Saturday, August 19, 2023

रक्षाबंधन शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पवित्र पर्व

 रक्षाबंधन शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पवित्र पर्व है।

राखी खरीदते हुए इतनी सावधानी अवश्य रखें.....



19 August 2023

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🚩भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन पर्व की बड़ी भारी महिमा है । इतिहास साक्षी है, कि इसके द्वारा अनगिनत पुण्यात्मा लाभान्वित हुए हैं, फिर चाहे वो वीर योद्धा अभिमन्यु हों या स्वयं देवराज इंद्र । हर युग में इस पर्व ने अपना एक क्रांतिकारी इतिहास रचा है ।


🚩राखी मात्र एक सुंदर,सजीला धागा नहीं अपितु शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का ऐसा सुरक्षा कवच है, जिसे हम सनातनी अपने स्नेहीजनों को धारण करवाते हैं और संकल्प करते हैं कि हमारे अपने स्वस्थ्य, सुखी, प्रसन्न और सर्व प्रकार से सम्पन्न रहें । वो यशस्वी , तेजस्वी हो, त्रिलोचन हो , दीर्घायु हो और परम लक्ष्य को साधने में सफल हो जाएं।


🚩रक्षाबंधन के पर्व पर सभी हिन्दू बहनें राखियां खरीदती हैं। पर वो इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती हैं कि कहा से और किससे खरीदी कर रही हैं। राखी खरीदते हुए इतना अवश्य ध्यान दें , कि इस त्योहार में शुद्धता , पवित्रता और शुभ संकल्पों का बड़ा ही विशेष महत्व है, इसलिए...


🚩इस परम् पवित्र त्यौहार पर हम कहीं ऐसे विधर्मियों के यहां से तो रक्षासूत्र नहीं खरीद रहे हैं , जो कि आए दिन अपने अलावा अन्य मजहब वालों पर ( खासकर हिन्दुओं पर ) हिंसा करने वाले , मांस खाने वाले , खाद्यपदार्थों में थूककर अन्य लोगों का धर्म भ्रष्ट करने वाले हैं ।

क्योंकि ऐसे तो कई वीडियोज वायरल होते रहते हैं।

......ध्यान देने वाली बात यह है कि अशुभ , दूषित संकल्पों और अशुद्ध स्पर्श से वह रक्षासूत्र भी अपवित्र हो जाता है।


🚩 तो रक्षासूत्र सदैव हिन्दुओं की दुकान से ही खरीदें।


🚩हम यह भी जानते हैं, कि ये विधर्मी कभी स्वप्न में भी हिन्दुओं का हित करना तो दूर की बात, सोच भी नहीं सकते।बल्कि हिन्दुओ को नष्ट कर देना ही उनकी मंशा रही है।


🚩 जरा सोचिए...उनकी आमदनी बढ़ेगी तो वे कश्मीर और मेवात में हिंदुओं का जो हाल किया, वैसा ही हाल हमारे आपके शहरों में भी क्या नहीं कर देंगे।

इसलिए सभी बहनें इस बात का अवश्य ध्यान रखें और संकल्प लें ,कि मै॔ हिन्दुओं की दुकानों से ही पवित्र रक्षासूत्र खरीदूंगी।


🚩आप घर पर भी वैदिक रक्षा सूत्र बना सकते हैं।


🚩रक्षा सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य व प्रभाव असीम हो जाता है ।

 

🚩वैदिक राखी का महत्व :

 

🚩वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में वर्णित है, कि सावन के महीने में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है । साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है ।

 

🚩कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र :

 

🚩दुर्वा, चावल, केसर ( या हल्दी पाउडर ), चंदन ( कुमकुम/रोली ) और सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रेशमी कपड़े में बांध लें यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा । इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, गोमती चक्र आदि भी रखा जाता है । रेशमी कपड़े में लपेट कर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें ।

और लीजिए... आपकी " वैदिक राखी " तैयार हो गई ।


🚩‘रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बाँधते समय वर्षभर हमारे अपनों की रोगों से , बुरे भावों से , बुरे कर्मों से रक्षा रहे’ , शुभता बढ़े , आनंद, उत्साह औदार्य ,दया , क्षमा जैसे सद्गुण बढ़ें और ईश्वर प्राप्ति की रुचि जग कर आत्मसाक्षात्कार की मंज़िल प्राप्त हो... ऐसे एक-दूसरे के प्रति सत्संकल्प करते हैं ।


🚩राखी महंगी है या सस्ती, यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता, वरन् इस धागे के पीछे जितना निर्दोष प्रेम होता है, जितनी अधिक शुद्ध भावना होती है, जितना पवित्र संकल्प होता है, उतनी ही रक्षा होती है तथा उतना ही लाभ होता है। जो रक्षा की भावनाएँ धागे के साथ जुड़ी होती हैं, वे अवश्य फलदायी होती हैं, और रक्षा करती ही हैं। इसलिए भी तो इस पर्व को रक्षाबंधन कहते हैं।


🚩राखी का धागा तो 25-50 पैसे का भी हो सकता है, किंतु धागे के साथ जो संकल्प किये जाते हैं, वे अंतःकरण को तेजस्वी व पावन बनाते हैं। जैसे इन्द्र जब तेजहीन हो गये थे, तो शचि ने उनमें प्राणबल , मनोबल के भाव का रोपण कर दिया कि , ʹʹजब तक मेरे द्वारा बँधा हुआ धागा आपके हाथ पर रहेगा, आपकी ही विजय होगी, आपकी रक्षा होगी तथा भगवान की कृपा से आपका बाल तक बाँका नहीं होगा।”


🚩शचि ने इन्द्र को राखी बाँधी तो इन्द्र में प्राणबल का विकास हुआ और इन्द्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की। धागा तो छोटा सा होता है लेकिन बाँधने वाले का शुभ संकल्प और बँधवाने वाले का विश्वास काम कर जाता है।


🚩आखिर में यही कहेगें की रक्षासूत्र हिन्दू भाई से ही खरीदें.....।


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Friday, August 18, 2023

स्वामी करपात्रीजी महाराज कौन थे ? गांधी परिवार को श्राप क्यों दिया था ? जानिए....


18 August 2023

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🚩सत्य के शोध के लिए स्वयं कृति कर समाज को दिशा देनेवाले करपात्री स्वामीजी हम सभी के लिए अत्यंत पूज्यनीय है। उनके नेतृत्व में वर्ष 1966 में हुआ गोरक्षा आंदोलन भारतीय इतिहास का सबसे बडा आंदोलन कहा जा सकता है। ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो।’ यह उनका घोष आज भी हिन्दूओं को प्रेरणा देता है।


🚩स्वामीजी का परिचय ही धर्मसम्राट, प्रकाण्ड विद्वान, गोवंश रक्षक ऐसे किया जाता है। स्वामी करपात्री जी महाराज का जन्म 1907 में उत्तरप्रदेश राज्य के प्रतापगढ जिले के भटनी गांव में रामनिधि ओझाजी के परिवार में हुआ।


🚩स्वामी जी को 8-9 वर्ष की आयु में ही सत्य का ज्ञान हो गया। उनको सांसारिक जीवन का मोह नही था, इसलिए विवाहित होते हुए भी वे तपस्या के लिए घर से निकल गए थे। स्वामीजी महाराज ने...

‘धर्म की जय हो...

अधर्म का नाश हो...

प्राणियों में सद्भाव हो...

विश्‍व का कल्याण हो...

यह जयघोष लोगों तक पहुंचाया। देश विदेश सभी जगहों पर उन्होंने सनातन धर्म के ज्ञान का प्रचार- प्रसार किया।


🚩स्वामी जी को करपात्री महाराज क्यों कहा जाता है ? इसका भी एक कारण है। स्वामी करपात्री जी महाराज ने तपस्या काल में ही पात्र का त्याग कर दिया था। दिन में केवल एक बार ही हाथ की

अंजली में जितना समाये, उतना ही भोजन लेकर वे ग्रहण करते थे । ‘कर’ अर्थात हाथ में भोजन करने के कारण ही इनका नाम " स्वामी करपात्री जी महाराज " प्रसिद्ध हुआ ।


🚩धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज नैष्ठिक ब्रह्मचर्यव्रत धारण कर हरिनारायण से हरिहर चैतन्य बने। 24 वर्ष की आयु में विद्यागुरु स्वामी श्री विश्‍वेश्‍वराश्रमजी के आग्रह के अनुसार ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य परम् तपस्वी 1008 स्वामी श्री ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज से विधिवत अनुग्रह तथा दण्ड धारण कर ‘हरिहरानंद सरस्वती’ नामग्रहण किया।


🚩संन्यास धारण करने के उपरांत ढाई गज कपड़ा तथा दो लंगोटी इतने ही उनके वस्त्र रह गए। इन्ही वस्त्रों में वर्षाकाल, ग्रीष्मकाल तथा शीतकाल इन तीनों ऋतुओं को सहन करना उनका स्वभाव बन गया था। गंगातट पर एकाकी झोपडी में निवास, घरों से भिक्षाग्रहण करना, 24 घंटे में एक बार भोजन करना तथा भूमिशयन करना, पदयात्रा करना और एक टांग पर खड़े होकर तपस्या की कठोर साधना करना, यह उनकी दिनचर्या बन गई थी। सारे संकटों का सामना करते हुए उन्होंने अपने धर्मनिष्ठ विचारों को हिन्दी तथा संस्कृत भाषा में प्रकट किया।


