई मानसिंह द्वितीय, सवाई भवानी सिंह (वर्तमान में गद्दी पर विराजमान हैं)


🚩अन्य तथ्य:

राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बर्गुर्जर, जयास और सिकरवारों का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। कुश से कुशवाह (कछवाह) राजपूतों का वंश चला।


🚩राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा तो कुश से अतिथि और अतिथि से, निषधन से, नभ से, पुण्डरीक से, क्षेमन्धवा से, देवानीक से, अहीनक से, रुरु से, पारियात्र से, दल से, शल से, उक्थ से, वज्रनाभ से, गण से, व्युषिताश्व से, विश्वसह से, हिरण्यनाभ से, पुष्य से, ध्रुवसंधि से, सुदर्शन से, अग्रिवर्ण से, पद्मवर्ण से, शीघ्र से, मरु से, प्रयुश्रुत से, उदावसु से, नंदिवर्धन से, सकेतु से, देवरात से, बृहदुक्थ से, महावीर्य से, सुधृति से, धृष्टकेतु से, हर्यव से, मरु से, प्रतीन्धक से, कुतिरथ से, देवमीढ़ से, विबुध से, महाधृति से, कीर्तिरात से, महारोमा से, स्वर्णरोमा से और ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ।


🚩कुश वंश के राजा सीरध्वज को सीता नाम की एक पुत्री हुई। सूर्यवंश इसके आगे भी बढ़ा जिसमें कृति नामक राजा का पुत्र जनक हुआ जिसने योग मार्ग का रास्ता अपनाया था। कुश वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है। एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यदि इसकी गणना की जाए तो लव और कुश महाभारत काल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व।


 🚩इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणंजय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। माना जाता है कि जो लोग खुद को शाक्यवंशी कहते हैं वे भी श्रीराम के वंशज हैं।


🚩तो यह सिद्ध हुआ कि वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग भी राम के पुत्र कुश के वंशज हैं। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए वक्तव्य में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे।


 🚩इस घराने के इतिहास की बात करें तो 21 अगस्त, 1921 को जन्में महाराजा मानसिंह ने तीन शादियां की थी। मानसिंह की पहली पत्नी मरुधर कंवर, दूसरी पत्नी का नाम किशोर कंवर था और मानसिंह ने तीसरी शादी गायत्री देवी से की थी। महाराजा मानसिंह और उनकी पहली पत्नी से जन्में पुत्र का नाम भवानी सिंह था। भवानी सिंह का विवाह राजकुमारी पद्मिनी से हुआ। लेकिन दोनों का कोई बेटा नहीं है एक बेटी है जिसका नाम दीया है और जिसका विवाह नरेंद्र सिंह के साथ हुआ है। दीया के बड़े बेटे का नाम पद्मनाभ सिंह और छोटे बेटे का नाम लक्ष्यराज सिंह है।

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🚩क्या भारतीय मुसलमान भी राम के वंशज हैं?


🚩हालांकि ऐसे कई राजा और महाराजा हैं जिनके पूर्वज श्रीराम थे। राजस्थान में कुछ मुस्लिम समूह कुशवाह वंश से ताल्लुक रखते हैं। मुगल काल में इन सभी को जबरन धर्म परिवर्तन करना पड़ा था, लेकिन ये सभी आज भी खुद को प्रभु श्रीराम का वंशज ही मानते हैं।


 🚩इसी तरह मेवात में दहंगल गोत्र के लोग भगवान राम के वंशज हैं ( और छिरकलोत गोत्र के मुस्लिम यदुवंशी माने जाते हैं )। राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि जगहों पर ऐसे कई मुस्लिम गांव या समूह हैं जो राम के वंश से संबंध रखते हैं। डीएनए शोधाधुसार उत्तर प्रदेश के 65 प्रतिशत मुस्लिम ब्राह्मण , बाकी राजपूत, कायस्थ, खत्री, वैश्य और दलित वंश से ताल्लुक रखते हैं।

      - संकलक व लेखक : राजेश पंडित


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Friday, January 19, 2024

कश्मीरी हिन्दुओं के लिए 19 जनवरी की रात कैसे बन गई कातिल ?

