Monday, February 19, 2024

वसंत ऋतु शुरू हो गई है, सालभर निरोग रहना है तो इतना जरुर करें ......

20  February 2024

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🚩प्रत्येक मनुष्य के जीवन में इन तीन बातों की अत्यधिक आवश्यकता होती है – स्वस्थ जीवन, सुखी जीवन तथा सम्मानित जीवन। सुख का आधार स्वास्थ्य है तथा सुखी जीवन ही सम्मान के योग्य है।


🚩उत्तम स्वास्थ्य का आधार है यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्वक व्यवस्थित जीवन। बाह्य चकाचौंध की ओर अधिक आकर्षित होकर हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं इसलिए हमारा शरीर रोगों का घर बनता जा रहा है।


🚩‘चरक संहिता’ में कहा गया हैः

आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।

परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान हित सेवने।।

'इस संसार में सुखी जीवन की इच्छा रखने वाले बुद्धिमान व्यक्ति आहार-विहार, आचार और चेष्टाएँ हितकारक रखने का प्रयत्न करें।'


🚩वसंत ऋतु में क्या करें?

वसंत ऋतु 19 फरवरी 19 अप्रैल तक है वसंत ऋतु में कफ को कुपित करने वाले पौष्टिक और गरिष्ठ पदार्थों की मात्रा धीरे-धीरे कम करते हुए गर्मी बढ़ते हुए ही बन्द कर के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिए। चरक के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिये। चरक के अनुसार इस ऋतु में भारी, चिकनाईवाले, खट्टे और मीठे पदार्थों का सेवन व दिन में सोना वर्जित है। इस ऋतु में कटु, तिक्त, कषारस-प्रधान द्रव्यों का सेवन करना हितकारी है। 

वसंत ऋतु में 15-20 नीम की नई कोंपलें चबा-चबाकर खायें। इस प्रयोग से वर्षभर चर्मरोग, रक्तविकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा करने की प्रतिरोधक शक्ति पैदा होती है।


🚩यदि वसन्त ऋतु में आहार-विहार के उचित पालन पर पूरा ध्यान दिया जाय और बदपरहेजी न की जाये तो वर्त्तमान काल में स्वास्थ्य की रक्षा होती है। साथ ही ग्रीष्म व वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य की रक्षा करने की सुविधा हो जाती है। प्रत्येक ऋतु में स्वास्थ्य की दृष्टि से यदि आहार का महत्व है तो विहार भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।


🚩इस ऋतु में उबटन लगाना, तेलमालिश, धूप का सेवन, हल्के गर्म पानी से स्नान, योगासन व हल्का व्यायाम करना चाहिए। देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने से मल सूखता है, आँख व चेहरे की कान्ति क्षीण होती है अतः इस ऋतु में देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोना स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद है। हरड़े के चूर्ण का नियमित सेवन करने वाले इस ऋतु में थोड़े से शहद में यह चूर्ण मिलाकर चाटें।


🚩इस ऋतु में कड़वे नीम के फूलों का रस 7 से 15 दिन तक पीने से त्वचा के रोग एवं मलेरिया जैसे ज्वर से भी बचाव होता है।


🚩धार्मिक ग्रंथों के वर्णनानुसार चैत्र मास के दौरान 'अलौने व्रत' (बिना नमक के व्रत) करने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है एवं त्वचा के रोग, हृदय के रोग, उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी.), गुर्दा (किडनी) आदि के रोग नहीं होते। स्त्रोत : आरोग्य निधि साहित्य


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Sunday, February 18, 2024

धर्म परिवर्तन के पीछे इटली की संस्था, राजस्थान के कई गाँव में चल रहे सेंटर

19 February 2024

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🚩राजस्थान के भरतपुर में 20 हजार लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा चुका है। धर्म परिवर्तन के लिए पार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता। इन प्रार्थना सभाओं में आने वालों को राशन दिया जाता। छोटी-मोटी बीमारियों को दूर किया जाता। वहाँ पहुँचने वाले लोगों की अन्य आर्थिक परेशानियाँ भी दूर की जाती। गरीबों के खाते में हजारों-लाखों की मदद भेज दी जाती। और फिर छोटी-छोटी प्रार्थना सभाओं से शुरू होकर ये खेल बड़े-बड़े फार्म हाउसों, रिजॉर्ट, होटलों तक जाता, जहाँ सामूहिक धर्म परिवर्तन कराया जाता। अब इस पूरे मामले से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं, उसमें न सिर्फ विदेशी एंगल सामने आ रहा है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला सामने आ सकता है। वैसे, इसकी जाँच शुरू हो गई है, जिसके लिए एसआईटी बनाई गई है।


🚩राजस्थान के भरतपुर में जिस ईसाई धर्मांतरण के जाल का खुलासा हुआ है, उसे चंडीगढ़ में बैठा बजिंदर सिंह चला रहा था। वो लोगों के खातों में सीधे पैसे भेजता था। भरतपुर में उसके लिए काम करने वाले अजय सिंह और उसका पूरा परिवार इसी काम में लगा हुआ है। अजय सिंह मूलत: रूपवास के श्रीनगर का रहने वाला है, लेकिन धर्मांतरण के खेल को चलाने के लिए वो पीपला गाँव में बस गया। यहीं पर उसके घर पर सप्ताह में दो दिन सत्संग यानी ईसाई प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है। यही नहीं, पीपला गाँव में एक महिला भी अपने घर में प्रार्थना सभाएँ चलाती हैं। ये सारा खुलासा हुआ, भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट में…


