10 May 2024
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🚩उत्तम स्वास्थ्य का आधार है यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्वक व्यवस्थित जीवन। बाह्य चकाचौंध की ओर अधिक आकर्षित होकर हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं इसलिए हमारा शरीर रोगों का घर बनता जा रहा है।
🚩‘चरक संहिता’ में कहा गया हैः
आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।
परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान हित सेवने।।
🚩'इस संसार में सुखी जीवन की इच्छा रखने वाले बुद्धिमान व्यक्ति आहार-विहार, आचार और चेष्टाएँ हितकारक रखने का प्रयत्न करें।'
🚩उचित आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य – ये तीनों वात, पित्त और कफ को समान रखते हुए शरीर को स्वस्थ व निरोग बनाये रखते हैं, इसीलिए इन तीनों को उपस्तम्भ माना गया है। अतः आरोग्य के लिए इन तीनों का पालन अनिवार्य है।
🚩आईसीएमआर की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 56.4 प्रतिशत बीमारियों की वजह खराब खानपान है। इन्हें देखते हुए ICMR ने खाने और पोषण से जुड़ी 17 डाइटरी गाइडलाइंस जारी की हैं। इनका उद्देश्य जरूरी पोषण को सुनिश्चित करना और मोटापे-डायिटीज जैसी बीमारियों से लोगों को दूर रखना है। दरअसल आईसीएमआर के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन (NIN) ने ये रिपोर्ट बनाई है। रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी डाइट रखने और फिजिकल एक्टिविटीज बनाए रखने से दिल की बीमारियों और हाइपरटेंशन जैसी स्थितियों से बहुत हद तक बचा जा सकता है, साथ ही टाइप-2 डायबिटीज से भी 80 प्रतिशत तक सुरक्षा मिलती है.
🚩प्री-मैच्योर मौतों को रोकने के लिए जरूरी है हेल्दी लाइफस्टाइल:
रिपोर्ट कहती है कि 'अच्छी लाइफस्टाइल अपनाने से समय से पहले होने वाली मौतों की बड़ी संख्या को रोका जा सकता है। दरअसल बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड्स, जिनमें बड़ी मात्रा में शुगर और फैट होता है, जब उन्हें लगातार व्यक्ति खाता है, ऊपर से फिजिकल एक्टिविटीज भी बहुत सीमित होती हैं, तो शरीर में माइक्रोन्यूट्रीएंट की कमी होने लगती है, साथ में मोटापा भी घेर लेता है।'
🚩गाइडलाइंस की अहम बातें:
एनआईएन ने नमक कम खाने, फैट और ऑयल सीमित मात्रा में लेने, एक्सरसाइज करने, शुगर और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को कम करने की सलाह दी है।
एनआईएन का सुझाव है कि मोटापे से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की जरूरत है। साथ ही फूड लेबल्स में लिखी जानकारी को ठीक ढंग से पढ़कर इनफॉर्म्ड च्वाइस अपनाने की सलाह दी है।
🚩आईसीएमआर के डायरेक्टर डॉक्टर राजीव बहल कहते हैं, 'बीते कुछ दशकों में भारतीय लोगों की खान-पान की आदतों में बहुत जबरदस्त बदलाव आया है। इससे नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियों की मात्रा बढ़ेगी, जबकि कुपोषण की कुछ मौजूदा समस्याएं जस के तस बरकरार हैं।'
🚩बैलेंस डाइट में 45 प्रतिशत कैलोरी अनाज और मोटे-अनाज से होनी चाहिए। जबकि 15 प्रतिशत कैलोरी दालों, बीन्स (फलियों) आदि से आनी चाहिए। बाकी कैलोरीज सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए।
🚩अशुद्ध और अखाद्य भोजन, अनियमित रहन-सहन, संकुचित विचार तथा छल-कपट से भरा व्यवहार – ये विविध रोगों के स्रोत हैं। कोई भी दवाई इन बीमारियों का स्थायी इलाज नहीं कर सकती। थोड़े समय के लिए दवाई एक रोग को दबाकर, कुछ ही समय में दूसरा रोग उभार देती है। अतः अगर सर्वसाधारण जन इन दवाइयों की गुलामी से बचकर, अपना आहार शुद्ध, रहन-सहन नियमित, विचार उदार तथा व्यवहार प्रेममय बनायें रखें तो वे सदा स्वस्थ, सुखी, संतुष्ट एवं प्रसन्न बने रहेंगे। आदर्श आहार-विहार और विचार-व्यवहार ये चहुँमुखी सुख-समृद्धि की कुंजियाँ हैं।
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