Sunday, February 4, 2024

धर्मान्तरण की किन किन समाज सुधारकों ने निंदा किया?

5 February 2024

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🚩हमारे देश के संभवत शायद ही कोई चिंतक ऐसे हुए हो जिन्होंने प्रलोभन द्वारा धर्मान्तरण करने की निंदा न की हो। महान चिंतक एवं समाज सुधारक स्वामी दयानंद का एक ईसाई पादरी से शास्त्रार्थ हो रहा था। स्वामी जी ने पादरी से कहा की हिन्दुओं का धर्मांतरण करने के तीन तरीके है। पहला जैसा मुसलमानों के राज में गर्दन पर तलवार रखकर जोर जबरदस्ती से बनाया जाता था। दूसरा बाढ़, भूकम्प, प्लेग आदि प्राकृतिक आपदा जिसमें हज़ारों लोग निराश्रित होकर ईसाईयों द्वारा संचालित अनाथाश्रम एवं विधवाश्रम आदि में लोभ-प्रलोभन के चलते भर्ती हो जाते थे और इस कारण से आप लोग प्राकृतिक आपदाओं के देश पर बार बार आने की अपने ईश्वर से प्रार्थना करते है और तीसरा बाइबिल की शिक्षाओं के जोर शोर से प्रचार-प्रसार करके। मेरे विचार से इन तीनों में सबसे उचित अंतिम तरीका मानता हूँ। स्वामी दयानंद की स्पष्टवादिता सुनकर पादरी के मुख से कोई शब्द न निकला। स्वामी जी ने कुछ ही पंक्तियों में धर्मान्तरण के पीछे की विकृत मानसिकता को उजागर कर दिया। 


🚩गांधीजी ईसाई धर्मान्तरण के सबसे बड़े आलोचको में से एक थे। अपनी आत्मकथा में गांधीजी लिखते है "उन दिनों ईसाई मिशनरी हाई स्कूल के पास नुक्कड़ पर खड़े हो हिन्दुओं तथा देवी देवताओं पर गलियां उड़ेलते हुए अपने मत का प्रचार करते थे। यह भी सुना है की एक नया कन्वर्ट (मतांतरित) अपने पूर्वजों के धर्म को, उनके रहन-सहन को तथा उनके गलियां देने लगता है। इन सबसे मुझमें ईसाइयत के प्रति नापसंदगी पैदा हो गई।" इतना ही नहीं गांधी जी से मई, 1935 में एक ईसाई मिशनरी नर्स ने पूछा कि क्या आप मिशनरियों के भारत आगमन पर रोक लगाना चाहते है तो जवाब में गांधी जी ने कहा था,' अगर सत्ता मेरे हाथ में हो और मैं कानून बना सकूं तो मैं मतांतरण का यह सारा धंधा ही बंद करा दूँ। मिशनरियों के प्रवेश से उन हिन्दू परिवारों में जहाँ मिशनरी पैठे है, वेशभूषा, रीतिरिवाज एवं खानपान तक में अंतर आ गया है।


🚩समाज सुधारक एवं देशभक्त लाला लाजपत राय द्वारा प्राकृतिक आपदाओं में अनाथ बच्चों एवं विधवा स्त्रियों को मिशनरी द्वारा धर्मान्तरित करने का पुरजोर विरोध किया गया जिसके कारण यह मामला अदालत तक पहुंच गया। ईसाई मिशनरी द्वारा किये गए कोर्ट केस में लाला जी की विजय हुई एवं एक आयोग के माध्यम से लाला जी ने यह प्रस्ताव पास करवाया की जब तक कोई भी स्थानीय संस्था निराश्रितों को आश्रय देने से मना न कर दे तब तक ईसाई मिशनरी उन्हें अपना नहीं सकती।


 🚩डॉ अम्बेडकर को ईसाई समाज द्वारा अनेक प्रलोभन ईसाई मत अपनाने के लिए दिए गए मगर यह जमीनी हकीकत से परिचित थे की ईसाई मत ग्रहण कर लेने से भी दलित समाज अपने मुलभुत अधिकारों से वंचित ही रहेगा। डॉ आंबेडकर का चिंतन कितना व्यवहारिक था यह आज देखने को मिलता है।''जनवरी 1988 में अपनी वार्षिक बैठक में तमिलनाडु के बिशपों ने इस बात पर ध्यान दिया कि धर्मांतरण के बाद भी अनुसूचित जाति के ईसाई परंपरागत अछूत प्रथा से उत्पन्न सामाजिक व शैक्षिक और आर्थिक अति पिछड़ेपन का शिकार बने हुए हैं। फरवरी 1988 में जारी एक भावपूर्ण पत्र में तमिलनाडु के कैथलिक बिशपों ने स्वीकार किया 'जातिगत विभेद और उनके परिणामस्वरूप होने वाला अन्याय और हिंसा ईसाई सामाजिक जीवन और व्यवहार में अब भी जारी है। हम इस स्थिति को जानते हैं और गहरी पीड़ा के साथ इसे स्वीकार करते हैं।' भारतीय चर्च अब यह स्वीकार करता है कि एक करोड़ 90 लाख भारतीय ईसाइयों का लगभग 60 प्रतिशत भाग भेदभावपूर्ण व्यवहार का शिकार है। उसके साथ दूसरे दर्जे के ईसाई जैसा अथवा उससे भी बुरा व्यवहार किया जाता है। दक्षिण में अनुसूचित जातियों से ईसाई बनने वालों को अपनी बस्तियों तथा गिरिजाघर दोनों जगह अलग रखा जाता है। उनकी 'चेरी' या बस्ती मुख्य बस्ती से कुछ दूरी पर होती है और दूसरों को उपलब्ध नागरिक सुविधओं से वंचित रखी जाती है। चर्च में उन्हें दाहिनी ओर अलग कर दिया जाता है। उपासना (सर्विस) के समय उन्हें पवित्र पाठ पढऩे की अथवा पादरी की सहायता करने की अनुमति नहीं होती। बपतिस्मा, दृढि़करण अथवा विवाह संस्कार के समय उनकी बारी सबसे बाद में आती है। नीची जातियों से ईसाई बनने वालों के विवाह और अंतिम संस्कार के जुलूस मुख्य बस्ती के मार्गों से नहीं गुजर सकते। अनुसूचित जातियों से ईसाई बनने वालों के कब्रिस्तान अलग हैं। उनके मृतकों के लिए गिरजाघर की घंटियां नहीं बजतीं, न ही अंतिम प्रार्थना के लिए पादरी मृतक के घर जाता है। अंतिम संस्कार के लिए शव को गिरजाघर के भीतर नहीं ले जाया जा सकता। स्पष्ट है कि 'उच्च जाति' और 'निम्न जाति' के ईसाइयों के बीच अंतर्विवाह नहीं होते और अंतर्भोज भी नगण्य हैं। उनके बीच झड़पें आम हैं। नीची जाति के ईसाई अपनी स्थिति सुधारने के लिए संघर्ष छेड़ रहे हैं, गिरजाघर अनुकूल प्रतिक्रिया भी कर रहा है लेकिन अब तक कोई सार्थक बदलाव नहीं आया है। ऊंची जाति के ईसाइयों में भी जातिगत मूल याद किए जाते हैं और प्रछन्न रूप से ही सही लेकिन सामाजिक संबंधोंं में उनका रंग दिखाई देता है।


