Thursday, February 29, 2024

मौलाना और उसके भाई ने 8 साल की बच्ची से किया रेप , मिडिया में कोई खबर नहीं

01 March 2024

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🚩दुनियाभर में मौलवी और पादरी बच्चों का यौन शोषण करते हैं। सेक्युलर, बुद्धिजीवी और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों पर षड्यंत्र के तहत कोई झूठा आरोप भी लगा दे तो खूब बदनाम करते हैं, परंतु मौलवी और ईसाई पादरियों के दुष्कर्मों पर चुप रहते हैं। क्या इसके लिए उन्हें फंडिंग मिलती है ?


🚩आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मदरसा में पढ़ाने वाले एक मौलाना द्वारा अपनी छात्रा से रेप करने का मामला सामने आया है। पीड़िता की उम्र महज 8 वर्ष है। मौलाना आब्दीन के बच्ची की माँ से भी अवैध संबंध बताए जा रहे है। दावा है कि पीड़िता की माँ को भी अपनी बेटी के साथ हो रहे दुष्कर्म की जानकारी थी। इस मामले में पीड़िता के अब्बा ने मौलाना और उसके भाई के खिलाफ शिकायत की है।


🚩इस मामले में पुलिस ने सोमवार (19 फरवरी 2024) को केस दर्ज करके मौलाना आब्दीन और बच्ची की माँ को गिरफ्तार कर लिया। वहीं, आब्दीन का भाई अरशद फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है। आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं में FIR दर्ज कर किया है।

https://twitter.com/lkopolice/status/1760192891698151520?t=OY8RlPVhrzAiQ1YKbASXNw&s=19


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना लखनऊ के मलिहाबाद थाना क्षेत्र का है। शिकायतकर्ता बच्ची का अब्बा है, जो इसी थाना क्षेत्र का निवासी है। शिकायतकर्ता ओमान में नौकरी करता है। वह एक बार में 5 माह के लिए ओमान जाता है। इस बार जाने से पहले उसने अपनी बेटी का एडमिशन अपने घर से थोड़ी ही दूर स्थित न्यू हैदरगंज क्षेत्र में बने इस्लामिया शम्सुल उलूम मदरसे में करवा दिया था।


🚩पीड़िता के पिता का आरोप है कि इस मदरसे में मौलाना आब्दीन बच्चों को दीनी (इस्लाम की) तालीम देता था। कुछ समय बाद मौलाना बच्ची के घर भी आने-जाने लगा। कुछ समय बाद मौलाना आब्दीन ने उनकी बीवी को अपने प्रेमजाल में फँसा लिया। थोड़े दिन बाद शिकायतकर्ता की बीवी मौलाना के ही साथ रहने लगी। बाद में महिला ने अपनी बेटी को मदरसे के हॉस्टल में शिफ्ट कर दिया।


🚩यहाँ पर मौलाना ने 8 साल की इस बच्ची के साथ कई बार बलात्कार किया। जब बच्ची अपनी माँ को ये सारी बातें बताती थी तो वह उलटे उसकी पिटाई कर देती थी। शिकायतकर्ता का तो यहाँ तक आरोप है कि उसकी बीवी ही अपनी बेटी को मौलाना के पास भेजा करती थी। काफी समय बाद जब शिकायतकर्ता ओमान से लौटा तो बेटी ने उसे सारी बात बताई।


🚩इसके बाद पीड़िता के अब्बा ने पुलिस में तहरीर दी और मौलाना आब्दीन के साथ उसके भाई अरशद को भी घिनौने कृत्य में शामिल बताया। शिकायतकर्ता ने अपनी बीवी पर भी रेप में मौलाना का साथ देने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही बच्ची के पिता को जान से मारने की धमकी देने वाले मौलाना के अन्य भाइयों अलीम, शलीम, शमीम, हमीम और शाद को भी पुलिस ने आरोपित बनाया है।


🚩जब भी किसी पवित्र हिंदू साधु-संत पर साजिश के तहत कोई झूठा आरोप लगता है तो इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया 24 घण्टे उनके खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर खबरे चलाती रहती है। लिबरल भी जोरों से चिल्लाने लगते हैं और हिंदू धर्म पर गलत टिप्पणियां करने लगते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इल्जाम लगते ही न्यूज चालू हो जाती है, अनेक झूठी कहानियां बन जाती हैं। इससे तो यह सिद्ध होता है कि मीडिया को इस बात का पहले ही पता होता है कि कौन से हिन्दू साधु-संत पर कौन सा इल्जाम लगने वाला है और उनके खिलाफ किस तरीके से झूठी कहानियां बनाकर खबरें चलानी हैं ? लगता है यह सब पहले से ही तय कर लिया जाता होगा।


🚩वहीं दूसरी ओर किसी मौलवी या ईसाई पादरी पर आरोप सिद्ध हो जाये, तभी भी न मीडिया खबर दिखाती है और ना ही सेक्युलर कुछ बोलते हैं। इससे साफ होता है कि ये गैंग केवल हिंदुत्व के खिलाफ है।


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Wednesday, February 28, 2024

मैक्डोनाल्ट्स के बर्गर खाते है तो हो जाए सावधान, कमिश्नर ने किया लाइसेंस रद्द

29 February 2024

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🚩इंटरनेशनल फास्ट फूड ब्रांड मैक्डोनाल्ट्स के खिलाफ महाराष्ट्र में बड़ी कार्रवाई हुई है। जाँच में पाया गया है कि ये कंपनी चीज (Cheese) के नाम पर ग्राहकों को धोखा दे रही थी और चीज की जगह ग्राहकों को सस्ते रिफाइंड से बना ‘सब्सिट्यूट’ परोस रही थी, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। महाराष्ट्र में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मैक्डोनाल्ड्स के लाइसेंस को रद्द कर दिया।


🚩टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बर्गर और नगेट्स में असली चीज की जगह पर नकली चीज का इस्तेमाल करने के मामले में एफडीए ने इंटरनेशनल फास्ट-फूड कंपनी मैक्डोनाल्ड्स को निशाने पर लिया, जिसके बाद कंपनी ने अहमदनगर के अपने आउटलेट में अब मीनू से चीज शब्द ही हटा दिया है। इस मामले में एफडीए ने अहमदनगर के केडगाँव ब्राँच पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी में नकली चीज का इस्तेमाल होते हुए मिला, जिसमें चीज की जगह पर उसके विकल्प (सब्सिट्यूट) का इस्तेमाल होता मिला।


🚩एफडीए के कमिश्नर अभिमन्यु काले ने बताया कि मैक्डोनाल्ड्स जो काम कर रहा है, उसका लोगों पर बुरा असर पड़ता है। क्योंकि लोग चीज समझकर जो कुछ भी खा रहे हैं, वो सस्ते रिफाइंड तेल से बनाया जाने वाला सब्सिट्यूट है। इसके इस्तेमाल से एलर्जी, शुगर जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को परेशानी हो सकती है। यही नहीं, मैक्डोनाल्ड्स ने अपने ‘चीज एनॉलॉग’ में भी चीज के सब्सिट्यूट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी, बल्कि वो ‘चीज नगेट्स’ ‘चीजी डिप’ और ‘चीज बर्गर’ बेच तो रही थी, लेकिन ये नहीं बता रही थी कि इसमें फर्जी चीज का इस्तेमाल किया जा रहा है।



🚩मैक्डोनाल्ड्स के खिलाफ हुई कार्रवाई की 


🚩इस जाँच की शुरुआत बीते साल अक्टूबर से हुई थी, जहाँ केडगाँव ब्रांड में कंपनी कम से कम 8 उत्पादों में चीज का इस्तेमाल करती है, लेकिन चीज की जगह वो उसके सब्सिट्यूट का इस्तेमाल करती है।


🚩उन्होंने बताया कि मैक्डोनाल्ड्स चीज़ी नगेट्स, मैकचीज़ वेज बर्गर, मैकचीज़ नॉन-वेज बर्गर, कॉर्न और चीज़बर्गर, चीज़ी इटालियन वेज और ब्लूबेरी चीज़केक में पनीर के इस्तेमाल की बात कहती है, जो कि झूठ है, क्योंकि कंपनी चीज का इस्तेमाल करती ही नहीं। ऐसे में एफडीए ने उस ब्राँच को नोटिस जारी किया था। इस मामले में मैक्डोनाल्ड्स ने जो जवाब दिया, वो संतोषजनक नहीं था। ऐसे में उस ब्राँच का लाइसेंस ही रद्द कर दिया गया।


🚩इस मामले के बाद एफडीए के कमिश्नर ने एक निर्देश जारी किया है, जिसमें सभी रेस्टोरेंट को ये बताना अनिवार्य होगा कि वो किस तरह से चीज की जगह उसका सब्सिट्यूट इस्तेमाल कर रहे हैं। यही नहीं, इस जानकारी में वसा और प्रोटीन से जुड़ी जानकारी भी देनी होगी।


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Tuesday, February 27, 2024

सिन्धु घाटी सभ्यता से भी पुरानी है द्वारिका नगरी, जानें इसका इतिहास

28 February 2024

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🚩विश्व के सबसे पुरातन धर्म सनातन में चार धाम और सात नगरों को सबसे पवित्र माना गया है। यह चार धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम हैं। वहीं सात नगरों की बात की जाए तो यह हैं- अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंति (उज्जैन की तत्कालीन मालवनी राजधानी) और द्वारावती (द्वारका नगरी)। इन धामों और नगरों का उल्लेख गरुड़पुराण के प्रेतखण्ड के 34वें और 56वें श्लोक में मिलता है। 


🚩स्कंदपुराण के काशीखंड में भी इन सभी सात नगरों का उल्लेख है। ये सात नगर और चारों धाम मोक्ष देने वाले कहे गए हैं। इन सब नगरों में सबसे पवित्र द्वारका धाम है। द्वारका का जिक्र सातों नगरों और चारों धाम, दोनों में है। द्वारका नगरी का अपना काफी गौरवशाली और रोचक इतिहास है।


🚩भगवान कृष्ण ने बसाई भारत की सबसे आधुनिक नगरी द्वारका


🚩द्वारका एक प्राचीन और पवित्र शहर के रूप में जाना जाता है। द्वारका का इतिहास गौरवशाली और रोचक है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो द्वारका प्राचीन भारत का सबसे उन्नत एवं आधुनिक नगर था। सबसे बड़ा आश्चर्य ये है उस समय समुद्र के बीचों बीच द्वारका कैसे बसाई गई होगी। हाल ही में समुद्र में भेजे गए अभियानों में समुद्र में डूबी स्वर्ण नगरी द्वारका के अवशेष मिले हैं।


🚩द्वारका नगरी का उल्लेख महाभारत के आसपास लिखे गए ग्रंथों में मिलता है। बताया जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मामा और मथुरा के अत्याचारी राजा कंस का वध किया, तब कंस के ससुर और तत्कालीन मगध नरेश जरासंध ने श्रीकृष्ण से बदला लेने के लिए यादवों पर लगातार हमले चालू कर दिए।


🚩ब्रजभूमि को लगातार होने वाले आक्रमणों से बचाने के लिए, भगवान श्रीकृष्ण ने एक नए स्थान पर बसने का निर्णय किया। इसके लिए उन्होंने सुराष्ट्र (आधुनिक सौराष्ट्र) में कुशस्थली इलाके को चुना। कुशस्थली आने से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने कुशादित्य, कर्णादित्य, सर्वादित्य और गृहादित्य नामक कई राक्षसों से युद्ध करके उनका विनाश कर दिया था और समुद्र तट पर द्वारका का निर्माण किया था।


🚩श्रीमद्भागवत के अनुसार, द्वारका का निर्माण करने से पहले, भगवान श्रीकृष्ण ने समुद्र से भूमि देने और पानी को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की विनती की। वरुण देव ने भगवान श्रीकृष्ण की कोमलता को पहचाना और समुद्र के ठीक बीच में एक बड़ा क्षेत्र दिया। इसके बाद विश्वकर्माजी ने द्वारका नगरी का निर्माण किया। 


🚩भगवान कृष्ण ने द्वारका नगरी की स्थापना की और इसे समृद्धि का मुख्य केंद्र बनाया। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएँ द्वारका नगरी में ही घटित हुईं, जैसे रुक्मणिहरण और विवाह, जाम्बवती, रोहिणी, सत्यभामा, कालिंदी, मिगविंदा, सत्या, नग्नजीति, सुशीलमाद्रि, लक्ष्मण, दत्त सुशल्या आदि। इसके अलावा अनिरुद्ध का विवाह, महाभारत युद्ध प्रबंधन भी यहीं से सम्बंधित है। इसके अलावा चीरहरण से द्रौपदी की रक्षा और शिशुपाल वध की गवाह द्वारका है।


🚩प्राचीन भारत की समृद्ध नगरी थी द्वारका

भगवान श्रीकृष्ण के समय में द्वारका की भौतिक समृद्धि सफलता के उच्चतम स्तर तक पहुँच चुकी थी। द्वारका प्राचीन भारत का सबसे उन्नत शहर बन गया था। विदेशी व्यापार से लेकर विज्ञान तक क्षेत्रों में प्राचीन द्वारका सबसे अग्रणी थी। भगवान कृष्ण के नेतृत्व में यदुवंश भी समृद्ध हो रहा था।


🚩प्राचीन भारत उस समय की बाक़ी दुनिया से कहीं आगे था और उसमें भी द्वारका शहरी उन्नति के सभी शिखरों को छू रही थी। इसका उदाहरण समुद्र के बीचोंबीच एक पूरा साम्राज्य खड़ा करना है और वो भी बिना आधुनिक मशीनरी के। यहाँ विशाल महल और मकान थे। उत्कृष्ट सड़क व्यवस्था थी और प्रकाश की भी व्यवस्था थी। तब भगवान श्रीकृष्ण के पास प्राचीन विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना थी। इसे नारायणी सेना के नाम से जाना जाता था। इस सेना के समक्ष बड़ी बड़ी सेनाएँ बिना लड़ें ही हार मान लेती थीं।


🚩हालाँकि, समय के साथ परिस्थितियाँ बदलने लगीं और भौतिक सुविधाओं में सुधार के कारण यदु वंश भोग-विलास में लिप्त होने लगा। द्वारका में एक साथ अनेक त्रासदियाँ घटित होने लगीं।इसी दौरान, यादवों ने पिंडतारण क्षेत्र में रहने वाले ऋषियों के लिए बाधाएँ खड़ी की। हालाँकि, ऋषियों ने यादवों को माफ कर दिया। यादवों ने उन ऋषियों की धार्मिक कार्यकलापों में बाधा डालना शुरू कर दिया। अंततः ऋषियों ने यादवों को श्राप दे दिया। यह यदुवंश को मिला पहला श्राप था।


