Wednesday, March 20, 2024

भारत की न्याय व्यवस्था और सरकार का रवैया अंग्रेजों जैसा ?

21  March 2024
https://azaadbharat.org 

🚩जोधपुर हाईकोर्ट का ड्रामे का 11 मार्च का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। हिंदू संत आशारामजी बापू की मरणासन्न स्थिति में भी हाईकोर्ट की व्यवस्था और उसके बाबू केवल भारत के संत आशारामजी का ही नहीं बल्कि उनके 12 करोड़ से अधिक शिष्यों का भी अपनी कार्यशैली से अपमान कर रहे हैं। हाईकोर्ट के बाबू की गंभीर लापरवाही है कि किसी याचिका की जगह दूसरी याचिका कम्प्यूटर में फीड कर दी, वो भी उस महापुरुष की जो गंभीर हृदयरोगी है।

🚩आपको बता दे कि बापू आशारामजी को 3 बार हार्ट अटैक आ चुका है। ऐसी स्थिति में कोई और मरीज रहता है तो अस्पताल पहुंचने पर डाक्टर कह देता है, सोरी आप 30 मिनट पहले आ जाते तो शायद मरीज की जान बच जाती। जहां मिनटों की कीमत होनी चाहिये, वहां घंटों तो ठीक है, दिनों की कीमत नहीं हो रही। ऐसी गंभीर हालत में कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी हाईकोर्ट इधर से उधर भटका रहे हैं। खुद कोर्ट की गलतियों का खामियाजा भी मरीज ही भुगतने को मजबूर हैं। 

🚩जोधपुर हाईकोर्ट ने 11 तारीख को डबल बेंच लगाकर भी पता नहीं क्या प्रदर्शन करने की कोशिश की। बापू आशारामजी ने याचिका में आयुर्वेदिक इलाज ही तो मांगा था। उस याचिका में जो पेज लगाये गये हाईकोर्ट के बाबू ने, वो पेज ही बदल दिये। उसके बाद बापू आशारामजी की ओर से लगे वकील ने अगली तारीख मांगी उसी याचिका को संशोधित करने के लिये तो भी उसे खारिज कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने एक केस में टाइपिंग की ग़लती के नाम पर पूरे का पूरा जवाब पेश करने के लिये समय ले लिया था और पूरा जबाब नया टाईप करके कोर्ट में दिया था। 

🚩न्यायालय जनता को न्याय देने के नाम पर बनाये गये हैं। न्यायाधीशों के वेतन से लेकर आर्डर सीट के कागज तक का खर्च जनता के उस खून पसीने की कमाई से आता है, जो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स के रूप में सरकारी खजाने में जमा होता है। उस पर अगर भारत के 12 करोड़ लोगों के देश-भर में प्रदर्शन, देश के जाने-माने सुप्रीम कोर्ट के वकील हाईकोर्ट की डबल बेंच से एक गंभीर हृदयरोगी के लिये आयुर्वेदिक इलाज की याचना या प्रार्थना कर रहे हैं तो उन वकीलों को न्यायाधीशों द्वारा कुत्तों की तरह दुत्कारा जा रहा है।

🚩क्या यह न्याय है या अन्याय भारत की जनता खुद ही फैसला करे,क्योंकि भविष्य में आपके परिवार का कोई सदस्य भी इसी तरह झूठे केस में फंसकर जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा होगा तो, इस तरह की न्याय व्यवस्था में आप कितना पैसा, कितने वकील और कितना धैर्य रख पायेंगे ? क्या आपको नहीं लगता बाबा राम रहीम  को बार बार पैरोल इस लिये दी जा रही है कि कहीं सरदार इंदिरा गांधी कांड न दोहरा दें? क्या इस देश के हिन्दू और सनातनी लोगों को देश की निचली अदालतें, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नपुंसक समझती है ? - सैनिक गर्जना समाचार पत्र

🚩आपको बता दे कि जोधपुर हाईकोर्ट में बापू आशारामजी को महाराष्ट्र पुणे स्थित माधव बाग अस्पताल में इलाज के लिए अपील पर 20 मार्च को सुनवाई हुई उसमे भी महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि हम लो एंड ऑर्डर नही संभाल सकते हैं। इसलिए इलाज के लिए कोर्ट ने मना कर दिया, इससे तो साफ होता है की कोर्ट और सरकार मिली भगत है, क्योंकी हिंदू संत आशाराम बापू की उम्र 87 वर्ष की है, 11 साल से जेल में रहने से मूलभूत सुविधाएं नही मिलने पर आज उनके शरीर में गंभीर बीमारियां हो गई हैं। फिर भी उनको आयुर्वेद इलाज के लिए भी जमानत नही मिल पा रही हैं,ये कैसा कानून और सरकार है ?