🚩महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। आप कहते थे "यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है।

इस प्रकार से प्राय: सभी देशभक्त नेता ईसाई धर्मान्तरण के विरोधी रहे है एवं उसे राष्ट्र एवं समाज के लिए हानिकारक मानते है। - डॉ. विवेक आर्य


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Saturday, February 3, 2024

मुस्लिम फकीर ने लूटा 230 ग्राम सोना और 7 लाख रुपये, हिंदुस्तान टाइम्स ने किया भ्रमित...

4 February 2024

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🚩हिन्दुओं को नीचा दिखाने की लगन और मुस्लिम परस्ती के नशे में मीडिया का एक बड़ा हिस्सा इस क़दर मदमस्त है कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया, तो ये पूरा गिरोह कुछ भी करके उस ख़बर को अपने दर्शकों/पाठकों के सामने ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाता है कि समुदाय विशेष का अपराध तो ढक ही जाए और साथ ही समूचा हिन्दू धर्म या कोई हिन्दू व्यक्ति निरपराध हो कर भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए।


🚩आपको बता दें कि मुंबई के सेवरी में पुलिस ने 'अबूबक़र मोहम्मद अली शेख' नामक एक तथाकथित फकीर के खिलाफ केस दर्ज किया है। आरोप है कि अबूबकर मोहम्मद अली शेख लोगों की बीमारियाँ ठीक करने के नाम पर उन्हें झाँसा देता था, उनके नाम पर बकरे की कुर्बानी देता था, लाखों रुपए हड़पता था और फिर वो पैसे दरगाह में लुटाता था।


🚩हिंदुस्तान टाइम्स की खबर में दिए नाम से साफ है कि ये धोखाधड़ी का काम एक ‘मुस्लिम व्यक्ति’ करता था। लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी खबर में इसे ऐसे पेश किया है जैसे कि वो कोई ‘तांत्रिक’ हो और उसी ने पीड़ितों को झूठ बोलकर उनसे धोखे से ‘बलि’ दिलवाई हो। हालाँकि, पुलिस रिपोर्ट पढ़ने के बाद यह साफ हुआ कि हिंदुस्तान टाइम्स किस तरह से इस खबर में शब्दों की हेर-फेर से हिन्दू समाज और संतो॔ के विरुद्ध भ्रामक संदेश देने का प्रयास कर रहा है।


🚩रिपोर्ट में दिए गए पुलिस वर्जन के अनुसार, आरोपित का पूरा नाम अबूबक़र मोहम्मद अली शेख (32 वर्षीय) है। उसके खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा406, धारा420 और महाराष्ट्र अपराध रोकथाम और उन्मूलन अधिनियम की धारा3 के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अलावा उस पर मानव कुर्बानी और अमानवीय कृत्य, दुष्ट और अघोरी प्रथाएँ और काला जादू अधिनियम, 2013 के तहत भी केस दर्ज हुआ है।


https://twitter.com/OpIndia_in/status/1753116004694012193?t=kgruS-Aia6hZmtARIDw8mg&s=19


🚩रिपोर्ट में पुलिस के पास दर्ज शिकायत के हवाले से लिखा गया कि एक महिला के शरीर में हमेशा दर्द रहता था। कई डॉक्टरों से दिखवाने के बाद भी जब उसे आराम नहीं पड़ा तो उसने फकीर वेशधारी अबूबक़र से बात की। अबूबक़र ने उससे कहा कि वो पारंपरिक तरीकों से उसकी बीमारी का इलाज कर सकता है लेकिन इसके लिए वो 4 लाख रुपए लेगा और सोने के जेवर लेगा। इस क्रम में उसने एक बकरे की कुर्बानी भी दी। साथ ही पैसे लेकर दरगाह के बाहर बाँटे। इसके बाद उसने महिला को एक ताबीज़ दिया और कहा उसने ताबीज़ में झाड़-फूँक की है,जो उसके लिए अच्छी किस्मत लेकर आएगा।


