Tuesday, March 12, 2024

Oppenheimer : इस्लाम या ईसाइयत का अपमान करने वालों को सम्मानित करने की हिम्मत होती?

13 March 2024

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🚩कहा गया है – ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’, अर्थात कुछ भी जब बहुत ज़्यादा हो जाता है तो हानिकारक ही होता है। उदाहरण के लिए, बारिश फसलों के लिए लाभदायक है लेकिन अतिवृष्टि नहीं। इसी तरह, आजकल कुछ लोग कुछ ज़्यादा ही ‘जागरूक’ हो गए हैं। इतने ‘जागरूक’ कि किसी फिल्म में अश्वेत व्यक्ति को अच्छा दिखा दिया गया तो अवॉर्ड देने के मामले में अच्छी कहानी, निर्देशन और अभिनय वाली फिल्मों के ऊपर उसे तरजीह दे दी जाती है। इतने ‘जागरूक’, कि विमान में घूमने और फाइव स्टार होटल में रुकने वाले पर्यावरण पर ज्ञान बाँटते हैं और पूरी जनसंख्या को गाली देते हैं।


🚩ऐसे ही लोगों के कारण आज ‘Woke’ शब्द गाली बन गया है। इसका ताज़ा इस्तेमाल दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने किया है। पहले इसकी पृष्ठभूमि समझते हैं। असल में रविवार (10 मार्च, 2024) को 96वें एकेडमी अवॉर्ड्स का आयोजन हुआ, जिसमें परमाणु बम के जनक रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जीवन पर आधारित फिल्म ‘Oppenheimer’ को 7 पुरस्कारों से नवाजा गया। इसे कुल 13 नॉमिनेशन प्राप्त हुए थे। क्रिस्टोफर नोलन की ये फिल्म खासी विवादित रही थी।


🚩एलन मस्क ने ऑस्कर अवॉर्ड्स की आलोचना की है। उन्होंने अपने मालिकाना हक़ वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “आजकल ऑस्कर जितने का मतलब है कि आपने वोक प्रतियोगिता जीत ली।” उनके कहने का अर्थ था कि जिस फिल्म में Wokism का जितना ज्यादा छौंक होगा, बाकी चीजों को नज़रअंदाज़ कर उसे अवॉर्ड मिलने की संभावना उतनी बढ़ जाएगी। वास्तविक मुद्दों से हट कर बनावटी मुद्दों को बढ़ा-चढ़ा कर प्रदर्शित करना ही तो Woke होने की निशानी है।


🚩एलन मस्क ने ऑस्कर समारोह पर साधा निशाना


🚩एलन मस्क ने कहा कि जब किसी पुरस्कार को कमजोर कर दिया जाता है तो हर कोई, यहाँ तक कि इसे जीतने वाले भी जानते हैं कि अब ये सम्मान का पात्र नहीं रह गया है। ऑस्कर हॉलीवुड ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के फ़िल्मी समाज के लिए सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता रहा है लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इसकी गरिमा धूमिल हुई है। ‘Moonlight’ जैसी बोरिंग फिल्मों को अवॉर्ड मिलने के बाद इस पर तेज़ बहस शुरू हुई। सेक्सुअल ओरिएंटेशन, अश्वेत और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों का हौव्वा बना दिया गया।


🚩विवादों में रही थी फिल्म ‘Oppenheimer’


🚩फिल्म ‘Oppenheimer’ काफी विवादों में रही थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ‘मैनहटन प्रोजेक्ट’ के तहत विकसित किए गए ‘लॉस एलामोस लेबोरेटरी’ के डायरेक्टर अमेरिकी फिजिसिस्ट रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने जो परमाणु बम बनाया था, उसका ही इस्तेमाल कर के अमेरिका ने जापान में तबाही मचाई थी। जब दुनिया का पहला परमाणु ब्लास्ट सफल रहा था तब रॉबर्ट ओपेनहाइमर के मन में हिन्दू धर्मग्रंथ भगवद्गीता के शब्द गूँजे थे – “अब मैं मृत्यु बन गया हूँ, संसारों का विध्वंस करने वाला।”


🚩फिल्म में इस अंश को जिस तरह से प्रदर्शित किया गया, उस पर लोगों ने आपत्ति जताई। फिल्म में एक सेक्स वाले दृश्य में दिखाया गया है कि अभिनेता लड़की को भगवद्गीता पढ़ने के लिए देता है। युवती पूछती है कि ये क्या है? इस पर वो बताता है कि ये संस्कृत में है। इसके बाद वो इसे पढ़ने के लिए कहता है। इसके बाद वो ग्रन्थ का वो हिस्सा पढ़ती है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने विष्णु के रूप में अर्जुन को अपना विकराल स्वरूप दिखाते हैं। इसके बाद अभिनेता युवती को आगे पढ़ने के लिए कहता है।


🚩इस दृश्य में अभिनेता और अभिनेत्री, दोनों ही बिस्तर पर नंगे हैं। युवती को पूरी तरह न्यूड दिखाया गया है और उसके स्तन पर्दे पर दिख रहे होते हैं। आगे वो भगवद्गीता का वो श्लोक पढ़ती है, जिसे रॉबर्ट ओपेनहाइमर दोहराया करते थे। इतिहास में ऐसा कहीं नहीं लिखा कि सेक्स करते समय वो गीता पढ़ते थे। एक सेक्स सीन घुसा कर उसमें भगवद्गीता को दिखाना कहाँ तक उचित था? क्या इन्हीं चीजों के लिए ‘Oppenheimer’ को सम्मानित किया गया है?