🚩इस रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने बताया है कि लोगों को धर्म परिवर्तन कराने पर दो लाख रुपए से लेकर पाँच लाख रुपए तक दिए जाते हैं। पूर्व सरपंच तूहीराम ने बताया कि उन्होंने अजय सिंह को पहले भी धर्मांतरण से जुड़े काम को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन वो नहीं माना। अजय सिंह के बारे में बताया जा रहा है कि वो खुद अब पादरी बन चुका है और उसके पास से पुलिस को इसका सर्टिफिकेट तक मिला है।


🚩धर्मांतरण का इटली कनेक्शन

भरतपुर में चल रहे ईसाई मिशनरी के खेल में लभाना मिनिस्ट्री का नाम सामने आ रहा है, जिसके द्वारा जारी किए गए धर्मांतरण के सर्टिफिकेट भी मिले हैं। लभाना मिनिस्ट्री इटली की संस्था है। वो ईसाईयों की संख्या को बढ़ाने के पीछे लगी है, जिसमें मूल काम लोगों को तमाम तरह के प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराना होता है। ऐसे धर्मांतरण सेंटर सिर्फ पीपला गाँव में ही नहीं, बल्कि भरतपुर के कंजोली, गुँडवा, बझेरा, नोंह बहामदी, बहनेरा, रुपवास, गघीना और बयाना जैसी जगहों पर भी चल रहे हैं।



🚩भरतपुर में धर्मांतरण के काम को कंपनी के जरिए फंडिंग

भरतपुर में धर्मांतरण के खेल में मौके से गिरफ्तार किए गए दो लोग कुँवर सिंह और शैलेंद्र सिंह का नाम एलएमएन कंपनी से जुड़ रहा है। ये कंपनी ऐसे कार्यक्रमों के लिए फंडिंग करती थी। ये कंपनी लोगों को बाइबिल भी गिफ्ट करती है। भरतपुर में पकड़े गए कुँवर सिंह को चंडीगढ़ से प्रोफेट बजिंदर सिंह हर महीने 1 लाख रुपए बैंक खाते में भेजा करता था। इससे वो छोटे-मोटे काम खुद के खर्च पर ही कर लेता था।


🚩भरतपुर जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि धर्म परिवर्तन के दो मामले सामने आए हैं। एक मामला निजी होटल में सामने आया, जहाँ कार्यक्रम के दौरान लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हुए और दूसरे धर्म का अपमान किया जा रहा था। दूसरा मामला एक गाँव में सामने आया है। हमने मामले की जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया है।


🚩पादरी बजिंदर मुख्य अभियुक्त, या खेल बड़ा?

बता दें कि राजस्थान के भरतपुर स्थित एक होटल में रविवार (11 फरवरी, 2024) को ईसाई मिशनरी धर्मांतरण का भंडाफोड़ हुआ था। उस कार्यक्रम में 350 से 500 लोग शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में चंडीगढ़ से पादरी बजिंदर सिंह को लाइव जुड़ा हुआ था, जो लोगों का धर्मांतरण करवा रहा था। कार्यक्रम में दावे किए गए कि वो मरे हुए बच्चे तक को ज़िंदा कर सकता है और कैंसर जैसी भयंकर बीमारी का भी इलाज कर सकता है। कार्यक्रम के आयोजकों कुँवर सिंह और शैलेन्द्र सिंह को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।


🚩बजिंदर सिंह खुद को प्रोफेट कहता है। उसके कई ऐसे वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं, जहाँ वो चमत्कारी दावे करता है और अजीबोगरीब हरकतें करवाता है। गिरफ्तार दोनों आरोपित कह रहे हैं कि वो तो सिर्फ माध्यम हैं। बजिंदर सिंह चंडीगढ़ से ही लोगों का लाइव धर्मांतरण करा रहा था। माइक और स्पीकर समेत 5 एलईडी की व्यवस्था कार्यक्रम स्थल पर की गई थी। दोनों आरोपित 2020 से ही बजिंदर सिंह से जुड़े हुए थे। अकेले भरतपुर में 20,000 से अधिक लोगों का वो धर्मांतरण करा चुका है। वकील संदीप सिंह ने इस आयोजन को लेकर खुलासा किया, जो दोस्त की शादी के लिए मैरिज हॉल बुक करने ‘सोनार हवेली’ पहुँचे थे। वहाँ करीब 400 लोग मौजूद थे। 15 लोग मंच पर थे। येशु की कसम दिला कर धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था।


🚩महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। आप कहते थे "यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है।



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Saturday, February 17, 2024

भारत के ही सन्देशखाली में हिंदुओं पर अत्याचार सुनकर आप भी रो पड़ेंगे

18 February 2024*

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🚩आप गृहस्थ हैं,रात के नौ बजे, घर का दरवाजा ज़ोर से पीटने की आवाज़ से आप आतंकित हो जाते हैं... जब दरवाज़ा टूटने की नौबत आ जाती है तो मजबूर होकर आप दरवाज़ा खोल खोलते हैं.... कई TMC के टोपीवाले कारकुन आपके 4 थप्पड़ मार के कहते हैं कि तेरी बड़ी बेटी कहाँ हैं.... आप कांप उठते हैं.... कारकुन अंदर नहीं घुसता ,सिर्फ ऑर्डर सुनाता है कि " अमुक जगह पर अपनी बेटी और अपनी पत्नी को खुद लेकर आ जाना.... सुबह तेरी बीवी और बेटी को वापस कर दिया जाएगा .... वरना मौत के लिए तैयार रह "....