🚩उस ठग से मिलने के बाद महिला ने उससे घरेलू क्लेशों पर भी संपर्क करना शुरू कर दिया। महिला ने अपने एक रिश्तेदार को भी अबूबक़र के पास भेजा क्योंकि वो व्यक्ति अपने बेटे को संयुक्त राष्ट्र भेजना चाहता था। इसके लिए अबूबक़र ने उस महिला के रिश्तेदार से 1.70 लाख रुपए लिए। इतना ही नहीं, धोखेबाज अबूबक़र ने तो महिला के एक मित्र से ये भी कहा , कि वो कैंसर ठीक कर सकता है। फकीर ने उसे ये कहकर फँसाया , कि वो 12 दिन में मर जाएगा अगर उसके कहे अनुसार काम नहीं किया।

इसके अलावा उसने शिकायतकर्ता की एक दोस्त से भी पैसे ऐंठे । महिला की दोस्त के बच्चे का रोना नहीं रुक रहा था और वो बच्चे के कष्ट से व्यथित होकर उसे स्वस्थ और चुप करवाने के लिए अबूबक़र के पास ले गई थी।


🚩लाखों रुपए की धोखाधड़ी करने के बाद जब लोगों को अपनी परेशानियों का समाधान नहीं मिला तो उन्होंने उस फकीर से सवाल किए, लेकिन फकीर ने उन्हें जवाब देने या पैसे लौटाने के बजाय नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस तक फकीर की हरकतों की जानकारी पहुँची। उन्होंने मार्च 2023 से जनवरी 2024 के बीच हुई धोखाधड़ी के मामलों को दर्ज किया और सबूत इकट्ठे करने शुरू किए। पुलिस को इस दौरान पता चला कि पीड़ितों ने अब तक इस फकीर को 230 ग्राम सोना दिया है और 7 लाख रुपए दिए हैं।


🚩अब इसी ख़बर की सारी जानकारी रिपोर्ट करते हुए हिंदुस्तान टाइम्स ने शब्दों का कुत्सित खेल खेला... और कुछ इस तरह से खबर को पेश किया कि वह ठग मुस्लिम था इस पर फोकस ही न जाए, बल्कि हिन्दुओं को बदनाम करने का मसाला फ्री में तैयार हो जाए...


🚩हिंदुस्तान टाइम्स की इस हरकत पर सोशल मीडिया पर भी आपत्ति उठाई गई।

" लेखिका मधु पूर्णिमा किश्वर ने रिपोर्ट लिखने वाले 'रिपोर्टर विनय दालवी' से पूछा है कि आखिर कोई 'अली शेख' तांत्रिक कैसे हो सकता है !? क्योंकि तंत्र तो हिन्दू ज्ञान परंपरा का भाग है! क्या अगली बार कोई ऐसी खबर होगी, जिसमें मौलवी रेप करता पकड़ा जाएगा तो उसे पुजारी लिख दिया जाएया। "


🚩बता दें कि यह कोई पहली ऐसी घटना नहीं है जो ईसाई अथवा मुस्लिम धर्मगुरु को हिंदू धर्मगुरु बताकर बदनाम किया गया हो! वामपंथी बिकाऊ मीडिया हमेंशा से यही करती आई है...


🚩बिकाऊ मीडिया का एक ही लक्ष्य -- सनातनधर्म को नीचा दिखाना !!


🚩ये लोग ईसाई अथवा मुस्लिम धर्मगुरु के कुकृत्यों की खबर को भी ऐसे बना कर पेश करते हैं कि जनता का सारा फोकस हिन्दू साधु-संतों पर चला जाए और वो ही बदनाम हों !!

इनका मकसद होता है , ईसाई और मुस्लिम धर्मगुरुओं के दुष्कर्मो को छुपाना और पवित्र निर्दोष हिंदू साधू-संतों को बदनाम करना !!


🚩ऐसा आखिर क्यों !?

क्योंकि उनको पता है हिंदू सहिष्णुता के नाम पर पलायनवादी और वर्ण व्यवस्था के नाम पर जातियों में बंट गए हैं । इसी का फायदा उठाकर ये विधर्मी , वामपंथी और मीडिया वाले हिंदू धर्म को हमेंशा बदनाम करते हैं।


🚩अभी भी वक़्त है कि हम सर्तक हो जायें... और कुछ नहीं कर सकें तो कम से कम बिकाऊ वामपंथी मीडिया का बहिष्कार तो करें। उसके अखबार नहीं लें, उसके वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफार्म और टीवी देखना बंद कर दें । तभी इनकी अक्ल ठिकाने आएगी...


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Friday, February 2, 2024

सेंसर बोर्ड ने फिल्म ‘छत्रपति सम्भाजी’ को नहीं होने दिया रिलीज़..

3 February 2024

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🚩आरोप है कि ‘छत्रपति सम्भाजी’ फिल्म को सेंसर बोर्ड के अधिकारी सईद रबी हाशमी ने प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया है। यह फिल्म 26 जनवरी, 2024 को रिलीज होनी थी लेकिन इसे सेंसर बोर्ड ने प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया। इसको लेकर अब निर्माता ने सेंसर बोर्ड पर आरोप लगाए हैं कि लिखित सबूत दिए जाने के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं दिया गया।


🚩छत्रपति सम्भाजी फिल्म के निर्माता निर्देशक राकेश सुबेसिंह दुलगज ने कहा है कि उन्होंने सेंसर बोर्ड के सामने अपनी फिल्म की स्क्रीनिंग भी करवा दी थी लेकिन इसके बाद भी उन्हें 26 जनवरी तक प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। इसके लिए सेंसर बोर्ड के मुंबई क्षेत्राधिकारी सईद रबी हाशमी ने औरंगजेब के खिलाफ सबूत दिखाने की बात कही।