🚩धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज धर्म के ज्ञाता होने के साथ-साथ प्रकाण्ड पंडित भी थे। वेदार्थ पारिजात, रामायण मीमांसा, विचार पीयूष, मार्क्सवाद और रामराज्य आदि उनके ग्रंथ प्रचलित हैं।


🚩"वर्ष 1966 में स्वामी करपात्रीजी महाराज के नेतृत्व में हुआ गोरक्षा आंदोलन"

🚩महाराज जी द्वारा किए गए गौरक्षा आंदोलन को समझने से पहले उसकी पृष्ठभूमि समझेंगे। भारत की स्वतंत्रता के बाद विनोबा भावेजी ने पूर्ण गोवध बंदी की मांग रखी थी। उसके लिए कानून बनाने का आग्रह उन्होंने नेहरू से किया था। वो अपनी पदयात्रा में यह प्रश्‍न उठाते रहे। कुछ राज्यों ने गोवध बंदी के कानून बनाए। इसी बीच हिन्दू महासभा के अध्यक्ष निर्मलचन्द्र चटर्जी ने एक विधेयक वर्ष 1955 में प्रस्तुत किया। उस पर जवाहरलाल नेहरू ने लोकसभा में कहां कि...

‘‘मैं गोवधबंदी के विरुद्ध हूँ। सदन इस विधेयक को रद्द कर दे। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि ऐसे विधेयक पर न तो विचार करे और न कोई कार्यवाही।’’


🚩इसके पश्‍चात वर्ष 1955-66 में प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, स्वामी करपात्रीजी महाराज और देश के तमाम संतों ने इसे आंदोलन का रूप दे दिया। गोरक्षा का अभियान शुरू हुआ, जिसमें देशभर के संतों के साथ लाखों लोग सडकों पर आ गए।


🚩आंदोलन की गंभीरता को समझते हुए सबसे पहले जयप्रकाश नारायण ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र में ‘हिन्दु बहुल भारतदेश में गोहत्या प्रतिबंध कानून क्यों नही लाया जा सकता ?’ यह प्रश्‍न पूछा।


🚩इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण का यह परार्मश नहीं माना। परिणामस्वरूप सर्वदलीय गोरक्षा महाभियान ने दिल्ली में विराट प्रदर्शन किया। दिल्ली के इतिहास का वह सबसे बडा प्रदर्शन था।


🚩भारत के इतिहास में गोवंश की रक्षा के लिए उठा आंदोलन इंदिरा गांधी द्वारा कुचला गया।


🚩इंदिरा गांधी स्वामी करपात्रीजी और विनोबाजी को बहुत मानती थी, ऐसा कहा जाता है।

चुनाव सामने थे,

...कहते हैं कि इंदिरा गांधी ने करपात्रीजी महाराज से आशीर्वाद लेकर वचन दिया था, कि चुनाव जीतने के बाद अंग्रेजों के समय से चल रहे गायों के सारे कत्लखाने बंद हो जाएंगे।

इंदिरा गांधी चुनाव जीत भी गई, परंतु कई दिनों तक इंदिरा गांधी स्वामीजी की बात टालती रही। ऐसे में स्वामी करपात्रीजी को आंदोलन का रास्ता अपनाना पडा।


🚩उस समय करपात्रीजी महाराज शंकराचार्य के समकक्ष देश के मान्य संत थे। लाखों साधु-संतों ने उनका साथ देकर कहां की यदि सरकार गोरक्षा का कानून पारित करने का कोई ठोस आश्‍वासन नहीं देती है, तो हम संसद को चारों ओर से घेर लेंगे। फिर न तो कोई अंदर जा पाएगा और न बाहर आ पाएगा।


🚩संतों ने 7 नवंबर 1966 को संसद भवन के सामने धरना शुरू कर दिया। जिसमें शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ, स्वामी करपात्रीजी महाराज और रामचन्द्र वीर आगे थे। करपात्रीजी महाराज के नेतृत्व में जगन्नाथपुरी, ज्योतिष पीठ व द्वारका पीठ के शंकराचार्य, वल्लभ संप्रदाय के सातों पीठों के पीठाधिपति, रामानुज संप्रदाय, माधव संप्रदाय, रामानंदाचार्य, आर्य समाज, नाथ संप्रदाय, जैन, बौद्ध व सिख समाज के प्रतिनिधि व सहस्रों की संख्या में मौजूद नागा साधुओं सहित संतजन इस आंदोलन में सहभागी हुए थे, जिसमें 10 से 20 हजार तो केवल महिलाएं ही थीं। लाल किला मैदान से आरंभ हुई पदयात्रा संसद भवन तक निकली। इस आंदोलन के प्रति लोगों के मन में इतना श्रद्धा थी , कि रास्तों पर अपने घरों से लोग फूलों की वर्षा कर रहे थे।


🚩कहते हैं , कि पदयात्रा संसद भवन पर पहुंच गयी और संत समाज के संबोधन में आर्य समाज के स्वामी रामेश्‍वरानंद भाषण देने के लिए खडे हुए। उन्होंने कहा कि यह सरकार बहरी है। यह गोहत्या को रोकने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाएगी। इसे झकझोरना होगा.....


🚩संत रामचन्द्र वीर ने आमरण अनशन चालू कर दिया। प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण पद्धति से आंदोलन कर रहे थे। उनमें भारी संख्या में महिलाएं बच्चों के साथ सम्मिलित थीं। अचानक कुछ शरारती तत्त्वों ने ट्रांसपोर्ट भवन के पास कुछ वाहनों को आग लगा दी। यह घटना देखते ही संसद के दरवाजे तुरंत बंद कर दिए गए और चारों तरफ धुआं उठने लगा।


🚩जब इंदिरा गांधी को यह सूचना मिली, तो उन्होंने निहत्थे करपात्री महाराज और संतों पर गोली चलाने के आदेश दे दिए। पुलिस ने लाठी और अश्रुगैस चलाना शुरू कर दिया। इससे चीढ़कर भीड आक्रामक हो गई। इतने में अंदर से गोली चलाने का आदेश हुआ और पुलिस ने संतों और गोरक्षकों की भीड पर अंधाधुंध गोलियां बरसायीं। उस गोलीकांड में सैकडों साधु और गोरक्षक शहीद हुए ।


🚩दिल्ली में कर्फ्यू लगा दिया गया। संचार माध्यमों को सेंसर कर दिया गया और हजारों संतों को तिहाड़ जेल में डाल दिया गया। इस हत्याकांड से क्षुब्ध होकर तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारीलाल नंदा ने अपना त्यागपत्र दे दिया और इस कांड के लिए खुद एवं सरकार को जिम्मेदार बताया।


🚩इधर संत रामचन्द्र वीर अनशन पर डटे रहे, जो 166 दिनों के बाद उनकी मृत्यु के बाद ही समाप्त हुआ था। देश के इतने बडे घटनाक्रम को किसी भी राष्ट्रीय अखबार ने छापने की हिम्मत नहीं दिखाई। यह वार्ता केवल मासिक पत्रिका ‘आर्यावर्त’ और ‘केसरी’ में छपी थी। कुछ दिन बाद मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ ने अपने गौ अंक विशेषांक में विस्तारपूर्वक इस घटना का वर्णन किया था।


🚩गौहत्या बंद करने के प्रबल समर्थक स्वामी करपात्री जी महाराज ने इंदिरा गांधी को श्राप दिया, जो सच हो गया। वर्ष 1966 में इंदिरा गांधी ने संतों के ऊपर गोलियां चलवा दी, जिसमें 250 संत मारे गए। वह गोपाष्टमी का दिन था। जो गौ-पूजा का सबसे बड़ा दिन होता है। इस घटना के बाद स्वामी करपात्रीजी के शिष्य बताते हैं कि करपात्रीजी ने इंदिरा गांधी को श्राप दे दिया कि जिस तरह से इंदिरा गांधी ने निहत्थे साधु-संतों और गोरक्षकों पर अंधाधुंध गोलीबारी करवाकर मारवाया है, उसका भी हश्र यही होगा।


🚩कहते हैं, कि संसद के सामने साधुओं की लाशें उठाते हुए करपात्री महाराज ने अश्रुपात करते हुए ये श्राप दिया था। जो बात आगे चलकर सही साबित हुई ।


🚩स्वामी करपात्री जी महाराज का महानिर्वाण माघ शुक्ल चतुर्दशी ( 7 फरवरी, 1982 ) को हुआ। केदार घाट, वाराणसी में स्वेच्छा से उनके पंचप्राण महाप्राण में विलीन हो गए। उनके आदेशानुसार उनके परम् पावन नश्‍वर शरीर को केदार घाट स्थित , श्री गंगा महारानी की पवित्र गोद में जल समाधी दी गई। आज उनके द्वारा आरंभ किए गौरक्षा आंदोलन को पूर्णत्व देने के लिए हिन्दू राष्ट्र के सिवा और कोई पर्याय है ही नहीं ।