🚩गांधारी का श्राप और द्वारका डूब गयी

ऋषियों द्वारा दिए गए श्राप का प्रभाव दिन प्रतिदिन प्रबल होता जा रहा था। इस बीच भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के महान युद्ध में भाग लिया। वह पांडव योद्धा अर्जुन के सारथी बनकर कुरूक्षेत्र में उतरे। जबकि उनकी नारायणी सेना कौरवों की तरफ से लड़ रही थी। 18 दिनों तक चले इस महान युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने कई अनुष्ठान किये। इस दौरान अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य ज्ञान मिला। दूसरी तरफ ऋषियों के श्राप के प्रकोप से पांडवों के हाथों नारायणी सेना नष्ट होने लगी। इस भीषण युद्ध में अंततः कौरवों की हार हुई।


🚩इस युद्ध में राजा धृतराष्ट्र के सभी 100 पुत्रों के मारे जाने का समाचार सुनकर पत्नी गांधारी अत्यंत दुखी हुईं और रोने लगी। उस समय पांडवों का हस्तिनापुर में राज्याभिषेक हो रहा था। सबसे बड़े पांडव भाई युधिष्ठिर पवित्र सेंगोल धारण कर राजगद्दी पर बैठने जा रहे थे। 


🚩इसी समय राजसभा में कौरवों की माता गांधारी आईं और उन्होंने युद्ध और अपने पुत्रों की मृत्यु के लिए भगवान कृष्ण को दोषी ठहराया और श्राप दिया, “जिस प्रकार पूरे कौरव वंश का नाश हो गया, उसी प्रकार यदु वंश का भी नाश होगा। यहाँ तक कि दुनिया की सबसे सुंदर नगरी द्वारका भी जल में डूब जाएगी”


🚩भगवान श्रीकृष्ण ने उनके श्राप को सहर्ष स्वीकार किया। हालाँकि, इसके बाद गांधारी को अपनी गलती का पता चला तो उन्होंने भगवान से क्षमा माँगी। उस समय भगवान श्री कृष्ण ने कहा, “तुम तो केवल निमित्त मात्र बनी हो। यदुवंश का विनाश निश्चित था। जो सभ्यता भोग-विलास में सोती है, वह निश्चित ही नष्ट हो जाएगी।”


🚩आखिर में ऐसा भी एक समय आया जब यदुवंशी आपस में ही लड़ने लगे और विद्रोह कर दिया। इसी बीच एक दिन भगवान श्रीकृष्ण प्रभास क्षेत्र के वन में विश्राम कर रहे थे। इसी दौरान एक शिकारी ने अचानक ने उन पर जानवर समझकर तीर चला दिया, जो भगवान के पैर के तलवे में लगा। जैसे-जैसे शिकारी करीब आया, उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और वह भगवान से क्षमा माँगने लगा। 


🚩इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, “जो कुछ होता है वह मेरी इच्छा से ही होता है।” इस प्रकार उन्होंने मानव शरीर को त्याग दिया। भगवान की लीला के समाप्त होते ही होते ही द्वारिका में भीषण सुनामी आई और वह बह गयी और यदुवंश का भी पतन हो गया। उस समय की भव्य एवं दिव्य स्वारका जलमग्न हो गयी। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण के महान साम्राज्य खत्म हुआ।बताया जाता है कि जब श्रीकृष्ण ने अपने शरीर का त्याग किया, तभी से कलयुग चालू हुआ।


🚩सिंधु घाटी सभ्यता से भी पुरानी द्वारका

द्वारका के गौरवशाली इतिहास को जानने के लिए कई इतिहासकारों ने काफी प्रयास किया है। इसमें जादुनाथ सरकार के साथ ही कई विदेशी इतिहासकार भी शामिल हैं। लेकिन अभी तक कोई भी इतिहासकार इसकी जड़ों तक नहीं पहुँच पाया है। समुद्र में कई अभियानों में प्राचीन द्वारका के खंडहरों के बारे में पता चला है। प्राचीन द्वारका के खंडहरों में खम्भे, पत्थर, बर्तन और भगवान श्रीकृष्ण के महल वाली पूरी दिव्य नगरी भी मिली है। इन सभी साक्ष्यों का परीक्षण किया गया है और पाया गया है कि ये आज से 5000 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।


🚩कई हिंदू धर्मग्रंथों में भी द्वारका के बारे में जानकारी दी गई है। इनमें द्वारका शब्द का अर्थ ‘स्वर्ग का द्वार’ बताया गया है। प्रसिद्ध इतिहासकार ए जे चावड़ा के अनुसार, भगवान कृष्ण का साम्राज्य सिंधु घाटी सभ्यता से भी पुराना है। सिंधु घाटी की आर्यन सभ्यता को विश्व के इतिहास में सबसे पुरानी सभ्यता के रूप में मान्यता प्राप्त है। लेकिन द्वारका नगरी के अवशेष भी 5 हजार वर्ष से भी अधिक प्राचीन हैं। सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 4,000 साल पहले सिंध क्षेत्र से भारत के विभिन्न राज्यों में फैल गई थी।


🚩इस बारे में एजे चावड़ा ने कहा कि जिसे हम सिंधु घाटी सभ्यता कहते हैं वह असल में द्वारका सभ्यता थी। इतिहासकारों को सिंधु घाटी सभ्यता की प्राचीन मूर्तियाँ मिलीं है। जो अनुमानतः 4000-4500 वर्ष पुरानी है। उन मूर्तियों में शिव-पार्वती की मूर्तियां और विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। ऐसे में यह स्पष्ट है कि सिंध में बसने वाली यह सभ्यता आर्य सभ्यता थी।


🚩वहीं एजे चावड़ा ने यह भी दावा किया है कि द्वारका आर्य सभ्यता का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। उन्होंने कहा कि लगभग 5500-6000 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारिका बसाई थी। उस समय उन्होंने आर्य सभ्यता की नींव रखी थी। वह द्वारका सभ्यता सौराष्ट्र, कच्छ, सिंध, गुजरात के कई क्षेत्रों, उत्तर भारत के क्षेत्रों और दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों तक फैली हुई थी।


🚩द्वारका थी भारत की सुनियोजित नगरी

कई इतिहासकारों के अनुसार वाराणसी भी द्वारका सभ्यता का हिस्सा था। वाराणसी को विश्व के सबसे प्राचीन शहर के रूप में जाना जाता है। विशेष बात यह है कि सिंधु घाटी सभ्यता के शहर जैसे कि मोहन-जो-दाड़ो, लोथल, हड़प्पा, धोलावीरा आदि विकसित और सुनियोजित शहर माने जाते थे। जिसमें मोहनजो-दाडो को सबसे अधिक विकसित शहर माना जाता था। उनकी नगर रचना बहुत अच्छी थी। 


🚩लेकिन द्वारका की नगर संरचना और मोहनजो-दाड़ो की नगर रचना एकसमान थी। कई मायनों में द्वारका नगरी मोहनजो-दाड़ो से भी अच्छी थी। फिर भी प्राचीन इतिहास में द्वारका को स्थान नहीं दिया गया है। विश्व की सबसे विकसित और सुनियोजित नगरी द्वारका को इतिहास में जगह न मिलने के पीछे कई कारण हो हैं। मुख्य कारणों में से एक यह है कि द्वारका का निर्माण हिंदू धर्म के भगवान श्रीकृष्ण ने किया था। जबकि मोहनजो-दाड़ो को किसने बसाया इसके बारे में कोई भी स्पष्ट ऐतिहासिक जानकारी नहीं है। स्त्रोत : ओप इंडिया 


🚩ब्रिटिश काल से लेकर भारत के स्वतंत्र होने के बाद तक इतिहास के क्षेत्र में वामपंथी इतिहासकारों का वर्चस्व रहा है। ऐसे में कई धार्मिक मंदिरों और कस्बों के बारे में देश के करोड़ों लोगों को जानकारी नहीं दी गई है। भारत के इतिहास में द्वारका का नाम न आने के पीछे एक कारण वामपंथी इतिहासकारों के प्रति हिंदू घृणा भी है। 


🚩एक धार्मिक स्थल के रूप में विख्यात द्वारका का इतिहास संभवतः 6000 वर्ष पुराना है। हाल ही में, भारत सरकार कई मिशनों और अभियानों के माध्यम से जलमग्न द्वारका को दुनिया के सामने पेश करने के लिए प्रयास कर रही है। इन प्रयासों से प्राचीन भारत की आधुनिक नगरी द्वारका का गौरवशाली एवं दिव्य इतिहास धीरे-धीरे सामने आ रहा है।


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रूह अफ़ज़ा बेचने वाली हमदर्द की धोखाधड़ी, लोगों की जिंदगी से कर रही हैं खिलवाड़

27 February 2024

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🚩जिस हमदर्द लैबोरेट्रीज की ‘रूह अफ़ज़ा’ को लोग बड़े चाव से पीते हैं, और उसके भारत- पाकिस्तान -बांग्लादेश समेत करोड़ों प्रशंसक हैं, वो रूह अफ़ज़ा बनाने वाली कंपनी हमदर्दी मक्कार और झूठी निकली। रिपोर्ट्स का दावा है कि हमदर्द लैबोरेट्रीज ने रूह अफ़ज़ा के नाम पर लोगों को केमिकल पिलाया है। वहीं, हमदर्द दावा करती है कि रूह अफ़ज़ा को बनाने में 36 तरह के फलों का इस्तेमाल होता है और 13 अन्य हर्बल पदार्थ मिलाए जाते हैं। रूह अफ़ज़ा को बनाने वाली हमदर्द लैबोरेट्रीज की चोरी पकड़ी गई है, तो उस पर जुर्माना भी लगाया गया है। उसके खेल को पकड़ने वाले अफसर को ही खरीदने की कोशिश की गई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।


🚩ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन (डीएससीसी) ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि हमदर्द झूठे दावे करके लोगों को बेवकूफ बना रही है और उनका मानसिक-भावनात्मक दोहन कर रही है। चूँकि हमदर्द लैबोरेट्रीज रूह अफ़ज़ा को ‘पौष्टिक पेय’ कहकर प्रचारित करता है और दावा करता है कि इसके सेवन से शरीर में पानी की कमीं नहीं होने पाती, क्योंकि इसमें 13 हर्बल दवाओं का मिश्रण और 36 तरह के फल-फूल का अर्क (जूस) मिला होता है।


🚩ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन ने कहा है कि कूलिंग ड्रिंक में बताई गई सामग्री मौजूद नहीं है। इसके अलावा रिपोर्ट में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि रूह अफ़ज़ा बड़ी संख्या में लोगों खासकर शुगर के मरीजों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है। दरअसल डीएससीसी ने बाजार से रूह अफ़ज़ा के सैंपल कलेक्ट किए थे, जिसकी जाँच के बाद ये तथ्य सामने आए हैं।


🚩वीकलीब्लिट्ज की रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश में हमदर्द के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ हकीम मुहम्मद यूसुफ हारून भुइयाँ ने रूह अफ़ज़ा के फर्जी विज्ञापन के लिए लिखित में माफी माँगी है। हमदर्द की ये माफी उन आरोपों के बीच सामने आई है, जब हमदर्द लैबोरेट्रीज (वक्फ) बांग्लादेश ने इस विवाद से लोगों का ध्यान खींचने के लिए ढाका में अधिकारिकों को रिश्वत देने की कोशिश की इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 20 फरवरी को बांग्लादेश के भ्रष्टाचार विरोधी आयोग (एंटी करप्शन कमीशन-एसीसी) और खाद्य निदेशालय (फूड डायरेक्टोरेट) में शिकायत दर्ज कराई है।


🚩बांग्लादेशी वेबसाइट कालबेला ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ढाका के अधिकारियों ने सैंपल की जाँच लैब में कराई। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2028 में ढाका सिटी कॉर्पोरेशन ने फर्जीवाड़ा मिलने के सबूत मिलने के बाद हमदर्द के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस मामले में हमदर्द के मैनेजिंग डायरेक्टर ने अपनी गलती मानी और 4 लाख का जुर्माना चुकाया।


🚩हालाँकि कंपनी ने इसके खिलाफ अपील दायर की, जिसके बाद अदालत ने जुर्माने की रकम जमा करने से छूट दे दी। इसके बाद नगर निगम ने 19 फरवरी को सेफ फूड अथॉरिटी को पत्र लिखा। हालाँकि हमदर्द ने अधिकारिकों को अपील करने से रोकने की कोशिश की और एक अदिकारी ने निगम के अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश की।


🚩कालबेला ने दावा किया है कि उसके पास एक वीडियो है, जिसमें हमदर्द के असिस्टेंट डायरेक्टर अली अहमद सिटी कॉर्पोरेशन के सेफ फूड इंस्पेक्टर मोहम्मद कमरूल हसन से उस अपील को आगे न बढ़ाने की अपील करते दिख रहे हैं। इसके लिए वो पैसे देने की बात भी कर रहे हैं। वीडियो में हमदर्द के अधिकारी को यह कहते हुए भी सुना जा सकता है, ‘रूह अफजा में जो है उससे कहीं ज्यादा हम कहते हैं।’ https://twitter.com/OpIndia_in/status/1760884690020667472?t=m3JH_FEdO01XoaJkXjc4Kw&s=19


🚩सिविक अधिकारी कमरुल हसन ने बांग्लादेशी अखबार को बताया कि हमदर्द शुरू से ही गलत काम करता रहा है। उन्होंने कहा कि एक अदालत में दोष स्वीकार करना और उस फैसले के खिलाफ दूसरी अदालत में अपील करना भी गलत और अनैतिक है। इस मामले में अब ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन के सीईओ ने भ्रष्टाचार निरोधक आयोग से कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है।


🚩इस कंपनी से सावधान रहें और अपने ही घर में नींबू शरबत आदि बनाकर पिए इससे निरोग रहेगें और पैसे की बचत होगी।


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Monday, February 26, 2024

केवल अलवर में ही हर महीने काट रहे थे 600 गाय, पुरे भारत में कितनी होगी गौहत्या ?