🚩भरे समारोह में मंच पर नंगे जॉन सीना: ऑस्कर में Wokism


🚩2024 के ऑस्कर समारोह में एक और नज़ारा देखने को मिला। WWE के रेसलर जॉन सीना बेस्ट कॉस्ट्यूम का अवॉर्ड देने के लिए मंच पर पहुँचे। इस दौरान वो पूरी तरह नग्न थे। उन्होंने एक कार्डबोर्ड से अपने प्राइवेट पार्ट को ढँक रखा था। इस दौरान हँसी-मजाक भी चलता रहा। क्या कपड़े उतार देना ही जागरूक होने की निशानी है? खुले मंच पर नंगा हो जाना ही अगर जागरूकता है तो फिर कपड़ों की ज़रूरत ही नहीं है। अजीबोगरीब हरकतों को सामान्य साबित करने की प्रक्रिया ही तो Wokism है।


🚩यही कारण है कि एलन मस्क ने इस पुरस्कार समारोह पर निशाना साधा है। लोग अब उन्हें सलाह दे रहे हैं कि वो एकेडमी अवॉर्ड्स को भी ट्विटर की तरह खरीद लें और उसमें सुधार करें। हिन्दू धर्मग्रंथ का अपमान करने वाली फिल्म को जिस तरह से अवॉर्ड दिया गया है, उसके बाद ये सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इस्लाम या ईसाइयत का अपमान करने वालों को सम्मानित करने की इनकी हिम्मत होती? अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में ऑस्कर का और भी बुरा हाल होगा।


🚩भारत में बॉलीवुड भी इन्हीं चीजों से प्रेरणा लेता है। अमेरिकी फिल्मों में जिन चीजों को बढ़ावा दिया जाता है, बॉलीवुड उसकी नक़ल करता है। फिल्मों में पार्टी-पब कल्चर को दिखाना हो, पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ युवाओं को भड़काना हो, दारू-शराब-सिगरेट की लत को बढ़ावा देना हो, सेक्स-हिंसा के दृश्यों का महिमामंडन करना हो या फिर व्यभिचार को सामान्य बताना हो – बॉलीवुड हर मामले में इसी नक्शेकदम पर चलता दिखता है। यहाँ के अवॉर्ड समारोहों में भी वही फूहड़ता आ रही है।


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Monday, March 11, 2024

होली आने वाली है, अभी से दो कार्य जरूर कर लें, रहेगें स्वस्थ, मिलेगा रोजगार.....

12 March 2024

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🚩हर साल की तरह इस बार भी मीडिया में डिबेट चलने की संभावना है, कि होलिका दहन लकड़ियों से करने पर वातावरण प्रदूषित होगा, धुलेंडी खेलने पर पानी का बिगाड़ होगा आदि आदि….. जैसे हर त्योहार पर अपना अधूरा ज्ञान बांटने लग जाते हैं।


🚩हमारे ऋषि-मुनियों ने जो भी त्यौहार बनाए हैं , वो आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बड़े ही सार्थक होते हैं। ऐसे ही कोई कपोल-कल्पित त्यौहार हमारी संस्कृति में समाविष्ट नहीं किए गए, बल्कि उसके पीछे कई गूढ़ रहस्य छुपे होते हैं।


🚩होलिका दहन के पीछे का वैज्ञानिक महत्व :


🚩बसंत ऋतु में जब प्रकृति में ऋतु परिवर्तन होता है तो शरीर में कफ पिघलकर जठराग्नि में आता है , जिसके कारण अनेक बीमारियां होती हैं । उससे बचाने के लिए होलिकोत्सव को निमित्त बनाकर हमारे ऋषियों ने होलिका दहन की परम्परा चलायी। होलिका की तपन से कफ जल्दी पिघल कर नष्ट हो जाता है और दूसरे दिन कूद-फांद कर धुलेंडी खेलने से कफ निकल जाता है।


🚩फलतः अनेक भयंकर बीमारियों से रक्षा होती है ।


🚩होली अपने में आध्यात्मिक महत्व भी संजोए हुए है। जो संदेश देती है कि भग्वद् आश्रय रहने वाला भक्त हमेशा विजयी होता है, चाहे कोई कितना भी उसका अनिष्ट करने की चेष्टा करे, उसे तनिक भी हानि नहीं पहुँचा सकता ।