 🚩आप खुद अपनी बेटी और बीवी को 'अमुक जगह' पर छोड़ कर आते हैं.... सुबह आपकी बीवी लूटी-पिटी मुँह छिपाए वापस आ जाती हैं.... लेकिन बेटी कई दिन बाद वापस आएगी क्योकि कुछ दरिंदों की हवस की प्यास अभी शांत नहीं हुई ! आप पुलिस के पास जाते है...एक पार्टी के दफ्तर में नाक रगड़ते हैं...मगर कोई आपकी नहीं सुनता... वहां सनातनी बेटी जो अधिकतर दलित सनातनी हिंदू हैं....इस कृत्य को झेलने के लिए अभिशप्त हैं ! कोई सुनने वाला नहीं,केंद्र भी नहीं....

          " मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है,

           क्या मेरे हक में फैसला देगा "....


 🚩 सन्देशखाली... वह जगह है जो सुंदरबन और 24 परगना के नज़दीक है .... एक बांग्लादेशी शख्स खुल्लमखुल्ला घोषणा करता है कि वह बांग्लादेशी है, मगर चुनाव जीत जाता है ...अब तो भारत की सीनियर मिनिस्टर स्मृति ईरानी बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके उसका नाम शेख शाहजहाँ बताती हैं.... शेख शाहजहाँ को गिरफ्तार करने ID जाती है तो IG सहित पूरी ID टीम की भयंकर पिटाई होती है.... 


 🚩 ज़ुल्म की इंतेहा देखिये...  उधर बलात्कार की शिकायत लेकर गए... 111 पीड़ितों पर ही FIR दर्ज हो जाती है !


 🚩गूगल पर संदेशखाली टाइप कीजिये... यूट्यूब पर यह नाम डालिये....आंखें गीली न हो जाएं तो कहिएगा !! इस क्षेत्र के हिंदुओं को अपने रीति रिवाज, त्योहार, शादी-ब्याह भी इन्ही कादर भाई, शेख शाहजहाँ  जैसों से अनुमति लेकर मनाने पड़ते हैं.... यह सब कुछ अपने भारत मे हो रहा है.... 


 🚩किस्सा कितना दर्दनाक है... इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि कराची में भी बिल्कुल हिन्दू स्त्रियों के साथ यही सब कुछ होता है....लगातार होता है.... वहां भी अत्याचारी उसी मज़हब के हैं... महिलाएं भी भील और अनुसूचित जाति की हैं... मुसलसल बलात्कारों से उत्पन्न बच्चों को भी इन्ही स्त्रियों और इनके निरीह पतियों को पालना पड़ता है ! अक्सर स्त्रियों को पता ही नहीं होता कि नवागंतुक बच्चे का पिता कौन है .... किसने कल्पना की थी कि कथित आज़ादी के बाद यह सब भारत के कथित 'बहुसंख्यकों' की स्त्रियों के साथ भी होगा..... । - Source facebook


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Friday, February 16, 2024

क्या आप इतने महान क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फड़के के बारे में जानते हैं ?

17 February 2024*

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🚩अगर बात करे भारतीय स्वतंत्रता की क्रांति और उन क्रांतिकारियों की जिनकी वजह से देश को आजादी मिली तो इतिहास की रेत में शायद हज़ारों नाम दबे मिले। पर हम सिर्फ कुछ नामों से ही रु-ब-रु हुए हैं। वैसे तो भारत माँ के इन सभी सपूतों के बारे में जानकारी सहेजने की कोशिश जारी है ताकि आने वाली हर पीढ़ी इनके बलिदान को जान-समझ सके।

ऐसा ही एक महान क्रांतिकारी और भारत माँ का सच्चा बेटा था वासुदेव बलवंत फड़के! फड़के ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का संगठन करने वाले भारत के प्रथम क्रान्तिकारी थे। उनका जन्म 4 नवंबर, 1845 को महाराष्ट्र के रायगड जिले के शिरढोणे गांव में हुआ था।


🚩साल 1857 की क्रांति की विफलता के बाद एक बार फिर भारतीयों में संघर्ष की चिंगारी फड़के ने ही जलाई थी।


🚩वासुदेव बलवन्त फड़के बचपन से ही बड़े तेजस्वी और बहादुर बालक थे। उन्हें वनों और पर्वतों में घूमने का बड़ा शौक़ था। कल्याण और पुणे में उनकी शिक्षा पूरी हुई। फड़के के पिता चाहते थे कि वह एक व्यापारी की दुकान पर दस रुपए मासिक वेतन की नौकरी कर लें। लेकिन फड़के ने यह बात नहीं मानी और मुम्बई आ गए।


🚩उन्होंने 15 साल पुणे के मिलिट्री एकाउंट्स डिपार्टमेंट में नौकरी की। इस सबके दौरान फड़के लगातार अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के सम्पर्क में रहे। उन पर खास प्रभाव महादेव गोविन्द रानाडे का था। फड़के के मन में पहले ही ब्रिटिश राज के खिलाफ बग़ावत के बीज पड़ चुके थे।


🚩ऐसे में एक और घटना हुई और इस घटना ने फड़के के पुरे जीवन को ही बदल दिया। साल 1871 में, एक शाम उनकी माँ की तबियत खराब होने का तार उनको मिला। इसमें लिखा था कि ‘वासु’ (वासुदेव बलवन्त फड़के) तुम शीघ्र ही घर आ जाओ, नहीं तो माँ के दर्शन भी शायद न हो सकेंगे।