26 February 2024

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🚩मीडिया रिपोर्टों के अनुसार राजस्थान के अलवर के बीफ मंडी में हर महीने करीब 600 गाय काटी जाती थी। एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए करीब 50 गाँवों में गोमांस की होम डिलिवरी हो रही थी। करीब 300 दुकानों में भी गोमांस की सप्लाई होती थी।


🚩बीफ मंडी का खुलासा दैनिक भास्कर के पत्रकार राजकुमार जैन और राधेश्याम तिवारी ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए किया था। बताया था कि रोजाना 20 गाय काटकर होम डिलीवरी की जा रही है। इसमें पुलिस की मिलीभगत की बात भी कही गई थी। इस खुलासे के बाद जब पुलिस ने दबिश दी तो गोतस्कर फरार हो गए। उनके वाहनों को जब्त कर लिया गया है। घटनास्थल से कई गायों की खाल और हड्डियाँ बरामद हुई हैं।


🚩दैनिक भास्कर ने रविवार (18 फरवरी 2024) को अलवर के बास थाना क्षेत्र में चल रही इस बीफ मंडी का खुलासा किया था। खुलासे में ऐसे वीडियो सामने आए थे जिसमें बिरसंगपुर के पास रुंध गिदवडा के बीहड़ों में गायों को बेरहमी से मार कर उनकी खाल उतारी जा रही थी। व्हाट्सएप पर मांस के ऑर्डर लेकर घर तक सप्लाई की जाती थी। इस मंडी में सैकड़ों की तादाद में खरीदार भी आते थे। गोकशी की यह मंडी करीब 10 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है।


🚩रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि बीफ मंडी की जानकारी होने के बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। खुलासे के बाद भजनलाल सरकार ने संज्ञान लिया। जयपुर रेंज के IG उमेश चंद्र दत्त के नेतृत्व में बास इलाके के उन बीहड़ों में छापेमारी की गई, जहाँ गोकशी होने का दावा किया गया था। सूचना सही पाई गई। पुलिस को देख कर गोतस्कर अपने वाहन छोड़ फरार हो गए।


🚩कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि अलवर के 60 किलोमीटर के इलाके में कई जगहों पर बीफ बिरयानी बेची जा रही थी। गोतस्कर गायों का माँस, हड्डी और खाल बेच कर हर माह लगभग 4 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे थे।


🚩अब बीफ मंडी चलाने वालों को चिन्हित कर कर कार्रवाई की जा रही है। अब तक 25 आरोपितों को गोकशी की FIR में नामजद किया गया है। बीफ मंडी में मिली लगभग 1 दर्जन बाइकों सहित 1 पिकअप जीप को बरामद कर सीज कर दिया गया है।


🚩भारतीय इतिहास में गौहत्या को लेकर कई आंदोलन हुए हैं और कई आज भी जारी हैं। लेकिन अभी तक गौहत्या पर प्रतिबन्ध नहीं लग सका है। इसका सबसे बड़ा कारण राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी होना है। आप कल्पना कीजिये- हर रोज जब आप सोकर उठते हैं तब तक लाखों, हजारों गायों के गलों पर छूरी चल चुकी होती है। गौहत्या से सबसे बड़ा फ़ायदा तस्करों एवं गाय के चमड़े का कारोबार करने वालों को होता है। इनके दबाव के कारण ही सरकार गौहत्या पर प्रतिबन्ध लगाने से पीछे हट रही है। वरना जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता हो वहां सरकार गौहत्या रोकने में नाकाम है। आज हमारे देश की जनता ने नरेन्द्र मोदीजी की सरकार चुनी है। सेक्युलरवाद और अल्पसंख्यकवाद के नाम पर पिछले अनेक दशकों से बहुसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों का दमन होता आया है। उसीके प्रतिरोध में हिन्दू प्रजा ने संगठित होकर जात-पात से ऊपर उठकर एक सशक्त सरकार को चुना है। इसलिए यह इस सरकार का कर्त्तव्य बनता है कि वह बदले में हिन्दुओं की शताब्दियों से चली आ रही गौरक्षा की मांग को पूरा करे और गौहत्या पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाए।


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Saturday, February 24, 2024

सिकंदर लोदी संत रविदास को बनाना चाहता मुसलमान, पीर खुद बन गया हिन्दू

 25  February 2024

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🚩सिकंदर लोदी के शासनकाल की बात है । सदना पीर उन दिनों एक जाना-माना पीर था । सिकंदर लोदी के दरबार में भी उसकी प्रसिद्धि हो चुकी थी । परंतु हिन्दू समाज में संत रविदास की बहुत प्रतिष्ठा थी।


🚩एक दिन सदना पीर ने सोचा कि ‘आजकल रविदास का बड़ा नाम हो रहा है… मीराबाई जैसी रानी भी इनको मानती हैैै । मैं इनको समझाऊँ कि काफिरों की परंपरा छोड़ दें और कुरानशरीफ पढ़ें, कलमा पढ़ें । यदि ये मान गये तो सिकंदर लोदी से इनका बहुमान करा दूँगा । फिर इनको माननेवाले हजारों हिन्दू मुसलमान बन जायेंगे, जिससे हमारी जमात बढ़ जायेगी ।’


🚩ऐसा सोचकर वह संत रविदास के पास गया और बोला : ‘‘आप काफिरों की तरह यह क्या बुतपरस्ती (मूर्तिपूजा) करते हैं ? पत्थर की मूर्ति के आगे बैठकर ‘राम-राम’ रटते रहते हैं ? आप हमारे साथ चलिये, कुरानशरीफ पढ़कर उसका फायदा उठाइये । हम आपको सुलतान से पीर की पदवी दिलवायेंगे ।’’

सदना पीर ने हिन्दू धर्म की निन्दा में कुछ और भी बातें कहीं । जब वह कह चुका तब रविदासजी ने कहा : ‘‘मैंने तेरी सारी बातें सुनीं, सदना पीर ! अगर तेरे में साधुताई है, पीरपना है तो तुझे मेरी बात सुननी ही चाहिए ।


🚩किसी व्यक्ति, किसी पीर-पैगंंबर या ईश्वर के बेटे द्वारा बनाया हुआ धर्म, धर्म नहीं एक संप्रदाय है । किंतु सनातन धर्म कोई संप्रदाय नहीं है । इसमें सभी मनुष्यों की भलाई के सिवाय कोई बात नहीं है ।


🚩खुदा कलाम कुरान बताओ, फिर क्यों जीव मारकर खाओ? खुदा नाम बलिदान चढ़ाओ, सो अल्लाह को दोष लगाओ ?दिनभर रोजा नमाज गुजारें, संध्या समय पुनः मुर्गी मारें ?भक्ति करे फिर खून बहावे, पामर किस विधि दोष मिटावे ?


🚩जिसमें जीव हिंसा लिखी, वह नहीं खुदा कलाम ।

दया करे सब जीव पर, सो ही अहले इसलाम ।।

आप कहते हैं कि ‘हिन्दू बुतपरस्ती करते हैं, मूर्तिपूजक हैं, मूर्ख हैं । खुदाताला निराकार है ।’ तो भाई ! सुन लो :


🚩निराकार तुम खुदा बताओ, कुरान खुदा का कलाम ठहराओ । कलाम कहै तो बनै साकारा, फिर कहाँ रहा खुदा निराकारा ? कलमा को खुदाताला के वचन कहते हो तो ये वचन तो साकार के हैं । निराकार क्या बोलेगा ?’’

सदना पीर व रविदास के बीच इस्लाम धर्म और सनातन धर्म की चर्चा लम्बे समय तक होती रही । सदना पीर की समझ में रविदास की बात आ गयी कि जीते-जी मुक्ति और अपना आत्मा-परमात्मा ही सार है । जिस सार को मंसूर समझ गये, उन्हें अनलहक की अनुभूति हुई, वही सनातन धर्म सर्वोपरि सत्य है ।


🚩संत रविदास की रहस्यमयी बातें सुनकर सदना पीर को सद्बुद्धि प्राप्त हुई । सदना पीर ने कहा : ‘‘मरने के बाद कोई हमारी खुशामद करेगा और बाद में हमें मुक्ति मिलेगी, यह हम मान बैठे थे । हम सदा मुक्तात्मा हैं, इस बात का हमें पता ही नहीं था । अब आप हमें सनातन धर्म की दीक्षा दीजिये ।’’उसने संत रविदास से दीक्षा ली और उसका नाम रखा गया – रामदास ।


🚩सिकंदर लोदी को जब इस बात का पता चला तो उसने संत रविदास को बुलवाकर पहले तो खूब डाँटा, फिर प्रलोभन देते हुए कहा : ‘‘अभी भी रामदास को फिर से सदना पीर बना दो तो हम आपको ‘रविदास पीर’ की ऊँची पदवी दे देंगे । सदना पीर आपका चेला और आप उनके गुरु । मेरे दरबार में आप दोनों का सम्मान होगा और हम आपको मुख्य पीर का दर्जा देंगे ।’’


🚩‘‘मुख्य पीर का दर्जा तुम दोगे तो हमें तो तुम्हारी आधीनता स्वीकारनी पड़ेगी । जो सारे विश्व को बना-बनाके, नचा-नचाके मिटा देता है उस परमेश्वर से तुम्हारा प्रताप ज्यादा मानना पड़ेगा तो यह मुक्ति हुई कि गुलामी ? सुन ले भैया !


🚩वेद धर्म है पूरन धर्मा, वेद अतिरिक्त और सब भर्मा ।

वेद धर्म की सच्ची रीता, और सब धर्म कपोल प्रतीता ।।

वेदवाक्य उत्तम धरम, निर्मल वाका ज्ञान ।

यह सच्चा मत छोड़कर, मैं क्यों पढ़ूँ कुरान ?


🚩और धर्म तो पीर-पैगंबरों ने बनाये हैं लेकिन वैदिक धर्म सनातन है । ऐसा धर्म छोड़कर मैं तुम्हारी खुशामद क्यों करूँगा ?


🚩तुम मुझे मुसलमान बनाना चाहते हो लेकिन मैं मनुष्य का बनाया हुआ मुसलमान क्यों बनूँ ? ईश्वर द्वारा बनाया हुआ मैं जन्मजात सनातन हिन्दू हूँ । ईश्वर के बनाये पद को छोड़कर मैं इंसान के बनाये पद पर क्यों गिरूँ ? नश्वर के लिए शाश्वत को क्यों छोड़ूँ ?


🚩श्रुति शास्त्र स्मृति गाई, प्राण जायँ पुनि धर्म न जाई ।

कुरान बहिश्त न चाहिए, मुझको हूर हजार ।।

वेद धर्म त्यागूँ नहीं, जो गल चलै कटार ।

वेद धर्म है पूरण धर्मा, करि कल्याण मिटावै भर्मा ।।

सत्य सनातन वेद हैं, ज्ञान धर्म मर्याद ।

जो ना जाने वेद को, वृथा करै बकवाद ।।

तुम चाहो तो मेरा सिर कटवा दो, पत्थर बाँधकर मुझे यमुनाजी में फिंकवा दो । ऐसा करोगे तो यह शरीर मरेगा लेकिन मेरा आत्मा-परमात्मा तो अमर है ।’’


🚩यह सुन सिकंदर लोदी आगबबूला होकर बोलाः ‘‘हद हो गयी, फकीर ! अब आखिरी निर्णय कर । या तो गला कटवाकर तेरा कीमा बनवा दूँ या तो मुसलमान बन जा तो पूजवा दूँ । सिकंदर तेरे भाग्य का विधाता है ।’’


🚩‘‘मैंने तुम्हारी बातें सुनीं, अब तुम मेरी बात भी सुनो : तुम्हारी धमकियों से मैं डरने वाला नहीं हूँ ।


🚩मैं नहीं दब्बू बाल गँवारा, गंगत्याग महूँ ताल किनारा ।।

प्राण तजूँ पर धर्म न देऊँ । तुमसे शाह सत्य कह देऊँ ।।

चोटी शिखा कबहुँ नहीं त्यागूँ । वस्त्र समान देह भल त्यागूँ ।।

कंठ कृपाण का करौ प्रहारा । चाहै डुबावो सिंधु मंझारा ।।

तुम भले मुझे गंगा में डलवा दो या पत्थर बाँधकर तालाब में फिंकवा दो ।’’

‘‘इतना बेपरवाह ! इतना निर्भीक ! तू मौत को बुला रहा है ? सिपाहियो ! इसके पैरों में जंजीरें और हाथों में हथकड़ियाँ डालकर इसे कैदखाने में ले जाओ । इसका कीमा बनवायें या जल में डुबवायें, इसका निर्णय बाद में करेंगे ।’’


🚩रविदासजी को कैद किया गया पर उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी । वे तो हरिनाम जपते रहे, अपने अमर आत्मा के भाव में मस्त रहे और सब कुछ प्रभु के भरोसे छोड़ते हुए बोले : ‘प्रभु ! यदि तेरी यही मर्जी है तो तेरी मर्जी पूरण हो ।’ शरीर तो उनका कैदखाने में है लेकिन मन है प्रभु में !भगवान ने सोचा कि ‘जिसने मेरी मर्जी में अपनी मर्जी को मिला दिया है, उसको अगर सिकंदर लोदी कुछ कष्ट पहुँचायेगा तो सृष्टि के नियम में गड़बड़ हो जायेगी ।’


🚩सिकंदर लोदी सुबह-सुबह नमाज पढ़ने गया तो उसने देखा कि सामने रविदास खड़े हैं । वह बोला : ‘ऐ काफिर ! तू यहाँ कहाँ से आ गया ?’ उसने मुड़कर देखा तो रविदास ! दो-दो रूप ! फिर तीसरी ओर देखा तो वहाँ भी रविदास ! जिस भी दिशा में देखता, रविदास-ही-रविदास दिखायी देते । वह घबरा गया ।


🚩उसने आदेश दिया : ‘‘सिपाहियों ! संत रविदास को बाइज्जत ले आओ ।’’

संत रविदास की जंजीरें खोल दी गयीं । सिकंदर उनके चरणों में गिरकर, गिड़गिड़ाकर माफी माँगने लगा : ‘‘ऐ फकीर !* *गुस्ताखी माफ करो । अल्लाह ने आपको बचाने के लिए अनेकों रूप ले लिये थे । मैं आपको नहीं पहचान पाया, मैंने बड़ी गलती की । आप मुझे बख्श दें ।’’

संत रविदास : ‘‘कोई बात नहीं, भैया ! ईश्वर की ऐसी ही मर्जी होगी ।’’


🚩जिसने जंजीरों में जकड़कर कैदखाने में डाल दिया, उसी के प्रति महापुरुष के हृदय से आशीर्वाद निकल पड़े कि ‘भगवान तुम्हारा भला करे ।’

कैसे हैं सनातन हिन्दू धर्म के संत।

(स्त्रोत: संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से )


🚩आज जो राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा राजनीति फायदा के लिए जो नये नेता उभर रहे हैं और दलितों के मसीहा बोलते हैं और संत रविदास के नाम लेकर दलितों को हिन्दू धर्म से दूर कर रहे हैं उनको संत रविदास की आत्मा धिक्कार दे रही होगी, संत रविदास जी की आत्मा बोल रही होगी कि हमने तो सनातन हिन्दू धर्म को बचाने के लिए अनेक यातनाएं सही लेकिन हिन्दू धर्म का त्याग नहीं किया लेकिन आज कुछ नेता अपने फायदे के लिए जो हिन्दू धर्म में बंटवारा करके देश के टुकड़े करना चाहते हैं उनको तो नर्क में भी जगा नही मिल पायेंगी।