🚩प्राचीनकाल में होलिका दहन गाय के गोबर के कण्डों से किया जाता था। जिससे हवामान शुद्ध सात्विक होकर पुष्टिप्रद बन जाता है और जाने अनजाने कितने ही हानिकारक जीवाणु- किटाणु नष्ट हो जाते हैं । इसका आर्थिक महत्व भी है । इस प्रकार होलिका दहन से गौरक्षा के साथ ही साथ गरीबों को रोजगार भी मिलता है ।


🚩प्राचीनकाल में धुलेंडी पलाश (केसूड़े) के फूलों के रंग से खेली जाती थी , जिससे शरीर ग्रीष्म ॠतु के कुप्रभावों को झेलने में सक्षम होकर गर्मी के कारण होने वाले रोगों से बच जाता था।


🚩गोबर से कण्डों से होली जलाने के फायदे:-


🚩एक गाय रोज करीब 10 किलो गोबर देती है । 10.. किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं ।

एक कंडे की कीमत 10 रुपए रख सकते हैं । इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिल सकते है । यदि किसी एक शहर में होली पर 10 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 1 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं। औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के 60 लाख रुपए तक आ जाएंगे । लकड़ी की तुलना में लोगों को कंडे सस्ते भी पड़ेंगे।


🚩केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम शुद्ध गैस निर्मित होती है । वैज्ञानिकों ने शोध किया है , कि गौ गोबर के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते हैं तो एक टन ऑक्सीजन बनता है।


🚩गाय के गोबर के कण्डों से होली जलाने पर गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है, जिससे गौहत्या कम हो सकती है, कंडे बनाने वाले गरीबों को रोजी-रोटी मिलेगी, और वतावरण में शुद्धि होने से हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहेगा।


🚩धुलेंडी खेलने के पीछे का वैज्ञानिक महत्व :


🚩होली के समय ऋतु परिवर्तन होता है, सर्दी से गर्मी में प्रवेश होता है । इसलिए गर्मी की तपन और गर्मीजन्य रोगों से बचने के लिए पलाश के रंगों से होली खेली जाती है । सामाजिक सौहार्द का भी इसमें महत्व है , कि हमारा यदी सालभर में किसी से भी कोई लड़ाई झगड़ा हुआ है , तो मिल-जुलकर होली खेलने से उसको भूलाकर आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होती है होली ।


🚩पलाश के रंग से धुलेंडी खेलने के फायदे:


🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है।


🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामुहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. पानी लगता है।


🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है।पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है।


🚩मीडिया से सावधान:


🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी और भाजपा नेता ड़ॉ सुब्रमण्यम स्वामी जी का तो यहाँ तक कहना है , कि अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया हिन्दुओं व उनके त्यौहारों के खिलाफ़ है, क्योंकि उनको विदेश से भारी फंड मिलता है । यहाँ गम्भीरतापूर्वक समझना आवश्यक है कि , …… ” हिन्दुओं के खिलाफ़ ” …..


🚩मतलब केवल किसी एक हिन्दू के खिलाफ नहीं , बल्कि हिन्दुओं की जहां-जहां आस्था है , उसी केंद्र बिंदु को तोड़ने के लिए विदेशी ताकतों के इशारे पर काम करते हैं ये कुछेक बिकाऊ मीडिया चैनल्स व प्रिंट मीडिया ।


🚩विदेशी फंडेड मीडिया हाउसेज का टारगेट मुख्यरूप से हिन्दू देवी-देवता, हिन्दू त्यौहार, हिन्दू साधु-संत, वैदिक गुरुकुलों, मन्दिर, आश्रम व मठ आदि होते हैं । अतः आप बिकाऊ मीडिया के फैलाए हुए भ्रमजाल से स्वयं तो बचें ही औरों को भी अवश्य जागरूक करें । सनातन विरोधियों का पुरजोर विरोध करें और आनंद से वैदिक होली खेलें ।


🚩आओ मनाएं (वैदिक होली)… ऐसा त्यौहार जिससे महके घर आंगन और स्वस्थ रहे परिवार……


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दरगाह जियारत करने गई लड़की से मौलाना ने किया रेप, किया गिरफ्तार

11 March 2024

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🚩अंधविश्वास के कारण लोग मजारे पर जाकर अपना दुःख निवृत्त करने की कोशिश करते है, उसमे कुछ हिंदू भी अपने इष्टदेव पर विश्वास नही करके मजारों पर सिर पटकते देखते गए और आखिर में निराशा ही मिलती है क्योंकी वहां दफनाया हुआ मुर्दा उनकी मनोकामना पूर्ण नही कर पाता है, अंध विश्वास करने में महिलाओं की संख्या अधिक रहती हैं, कई मामले आए है की मजार के मौलवियों ने इन महिलाओं के अंध विश्वास का गैर फायदा उठाकर उनके साथ बलात्कार भी किए है, अभी एक ताजा मामला सामने आया है इस घटना से सभी महिलाओं को सबक लेकर मजारों पर जाना बंद कर देना चाहिए।