19 January 2024

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🚩जनवरी 19 जब-जब यह तारीख आती है, कश्मीरी हिन्दुओं के जख्म हरे हो जाते हैं । यही वह तारीख है जिस दिन जम्मू कश्मीर में बसे हिन्दुओं को अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर कर दिया गया था । इस तारीख ने उनके लिए जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे ।


🚩आपको बता दें कि उस दौर में कश्मीर से केवल पंडितों को ही नहीं बल्कि तमाम हिन्दुओं को प्रताड़ित करके भगाया गया था। हमारे अधूरे इतिहास में केवल पंडितों का नाम इसलिए ऊपर किया गया है ताकि दूसरे हिन्दू भाई शांत रहें । क्योंकि ये नकली इतिहासकार अच्छे से जानते हैं कि हिंदू जाति-पाति में बंटे हैं, एक नहीं है... इसलिए केवल ब्राह्मणों का ही उल्लेख किया गया है।


🚩कश्मीेरी हिन्दुओं को बताया काफिर-


🚩देश की आजादी के बाद धरती के स्वर्ग कश्मीर में नरक का मौहाल बन चुका था । 19 जनवरी 1990 की काली रात को करीब 3 लाख कश्मीरी हिंदुओं ( जिनमें बड़ी संख्या में पंडित थे ) को अपना घर,दुकान,जमीन आदि छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा था । अलगावादियों ने हिन्दुओ के घर पर एक नोटिस चस्पा की थी, जिसपर लिखा था कि ‘या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ…या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’


🚩20 जनवरी 1999 को कश्मीर की मस्जिदों से कश्मीरी हिन्दुओं को काफिर करार दिया गया । मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के जरिए ऐलान किया गया, ‘कश्मीरी पंडित समेत सभी हिन्दू या तो मुसलमान धर्म अपना लें, या चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें ।’ यह ऐलान इसलिए किया गया ताकि कश्मीरी हिंदुओं के घरों को पहचाना जा सके और उन्हें या तो इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर किया जाए या फिर उन्हें मार दिया जाए ।


🚩कश्मीरी हिन्दुओं के सिर काटे गए, कटे सिर वाले शवों को चौक-चौराहों पर लटकाया गया था ।

बड़ी संख्या में कश्मीरी हिन्दुओं ने अपने घर छोड़ दिए । आंकड़ों के मुताबिक 1990 के बाद करीब 7 लाख से अधिक कश्मीरी हिन्दू अपने घरों को छोड़कर कश्मीर से विस्थापित होने को मजबूर हुए ।


🚩खुलेआम हुए थे बलात्कार!!


🚩एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ जिहादियों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद मार-मार कर उसकी हत्या कर दी । घाटी में कई कश्मीरी हिन्दुओं की लड़कियों के साथ जिहादियों ने सामूहिक बलात्कार किया और लड़कियों के अपहरण किए गए ।


🚩मस्जिदों में भारत एवं हिंदू विरोधी भाषण दिए जाने लगे। सभी कश्मीरियों को कहा गया कि इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं ।


🚩डर की वजह से वापस लौटने से कतराते!!


🚩आज भी कश्मीेरी हिन्दुओं के अंदर का डर उन्हें वापस लौटने से रोक देता है । कश्मीरी हिन्दुओं ने घाटी छोड़ने से पहले अपने घरों को कौड़‍ियों के दाम पर बेचा था । 34 वर्षों में कीमतें कई गुना तक बढ़ गई हैं । आज अगर वह वापस आना भी चाहें तो नहीं आ सकते क्योंकि न तो उनका घर है और न ही घाटी में उनकी जमीन बची है । इस मौके पर अभिनेता अनुपम खेर ने एक कविता शेयर की है । आप भी देखिए अनुपम ने कैसे कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द बयां किया है ।


🚩कर्नाटक के श्री प्रमोद मुतालिक, श्रीराम सेना (राष्ट्रिय अध्यक्ष) ने बताया कि यह कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन का प्रश्न नहीं, यह पूरे भारत की समस्या है । हिंदुओं को 1990 में कश्मीर से क्यों निकाला गया ? क्या वो कोई दंगा कर रहे थे ? या उनके घर में हथियार थे ?