🚩इस तार को पढ़कर वे विचलित हो गये और अपने अंग्रेज़ अधिकारी के पास अवकाश का प्रार्थना-पत्र देने के लिए गए। किन्तु अंग्रेज़ तो भारतीयों को अपमानित करने के लिए तैयार रहते थे। उस अंग्रेज़ अधिकारी ने उन्हें छुट्टी नहीं दी, लेकिन फड़के दूसरे दिन अपने गांव चले आए।

पर गांव जाकर देखा कि माँ तो अपने प्यारे वासु को देखे बिना ही इस दुनिया को छोड़ गयीं। इस बात का उनके मन पर बहुत आघात हुआ और उन्होंने तभी वह अंग्रेजी नौकरी छोड़ दी।


🚩देश में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर उन्होंने भी ब्रिटिश राज के खिलाफ जंग की तैयारी शुरू कर दी। उन्हें देशी राज्यों से कोई सहायता नहीं मिली तो फड़के ने शिवाजी का मार्ग अपनाकर आदिवासियों की सेना संगठित करने की कोशिश शुरू की।


🚩साल 1879 में उन्होंने अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह की घोषणा कर दी। उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में घूम-घूमकर नवयुवकों से विचार-विमर्श किया, और उन्हें संगठित करने का प्रयास किया।  महाराष्ट्र की कोळी, भील तथा धांगड जातियों को एकत्र कर उन्होने ‘रामोशी’ नाम का क्रान्तिकारी संगठन खड़ा किया। अपने इस मुक्ति संग्राम के लिए धन एकत्र करने के लिए उन्होने धनी अंग्रेज साहुकारों को लूटा।


🚩महाराष्ट्र के सात ज़िलों में वासुदेव फड़के की सेना का ज़बर्दस्त प्रभाव फैल चुका था। जिससे अंग्रेज़ अफ़सर डर गए थे। इस कारण एक दिन बातचीत करने के लिए वे विश्राम बाग़ में इकट्ठा हुए। वहाँ पर एक सरकारी भवन में बैठक चल रही थी।


🚩13 मई, 1879 को रात 12 बजे वासुदेव बलवन्त फड़के अपने साथियों सहित वहाँ आ गए। अंग्रेज़ अफ़सरों को मारा तथा भवन को आग लगा दी। उसके बाद अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें ज़िन्दा या मुर्दा पकड़ने पर पचास हज़ार रुपए का इनाम घोषित किया। किन्तु दूसरे ही दिन मुम्बई नगर में वासुदेव के हस्ताक्षर से इश्तहार लगा दिए गए कि जो अंग्रेज़ अफ़सर ‘रिचर्ड’ का सिर काटकर लाएगा, उसे 75 हज़ार रुपए का इनाम दिया जाएगा। अंग्रेज़ अफ़सर इससे और भी बौखला गए।


🚩फड़के की सेना और अंग्रेजी सेना में कई बार मुठभेड़ हुई, पर उन्होंने अंग्रेजी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। लेकिन फड़के की सेना का गोला-बारूद धीरे-धीरे खत्म होने लगा। ऐसे में उन्होंने कुछ समय शांत रहने में ही समझदारी मानी और वे पुणे के पास के आदिवासी इलाकों में छिप गये।


🚩20 जुलाई, 1879 को फड़के बीमारी की हालत में एक मंदिर में आराम कर रहे थे। पर किसी ने उनके यहाँ होने की खबर ब्रिटिश अफसर को दे दी। और उसी समय उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गयी।


🚩लेकिन एक बहुत ही विख्यात वकील महादेव आप्टे ने उनकी पैरवी की। जिसके बाद उनकी मौत की सजा को कालापानी की सजा में बदल दिया गया और उन्हें अंडमान की जेल में भेजा गया। 17 फरवरी, 1883 को कालापानी की सजा काटते हुए जेल के अंदर ही देश का यह वीर सपूत बलिदान हो गया।


🚩साल 1984 में भारतीय डाक सेवा ने उनके सम्मान में एक पोस्टल स्टैम्प भी जारी की। दक्षिण मुंबई में उनकी एक मूर्ति की स्थापना भी की गयी।

देश के इस महान क्रांतिकारी को कोटि-कोटि नमन!


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Thursday, February 15, 2024

राजस्थान में 20 हजार हिंदुओं को ईसाई बनाया : 8 गिरफ्तार

16 February 2024

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🚩राजस्थान के भरतपुर स्थित एक होटल में रविवार (11 फरवरी, 2024) को ईसाई मिशनरी धर्मांतरण का कार्यक्रम चला रहे थे। इस कार्यक्रम में चंडीगढ़ से पादरी बजिंदर सिंह को लाइव जुड़ा हुआ था, जो लोगों का धर्मांतरण करवा रहा था। कार्यक्रम में दावे किए गए कि वो मरे हुए बच्चे तक को ज़िंदा कर सकता है और कैंसर जैसी भयंकर बीमारी का भी इलाज कर सकता है। कार्यक्रम के आयोजकों कुँवर सिंह और शैलेन्द्र सिंह को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। राजस्थान में 20,000 लोगों का ईसाई धर्मांतरण कराया जा चुका है।


🚩बजिंदर सिंह खुद को प्रोफेट कहता है। उसके कई ऐसे वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं, जहाँ वो चमत्कारी दावे करता है और अजीबोगरीब हरकतें करवाता है। गिरफ्तार दोनों आरोपित कह रहे हैं कि वो तो सिर्फ माध्यम हैं। बजिंदर सिंह चंडीगढ़ से ही लोगों का लाइव धर्मांतरण करा रहा था। माइक और स्पीकर समेत 5 LED की व्यवस्था कार्यक्रम स्थल पर की गई थी। दोनों आरोपित 2020 से ही बजिंदर सिंह से जुड़े हुए थे। अकेले भरतपुर में 20,000 से अधिक लोगों का वो धर्मांतरण करा चुका है।


