Friday, March 27, 2020

देश में क्या होगा एक दिन में जनता कर्फ्यू करने और ध्वनि करने पर ?

21 मार्च 2020
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🚩चीन से शुरू हुआ खतरनाक कोरोना वायरस अबतक 176 देशों में अपने पैर पसार चुका है। इस महामारी से निपटने के लिए सभी देश हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

🚩कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च 2020 को घोषित जनता कर्फ्यू (अपने-अपने घर में रहने की अपील की गई है।

● जनता फर्फ्यू से चीन में क्या हुआ?

🚩एक तरफ जहां ये महामारी दुनिया भर में ताडंव मचा रही है वहीं चीन ने इसके संक्रमण पर काबू पा लिया और अब अस्पताल से लोग घर जा रहे हैं पर कैसे पाया? इसका जवाब है लॉकडाउन। चीन ने उस साइकिल को तोड़ने की कोशिश की जिससे कोरोना फैलता है।

🚩WHO की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक एक संक्रमित मरीज करीब 2.6 लोगों को संक्रमित कर सकता है फिर इस संक्रमण के 10वें स्टेज पर करीब 5-6 दिन बाद 3500 लोग संक्रमित हो सकते हैं। चीन ने इस साइकिल को तोड़ने की कोशिश की। चीन में लॉकडाउन होना शुरू हो गया। बाजार बंद हो गए। फैक्ट्रियां बंद हो गईं। पब्लिक ट्रांस्पोर्ट बंद हो गए। लोगों ने खुद को घरों में बंद कर लिया कई दिनों तक सेल्फ क्वारंटाइन किया। इससे लोगों के संक्रमित होने की संभावना काफी ज्यादा कम हो गई। चीनी मीडिया के मुताबिक कोरोना से निपटने के लिए ये बहुत जरूरी है सभी देशों को ये उपाय अपनाने चाहिए।

🚩यही उपाय प्रधानमंत्री ने भारत मे अपनाने के लिए अपील की है उसमें हमें सहयोग करना चाहिए।

🚩दूसरा प्रधानमंत्री ने बताया है की शाम को 5 बजे 5 मिनट घण्टियाँ, थालियां आदि बजा कर ध्वनि करना है और जो लोग डॉक्टर, पुलिस आदि हमारी रक्षा के लिए लगे हैं उनको धन्यवाद देना है।

● घंटी बजाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण

🚩मंदिर घर का हो या किसी धार्मिक स्थल का वहां घंटी तो होती ही है। इसके पीछे धार्मिक कारण तो है ही साथ में इसका हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।

🚩यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजों और खि‍ड़कियों पर भी विंड चाइम्स लगवाते हैं, ताकि उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती रहें। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

● शंखनाद के वैज्ञानिक प्रभाव

🚩हिन्दू संस्कृति इतनी वैज्ञानिक है कि इसके हर कार्य के पीछे आध्यात्मिक के साथ वैज्ञानिक पहलु छिपा हुआ है। जिसको आज विज्ञान भी प्रणाम करता है। हिन्दू धर्म में प्रत्येक मांगलिक कार्य के अवसर पर शंख बजाना अत्यंत पवित्र और शुभ फलदायी माना जाता है। शंख बजाने के धार्मिक एवं आध्यात्मिक लाभ तो हैं ही साथ ही इसके अनेक वैज्ञानिक लाभ भी हैं, जो शंख बजाने वाले को अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं और कहते हैं अगर दिन की शुरुआत शंख की मधुर आवाज़ से हो तो दिन बहुत अच्छा जाता है।


● शंख ध्वनि जीवाणु और कीटाणु रोधी

🚩1928 में बर्लिन विश्वविद्यालय में किए गए एक अनुसंधान के अनुसार शंख की ध्वनि जीवाणुओं-कीटाणुओं को नष्ट करने का सर्वोत्तम साधन है। शंखघोष गूँजने वाले स्थान पर दुष्टात्माएँ प्रवेश नहीं कर सकतीं। शंख में रखे जल में भी कीटाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार शंख में रखा जल छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है।

● शंख से वातावरण शुद्धिकरण

🚩शंखनाद से व्यक्ति का शरीर एवं उसके आसपास का वातावरण शुद्ध होता है और मन में सतोगुण का संचार होता है, जिससे सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। इससे शंख बजाने वाले के मस्तिष्क का प्रसुप्त तंत्र जागृत होता है, जो उसके व्यक्तित्व विकास में अत्यंत सहायक होता है।

🚩देशी गाय के गोबर के कंडे में घी डालकर धुंआ करने पर भी हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं और वातावरण शुद्ध होता है।