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Thursday, August 17, 2023

ऋषि मुनियों के देश में साधुओं की हो रही है भयंकर तरीके से हत्याएं

  


17 August 2023

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🚩राष्ट्र विरोधी ताकतों ने देखा कि अगर भारतीय संस्कृति को खत्म करना है तो सबसे पहले उनके रक्षक साधु-संतों के प्रति लोगों की श्रद्धा खत्म करो जिसके लिए मीडिया द्वारा बदनाम करो या झूठे केस द्वारा जेल भिजवा दो अथवा हत्या कर दो जिससे आसानी से हिन्दू संस्कृति को खत्म करके धर्मान्तरण कर सकें एवं जिहाद फैला सकें और मंदिर की जगा चर्च या मस्जिद बनाकर उनका धर्म आसानी से फैला सकें ।

 

🚩बर्बरता से की साधू की हत्या 


🚩राजस्थान के नागौर में 70 साल के संत मोहन दास की चाकू मारकर हत्या किए जाने का मामला सामने आया है। उनका शव आश्रम के फर्श पर पड़ा था। खून बिखरे हुए थे। हाथ-पैर रस्सी से बँधे थे। मुँह और आँखों पर पट्टी थी। यह आश्रम कुचामन थाना क्षेत्र के रसाल गाँव में स्थित है। हरिराम बाबा की बगीची नामक इस आश्रम के भैरो बाबा मंदिर में संत मोहन दास 14 साल से सेवा कर रहे थे।


🚩संत की हत्या की खबर लोगों को सोमवार (14 अगस्त, 2023) की सुबह पता चली। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार की सुबह करीब 8 बजे नर सिंह नाम का एक श्रद्धालु आश्रम गए। उन्हों संत मोहन दास को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद जब वे मंदिर के पीछे बरामदे की तरफ गए तो वहाँ संत का शव बिस्तर के पास फर्श पर पड़ा मिला। शव के पास ही खून बिखरा हुआ था। उन्होंने तुरंत गाँव वालों को सूचना दी। इसके बाद करीब 8.30 बजे सुबह पुलिस मौके पर पहुँची।


🚩चाकू घोंपकर संत की हत्या


🚩पुलिस ने प्रारंभिक जाँच के बाद बताया हो कि हत्या रविवार (13 अगस्त, 2023) रात को हुई। उनके शरीर पर धारदार हथियार के कई निशान पाए गए हैं। मोहन दास के परिजनों ने हत्या के इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है। मोहन दास के भतीजे त्रिलोक राम और बाकी परिजनों ने आरोपितों को जल्द से जल्द पकड़ने की माँग की। उनका कहना है कि जब तक पुलिस दोषियों को गिरफ्तार नहीं करती है, तब तक वे शव नहीं लेंगे।


🚩भतीजे त्रिलोक राम ने पुलिस को बताया कि रविवार रात 8 बजे तक मोहन दास गाँव वालों के साथ बातचीत कर रहे थे। इसके बाद वह सोने के लिए अपने कमरे में चले गए। गाँव वाले भी बगीची से अपने घर की ओर चले गए। आश्रम में रात में उनके अलावा कोई नहीं था। सुबह नर सिंह से पता चला कि उनकी डेड बॉडी मिली है।


🚩जाँच में जुटी पुलिस...


🚩जिला एसपी प्रवीण कुमार ने बताया कि शुरुआती जाँच में चोरी के मकसद से हत्या का मामला लग रहा है। संत के परिजनों ने शिकायत दी है। फिलहाल आरोपितों के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। जाँच की जा रही है। जल्द ही खुलासा किया जाएगा।


🚩गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में साधु, संतों और पुजारियों पर हमले की घटनाओं में अचानक वृद्धि देखने को मिली है। अप्रैल में सबसे पहले पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग का मामला सामने आया था। इसके बाद महाराष्ट्र के नांदेड़ में लिंगायत समाज के साधु की हत्या हुई थी। कुछ दिनों बाद वृंदावन में साधु तमालदास के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी। बिहार में भी कजरा थाना क्षेत्र के श्रृंगी ऋषि धाम के पुजारी नीरज झा की हत्या कर उनके शव को जंगल स्थि‍त हनुमान थान के समीप फेंक दिया गया था। इनके अलावा यूपी के सुल्तानपुर, संभल में भी इसी तरह के हमले देखने को मिले थे।

 

🚩भारतीय संस्कृति महान एवं प्राचीन है लेकिन राक्षसी स्वभाव के लोगों को सनातन संस्कृति कांटे की नाई चुभ रही है इसलिए इसे नष्ट करने के लिए अनेक कुठाराघात किये पर अभी भी सनातन संस्कृति अडिग है क्योंकि इस संस्कृति के रक्षक स्वयं भगवान एवं साधु-संत हैं, जिसकी वजह से ऐसे घोर कलिकाल में भी करोड़ों लोगों की आस्था साधु-संतो के प्रति है और वे सनातन संस्कृति को लोगों के दिल मे प्रगटाते रहते हैं जिसके कारण दुष्ट स्वभाव के लोग सफल नहीं हो पा रहे हैं इसलिए साधु-संतों की हत्या कर देते है अथवा झूठे केस में जेल भेजवा देते हैं। जैसे की हिंदू संत आशाराम बापू राष्ट्र , संस्कृति और समाज की सेवा तन मन धन से करते थे इसलिए उन्हें झूठे केस में फंसाकर मीडिया में बदनाम करके जेल पहुंचा दिया ।


🚩हिन्दुओं को संगठित होकर अपने साधु-संतों पर हो रहे षड्यंत्र का विरोध करना चाहिए, तभी हिन्दू संत और संस्कृति सुरक्षित रह पाएंगे ।


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Wednesday, August 16, 2023

अपने देश व सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु कटिबद्ध नहीं तो फिर उनका जीना ही बेकार है..

16 August 2023


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🚩शाम की रुपहली किरणें हमारे साथ की सीमा के बाहर झांक रहीं थीं, किन्तु हमारे भाग्य में उन्हें देखना बदा न था। 15 अगस्त से पूर्व तो हम अपने शहर से एक मील स्टेशन तक सैर को जा सकते थे, किन्तु इधर उधर के अप्रत्याशित कत्लों के भय ने हमें वहां से खींच कर शहर से केवल एक फर्लांग की दूरी पर, नहर की पटरी पर ला पटका। सायंकाल के 5 बजते ही लोग 50-60 की टोलियां बना कर नहर की पटरी तक आते। पुल के किनारे पर बैठते। सामाजिक चर्चा करके फिर जेल के कैदी के समान दिया जलने से पूर्व ही लौट आते व अन्धेरा होते ही शहर के चारों दरवाजे बन्द हो जाते थे।


🚩शहर की बनावट ही विचित्र बनाई है। इस जैसा एक रूप में बना शहर और शायद कहीं हो तो हो चौक में खड़ा मनुष्य सारे शहर को एक ही नजर में देख सकता है। गली के बिल्कुल सामने गली। शहर के चारों ओर परकोटा। वह एक ऐसी स्थिति थी जो इस भयानक तम वातावरण में भी हमें शत्रुओं के आक्रमणों से बचाये हुए थी। सारा दिन भय और चिन्ता में बीतता था, तो रात्रि ‘खबरदार और होशियार’ के नारों से गुंजित रहती थी। शत्रु की दृष्टि में हम पूर्णतया अपनी रक्षा में समर्थ और उसे नीचा दिखाने की क्षमता रखते थे। वह तो भगवान् ही जानता है कि हमारी कितनी तैयारी थी और हम कितने पानी में थे।


🚩रोज रक्षा समितियां होती थीं, किन्तु बातों ही बातों में शहर के कर्णधार समय व्यतीत करके अपने घरों को चले जाते थे। इतना कुछ होते हुए भी चन्द एक युवकों के उत्साह के बल पर हम स्थानीय मुसलमानों से हार जाने वाले नहीं थे, ऐसी धारणा शत्रु और मित्र पक्ष की थी।


🚩मुसलमानों के श्रम और स्थानीय हिन्दू अधिपतियों की गाढ़ी निद्रा तथा पाकिस्तानी योजना की अर्थ प्रणाली के फलस्वरूप हमारी विपत्ति की एकमात्र रक्षिका हिन्दू सेना भी हमें भगवान् के सहारे छोड़ करके चली गई थी। म्युनिसिपल कमेटी का कार्य अस्त-व्यस्त हो चुका था। पूर्व कार्यकर्ता काम छोड़ बैठे थे। सफाई का तनिक मात्र भी प्रबन्ध नहीं था। खास शहर क्षेत्र भी चलते-फिरते मनुष्यों से भरे नर्ककुण्ड से भी निकृष्टतर हो चुका था। इर्द गिर्द के देहात के अशिक्षित लोगों के आ जाने के कारण सफाई की प्रणाली और भी बिगड़ चुकी थी। वह बच्चों को शौच निवारणार्थ नालियों में ही बिठा देते थे। इन नालियों की सफाई का कार्य भी शहर के प्रतिष्ठित सज्जनों को करना पड़ता था। ऐसी अवस्था को देख करके याद आ जाती थी, जबकि स्वर्गीय अमर शहीद बापू अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ अपने हाथों में झाड़ू और सिर पर गन्दगी की टोकरी उठाये सफाई करते दिखाई देते थे। मकानों को साफ करने वाले मुसलमान भंगी एक समय के १) और २) तक वसूल करते थे। जिन्हें दो समय भरपेट भोजन भी दुर्लभ था, वे इस रकम को कैसे भरते ?