🚩बस उनका कसूर यही है कि वे हमेशा जनता के पक्ष लेते है, सरकार के गलत निर्णयों पर टोकते है, जिसके कारण सरकार नही चाहती है की बापू बाहर आएं और मीडिया और न्यायलय किसके इशारे पर कार्य कर रही है आप सभी को अच्छे से पता है, बस कहने का तात्पर्य यही है कि बापू आशारामजी ने 70 साल तक समाज, राष्ट्र और संस्कृती की सेवा किया , कांग्रेस सरकार के समय में जब कोई हिंदुत्व के लिए बोलता नही था, उस समय बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, करोड़ो लोगों को में सनातन धर्म की लो जगाई, करोड़ो लोगों के व्यसन और व्यभिचार छुड़ाए, मिशनरी और विदेशी कंपनियों को उखाड़ फेके और उनके पास निर्दोष होने के कई प्रमाण है, फिर जूठा केस लगाकर प्रताड़ित किया जा रहा है और आज तक जमानत तक नही मिल रही ये कैसा न्याय हैं ? जबकि नेता अभिनेता और आतंकवादियों तक को रिहा किया जा रहा हैं।

🚩बापूजी के अनुकूल आयुर्वेद इलाज के  लिए देशभर में पिछले 2 महीनो से महिला मंडलों  द्वारा लगातार रेलियां  निकाली गई है फिर भी 87 वर्षीय हिंदू संत श्री आशारामजी बापूजी को न्याय तो दूर बेल तक नही मिल रही है,ये इस सदी का सबसे बड़ा अन्याय है।

🚩करोड़ो लोगों की मांग है कि सरकार बापू आशारामजी को शीघ्र रिहा करवाए।

🔺 Follow on

🔺 Facebook
https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

🔺Instagram:
http://instagram.com/AzaadBharatOrg

🔺 Twitter:
twitter.com/AzaadBharatOrg

🔺 Telegram:
https://t.me/ojasvihindustan

🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg

🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, March 19, 2024

होली इस रंग से खेलिए सालभर निरोग रहिए और कालसर्पदोष से मुक्ति पाइए...

19 March 2024

https://azaadbharat.org

होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है, लेकिन आजकल केमिकल रंगों से होली खेलने का जो प्रचलन चल रहा है वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ।


🚩पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं ।

इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन के तुल्य लाभ मिलते हैं ।


🚩कालसर्प दोष से मुक्ति


🚩कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है और ये करो, वो करो, इतना खर्चा करो, इतना जप करो, कई लोग इनको ठग लेते हैं । फिर भी कालसर्प दोष से उनका पीछा नहीं छूटता, लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जो पलाश के रंग अपने पर डालते हैं ।  कालसर्प दोष के भय से पैसा खर्चना नहीं और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं पलाश के रंग शरीर पर लगाओ जिससे काल कालसर्प दोष चला जायेगा ।


🚩पलाश से पाएं अनेक रोगों से मुक्ति


🚩‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा 10 हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है ।


🚩पलाश के फूल : प्रेमह (मूत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (50 मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें ।


🚩रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है । आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे ।


🚩वीर्यवान बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।


🚩पलाश के बीज : 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे ।


🚩पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है ।


🚩बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।


🚩छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।


🚩पलाश का गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं । यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।


🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आसाराम बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।


🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है ।


🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।

पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।


🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है ।  (स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका)


🚩आपको बता दें कि पलाश से वैदिक होली खेलने का अभियान हिन्दू संत आसाराम बापू ने शुरू किया था जिसके कारण केमिकल रंगों का और उससे फलने-फूलनेवाला अरबों रुपयों का दवाइयों का व्यापार प्रभावित हो रहा था ।


🚩बापू आसारामजी के सामूहिक प्राकृतिक होली अभियान से शारीरिक मानसिक अनेक बीमारियों में लाभ होकर देश के अरबो रुपयों का स्वास्थ्य-खर्च बच रहा है । जिससे विदेशी कंपनियों को अरबों का घाटा हो रहा था इसलिए एक ये भी कारण है उनको फंसाने का । साथ ही उनके कार्यक्रमों में पानी की भी बचत हो रही है ।


🚩पर मीडिया ने तो ठेका लिया है समाज को गुमराह करने का।  5-6 हजार लीटर प्राकृतिक रंग (जो कि लाखों रुपयों का स्वास्थ्य व्यय बचाता है) के ऊपर बवाल मचाने वाली मीडिया को शराब, कोल्डड्रिंक्स उत्पादन तथा कत्लखानों में गोमांस के लिए प्रतिदिन हो रहे अरबों-खरबों लीटर पानी की बर्बादी जरा भी समस्या नही लगती। ऐसा क्यों ???


🚩कुछ सालों से अगर गौर करें तो जब भी कोई हिन्दू त्यौहार नजदीक आता है तो दलाल मीडिया और भारत का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग हमारे हिन्दू त्यौहारों में खोट निकालने लग जाता है ।


🚩जैसे दीपावली नजदीक आते ही छाती कूट कूट कर पटाखों से होने वाले प्रदूषण का रोना रोने वाली मीडिया को 31 दिसम्बर को आतिशबाजियों का प्रदूषण नही दिखता । आतिशबाजियों से क्या ऑक्सीजन पैदा होती है?


🚩जन्माष्टमी पर दही हांडी कार्यक्रम नहीं हो लेकिन  खून-खराबा वाला ताजिया पर आपत्ति नही है।

ऐसे ही शिवरात्रि के पावन पर्व पर दूध की बर्बादी की दलीलें देने वाली मीडिया हजारों दुधारू गायों की हत्या पर मौन क्यों हो जाती है?