🚩पीपल-तुलसी, बड़ और नीम भी वतावरण को शुद्ध रखता है और विषाणु पैदा नहीं होने देते हैं ।

● प्रणाम भी करने से आयु आरोग्य बढ़ता है।

🚩यह सब हमारे ऋषि-मुनियों ने पहले से ही बता दिया था पर हमें समझ में नहीं आ रहा था। आज कोरोना वायरस फैलने पर हमारी भारतीय संस्कृति पर गर्व हो रहा है और आज पूरी दुनिया नतमस्तक हो रही है अगर यही उपाय हम शुरू से करते रहते तो आज यह दुर्दशा नहीं होती ।

🚩अभी हमें हमारी संस्कृति तरफ शीघ्र लौट जाना चाहिए।

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भारतीय नूतनवर्ष कैसे मनाएं ? जानिए आपके लिए अत्यंत उपयोगी बातें

22 मार्च 2020

*🚩चैत्र नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती हैं । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं । भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है । इस साल 25 मार्च 2020 को नूतनवर्ष प्रारंभ होगा ।*

*🚩अंग्रेजी नूतन वर्ष में शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार करते हैं लेकिन भारतीय नूतन वर्ष संयम, हर्षोल्लास से मनाया जाता है । जिससे देश में सुख, सौहार्द्र, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो जाता है ।*

*🚩 इस साल 25 अप्रैल को नूतन वर्ष मनाना है, भारतीय संस्कृति की दिव्यता को घर-घर पहुँचाना है ।*

*🚩हम भारतीय नूतन वर्ष व्यक्तिगतरूप और सामूहिक रूप से भी मना सकते हैं ।*

*🚩कैसे मनाएं नववर्ष ?*

*🚩1 - भारतीय नूतनवर्ष के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें । संभव हो तो चर्मरोगों से बचने के लिए तिल का तेल लगाकर स्नान करें ।*

*🚩2 - नववर्षारंभ पर पुरुष धोती-कुर्ता / पजामा, तथा स्त्रियां नौ गज/छह गज की साड़ी पहनें ।*

*🚩3 - मस्तक पर तिलक करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।*

*🚩4 - सूर्योदय के समय भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य देकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।*

*🚩5 - सुबह सूर्योदय के समय शंखध्वनि करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।*

*🚩6 - हिन्दू नववर्षारंभ दिन की शुभकामनाएं हस्तांदोलन (हैंडशेक) कर नहीं, नमस्कार कर स्वभाषा में दें ।*

*🚩7 -  भारतीय नूतनवर्ष के प्रथम दिन ऋतु संबंधित रोगों से बचने के लिए नीम, कालीमिर्च, मिश्री या नमक से युक्त चटनी बनाकर खुद खाएं और दूसरों को खिलाएं ।*

*🚩8 - मठ-मंदिरों, आश्रमों आदि धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कॉलेज, सोसायटी, अपने दुकान, कार्यालयों तथा शहर के मुख्य प्रवेश द्वारों पर भगवा ध्वजा फहराकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें  और बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भारतीय नववर्ष का स्वागत करें । हमारे ऋषि-मुनियों का कहना है कि बंदनवार के नीचे से जो व्यक्ति गुजरता है उसकी  ऋतु-परिवर्तन से होनेवाले संबंधित रोगों से रक्षा होती है ।  पहले राजा लोग अपनी प्रजाओं के साथ सामूहिक रूप से गुजरते थे ।*

*🚩9 - भारतीय नूतन वर्ष के दिन सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करें ।*

*🚩10 - भारतीय संस्कृति तथा गुरु-ज्ञान से, महापुरुषों के ज्ञान से सभी का जीवन उन्नत हो ।’ – इस प्रकार एक-दूसरे को बधाई संदेश देकर नववर्ष का स्वागत करें । एस.एम.एस. भी भेजें ।*

*🚩11 - अपनी गरिमामयी संस्कृति की रक्षा हेतु अपने मित्रों-संबंधियों को इस पावन अवसर की स्मृति दिलाने के लिए आप बधाई-पत्र भेज सकते हैं । दूरभाष करते समय उपरोक्त सत्संकल्प दोहराएं ।*

*🚩12 - ई-मेल, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया के माध्यम से भी बधाई देकर लोगों को प्रोत्साहित करें ।*

*🚩13 - नूतन वर्ष से जुड़े एतिहासिक प्रसंगों की झाकियाँ, फ्लैक्स लगाकर भी प्रचार कर सकते हैं ।*