🚩दलित समाज से विनती है कि आप किसी भी नेता के बहकावे न आएँ । महान संत रविदास जी के मार्ग पर चलकर अपना कल्याण करें और देश व सनातन धर्म की अखंडता बनाये रखें यही बड़ी सेवा है ।


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Friday, February 23, 2024

ब्रिटेन के स्कूलों में मोबाइल फोन पर लगेगा बैन, सरकार ला रही सख्त कानून

23 February 2024

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🚩ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने स्कूलों में मोबाइल फोन पर रोक लगाने जा रही है। यूके सरकार ने इंग्लैंड के सभी स्कूलों को स्कूल के घंटों के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर बैन लागू करने की सलाह देते हुए कड़े नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।


🚩नए दिशानिर्देश के मुताबिक, स्कूल के प्रिंसिपल इन कानून के जरिए पूरी तरह से बैन लगाए बिना स्कूलों के अंदर फोन के उपयोग को सीमित करने की आजादी देते हैं। सरकार के सुझाए गए तरीकों में स्कूल के भीतर फोन पर पूर्ण प्रतिबंध, स्कूल के घंटों के दौरान फोन जमा करना या फोन रखने के लिए खास लॉकर बनाना शामिल है।


🚩शिक्षा विभाग (DfE) ने स्कूलों में मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल, जैसे साइबरबुलिंग, पढ़ाई में रुकावट और सीखने के समय का नुकसान पर चिंताएं उठाई हैं। यूनाइटेड किंगडम के अलावा कई अन्य यूरोपीय देश जैसे फ्रांस, इटली और पुर्तगाल में भी स्कूलों में मोबाइल फोन को बैन कर दिया है।


🚩ऑफकॉम के आंकड़ों के मुताबिक 97 फीसदी बच्चों के पास 12 साल की उम्र तक मोबाइल फोन होता है। यूके के शिक्षा सचिव गिलियन कीगन ने बीबीसी बताया, "आप सीखने, संबंध विकसित करने, साथियों और शिक्षकों के साथ बातचीत करने के लिए स्कूल जाते हैं न कि लगातार अपने फोन पर स्क्रॉल करने के लिए।"


🚩एक तरफ जहां एसोसिएशन ऑफ स्कूल एंड कॉलेज लीडर्स के नेता इसे एक गैर-मौजूद समस्या का गैर जरूरी समाधान बताते हैं, वहीं कुछ शिक्षकों ने इसका स्वागत किया है। एसेक्स के पासमोर्स अकादमी के प्रधानाध्यापक विक गोडार्ड ने कहा, "स्कूल सभी छात्रों के फायदे के लिए इस नीति में बदलाव करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।"


🚩युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य और विकास पर सोशल मीडिया के प्रभाव पर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर छात्रों के फोन के इस्तेमाल को बैन करने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह करने वाले माता-पिता, वकीलों और डिजिटल सेफ्टी ग्रुप्स की बढ़ती कॉल के बीच ये निर्देश आए हैं।


🚩यूके सरकार का तर्क है कि फोन के उपयोग को प्रतिबंधित करने से एकाग्रता, शारीरिक गतिविधि और एक दूसरे के बीच बातचीत बढ़ सकती है। कई माता-पिताओं ने हाल ही में टेक कंपनियों और स्कूलों से 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्मार्टफोन की रीच को सीमित करने का अनुरोध किया, जिसे बाल आयुक्त राचेल डी सूजा ने जोरदार समर्थन दिया।


🚩हालांकि, सरकार स्पेशलाइज्ड अंडर-16 मोबाइल फोन को आगे नहीं बढ़ाएगी, प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई। सुनक ने एक प्रेस ब्रीफिंग में टिप्पणी की, "ऑनलाइन युवाओं की सुरक्षा करना हमेशा हमारी प्राथमिकता होगी। मेरी सरकार टेक कंपनियों के साथ बात रही है और बच्चों के लिए नुकसानदायक सामग्री तक पहुंच को प्रतिबंधित करने वाले सभी तरीकों पर विचार कर रही है।"


 🚩मोबाइल फोन से होने खतरें 


🚩मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इतना ही नहीं यह आपको कई तरह की बीमारियों को शि‍कार बना सकता है। जानिए इसके अधि‍क प्रयोग से होती है कौन से नुकसान - 

 

🚩1 मोबाइल फोन के रेडिएशन से उत्पन्न खतरों में सबसे बड़ा खतरा है कैंसर। अगर आप अपने मोबाइल फोन को पूरा दिन अपनी जेब में या शरीर से चिकाकर रखते हैं तो संबंधि‍त स्थान पर ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है और आप आसानी से कैंसर के शि‍कार हो सकते हैं।

 

🚩2 रात के समय मोबाइल फोन को शरीर से सटाकर या सीने पर रखकर सोने की आदत है तो यह आदत आपके लिए बेहद खतरनाक ही नहीं जानलेवा भी हो सकती है। इसके अलावा इसके रेडिएशन का प्रभाव आपके मस्तिष्क पर भी नकारात्मक पड़ता है।

 

🚩3 ज्यादातर पुरुषों में आदत होती है कि वे अपना मोबाइल फोन बेल्ट के पास बने पॉकेट में रखते हैं। पूरा दिन मोबाइल फोन को इस तरह से रखना आपके लिए बेहद हानिकारक है। मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों का प्रभाव आपकी हड्डियों पर भी पड़ता है और उनमें मौजूद मि‍नरल लिक्विड समाप्त हो सकता है।

 

🚩4 पुरुषों में कमर के पास मोबाइल फोन को रखना और भी खतरनाक हो सकता है। दरअसल मोबाइल के रेडिएशन का नकारात्मक प्रभाव शुक्राणुओं में कमी के रूप में भी देखा जा सकता है।

 

🚩5 वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के एक शोध के अनुसार मोबाइल फोन का अत्यधि‍क इस्तेमाल मस्तिष्क के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। इसके विकिरणों के प्रभाव के चलते ब्रेन में ट्यूमर हो सकता है।

 

🙏🏻6 मोबाइल फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों से आपका डीएनए तक क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसके अलावा इसका अधि‍क इस्तेमाल आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है।

 

🚩7 तनाव और डि‍प्रेशन के कारणों में एक प्रमुख कारण मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन के खतरनाक प्रभाव भी हैं। यह आपके दिमाग की कोशि‍काओं को संकुचित करती हैं, जिससे ब्रेन में ऑक्सीजन की सही मात्रा नहीं पहुंच पाती। 

 

🚩8 गर्भवती महलाओं द्वारा मोबाइल फोन का अधि‍क इस्तेमाल, गर्भस्थ शि‍शु को प्रभावित कर सकता है। इससे शि‍शु के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है जिससे उसका विकास प्रभावित होता है।

 

🚩9 मोबाइल फोन के हानिकारक विकिरण न केवल कैंसर जैसी बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि यह डाइबिटीज और हृदय रोगों की संभावनाओं को भी कई गुना बढ़ा देती हैं। 

 

🚩10 मोबाइल फोन का जरूरी और सीमि‍त इस्तेमाल ही इलेक्ट्रोमेगनेटि‍क विकिरणों के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है। इसके अलावा इसे अपने शरीर से सटाकर न रखते हुए, पर्स में या फिर अन्य स्थान पर रखना ज्यादा सही होगा।


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Thursday, February 22, 2024

कर्नाटक में हिंदू मंदिरों से कर वसूलने का बिल हुआ पास

23  February 2024

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🚩कर्नाटक सरकार ने हाल में ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ पारित किया है। यह विधेयक सरकार को अधिकार देता है कि वह मंदिरों से टैक्स वसूल सकें।


🚩इस बिल के अनुसार अगर किसी हिंदू मंदिर का राजस्व 1 करोड़ है तो सरकार उनसे 10 फीसद टैक्स ले सकती है और जिनका राजस्व 1 करोड़ से कम है लेकिन 10 लाख रुपए से ज्यादा है तो उनसे सरकार 5 प्रतिशत कर ले सकती है।


🚩बताया जा रहा है कि इस बिल में ये भी कहा गया है कि एक निगमित निकाय के मामले में सदस्यों को हिंदू और अन्य धर्मों दोनों से नियुक्त किया जा सकता है।


🚩इस विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश के भाजपा नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने कहा कि कॉन्ग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियाँ अपनाकर अपना खाली खजाना भरना चाहती है।


🚩उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि कॉन्ग्रेस सरकार राज्य में लगातार हिंदू विरोधी नीतियाँ अपना रही है। अब उसकी हिंदू मंदिरों के राजस्व पर टेढ़ी नजर है। सरकार ने अपने खाली खजाने को भरने के लिए हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक पारित किया है। सरकार हिंदू मंदिरों से धन जुटाकर अपने दूसरे उद्देश्य पूरा करेगी।

https://twitter.com/BYVijayendra/status/1760332970232303660?t=NjbbNlFe_SYWGzaRvWM-4g&s=19


🚩विजयेंद्र ने कहा कि सरकार 1 करोड़ से अधिक कमाई वाले मंदिरों से आय का 10% टैक्स लेगी। भक्तों द्वारा भगवान को चढ़ाए गए धन का इस्तेमाल मंदिर और भक्तों की सुविधा के लिए होना चाहिए। यदि इसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए आवंटित किया जाता है, तो यह लोगों के साथ हिंसा और धोखाधड़ी होगी। येदियुरप्पा ने आश्चर्य जताया कि कर्नाटक सरकार केवल हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बना रही है। अन्य धर्मों को क्यों नहीं?


🚩स्वतंत्र भारत में केवल हिन्दू समुदाय है जिसे अपने धार्मिक-शैक्षिक-सांस्कृतिक संस्थान चलाने का वह अधिकार नहीं, जो अन्यों को है। यह अन्याय हिन्दू समुदाय को अपने धर्म और धार्मिक संस्थाओं का, अपने धन से अपने धार्मिक कार्यों, विश्वासों का प्रचार-प्रसार करने से वंचित करता है। उलटे, हिन्दुओं द्वारा श्रद्धापूर्वक चढ़ाए गए धन का हिन्दू धर्म के शत्रु मतवादों को मदद करने में दुरुपयोग करता है। यह हमारी राज्यसत्ता द्वारा और न्यायपालिका के सहयोग से होता रहा है– इस अन्याय को कौन खत्म करेगा?



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Wednesday, February 21, 2024

मौलवी मोहम्मद छात्राओं से करवाता था मालिश और शिक्षिका से किया रेप

22  February 2024

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🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी ने कई बार बताया है, कि अधिकतर मीडिया को ईसाई मिशनरियों की वेटिकन सिटी और मुस्लिम देश जैसे अरब, दुबई आदि से फंडिग होती है, जिससे वे हिन्दू संस्कृति तोड़ने के लिए हिन्दुओं के आस्था स्वरूप हिन्दू साधु-संतों के प्रति भारत की जनता के मन में नफरत पैदा करने का काम करते हैं । वे हिन्दुओं के मन में ये डालने का प्रयास करते हैं कि आपके धर्मगुरु तो अपराधी हैं। आप हिन्दू धर्म छोड़कर हमारे धर्म में आ जाओ । ये उनकी थ्योरी है, जबकि वे मौलवी और ईसाई पादरियों के कुकर्म नहीं बताते ।


 🚩आज वही बात आई है, मौलवी पकड़ा गया पर कोई खबर नही जबकि कोई हिंदू साधु संत पर झूठा केस भी लग जाता है , तो अब तक मीडिया वाले गला फाड़कर चिल्लाते दिखते।


🚩बिहार के पूर्णिया जिले में एक मदरसा टीचर पर छात्राओं के साथ छेड़खानी और सहकर्मी महिला शिक्षिका से रेप का आरोप लगा है। आरोपित टीचर का नाम मोहम्मद तहसीन है। तहसीन पर कड़ी कार्रवाई की माँग को ले कर ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया है। मोहम्मद तहसीन मदरसे में बने एक कमरे में छात्राओं को ले जा कर मालिश भी करवाता था। इन आरोपों के उलट मदरसे के हेड मौलवी मोहम्मद तहसीन की हिमायत कर रहे हैं। हालाँकि, तहसीन और हेड मौलवी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं।


🚩‘न्यूज़ 18’ के मुताबिक, मामला पूर्णिया के श्रीखंड प्रखंड का है। यहाँ के रहीकपुर में मदरसा मिफ्ताऊल ऊलूम है जहाँ मोहम्मद तहसीन सहायक शिक्षक के तौर पर काम करता है। अब इस मदरसे की महिला रसोइया और गाँव के दर्जनों निवासियों ने तहसीन के खिलाफ कार्रवाई की आवाज बुलंद की है। ग्रामीणों का आरोप है कि मोहम्मद तहसीन का मदरसे में ही पढ़ाने वाली एक महिला शिक्षिका के साथ गलत संबंध है। तहसीन के किसी आपत्तिजनक वीडियो के भी वायरल होने का दावा किया जा रहा है।


🚩ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि मदरसे में बड़ी उम्र की लड़कियाँ पढ़ने जाती हैं। पढ़ाई के दौरान ही सहायक टीचर मोहम्मद तहसीन उन लड़कियों को मदरसे के ऊपर बने कमरे में ले जाता है और वहाँ उनसे मालिश करवाता है। कई ग्रामीण इसकी शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी, मदरसा बोर्ड और मदरसे के हेड मौलवी तक को कर चुके हैं। शिकायत में उन्होंने मोहम्मद तहसीन को फ़ौरन हटाने और कानूनी कार्रवाई की माँग उठाई है।


🚩गाँव के मरकूब आलम के मुताबिक, तहसीन की छात्राओं से गलत हरकत की 4-5 बार शिकायतें मिल चुकी हैं। उनका कहना है कि मोहम्मद तहसीन की हरकतों से पढ़ाई का माहौल बिगड़ रहा है और अगर हालत न सुधरे तो लड़कियाँ पढ़ने ही आना बंद कर देंगी


🚩बिकाऊ मीडिया का एक ही लक्ष्य रहता है, ईसाई धर्मगुरु हो या मुस्लिम धर्मगुरु उनके ऊपर कोई आरोप लगता है अथवा अपराध सिद्ध भी हो जाये तो उसको इस तरीके से दिखाएंगे की जैसे कोई हिन्दू साधु-संत है क्योंकि उनका उद्देश्य है हिन्दू संस्कृति के स्तम्भ साधु-संतों को बदनाम करके हिन्दू धर्म को नीचा दिखाना और कुछ भोले हिन्दू उनकी बातों में आ जाते हैं । बिकाऊ मीडिया की बात को सच मानकर अपने धर्मगुरुओं को गलत बोलने लग जाते हैं।


 🚩मुस्लिमपरस्ती में कुछ मीडिया वाले इस कदर मदमस्त हैं कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया तो ये पूरा गिरोह चटपट येन-केन प्रकारेण दर्शकों/पाठकों के सामने मामले को ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाएगा कि समुदाय विशेष का अपराध भी ढक जाए और कोई निरपराध समुदाय या व्यक्ति खास तौर पर हिन्दू धर्म प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए। इसलिए बिकाऊ मीडिया से सावधान रहें।


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Tuesday, February 20, 2024

महासमाधी लेने वाले कौन हैं जैन धर्मगुरु आचार्य विद्यासागर जी महाराज ?