🚩दुलगज ने बताया है कि यह फिल्म पिछले 8 साल से बन रही है। फिल्म मराठा शासक छत्रपति सम्भाजी के जीवन के ऊपर बनी है। यह फिल्म मराठी और हिंदी दोनों भाषाओं में रिलीज होनी थी। इसको लेकर दुलगज ने सेंसर बोर्ड के समक्ष अपनी फिल्म के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया था। उन्होंने बताया कि 12 जनवरी, 2024 को सेंसर बोर्ड से फ़ोन आया कि अगले दिन उनकी फिल्म की स्क्रीनिंग रखी गई है। इसके बाद 13 जनवरी की सुबह उन्होंने पूरी फिल्म अधिकारियों को दिखा दी।


🚩फिल्म देखने के बाद अधिकारियों ने कहा कि उन्हें यू/ए प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। उनसे कहा गया कि 25 जनवरी, 2024 तक उन्हें प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा। इसको लेकर दुलगज ने अपनी फिल्म की रिलीज डेट 26 जनवरी, 2024 को रख दी। हालाँकि, उन्हें प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। दुलगज ने कहा कि उनसे जो बदलाव के लिए कहा गया था वह उन्होंने कर दिए थे लेकिन फिर भी उनकी फिल्म को रोका गया।


🚩दुलगज ने कहा कि मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय में नए आए अधिकारी सईद रबी हाशमी ने इस बात को लेकर सबूत दिखाने की माँग की कि क्या औरंगजेब ने छत्रपति सम्भाजी पर इस्लाम कबूलने का दबाव डाला था। इसको प्रमाणित करने वाली किताबें दुलगज से सेंसर बोर्ड में जमा कराने को कहा गया है।


🚩मुग़ल शासक औरंगजेब ने मराठा छत्रपति सम्भाजी महाराज को बंधक बनाकर कई दिनों तक यातनाएं दी थी और उन पर इस्लाम कबूलने का दबाव डाला था। जब उन्होंने इस्लाम कबूलने से मना कर दिया तो उन्हें मार दिया गया था। 


🚩गौरतलब है कि हिंदू विरोधी फिल्मों से तो सेंसर बोर्ड को कभी भी कोई आपत्ति आजतक नहीं हुई...भले ही उसके लिए कितने ही बड़े आंदोलन न हो जाएं !

लेकिन जब हिंदुत्व के सही इतिहास पर कोई फिल्म बनाई जाती है तो सेंसर बोर्ड रिलीज नही होने देता ! बॉलीवुड गैंग और सेंसर बोर्ड दोनों सही इतिहास पर फिल्में बनने/रिलीज होने नहीं देते हैं।

अब जनता को जागरूक होना चाहिए हिंदुत्व विरोधी फिल्मों का पूर्ण बहिष्कार करना चाहिए , तभी इनकी अक्ल ठिकाने आयेगी !!


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Thursday, February 1, 2024

आइए वैज्ञानिकों से जानें कि "मातृ-पितृ पूजन दिवस" क्यों मनाना चाहिए ?

2 February 2024

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🚩माता-पिता के पूजने से अच्छी पढाई का क्या संबंध- ऐसा सोचने वालों को अमेरिका की ʹयूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनियाʹ के सर्जन व क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सू किम और ʹचिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनियाʹ के एटर्नी एवं इमिग्रेशन स्पेशलिस्ट जेन किम के शोधपत्र के निष्कर्ष पर ध्यान देना चाहिए।


🚩अमेरिका में एशियन मूल के विद्यार्थी क्यों पढ़ाई में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हैं? इस विषय पर शोध करते हुए उन्होंने यह पाया कि वे अपने बड़ों का आदर करते हैं , माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं । वो उज्ज्वल भविष्य-निर्माण और श्रेष्ठ परिणाम पाने हेतु गम्भीरता से सघन अध्ययन करते हैं।


🚩भारतीय संस्कृति के शास्त्रों और संतों में श्रद्धा न रखने वालों को भी अब उनकी इस बात को स्वीकार करके पाश्चात्य विद्यार्थियों को सिखाना पड़ता है कि माता-पिता का आदर करने वाले विद्यार्थी पढ़ाई में श्रेष्ठ परिणाम पा सकते हैं।


🚩जो विद्यार्थी माता-पिता का आदर करेंगे वे ʹवेलेन्टाइन डेʹ मनाकर अपना चरित्र भ्रष्ट नहीं कर सकते। संयम से उनके ब्रह्मचर्य की रक्षा होने से उनकी बुद्धिशक्ति विकसित होगी, जिससे उनकी पढ़ाई के परिणाम अच्छे आयेंगे।


🚩माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है और सद्गुरु ने जो महान अनुभव किया है उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती। इन तीनों के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिल जाता है। अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता और सद्गुरु का आदर, पूजन, आज्ञापालन तो करना चाहिए, चाहिए और चाहिए ही...!!


🚩14 फरवरी को ʹवेलेंटाइन डेʹ मनाकर युवक-युवतियाँ प्रेमी-प्रेमिका के संबंध में फँसते हैं। वासना के कारण उनका ओज-तेज दिन दहाड़े नीचे के केन्द्रों में आकर नष्ट होता है। उस दिन ʹमातृ-पितृ पूजनʹ काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता की दलदल से ऊपर उठाकर उज्ज्वल भविष्य, सच्चरित्रता, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा।


🚩अनादिकाल से महापुरुषों ने अपने जीवन में माता-पिता और सद्गुरु का आदर-सम्मान किया है।