🚩उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर स्थित दरगाह पर जियारत करने गई महाराष्ट्र के मुंबई की 24 वर्षीया महिला से रेप की खबर है। रेप का आरोप किछौछा के 50 साल के मौलाना पर लगा है, जिसका नाम सैयद मोहम्मद अशरफ है। आरोप है कि मोहम्मद अशरफ ने पीड़िता को रूहानी ताकतों का डर दिखाया और फिर रेप किया। इसके बाद पीड़िता को मुँह खोलने पर पूरे परिवार को खत्म करने की धमकी दी।


🚩पुलिस ने केस दर्ज करके 50 वर्षीय आरोपित मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ को गिरफ्तार कर लिया है। घटना गुरुवार (7 मार्च 2024) की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला अम्बेडकरनगर के बसखारी थाना क्षेत्र का है। यहाँ किछौछा शरीफ नाम की एक दरगाह है, जहाँ देश-विदेश से जायरीन आते हैं। इन्हीं लोगों में एक पीड़िता भी है, जो महाराष्ट्र की है।


🚩पीड़िता अपने परिवार के साथ अंबेडकरनगर में स्थित किछौछा शरीफ दरगाह पर जियारत करने के लिए आई थी। यहाँ महिला को दरगाह का मौलाना मोहम्मद अशरफ मिला। उसे दरगाह में शमशाद नाम से भी जाना जाता है। आरोप है कि अशरफ ने पीड़िता पर बुरी रूहों का डर दिखाया और रूहानी ताकत से उसके इलाज का दावा किया। महिला मौलाना की बातों में आ गई।


🚩गुरुवार (7 मार्च 2024) को रूहानी इलाज के नाम पर मौलाना ने पीड़िता के परिजनों को दुआ-ताबीज (हाजिरी) प्रक्रिया की बात कहकर बाहर खड़ा रहने के लिए कहा। महिला को अपने कमरे में ले जाकर उसने रेप किया। जब पीड़िता ने विरोध किया तो मौलाना अशरफ ने उसे पूरे परिवार सहित खत्म करने की धमकी दी।



🚩जब लगभग 1 घंटे बीत जाने पर भी दरवाजा नहीं खुला तो पीड़िता के परिजनों ने जबरन दरवाजा खुलवाया। दरवाजा खुलते ही पीड़िता ने रो-रो कर अपने घर वालों को अपने साथ हुए कुकृत्य की जानकारी दी। हालाँकि इसके बावजूद मोहम्मद अशरफ ने माफ़ी माँगने के बजाय कहीं भी शिकायत करने पर भी गंभीर परिणाम भुगतने की भी चेतावनी दे डाली।



🚩आखिरकार महिला ने हिम्मत करके स्थानीय थाना बसखारी में मौलाना के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने FIR दर्ज करके मौलाना मोहम्मद अशरफ को गिरफ्तार कर लिया है। मौलाना पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376, 342 और 506 के तहत कार्रवाई की गई है। पुलिस ने मौलाना अशरफ को शुक्रवार (8 मार्च 2024) की सुबह 9 बजे जलालपुर रोड से दबोच लिया।


🚩वहीं, पीड़िता का मेडिकल परीक्षण करवाया गया है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है। पुलिस ने जल्द से जल्द केस की जाँच पूरी कर के चार्जशीट लगाने और मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने का आश्वासन दिया है। पुलिस का दावा है कि ऐसे लोगों को चिन्हित करने की कार्रवाई की जा रही है। आरोपित और पीड़िता एक ही समुदाय से हैं।


🚩कुछ सामान्य से 10 प्रश्न हम पाठको से पूछना चाहेंगे?


🚩1 .क्या एक कब्र जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चूँकि है वो किसी की मनोकामनापूरी कर सकती है?


🚩2. सभी कब्र उन मुसलमानों की है जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं है, जिन्होंने अपने प्राण धर्म रक्षा करते की बलि वेदी पर समर्पित कर दिए थे ?


🚩3. क्या हिन्दुओ के राम, कृष्ण अथवा 33 कोटि देवी देवता शक्तिहीन हो चुकें है, जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक है ?



🚩4. जब गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि कर्म करने से ही सफलता प्राप्त होती है तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा ?


🚩5. भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरों की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता है तो भला हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालो की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते है ?


🚩6. क्या संसार में इससे बड़ी मुर्खता का प्रमाण आपको मिल सकता है ?