🚩अब होली आई है तो बिकाऊ मीडिया पानी बजत की दलीलें लेकर फिर उपस्थित होंगी । लेकिन पानी बचाना है तो साल में 364 दिन बचाओ पर पलाश की वैदिक होली अवश्य मनाओं । क्योंकि बदलना है तो अपना व्यवहार बदलो….त्यौहार नहीं ।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

दक्षिण में हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे वकीलों की फोज

17 March 2024

https://azaadbharat.org 


🚩हिंदू मंदिरों को वापस से उनकी सही पहचान दिलाने के लिए आज जहाँ उत्तर भारत में वरिष्ठ वकील हरी शंकर जैन और उनके बेटे विष्णु जैन ने अपनी जी जान लगाई हुई है, तो वहीं दक्षिण में भी हिंदू मंदिरों और देवी-देवताओं की ओर से लड़ाई लड़ने के लिए वकीलों का एक समूह आ खड़ा हुआ है। अयोध्या-काशी के कारण हम पिता-पुत्र की जोड़ी को तो जान गए लेकिन केरल के इन वकीलों को अभी जानना हमारे लिए बाकी है।


🚩हाल में केरल की विभिन्न अदालतों में हिंदू मंदिरों की खोई संपत्ति वापस दिलाने के लिए सैंकड़ों याचिकाएँ दायर की गई। ये याचिका इन्हीं वकीलों की मेहनत का परिणाम है। यही वकील एकजुट होकर हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं जिसकी वजह से आज इनकी चर्चा है। द न्यूज मिनट पर तो इन्हें लेकर विस्तार से खबर भी प्रकाशित हुई है।


🚩इस समूह में एक वकील कृष्णा राज भी हैं। उन्हीं के नेतृत्व में हिंदू मंदिरों की जमीन पर अतिक्रण करने वाले लोगों, ट्रस्टों और संगठनों को लक्षित करते हुए 100 केसों को उठाया गया है। इस समूह के प्रयास के चलते ही ईसाई मिशनरी नेटवर्क सेंट फिलोमेना साधु जन संगम को अदालत में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने खुद धोखाधड़ी से कोन्नमकुलंगरा भगवती मंदिर की जमीन खरीदी थी और अब इस समूह के प्रयास ने उन्हें कोर्ट में लाकर खड़ा कर दिया है।


🚩बता दें कि केरल के वकीलों के इस समूह का नेतृत्व करने वाले कृष्णा राज अपने हिंदुत्व विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी टीम में प्रथीश विश्वनाथ जैसे साथी वकील हैं और कुछ अन्य दक्षिणपंथी कार्यकर्ता हैं। इन लोगों ने अपने इस अभियान के लिए SaveDeities नाम का संगठन भी खोला हुआ जिसमें 7 वकीलों का समूह है।


🚩इस संगठन की शुरुआत साल 2018 में की गई थी। इस टीम का हिस्सा- सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के वकील आर कृष्णा राज तो हैं हीं, इनके अलावा केरल हाई कोर्ट के बीएन शिवशंकर, प्रथीस विश्वनाथन, के ए बालन, वकील ई एस सोनी, कुमारी संगीता एस नायर और राजेश वीआर भी हैं। ये सारे वकील इस संगठन से जुड़कर और मिलकर हिंदू मंदिरों को पहचान दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।


🚩SaveDeities पर इस बात को भी विस्तार से बताया गया है कि इस समूह ने किन केसों को अदालतों में उठाया है। कहाँ-कहाँ मंदिरों की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हो रखा है और कैसे केरल में स्थिति यह है कि सरकार के हस्तक्षेप से राजस्व विभाग के माध्यम से अतिक्रमणकारियों को पट्टायम (खरीद प्रमाण पत्र) और अन्य कानूनी कब्ज़ा/स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी करके मंदिर संपत्तियों के अतिक्रमण को वैध बनाया जा रहा है।


🚩यही साइट ये भी बताती है कि इन वकीलों ने इस काम की शुरुआत इसलिए की थी क्योंकि ये केरल राज्य में किसी ने भी अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने और मंदिर की संपत्तियों को देवताओं, असली मालिकों को वापस करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया है। ऐसी परिस्थितियों में, ये समूह कब्जे वाले क्षेत्रों से मंदिरों की खोई संपत्ति को बचाने के लिए ऐसे प्रयास कर रहे हैं।


🚩द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, वकील कृष्ण राज कहते हैं, “मैं किसी संघ परिवार से जुड़ा नहीं हूँ। कानूनी मामलों में मैं बस उनकी सहायता करता हूँ। मैं गौरवान्वित हिंदू हूँ पर क्षमाप्रार्थी नहीं। मेरा उद्देश्य भगवान की खोई संपत्तियों को पुन: प्राप्त करना है। अकेले मैं इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा हूँ।”


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, March 17, 2024

खुला राज, कौन रोक रहा है भारत को शक्तिशाली बनने से...

18 March 2024

https://azaadbharat.org 

🚩इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में सेक्युलर लोग भारतीय संस्कृति और देश के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार कर रहे हैं । इन दुष्प्रचार के आज की युवा पीढ़ी गुमराह हो रही है, जिसके कारण आजकल वे भी अपने ही संस्कृति, देवी-देवताओं, साधु-संतों और मंदिरों की मजाक उड़ाने लगे हैं ।


🚩सत्यमेव जयते फ़िल्म में भी कुछ ऐसे ही बताया गया है, कुछ युवा चाय के स्टाल पर चाय पीते-पीते अखबार पढ़ रहे थे, उस अख़बार में एक हिन्दू संत के लिए कुछ लिखा था और वे उसे पढ़कर मजाक उड़ाने लगे फिर एक नवयुवक जो हिन्दू संस्कृति को समझता था, उसने उन्हें क्या जवाब दिया है, इसे सुनकर आप भी चौक जाएंगे ।

https://youtu.be/n2AtCrh3YhY?si=NPjH1lVtVaCwYy4A


🚩नवयुवक ने भ्रमित युवकों को बताया कि वैसे भी संतो का काम ही क्या है ? जंगल मे जाकर तपस्या करना, मौन होकर बैठे रहना और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उपदेश देना । अगर करना ही है तो हिन्दुओं को लालच देकर दूसरे धर्म मे घसीटो ।

सही काम तो, देश मे अश्लीलता, भ्रष्टाचार, अशांति फैलाकर मल्टीनेशनल कंपनियां भारत को लूट कर रही है । गुलामी तो हम करते ही आए हैं, कभी अंग्रेजो की तो कभी मुगलों की, 

क्या बोलते हो ?  