🚩कोई हिन्दू, ईसाई, मुसलमान, यहूदी नहीं चाहते कि हमारे बच्चे विकारों में खोखले हो जायें, माता-पिता व समाज की अवज्ञा करके विकारी और स्वार्थी जीवन जीकर तुच्छ हो जायें और बुढ़ापे में कराहते रहें। बच्चे माता-पिता व गुरुजन का सम्मान करेंगे तो उनके माता-पिता व गुरुजन के हृदय से विशेष मंगलकारी आशीर्वाद उभरेगा, जो देश के इन भावी कर्णधारों को ʹवेलेन्टाइन डेʹ जैसे विकारों से बचाकर गणेशजी की नाईं इंद्रिय-संयम व आत्मसामर्थ्य विकसित करने में मददरूप होगा।


🚩माता, पिता एवं गुरुजनों का आदर करना हमारी सनातन संस्कृति की शोभा है। माता-पिता इतना आग्रह नहीं रखते कि संतानें उनका सम्मान-पूजन करें परंतु बुद्धिमान, शिष्ट संतानें माता-पिता का आदर पूजन करके उनके शुभ संकल्पमय आशीर्वाद से लाभ उठाती हैं।


🚩14 विकसित और विकासशील देशों के बच्चों व युवाओं पर किये गये सर्वेक्षण में भारतीय बच्चे व युवक सबसे अधिक सुखी और स्नेही पाये गये। लंदन व न्यूयार्क में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि...

" इसका एक बड़ा कारण है- भारतीय लोगों का पारिवारिक स्नेह एवं निष्ठा!"

भारतीय युवाओं ने कहा, "उनकी जीवन में प्रसन्नता लाने तथा समस्याओं को सुलझाने में उनके माता-पिता का सर्वाधिक योगदान है।"


🚩भारत में माता-पिता हर प्रकार से अपने बच्चों का पोषण करते हैं और माता-पिताओं का पोषण संतजनों से होता है।

प्राणिमात्र के हितैषी और सभी को अपने सत्संगामृत( भगवत्प्रसाद ) से पोषित करने वाला हिंदू संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित "मातृ-पितृ पूजन दिवस" इस निष्कर्ष की पुष्टि करता है।


          स्रोत : संत श्री आशारामजी बापू के प्रवचन से


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Wednesday, January 31, 2024

भारत कोई पश्चिमी देश नहीं जो लिव-इन रिलेशनशिप सामान्य हो : इलाहाबाद हाईकोर्ट

1 February 2024

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🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारत कोई पश्चिमी देश नहीं है जहाँ लिव इन रिलेशनशिप  सामान्य बात हो। हाईकोर्ट ने कहा कि भारत में लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को मानना चाहिए और इस पर गर्व करना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक याचिका की सुनवाई करते हुई की।


🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने एक व्यक्ति आशीष कुमार ने याचिका डाली थी कि एक महिला, जिससे उसका 2011 से प्रेम सम्बन्ध है, उसका परिवार उसे उससे मिलने नहीं दे रहा है। उसने इस संबंध ने याचिकाकर्ता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका डाली थी। उसका कहना था कि महिला को उसके परिवार वालों ने जबरन कैद कर रखा है।


🚩इस मामले की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शमीम अहमद ने कहा, “अदालत का मानना है कि हम एक पश्चिमी देश नहीं हैं जहाँ एक लड़की-लड़के का लिव इन रिलेशनशिप में रहना सामान्य बात हो। हम एक ऐसे देश हैं जहाँ लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति में विश्वास करते हैं और उस पर गर्वित हैं, ऐसे में हमें भी यही करना चाहिए।”


🚩आशीष कुमार ने कोर्ट के समक्ष याचिका के साथ एक पत्र भी रखा था जो कि उसने दावा किया था कि लड़की ने लिखा है। याचिकाकर्ता आशीष कुमार ने कोर्ट के सामने कुछ तस्वीरें भी रखी थीं और बताया था कि वह इस लड़की के 2011 से प्रेम संबंध में हैं। हालाँकि, कोर्ट ने कहा कि यह याचिका मात्र लड़की और उसके परिवार की छवि खराब करने के उद्देश्य से डाली गई है और इससे याचिकाकर्ता उन पर दबाव डाल कर अपने मन का निर्णय करवाना चाहता है।


🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, “अदालत के सामने कोई कारण नहीं है कि वह इस तरह की याचिका की सुनवाई करे जो कि किसी लड़की और उसके परिवार वालों की छवि खराब करने के उद्देश्य से डाली गई है। अदालत अगर ऐसी याचिका को सुनता है तो इससे लड़की और उसके परिवार की छवि धूमिल होगी और उन्हें भविष्य में उसके लिए दूल्हा ढूँढने में समस्या होगी।”


🚩कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि यदि वह और लड़की जिसके विषय में याचिका डाली गई है, वह 13 साल से एक दूसरे के साथ प्रेम सम्बन्ध में हैं तो विवाह क्यों नहीं किया। कोर्ट ने इसी के साथ ही याचिका को खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर ₹25,000 का जुर्माना भी लगाया।


🚩समाज को अस्थिर करने की योजना


 🚩इससे पहले इलहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा था कि, “ऊपरी तौर पर, लिव-इन का रिश्ता बहुत आकर्षक लगता है और युवाओं को लुभाता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है और मध्यमवर्गीय सामाजिक नैतिकता/मानदंड उनके चेहरे पर नजर आने लगते हैं, ऐसे जोड़े को धीरे-धीरे एहसास होता है कि उनके रिश्ते को कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं है।”


 🚩उन्होंने आगे कहा, “लिव-इन रिलेशनशिप को इस देश में विवाह की संस्था के फेल होने के बाद ही सामान्य माना जाएगा, जैसा कि कई तथाकथित विकसित देशों में होता है जहाँ विवाह की संस्था की रक्षा करना उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। अगर हम ऐसा करें तो , हम भविष्य में अपने लिए बड़ी समस्या खड़ी करने की ओर अग्रसर हैं। इस देश में विवाह की संस्था को नष्ट करने और समाज को अस्थिर करने और हमारे देश की प्रगति में बाधा डालने की योजनाबद्ध कु नीति ( षड्यंत्र ) बनाई गई है।”