🚩ऐसी विकट परिस्थिति थी, सारा शहर पाकिस्तान छोड़कर हिन्दुस्तान आने को कमर कसे बैठा था। हमारा सब सामान पाकिस्तान की सम्पत्ति समझी जाती थी। मुस्लिम नेशनल बोर्ड के लगातार प्रचार के अतिरिक्त भी हमारे घर की नई मशीनें ३५) को बिक रही थीं। कईयों का सौदा तो १५) और २०) पर भी आ निपटता था। साईकल २०) को और सजाने की शीशें वाली मेजें ३) तक को उठ जाती थीं। कुर्सी १), पलंग ५) और ट्रक आठ आने तक में प्रत्येक घर से मिन्नतों और धन्यवादों से मिल जाता था। ख़ालिस घी १) सेर और चीनी तीन आने में बिक रही थी। कपड़ों और गेहूं को लोग गरीबों में मुफ्त बांट करके परम सन्तोष अनुभव करते थे। चारों ओर, “अंधेर नगरी चौपट राजा। टके सेर भाजी टके सेर खाजा।।” का राज्य छाया हुआ था। ऐसी परिस्थिति में भला कौन वहां रहना चाहता।


🚩पहली स्पेशल गाड़ी आ गई, तो जूते की तह से लेकर के पगड़ी के छोर तक सब कुछ टटोला गया। स्त्रियों के गुप्तांगों को भी, स्त्री वेषधारी कामुकों ने तलाशी लेकर हिन्दू शरीरधारी मानव को मुस्लिम वेष में फिरते नर पशु ने तीन ही वस्त्रों में भेजा। इसमें वे करोड़पति भी थे जोकि आज तक भूमि पर पैदल भी न चले थे। आहें लेती और सिसकियां भरती सन्तानों को अपने तीन वस्त्रों में छिपाये भारत की शान देवी पाकिस्तान को हमेशा के लिए प्रणाम करके भारत को चल पड़ी।


🚩दूसरी और तीसरी स्पेशल गाड़ी के बीच शहर में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए। तीसरी स्पेशल के आने से पन्द्रह दिन पूर्व हमारा शहर से निकलना पूर्णतया बन्द हो चुका था। प्रति शुक्रवार शहर में नमाज के लिए हज़ारों मुसलमानों के धड़-धड़ घुस आने पर हमारा सारा दिन मौत की घड़ियां गिनते बीतता था। लोग अपने-अपने तख़्तपोशों पर और गलियों के सिरों पर मोर्चा बना करके बैठे रहते थे। माताएं और बहिनें घर में भगवान् का नाम लेकर के हमारे सकुशल घर पहुंचने की प्रार्थनाएं किया करती थीं। शहर की आधे से अधिक स्त्रियों के पास सांघातिक विष था, जो किसी भी समय आने वाली मुसीबत में संकटमोचन का काम देता।


🚩आखिर वह संख्या आ ही पहुंची, जब कि सबने सुना कि कल 3500 मनुष्यों की एक स्पेशल ट्रेन भारत की ओर जावेगी। टिकट बंट गए ताकि लोग अधिक न आ सकें। सारी रात जागकर लोग तैयारी करते रहे क्योंकि आने वाला प्रातःकाल उनके दुःखों को नष्ट करने के हेतु स्वरूप लुभावना दीख रहा था। सारी रात जागते कटी। रात को यह अफ़वाह फैल गई कि कल बैलगाड़ियां और तांगे स्टेशन की ओर नहीं जायेंगे इसलिए सामान जितना संक्षिप्त किया जा सकता था, किया गया। इंतज़ार की घड़ी लम्बी होती है, पर फिर वह भी आ ही पहुंची।


🚩प्रातः 5 बजे मुझे चाचा जी ने बुलाया, जो कि कमेटी के प्रधान थे और कहा- ‘मुझे एक विश्वस्त सूत्र से ज्ञात हुआ है, कि इस गाड़ी के साथ एक षड्यन्त्र है, अतः तुम मत जाओ।’


🚩‘मैं बच्चों का बिलखना सुन चुका था। दूध उन्हें मिल नहीं रहा था। ताजी सब्जी के दर्शन दुर्लभ थे। मैं टूट चुका था। गली में स्थान-स्थान पर पड़े कूड़े के ढेरों को देखकर प्रति समय हैजा का भय सताता था। शत्रु के आक्रमण की चर्चा और बलोच सेना के मनमाने अत्याचार हमारी दिन और रात की रोटी का रस सुखाये चले जा रहे थे। ऐसी परिस्थिति में मैंने भी उद्दण्ड सन्तान के समान आज्ञा का उल्लंघन करते हुए जवाब दे ही तो दिया, यहां के घुल-घुल करके मरने से रास्ते में ही कहीं पर मर जाना श्रेयस्कर है।’


🚩इस पर चाचा जी ने मुझे आशीर्वाद दिया और कहा ‘भगवान् तुम्हारा भला करे।’ उनकी चरण रज ले करके हम शहर से बाहर निकले। आठ ट्रक और आठ बिस्तरे तीन परिवारों के थे। बैलगाड़ी पर एक मील के ८०) भर कर हम स्टेशन की ओर चले। पहले स्पेशल रात्रि के समय ही पहुंच जाती थी, किन्तु यह 11 बजे दोपहर को आयी। हमने सारी गाड़ी को झांक डाला, किन्तु हिन्दू सेना का निशान कहीं पर भी न मिला।


🚩सेना-नायक अपनी बलोच सेना को रास्ते का प्रोग्राम समझा रहा था और मन अन्दर से धक्-धक् कर रहा था। आने वाला भय मिश्रित समय हमारे अन्दर निराशा का आसव उड़ेल रहा था। मुस्लिम सेना हिन्दू नवयुवकों को जबरन बाहर निकाल-निकाल करके गाड़ी की छत पर बिठा रही थी। उनकी वे हरकतें हमारे अन्दर छिपे भय को और भी बढ़ा रहीं थीं। हम द्विविध में थे। इधर आग और उधर खाई। हम मन मसोड़कर ही बैठे रहे। मुस्लिम सेना के सैनिक अभी अन्दर घुसने को ही थे कि दूर से हमें एक ट्रक आता दिखाई दिया। उनमें से निकलते मरहट्टा सैनिकों के चेहरों को देख करके सबके सूखे मुख-कमल आशा और प्रसन्नता से निखर उठे। हमने समझा बस अब संकट कट गया, किन्तु हमें क्या पता था कि फूलों के नीचे विषधारी सर्प कुण्डली मारे बैठा है। राख के नीचे सुलगती चिंगारी सबको भस्म करने के लिए अभी जल रही हैं। अमृत मुख पट के अन्दर हलाहल विष छिपा पड़ा है।


🚩फिर भी सब प्रसन्न थे। सबके छिपे चेहरे खिड़की के बाहर झांक रहे थे। बच्चे हँस रहे थे और स्त्रियां सुखमयी वार्ता में लीन थीं। कोई डेढ़ बजे के करीब हम शुजाबाद को अन्तिम प्रणाम करके चल पड़े। हमारे मन में जन्मभूमि का प्रेम उमड़ पड़ा। तब बिलख-बिलख कर रो रहे थे और बिस्मिल के वह शब्द गुनगुना रहे थे...

दर-ओ-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं,

ख़ुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं।


🚩गाड़ी अपना रास्ता तय करती चली जा रही थी। शुजाबाद के चौथे स्टेशन पर गाड़ी एक घण्टे के लिए रुकी और उसने दिशा परिवर्तन किया। सबने नलकों से पानी भरा। गाड़ी चल पड़ी। प्रत्येक स्टेशन पर सशस्त्र धर्मांध मुस्लिम सैकड़ों और हज़ारों की संख्या में प्लेटफॉर्म पर ठहरे हमारा स्वागत करते थे। वह सचमुच उन जंगली पशुओं के समान दीख रहे थे, जोकि हिंस्रवृत्ति में उलझे हुए अपने सामने शिकार को आता देख करके अपने से अधिक बलवान् को सामने देखकर दांत पीसकर के रह जाते हैं, ठीक वह दशा उनकी थी। इसी तरह करते-कराते हम (साढ़े आठ) 8:30 बजे पाकपटन स्टेशन पर पहुंचे, जहां पर कि हमारे भाग्य का निश्चय होना था।