🚩और हिन्दू संत आशारामजी बापू ने क्या किया ?  

धर्मांतरण पर रोक, वेलेन्टाइन डे पर रोक…, क्रिसमिस डे पर रोक, गौ हत्या पर रोक और बाप रे बाप ! वेस्टर्न कल्चर पर रोक और इतने बड़े-बड़े रिस्की डिसीजन बापू ने अपने दम पर ले लिए । और पता है कि अगर सिस्टम साथ नही देगा तो विधर्मी लोग बापू की संस्था को जीरो मिशन तक पहुँचा सकते हैं । पर बापू तो बापू है ना !


🚩भले ही हिन्दु धर्म व भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए मिट जाएंगे, लेकिन पीछे नहीं हटेंगें 

क्या जरुरत थी बापू को दिन मे दो दो तीन तीन जगहों पर सत्संग करने की ? और वो भी बिना किसी फीस या डोनेशन के ।


🚩आखिर क्या जरुरत थी गुरुकुल खोलने की ? जहाँ आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी मिलते हैं ।


🚩हमारे देश ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तो बहुत विकास किया, लेकिन कोई ये सोचता है कि मेरे भारत का बच्चा-बच्चा चरित्रवान कैसे बनें ? संयमी , सदाचारी और बलवान कैसे बनें ? और दीवाली में बापू कहाँ जाते हैं, पता है ? उन गरीबों,आदिवासियों के बीच जिनको ठीक से खाने की दो वक्त की रोटी, कपड़ा और मकान नहीं ।


🚩अरे भाई जरा समझो, संतो पर आरोप लगाकर जेल में डालना जरुरी है क्योंकि उनके द्वारा विधर्मीयों के मंसूबे नाकाम हो रहे थे । और आखिर भारत में कानून तो सबके लिए एक है ना, देखो बड़े-बड़े लोगों को बेल और संतो को जेल ?  


🚩कुछ नहीं बहुत सारे दोष हैं, उनके ।


🚩1.युवा सेवा संघ खोल दिए, लाखों युवान नशा नहीं करते संयमी जीवन जीते हैं और राष्ट्र भक्त बन रहे हैं, ये कोई कम गुनाह है ?


🚩2. ऋषि प्रसाद पत्रिका द्वारा लोगों को सुखी, स्वस्थ व सम्मानित जीवन की कला सिखाना l


🚩3. बाल संस्कार केन्द्र खोले, जिसमें बच्चों को अच्छे संस्कार मिल रहे हैं ।


🚩4. महिलाओं को आत्मनिर्भऱ व सम्मानित बनाने के लिए महिला उत्थान मंडल खोले, कितना बड़ा गुनाह है ये 

अरे भाई… गुनाहों की लिस्ट तो अभी बाकी है ।


🚩5. कत्लखाने जा रही हजारों गायों को बचाकर गौ पालन करना ।


🚩6 गरीबों को राशन कार्ड देना व भंडारो का आयोजन करना |


🚩7. मुफ्त चिकित्सा सेवाएं देना |


🚩8. 

बाबाओं को संपत्ति की क्या जरुरत थी?

क्या जरुरत थी ? बापू को प्राकृतिक आपदाओं मे अन्न , जल व वस्त्र पहुँचाने की ।

संपत्ति की जरुरत तो धर्मांतरण, नशाखोरी, अश्लीलता, भ्रष्टाचार फैलाने वालो को है ।


🚩इन सब पर रोक लगाने वालों को और इतनी सारी सेवा करने के लिए कहाँ जरुरत है संपत्ति की ?  


🚩पर कौन आशारामजी बापू के पीछे लगा है ?


🚩नंबर 1. जो लोग भारत को फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं और अपना धर्म भारत में फैलाना चाहते हैं, ऐसी विदेशी मिशनरियाँ ।


🚩नंबर 2.. हिन्दु धर्म को बदनाम करने वाली – फॉरेन फंडेड मीडिया । 


🚩नंबर 3. मल्टीनेशनल कंपनीज ।


🚩सच को झूठ और झूठ को सच बनाने का जिसके पास आइडिया है उसी का नाम मीडिया है ।


🚩 और बापू मीडिया वालों को पैसा कहाँ देने वाले थे ? कभी मीडिया में उनके सेवाकार्यो की एक पट्टी भी चलती देखी तुमने ?  


🚩क्या होने वाला है वेलेन्टाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, क्रिसमस डे को तुलसी पूजन दिवस मनाने से ?  

और ये विश्वगुरु भारत और सबका मंगल, सबका भला से क्या होने वाला है ?  