 🚩टीवी धारावाहिक विवाह संस्था को पहुँचा रहे नुकसान


 🚩जज सिद्धार्थ ने यह भी कहा, “आजकल की फिल्में और टीवी धारावाहिक , विवाह की संस्था को खत्म करने में योगदान दे रहे हैं। शादीशुदा रिश्ते में पार्टनर से बेवफाई और उन्मुक्त लिव-इन रिलेशनशिप को प्रगतिशील समाज की निशानी के तौर पर दिखाया जा रहा है। युवा ऐसे दर्शन की ओर आकर्षित हो जाते हैं , लेकिन इसके दीर्घकालिक परिणामों से अनजान होते हैं।”


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Tuesday, January 30, 2024

अब तो हद पार हो गई, इतना अत्याचार तो मुगलों के समय भी नही होगा

31 January 2024

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🚩आपने आशारामजी बापू का नाम तो काफी सुना होगा, कि वो इस वक़्त जोधपुर जेल में हैं।लेकिन उनके आजीवन कारावास की सजा के पीछे क्या सच्चाई है और अभी तक उनके बार-बार बीमार पड़ने पर भी क्यों बेल की अर्जियां ख़ारिज की जा रही हैं,यह जानना भी बेहद ज़रूरी है।


🚩आज उनकी उम्र 87 साल की है और जेल में 11 साल से हैं। उन्हें काफी पहले से ट्रायजेमिनल न्यूरॉल्जिया , सायटिका और अन्य कष्टप्रद बीमारियां थी ही। फिर इतने समय से जेल में रहने और वहां मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण उनको 3 साल पहले कोरोना भी हो गया था, शरीर बिल्कुल रुग्ण हो गया और दवाओं के काफी सारे साइड ईफेक्ट्स भी हो गए ।


🚩इतनी बड़ी उम्र में शरीर इतना कमजोर होने और जेल के कष्टदायक परिस्थितियों के चलते उनको कई गंभीर बीमारियों ने घेर लिया है। जिसके कारण पिछले लगभग 20 दिनों से वे जोधपुर एम्स अस्पताल में भर्ती हैं और बिना पैरोल के वहीं कैद में ही उनका इलाज ( उनकी मर्जी के अनुसार इलाज मुहैय्या नहीं हो रहे उन्हें ) चल रहा है।


🚩जेल जाने के पीछे का कारण क्या थे?


🚩मीडिया ने आज तक जितना आशाराम बापू के खिलाफ मनगढ़ंत और फ़ेक मीडिया ट्रायल चलाए हैं , उतने किसी के खिलाफ नहीं चलाए होंगे , जानना चाहते हैं क्यों...!?

क्योंकि आशारामजी बापू ने गुनाह ही इतने बड़े-बड़े किये थे !


🚩आशारामजी बापू के गुनाहों की फ़ेहरिस्त...


🚩उनके गुनाहों की लिस्ट इतनी लंबी कि यहाँ सीमित स्थान व समय में सारा कुछ बता पाना संभव नहीं है,फिर भी उनमें से कुछेक यहाँ बता रहे हैं।


🚩1) उन्होंने संस्कृति जागरण अभियान, नर सेवा ही नारायण सेवा अभियान , और अन्य प्रकल्पों के माध्यम से इसाई बना दिए गए लाखों हिंदू आदिवासियों की घर वापसी करवाई । और तो और 11 साल से जेल में होकर भी अपनी उस मुहिम को रुकने नहीं दिए। अभी भी उनके आश्रम व समितियां उनके पद चिन्हों का अनुसरण कर रही हैं।


🚩2) करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति कट्टर बना दिया उन्होंने। सैकड़ों वैदिक शिक्षा पद्धति के गुरुकुल और 17000++ बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।450+ आश्रमों में दिन-रात आश्रमवासियों द्वारा देश व धर्म सेवा के कार्यक्रम चलते रहते हैं।


🚩3) कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाया, उनके पालन-पोषण हेतु अनेकों गौशालाएं खोल दीं।


🚩4) 2006 में 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के बदले मातृ-पितृ पूजन शुरू करवा दिया।

आज उनके करोड़ो अनुयायियों के साथ-साथ देश भर में सभी धर्म के लोग बड़ी कृतज्ञता से सहर्ष इस पावन पर्व को मनाने लगे हैं। इसकी सुवास अन्य देशों में भी फैल रही है।


🚩5)इतना ही नहीं विदेशों में भी उन्होंने भारतीय सनातन संस्कृति का परचम खूब ऊंचा फहराया । वहाँ भी उनके अनगिनत अनुयायी बन चुके थे।


🚩6)25 December को क्रिसमस के बदले तुलसी पूजन दिवस शुरू करवाये।


🚩7) 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक "विश्व गुरू भारत अभियान" शुरू करवाए...