🚩7. हिन्दू जाति कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की पूजा कर प्राप्त कर रही है, जिसका वर्णन पहले से ही हमारे वेदों- उपनिषदों आदि में नहीं है ?


🚩8. कब्र पूजा को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल और सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओं को अँधेरे में रखना नहीं तो ओर क्या है ?


🚩9. इतिहास की पुस्तकों में गौरी – गजनी का नाम तो आता हैं जिन्होंने हिन्दुओ को हरा दिया था पर मुसलमानों को हराने वाले राजा सोहेल देव पासी का नाम तक न मिलना क्या हिन्दुओं की सदा पराजय हुई थी, ऐसी मानसिकता को बना कर उनमें आत्मविश्वास और स्वाभिमान की भावना को कम करने के समान नहीं है ?


🚩10. क्या हिन्दू फिर एक बार 24 हिन्दू राजाओं की भांति मिल कर संगठित होकर देश पर आए संकट जैसे कि आंतकवाद, जबरन धर्म परिवर्तन, नक्सलवाद,लव जिहाद, बंगलादेशी मुसलमानों की घुसपैठ आदि का मुंहतोड़ जवाब नहीं दे सकते ?


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Saturday, March 9, 2024

दोनों हथेलियाँ जोड़कर नमस्ते क्यों करें ? हाथ मिलाने से क्या होता है ?

10 March 2024

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🚩भारतीय संस्कृति में दोनों हथेलियों को जोड़कर स्वागत करने की या अभिवादन करने की पद्धति है, जिसे हम नमस्ते या नमस्कार कहते हैं। इसके पीछे की मुख्य भूमिका सामनेवाले को विनम्रता एवं आदरपूर्वक स्वागत करना अथवा अभिवादन करना है।


🚩वैज्ञानिक दृष्टिकोण : इसके पीछे का शास्त्रीय कारण यह है कि जब हम दोनों हाथों को जोड़ते हैं, तब हमारे दोनों हाथों की हथेलियाँ तथा उँगलियाँ एक-दूसरे से पूरी तरह मिल जाती हैं। योग में इसे 'अंजली मुद्रा' कहा जाता है। हमें यह पता है कि अपनी उँगलियों के अग्रभाग यह महत्त्वपूर्ण ऊर्जा बिंदु होते हैं। जब हम अपनी हथेलियों को मिलाते हैं, तब स्वाभाविकतः अपनी उँगलियों के अग्रभाग या टिप्स आपस में मिलते हैं और वे अपने मस्तिष्क से जुड़ जाते हैं। तुरंत हमें एक शांति और आनंद का अनुभव होता है। योग में हर उँगली एक एनर्जी पॉइंट मानी गई है या ऊर्जा निर्देशित करती है। हाथों की सबसे छोटी उँगली तमस नीरसता निर्देशित करती है। अनामिका रजस या गतिविधि निर्देशित करती है। बीचवाली उँगली सत्त्व या शोधन निर्देशित करती है। तर्जनी जीवात्मा या निर्देशित करती है। और अँगूठा परमात्मा या रिप्रेजेंट करता है। उसी प्रकार अपने हाथों की उँगलियों के अग्रभाग भी आपस में एक-दूसरे से चिपक जाते हैं। उससे अपने उँगलियों पर हलका सा दबाव निर्माण होता है।


🚩यह हमारे आँख, कान तथा मस्तिष्क के प्रेशर पॉइंट्स हैं; जिसके प्रेशर से हमें सामनेवाले व्यक्ति की छवि की याद हमारे आँख, कान एवं मस्तिष्क के सहारे काफी लंबे समय तक याद रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा अत्यंत महत्त्वपूर्ण बात, आज के जमाने के हिसाब से हाथ मिलाकर अभिवादन करने से, सामनेवाला व्यक्ति कहाँ से आया है, किस चीज को छूकर आया है अथवा उसे यदि किसी प्रकार का संसर्गजन्य रोग हो तो उसके हाथों के जंतु हाथ मिलाने से हमारे हाथों में आ जाएँगे और हमें भी संक्रमण हो सकता है।निश्चित ही जब किसी से हाथ मिलाते हैं तो बाद में हमें साबुन से अथवा डेटॉल जैसे एंटिसेप्टिक से हाथ अवश्य धोने चाहिए। किंतु रोजमर्रा के जीवन में हम इन छोटी-छोटी बातों की ओर ध्यान नहीं देते। इसलिए हाथ जोड़कर नमस्ते करने से सामनेवाले को विशेष आदर के साथ आतिथ्य की अनुभूति भी होगी और हमें भी अनजाने संक्रमण से बचा जा सकेगा।


🚩सर्वे भवन्तु सुखिनः


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महाशिवरात्रि व्रत से संबधित पौराणिक कथा……

09 March 2024

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🚩एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, ‘ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं ?