🚩कुछ नही ।

नहीं चाहिए हमें स्वस्थ, सुखी और सम्मानित भारत, नहीं चाहिए हमें शिवाजी, महाराणा प्रताप, भगत सिंह, झाँसी की रानी जैसे वीर देशभक्त ?

नहीं चाहिए हमें ऐसे संत जो भारतीय संस्कृति का डंका पूरे विश्व में बजाते हैं । 


🚩तो फिर करते रहो गुलामी, बँटते रहो धर्म के नाम पर ।

अरे मेरे बाप… एक बार नही सौ बार कहता हूँ, वर्तमान में हिन्दु धर्म को बचाने वाले अगर कोई हैं तो सिर्फ बापू जैसे संत ही हैं । इसलिए करोड़ों रुपए खर्च करके बापू आसारामजी के ऊपर गंदा आरोप लगवाकर उन्हें जेल में डलवाया । अरे मेरे भाई… अब तो समझो अगर बापू को इसी तरह जेल रखा गया तो भारतीय संस्कृति और हिन्दु धर्म की रक्षा कौन करेगा ? फिर हमारे देश में घोर अपराध बढ़ते जायेंगें । और फिर ये देश कभी विश्वगुरु नही बन पायेगा ।


🚩सच कहता हूँ अगर जल्दी बापू जी बाहर नही आए तो आने वाले 100-200 साल तक ये लड़ाई लड़नेवाला और कोई नही होगा । फिर करते रहना 

मेरा भारत महान । मेरा भारत महान ।


🚩फिर बापू आसरामजी जेल में है क्यों हैं ?  


🚩बापू जी जेल में हैं क्योंकि वो एक हिंदु संत हैं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो सनातन धर्म व संस्कृति के लिए लड़ते हैं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो राष्ट्र को मानते हैं राजनेता को नहीं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो धर्म को मानते हैं धर्मांतरण को नहीं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि हम निष्क्रिय हैं ।

बापू जेल में है क्योंकि बापूजी निर्दोष हैं ,अगर दोषी होते तो वो बाहर होते।

प्रशासन निर्दोष, मीडिया निर्दोष, नेता निर्दोष, न्यायालय निर्दोष, अपने आपको निर्दोष कहने वाले ये लोग निर्दोष है कि नहीं ये मैं नही जानता पर बापू जी निर्दोष थे , हैं व रहेंगें ।


🚩लोग उनकों क्यो मानते हैं ?  

किसी की श्रद्धा का प्रमाण न्यायालय या मीडिया नहीं हो सकती है । उसका स्वंय का अनुभव होता है ।  

जरा सोचो इतना सब होने पर भी बापू के करोड़ों भक्तों का विश्वास अभी भी कायम है । अरे कुछ तो होगा उनके पास ?


🚩इतना सामर्थ्य होने पर बापू जी बाहर क्यों नहीं आते ?  

कौन कहता है कि बापू आसारामजी जेल में हैं । जेल में तो हमारे देश कि अस्मिता, संस्कृति, धर्म है । और सामर्थ्य का उपयोग संत अपने लिए थोड़े ही ना करते हैं ? जैसे जगदगुरु शंकराचार्य की माँ की अंत्येष्ठी के लिए उनके गाँववालों ने लकड़ी तक नहीं दी । तुकारामजी महाराज सामर्थ्यवान होते हुए भी कीर्तन में पत्थर के झाँझ का उपयोग करते थे । ऐसे ही संत ज्ञानेश्वर, बुद्ध भगवान आदि भी थे । अरे… कबीर जी को भी जेल जाना पड़ा था । और तो और संत तो क्या भगवान होते हुए भी श्री रामजी नागपाश में बंध गये थे । वाह … वाह री दुनिया … वाह री दुनिया को लोगों… संतों ने तुम्हें क्या दिया और संतों को तुम क्या दे रहे हो । 


🚩शंकाचार्यजी को भी झूठे आरोप में फँसाया फिर वो निर्दोष बरी हुए साध्वी प्रज्ञा , स्वामी असीमानंद को भी निर्दोष बरी किया गया । ऐसे ही बापू जी को फँसाया गया है । वे भी अवश्य निर्दोष बरी होगे । और याद रखो, चाहे जो हो जाये पर भारत विश्व गुरु बनकर ही रहेगा । I Support Asharamji Bapu


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, March 15, 2024

नेपाल में हिन्दू राष्ट्र के लिए तेज हुआ आंदोलन

16 March 2024

https://azaadbharat.org 


🚩नए-नवेले वामपंथी बने नेपाल को एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग जोर पकड़ने लगी है। यहाँ की जनता पुराने राजतंत्र को याद कर रही है। प्रदर्शनकारियों के कई समूह एक बार फिर से पुराने समय को लाने का संकल्प ले रहे हैं। नेपाल की अधिकतर जनता भी इन प्रदर्शनकरियों के साथ खड़ी दिख रही है। लोगों का मानना है कि वर्तमान समय में भ्र्ष्टाचार और कुव्यवस्था का बोलबोला है जिसे फ़ौरन बदलने की जरूरत है। हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिए साल 2023 से शुरू हुए और अब जोर पकड़ चुके इस आंदोलन में नेपाल का हर वर्ग भागीदारी कर रहा है जिसमें व्यापारी, छात्र, नेता और यहाँ तक कि सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बहुत ही कम समय में नेपाली जनता वहाँ की राजनैतिक पार्टियों और नेताओं से ऊब चुकी है। इन नेताओं ने देश की सत्ता तमाम झूठे वादे कर के हासिल की थी। इसमें शिक्षा, भ्र्ष्टाचार मुक्त शासन, बेरोजगारी, बेहतर स्वास्थ्य और सर्वांगीण विकास जैसे वादे शामिल थे। हालाँकि डेढ़ दशक से अधिक समय बीत जाने पर उनमें से किसी भी वादे पर लोगों ने अपने नेताओं को खरा उतरते नहीं देखा। उल्टे अब लोग इन नेताओं की खोखली बातों और भ्रष्टाचार आदि से तंग आ चुके हैं। अब एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग को ले कर वहाँ की जनता आंदोलित है।