उन्हें केवल इसलिए वहां से निकाल दिया गया क्योंकि वे ’हिन्दू´ हैं । आज यही समस्या भारत के विविध राज्यों में उभरनी शुरू हो गई है । इसलिए आज एक भारत अभियान की/राष्ट्र निर्माण की आवश्यकता है ।


🚩अधिवक्ता श्रीमती चेतना शर्मा, हिन्दू स्वाभिमान, उत्तर प्रदेश ने बताया कि राजनैतिक दलों ने हर जगह जाति का नाम देकर हर मामले को राजनैतिक करने का प्रयास किया है । परंतु आज समय आ गया है कि जो स्थिति जैसी है, वैसा ही सत्य रूप दुनिया के सामने लाया जाए । जब भी, जहां भी जनसांख्यिकी बदली है, वहां कश्मीर बना है । अब उत्तर प्रदेश की भी स्थिति वैसी ही होना शुरु हो गई है । कैराना में जो हुआ, वही आज उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में भी होने लगा है । अब मात्र 10 वर्ष में या तो भारत हिन्दू राष्ट्र होगा या हिन्दू विहीन राष्ट्र !


🚩आपको बता दें कि 14 सितंबर 1989 को बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष टिक्कू लाल टपलू की हत्या से कश्मीर में शुरू हुए आतंक का दौर समय के साथ और वीभत्स होता चला गया ।


🚩टिक्कू की हत्या के महीने भर बाद ही जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मकबूल बट को मौत की सजा सुनाने वाले सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी गई । फिर 13 फरवरी को श्रीनगर के टेलीविजन केंद्र के निदेशक लासा कौल की निर्मम हत्या के साथ ही आतंक अपने चरम पर पहुंच गया था । उस दौर के अधिकतर हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई । उसके बाद 300 से अधिक हिंदू-महिलाओं और पुरुषों की आतंकियों ने हत्या की ।


🚩उन कश्मीर हिन्दुओं की हालात की कल्पना कीजिये जब उनके घरों में सामान बिखरा पड़ा था । गैस स्टोव पर देग़चियां और रसोई में बर्तन इधर-उधर फेंके हुए थे । घरों के दरवाज़े खुले थे । हर घर का ऐसा ही हाल था । ऐसा लगता था कि कोई बहुत बड़ा भूकंप के कारण घर वाले अचानक अपने घरों से भाग खड़े हुए हों..कश्मीरी हिन्दू हिंसा, आतंकी हमले और हत्याओं के माहौल में जी रहे थे । सुरक्षाकर्मी थे लेकिन उन्हें मना किया गया था चुप रह कर सब देखते रहने के लिये... ये बात आज तक रहस्य है !

शुरू में उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं । “जम्मू में पहले वो लोग सस्ते होटल में रहे, छोटी-छोटी जगहों पर रहे । बाद में एक धर्मशाला में रहे.. इतना ही नहीं, उनके पेट भीख माग कर भी पले… ।


🚩सरकार प्रयास करें कि वहाँ पुनः हिन्दू बसें।

अन्य राज्यों में हिंदू कम हो रहे हैं। उसके लिए जनता भी ध्यान दे कि जिस तरह से पिछले 75 साल से मुसलमान 8-8 , 10-10 बच्चों को पैदा कर रहे हैं तो हिंदुओं को कम से कम अपनी भी संख्याबल, जन बल पर विचार करना चाहिए और हम दो हमारे दो के फार्मूले को दूर से ही तिलांजलि दे देनी चाहिए ।


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Thursday, January 18, 2024

केके मुहम्मद बोले, ‘जो राम-कृष्ण को नहीं मानता, वो सच्चा मुसलमान नहीं’

19 January 2024

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🚩अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को पुनर्निर्मित राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इससे पहले एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो पुरातत्व विशेषज्ञ केके मुहम्मद का है। केके मुहम्मद बाबरी ढाँचे में हुई खुदाई में शामिल थे। राम मंदिर के सच को बाहर लाने में उनका बड़ा योगदान माना जाता है।