🚩आज कौन नहीं वाकिफ इस बात से कि पूरे साल भर में यही वो सप्ताह है , जिसमें कुछ साल पहले तक व्यभिचार अपने चरम पर होता था।आशाराम जी के प्रयासों से ही आज सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले हैं।


🚩शराब, मांस भक्क्षण,युवाओ ,युवतियों द्वारा खुलेआम व्यभिचार, कुंवारी किशोरियों से लेकर युवतियों तक का गर्भवती होकर समाज पर बोझ होना। बलात्कार, छेडछाड, लडाई, दंगे फ़साद, खून खराबा, आत्महत्याएं और हत्याएं आदि.....अब कितने नाम गिनाए जाएं, ये सबकुछ इसी सप्ताह में खूब बढते थे।

पर आज , आज देशवासी 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन करते हैं और भी कई सुन्दर प्रकल्प होते हैं इस सप्ताह में आशाराम जी के आश्रमों और साधकों द्वारा ।।


🚩8) सनातनधर्म की रक्षा और सबका मंगल सबका भला करने के लिए उन्होंने रात-दिन एक करके पिछले 60 सालों से अप्रतिम सेवाएं कीं। सेवा, सत्संग दान और सुसंस्कार सिंचन के इतने विशाल यज्ञ कुण्ड में मानो उन्होंने स्वयं समेत अपने परिवार और अपनी तमाम खुशियों को भी अर्पण कर दिया।


🚩9) देश विदेश में करोड़ों लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया।

उनके सत्संग सान्निध्य के बाद करोडों लोगों ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया, क्लबों में जाना छोड़ दिया, ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे, स्वदेशी अपनाने लगे ।

हालाँकि इसके बड़े खतरनाक साइड ईफेक्ट्स भी हुए...

इसके कारण भारत को आंतरिक रूप से अपने अधीन करने का सपना लेकर यहाँ व्यापार कर रही विदेशी कंपनियों को अरबों-खरबों रुपयों के घाटे होने लगे।


🚩क्यों चलाई गई षड़यंत्रों की आंधी!?

 

🚩ईसाई मिशनरियों की धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं, फिर पूरे सुनियोजित ढंग से इन मिशनरीज ने भारत के ही हिन्दूधर्म विरोधी व राष्ट्र विरोधी ताकतों , दोगली मीडिया व स्वार्थी राजनेताओं की सांठ-गांठ से आशाराम जी के खिलाफ गहरा षड्यंत्र रच डाला ।


🚩डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जी और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी ने अपने वक्तव्यों में बताया है कि , उन्होंने आशाराम जी बापू को पहले ही बता दिया था... कि "आप जो धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं, उसके कारण वेटिकन सिटी के कर्ता-धर्ता बहुत नाराज हैं और वो लोग तत्कालीन भारत सरकार के सांठ-गांठ में आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

...इस पर आशारामजी बापू ने कहा कि “देश व धर्म की रक्षा के लिए सूली पर चढ़ जाऊँगा लेकिन हिन्दू धर्म की हानि नहीं होने दूँगा।”


🚩आपको बता दें कि आशारामजी बापू के ऊपर आरोप लगाने वाली लड़की ने जो FIR लिखवाया उसमें रेप शब्द का जिक्र ही नहीं...

यहाँ तक कि उसका मेडिकल करवाया गया तो रिपोर्ट में आया कि उसके शरीर पर एक खरोंच का निशान तक नहीं मिला ! मतलब साफ़ है कि आरोपकर्ता लड़की के साथ कुछ हुआ ही नहीं...

अर्थात् मेडिकल रिपोर्ट द्वारा छेड़छाड़ का आरोप भी खारिज हो गया।


🚩मीडिया ने आखिर किसके इशारे पर रेप रेप का हल्ला मचाया...!?

अब यह सच भी देश की जनता के सामने आ गया है।


🚩आश्चर्य ये कि मीडिया ने खूब दुष्प्रचार किया कि लड़की के साथ रेप हुआ है। जबकि खुद तत्कालीन जांच ऑफिसर अजय पाल लाम्बा ने बताया कि " FIR में रेप का आरोप है ही नहीं,सिर्फ छेड़छाड़ का आरोप है!" और मेडिकल रिपोर्ट से उसका भी खण्डन हो गया।

 फिर भी विदेशी फंडेड बिकाऊ मीडिया निर्दोष हिन्दू संत को अपने स्वार्थ में अंधी होकर बदनाम करती ही रही। और आज तक एक भी सही खबर इस केस की अपने चैनल्स पर नहीं दिखाई !


🚩न्यायपालिका का आश्चर्यजनक रूप से उदासीन और कट्टर रवैया...


🚩अब सोचने वाली बात है कि इन 11 सालों में अनगिनत आरोपियों और यहाँ तक कि अपराध सिद्ध नेताओ,अभिनेताओ, व्यवसायियों , मीडिया कर्मियों और तो और खूंखार आतंकियों तक को रिहाई , बेल और पैरोल मिली है।

...पर गंभीर रूप से बीमार होकर भी जमानत नहीं मिली तो सिर्फ आशाराम जी को !!


🚩सलमान खान को निचली अदालत से सजा होने के बाद भी ऊपरी कोर्ट तुरंत जमानत दे देती है । आतंकवादियों के हथियार रखने के मामले में सजायाफ्ता संजय दत्त को बेतुके कारणों से भी बार बार पैरोल देती रही...

वो ही न्यायालय हिंदू संत आशाराम जी बापू को 11 साल में एक दिन भी जमानत अथवा पैरोल नहीं देती , आख़िर क्यो !?


🚩घोर आश्चर्य !

जो कानून दिल्ली के इमाम बुखारी पर सैंकड़ों गैर जमानती वारंट होने के बाद भी उसको और पूरे भारत में कोरोना फैलाने वाले मौलाना साद को आजतक गिरफ्तार नहीं कर पाया , वही कानून गंभीर बीमारियों से जूझ रहे निर्दोष हिंदू संत आशाराम जी बापू को 11 साल से जेल में कैद रखे हुए है।


🚩गौरतलब है कि जो मीडिया सिर्फ हिंदू धर्म के साधु-संतों, मठ-मंदिरों आश्रमों के खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर बदनाम करती है वही मीडिया इन सब पर चुप्पी साध लेती है !!