🚩16 साल पहले तक नेपाल में राजशाही रही थी। तब ज्ञानेंद्र सिंह देश की सर्वोच्च सत्ता हुआ करते थे। देश में मची उथल-पुथल के दौरान उन्होंने सरकार को भंग कर दिया था और कई राजनेताओं को पत्रकारों सहित जेल भेज दिया था। देश में मिलिट्री शासन भी लगा दिया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में खून-खराबा हुआ था। आखिरकार ज्ञानेंद्र सिंह ने कदम पीछे खींच लिए थे और यहीं से नेपाल में कथित लोकतंत्र की शुरुआत हुई थी। साल 2008 में हुए इस बदलाव के बाद से अब तक नेपाल में 13 सरकारें बन चुकी हैं।


🚩हालाँकि, ये सरकारें जन-अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरीं। उलटे अब लोगों को सत्ता की ताकत से तंग भी किया जा रहा है। राजधानी काठमांडू में हिन्दूराष्ट्र के समर्थन में एक बड़ा प्रदर्शन हु। तब हजारों लोगों के इस प्रदर्शन में शामिल रुद्रराज ने मीडिया से कहा था कि नेपाल में हुए बदलाव से लोग अपने पारम्परिक मूल्यों को खोते जा रहे हैं। इस प्रदर्शन में लोग हाथों में नेपाल का झंडा और राजा ज्ञानेंद्र की तस्वीरें ले कर चल रहे थे। हालाँकि नेपाल की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी नेपाली कॉन्ग्रेस के नेता नारायण प्रकाश सऊद ने देश के फिर से हिन्दूराष्ट्र और राजतन्त्र जैसी संभावनाओं से इंकार किया है।


🚩ऑपइंडिया ने पूरे नेपाल में हिंदूवादी मूवमेंट चला रही हिन्दू सम्राट सेना के केंद्रीय अध्यक्ष राजेश कुमार यादव से बात की। उन्होंने हमें बताया कि हिन्दुओं को आपस में वामपंथी और दक्षिणपंथी के मुद्दों पर उलझा कर चीनियों और इस्लामी ताकतों ने अपना उल्लू सीधा किया है। राजेश ने हमें आगे बताया कि अब एक बार फिर से नेपाल को हिन्दूराष्ट्र बनाने की माँग शुरू हो चुकी है तो इसे अंजाम तक लाया जाएगा। वहीं नेपाल के ही कृष्ण कुमार ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि जब साल 2008 में नेपाल का नया संविधान बना था तब लोग जागरूक नहीं थे और भाईचारे के नशे में थे। कृष्ण कुमार का कहना है कि अब लोगों ने कथित भाईचारे का खुमार उतर चुका है क्योंकि वो आए दिन हमलों के शिकार हो रहे है।


🚩साल 2022 में ऑपइंडिया ने भारत की सीमा से लगने वाले नेपाल के दाँग और कपिलवस्तु जिलों का दौरा किया था। इस दौरान पता इस बात का खुलासा हुआ था कि न सिर्फ भारत बल्कि नेपाल की तरफ के भी कई सीमावर्ती गाँव और शहर मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं। हालात ऐसे मिले कि कुछ गाँवों में प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए हिन्दू प्रत्याशी ही नहीं खड़े हुए थे। इसके अलावा सीमा के दोनों तरफ सैकड़ों की तादाद में दरगाहें, मस्जिदें और अन्य इबादतगाहें बना ली गईं थीं। हालाँकि जाँच के बाद भारत की सीमा पर बने तमाम अवैध मदरसों को बंद करने का आदेश दिया गया है। तब खुद नेपाल के तत्कालीन सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने हालत को विस्फोटक जैसा बताते भारत और नेपाल दोनों को सीमावर्ती क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत बताई थी।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, March 14, 2024

चार युग के नाम और उसके महत्व क्या हैं ?

15 March 2024

https://azaadbharat.org 

🚩हिंदू धर्म में, समय को चार युगों में विभाजित किया गया है: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग। इन युगों को उनके गुणों के आधार पर व


र्गीकृत किया जाता है, जो कि सत्व, रज, और तम हैं। सत्व गुण का अर्थ है शुद्धता, ज्ञान, और सत्यता। रज गुण का अर्थ है गतिशीलता, कर्म, और इच्छा। तम गुण का अर्थ है अज्ञान, मूर्खता, और अंधकार।


🚩सतयुग


🚩सतयुग को सबसे अच्छा युग माना जाता है। इस युग में, लोग सतोगुणी होते हैं। वे ज्ञानी, धर्मी, और ईश्वर भक्त होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार होता है, और लोग शांति और समृद्धि में रहते हैं।


🚩सतयुग की अवधि 17,28,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 100,000 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 32 हाथ लंबे होते हैं।