🚩आयोजनों के लिए वो पैसे भी ऑनलाइन भेजता है। जहाँ कुँवर सिंह भरतपुर का ही निवासी है, शैलेन्द्र सिंह उत्तर प्रदेश के फरीदाबाद का रहने वाला है। 8 अन्य की भी गिरफ़्तारी हुई है। इनके पास से आयोजन का सामान और भड़काऊ पुस्तकें भी मिली हैं। वकील संदीप सिंह ने इस आयोजन को लेकर खुलासा किया, जो दोस्त की शादी के लिए मैरिज हॉल बुक करने ‘सोनार हवेली’ पहुँचे थे। वहाँ करीब 400 लोग मौजूद थे। 15 लोग मंच पर थे। येशु की कसम दिला कर धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था।


🚩वहाँ मौजूद लोगों को ईसाई मजहब के फायदे गिनाए जा रहे थे और बोतल में कुछ मिला कर पिलाया जा रहा था। इतना ही नहीं, कुँवर सिंह के साथ-साथ सिद्धार्थ गौतम नामक शख्स मंच से हिन्दू देवी-देवताओं को भी गाली दे रहा था। बच्चियों के हाथों में बाइबिल दिए जा रहे थे। संदीप गुप्ता ने जब टोका और रिकॉर्डिंग करने लगे तो उनके साथ धक्का-मुक्की की गई। इलाज के नाम पर पीड़ितों को वहाँ बुलाया गया था। 352 किताबें जब्त की गई हैं। गरीबों को रुपए का लालच भी दिया गया था, उनके खाने-पीने की व्यवस्था की गई थी।


🚩पादरी बजिंदर सिंह “मेरा यशु यशु” वाले वीडियो से वायरल हुआ था। पादरी बजिंदर सिंह को जीरकपुर पुलिस ने उसी की फॉलोअर युवती से रेप करने के आरोप में दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। 2017 में एक लड़की ने जालंधर के चर्च के पादरी बजिंदर पर आरोप लगाया था कि उसने विदेश भेजने के नाम पर उससे रेप किया और वीडियो भी बनाई। बजिंदर के यूट्यूब पर कई ऐसे वीडियो हैं, जिसमें वह सलमान खान से लेकर कई बड़े सितारों की भविष्यवाणी करने का दावा कर रहा है। सूट-बूट और सिक्योरिटी में रहने वाला बजिंदर सिंह अपने भाषणों के दौरान सुंदर लड़कियों पर नजर रखता था। स्त्रोत: ओप इंडिया 


🚩गांधीजी कहते थे…

“हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा, रीति रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।”


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Wednesday, February 14, 2024

आशाराम बापू के एक फैसले से देशवासियों के अरबों रुपए बच गए, आत्महत्या रुकी

14 February 2024

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🚩आज जहाँ एक ओर वैलेंटाइन डे का प्रभाव अंधाधुंध बढ़ता आ रहा है तथा इसके कुप्रभाव व दुष्परिणाम समाज के सामने प्रत्यक्ष हो रहे हैं जैसे कि एड्स, नपुसंकता, दौर्बल्य, छोटी उम्र में ही गर्भाधान (Teenage Pregnency), ऑपरेशन,बाँझपन,आदि गुप्त बिमारियों का सामना समाज को करना पड़ रहा है ।


🚩वेलेंटाइन डे मनाने से समाज में युवावर्ग का चारित्रिक पतन तथा विदेशी कंपनियों के गिफ्ट, गर्भनिरोधक सामग्री के पैसे अरबो-खरबो रूपये जाते देखकर और वृद्धाश्रमों की माँग बढ़ते देख हिन्दू संत आशारामजी बापू ने 2006 से एक अनूठी मुहिम की तरफ युवावर्ग को आकर्षित किया। जो है “मातृ पितृ पूजन दिवस” इसके कारण युवाओं का नैतिक, चारित्रिक पतन और विदेश में जाते अरबों रुपए और माता-पिता का अनादर करके वृद्धाश्रम भेजने आदि इन सभी पर रुकावट आई।


🚩वेलेंटाइन डे का कुप्रभाव व मातृ-पितृ पूजन का सकारात्मक परिणाम देखकर देश- विदेश की सभी सम्मानीय एवं प्रतिष्ठित हस्तियों ने स्वागत किया और देश-विदेश में 2006 से 14 फरवरी को ‘वेलेंटाइन डे’ की जगह मातृ पितृ पूजन दिवस मनाना शुरू किया गया।


🚩जब इस विषय को लेकर सोशल साइट पर देखा गया तो देखने को मिला कि बापू आसारामजी के अनुयायियों ने 2 महीने पहले से ही 14 फरवरी “मातृ पितृ पूजन दिवस” निमित्त देश-विदेश में 14 फरवरी मातृ-पितृ पूजन निमित्त कार्यक्रम शुरू कर दिए थे।


🚩मातृ-पितृ पूजन को लेकर लगातार 15 दिन से Twitter, Facebook, Instagram, google, Whatsapp आदि पर भी उनके अनुयायी बहुत सक्रिय रहे । सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड लेवल तक बड़े जोरशोर से ParentsWorshipDay मनाया गया।