🚩यहां पर आकर हिन्दू सेना उतर गई और उसकी जगह पर बलोच सेना के सिपाही अपने कंधे पर संगीनों वाली बन्दूकों को लटकाये आ पहुंचे। उनके आगमन के साथ ही स्टेशन पर का सब पानी बन्द हो गया। बच्चे प्यास से कराह उठे। साढ़े 3 घण्टे एडमिन भी स्टेशन से दूर रहा। हमें क्या पता था कि पानी लेने के बहाने वह हमारे खून लेने का षड्यन्त्र रच रहा था। रात के ठीक 12 बज कर पांच मिनिट पर हमारी गाड़ी पाकपटन की सीमा को पार करती हुई, हमारे दुर्भाग्य पर धुआं उड़ाती हुई चल पड़ी। ठीक 12 बज कर दस मिनिट पर पाकपटन और उसमानवाला स्टेशन के बीचों-बीच मिन्ट गुमरी जिले को आबाद करने वाली, हमारे लिए “अल्लाहो अकबर” और “या अली” तथा “काफ़िरों को मारो” का संदेशा लेकर बहने वाली नीलवाह नदी के किनारे पर आकर के हमारी गाड़ी रुक गई। छुरियों, कुल्हाड़ियों, तेगों और दूसरे प्रकार के शस्त्रों का ताण्डव नृत्य होने लगा। हम कोई आधा घण्टा मृत्यु की छत्रछाया में पड़े करवटें बदलते रहें। गाड़ी के किवाड़ों और खिड़कियों के तख़्ते नहीं थे। सबने उनके आगे ट्रंकों और बिस्तरों को रखकर अन्दर से बन्द कर दिया। जिन्होंने आज तक भगवान का नाम नहीं लिया था, वे भी अविराम गति से “राम”, “कृष्ण” और “ओ३म्” का जाप करने लगे। स्त्रियां, पतियों और बच्चों की सलामती की मनौतियां मना रही थीं। चंद स्वार्थी नरपिशाच यहां पर भी रक्षा के नाम पर चोर बाजारी धन बटोर रहे थे। हमें बाहरी दुनिया का लेशमात्र भी ज्ञान नहीं था। हम तो केवल यही जानते थे कि 12 बजकर 30 मिनिट पर गाड़ी चली और उसमानवाला स्टेशन पर पहुंची, जहां पर कि सुबह छः बजे तक ठहरी रही। वह साढ़े 5 घण्टे हमारे उस कैदी के समान गुज़र रहे थे, जिनको किसी समय भी फांसी की सजा मिल जाये। यहां पर आकर हमें पता चला कि हमारी गाड़ी के तीन छकड़ों के आदमी बिल्कुल समाप्त कर दिए गए हैं।


🚩पशुता का ताण्डव...

🚩मेरे पास एक बच्चा आया, जिसकी आयु 5 वर्ष थी। वह प्लेटफॉर्म पर मेरा नाम लेकर चिल्ला रहा था । जब उसे मेरे पास पहुंचाया गया, तो वह रो रहा था। उसकी सिसकियों में एक करुण क्रन्दन था- ‘मेरे माता-पिता मर गये हैं, मेरे भाईयों और बहिनों को किसी ने कुल्हाड़ी से काट डाला है।’ कितना मर्मस्पर्शी दृश्य था वह, जिसे देखकर वहां पर बैठी सभी स्त्रियां फफक फफक कर रो रही थीं। हम उसे धैर्य बंधा रहे थे , किन्तु हमारी आंखें गंगा-जमुना बन रही थीं।


🚩जाको राखे साइयां...

🚩इसी प्रकार एक घटना हुई ,अगले छकड़े में एक लड़की जिसकी आयु 14 वर्ष की थी दौड़ती हुई चिल्ला रही थी ‘भगवान् मुझे बचाओ।’ चन्द नवयुवकों ने उसे गाड़ी में खींच लिया। वह नंगी थी, उसे कपड़े दिए गए। उसके मुख पर एक निशान था, जो जबरदस्ती लड़कर छूटने में हुआ था। चन्द कामुक मुसलमानों के चुम्बन का घाव उसके मुख पर था, जिससे खून निकल रहा था।


🚩6 बजे हमारी गाड़ी चली और दोपहर को निर्विघ्न कसूर पहुंच गई। वहीं भारत और पाकिस्तान से आने वाली गाड़ियों का अड्डा था । उसमानवाला और कसूर के बीच सही सलामत यात्रा करने का श्रेय हम अपने शहर के तहसीलदार और एक राना शफ़ी अहमद को देते हैं, जिन्होंने पाकपटन से कसूर इस आशय का तार दे दिया था कि ‘हमने सारी गाड़ी नष्ट कर दी है’। उसमानवाला स्टेशन पर छः घण्टे की रुकावट ने हमें उस सारे प्रोग्राम से बचा दिया, जो कि रास्ते में हमारे विनाश की घड़ियां गिन रहा था। ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोय’ फिर भी हम 3500 मनुष्यों में से 600 को गवां करके अश्रुओं का हार पहिने कसूर पहुंचे।



🚩वहां पर भी भाग्य हम पर अठखेलियां कर रहा था। 2 बजे दोपहर को कोई 5000 सशस्त्र आक्रान्ताओं ने हम पर हमला कर दिया। इनके साथ 137 बलोच सैनिक भी थे जिनके पास युद्ध का सब आधुनिक सामान था। हमारे साथी थे भगवान और 36 मरहट्टे सैनिक, जिन्होंने दो की आहुति देकर के हमारी रक्षा की। यहां पर हमारे 150 आदमी मरे। छः घण्टे लगातार हम गोलियों की बौछार के नीचे पड़े रहे। हमें दुनिया की सुध-बुध नहीं थी। हम अपने आपको उस परब्रह्म पर छोड़ चुके थे जिससे मिलाने के लिए यह गोलियां हमारे ऊपर साय साय करके चल रही थीं। रात भी सर पर आ पहुंची। आक्रमणकर्ता वापिस चले गये। हम भी अन्धकारमयी रजनी में मुर्दों को सिरहाना बना कर लहू की शैय्या पर पड़े रहे। इसका भान हमें तब हुआ, जब कि हम प्रात:काल जागे और अपने सारे वस्त्रों को लहू में घिरा देखा। बरबस मेरे मुख से निकला- “दुर्भाग्य! कभी तो सफेद वस्त्र पर दो धब्बे खून के देखकर न्यायाधीश मनुष्य को फांसी पर चढ़ा देता था और कहां आज खून से हम चारों ओर लिपटे हुए हैं। किन्तु न्याय नदारद!”


🚩प्रातः 7 बजे ट्रक आये, जो हमें सतलज से पार भारत की सरहद में ले गये । हमने दस माह के बाद अपने मुख से नारा लगाया- “हिन्दुस्तान, जिन्दाबाद”


            लेखक : श्री इन्द्रकुमार विद्यार्थी

            प्रस्तुति : प्रियांशु सेठ [‘वीर अर्जुन’ (साप्ताहिक) के १९४८ अंक से साभार]



🚩इस लेख को पढ़ने के बाद भी जो देशवासी अपने देश की संस्कृति व देशहित के लिए कार्य नही करता है तो फिर उनका जीना भी बेकार है।

देश को तोड़ने वाली ताकतों से अपने देश को बचाने के लिए हर हिन्दुस्तानी को सतर्क रहना ही होगा।


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Tuesday, August 15, 2023

स्वतंत्रता अपहरण दिवस या स्वतंत्रता दिवस ? जानिए

 15 August 2023


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🚩भारत सरकार सन 2023 में 76 वे स्वतंत्रता दिवस को अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है । सत्य, न्याय और मानवता के आधार पर यदि शासन तंत्र कार्य कर रहा है,तो उसे स्वतंत्रता कहा जा सकता है। यह लोक व्यवहार की स्वतंत्रता का न्यूनतम मापदंड है, चाहे लोकतंत्र हो या राजतन्त्र या कोई अन्य तंत्र। इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी स्वीकार करना ही पड़ेगा अन्यथा वह दानवाधिकार आयोग ही कहलाएगा ।


🚩आज भारत में छद्म युद्ध के द्वारा हिंदुओं को समाप्त किया जा रहा है। गौ मांस खाने की खुली घोषणा करने वाले आज भी खुले घूम रहे हैं। गौ रक्षकों की आए दिन हत्याएं हो रही है, गोरक्षकों को जेल में डाला जा रहा है। शहर गांव के मुख्य चौराहे चौक, गली गली में शराब की दुकानें खोल दी गई है। क्रिश्चियन अंग्रेजों ने स्कूलों में गीता पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो आज भी लागू है । धर्मांतरण के विरोध मे कार्य करने वाले संतो को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल में डाला जा रहा है। इसकी भरपाई कौन करेगा ?