*🚩14  - सभी तरह के राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संगठनों से संपर्क करके सामूहिक रुप से सभा आदि के द्वारा भी नववर्ष का स्वागत कर सकते हैं । इस साल कोरोना वायरस का कहर देखकर सामुहिक रूप से न मनायें।*

*🚩15 - नववर्ष संबंधित पेम्पलेट बाँटकर, न्यूज पेपरों में डालकर भी समाज तक संदेश पहुँचा सकते हैं ।*

*🚩सभी भारतवासियों को प्रार्थना हैं कि कलेक्टर, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति को भी भारतीय नववर्ष को सरकार के द्वारा सामूहिक रूप में मनाने हेतु ज्ञापन दें और व्यक्तिगत रूप में भी पत्र लिखें ।*

*🚩सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वो को बड़ी विशालता से जरूर मनाए ।*

*🚩 चैत्रे मासि जगद् ब्रम्हाशसर्ज प्रथमेऽहनि । -ब्रम्हपुराण*
*अर्थात ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण चैत्र मास के प्रथम दिन किया । इसी दिन से सतयुग का आरंभ हुआ । यहीं से हिन्दू संस्कृति के अनुसार कालगणना भी आरंभ हुई । इसी कारण इस दिन वर्षारंभ मनाया जाता है ।*

*🚩मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक दिवस, मत्स्यावतार दिवस, वरुणावतार संत झुलेलालजी का अवतरण दिवस, सिक्खों के द्वितीय गुरु अंगददेवजी का जन्मदिवस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का जन्मदिवस, चैत्री नवरात्र प्रारम्भ आदि पर्वोत्सव एवं जयंतियाँ वर्ष-प्रतिपदा से जुड़कर और अधिक महान बन गयी ।*

*🚩यश, कीर्ति ,विजय, सुख समृद्धि हेतु घर के ऊपर झंडा या ध्वज पताका लगाएं ।*

*🚩हमारे शास्त्रो में झंडा या पताका लगाने का विधान है । पताका यश, कीर्ति, विजय , घर में सुख समृद्धि , शान्ति एवं पराक्रम का प्रतीक है । जिस जगह पताका या झंडा फहरता है उसके वेग से नकरात्मक उर्जा दूर चली जाती है ।*

*🚩हिन्दू समाज में अगर सभी घरों में स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा फहरेगा तो हिन्दू समाज का यश, कीर्ति, विजय एवं पराक्रम दूर-दूर तक फैलेगा ।*

*🚩सभी हिन्दू घरों में वायव्य कोण यानि उत्तर पश्चिम दिशा में झंडा या ध्वजा जरूर लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पश्चिम कोण यानि वायव्य कोण में राहु का निवास माना गया है । ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है और घर में सुख व समृद्धि बढ़ती है।*

*🚩अतः सभी हिन्दू घरों में पीले, सिंदूरी, लाल या केसरिया रंग के कपड़े पर स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा अवश्य लगाना चाहिए । मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति मंदिर के ऊपर लहराता हुआ झंडा देखे तो कई प्रकार के रोग का शमन हो जाता है ।*

*🚩‘नववर्षारंभ’ त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाये और अपनी संस्कृति की रक्षा करेंगे ऐसा प्रण करें।*

*🚩आप सभी भारतवासी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.!!*

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हमारा नूतन वर्ष आ रहा है कल, जानिए इतिहास और इतना जरूर करें....

24 मार्च 2020

*🚩जो भारतवासी अंग्रेजों के नये साल में एक-एक माह पहले ही बधाई देने के लिये लाइन लगाए हुए थे कल उन्हीं भारतवासियों का नया साल  रहा है, लेकिन कोई भी भारतवासी मैसेज नहीं कर रहा है ।*

*🚩अंग्रेजों ने हमें कैसा मानसिक गुलाम बना लिया है इससे साफ पता चलता है कि जादी मिले भले 72 साल हो गये हों लेकिन मानसिक गुलामी नहीं गई है क्योंकि भारतवासी खुद का नववर्ष भूल गए हैं और अंग्रेजों का नववर्ष बड़े हर्षोल्लास से मना रहे हैं ।*

*🚩कवि ने इसपर कविता लिखी है प भी पढ़कर समझ जाएंगे कि हमें कौन सा नया साल मनाना है ?*

*ना पक्षियों की चहक, ना ही सुंदर-सुंदर फूलों की महक।*
*भयंकर ठिठुरती सर्दी में, जन जीवन भी सामान्य नहीं।।*

*01 जनवरी को नववर्षहै ईसाई नववर्ष।*
*यह नहीं है हिन्दू संस्कृति, यह हमें मान्य नहीं।।*