🚩उत्तर में शिवजी ने पार्वती को ‘शिवरात्रि’ के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई- ‘एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था । पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन महाशिवरात्रि थी।’


🚩शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने महाशिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल-वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था, जो बिल्वपत्रों से ढका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला।


🚩पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरी। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुंची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, ‘मैं गर्भिणी हूं। शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना।’ शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई।


🚩कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, ‘हे पारधी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।’ शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, ‘हे पारधी!’ मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे मत मारो।


🚩शिकारी हंसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान मांग रही हूं। हे पारधी! मेरा विश्वास कर, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं।


🚩मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में बेल-वृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन मृगियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।


🚩मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, ‘मेरी तीनों पत्नियां जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।’ उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गया। भगवान शिव की अनुकंपा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया। वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा।


🚩थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया। देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की। तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए’।


🚩परंपरा के अनुसार, इस रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जिससे मानव प्रणाली में ऊर्जा की एक शक्तिशाली प्राकृतिक लहर बहती है। इसे भौतिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है इसलिए इस रात जागरण की सलाह भी दी गयी है ।


🚩महाशिवरात्रि को जप-तप,व्रत-उपवास और पूजा का महत्व हैं, रात्रि जागरण शिव जप,पूजा-तपस्या में बिताने से अमिट पुण्यों की प्राप्ति होती हैं।


🚩शिव पूजन


(निशीथकाल रात्रि 12:13 से रात्रि 01 :01 तक)


प्रथम पहर की पूजा समय 8 मार्च  2024 शाम की 6:33 से देशी गाय के दूध से अभिषेक करे , जप करे…


द्वितीय प्रहर पूजा समय रात्रि 9:35 से….देशी गाय के दही से अभिषेक करे,जप करें...


तृतीय प्रहर पूजा समय मध्य रात्रि 12:37 से….देशी गाय के घी से अभिषेक करें...


चतुर्थ प्रहर पूजा समय ब्रह्ममुहूर्त  3:39 से…शहद से अभिषेक करें..


पारणा 9 मार्च सूर्योदय के बाद   


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Thursday, March 7, 2024

शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? शिवजी को प्रसन्न कैसे करें ?

08 March 2024

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🚩तीनों लोकों के मालिक भगवान शिव का सबसे बड़ा त्यौहार महाशिवरात्रि है। महाशिवरात्रि भारत के साथ कई अन्य देशों में भी धूम-धाम से मनाई जाती है।


🚩‘स्कंद पुराण के ब्रह्मोत्तर खंड में महाशिवरात्रि के उपवास ,पूजा ,जप तथा जागरण की महिमा का वर्णन है : ‘शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ है । उसमें भी जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और भी दुर्लभ है । लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वशिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं । इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से अधिक पुण्य होता है।


🚩शिवलिंग का प्रागट्य


🚩पुराणों में आता है कि ब्रह्मा जी जब सृष्टि का निर्माण करने के बाद घूमते हुए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो देखा कि भगवान विष्णु आराम कर रहे हैं। ब्रह्मा जी को यह अपमान लगा ‘संसार का स्वामी कौन ?’ इस बात पर दोनों में युद्ध की स्थिति बन गई तो देवताओं ने इसकी जानकारी देवाधिदेव भगवान शंकर को दी।


🚩भगवान शिव युद्ध रोकने के लिए दोनों के बीच प्रकाशमान शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए। दोनों ने उस शिवलिंग की पूजा की। यह विराट शिवलिंग ब्रह्मा जी की विनती पर बारह ज्योतिर्लिंगों में विभक्त हुआ। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवलिंग का पृथ्वी पर प्राकट्य दिवस महाशिवरात्रि कहलाया।


🚩दूसरी पुराणों में ये कथा आती है कि सागर मंथन के समय कालकेतु विष निकला था उस समय भगवान शिव ने संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा करने के लिये स्वयं ही सारा विषपान कर लिया था। विष पीने से भोलेनाथ का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ के नाम से पुकारे जाने लगे। पुराणों के अनुसार विषपान के दिन को ही महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।


🚩पुराणों अनुसार ये भी माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।


🚩शिवरात्रि व्रत की महिमा!!


🚩इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो भक्त करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है ।


🚩महाशिवरात्रि व्रत की विधि!!