🚩केके मुहम्मद की जो वीडियो वायरल हो रही है, वह लगभग चार साल पुरानी है। उन्होंने साल 2019 में एक लिट फेस्ट में बोलते हुए राम जन्मभूमि में हुई खुदाई के साथ ही देश में मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं कई मस्जिदों के बारे में बताया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कैसे वामपंथी इतिहासकार इस पर बोलने का कभी साहस नहीं जुटा सके।


🚩केके मुहम्मद ने बताया था, कि हिंदुत्व में कोई भी व्यक्ति किसी भी तरीके से रह सकता है। उन्होंने कहा था, “मैं मुस्लिम विद्वानों से बताता हूँ कि पाकिस्तान नाम का मुस्लिम देश बनाने के बाद भी भारत सेक्युलर है तो ये हिन्दुओं के कारण ही संभव है।” केके मोहम्मद ने इस वीडियो में भारतीय मुस्लिमों के भारतीय संस्कृति से सम्बन्ध के विषय में भी बात की।


🚩उन्होंने कहा कि यदि भारत में मुस्लिमों के लिए राम और कृष्ण उनके लिए हीरो नहीं हैं तो वे परफेक्ट मुस्लिम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मलेशिया और इंडोनेशिया में भी मुस्लिम राम और कृष्ण को मानते हैं, जबकि वे उनके देश में नहीं हुए। इसी तरह भारत के मुस्लिमों को भी यही करना था, लेकिन वे समझ नहीं पाए।


🚩उन्होंने ईरान का उदाहरण देते हुए कहा कि ईरान के आज भी राष्ट्रीय हीरो रूस्तम और सोहराब हैं। ये दोनों पर्शिया, जो अब मुस्लिम शासन होने के बाद ईरान बन गया है, के हीरो थे। ये मुस्लिम भी नहीं थे, फिर भी इन्हें ईरान अपना नेशनल हीरो मानता है। 


🚩इस वीडियो में केके मुहम्मद को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि साल 1990 में राम जन्मभूमि के विषय में सच बोलने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था। हालाँकि, बाद में निलंबन को स्थानांतरण में बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि बाबरी को खाली जमीन पर बनाया गया था, लेकिन बाद में हुए सर्वे ने स्पष्ट कर दिया कि यहाँ एक बड़ा मंदिर था।


🚩उन्होंने बताया कि वहाँ कई स्तंभ मिले। ढाँचे वाली जगह से 263 मूर्तियाँ मिलीं। इनमें वराह समेत अन्य कई प्रतीक मिले, जो एक मस्जिद में से कभी नहीं मिल सकते। उन्होंने एक शिलालेख के विषय में भी बताया, जिसमें लिखा था कि यह मंदिर उस अवतार को समर्पित है, जिसने बालि को मारा था। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिमों के लिए बाबरी कोई बहुत बड़े महत्व की नहीं थी।

https://twitter.com/ARanganathan72/status/1747518681301868926?t=hAHWNaxkvDfJCvWtwFHkGw&s=19


🚩केके मुहम्मद ने यह भी कहा कि यदि मुस्लिमों ने इस जगह को हिन्दुओं को दे दिया होता तो ये मामला शांति से निपट जाता। इस दौरान एक दर्शक ने उनसे पूछा कि राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ऐसा दिखाया गया कि इसमें किसी की हार नहीं हुई है। हिन्दू-मुस्लिम एक है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी हार मार्क्सवादियों की हुई। इस पर दर्शक ने उनकी राय पूछी।


🚩केके मुहम्मद ने इसका जवाब देते हुए कहा कि 34-35 साल की लड़ाई के बाद मार्क्सवादी और वामपंथी इतिहासकारों की बड़ी हार हुई है। उन्होंने कुछ कम्युनिस्टों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये लोग अच्छे होते हैं, मगर इरफान हबीब जैसे कुछ इतिहासकार बिल्कुल इसके विपरीत अपना नैरेटिव गढ़ते हैं, जो कि अब पूरी तरह से फेल हो चुका है।