21 February 2024

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 🚩जैन मुनि विद्यासागर जी महाराज जैन धर्म के प्रमुख गुरु थे, उन्होंने शनिवार की रात करीब 2:30 बजे छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़-राजनंदगाँव में अपना देह त्याग दिया। रविवार (18 फरवरी 2024) को उनका अंतिम संस्कार पूरा हो गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में आचार्य पद का त्याग करने के बाद 3 दिन का उपवास और मौन धारण कर लिया था।


🚩मुनि जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक के बेलगाँव जिले के सदलगा गाँव में हुआ था। दीक्षा के पहले भी उनका नाम विद्यासागर ही था। उन्होंने 22 साल की उम्र में घर-परिवार छोड़ दी थी। इसके बाद 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर में अपने गुरु आचार्य श्रीज्ञानसागर जी महाराज से दीक्षा ली थी। दीक्षा के बाद उन्होंने कठोर तपस्या की।


🚩मुनि जी दिन भर में सिर्फ एक बार एक अंजुली पानी पीते थे। वे खाने में सीमित मात्रा में सादी दाल और रोटी लेते थे। उन्होंने आजीवन नमक, चीनी, फल, हरी सब्जियाँ, दूध, दही, सूखे मेव, अंग्रेजी दवाई, तेल, चटाई का त्याग किया। इसके अलावा उन्होंने थूकने का भी त्याग रखा। उन्होंने आजीवन सांसारिक एवं भौतिक पदार्थों का त्याग कर दिया। वे हर मौसम में बिना चादर, गद्दे, तकिए के शख्त तख्त पर सिर्फ एक करवट में शयन करते थे।


🚩मुनि जी ने पैदल ही पूरे देश में भ्रमण किया। उनकी तपस्या को देखते हुए श्रीज्ञानसागर जी महाराज ने 22 नवम्बर 1972 को उन्हें आचार्य पद सौंपा था। आचार्य विद्यासागर के पिता का नाम श्री मल्लप्पा था, जो बाद में संन्यास लेकर मुनि मल्लिसागर बने। उनकी माता का नाम श्रीमंती था, जो आगे चलकर संन्यास ले लीं और आर्यिका समयमति बनीं। मुनि उत्कृष्ट सागर जी दिवंगत विद्यासागर जी के बड़े भाई हैं।


🚩वहीं, उनके भाई अनंतनाथ और शांतिनाथ ने भी आचार्य विद्यासागर जी से दीक्षा ग्रहण कर लिया है। शांतिनाथ जी अब मुनि योगसागर जी हैं और शांतिनाथ जी अब मुनि समयसागर जी के नाम से जाने जाते हैं। आचार्य विद्यासागर के चार भाई और दो बहने भी थीं। विद्यासागर जी महाराज पूरे भारत के संभवत: ऐसे अकेले आचार्य रहे, जिनका पूरा परिवार संन्यास ले चुका है।


🚩आचार्य जी संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, मराठी और कन्नड़ में पारंगत थे। उन्होंने जैन धर्म एवं दर्शन का गहन अध्ययन किया। उन्होंने हिन्दी और संस्कृत में कई ग्रंथ लिखे हैं। 100 से अधिक शोधार्थियों ने उनके कार्य पर PhD किया है। उनके कार्यों में निरंजना शतक, भावना शतक, परीषह जाया शतक, सुनीति शतक और शरमाना शतक शामिल हैं। उन्होंने काव्य मूकमाटी की भी रचना की है। इसे कई संस्थानों में स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।


🚩वे कभी भी और कहीं भी यात्रा के लिए निकल पड़ते थे। इसके लिए उन्होंने पहले से योजना नहीं बनाई। वे अक्सर नदी, झील, पहाड़ जैसे प्राकृतिक जगहों पर ठहरते और वहाँ साधना करते थे। यहीं, आचार्य विद्यासागर महाराज अकेले ऐसे मुनि हैं, जिन्होंने संभवत: पूरे भारत में अकेले सबसे अधिक दीक्षा दी है। उन्होंने 350 से अधिक लोगों को दीक्षा दी है।


🚩आचार्य विद्यासागर जी धन संचय करने के खिलाफ थे। उन्होंने दान-दक्षिणा में भी कभी किसी से पैसे नहीं लिए। उन्होंने आज तक ना ही कोई बैंक अकाउंट खुलवाया और ना ही कोई ट्रस्ट भी नहीं बनाया। लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि आचार्य ने पैसे को कभी हाथ भी नहीं लगाया। उनके नाम पर यदि कोई दान देता भी था तो उसे वे समाज सेवा के लिए दे देते थे।


🚩आचार्यश्री ने भारत के पिछड़े बुन्देलखण्ड क्षेत्र में शिक्षा एवं सामाजिक कल्याण हेतु कई कार्यों को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से इन सूखे इलाके में स्कूलों, अस्पतालों और सामुदायिक केंद्रों की स्थापना हुई। इसके कारण वहाँ के अनगिनत व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आया।


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Monday, February 19, 2024

वसंत ऋतु शुरू हो गई है, सालभर निरोग रहना है तो इतना जरुर करें ......

20  February 2024

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🚩प्रत्येक मनुष्य के जीवन में इन तीन बातों की अत्यधिक आवश्यकता होती है – स्वस्थ जीवन, सुखी जीवन तथा सम्मानित जीवन। सुख का आधार स्वास्थ्य है तथा सुखी जीवन ही सम्मान के योग्य है।


🚩उत्तम स्वास्थ्य का आधार है यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्वक व्यवस्थित जीवन। बाह्य चकाचौंध की ओर अधिक आकर्षित होकर हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं इसलिए हमारा शरीर रोगों का घर बनता जा रहा है।


🚩‘चरक संहिता’ में कहा गया हैः

आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।

परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान हित सेवने।।

'इस संसार में सुखी जीवन की इच्छा रखने वाले बुद्धिमान व्यक्ति आहार-विहार, आचार और चेष्टाएँ हितकारक रखने का प्रयत्न करें।'


🚩वसंत ऋतु में क्या करें?

वसंत ऋतु 19 फरवरी 19 अप्रैल तक है वसंत ऋतु में कफ को कुपित करने वाले पौष्टिक और गरिष्ठ पदार्थों की मात्रा धीरे-धीरे कम करते हुए गर्मी बढ़ते हुए ही बन्द कर के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिए। चरक के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिये। चरक के अनुसार इस ऋतु में भारी, चिकनाईवाले, खट्टे और मीठे पदार्थों का सेवन व दिन में सोना वर्जित है। इस ऋतु में कटु, तिक्त, कषारस-प्रधान द्रव्यों का सेवन करना हितकारी है। 

वसंत ऋतु में 15-20 नीम की नई कोंपलें चबा-चबाकर खायें। इस प्रयोग से वर्षभर चर्मरोग, रक्तविकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा करने की प्रतिरोधक शक्ति पैदा होती है।


🚩यदि वसन्त ऋतु में आहार-विहार के उचित पालन पर पूरा ध्यान दिया जाय और बदपरहेजी न की जाये तो वर्त्तमान काल में स्वास्थ्य की रक्षा होती है। साथ ही ग्रीष्म व वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य की रक्षा करने की सुविधा हो जाती है। प्रत्येक ऋतु में स्वास्थ्य की दृष्टि से यदि आहार का महत्व है तो विहार भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।


🚩इस ऋतु में उबटन लगाना, तेलमालिश, धूप का सेवन, हल्के गर्म पानी से स्नान, योगासन व हल्का व्यायाम करना चाहिए। देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने से मल सूखता है, आँख व चेहरे की कान्ति क्षीण होती है अतः इस ऋतु में देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोना स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद है। हरड़े के चूर्ण का नियमित सेवन करने वाले इस ऋतु में थोड़े से शहद में यह चूर्ण मिलाकर चाटें।


🚩इस ऋतु में कड़वे नीम के फूलों का रस 7 से 15 दिन तक पीने से त्वचा के रोग एवं मलेरिया जैसे ज्वर से भी बचाव होता है।


🚩धार्मिक ग्रंथों के वर्णनानुसार चैत्र मास के दौरान 'अलौने व्रत' (बिना नमक के व्रत) करने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है एवं त्वचा के रोग, हृदय के रोग, उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी.), गुर्दा (किडनी) आदि के रोग नहीं होते। स्त्रोत : आरोग्य निधि साहित्य


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Sunday, February 18, 2024

धर्म परिवर्तन के पीछे इटली की संस्था, राजस्थान के कई गाँव में चल रहे सेंटर

19 February 2024

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🚩राजस्थान के भरतपुर में 20 हजार लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा चुका है। धर्म परिवर्तन के लिए पार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता। इन प्रार्थना सभाओं में आने वालों को राशन दिया जाता। छोटी-मोटी बीमारियों को दूर किया जाता। वहाँ पहुँचने वाले लोगों की अन्य आर्थिक परेशानियाँ भी दूर की जाती। गरीबों के खाते में हजारों-लाखों की मदद भेज दी जाती। और फिर छोटी-छोटी प्रार्थना सभाओं से शुरू होकर ये खेल बड़े-बड़े फार्म हाउसों, रिजॉर्ट, होटलों तक जाता, जहाँ सामूहिक धर्म परिवर्तन कराया जाता। अब इस पूरे मामले से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं, उसमें न सिर्फ विदेशी एंगल सामने आ रहा है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला सामने आ सकता है। वैसे, इसकी जाँच शुरू हो गई है, जिसके लिए एसआईटी बनाई गई है।


🚩राजस्थान के भरतपुर में जिस ईसाई धर्मांतरण के जाल का खुलासा हुआ है, उसे चंडीगढ़ में बैठा बजिंदर सिंह चला रहा था। वो लोगों के खातों में सीधे पैसे भेजता था। भरतपुर में उसके लिए काम करने वाले अजय सिंह और उसका पूरा परिवार इसी काम में लगा हुआ है। अजय सिंह मूलत: रूपवास के श्रीनगर का रहने वाला है, लेकिन धर्मांतरण के खेल को चलाने के लिए वो पीपला गाँव में बस गया। यहीं पर उसके घर पर सप्ताह में दो दिन सत्संग यानी ईसाई प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है। यही नहीं, पीपला गाँव में एक महिला भी अपने घर में प्रार्थना सभाएँ चलाती हैं। ये सारा खुलासा हुआ, भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट में…


🚩इस रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने बताया है कि लोगों को धर्म परिवर्तन कराने पर दो लाख रुपए से लेकर पाँच लाख रुपए तक दिए जाते हैं। पूर्व सरपंच तूहीराम ने बताया कि उन्होंने अजय सिंह को पहले भी धर्मांतरण से जुड़े काम को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन वो नहीं माना। अजय सिंह के बारे में बताया जा रहा है कि वो खुद अब पादरी बन चुका है और उसके पास से पुलिस को इसका सर्टिफिकेट तक मिला है।


🚩धर्मांतरण का इटली कनेक्शन

भरतपुर में चल रहे ईसाई मिशनरी के खेल में लभाना मिनिस्ट्री का नाम सामने आ रहा है, जिसके द्वारा जारी किए गए धर्मांतरण के सर्टिफिकेट भी मिले हैं। लभाना मिनिस्ट्री इटली की संस्था है। वो ईसाईयों की संख्या को बढ़ाने के पीछे लगी है, जिसमें मूल काम लोगों को तमाम तरह के प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराना होता है। ऐसे धर्मांतरण सेंटर सिर्फ पीपला गाँव में ही नहीं, बल्कि भरतपुर के कंजोली, गुँडवा, बझेरा, नोंह बहामदी, बहनेरा, रुपवास, गघीना और बयाना जैसी जगहों पर भी चल रहे हैं।



🚩भरतपुर में धर्मांतरण के काम को कंपनी के जरिए फंडिंग

भरतपुर में धर्मांतरण के खेल में मौके से गिरफ्तार किए गए दो लोग कुँवर सिंह और शैलेंद्र सिंह का नाम एलएमएन कंपनी से जुड़ रहा है। ये कंपनी ऐसे कार्यक्रमों के लिए फंडिंग करती थी। ये कंपनी लोगों को बाइबिल भी गिफ्ट करती है। भरतपुर में पकड़े गए कुँवर सिंह को चंडीगढ़ से प्रोफेट बजिंदर सिंह हर महीने 1 लाख रुपए बैंक खाते में भेजा करता था। इससे वो छोटे-मोटे काम खुद के खर्च पर ही कर लेता था।


🚩भरतपुर जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि धर्म परिवर्तन के दो मामले सामने आए हैं। एक मामला निजी होटल में सामने आया, जहाँ कार्यक्रम के दौरान लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हुए और दूसरे धर्म का अपमान किया जा रहा था। दूसरा मामला एक गाँव में सामने आया है। हमने मामले की जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया है।


🚩पादरी बजिंदर मुख्य अभियुक्त, या खेल बड़ा?