🚩आज भी भारत का शासन तंत्र धर्मांतरण करने वाली शक्तियों के प्रभाव में कार्य करता है । नेता असली मुद्दे छुपाकर नए बनावटी मुद्दे बनाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। हिंदू मुस्लिम मुद्दे बनाए जा रहे हैं । अलगाववादी जातिवादी मुद्दे पैदा किए जा रहे हैं। वोट बैंक के लिए हिंदुओं की जेब काटी जा रही है । छद्म धर्मनिरपेक्षता के द्वारा छद्म युद्ध के द्वारा सनातन धर्म और हिंदू जनता को समाप्त किया जा रहा है। भारत के 8 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुका है, वहाँ आज भी हिन्दू भयंकर अन्याय अत्याचार सहन कर रहा है ।


🚩अखाड़ा के दो निर्दोष साधुओं की पालघर में पुलिस के सामने पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, वहां भगवा वस्त्र धारियों को देखते ही क्रिस्चन बाहुल आदिवासी जनता हमला कर देती है। धर्मांतरण रोकने वाले उड़ीसा के स्वामी लक्ष्मणानंद के आश्रम में घुस कर उनकी और उनके छात्र छात्राओं की निर्मम हत्या कर दी गई। शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती 9 वर्ष बाद निर्दोष साबित हुए। बैंगलोर के स्वामी नित्यानंद के चरित्र हनन की सीडी फर्जी साबित हुई। वर्तमान सरकार से जान बचाकर उन्हें भारत से भागना पड़ा अलग हिंदू राष्ट्र स्थापित करना पड़ा। जबकि वो अखाड़ा के बड़े साधु संत है। दांती महाराज पर बलात्कार का झूठा आरोप लगाया गया।


🚩संत आशारामजी बापू पर चारित्रिक हनन का फ़र्ज़ी आरोप लगाने वाली लड़की की मेडिकल रिपोर्ट में लड़की का कौमार्य सुरक्षित पाया गया । बलात्कार हुआ ही नहीं है, फिर भी निर्दोष बापू आशारामजी को आजीवन कारावास? बीमार होने पर भी जमानत नहीं। संविधान और न्याय की समानता के अधिकारों का खुला उल्लंघन किया गया। संत आशारामजी बापू धर्मांतरण के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बने हुए थे इसलिए राजनीतिक षड्यंत्र करके उन्हें फंसाया गया।


🚩15 अगस्त 1947 को अल्पसंख्यकों को बढ़ावा देकर क्रिश्चन अंग्रेजों ने भारत के टुकड़े किए। लाखों हिंदुओं की हत्या की गई लाखों हिंदू स्त्रियों का बलात्कार किया गया। अमानवीय अत्याचार किए गए, जो इतिहास में पहले कभी नहीं हुए। कायरों द्वारा कायरता के कीर्तिमान स्थापित किए गए। उससे अधिक दयनीय और भयावह स्थिति में आज हिंदू जा चुका है।


🚩आज भी क्रिश्चियन, मुस्लिम औरंगजेबी जजिया टैक्स हिंदुओं से वसूला जा रहा है। संविधान का खुला उल्लंघन करके सन 2006 में धर्म के आधार पर अल्पसंख्याक मंत्रालय बना दिया गया । सैकड़ों योजनाओं के बहाने हिंदुओं की जेब काटकर अल्पसंख्यकों के नाम पर गैर हिंदुओं को वह सुविधाएं दी जा रही है, जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं दी गई है । धार्मिक भेदभाव करके आरक्षण, अनुदान, छात्र वृत्ति, बैंक ऋण, छूट, सुविधाएं दी जा रही है। इससे बढ़कर बाबासाहेब अंबेडकर जी का अपमान नहीं किया जा सकता है।


🚩इस अन्याय अत्याचार के कारण करोड़ों हिंदू परिवार आर्थिक संकट से ग्रस्त है, लाखों हिंदू परिवार आत्महत्या कर रहे हैं। सन 2007 में हिन्दू संगठनों के एक अनुमान के अनुसार इस अन्याय अत्याचार के कारण प्रतिदिन लगभग 2700 हिंदू लड़कियां गैर हिंदुओं का शिकार बन रही थी, उनके पूरे परिवार का जीवन नर्क बन गया है। यह समस्या बढ़ती जा रही है। इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है।


🚩दोषी राजनेताओं को नीलाम करके उनकी संपत्ति जप्त करके उनको बीच चौक में फांसी पर लटका कर पीड़ित हिंदुओं को हर्जाना देना चाहिए। रामराज्य लाने वाले राष्ट्रवादी नेता साढ़े 7 वर्ष से सत्ता में है जो अल्पसंख्यक मंत्रालय को बढ़ावा दे रहे हैं , बंद करना तो दूर, दोषी राजनेताओं को दंडित करना तो दूर, कानून बनाना तो दूर , आयोग बनाना तो दूर । जो बहुसंख्यक है उनके लिए कोई आयोग बन सकता है, कोई मंत्रालय बन सकता है, काला कानून सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक बनाने वाले खुलेआम घूम सकते है, बलात्कार के दोषी क्रिश्चियन पंथगुरु बाहर घूम सकते हैं, कई अपराधी राजनेता जेल से बाहर घूम सकते हैं, खुलेआम धर्मांतरण हो सकता है। लेकिन हिन्दू संगठनों को हिन्दू जनता को न्याय मांगने पर प्रताड़ित किया जाता है।


🚩छल बल से धर्मांतरण से पीड़ित सन 2015 में पूरे देश में चर्चित राष्ट्रीय खिलाड़ी तारा सहदेव के मामले में केंद्र सरकार के गृहमंत्री ने कहा लव जिहाद क्या है मैं नहीं जानता। हिंदू भीख नहीं मांग रहे हैं न्याय मांग रहे हैं। नेता वह है जो नीति पर चले न्याय करें।


🚩लाखों हिंदू मंदिरों की दान पेटी से प्रतिवर्ष सरकार करोड़ों अरबों रुपया हड़पकर उसकी 90 से 95% राशि क्रिश्चियन और मुस्लिम संस्थाओं को दे देती है। पर किसी मस्जिद या किसी क्रिश्चियन संस्था के एक रुपये को सरकार छूती भी नहीं है।

गैर हिंदू शिक्षण या धार्मिक संस्थाओं को अनेक छूट और हिन्दुओ पर टैक्स लादे जा रहे हैं ।


🚩अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आजादी के मायने क्या है? भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म के अनुसार आजादी के क्या मायने हैं ?


🚩लोकव्यवहार में, लोकाचार में देश, काल, परिस्थिति, क्षेत्र के अनुसार आजादी, काल्पनिक आजादी, सापेक्ष आजादी, तात्विक आजादी, सच्ची आजादी के मायने जो संत अपने सत्संग में बता रहे हैं सच्ची आजादी की ओर वे जनता को ले जाने में सक्षम है। ऐसे संत आशारामजी बापू निर्दोषता के सबूत के बाद भी 11 साल से जेल में बंद है तो जनता को यह साक्षात हो जाना चाहिए की भारत की स्वतंत्रता का अपहरण हो चुका है।


🚩संत आशाराम जी बापू के पास आशिर्वाद लेने बड़े बड़े नेता जाते रहते थे। वे नेता सत्ता में बैठ गए और उन संतो पर शासन द्वारा अन्याय अत्याचार करने पर चुप्पी साधे बैठे है। संतो पर अत्याचार होने पर भगवान भी शासन करने वालों की रक्षा नहीं कर पाएंगे।


🚩नेता उसे कहते हैं जो नीति पर चलें न्याय के लिए लड़ाई करें। भगवान श्री कृष्ण ने भी न्याय के लिए महाभारत का युद्ध किया। संत आशारामजी बापू ने अपने सत्संग में बताया की भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में तात्विक आजादी को सच्ची आजादी बताया है।


🚩राष्ट्र की,जनता की सच्ची सेवा क्या है? कैसे हो सकती है? कौन कर सकता है ? अपने आप को राष्ट्रवादी मानने वाले , रामराज्य की बातें करने वाले, हिंदू राष्ट्र की बातें करने वाले क्या सच्ची आजादी के मायने जानते हैं? भगवान श्री राम भी गुरु वशिष्ठजी के चरणों में बैठकर उनकी आज्ञा में रहकर शासन करते थे उन्होंने भी सच्ची आजादी को समझा और पाया तभी रामराज्य साकार हो पाया।


🚩संत आशारामजी बापू के दैवी कार्यों द्वारा विश्व मानवता की जो सेवा हो रही है, उसकी महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। युवा पीढ़ी को उचित खान पान संयम, ब्रह्मचर्य की शिक्षा द्वारा विश्व स्तर पर मातृ पितृ पूजन दिवस के द्वारा आने वाली पीढ़ी में दैवी संस्कार जगा रहे हैं। विश्व मानवता को जन्म मृत्यु रूपी दुःख से मुक्ति का मार्ग दिखाकर सच्ची आजादी की ओर ले जा रहे हैं।


🚩भारत के विश्व प्रसिद्ध हिंदू संत आशारामजी बापू की उपेक्षा करके भारत के राजनेता इस देश को कहां ले जा रहे हैं?


🚩भारत के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री का यह प्रथम कर्तव्य है कि संत आशारामजी बापू के समर्थन में सार्वजनिक रूप से अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करें। अनेको बार केंद्र एवं राज्य सरकारों ने न्यायालय में अनेक मुकदमे वापस लिए हैं। कई सरकारों ने सजायाफ्ता बड़े बड़े अपराधियों को जेल से छोड़ा है। उनके केस खत्म किए हैं।


🚩राजनीतिक,व्यक्तिगत कारणों से ऊपर उठकर देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को सनातन धर्म की रक्षा के लिए ऐसे महान संतों के सानिध्य में इस राष्ट्र की जनता के कल्याण के लिए अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।- महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती

(डॉ पूजा शकुन पाण्डेय) निरंजनी अखाड़ा,राष्ट्रीय सचिव, हिन्दू महासभा


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Monday, August 14, 2023

विभाजन का इतिहास आपको खून के आंसू रुला देगा, अभी भी सावधान रहना होगा.....