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Wednesday, January 17, 2024

गुरु गोविन्द सिंह के इस सन्देश को पढ़ लिया होता तो हिंदू नही बंटते जातिवाद में

19 January 2024

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🚩गुरु गोविन्द सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ साथ महान विद्वान् भी थे। वे ब्रज भाषा, पंजाबी, संस्कृत और फारसी भी जानते थे और इन सभी भाषाओँ में कविता भी लिख सकते थे। जब औरंगजेब के अत्याचार सीमा से बढ़ गए तो गुरूजी ने मार्च 1705 को एक पत्र भाई दयाल सिंह के हाथों औरंगजेब को भेजा। इसमे उसे सुधरने की नसीहत दी गयी थी। यह पत्र फारसी भाषा के छंद शेरों के रूप में लिखा गया है। इसमे कुल 134 शेर हैं। इस पत्र को “ज़फरनामा” कहा जाता है।


🚩यद्यपि यह पत्र औरंगजेब के लिए था। लेकिन इसमे जो उपदेश दिए गए है वह आज हमारे लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इसमे औरंगजेब के आलावा मुसलमानों के बारे में जो लिखा गया है, वह हमारी आँखें खोलने के लिए काफी हैं। इसीलिए ज़फरनामा को धार्मिक ग्रन्थ के रूप में स्वीकार करते हुए दशम ग्रन्थ में शामिल किया गया है।


🚩जफरनामा से विषयानुसार कुछ अंश प्रस्तुत किये जा रहे हैं। ताकि लोगों को इस्लाम की हकीकत पता चल सके ।


🚩1 – शस्त्रधारी ईश्वर की वंदना–

बनामे खुदावंद तेगो तबर, खुदावंद तीरों सिनानो सिपर।

खुदावंद मर्दाने जंग आजमा, ख़ुदावंदे अस्पाने पा दर हवा।

अर्थ : उस ईश्वर की वंदना करता हूँ, जो तलवार, छुरा, बाण, बरछा और ढाल का स्वामी है और जो युद्ध में प्रवीण वीर पुरुषों का स्वामी है, जिनके पास पवन वेग से दौड़ने वाले घोड़े हैं।


🚩2 – औरंगजेब के कुकर्म :

तो खाके पिदर रा बकिरादारे जिश्त, खूने बिरादर बिदादी सिरिश्त

वजा खानए खाम करदी बिना, बराए दरे दौलते खेश रा

अर्थ :- तूने अपने बाप की मिट्टी को अपने भाइयों के खून से गूँधा और उस खून से सनी मिटटी से अपने राज्य की नींव रखी और अपना आलीशान महल तैयार किया।


🚩3 – अल्लाह के नाम पर छल–

न दीगर गिरायम बनामे खुदात, कि दीदम खुदाओ व् कलामे खुदात

ब सौगंदे तो एतबारे न मांद, मिरा जुज ब शमशीर कारे न मांद

अर्थ : तेरे खु-दा के नाम पर मैं धोखा नहीं खाऊंगा, क्योंकि तेरा खु-दा और उसका कलाम झूठे हैं। मुझे उनपर यकीन नहीं है। इसलिए सिवा तलवार के प्रयोग से कोई उपाय नहीं रहा।


🚩4 – छोटे बच्चों की हत्या–

चि शुद शिगाले ब मकरो रिया, हमीं कुश्त दो बच्चये शेर रा.

चिहा शुद कि चूँ बच्च गां कुश्त चार, कि बाकी बिमादंद पेचीदा मार.

अर्थ : यदि सियार शेर के बच्चों को अकेला पाकर धोखे से मार डाले तो क्या हुआ। अभी बदला लेने वाला उसका पिता कुंडली मारे विषधर की तरह बाकी है। जो तुझ से पूरा बदला चुका लेगा।


🚩5 – मु-सलमानों पर विश्वास नहीं–

मरा एतबारे बरीं हल्फ नेस्त, कि एजद गवाहस्तो यजदां यकेस्त.

न कतरा मरा एतबारे बरूस्त, कि बख्शी ओ दीवां हम कज्ब गोस्त.

कसे कोले कुरआं कुनद ऐतबार, हमा रोजे आखिर शवद खारो जार.

अगर सद ब कुरआं बिखुर्दी कसम, मारा एतबारे न यक जर्रे दम.