🚩इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है. प्रत्येक पहर की पूजा में “ॐ नम: शिवाय” का जप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जप किया जा सकता है । चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जपों से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपवास की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।इस दिन रात्रि-जागरण कर ईश्वर की आराधना-उपासना की जाती है । ‘शिव से तात्पर्य है ‘कल्याणङ्क अर्थात् यह रात्रि बडी कल्याणकारी रात्रि है।


🚩‘ईशान संहिता में भगवान शिव पार्वतीजी से कहते हैं : फाल्गुने कृष्णपक्षस्य या तिथिः स्याच्चतुर्दशी । तस्या या तामसी रात्रि सोच्यते शिवरात्रिका ।।तत्रोपवासं कुर्वाणः प्रसादयति मां ध्रुवम् । न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया । तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः ।।


🚩‘फाल्गुन के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को आश्रय करके जिस अंधकारमयी रात्रि का उदय होता है, उसीको ‘शिवरात्रि’ कहते हैं । उस दिन जो उपवास करता है वह निश्चय ही मुझे संतुष्ट करता है । उस दिन उपवास करने पर मैं जैसा प्रसन्न होता हूँ, वैसा स्नान कराने से तथा वस्त्र, धूप और पुष्प के अर्पण से भी नहीं होता ।


🚩शिवरात्रि व्रत सभी पापों का नाश करनेवाला है और यह योग एवं मोक्ष की प्रधानतावाला व्रत है ।


🚩महाशिवरात्रि बड़ी कल्याणकारी रात्रि है । इस रात्रि में किये जानेवाले जप, तप और व्रत लाखों गुणा पुण्य प्रदान करते हैं ।


🚩रुद्राक्ष के फायदे…..


🚩रुद्राक्ष की माला पहनने से शारीरिक-मानसिक मजबूती, घर-परिवार में सुख-शांति रहती है। मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य से लेकर करियर तक में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव, स्वास्थ्य की समस्या, रोजगार की समस्या, घर की समस्या आदि चीजों से फायदा मिलता है।


🚩रुद्राक्ष धारण करने के बहुत फायदे है लेकिन आजकल बाजार में नकली रुद्राक्ष मिल रहे है उसके कारण उसका लाभ आपको नही मिल पाता है। हमारी टीम ने जहांतक देखा है की संत श्री आशारामजी आश्रम में रुद्राक्ष असली मिलता है और उनके देशभर में लगभग हर शहर में आश्रम अथवा सेंटर है वहा से आप असली रुद्राक्ष प्राप्त कर सकते हैं।


🚩स्कंद पुराण में आता है : ‘शिवरात्रि व्रत परात्पर (सर्वश्रेष्ठ) है, इससे बढकर श्रेष्ठ कुछ नहीं है । जो जीव इस रात्रि में त्रिभुवनपति भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्म-चक्रों में घूमता रहता है ।


🚩यदि महाशिवरात्रि के दिन ‘बं’ बीजमंत्र का सवा लाख जप किया जाय तो जोड़ों के दर्द एवं वायु-सम्बंधी रोगों में विशेष लाभ होता है ।


🚩व्रत में श्रद्धा,पूजा,उपवास एवं प्रार्थना की प्रधानता होती है । व्रत नास्तिक को आस्तिक, भोगी को योगी, स्वार्थी को परमार्थी, कृपण को उदार, अधीर को धीर, असहिष्णु को सहिष्णु बनाता है । जिनके जीवन में व्रत और नियमनिष्ठा है, उनके जीवन में निखार आ जाता है ।


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Wednesday, March 6, 2024

मिशनरी और विदेशी कम्पनियों को इस तरीके से उखाड़ फेंक रहे थे आशाराम बापू....

07 March 2024

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🚩सुदर्शन चैनल के चेयरमैन सुरेश चव्हाणके ने बताया कि आध्यात्मिक कार्य में हिंदू संत आशारामजी बापू के 50 साल तो कम-से-कम हो ही गये हैं। इतने सालों में 6 करोड़ भक्त हैं। मैं इस आँकड़े को कम करके कहता हूँ क्योंकि कोई यह न कहे कि यह बढावा है। माना 2 करोड़ भक्त 50 सालों तक अगर शराब नहीं पीते हैं तो 18 लाख 82 हजार करोड़ रुपये बचते हैं। अगर सिगरेट का आँकडा निकालें तो 11 लाख करोड 36 हजार रुपये होते हैं। ऐसे ही गुटके का आँकड़ा है। बापू आशारामजी के सुसंस्कारों से जिनके कदम डांस बार जाने से रुके उनके आँकडे भी ऐसे ही होंगे। ब्रह्मचर्य का जो संदेश बापू आशारामजी ने दिया है, उससे अश्लील सामग्री बनानेवाली कम्पनियों का लाखों-करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। इन सारे आँकड़ों को मैं अभी जोड़ रहा था तो ये आँकड़े कई लाख खरब में जा रहे हैं। इतने खरब रुपये का बापू आशारामजी ने जिन कम्पनियों का नुकसान किया है, उनके लिए कुछ हजार करोड़ रुपये बापूजी के खिलाफ लगाना कौन-सी बडी बात है! इसके पीछे का असली अर्थशास्त्र यह है।


🚩हिन्दू संत आशाराम बापूने देशभर के आदिवासी क्षेत्रों में जाकर उनको अनाज, पैसे, जीवन उपयोगी सामग्री, मकान बनाकर दिए और सनातन हिन्दू धर्म की महिमा समझाई, लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति जागरूक किया, इस कारण से मिशनरियों की दुकान बंद होने लगी उसके बाद विदेशी कंपनियों, ईसाई मिशनरियों और स्वार्थी नेताओं ने मिलकर  उनको एक षड्यंत्र के तहत  बिकाऊ  मीडिया द्वारा बदनाम करवाया और झूठे केस बनाकर जेल भिजवाया गया । आज 86 वर्ष की उम्र है, 11 साल में 1 बार भी जमानत नहीं मिली, सोचो कितनी बड़ी साजिश रची है?