🚩इस कार्यक्रम को विश्वभर में जैसे कि अमेरिका, दुबई, सऊदी अरब, केनेडा, पाकिस्तान, बर्मा, नेपाल, इटली, लन्दन, ऑस्ट्रेलिया आदि कई देशों में स्कूल, कॉलेज, जाहिर स्थल, वृद्धाश्रम, समाज सेवी संस्थाओं, घर, परिवार, मोहल्ले आदि में जगह-जगह पर उनके अनुयाई तथा समाज सेवी संस्थाओं ने “मातृ पितृ पूजन दिवस” मनाया गया ।


🚩🚩माता-पिता अपने बच्चों सहित अपने-अपने क्षेत्रों में जहाँ-जहाँ ये कार्यक्रम आयोजित किये गए वहाँ वहाँ बड़ी संख्या में पधारे और एक नये उत्साह, एक नए जीवन, नये संस्कारों, एक नयी दिव्य अनुभूति और एक अनोखे हर्ष-उल्लास के साथ सबके मुखमंडल प्रफुल्लित दिखे ।


🚩सच में जिन्होंने भी वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया, अपने माता-पिता की पूजा की, अपनी दिव्य संस्कृति को अपनाया उनके जीवन में बहुत अच्छा देखने को जरूर मिला ।


🚩कुछ पाश्चात्य संस्कृति (VALENTINE DAY) मनाने वाले मनचले लोग तर्क-कुतर्क करने लगे कि माता-पिता की पूजा एक ही दिन क्यों ? उन्हें जवाब इस तरह का है कि क्या आपने अपने जीवन में दिल से कभी अपने माता-पिता की पूजा की भी है या नहीं ? जरा ईमानदारी से अपने दिल पर हाथ रखकर तो कहना ।


🚩और अगर सच्चे ह्रदय से माँ-बाप की पूजा होती तो क्या आप वैलेंटाइन-डे के इस कचरे को अपनाते ???


🚩आज के कल्चर में वैलेंटाइन डे मनाने वाले आगे जाकर लड़के-लड़कियों के चक्कर में क्या-क्या कर बैठते हैं ये दुनिया जानती है । फिर समाज में और घर-परिवार में मुँह दिखाने लायक नहीं रहते । फिर या तो घर से भाग जाते हैं या तो आत्महत्या के विचार कर बैठते हैं और इसको अंजाम देते हैं ।


🚩कुछ समय पूर्व ही कई अखबारों में पढ़ने को मिला कि जवान लड़के-लड़कियाँ नदी में कूदकर अथवा ट्रेन से कूदकर जान दे बैठे। क्या यही है आज का VELANTINEDAY….???


🚩अनादिकाल से भारत के महान संत ही समाज की रक्षा करते आये हैं । समाज को संवारने का दैवीकार्य महान ब्रह्मवेत्ता तत्वज्ञ संतों द्वारा ही होता आया है और जब-जब समाज कुकर्म और पाप की गहरी खाई में गर्क होने लगता है, अधर्म बढ़ने लगता है तो किसी न किसी महापुरुष को परमात्मा (ईश्वर) धरती पर प्रकटाते हैं या स्वयं भगवान् धरती पर अवतार लेते हैं और इस दिशाहीन समाज को एक नयी दिशा देकर, समाज को सुसंस्कारित कर, समाज में धर्म की स्थापना करते हैं जैसा कि भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है।


🚩परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ||


🚩महापुरुषों की गाथा सुज्ञ समाज अनंत काल तक गाता रहता है । ऐसे ही कई महापुरुष जैसे संत कबीर, गुरु नानक जी, संत तुलसीदास जी, संत लीलाशाह जी महाराज, संत तुकाराम जी, संत ज्ञानेश्वर जी, स्वामी विवेकानंद जी, स्वामी अखंडानन्द जी आदि महान सन्तों का यश आज भी जीवित है ।


🚩करोड़ो-अरबों लोग धरती पर जन्म लेते हैं और यूँ ही मर जाते हैं पर संतों का नाम,आदर,पूजन व यश सभी के हृदयों में अंकित है ।


ऐसे ही संत आज इस धरा पर हैं लेकिन बहिर्मुख व कृतघ्न समाज को दिखता कहाँ है! कहाँ पहचान पाते हैं उन महान संतों को!!


🚩गुरुनानक जैसे महान संतों को जेल में डलवा दिया जाता है । दो बार तो गुरुनानक जी को भी जेल जाना पड़ा । संत कबीरजी जैसों को वेश्याओं द्वारा बदनाम करवाया जाता है । भगवान बुद्ध पर दुष्कर्म का आरोप लगाया गया लेकिन उनकी पूजा आज भी होती है क्योंकि “धर्म की जय और अधर्म का नाश” ये प्राकृतिक सिद्धांत है ।


🚩आज समाज को एक अद्भुत प्यारा सा पर्व देकर हिन्दू संत आसारामजी बापू ने सभी के दिलों में राज किया है । सबको प्रेम दिया है । सभी को सन्मार्ग पर ले चलने का अद्भुत महान कार्य किया है । कई समाज के बुद्धिजीवी तो हिन्दू संत आसारामजी बापू के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन भारत में ही विदेशी षड़यंत्र द्वारा ( क्रिश्चयन मिशनरीज, विदेशी कंपनियों के मुआवजे से ) उन्हें जेल भिजवा दिया गया, मीडिया द्वारा बदनाम करवाया गया और सुज्ञ समाज देखता रह गया ।


🚩गौरतलब है कि संत आसारामजी बापू 11 साल से जोधपुर जेल में बन्द है लेकिन उनके करोड़ो भक्त अभी तक उनसे जुड़े हैं ।


🚩क्या ये उन महान संत की निर्दोषता का प्रमाण नहीं..?? क्या किसी बलात्कारी के पीछे करोड़ों का जन-समूह हो सकता है..???