अर्थ : मुझे इस बात पर यकीन नहीं कि तेरा खुदा एक है। तेरी किताब (कु-रान) और उसका लाने वाला सभी झूठे हैं। जो भी कु-रान पर विश्वास करेगा, वह आखिर में दुखी और अपमानित होगा। अगर कोई कुरान कि सौ बार भी कसम खाए, तो उस पर यकीन नहीं करना चाहिए।


🚩6 – दुष्टों का अंजाम —

कुजा शाह इस्कंदर ओ शेरशाह, कि यक हम न मांदस्त जिन्दा बजाह.

कुजा शाह तैमूर ओ बाबर कुजास्त, हुमायूं कुजस्त शाह अकबर कुजास्त.

अर्थ : सिकंदर कहाँ है, और शेरशाह कहाँ है, सब जिन्दा नहीं रहे। कोई भी अमर नहीं हैं, तैमूर, बाबर, हुमायूँ और अकबर कहाँ गए। सब का एकसा अंजाम हुआ।


🚩7 – गुरूजी की प्रतिज्ञा —

कि हरगिज अजां चार दीवार शूम, निशानी न मानद बरीं पाक बूम.

चूं शेरे जियां जिन्दा मानद हमें, जी तो इन्ताकामे सीतानद हमें.

चूँ कार अज हमां हीलते दर गुजश्त, हलालस्त बुर्दन ब शमशीर दस्त.

अर्थ : हम तेरे शासन की दीवारों की नींव इस पवित्र देश से उखाड़ देंगे। मेरे शेर जब तक जिन्दा रहेंगे, बदला लेते रहेंगे। जब हरेक उपाय निष्फल हो जाएँ तो हाथों में तलवार उठाना ही धर्म है।


🚩8 – ईश्वर सत्य के साथ है —

इके यार बाशद चि दुश्मन कुनद, अगर दुश्मनी रा बसद तन कुनद.

उदू दुश्मनी गर हजार आवरद, न यक मूए ऊरा न जरा आवरद.

अर्थ : यदि ईश्वर मित्र हो, तो दुश्मन क्या क़र सकेगा, चाहे वह सौ शरीर धारण क़र ले। यदि हजारों शत्रु हों, तो भी वह बाल बांका नहीं क़र सकते है। सदा ही धर्म की विजय होती है।


🚩गुरु गोविन्द सिंह ने अपनी इसी प्रकार की ओजस्वी वाणियों से लोगों को इतना निर्भय और महान योद्धा बना दिया कि अब भी शांतिप्रिय — सिखों से उलझाने से कतराते हैं। वह जानते हैं कि सिख अपना बदला लिए बिना नहीं रह सकते। इसलिए उनसे दूर ही रहो।


🚩इस लेख का एकमात्र उद्देश्य है कि आप लोग गुरु गोविन्द साहिब कि वाणी को आदर पूर्वक पढ़ें और श्री गुरु तेगबहादुर और गुरु गोविन्द सिंह जी के बच्चों के महान बलिदानों को हमेशा स्मरण रखें और उनको अपना आदर्श मनाकर देश धर्म की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो जाएँ । वरना यह सेकुलर और जिहादी एक दिन हिन्दुओं को विलुप्त प्राणी बनाकर मानेंगे।

गुरु गोविन्द सिंह का बलिदान सर्वोपरि और अद्वितीय है।


🚩सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, बढे धर्म हिन्दू सकल भंड भागे…।


🚩गुरु गोविन्द सिंह के महान संकल्प से खालसा की स्थापना हुई। हिन्दू समाज अत्याचार का सामना करने हेतु संगठित हुआ। पंच प्यारों में सभी जातियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसका अर्थ यही था कि अत्याचार का सामना करने के लिए हिन्दू समाज को जात-पात मिटाकर संगठित होना होगा। तभी अपने से बलवान शत्रु का सामना किया जा सकेगा…


🚩खेद है की हिन्दुओं ने गुरु गोविन्द सिंह के सन्देश पर अमल नहीं किया। जात-पात के नाम पर बटें हुए हिन्दू समाज में संगठन भावना शुन्य हैं। गुरु गोविन्द सिंह ने स्पष्ट सन्देश दिया कि कायरता भूलकर, स्व बलिदान देना जब तक हम नहीं सीखेंगे तब तक देश, धर्म और जाति की सेवा नहीं कर सकेंगे।


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Tuesday, January 16, 2024

आशाराम बापू ने वास्तव में ऐसा क्या किया था, जिससे उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गयी...?