🚩सतयुग के अवतार: मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिंह


🚩त्रेतायुग


🚩त्रेतायुग सतयुग के बाद आता है। इस युग में, सतोगुण रजगुण में बदल जाता है। लोग रजगुणी होते हैं। वे कर्मशील और इच्छाशील होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार कम होता जाता है, और अधर्म का प्रसार होता है।


🚩त्रेतायुग की अवधि 12,96,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 10,000 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर थोड़ा कम मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 21 हाथ लंबे होते हैं।


🚩त्रेतायुग के अवतार: वामन, परशुराम, राम


🚩द्वापरयुग


🚩द्वापरयुग त्रेतायुग के बाद आता है। इस युग में, रजगुण तमगुण में बदल जाता है। लोग तमगुणी होते हैं। वे अज्ञानी, मूर्ख, और स्वार्थी होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार और भी कम होता जाता है, और अधर्म का प्रसार होता रहता है।


🚩द्वापरयुग की अवधि 8,64,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 1,000 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर और भी कम मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 11 हाथ लंबे होते हैं।


🚩द्वापरयुग के अवतार: कृष्ण


🚩कलियुग


🚩कलियुग द्वापरयुग के बाद आता है। इस युग में, तमगुण पूर्ण रूप से प्रबल हो जाता है। लोग पूर्ण रूप से अज्ञानी, मूर्ख, और स्वार्थी होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार बहुत कम होता है, और अधर्म का प्रसार चरम पर होता है।


🚩कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 100 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर और भी कम मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 7 हाथ लंबे होते हैं।


🚩कलियुग के अवतार: कल्कि


🚩चारों युगों के लक्षण


🚩चारों युगों को उनके गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इन युगों के लक्षण इस प्रकार हैं:


🚩सतयुग


🚩सतोगुण का प्रबल होना

धर्म का प्रसार

शांति और समृद्धि

लोगों का ज्ञानी, धर्मी, और ईश्वर भक्त होना

लोगों का लंबा जीवन

लोगों का मजबूत और स्वस्थ शरीर


🚩त्रेतायुग


🚩रजगुण का प्रबल होना

धर्म का कुछ कम प्रसार

अधर्म का प्रसार

लोगों का कर्मशील और इच्छाशील होना

लोगों का थोड़ा कम लंबा जीवन

लोगों का थोड़ा कम मजबूत और स्वस्थ शरीर


🚩द्वापरयुग


🚩तमगुण का प्रबल होना

धर्म का और भी कम प्रसार

अधर्म का और भी अधिक प्रसार

लोगों का अज्ञानी, मूर्ख और स्वार्थी होना


🚩लोगों का और भी कम लंबा जीवन

लोगों का और भी कम मजबूत और स्वस्थ शरीर


🚩कलियुग


🚩तमगुण का पूर्ण रूप से प्रबल होना

धर्म का बहुत कम प्रसार

अधर्म का चरम पर प्रसार

लोगों का पूर्ण रूप से अज्ञानी, मूर्ख, और स्वार्थी होना

लोगों का बहुत कम लंबा जीवन

लोगों का बहुत कम मजबूत और स्वस्थ शरीर

चारों युगों का क्रम


🚩चारों युगों का क्रम इस प्रकार है:


🚩सतयुग → त्रेतायुग → द्वापरयुग → कलियुग


🚩चारों युगों को मिलाकर एक महायुग कहा जाता है। एक महायुग की अवधि 43,20,000 वर्ष है। कलियुग के अंत में महायुग का अंत हो जाता है, और नए सिरे से सतयुग की शुरुआत होती है।


🚩हिंदू धर्म में, यह माना जाता है कि हम वर्तमान में कलियुग में हैं। कलियुग की शुरुआत लगभग 5,122 वर्ष पहले हुई थी। यह माना जाता है कि कलियुग लगभग 4,27,000 वर्ष और चलेगा।


🚩कलियुग के अंत में, कल्कि अवतार लेंगे। कल्कि अवतार भगवान विष्णु का अंतिम अवतार होगा। वह अधर्म का नाश करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे। कल्कि अवतार के बाद नए सिरे से सतयुग की शुरुआत होगी।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, March 13, 2024

मिशनरी की मज़बूरी का फायदा उठाने की कला बड़ी अद्भुत हैं....

14 March 2024

https://azaadbharat.org 


🚩24 मार्च 2015 को पोप फ्रांसिस ने ट्वीट किया था- ‘आपदा कन्वर्जन का आह्वान है।’

🚩अप्रैल 2015 में नेपाल में बहुत बड़ा भूकम्प आया, लाखों लोग बेघर हो गए, नेपाली गांव रिचेट भी सबसे पहले चर्च का पुनर्निर्माण हुआ. राहत शिविरों में बड़ी संख्या में हिन्दूओं को ईसाई बनाया गया।

 पूरी दुनिया ने सहायता के नाम पर दवाइयां, भोजन सामग्री, तिरपाल, नमक, चीनी व कम्बल आदि भेजे. सहायता करने वालों में भारतीय सबसे आगे थे. उन्होंने बिना भेदभाव के सहायता की. कैथोलिक मिशनरियों ने बड़ी संख्या में बाइबल भेजी, मिशनरी का सेवा भाव केवल दिखावा है जबकि वह मरते हुए इंसान को भी ईसाई बनाने मे विश्वास करते है। नेपाल मे लोग मर रहे है और मिशनरी के लोग इस को एक मौके के रूप मे देख रहे है. उन का मानना है कि मरते हुए आदमी की हेल्प कर के लोगो को आसानी से ईसाई बना सकते है। नेपाल के भूकंप पीडि़तों में बांटने के लिए 1 लाख बाइबल लायी गयी।