है जो वंदनीय और पूजनीय वो, दिन अपने कारावास में बिताते हैं ।

सत्कार्यों का मिला कटुफल, उसको भी हंसकर सहते जाते हैं ।।


🚩आज का मानव बिना चमत्कार के किसी को नमस्कार नहीं करता वहीं इनके करोड़ों अनुयायी आज भी इनके लिए पलकें बिछाये बैठे हैं ।


🚩बिना सत्य के बल के कोई करोड़ों के जनसमूह को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता इतना तो हर समझदार इंसान समझ सकता है ।


🚩लेकिन कई मूर्ख लोग मीडिया की बातों में आकर अपने ही संतों पर लांछन लगाने से पीछे नहीं हटते..!!


🚩अगर मीडिया इतनी ही निष्पक्ष है तो क्यों संत आसारामजी बापू द्वारा किये गए और किये जा रहे अनेकों समाजसेवा के कार्यों को क्यों छुपा रही है ???


🚩हर सिक्के के दो पहलू होते हैं मीडिया ने कहा बापू रेपिस्ट आपने मान लिया पर कभी आपने ये जानने का प्रयास किया कि उन पर रेप का आरोप ही नही है, छेड़छाड़ का केवल आरोप है और उनके खिलाफ कितने षड्यंत्र हुए और उसका खुलासा हुआ है वे आपको नही पता होगा। उनके द्वारा हुए और हो रहे समाज उत्थान के सेवाकार्यों को दृष्टिगोचर किया जा रहा है ।


🚩हमारे देश में एक ओर 87 वर्षीय वरिष्ठ संत बापू आसारामजी को जमानत का भी अधिकार नहीं दूसरी ओर ऐसे ही कई केस हमारे सामने हैं जिनमें सबूत मिलने पर भी वो मजे से जमानत पर बाहर घूम रहे हैं ।


🚩पिछले 11 सालों में नेता,अभिनेता, पत्रकार, यहां तक कि आतंकवादियों तक को बेल मिल चुकी है पर संत आशाराम बापू को 11 सालों में 1 दिन की भी बेल नही मिली है बापूजी के साथ ही इतना घोर अन्याय क्यों???

क्या हिन्दू संत होना ही गुनाह है या हिन्दू संस्कृति उत्थानार्थ कार्य करना गुनाह है??


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वेलेंटाइन डे का आ गया इतिहास, अब सरकार और जनता करेगी मातृ पितृ पूजन

14  February 2024

https://azaadbharat.org 


🚩भारत में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं कि वेलेंटाइन डे की शुरुआत कैसे हुई और यह क्यों मनाया जा रहा है। इससे हमें फायदा होगा या नुकसान, ये हमारी संस्कृति के अनुसार है कि नहीं- इस पर तनिक भी विचार न कर टीवी-सिनेमा मीडिया में दिखाई जाने वाली चीजों से प्रभावित होकर लोग उनकी नकल करने लग जाते हैं।


🚩आइये आज आपको वैलेंटाइन डे का सच्चा इतिहास बताते हैं……


🚩रोम के राजा क्लाउडियस ब्रह्मचर्य की महिमा से परिचित थे, इसलिए उन्होंने अपने सैनिकों को शादी करने के लिए मना किया था ताकि वे शारीरिक बल और मानसिक दक्षता से युद्ध में विजय प्राप्त कर सकें। रोम के चर्च के ईसाई धर्मगुरु वेलेंटाइन जो स्वयं ईसाई पादरी होने के कारण बाहर से नहीं दिखा सकते थे कि वे ब्रह्मचर्य के विरोधी हैं इसलिए पादरी वेलेंटाइन ने गुप्त ढंग से सैनिकों की शादियाँ कराईं। राजा को जब यह बात पता चली तो उन्हें दोषी घोषित किया और इस पादरी वेलेंटाइन को 14 फरवरी के दिन फाँसी दे दी गयी। सन् 496 से ईसाई पोप गैलेसियस ने उनकी याद में 14 फरवरी के दिन वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया। तब से लेकर अब तक यह प्रथा चली आ रही है।


🚩एक बड़ी बात यह भी है कि वेलेंटाइन डे मनाने वाले लोग पादरी वेलेंटाइन का ही अपमान करते हैं, क्योंकि वे शादी के पहले ही अपने प्रेमास्पद को वेलेंटाइन कार्ड भेजकर उनसे प्रणय-संबंध स्थापित करने का प्रयास करते हैं। यदि पादरी वेलेंटाइन इससे सहमत होते तो वे शादियाँ कराते ही नहीं, तो ये था वेलेंटाइन डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार।


🚩भारत में जब अंग्रेज आये तब वो लोग इस दिन को मनाते थे तो भारत के कुछ लोग जो अंग्रेजों के चाटुकार थे, मूर्ख और लालची थे वे लोग भी इसे मनाने लगे।


🚩भारत में अंग्रेज वेलेंटाइन डे इसलिए मना रहे थे ताकि भारत के लोगों का नैतिक पतन हो जिससे वो अंग्रेजों के सामने लड़ न पाएं और लंबे समय तक भारत को गुलाम बनाकर रखा जा सके।