और सेक्युलरिज्म की भयानक बीमारी के शिकार कुछ हिन्दू दोगली मीडिया की बात को ही सच्चा मानकर अपने धर्मगुरुओं के खिलाफ बोलना चालू कर देते हैं !!


🚩कोंग्रेस सरकार के समय कोई हिंदू धर्म के पक्ष में बोलने वाला नहीं था। वर्तमान प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उनके खिलाफ़ षड्यंत्र चल रहे थे , तब उनके अच्छे कार्यो को देखते हुए आशाराम जी बापू ने भरपूर समर्थन किया था और उन्हें प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद भी दिया था ।

लेकिन आश्चर्य कि आज वही माननीय प्रधानमंत्री जी आशाराम जी बापू के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय को अनदेखा कर रहे हैं !!


🚩स्वामी रामदेव पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने लाठी चार्ज करवाया था, तब आशाराम जी बापू ने नारा दिया था, कि " सोनिया मैडम भारत छोड़ो " और राम देव बाबा का पूरा साथ दिया लेकिन लगता है कि वो भी आज आशाराम जी बापू को भूल गए ।


🚩जागो हिंदुओ !!

अब समझ जाओ कि सनातन धर्म की रक्षा करने वालों को ही यहाँ कैसे षड़यंत्रों में फंसाया और सताया जाता है !

अभी भी समय है ! अपने आश्रमों,देवी-देवताओं और खाकर साधु-संतों के खिलाफ हो रहे षड्यंत्र पर आवाज़ उठाओ।

मत भूलो कि संत हैं तो ही संस्कृति है, इसलिए आशाराम जी बापू की शीघ्र रिहाई की आवाज बुलंद करो...नहीं तो हमें प्रकृति भी माफ नहीं करेगी !!


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Monday, January 29, 2024

वेटिकन के मुख्य पोप ने पहले सेक्स और अब दारू की दी छूट...

30 January 2024

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🚩भारतीय संस्कृति और पाश्चात संस्कृति में बहुत अंतर है। आइए देखें कुछ उदाहरण के द्वारा कि कैसे और क्या अन्तर है।

जब अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा थी तब आसपास के इलाकों में योगी जी ने दारू बंदी करवा दी और उस समय कई राज्यों में तो मांस बेचना बंद करवा दिया गया था। हमारी भारतीय संस्कृति में दारू पीने की छूट बिलकुल नही दी गई है। इससे स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है और साथ ही बुद्धि भी मारी जाती है, तामसी स्वभाव हो जाता है , इसीलिए हिंदू साधु संत तो दारू जैसे व्यसन से बचने को कहते है और व्यभिचार से दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन ईसाई धर्म के सबसे मुख्य पॉप ने पहले तो पादरियों के लिए सेक्स की छूट की पैरवी की और अब दारू पीने-पिलाने का भी खूब प्रोत्साहन कर रहे हैं ।


🚩आपको बता दें कि चर्चों में बच्चों के साथ दुष्कर्म करते पादरियों के पकड़े जाने के अनगिनत मामले आए दिन सामने आते रहते हैं।

अब इसके पीछे का मुख्य कारण यही है कि उनके धर्म गुरु ही ये सब करने की छूट दे रहे हैं , व्यभिचार और व्यसन की छूट दे रहे हैं।


अब अगर यह सब जानने के बावजूद भी भारतीय लोग , दबाव, दहशत या लालच में आकर ऐसा धर्म अपनाते है तो उनकी और उनके परिवार की क्या दुर्दशा होगी आप समझ ही सकते हैं।


🚩गांधीजी कहते थे…

“हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवारों का विदेशी भाषा, वेश-भूषा, रीति-रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है, पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।”


🚩आपको बता दे की हाल ही में ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि दारू भगवान की देन है और यह आनंद का असली स्रोत है। पोप फ्रांसिस ने यह बयान वेटिकन सिटी में दिया है, जो ईसाइयों की धर्मनगरी है। उन्होंने इसके पहले भी शराब के समर्थन में कई बयान दिए हैं।


🚩पोप फ्रांसिस ने यह बयान एक समारोह में दिया, जिसमें इटली से आए हुए तमाम शराब निर्माता शामिल थे। यह समारोह इतालवी शहर वेरोना के बिशप डोमेनिको पोम्पिली द्वारा आयोजित किया गया था। यह समारोह वेरोना में हर साल अप्रैल माह में होने वाली वाइन प्रतियोगिता के पहले आयोजित किया जाता है।


🚩पोप फ्रांसिस ने शराब बनाने वालों से कहा कि वह इससे सम्बंधित नैतिक जिम्मेदारियों का वहन करें और साथ ही पीने की सही आदतों को बढ़ावा दें। 


🚩बता दें कि पोप फ्रांसिस इससे पहले भी शराब का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में भी शराब के समर्थन में बयान दिया था। उन्होंने शराब को शादी समारोह का प्रमुख अंग कहा था। उन्होंने कहा था, “नवविवाहित जोड़े की शादी में शराब ना हो तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है, जैसे आपने चाय पीकर आपने शादी समारोह पूरा कर लिया।”


🚩आपको बता दें कि पोप ने पिछले साल एक वक्तव्य में कहा था कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी।

86 साल के पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल यौनशोषण जैसी घटनाओं पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की है।


🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल ही चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा तो पहले से ही थे , पर गुपचुप ढ़ंग से ।

पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी।


🚩देश को तोड़ने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है और ईसाई धर्म को फैलाने के लिए पादरियों के कुकर्मो को छुपाया जा रहा है इसलिए हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझकर सावधान रहें और संगठित हो कर सनातन धर्म पर हो रहे आक्रमण का कानून के दायरे में रहकर विरोध करें ।


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