14 August 2023

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🚩इस लेख में 1947 में जिन्ना के इशारों पर जो अत्याचार पाकिस्तान में बलूच रेजिमेंट ने हिन्दुओं पर किया उसका उल्लेख किया गया है। हर हिन्दुस्तानी को यह इतिहास ज्ञात होना चाहिए।


🚩विभाजन के पश्चात भारत सरकार ने एक तथ्यान्वेषी संगठन बनाया जिसका कार्य था पाकिस्तान छोड़कर भारत आए लोगों से उनकी जुबानी अत्याचारों का लेखा जोखा बनाना। इसी लेखा जोखा के आधार पर गांधी हत्याकांड की सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के जज जी डी खोसला लिखित, 1949 में प्रकाशित, पुस्तक ‘स्टर्न रियलिटी’ विभाजन के समय दंगों, कत्लेआम, हताहतों की संख्या और राजनैतिक घटनाओं को दस्तावेजी स्वरूप प्रदान करती है। हिंदी में इसका अनुवाद और समीक्षा ‘देश विभाजन का खूनी इतिहास (1946-47 की क्रूरतम घटनाओं का संकलन)’ नाम से सच्चिदानंद चतुर्वेदी ने किया है। नीचे दी हुई चंद घटनायें इसी पुस्तक से ली गई हैं जो ऊंट के मुंह में जीरा समान हैं।


🚩11 अगस्त 1947 को सिंध से लाहौर स्टेशन पह़ुंचने वाली हिंदुओं से भरी गाड़ियां खून का कुंड बन चुकी थीं। अगले दिन गैर मुसलमानों का रेलवे स्टेशन पहुंचना भी असंभव हो गया। उन्हें रास्ते में ही पकड़कर उनका कत्ल किया जाने लगा। इस नरसंहार में बलूच रेजिमेंट ने प्रमुख भूमिका निभाई। 14 और 15 अगस्त को रेलवे स्टेशन पर अंधाधुंध नरमेध का दृश्य था। एक गवाह के अनुसार स्टेशन पर गोलियों की लगातार वर्षा हो रही थी। मिलिट्री ने गैर मुसलमानों को स्वतंत्रता पूर्वक गोली मारी और लूटा।


🚩19 अगस्त तक लाहौर शहर के तीन लाख गैर मुसलमान घटकर मात्र दस हजार रह गये थे। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति वैसी ही बुरी थी। पट्टोकी में 20 अगस्त को धावा बोला गया जिसमें ढाई सौ गैर मुसलमानों की हत्या कर दी गई। गैर मुसलमानों की दुकानों को लूटकर उसमें आग लगा दी गई। इस आक्रमण में बलूच मिलिट्री ने भाग लिया था।


🚩25 अगस्त की रात के दो बजे शेखपुरा शहर जल रहा था। मुख्य बाजार के हिंदू और सिख दुकानों को आग लगा दी गई थी। सेना और पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। आग बुझाने के लिए अपने घर से बाहर निकलने वालों को गोली मारी जाने लगी। उपायुक्त घटनास्थल पर बाद में पहुंचा। उसने तुरंत कर्फ्यू हटाने का निर्णय लिया और उसने और पुलिस ने यह निर्णय घोषित भी किया। लोग आग बुझाने के लिये दौड़े। पंजाब सीमा बल के बलूच सैनिक, जिन्हें सुरक्षा के लिए लगाया गया था, लोगों पर गोलियाँ बरसाने लगे। एक घटनास्थल पर ही मर गया, दूसरे हकीम लक्ष्मण सिंह को रात में ढाई बजे मुख्य गली में जहाँ आग जल रही थी, गोली लगी। अगले दिन सुबह सात बजे तक उन्हें अस्पताल नहीं ले जाने दिया गया। कुछ घंटों में उनकी मौत हो गई।


🚩गुरुनानक पुरा में 26 अगस्त को हिंदू और सिखों की सर्वाधिक व्यवस्थित हत्या की कार्यवाही की गई। मिलिट्री द्वारा अस्पताल में लाए गए सभी घायलों ने बताया कि उन्हें बलूच सैनिकों द्वारा गोली मारी गयी या 25/26 अगस्त को उनकी उपस्थिति में मुस्लिम झुंड द्वारा छूरा या भाला द्वारा मारा गया। घायलों ने यह भी बताया कि बलूच सैनिकों ने सुरक्षा के बहाने हिंदू और सिखों को चावल मिलों में इकट्ठा किया। इन लोगों को इन स्थानों में जमा करने के बाद बलूच सैनिकों ने पहले उन्हें अपने कीमती सामान देने को कहा और फिर निर्दयता से उनकी हत्या कर दी। घायलों की संख्या चार सौ भर्ती वाले और लगभग दो सौ चलंत रोगियों की हो गई। इसके अलावा औरतें और सयानी लड़कियाँ भी थी जो सभी प्रकार से नंगी थी। सर्वाधिक प्रतिष्ठित घरों की महिलाएं भी इस भयंकर दु:खद अनुभव से गुजरी थी। एक अधिवक्ता की पत्नी जब अस्पताल में आई तब वस्तुतः उसके शरीर पर कुछ भी नही था। पुरुष और महिला हताहतो की संख्या बराबर थी। हताहतो में एक सौ घायल बच्चे भी थे।


🚩शेखपुरा में 26 अगस्त की सुबह सरदार आत्मा सिंह की मिल में करीब सात आठ हजार गैर मुस्लिम शरणार्थी शहर के विभिन्न भागों से भागकर जमा हुये थे । करीब आठ बजे मुस्लिम बलूच मिलिट्री ने मिल को घेर लिया। उनके फायर में मिल के अंदर ही एक औरत की मौत हो गयी। उसके बाद कांग्रेस समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह मिलिट्री वालों के पास हरा झंडा लेकर गए और पूछा आप क्या चाहते हैं। मिलिट्री वालों ने दो हजार छ: सौ रुपये की मांग की जो उन्हें दे दिया गया। इसके बाद एक और फायर हुआ और एक आदमी की मौत हो गई। पुन: आनंद सिंह द्वारा अनुरोध करने पर बारह सौ रुपये की मांग हुई जो उन्हें दे दिया गया। फिर तलाशी लेने के बहाने सबको बाहर निकाला गया। सभी सात-आठ हजार शरणार्थी बाहर निकल आये। सबसे अपने कीमती सामान एक जगह रखने को कहा गया। थोड़ी ही देर में सात-आठ मन सोने का ढेर और करीब तीस-चालीस लाख जमा हो गये। मिलिट्री द्वारा ये सारी रकम उठा ली गई। फिर वो सुंदर लड़कियों की छंटाई करने लगे। विरोध करने पर आनंद सिंह को गोली मार दी गयी। तभी एक बलूच सैनिक द्वारा सभी के सामने एक लड़की को छेड़ने पर एक शरणार्थी ने सैनिक पर वार किया। इसके बाद सभी बलूच सैनिक शरणार्थियों पर गोलियाँ बरसाने लगे। अगली प्रांत के शरणार्थी उठकर अपनी ही लड़कियों की इज्जत बचाने के लिये उनकी हत्या करने लगे।


🚩1 अक्टूबर की सुबह सरगोधा से पैदल आने वाला गैर मुसलमानों का एक बड़ा काफिला लायलपुर पार कर रहा था। जब इसका कुछ भाग रेलवे फाटक पार कर रहा था अचानक फाटक बंद कर दिया गया। हथियारबंद मुसलमानों का एक झुंड पीछे रह गये काफिले पर टूट पड़ा और बेरहमी से उनका कत्ल करने लगा। रक्षक दल के बलूच सैनिकों ने भी उनपर फायरिंग शुरु कर दी। बैलगाड़ियों पर रखा उनका सारा धन लूट लिया गया। चूंकि आक्रमण दिन में हुआ था, जमीन लाशों से पट गई। उसी रात खालसा कालेज के शरणार्थी शिविर पर हमला किया गया। शिविर की रक्षा में लगी सेना ने खुलकर लूट और हत्या में भाग लिया। गैर मुसलमान भारी संख्या में मारे गये और अनेक युवा लड़कियों को उठा लिया गया।


🚩अगली रात इसी प्रकार आर्य स्कूल शरणार्थी शिविर पर हमला हुआ। इस शिविर के प्रभार वाले बलूच सैनिक अनेक दिनों से शरणार्थियों को अपमानित और उत्पीड़ित कर रहे थे। नगदी और अन्य कीमती सामानों के लिये वो बार बार तलाशी लेते थे। रात में महिलाओं को उठा ले जाते और बलात्कार करते थे। 2 अक्टूबर की रात को विध्वंस अपने असली रूप में प्रकट हुआ। शिविर पर चारों ओर से बार-बार हमले हुए। सेना ने शरणार्थियों पर गोलियाँ बरसाईं। शिविर की सारी संपत्ति लूट ली गई। मारे गए लोगों की सही संख्या का आंकलन संभव नही था क्योंकि ट्रकों में बड़ी संख्या में लादकर शवो को रात में चिनाब में फेंक दिया गया था।