🚩स्वतंत्रता के बाद अंग्रेज तो गये लेकिन विदेशी कम्पनियों ने सोचा कि हम अगर भारत में वैलेंटाइन डे को बढ़ावा देते हैं तो हमें अरबों-खरबों रुपये का फायदा होगा तो उन्होंने टीवी, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अखबार, नॉवेल, सोशल मीडिया, आदि में खूब-प्रचार प्रसार किया जिससे उन्होंने महंगे ग्रीटिंग कार्ड्स, गिफ्ट्स, आर्टिफिशियल फूल, चॉकलेट्स आदि से अरबों रुपए कमाए। इसके अलावा नशीले पदार्थ, ब्ल्यू फिल्म, गर्भ निरोधक साधन, पोर्नोग्राफी, उत्तेजक पोप म्यूजिक, सेक्स उत्तेजक दवाईयाँ बनाने वाली विदेशी कम्पनियां अपने आर्थिक लाभ हेतु समाज को चरित्रभ्रष्ट करने के लिए करोड़ों अरबों रूपये खर्च कर रही हैैं।


🚩वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2016 में वेलेंटाइन डे से जुड़े सप्ताह के दौरान फूल, चॉकलेट, आदि विभिन्न उपहारों की बिक्री का कारोबार करीब 22,000 करोड़ रूपये था। इस बार 50,000 करोड़ रूपये से अधिक का कारोबार होने का अनुमान है। वस्तुत: वैलेंटाइन डे विदेशी बाजारीकरण व वासनापूर्ति को बढ़ावा देने वाला दिन है।


🚩अब ये वैलेंटाइन डे हमारे कुछ स्कूलों तथा कॉलजों में भी मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के लड़के-लड़कियाँ बिना सोचे-समझे एक दूसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड, गिफ्ट,फूल दे रहे हैं।


🚩यह सब विदेशी गन्दगी को देखते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू ने 2006 में 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाना शुरू किया जिसका अभी व्यापक रूप से प्रचार हो रहा है। भारत में उनके करोड़ों अनुयायी, आम जनता, हिन्दू संगठन और कई राज्यों की सरकारें, गांव-गांव, नगर-नगर में इस दिन को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मना रहे हैं। विदेशों में भी उनके अनुयायी इस दिन को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मना रहे हैं।


🚩हिन्दू संत बापू आशारामजी का कहना है कि 14 फरवरी को पश्चिमी देशों की नकल कर भारत के युवक-युवतियाँ एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड्स, फूल आदि देकर वैलेंटाइन डे मनाते हैं तो इस विनाशकारी डे के नाम पर कामविकार का विकास हो रहा है, जो आगे चलकर चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, खोखलापन,जल्दी बुढ़ापा और जल्दी मौत लाने वाला साबित होगा।


🚩बापू आशारामजी कहते हैं कि हजारों-हजारों युवक-युवतियां तबाही के रास्ते जा रहे हैं।वैलेंटाइन डे के बहाने ‘आई लव यू’ करते-करते लड़का-लड़की एक दूसरे को छुएंगे तो रज-वीर्य का नाश होगा, आने वाली संतति पर भी इसका बुरा असर पड़ता है और वर्तमान में वे बच्चे-बच्चियां भी तबाही के रास्ते हैं।लाखों-लाखों माता-पिताओं के हृदय की पीड़ा को देखते हुए तथा बच्चे-बच्चियों को इस विदेशी गंदगी से बचाकर भारतीय संस्कृति की सुगंध से सुसज्जित करना है। प्रेम दिवस जरूर मनायें लेकिन प्रेमदिवस में संयम और सच्चा विकास लाना चाहिए।युवक-युवती मिलेंगे तो विनाश-दिवस बनेगा।


🚩14 फरवरी के दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का पूजन करें और उनके सिर पर पुष्प रखें, प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें। संतान अपने माता-पिता के गले लगें। इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा।


🚩बापू आशारामजी ने बताया कि तुम भारत के लाल और भारत की बेटियाँ हो। प्रेमदिवस मनाओ, बच्चे माता-पिता का सम्मान करें और माता-पिता बच्चों को स्नेह करें। पाश्चात्य संस्कृति के लोग विनाश की ओर जा रहे हैं। वे लोग ऐसे दिवस मनाकर यौन सम्बन्धी रोगों का घर बन रहे हैं, अशांति की आग में तप रहे हैं। उनकी नकल भारत के बच्चे-बच्चियाँ न करें।


🚩आपको बता दें कि बापू आशारामजी ने इस तरीके से करोड़ों लोगों को वैलेंटाइन डे आदि विदेशी प्रथाओं से, व्यसन आदि से बचाया है, जिसके कारण विदेशी कंपनियों का अरबों-खरबों रुपये का घाटा हुआ है तथा इस नुकसान से बचने के लिए ही उन्होंने बापू आशारामजी को साज़िशों के जाल में फंसाकर जेल भेज दिया।


🚩हमारे शास्त्रों में माता-पिता को देवतुल्य माना गया है और इस संसार में अगर कोई हमें निःस्वार्थ और सच्चा प्रेम कर सकता है तो वो हमारे माता-पिता ही हो सकते हैं।


🚩तो क्यों न हम मानवमात्र के परम हितकारी हिन्दू संत आशारामजी बापू प्रेरित #14फरवरी_मातृ_पितृ_पूजन मनाकर अपने माता-पिता के सच्चे प्रेम का सम्मान करें और यौवन-धन, स्वास्थ्य और बुद्धि की सुरक्षा करें।


🚩आओ एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं। 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे नहीं, माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाते हुए 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाए ।


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