बता दें कि राजस्थान के भरतपुर स्थित एक होटल में रविवार (11 फरवरी, 2024) को ईसाई मिशनरी धर्मांतरण का भंडाफोड़ हुआ था। उस कार्यक्रम में 350 से 500 लोग शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में चंडीगढ़ से पादरी बजिंदर सिंह को लाइव जुड़ा हुआ था, जो लोगों का धर्मांतरण करवा रहा था। कार्यक्रम में दावे किए गए कि वो मरे हुए बच्चे तक को ज़िंदा कर सकता है और कैंसर जैसी भयंकर बीमारी का भी इलाज कर सकता है। कार्यक्रम के आयोजकों कुँवर सिंह और शैलेन्द्र सिंह को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।


🚩बजिंदर सिंह खुद को प्रोफेट कहता है। उसके कई ऐसे वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं, जहाँ वो चमत्कारी दावे करता है और अजीबोगरीब हरकतें करवाता है। गिरफ्तार दोनों आरोपित कह रहे हैं कि वो तो सिर्फ माध्यम हैं। बजिंदर सिंह चंडीगढ़ से ही लोगों का लाइव धर्मांतरण करा रहा था। माइक और स्पीकर समेत 5 एलईडी की व्यवस्था कार्यक्रम स्थल पर की गई थी। दोनों आरोपित 2020 से ही बजिंदर सिंह से जुड़े हुए थे। अकेले भरतपुर में 20,000 से अधिक लोगों का वो धर्मांतरण करा चुका है। वकील संदीप सिंह ने इस आयोजन को लेकर खुलासा किया, जो दोस्त की शादी के लिए मैरिज हॉल बुक करने ‘सोनार हवेली’ पहुँचे थे। वहाँ करीब 400 लोग मौजूद थे। 15 लोग मंच पर थे। येशु की कसम दिला कर धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था।


🚩महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। आप कहते थे "यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है।



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Saturday, February 17, 2024

भारत के ही सन्देशखाली में हिंदुओं पर अत्याचार सुनकर आप भी रो पड़ेंगे

18 February 2024*

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🚩आप गृहस्थ हैं,रात के नौ बजे, घर का दरवाजा ज़ोर से पीटने की आवाज़ से आप आतंकित हो जाते हैं... जब दरवाज़ा टूटने की नौबत आ जाती है तो मजबूर होकर आप दरवाज़ा खोल खोलते हैं.... कई TMC के टोपीवाले कारकुन आपके 4 थप्पड़ मार के कहते हैं कि तेरी बड़ी बेटी कहाँ हैं.... आप कांप उठते हैं.... कारकुन अंदर नहीं घुसता ,सिर्फ ऑर्डर सुनाता है कि " अमुक जगह पर अपनी बेटी और अपनी पत्नी को खुद लेकर आ जाना.... सुबह तेरी बीवी और बेटी को वापस कर दिया जाएगा .... वरना मौत के लिए तैयार रह "....


 🚩आप खुद अपनी बेटी और बीवी को 'अमुक जगह' पर छोड़ कर आते हैं.... सुबह आपकी बीवी लूटी-पिटी मुँह छिपाए वापस आ जाती हैं.... लेकिन बेटी कई दिन बाद वापस आएगी क्योकि कुछ दरिंदों की हवस की प्यास अभी शांत नहीं हुई ! आप पुलिस के पास जाते है...एक पार्टी के दफ्तर में नाक रगड़ते हैं...मगर कोई आपकी नहीं सुनता... वहां सनातनी बेटी जो अधिकतर दलित सनातनी हिंदू हैं....इस कृत्य को झेलने के लिए अभिशप्त हैं ! कोई सुनने वाला नहीं,केंद्र भी नहीं....

          " मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है,

           क्या मेरे हक में फैसला देगा "....


 🚩 सन्देशखाली... वह जगह है जो सुंदरबन और 24 परगना के नज़दीक है .... एक बांग्लादेशी शख्स खुल्लमखुल्ला घोषणा करता है कि वह बांग्लादेशी है, मगर चुनाव जीत जाता है ...अब तो भारत की सीनियर मिनिस्टर स्मृति ईरानी बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके उसका नाम शेख शाहजहाँ बताती हैं.... शेख शाहजहाँ को गिरफ्तार करने ID जाती है तो IG सहित पूरी ID टीम की भयंकर पिटाई होती है.... 


 🚩 ज़ुल्म की इंतेहा देखिये...  उधर बलात्कार की शिकायत लेकर गए... 111 पीड़ितों पर ही FIR दर्ज हो जाती है !


 🚩गूगल पर संदेशखाली टाइप कीजिये... यूट्यूब पर यह नाम डालिये....आंखें गीली न हो जाएं तो कहिएगा !! इस क्षेत्र के हिंदुओं को अपने रीति रिवाज, त्योहार, शादी-ब्याह भी इन्ही कादर भाई, शेख शाहजहाँ  जैसों से अनुमति लेकर मनाने पड़ते हैं.... यह सब कुछ अपने भारत मे हो रहा है.... 


 🚩किस्सा कितना दर्दनाक है... इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि कराची में भी बिल्कुल हिन्दू स्त्रियों के साथ यही सब कुछ होता है....लगातार होता है.... वहां भी अत्याचारी उसी मज़हब के हैं... महिलाएं भी भील और अनुसूचित जाति की हैं... मुसलसल बलात्कारों से उत्पन्न बच्चों को भी इन्ही स्त्रियों और इनके निरीह पतियों को पालना पड़ता है ! अक्सर स्त्रियों को पता ही नहीं होता कि नवागंतुक बच्चे का पिता कौन है .... किसने कल्पना की थी कि कथित आज़ादी के बाद यह सब भारत के कथित 'बहुसंख्यकों' की स्त्रियों के साथ भी होगा..... । - Source facebook


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Friday, February 16, 2024

क्या आप इतने महान क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फड़के के बारे में जानते हैं ?

17 February 2024*

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🚩अगर बात करे भारतीय स्वतंत्रता की क्रांति और उन क्रांतिकारियों की जिनकी वजह से देश को आजादी मिली तो इतिहास की रेत में शायद हज़ारों नाम दबे मिले। पर हम सिर्फ कुछ नामों से ही रु-ब-रु हुए हैं। वैसे तो भारत माँ के इन सभी सपूतों के बारे में जानकारी सहेजने की कोशिश जारी है ताकि आने वाली हर पीढ़ी इनके बलिदान को जान-समझ सके।

ऐसा ही एक महान क्रांतिकारी और भारत माँ का सच्चा बेटा था वासुदेव बलवंत फड़के! फड़के ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का संगठन करने वाले भारत के प्रथम क्रान्तिकारी थे। उनका जन्म 4 नवंबर, 1845 को महाराष्ट्र के रायगड जिले के शिरढोणे गांव में हुआ था।


🚩साल 1857 की क्रांति की विफलता के बाद एक बार फिर भारतीयों में संघर्ष की चिंगारी फड़के ने ही जलाई थी।


🚩वासुदेव बलवन्त फड़के बचपन से ही बड़े तेजस्वी और बहादुर बालक थे। उन्हें वनों और पर्वतों में घूमने का बड़ा शौक़ था। कल्याण और पुणे में उनकी शिक्षा पूरी हुई। फड़के के पिता चाहते थे कि वह एक व्यापारी की दुकान पर दस रुपए मासिक वेतन की नौकरी कर लें। लेकिन फड़के ने यह बात नहीं मानी और मुम्बई आ गए।


🚩उन्होंने 15 साल पुणे के मिलिट्री एकाउंट्स डिपार्टमेंट में नौकरी की। इस सबके दौरान फड़के लगातार अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के सम्पर्क में रहे। उन पर खास प्रभाव महादेव गोविन्द रानाडे का था। फड़के के मन में पहले ही ब्रिटिश राज के खिलाफ बग़ावत के बीज पड़ चुके थे।


🚩ऐसे में एक और घटना हुई और इस घटना ने फड़के के पुरे जीवन को ही बदल दिया। साल 1871 में, एक शाम उनकी माँ की तबियत खराब होने का तार उनको मिला। इसमें लिखा था कि ‘वासु’ (वासुदेव बलवन्त फड़के) तुम शीघ्र ही घर आ जाओ, नहीं तो माँ के दर्शन भी शायद न हो सकेंगे।


🚩इस तार को पढ़कर वे विचलित हो गये और अपने अंग्रेज़ अधिकारी के पास अवकाश का प्रार्थना-पत्र देने के लिए गए। किन्तु अंग्रेज़ तो भारतीयों को अपमानित करने के लिए तैयार रहते थे। उस अंग्रेज़ अधिकारी ने उन्हें छुट्टी नहीं दी, लेकिन फड़के दूसरे दिन अपने गांव चले आए।

पर गांव जाकर देखा कि माँ तो अपने प्यारे वासु को देखे बिना ही इस दुनिया को छोड़ गयीं। इस बात का उनके मन पर बहुत आघात हुआ और उन्होंने तभी वह अंग्रेजी नौकरी छोड़ दी।


🚩देश में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर उन्होंने भी ब्रिटिश राज के खिलाफ जंग की तैयारी शुरू कर दी। उन्हें देशी राज्यों से कोई सहायता नहीं मिली तो फड़के ने शिवाजी का मार्ग अपनाकर आदिवासियों की सेना संगठित करने की कोशिश शुरू की।


🚩साल 1879 में उन्होंने अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह की घोषणा कर दी। उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में घूम-घूमकर नवयुवकों से विचार-विमर्श किया, और उन्हें संगठित करने का प्रयास किया।  महाराष्ट्र की कोळी, भील तथा धांगड जातियों को एकत्र कर उन्होने ‘रामोशी’ नाम का क्रान्तिकारी संगठन खड़ा किया। अपने इस मुक्ति संग्राम के लिए धन एकत्र करने के लिए उन्होने धनी अंग्रेज साहुकारों को लूटा।


🚩महाराष्ट्र के सात ज़िलों में वासुदेव फड़के की सेना का ज़बर्दस्त प्रभाव फैल चुका था। जिससे अंग्रेज़ अफ़सर डर गए थे। इस कारण एक दिन बातचीत करने के लिए वे विश्राम बाग़ में इकट्ठा हुए। वहाँ पर एक सरकारी भवन में बैठक चल रही थी।


🚩13 मई, 1879 को रात 12 बजे वासुदेव बलवन्त फड़के अपने साथियों सहित वहाँ आ गए। अंग्रेज़ अफ़सरों को मारा तथा भवन को आग लगा दी। उसके बाद अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें ज़िन्दा या मुर्दा पकड़ने पर पचास हज़ार रुपए का इनाम घोषित किया। किन्तु दूसरे ही दिन मुम्बई नगर में वासुदेव के हस्ताक्षर से इश्तहार लगा दिए गए कि जो अंग्रेज़ अफ़सर ‘रिचर्ड’ का सिर काटकर लाएगा, उसे 75 हज़ार रुपए का इनाम दिया जाएगा। अंग्रेज़ अफ़सर इससे और भी बौखला गए।


🚩फड़के की सेना और अंग्रेजी सेना में कई बार मुठभेड़ हुई, पर उन्होंने अंग्रेजी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। लेकिन फड़के की सेना का गोला-बारूद धीरे-धीरे खत्म होने लगा। ऐसे में उन्होंने कुछ समय शांत रहने में ही समझदारी मानी और वे पुणे के पास के आदिवासी इलाकों में छिप गये।


🚩20 जुलाई, 1879 को फड़के बीमारी की हालत में एक मंदिर में आराम कर रहे थे। पर किसी ने उनके यहाँ होने की खबर ब्रिटिश अफसर को दे दी। और उसी समय उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गयी।


🚩लेकिन एक बहुत ही विख्यात वकील महादेव आप्टे ने उनकी पैरवी की। जिसके बाद उनकी मौत की सजा को कालापानी की सजा में बदल दिया गया और उन्हें अंडमान की जेल में भेजा गया। 17 फरवरी, 1883 को कालापानी की सजा काटते हुए जेल के अंदर ही देश का यह वीर सपूत बलिदान हो गया।


🚩साल 1984 में भारतीय डाक सेवा ने उनके सम्मान में एक पोस्टल स्टैम्प भी जारी की। दक्षिण मुंबई में उनकी एक मूर्ति की स्थापना भी की गयी।

देश के इस महान क्रांतिकारी को कोटि-कोटि नमन!


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Thursday, February 15, 2024

राजस्थान में 20 हजार हिंदुओं को ईसाई बनाया : 8 गिरफ्तार

16 February 2024

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🚩राजस्थान के भरतपुर स्थित एक होटल में रविवार (11 फरवरी, 2024) को ईसाई मिशनरी धर्मांतरण का कार्यक्रम चला रहे थे। इस कार्यक्रम में चंडीगढ़ से पादरी बजिंदर सिंह को लाइव जुड़ा हुआ था, जो लोगों का धर्मांतरण करवा रहा था। कार्यक्रम में दावे किए गए कि वो मरे हुए बच्चे तक को ज़िंदा कर सकता है और कैंसर जैसी भयंकर बीमारी का भी इलाज कर सकता है। कार्यक्रम के आयोजकों कुँवर सिंह और शैलेन्द्र सिंह को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। राजस्थान में 20,000 लोगों का ईसाई धर्मांतरण कराया जा चुका है।


🚩बजिंदर सिंह खुद को प्रोफेट कहता है। उसके कई ऐसे वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं, जहाँ वो चमत्कारी दावे करता है और अजीबोगरीब हरकतें करवाता है। गिरफ्तार दोनों आरोपित कह रहे हैं कि वो तो सिर्फ माध्यम हैं। बजिंदर सिंह चंडीगढ़ से ही लोगों का लाइव धर्मांतरण करा रहा था। माइक और स्पीकर समेत 5 LED की व्यवस्था कार्यक्रम स्थल पर की गई थी। दोनों आरोपित 2020 से ही बजिंदर सिंह से जुड़े हुए थे। अकेले भरतपुर में 20,000 से अधिक लोगों का वो धर्मांतरण करा चुका है।


🚩आयोजनों के लिए वो पैसे भी ऑनलाइन भेजता है। जहाँ कुँवर सिंह भरतपुर का ही निवासी है, शैलेन्द्र सिंह उत्तर प्रदेश के फरीदाबाद का रहने वाला है। 8 अन्य की भी गिरफ़्तारी हुई है। इनके पास से आयोजन का सामान और भड़काऊ पुस्तकें भी मिली हैं। वकील संदीप सिंह ने इस आयोजन को लेकर खुलासा किया, जो दोस्त की शादी के लिए मैरिज हॉल बुक करने ‘सोनार हवेली’ पहुँचे थे। वहाँ करीब 400 लोग मौजूद थे। 15 लोग मंच पर थे। येशु की कसम दिला कर धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था।


🚩वहाँ मौजूद लोगों को ईसाई मजहब के फायदे गिनाए जा रहे थे और बोतल में कुछ मिला कर पिलाया जा रहा था। इतना ही नहीं, कुँवर सिंह के साथ-साथ सिद्धार्थ गौतम नामक शख्स मंच से हिन्दू देवी-देवताओं को भी गाली दे रहा था। बच्चियों के हाथों में बाइबिल दिए जा रहे थे। संदीप गुप्ता ने जब टोका और रिकॉर्डिंग करने लगे तो उनके साथ धक्का-मुक्की की गई। इलाज के नाम पर पीड़ितों को वहाँ बुलाया गया था। 352 किताबें जब्त की गई हैं। गरीबों को रुपए का लालच भी दिया गया था, उनके खाने-पीने की व्यवस्था की गई थी।