🚩नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने ईसाई मिशनरियों कहा है कि मैं आपसे आग्रह करता हूं कि उठें और वास्तव में कुछ करें। हमें अपने लोगों को बचाने के लिए राशन, पानी और टेंट चाहिए बाइबल की हमे कोई जरुरत नहीं हैं बिना किसी शर्म के बहुत से ईसाई नेपाल के भयंकर भूकम्प को एक मौका मानकर उसका उत्सव मना रहे हैं। वे मौत और तबाही में फायदा देख रहे हैं। जब बर्बादी के घाव ताजा हैं, तब ‘रिलीजन’ के व्यापारी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर आये हैं और ईसाइयत बेच रहे हैं। अनेक ईसाई मिशनरी इस विपत्ति का पैसा उगाहने के लिए दोहन कर रहे हैं। पैसा, जो पीडि़तों के दुख दूर करने के स्थान पर नेपालियों तक जीसस का ‘शुभ समाचार’ पहुंचाने में खर्च किया जायेगाा. जब नेपाल में धरती हिली तो सोशल मीडिया में भी हलचल मची। सारी दुनिया में मानवीय संवदनाएं उमड़ रही थीं। परन्तु मिशनरियों का मजहबी उन्माद भी चरम पर था।


🚩अमरीकी पास्टर टोनी मिआनो ने नेपालियों के घावों पर नमक छिड़कते हुए ट्वीट किया- ‘नेपाल के मृतकों के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। प्रार्थना कर रहा हूं कि एक भी ध्वस्त मंदिर दोबारा नहीं बनाया जाए और लोग जीसस को स्वीकार करें।’ अनेक हिन्दुओं ने इस पर आपत्ति जताई, तो टोनी ने दूसरा ट्वीट किया-‘मुझे फर्क नहीं पड़ता।


🚩जोशुआ एग्वीलर ने ट्वीट किया-‘1400 सोल्स मारी जा चुकी हैं, और ऊपर जा रही हैं। सोचता हूं उनमें से कितनों ने गॉस्पेल सुनी होगी।’ 

ब्रायन ई़फ्रेजर का ट्वीट था-‘नेपाल में 7. 8 तीव्रता का भयंकर भूकंप आया। जीसस के शीघ्र लौटने के चिन्ह दिखाई दे रहे हैं।’


🚩क्रिस चौडविक ने लिखा-‘नेपाल के लिए प्रार्थना कर रहा हूं कि यह आपदा लोगों के लिए गॉस्पेल स्वीकार करने का दरवाजा बने।’


🚩जेसन साइक्स ने लिखा-‘नेपाल के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। आशा करता हूं कि काटने के लिए फसल तैयार मिले।’ इस आपदा के कारण नेपाल के दरवाजे क्राइस्ट के लिए खुल जाएं।’


🚩नेपाल में बात बाइबिल और क्रॉस बांटने तक सीमित रहने वाली नहीं है। जब कन्वर्जन करना हो तो उसके लिए व्यक्ति की परंपरा से चली आ रही आस्था को भी खंडित करना आवश्यक होता है, तभी उसे फुसलाया जा सकता है। इसके लिए मिशनरी हिन्दू देवी-देवताओं के प्रति घृणा फैलाने वाला मुड़े-तुड़े तथ्यों और फरेब से भरा साहित्य स्थानीय भाषाओं में छापकर बांटतें हैं। छोटे-छोटे समूहों में ‘अविश्वासियो’ को ये साहित्य पढ़कर सुनाया जाता है।


🚩1990 के दशक में नेपाल में इसाइयों की आबादी मात्र 20 हजार बताई गई थी, वहीं अब इन वर्षो में यह आबादी बढ़ कर 7 फीसदी यानी 21 लाख से अधिक हो गई है. पिछले 20 सालों में नेपाल में इसाई मिशपरियों का जाल बहुत तेजी से फैला है यह बीमारी नेपाल के तमाम अंचलों में तेजी से फैल गई हैं. नेपाल के बुटवल में कई चर्च बन चुके हैं,इसके अलावा नारायण घाट से बीरगंज के बीच कोपवा, मोतीपुर, आदि में हजारों लोगों ने इसाई धर्म स्वीकर कर छोटे छोटे चर्च स्थापित कर लिए हैं.,जो अपना धार्मिक कारोबार इतना तेजी से विकसित कर रहे है कि आने वाले समय में नेपाल तो होगा किन्तु नेपाल का कुछ नहीं होगा।


🚩भारत में कैथोलिक चर्चों के पास अति विशाल भूमि है, विदेशी कैथोलिक उद्योगपति द्वारा दान भी बहुत अधिक है, इनका उपयोग मिडिया और शासन/ प्रशासन को नियंत्रण में किया जाता है,इसलिए इनके विरूद्ध मिडिया चुप है और शासन/ प्रशासन अन्धा बहरा, इसलिए प्रत्येक हिन्दू का कर्त्तव्य है कि मिशनरी के मकडजाल से सावधान रहे, दूसरों को भी सावधान करे, इस वहम में ना रहें कि

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,

अफगानिस्तान तक थी बस्ती कभी तुम्हारी।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