*ये नववर्ष हमारे संतों ने नहीं, पोप ग्रिगोरी 13वें ने चलाया था।*
*जनवरी महीने का ये नाम, जानूस गॉड के नाम पर बनाया था।।*

*क्यों मनाएँ हम ऐसा नववर्ष, जिसमें नहीं है कोई उत्कर्ष।*
*चैत्र मास शुक्लपक्ष प्रतिपदा को, ओ मनाएँ हिन्दू नववर्ष।।*

*सुंदर मनोरम इस दिन को, वसंत ऋतु का गमन होता है।*
*इस दिन वातावरण भी, विशेष सात्विकता संजोता है।।*

*पेड़ पौधे लहराते हैं, रंग बिरंगे सुंदर फूल महकते हैं।*
*देखकर प्रकृति की अनुपम सुंदरता, पक्षी भी चहकते हैं।।*

*ब्रह्माजी ने इस दिन सृष्टि रचना की, सतयुग का रंभ हु।*
*भगवान राम का राजतिलक हु, हिन्दू कालगणना का शुभारंभ हु।।*

*करने को सृष्टि की रक्षा, भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हु।*
*भगवान झूलेलाल का अवतरण हु, जिससे विश्व का उद्धार हु।।*

*महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, पंजाब में इसे बैशाखी बुलाते हैं।*
*ंध्र, तेलंगाना में उगाडी, असम में बिहू नाम से मनाते हैं।।*

*25 मार्च को नववर्ष स्वागत में, ओ हम सब मिलकर दीप जलाएं।*
*रंगोली बनाए, भजन संकीर्तन करें, घर घर भगवा पताका फहराए।।*
*-कवि सुरेंद्र कुमार*

*🚩हिन्दू संस्कृति के अनुसार इस साल 25 मार्च 2020 को नूतन वर्ष  रहा है । हिन्दू समाज पहले नूतन वर्ष बड़े धूम-धाम से मनाता था लेकिन दुर्भाग्य है कि अंग्रेजों ने अपना कैलेंडर रख दिया और इतिहास से वास्तविक नूतनवर्ष को गायब कर दिया जिसके कारण ज के हिन्दू भारत को गुलाम बनाने वाला नूतनवर्ष मना रहे हैं और अपना नूतनवर्ष भूल गए ।*

*★ चैत्रे मासि जगद् ब्रम्हाशसर्ज प्रथमेऽहनि ।*
*-ब्रम्हपुराण*

*🚩अर्थात ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण चैत्र मास के प्रथम दिन किया । इसी दिन से सतयुग का रंभ हु । यहीं से हिन्दू संस्कृति के अनुसार कालगणना भी रंभ हुई । इसी कारण इस दिन वर्षारंभ मनाया जाता है ।*

*इस साल सभी भारतीयों को चैत्री शुक्ल प्रतिपदा को अपने घर पर भगवा ध्वज फहरायें, सूर्य भगवान को अर्घ्य दें, शंख ध्वनि और भजन-कीर्तन करें।*

*★🚩प सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।*

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देश की इस विकट परिस्थिति में सिंधी समाज वाली युक्ति अपनानी चाहिए...

25 मार्च 2020

*🚩कोरोना वायरस के कारण भारत को 21 दिन तक लॉकडाउन किया गया इसके कारण कुछ देशवासी भयभीत भी हो रहे हैं। और कुछ सोच रहे हैं कि कहीं 21 दिन के बाद आगे भी कुछ ऐसी परिस्थिति तो नहीं बनी रहेगी?*

*🚩लेकिन कितनी भी विकट परिस्थिति आ जाये उससे भयभीत नहीं होना चाहिए बल्कि हमें श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान को याद करना चाहिए। जब अर्जुन भयभीत हो रहा था तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा कि सबकुछ छोड़कर मेरे शरण आ जा और तब अर्जुन भगवान की शरण गया तो विशाल कौरव सेना को हरा दिया, द्रोपदी का चिर हरण किया जा रहा था तब वहाँ कोई उनकी इज्जत नहीं बचा पा रहा था । आर्तभाव से भगवान को पुकारा और भगवान प्रकट होकर द्रोपदी की इज्जत बचा ली। ऐसे ही हमारे लिए कितनी भी विकट परिस्थिति आये, हमें ईश्वर शरण जाना चाहिए वे हमें मार्गदर्शन देंगे और विकट परिस्थिति को शीघ्र दूर करेंगे।*