🚩पादरी बजिंदर सिंह “मेरा यशु यशु” वाले वीडियो से वायरल हुआ था। पादरी बजिंदर सिंह को जीरकपुर पुलिस ने उसी की फॉलोअर युवती से रेप करने के आरोप में दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। 2017 में एक लड़की ने जालंधर के चर्च के पादरी बजिंदर पर आरोप लगाया था कि उसने विदेश भेजने के नाम पर उससे रेप किया और वीडियो भी बनाई। बजिंदर के यूट्यूब पर कई ऐसे वीडियो हैं, जिसमें वह सलमान खान से लेकर कई बड़े सितारों की भविष्यवाणी करने का दावा कर रहा है। सूट-बूट और सिक्योरिटी में रहने वाला बजिंदर सिंह अपने भाषणों के दौरान सुंदर लड़कियों पर नजर रखता था। स्त्रोत: ओप इंडिया 


🚩गांधीजी कहते थे…

“हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा, रीति रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।”


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Wednesday, February 14, 2024

आशाराम बापू के एक फैसले से देशवासियों के अरबों रुपए बच गए, आत्महत्या रुकी

14 February 2024

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🚩आज जहाँ एक ओर वैलेंटाइन डे का प्रभाव अंधाधुंध बढ़ता आ रहा है तथा इसके कुप्रभाव व दुष्परिणाम समाज के सामने प्रत्यक्ष हो रहे हैं जैसे कि एड्स, नपुसंकता, दौर्बल्य, छोटी उम्र में ही गर्भाधान (Teenage Pregnency), ऑपरेशन,बाँझपन,आदि गुप्त बिमारियों का सामना समाज को करना पड़ रहा है ।


🚩वेलेंटाइन डे मनाने से समाज में युवावर्ग का चारित्रिक पतन तथा विदेशी कंपनियों के गिफ्ट, गर्भनिरोधक सामग्री के पैसे अरबो-खरबो रूपये जाते देखकर और वृद्धाश्रमों की माँग बढ़ते देख हिन्दू संत आशारामजी बापू ने 2006 से एक अनूठी मुहिम की तरफ युवावर्ग को आकर्षित किया। जो है “मातृ पितृ पूजन दिवस” इसके कारण युवाओं का नैतिक, चारित्रिक पतन और विदेश में जाते अरबों रुपए और माता-पिता का अनादर करके वृद्धाश्रम भेजने आदि इन सभी पर रुकावट आई।


🚩वेलेंटाइन डे का कुप्रभाव व मातृ-पितृ पूजन का सकारात्मक परिणाम देखकर देश- विदेश की सभी सम्मानीय एवं प्रतिष्ठित हस्तियों ने स्वागत किया और देश-विदेश में 2006 से 14 फरवरी को ‘वेलेंटाइन डे’ की जगह मातृ पितृ पूजन दिवस मनाना शुरू किया गया।


🚩जब इस विषय को लेकर सोशल साइट पर देखा गया तो देखने को मिला कि बापू आसारामजी के अनुयायियों ने 2 महीने पहले से ही 14 फरवरी “मातृ पितृ पूजन दिवस” निमित्त देश-विदेश में 14 फरवरी मातृ-पितृ पूजन निमित्त कार्यक्रम शुरू कर दिए थे।


🚩मातृ-पितृ पूजन को लेकर लगातार 15 दिन से Twitter, Facebook, Instagram, google, Whatsapp आदि पर भी उनके अनुयायी बहुत सक्रिय रहे । सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड लेवल तक बड़े जोरशोर से ParentsWorshipDay मनाया गया।


🚩इस कार्यक्रम को विश्वभर में जैसे कि अमेरिका, दुबई, सऊदी अरब, केनेडा, पाकिस्तान, बर्मा, नेपाल, इटली, लन्दन, ऑस्ट्रेलिया आदि कई देशों में स्कूल, कॉलेज, जाहिर स्थल, वृद्धाश्रम, समाज सेवी संस्थाओं, घर, परिवार, मोहल्ले आदि में जगह-जगह पर उनके अनुयाई तथा समाज सेवी संस्थाओं ने “मातृ पितृ पूजन दिवस” मनाया गया ।


🚩🚩माता-पिता अपने बच्चों सहित अपने-अपने क्षेत्रों में जहाँ-जहाँ ये कार्यक्रम आयोजित किये गए वहाँ वहाँ बड़ी संख्या में पधारे और एक नये उत्साह, एक नए जीवन, नये संस्कारों, एक नयी दिव्य अनुभूति और एक अनोखे हर्ष-उल्लास के साथ सबके मुखमंडल प्रफुल्लित दिखे ।


🚩सच में जिन्होंने भी वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया, अपने माता-पिता की पूजा की, अपनी दिव्य संस्कृति को अपनाया उनके जीवन में बहुत अच्छा देखने को जरूर मिला ।


🚩कुछ पाश्चात्य संस्कृति (VALENTINE DAY) मनाने वाले मनचले लोग तर्क-कुतर्क करने लगे कि माता-पिता की पूजा एक ही दिन क्यों ? उन्हें जवाब इस तरह का है कि क्या आपने अपने जीवन में दिल से कभी अपने माता-पिता की पूजा की भी है या नहीं ? जरा ईमानदारी से अपने दिल पर हाथ रखकर तो कहना ।


🚩और अगर सच्चे ह्रदय से माँ-बाप की पूजा होती तो क्या आप वैलेंटाइन-डे के इस कचरे को अपनाते ???


🚩आज के कल्चर में वैलेंटाइन डे मनाने वाले आगे जाकर लड़के-लड़कियों के चक्कर में क्या-क्या कर बैठते हैं ये दुनिया जानती है । फिर समाज में और घर-परिवार में मुँह दिखाने लायक नहीं रहते । फिर या तो घर से भाग जाते हैं या तो आत्महत्या के विचार कर बैठते हैं और इसको अंजाम देते हैं ।


🚩कुछ समय पूर्व ही कई अखबारों में पढ़ने को मिला कि जवान लड़के-लड़कियाँ नदी में कूदकर अथवा ट्रेन से कूदकर जान दे बैठे। क्या यही है आज का VELANTINEDAY….???


🚩अनादिकाल से भारत के महान संत ही समाज की रक्षा करते आये हैं । समाज को संवारने का दैवीकार्य महान ब्रह्मवेत्ता तत्वज्ञ संतों द्वारा ही होता आया है और जब-जब समाज कुकर्म और पाप की गहरी खाई में गर्क होने लगता है, अधर्म बढ़ने लगता है तो किसी न किसी महापुरुष को परमात्मा (ईश्वर) धरती पर प्रकटाते हैं या स्वयं भगवान् धरती पर अवतार लेते हैं और इस दिशाहीन समाज को एक नयी दिशा देकर, समाज को सुसंस्कारित कर, समाज में धर्म की स्थापना करते हैं जैसा कि भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है।


🚩परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ||


🚩महापुरुषों की गाथा सुज्ञ समाज अनंत काल तक गाता रहता है । ऐसे ही कई महापुरुष जैसे संत कबीर, गुरु नानक जी, संत तुलसीदास जी, संत लीलाशाह जी महाराज, संत तुकाराम जी, संत ज्ञानेश्वर जी, स्वामी विवेकानंद जी, स्वामी अखंडानन्द जी आदि महान सन्तों का यश आज भी जीवित है ।


🚩करोड़ो-अरबों लोग धरती पर जन्म लेते हैं और यूँ ही मर जाते हैं पर संतों का नाम,आदर,पूजन व यश सभी के हृदयों में अंकित है ।


ऐसे ही संत आज इस धरा पर हैं लेकिन बहिर्मुख व कृतघ्न समाज को दिखता कहाँ है! कहाँ पहचान पाते हैं उन महान संतों को!!


🚩गुरुनानक जैसे महान संतों को जेल में डलवा दिया जाता है । दो बार तो गुरुनानक जी को भी जेल जाना पड़ा । संत कबीरजी जैसों को वेश्याओं द्वारा बदनाम करवाया जाता है । भगवान बुद्ध पर दुष्कर्म का आरोप लगाया गया लेकिन उनकी पूजा आज भी होती है क्योंकि “धर्म की जय और अधर्म का नाश” ये प्राकृतिक सिद्धांत है ।


🚩आज समाज को एक अद्भुत प्यारा सा पर्व देकर हिन्दू संत आसारामजी बापू ने सभी के दिलों में राज किया है । सबको प्रेम दिया है । सभी को सन्मार्ग पर ले चलने का अद्भुत महान कार्य किया है । कई समाज के बुद्धिजीवी तो हिन्दू संत आसारामजी बापू के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन भारत में ही विदेशी षड़यंत्र द्वारा ( क्रिश्चयन मिशनरीज, विदेशी कंपनियों के मुआवजे से ) उन्हें जेल भिजवा दिया गया, मीडिया द्वारा बदनाम करवाया गया और सुज्ञ समाज देखता रह गया ।


🚩गौरतलब है कि संत आसारामजी बापू 11 साल से जोधपुर जेल में बन्द है लेकिन उनके करोड़ो भक्त अभी तक उनसे जुड़े हैं ।


🚩क्या ये उन महान संत की निर्दोषता का प्रमाण नहीं..?? क्या किसी बलात्कारी के पीछे करोड़ों का जन-समूह हो सकता है..???

है जो वंदनीय और पूजनीय वो, दिन अपने कारावास में बिताते हैं ।

सत्कार्यों का मिला कटुफल, उसको भी हंसकर सहते जाते हैं ।।


🚩आज का मानव बिना चमत्कार के किसी को नमस्कार नहीं करता वहीं इनके करोड़ों अनुयायी आज भी इनके लिए पलकें बिछाये बैठे हैं ।


🚩बिना सत्य के बल के कोई करोड़ों के जनसमूह को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता इतना तो हर समझदार इंसान समझ सकता है ।


🚩लेकिन कई मूर्ख लोग मीडिया की बातों में आकर अपने ही संतों पर लांछन लगाने से पीछे नहीं हटते..!!


🚩अगर मीडिया इतनी ही निष्पक्ष है तो क्यों संत आसारामजी बापू द्वारा किये गए और किये जा रहे अनेकों समाजसेवा के कार्यों को क्यों छुपा रही है ???


🚩हर सिक्के के दो पहलू होते हैं मीडिया ने कहा बापू रेपिस्ट आपने मान लिया पर कभी आपने ये जानने का प्रयास किया कि उन पर रेप का आरोप ही नही है, छेड़छाड़ का केवल आरोप है और उनके खिलाफ कितने षड्यंत्र हुए और उसका खुलासा हुआ है वे आपको नही पता होगा। उनके द्वारा हुए और हो रहे समाज उत्थान के सेवाकार्यों को दृष्टिगोचर किया जा रहा है ।


🚩हमारे देश में एक ओर 87 वर्षीय वरिष्ठ संत बापू आसारामजी को जमानत का भी अधिकार नहीं दूसरी ओर ऐसे ही कई केस हमारे सामने हैं जिनमें सबूत मिलने पर भी वो मजे से जमानत पर बाहर घूम रहे हैं ।


🚩पिछले 11 सालों में नेता,अभिनेता, पत्रकार, यहां तक कि आतंकवादियों तक को बेल मिल चुकी है पर संत आशाराम बापू को 11 सालों में 1 दिन की भी बेल नही मिली है बापूजी के साथ ही इतना घोर अन्याय क्यों???

क्या हिन्दू संत होना ही गुनाह है या हिन्दू संस्कृति उत्थानार्थ कार्य करना गुनाह है??


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वेलेंटाइन डे का आ गया इतिहास, अब सरकार और जनता करेगी मातृ पितृ पूजन

14  February 2024

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🚩भारत में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं कि वेलेंटाइन डे की शुरुआत कैसे हुई और यह क्यों मनाया जा रहा है। इससे हमें फायदा होगा या नुकसान, ये हमारी संस्कृति के अनुसार है कि नहीं- इस पर तनिक भी विचार न कर टीवी-सिनेमा मीडिया में दिखाई जाने वाली चीजों से प्रभावित होकर लोग उनकी नकल करने लग जाते हैं।


🚩आइये आज आपको वैलेंटाइन डे का सच्चा इतिहास बताते हैं……


🚩रोम के राजा क्लाउडियस ब्रह्मचर्य की महिमा से परिचित थे, इसलिए उन्होंने अपने सैनिकों को शादी करने के लिए मना किया था ताकि वे शारीरिक बल और मानसिक दक्षता से युद्ध में विजय प्राप्त कर सकें। रोम के चर्च के ईसाई धर्मगुरु वेलेंटाइन जो स्वयं ईसाई पादरी होने के कारण बाहर से नहीं दिखा सकते थे कि वे ब्रह्मचर्य के विरोधी हैं इसलिए पादरी वेलेंटाइन ने गुप्त ढंग से सैनिकों की शादियाँ कराईं। राजा को जब यह बात पता चली तो उन्हें दोषी घोषित किया और इस पादरी वेलेंटाइन को 14 फरवरी के दिन फाँसी दे दी गयी। सन् 496 से ईसाई पोप गैलेसियस ने उनकी याद में 14 फरवरी के दिन वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया। तब से लेकर अब तक यह प्रथा चली आ रही है।


🚩एक बड़ी बात यह भी है कि वेलेंटाइन डे मनाने वाले लोग पादरी वेलेंटाइन का ही अपमान करते हैं, क्योंकि वे शादी के पहले ही अपने प्रेमास्पद को वेलेंटाइन कार्ड भेजकर उनसे प्रणय-संबंध स्थापित करने का प्रयास करते हैं। यदि पादरी वेलेंटाइन इससे सहमत होते तो वे शादियाँ कराते ही नहीं, तो ये था वेलेंटाइन डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार।


🚩भारत में जब अंग्रेज आये तब वो लोग इस दिन को मनाते थे तो भारत के कुछ लोग जो अंग्रेजों के चाटुकार थे, मूर्ख और लालची थे वे लोग भी इसे मनाने लगे।


🚩भारत में अंग्रेज वेलेंटाइन डे इसलिए मना रहे थे ताकि भारत के लोगों का नैतिक पतन हो जिससे वो अंग्रेजों के सामने लड़ न पाएं और लंबे समय तक भारत को गुलाम बनाकर रखा जा सके।