17 January 2024

https://azaadbharat.org 


🚩आशाराम बापू ने ईसाई बना दिए गए लाखों हिंदू आदिवासियों की घर वापसी करवाई। करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति आस्थावान बना दिया। सैंकड़ों गुरुकुल और 17000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार संस्कारवान जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर अनेकों गौशालाएं खोल दी। वेलेंटाइन डे के दिन करोडों लोगों द्वारा मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया ।

विदेशों में भी उनके लाखों अनुयायी बन चुके थे और वे सनातन संस्कृति का वहाँ प्रचार करने लगे हैं। करोड़ों लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया उसके बाद उन करोडों लोगों ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया बापूजी ने...

उनके अनुयाइयों ने क्लबों में जाना छोड़ दिया। ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे। स्वदेशी अपनाने लगे इसके कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अरबों-खरबों रुपयों का घाटा हुआ और ईसाई मिशनरियों की धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं। इन्हीं कारणों से पूरे सुनियोजित ढंग से उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया।


🚩बताया जाता है कि विदेशी कंपनियों को अरबों-खरबों का घाटा होने और धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने के कारण हिन्दू धर्म विरोधी व राष्ट्र विरोधी ताकतों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा । डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके जी ने बताया है कि इन दोनों ने ही आशाराम बापू को पहले ही बता दिया था कि आप जो धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं, उसके कारण वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे देश में पल रहे विदेशी एजेंट्स के साथ सांठ-गांठ से आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहा है... पर आशारामजी बापू ने कहा कि “देश व धर्म की रक्षा के लिए सूली पर चढ़ जाऊंगा लेकिन हिन्दू धर्म की हानि नहीं होने दूंगा।”


🚩आपको बता दें कि उनके खिलाफ षडयंत्र तो 2004 से शुरू हो गया था और 2008 में उसने जोर पकड़ा। नतीजतन 2013 में झूठे केस में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।


🚩भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए जितना कार्य आशाराम बापू ने किया है, उतना तो आज कोई करने का सोच भी नहीं सकता । देश-विदेश के लोगों को हिन्दू धर्म से न सिर्फ अवगत कराया बल्कि इसकी महानता से भी ओत-प्रोत किया और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया ।  https://youtu.be/wmswegtRqus


🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जाने वाले बापू आशारामजी का हृदय विशाल होने के साथ-साथ देश के कल्याण और मंगल के लिए द्रवीभूत भी रहता है । जब बापू आसारामजी ने देखा कि कई अत्याचारों से जूझ रहा भारत देश धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर अपनी संस्कृति से, अपनी प्रगति से दूर किया जा रहा है तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशी सभ्यता को निकाल फेंकना होगा और फिर उनके 60 सालों से अनवरत, अथक प्रयासों और सेवा प्रकल्पों द्वारा भारत-वासियों को मिली सही राह ।


🚩आज बापू आशारामजी कारागृह में हैं तो सिर्फ इसी वजह से, क्योंकि उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आशारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड्यंत्रों से बचा और करोड़ों देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई। कई विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सही दिशा मिली । बापूजी के द्वारा किये जाने वाले ये सारे देश मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आशारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच के झूठे केस के जरिए उन्हें देश और समाज से दूर किया । https://youtu.be/j1cCIdlT50c


🚩लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते हैं कि बापू आशारामजी केवल एक शरीर हैं अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते हैं और जो सत्य के प्रतीक हैं वे सर्वव्याप्त हैं । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि आयोजन रुकने के बजाय और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी और इनके दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आशारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच भी नहीं आयी । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं !

बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित सेवा और आत्मज्ञान के प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा । 


🚩भारत का स्वर्णिम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई हैं । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थव्यवस्था, राजनीति और यहाँ के लोगों का ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे । अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत अभियान के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक विश्वगुरु बन कर रहेगा । 

https://youtu.be/U-kryE2VPc4


🚩राष्ट्र संस्कृति और समाज सेवा में अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले आशाराम बापू को शीघ्र रिहा करना चाहिए ऐसी विश्व भर के सनातन प्रेमियों की मांग है।


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