*सिंध समाज पर भी एक ऐसी विकट आपदा आ पड़ी थी और प्रार्थना से दूर हो गई..।*

*🚩आपको बता दें कि सिंध स्थित हिन्दुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनाने हेतु वहाँ के नवाब मरखशाह ने फरमान जारी किया । उसका जवाब देने के लिए हिन्दुओं ने आठ दिन की मोहलत माँगी । अपने धर्म की रक्षा हेतु हिन्दुओं ने सृष्टिकर्त्ता भगवान की शरण ग्रहण की तथा 'कार्यं साधयामि वा देहं पातयामि...' अर्थात् ‘या तो अपना कार्य सिद्ध करेंगे अथवा मर जायेंगे’ के निश्चय के साथ हिन्दुओं का अपार जनसमूह सागर तट पर उमड़ पड़ा । सब तीन दिन तक भूख-प्यास सहते हुए प्रार्थना करते रहे तब अथाह सागर में से प्रकाशपुंज प्रगट हुआ । उस प्रकाशपुंज में निराकार परमात्मा अपना साकार रूप प्रगट करते हुए बोले : ‘‘हिन्दू भक्तजनों ! तुम सभी अब अपने घर लौट जाओ । तुम्हारा संकट दूर हो इसके लिए मैं शीघ्र ही नसरपुर में अवतरित हो रहा हूँ । फिर मैं सभी को धर्म की सच्ची राह दिखाऊँगा ।’’*

*🚩सप्ताह भर के अंदर ही संवत् 1117 के चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितिया को नसरपुर में ठक्कर रत्नराय के यहाँ माता देवकी के गर्भ से भगवान झूलेलाल ने अवतार लिया और हिन्दू जनता को दुष्ट मरख के आतंक से मुक्त किया । उन्हीं भगवान झूलेलाल का अवतरण दिवस ‘चेटीचंड’ के रूप में मनाया जाता है ।*

*🚩प्रार्थना से सबकुछ संभव है। सिंधी भाइयों की सामुहिक पुकार पर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए झूलेलाल जी का अवतरण, मद्रास के भीषण अकाल में श्री राजगोपालाचार्य द्वारा करायी गयी सामूहिक प्रार्थना के फलस्वरूप मूसलधार वर्षा होना आदि प्रसंग हम सबने सत्संग में सुने ही हैं, जिनसे सामूहिक प्रार्थना महिमा सुस्पष्ट हो जाती है ।*

*किसी ने कहा है.... " जब और सहारे छिन जाते, न किनारा मिलता है । तूफान में टूटी किस्ती का, भगवान सहारा होता है ।"*
 
*🚩सच्चे हृदय की पुकार को वह हृदयस्थ परमेश्वर जरूर सुनता है, फिर पुकार चाहें किसी मानव ने की हो या किसी प्राणी ने । गज की पुकार को सुन कर स्वयं प्रभु ही ग्राह से उसकी रक्षा करने के लिए वैकुण्ठ से दौड़ पड़े थे, यह तो सभी जानते हैं ।*

*■ पुराणों में कथा आती है -*

*🚩एक पपीहा पेड़ पर बैठा था । वहां उसे बैठा देखकर एक शिकारी ने धनुष पर बाण चढाया । आकाश से भी एक बाण उस पपीहे को ताक रहा था । इधर शिकारी ताक में था और उधर बाज । पपीहा क्या करता? कोई और चारा न देखकर पपीहे ने प्रभु से प्रार्थना की हे प्रभु! तू सर्व समर्थ है । इधर शिकारी है, उधर बाज है । अब तेरे सिवा मेरा कोई नहीं । हे प्रभु! तू ही रक्षा कर.....*

*🚩पपीहा प्रार्थना में तल्लीन हो गया । वृक्ष के पास बिल में से एक साँप निकला । उसने शिकारी को डंक मारा । शिकारी का निशाना हिल गया । हाथ में से बाण छूटा और आकाश में जो बाज मँडरा रहा था उसे जाकर लगा । शिकारी के बाण से बाज मर गया और साँप के काटने से शिकारी मर गया । पपीहा बच गया ।*

*🚩इस सृष्टि का कोई मालिक नहीं है ऐसी बात नहीं है । यह सृष्टि समर्थ संचालक की सत्ता से चलती है ।*

*🚩सृष्टि में चाहे किनी भी उथल-पुथल मच जाये लेकिन जब अदृश्य सत्ता किसी की रक्षा करना चाहती है तो वातावरण में कैसी भी व्यवस्था करके उसकी रक्षा कर देती है । ऐसे तो कई उदाहरण हैं ।*

*🚩अतः आज से हमें सुबह-शाम हर रोज भगवान को प्रार्थना करेंगे कि हे ईश्वर ! इस विकट परिस्थिति को आप ही सही कर सकते हैं। इस तरह के प्रार्थना करें तो भगवान इस महामारी से शीघ्र छुटकारा दिलवायेंगे।*

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