🚩करोर में गैर मुसलमानों का भयानक नरसंहार हुआ।

 7 सितंबर को जिला के डेढ़ेलाल गांव पर मुसलमानों के एक बड़े झुंड ने आक्रमण किया। गैर मुसलमानों ने गांव के लंबरदार के घर शरण ले ली। प्रशासन ने मदद के लिये दस बलूच सैनिक भेजे। सैनिकों ने सबको बाहर निकलने के लिये कहा। वो औरतों को पुरूषों से अलग रखना चाहते थे। परंतु दो सौ रूपये घूस लेने के बाद औरतों को पुरूषों के साथ रहने की अनुमति दे दी। रात में सैनिकों ने औरतों से बलात्कार किया। 9 सितंबर को सबसे इस्लाम स्वीकार करने को कहा गया। लोगों ने एक घर में शरण ले ली। बलूच सैनिकों की मदद से मुसलमानों ने घर की छत में छेद कर अंदर किरोसिन डाल आग लगा दी। पैंसठ लोग जिंदा जल गए।


🚩यह लेख हमने संक्षिप्त रूप में दिया है। विभाजन से सम्बंधित अनेक पुस्तकें हमें उस काल में हिन्दुओं पर जो अत्याचार हुए, उससे अवगत करवाती हैं, हर हिन्दू को इन पुस्तकों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। क्योंकि “जो जाति अपने इतिहास से कुछ सबक नहीं लेती उसका भविष्य निश्चित रूप से अंधकारमय ही होता है।


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Sunday, August 13, 2023

‘ग़दर 2’ में अच्छा मुस्लिम’ और ‘भाईचारा’ की बातें डालने के पीछे आखिर निर्माताओं की मंशा क्या थी ???

 13 August 2023


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🚩फिल्म ‘ग़दर 2’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। अभिनेता सनी देओल स्टारर इस फिल्म की समीक्षाएँ भी आ चुकी हैं। बड़ी संख्या में दर्शकों ने भी इसे पहले दिन देखा है। इस पर तो काफी कुछ लिखा-सुना जा चुका है। इसीलिए, सीधे मुद्दे पर आते हैं।


🚩अगर आप ये सोच कर ‘ग़दर 2’ देखने जा रहे हैं कि इसमें बॉलीवुड का जो ट्रेंड रहा है उससे कुछ हट कर है, तो आप निराश होंगे। इसमें भी कथित भाईचारे का सन्देश दिया गया है। हिंदुस्तान के मुस्लिम को पाकिस्तानी पीटते हैं। पाकिस्तान में कई ऐसे मुस्लिम हैं जो हिन्दुस्तानियों की मदद करते हैं, उनमें महिलाएँ भी हैं। ये लोग सीधे-सादे दिखाए गए हैं, जो ‘मानवता’ के नाते भारतीयों की मदद करते हैं और मजहब आड़े नहीं आने देते ।


🚩‘अच्छा मुस्लिम’ और ‘भाईचारा’ की बातें डालने की ज़रूरत थी?

अगर आपको 2015 में आई फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ याद होगी तो आपको पाकिस्तान के ‘अच्छे मुस्लिमों’ के बारे में भी पता होगा। एक पत्रकार, जो हनुमान भक्त की मदद करता है। एक मौलवी, जो उसे पुलिस से बचाता है। ठीक ऐसे ही यहाँ ‘ग़दर 2’ में भी कई किरदार हैं।


🚩एक दृश्य में सनी देओल कहते भी हैं , कि अगर पाकिस्तानियों को भारत में रहने का मौका मिला तो आधा पाकिस्तान खाली हो जाएगा। ये ‘भाईचारे ’ का ही सन्देश तो दिया गया है !!!


🚩इसी तरह, सनी देओल के बेटे के किरदार में दिख रहे उत्कर्ष शर्मा पाकिस्तानी जनरल (मनीष वधावा) से कहते हैं कि उन्होंने शरीयत पढ़ी है और उनकी माँ (शकीना के किरदार में अमीषा पटेल) ने उन्हें कुरान भी पढ़ाया है।

अब यहां वो ये जताना चाहते हैं , कि कुरान और शरीयत पाकिस्तानी( व अन्य देशों के) कट्टरवादियों ने ठीक से नहीं पढ़ी, इसीलिए वो हिंसा करते हैं।

" जबकि विदेशों में कुरान जलाने वाले कहते हैं कि इसमें इस्लाम न मानने वालों की हत्या की बात कही गई है।"


🚩जहाँ तक शरीयत का सवाल है, इसके तहत अफगानिस्तान में महिलाओं को शिक्षा और नौकरी से वंचित कर दिया गया है। उन पर कोड़े बरसाए जाते हैं। शरीयत के हिसाब से भारत में भी मुस्लिमों के ‘पर्सनल लॉ’ हैं, जिसके तहत बेटियों को मृत पिता की संपत्ति में हिस्सा तक नहीं मिलता।

शायद आप भूल न गए हों कि ... ' तीन तलाक ’ जैसे ' महिला विरोधी ' नियम इसी कानून का हिस्सा थे, जिसे मोदी सरकार ने निरस्त किया। इसके तहत शौहर द्वारा 3 बार तलाक बोल या मैसेज में लिख तक देने से तलाक हो जाता था।


🚩आज के समय में ‘अच्छा पाकिस्तानी मुस्लिम’ वाली थ्योरी शायद ही लोगों को पचे, क्योंकि राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल तेली की रेकी करने वाला उनका मुस्लिम पड़ोसी ही था, जिसके बाद उनका गला काट डाला गया था। महाराष्ट्र के अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या करने वाला उनका मुस्लिम दोस्त ही था, जिसकी उन्होंने मदद की थी कभी। थोड़ा पीछे जाएँ तो कश्मीर में BK गंजू नामक इंजीनियर की हत्या का कारण उनका मुस्लिम पड़ोसी ही था, जिसने उनके छिपने के ठिकाने के बारे में बता दिया और आतंकियों ने उन्हें मार डाला।


🚩‘ग़दर 2’ में एक जगह सनी देओल डायलॉग बोलते हैं, “अगर रसूल का इस्लाम पढ़ा होता तो दुनिया में ‘गजवा-ए-हिन्द’ नहीं, बल्कि ‘जज्बा-ए-हिन्द’ होता ।” जबकि इस्लामी कट्टरपंथी गजवा-ए-हिन्द का स्रोत हदीथ को ही मानते हैं।

हदीथ के बारे में कहा जाता है , कि इसमें पैगंबर मुहम्मद और उनके परिवार की ही बातें हैं।

पर एक बात तो है कि फिल्म में ‘गजवा-ए-हिन्द’ की चर्चा के बाद कम से कम लोग सर्च तो करेंगे इंटरनेट पर कि ये है क्या ???


🚩यहाँ भी संक्षेप में बता देना आवश्यक है। इस्लामी कट्टरपंथी मानते हैं कि हदीथ में वर्णन है , कि मुस्लिमों और गैर-मुस्लिमों के बीच भारत में एक बड़ा युद्ध होगा। इसीलिए, ये इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकी पूरे दक्षिण एशिया में इस्लाम के शासन या खलीफा के शासन के लिए हिंसा करते हैं। भारत में इस्लामी आक्रांताओं को शासन करने में कई वर्ष लग गए थे। इसके बाद उन्होंने सैकड़ों वर्षों तक राज किया, लेकिन हिन्दू खत्म नहीं हुए। इसीलिए, वो मानते हैं कि जंग जारी है, बाकी है।


🚩इसी तरह, ‘ग़दर 2’ में पाकिस्तान का एक और बुजुर्ग मुस्लिम कहता है कि आज़ादी से पहले सब भाईचारे के साथ रहते थे। सनी देओल का डायलॉग है कि आज़ादी की लड़ाई मुस्लिमों ने भी लड़ी।

...फिर ‘मुस्लिम लीग’ क्या था?

...इस्लामी कट्टरपंथियों ने तो लड़ाई बहादुरशाह ज़फर को बादशाह बनाने के लिए लड़ी।

...खिलाफत के लिए लड़ी (जिसके बाद मोपला मुस्लिमों ने केरल में हिन्दुओं का नरसंहार किया)।

...पाकिस्तान बनाने के लिए लड़ी।


🚩अगर बात की जाती है, कि आज़ादी से पहले चारों ओर भाईचारा था !!!


🚩फिर काशी में नागा साधुओं और औरंगजेब के बीच हुए युद्ध को नज़रंदाज़ कर दिया जाएगा?

🚩अयोध्या को बचाने के लिए कई बार लड़ाइयाँ हुईं।

🚩सोमनाथ भी भयंकर युद्ध के बाद लूटा गया।

🚩बाबर ने कुरान-इस्लाम की बातें कर के ही अपनी फ़ौज में दिल्ली पर कब्जे के लिए जोश भरा।

🚩30,000 से अधिक मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाना कम से कम ‘भाईचारा’ की निशानी तो नहीं ही है !


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