🚩जो पिछले 1200 सालों में सम्भव नहीं हुआ वह आनेवाले 10 सालों में दिख रहा है। इन 10 सालों में इस देश को गुलाम बनाने से रोकने में सबसे जो बड़ी शक्ति है तो वह आशारामजी बापू हैं। इसी कारण ये सबसे ज्यादा निशाने पर हैं। ऐसे में हम लोगों को इनका साथ देना जरूरी है।


🚩नए त्यौहार से पाश्चात्य संस्कृति को रोका, विदेशी कंपनियों को घाटा हुआ


🚩संत आसारामजी ने सन् 2006 से 14 फरवरी को ‘वेलेन्टाइन डे’ की जगह ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाना शुरु करवाया। इसका ऐसा प्रचार हुआ कि मानो ‘वेलेन्टाइन डे’ को उखाड़ने का ताँडव शुरु हो गया हो। मलेशिया, ईरान, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, जापान, आदि देशों ने वैलेन्टाइन डे पर प्रतिबंध लगा दिया। ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस विश्वव्यापी हो गया है जिससे ‘वेलेन्टाइन डे’ से जुड़े सप्ताह के दौरान चॉकलेट, फूल, ग्रिटींग कार्ड, गर्भ निरोधक दवाइयों और विभिन्न उपहारों की बिक्री के कारोबार में भी अरबों रुपयों का नुकसान हुआ।


🚩बापू आशारामजी ने जेल में रहते हुए भी 2014 से 25 दिसम्बर को ‘क्रिसमस डे’ की जगह ‘तुलसी पूजन दिवस’ के नये त्यौहार का प्रचार-प्रसार अपने अनुयायियों से करवाया। धर्मान्तरण करने वाला ईसाई जगत, बापू के जेल में जाने के बाद भी परेशान है।


🚩विभिन्न योजना चलाकर कुसंस्कारों को रोका


🚩संत आसारामजी बापू ने भारत में 17000 से अधिक निःशुल्क बाल संस्कार केन्द्र, 40 वैदिक गुरुकुल, प्रतिवर्ष 4000 भगवान नाम की संकीर्तन यात्राएँ, 1500 जगह गीता-भागवत सत्संग, 4,86000 भजन संध्या-कार्यक्रम तथा भारत में प्रति वर्ष 2200 ‘विद्यार्थी उत्थान शिविर’, 25 से 27 लाख ‘विद्यार्थियों को ब्रह्मचर्य पालन करवाने के लिए ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश प्रतियोगिता’, 2 लाख 50 हजार ‘युवा संस्कार सभाएँ’ आदि के माध्यम से पाश्चात्य संस्कृति को भारत में फैलने से रोका और इससे विदेशी कंपनियों के सामान की बिक्री कम हुई।


🚩संत आसाराम बापू की भविष्यवाणियाँ


🚩सन् 1999  में बापू ने पहली बार कहा भारत विश्वगुरु बनकर ही रहेगा।

भारत को विश्वमानव की पीड़ा हरने वाला बनाना है और बनेगा… ऐसी कई आत्माएं प्रकट हो चुकी हैं, करोड़ों बच्चे भारत को विश्वगुरु बनायेंगे।

इसके कारण राष्ट्र विरोधी ताकतें हिल गई थीं।


🚩सन् 2004  में कहा था हमारे आश्रम, समितियों व हमारे ऊपर झूठे आरोप व षड्यंत्र होगें जिसके लिए आप सभी शिष्यों को तैयार रहना होगा।


🚩अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है…


🚩सुरेश चव्हाणके ने बताया कि मैं दावा कर सकता हूँ कि अगर विदेशी षड्यंत्र की लड़ाई आपने नहीं जीती तो साधु-संतों के बाद ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता जो स्वदेश और देश-धर्म की बात करता है उसका नम्बर लगना तय है। आज संत आशारामजी बापू हैं, कल आप और हम हैं। यह लड़ाई खत्म हुई- ऐसा नहीं है। अब यह लड़ाई शुरू हो चुकी है और यह लड़ाई तब तक जारी रहनी चाहिए, जब तक इस देश के खिलाफ षड्यंत्र खत्म नहीं होता।


🚩जनता की मांग है कि संत आशाराम बापू को शीघ्र रिहा करना चाहिए।


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