🚩स्वतंत्रता के बाद अंग्रेज तो गये लेकिन विदेशी कम्पनियों ने सोचा कि हम अगर भारत में वैलेंटाइन डे को बढ़ावा देते हैं तो हमें अरबों-खरबों रुपये का फायदा होगा तो उन्होंने टीवी, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अखबार, नॉवेल, सोशल मीडिया, आदि में खूब-प्रचार प्रसार किया जिससे उन्होंने महंगे ग्रीटिंग कार्ड्स, गिफ्ट्स, आर्टिफिशियल फूल, चॉकलेट्स आदि से अरबों रुपए कमाए। इसके अलावा नशीले पदार्थ, ब्ल्यू फिल्म, गर्भ निरोधक साधन, पोर्नोग्राफी, उत्तेजक पोप म्यूजिक, सेक्स उत्तेजक दवाईयाँ बनाने वाली विदेशी कम्पनियां अपने आर्थिक लाभ हेतु समाज को चरित्रभ्रष्ट करने के लिए करोड़ों अरबों रूपये खर्च कर रही हैैं।


🚩वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2016 में वेलेंटाइन डे से जुड़े सप्ताह के दौरान फूल, चॉकलेट, आदि विभिन्न उपहारों की बिक्री का कारोबार करीब 22,000 करोड़ रूपये था। इस बार 50,000 करोड़ रूपये से अधिक का कारोबार होने का अनुमान है। वस्तुत: वैलेंटाइन डे विदेशी बाजारीकरण व वासनापूर्ति को बढ़ावा देने वाला दिन है।


🚩अब ये वैलेंटाइन डे हमारे कुछ स्कूलों तथा कॉलजों में भी मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के लड़के-लड़कियाँ बिना सोचे-समझे एक दूसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड, गिफ्ट,फूल दे रहे हैं।


🚩यह सब विदेशी गन्दगी को देखते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू ने 2006 में 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाना शुरू किया जिसका अभी व्यापक रूप से प्रचार हो रहा है। भारत में उनके करोड़ों अनुयायी, आम जनता, हिन्दू संगठन और कई राज्यों की सरकारें, गांव-गांव, नगर-नगर में इस दिन को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मना रहे हैं। विदेशों में भी उनके अनुयायी इस दिन को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मना रहे हैं।


🚩हिन्दू संत बापू आशारामजी का कहना है कि 14 फरवरी को पश्चिमी देशों की नकल कर भारत के युवक-युवतियाँ एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड्स, फूल आदि देकर वैलेंटाइन डे मनाते हैं तो इस विनाशकारी डे के नाम पर कामविकार का विकास हो रहा है, जो आगे चलकर चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, खोखलापन,जल्दी बुढ़ापा और जल्दी मौत लाने वाला साबित होगा।


🚩बापू आशारामजी कहते हैं कि हजारों-हजारों युवक-युवतियां तबाही के रास्ते जा रहे हैं।वैलेंटाइन डे के बहाने ‘आई लव यू’ करते-करते लड़का-लड़की एक दूसरे को छुएंगे तो रज-वीर्य का नाश होगा, आने वाली संतति पर भी इसका बुरा असर पड़ता है और वर्तमान में वे बच्चे-बच्चियां भी तबाही के रास्ते हैं।लाखों-लाखों माता-पिताओं के हृदय की पीड़ा को देखते हुए तथा बच्चे-बच्चियों को इस विदेशी गंदगी से बचाकर भारतीय संस्कृति की सुगंध से सुसज्जित करना है। प्रेम दिवस जरूर मनायें लेकिन प्रेमदिवस में संयम और सच्चा विकास लाना चाहिए।युवक-युवती मिलेंगे तो विनाश-दिवस बनेगा।


🚩14 फरवरी के दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का पूजन करें और उनके सिर पर पुष्प रखें, प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें। संतान अपने माता-पिता के गले लगें। इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा।


🚩बापू आशारामजी ने बताया कि तुम भारत के लाल और भारत की बेटियाँ हो। प्रेमदिवस मनाओ, बच्चे माता-पिता का सम्मान करें और माता-पिता बच्चों को स्नेह करें। पाश्चात्य संस्कृति के लोग विनाश की ओर जा रहे हैं। वे लोग ऐसे दिवस मनाकर यौन सम्बन्धी रोगों का घर बन रहे हैं, अशांति की आग में तप रहे हैं। उनकी नकल भारत के बच्चे-बच्चियाँ न करें।


🚩आपको बता दें कि बापू आशारामजी ने इस तरीके से करोड़ों लोगों को वैलेंटाइन डे आदि विदेशी प्रथाओं से, व्यसन आदि से बचाया है, जिसके कारण विदेशी कंपनियों का अरबों-खरबों रुपये का घाटा हुआ है तथा इस नुकसान से बचने के लिए ही उन्होंने बापू आशारामजी को साज़िशों के जाल में फंसाकर जेल भेज दिया।


🚩हमारे शास्त्रों में माता-पिता को देवतुल्य माना गया है और इस संसार में अगर कोई हमें निःस्वार्थ और सच्चा प्रेम कर सकता है तो वो हमारे माता-पिता ही हो सकते हैं।


🚩तो क्यों न हम मानवमात्र के परम हितकारी हिन्दू संत आशारामजी बापू प्रेरित #14फरवरी_मातृ_पितृ_पूजन मनाकर अपने माता-पिता के सच्चे प्रेम का सम्मान करें और यौवन-धन, स्वास्थ्य और बुद्धि की सुरक्षा करें।


🚩आओ एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं। 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे नहीं, माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाते हुए 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाए ।


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Monday, February 12, 2024

भारत का विभाजन 2047 तक फिर से होगा ???

13 February 2024

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🚩2047 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिले 100 साल पूरे हो जाएँगे। तब तक का रास्ता आसान होगा, ऐसा नहीं है। वो देश जिसे दो हिस्सों इस्लामिक पाकिस्तान और धर्मनिरपेक्ष भारत में बाँट दिया गया था, उसके बँटवारे के 100 साल पूरे होने से पहले एक नापाक मंसूबा सामने दिखाई दे रहा है। इस नापाक मंसूबे को पूरा करने के लिए कट्टर इस्लामी और वामपंथी भारत को एक बार फिर उन परिस्थितियों की ओर धकेल रहे हैं, जिसके कारण पहले उसका विभाजन हुआ था।


🚩जुलाई 2022 में, ऑपइंडिया ने एक खास दस्तावेज़ की डिटेल निकाली थी, जो प्रतिबंधित कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने अपने सदस्यों को प्रसारित किया था। ‘विजन 2047’ नाम के दस्तावेज में गजवा-ए-हिंद के रोडमैप की डिटेल थी। इसमें उनकी योजना मुस्लिमों को कट्टरपंथी बनाना, ‘कायर हिंदुओं’ पर पूरी तरह से हावी होना, भारतीय संविधान को शरीयत कानून में बदल देना, हिंदुओं का नरसंहार करना और भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र में बदल देना है।


🚩महाराष्ट्र एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) ने 2 फरवरी 2023 को 5 पीएफआई आतंकवादियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की, जिन्हें गैरकानूनी गतिविधियों और राष्ट्र के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन के खिलाफ देशव्यापी छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था। महाराष्ट्र एटीएस की मुंबई इकाई ने जिन 5 आरोपितों को गिरफ्तार किया उनके नाम हैं – मजहर खान, सादिक शेख, मोहम्मद इकबाल खान, मोमिन मिस्त्री और आसिफ हुसैन खान। पीएफआई के साथ इनका कनेक्शन था। यही नहीं, पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई शुरू होने के बाद से इस्लामिक संगठन से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादियों को कई एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है।


🚩महाराष्ट्र एटीएस द्वारा 5 आरोपितों के खिलाफ दायर चार्जशीट 600 से अधिक पन्नों की है। इसमें बताया गया है कि आरोपित 2047 तक भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र में बदलने की दिशा में कैसे काम कर रहे थे। विजन 2047 दस्तावेज, जिसे जुलाई 2022 में ऑपइंडिया द्वारा विशेष रूप से विस्तार से बताया गया था, को भी इसमें संलग्न किया गया है। चार्जशीट में पीएफआई के नापाक मंसूबों और उनकी योजनाओं को पूरा करने के लिए उनके गुर्गों के काम करने के खूँखार तरीकों को भी बताया गया है।


🚩चार्जशीट में उन 5 आरोपितों के बारे में निम्नलिखित खुलासे किए गए हैं, जो PFI से जुड़े आतंकी थे:


🚩पीएफआई और आतंकवादी संगठन के साथ काम करने वाले कट्टर इस्लामी देश के खिलाफ साजिश रच रहे थे।

महाराष्ट्र के चेंबूर, धारावी, कुर्ला, ठाणे, नेरुल, पनवेल और मुंब्रा में पीएफआई सदस्यों द्वारा गुप्त बैठकें की गईं। इन बैठकों में, उन्होंने योजना बनाई कि देश के खिलाफ कैसे काम किया जाए, मुस्लिमों को कट्टरपंथी बनाने और 2047 तक भारत को एक इस्लामी राष्ट्र में बदलने के लिए साजिश भी रची गई।

पीएफआई ने मुस्लिमों को अपने साजिश का हिस्सा बनाने के लिए उन्हें विश्वास दिलाने की योजना बनाई थी कि देश इस्लाम के खिलाफ काम कर रहा है और उन्हें हिंदुओं के खिलाफ एकजुट होना है।

पीएफआई का मंसूबा इस्लामी शरिया के साथ भारत के संविधान को बदलने की दिशा में काम करना है।

वे भारत को इस्लामी राज्य बनाना चाहते हैं।

वे चाहते थे कि मुस्लिमों को केवल मुस्लिमों के रूप में ही जाना जाए न कि भारतीयों के रूप में।

पीएफआई ने मुस्लिमों के खतरे में होने और उन पर अत्याचार होने के दुष्प्रचार को आगे बढ़ाया।

पीएफआई पैसा जुटाना चाहता था और भारतीय लोकतंत्र को खत्म करने के लिए विदेशी संगठनों से मदद लेना चाहता था। यही नहीं, भारत को इस्लामी राष्ट्र में बदलने की अपनी योजना को पूरा करना चाहता था।

आरोपितों में से दो को कानून का ज्ञान था और वे उसी के अनुसार टीम का मार्गदर्शन कर रहे थे।

आरोपितों में से एक मुस्लिम युवकों को भर्ती करने के खिलाफ था।

साल 2047 पीएफआई द्वारा दी गई केवल एक समय सीमा नहीं है। बल्कि वामपंथी भी सामाजिक न्याय की आड़ में भारत में अशांति फैलाने के लिए इसी तरह के एजेंडे को चला रहे हैं।


🚩8 फरवरी को लेखक और शिक्षाविद राजीव मल्होत्रा ने हार्वर्ड में होने वाले एक कार्यक्रम के बारे में ट्वीट किया, जहाँ भारत पर ‘जाति’ का ट्रायल होगा। उन्होंने ट्वीट किया कि कई भारतीय दानदाता इस कार्यक्रम को प्रायोजित कर रहे हैं।


🚩11 फरवरी 2023 को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का नाम हार्वर्ड 2023 में भारत सम्मेलन रखा गया है। हार्वर्ड वेबसाइट पर इसके बारे विवरण दिया गया है। हार्वर्ड में वार्षिक भारत सम्मेलन के दौरान होने वाली पैनल चर्चाओं में से एक का शीर्षक है, “2047 तक जाति को खत्म करने के लिए क्या करना होगा।”


🚩इस पैनल में शामिल वक्ताओं ने भारत की एकता को तोड़ने वाले लफ्ज़ों का इस्तेमाल किया और हिंदुओं के खिलाफ पीएफआई की तरह जहर उगला। सेंटर फॉर सोशल इक्विटी एंड इंक्लूजन (CSEI) और नेशनल यूथ इक्विटी फोरम (NYEF) के सह-संस्थापक और निदेशक सत्येंद्र कुमार का ट्विटर प्रोफाइल देखने के बाद आपको पता चल जाएगा कि उनकी सोच क्या है। दिल्ली के हिंदू-विरोधी दंगे भड़कने से कुछ दिन पहले उनका उद्देश्य काफिरों को सबक सिखाना था। कुमार ने 2020 में ट्वीट किया था, “ना तो हम CAA-NPR-NRC आने देंगे, ना ही मोदी को जिम्मेदारी से भागने देंगे!”


🚩उन्होंने कन्हैया कुमार के ट्वीट को भी रीट्वीट किया था, जिन्होंने पीएफआई के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला था।


🚩ट्वीट को सत्येंद्र कुमार ने रीट्वीट किया

वार्ता के अन्य पैनलिस्ट, दलित लेखक चंद्रभान प्रसाद प्रचार-प्रसार के अनुभवी हैं। 2018 में, जब भीमा-कोरेगाँव घटना के बाद नक्सलियों द्वारा दंगा किया गया, तो चंद्रभान प्रसाद ने इसके लिए ऑरेंज ब्रिगेड को दोषी ठहराया था।


🚩उन्होंने हाल ही में कॉन्ग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी को समर्थन भी दिया था।


🚩अगले पैनलिस्ट थेनमोझी साउंडराजन (Thenmozhi Soundararajan) हैं, जो इक्वैलिटी लैब्स के कार्यकारी निदेशक हैं। इक्वैलिटी लैब्स संयुक्त राज्य अमेरिका में ब्राह्मणवाद विरोधी जाति सक्रियता समूह है। इसका प्रभाव इतना है कि ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने एक बार बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया था। डोर्सी ने 2018 में, जो प्लेकार्ड पकड़ा था, उसमें ‘Smash the Brahminical Patriarchy’ (ब्राह्मणवादी पितृसत्ता की धज्जियाँ उड़ा दो) लिखा था। इसकी वजह से इस पहचान से जुड़े लोगों ने ट्विटर पर डोर्सी की आलोचना की थी और उन्हें हिंसा का समर्थक और एक पहचान विशेष का विरोधी बताया था। इक्वैलिटी लैब्स ने अमित जानी के खिलाफ भी कड़ा अभियान चलाया, जिन्होंने जो बिडेन अभियान में काम किया था, उन पर ‘हिंदू फासीवाद’ का समर्थन करने का आरोप लगाया गया।


🚩इस कार्यक्रम में दलित लेखिका यशिका दत्त भी पैनलिस्ट हैं। हिंदुओं के खिलाफ अक्सर जहर उगलने वाली यशिका ने सीएए के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन का भी समर्थन किया था और मुस्लिम अपराधियों को बचाने का प्रयास किया था।


🚩यही नहीं हार्वर्ड सम्मेलन में हिंदुओं को गलत ठहराने, कट्टर इस्लामियों द्वारा उन पर किए जा रहे अत्याचारों को क्लीन चिट देने के अलावा मुस्लिम समुदाय को पीड़ितों के रूप में पेश किया जाएगा।


🚩हर्ष मंदर भी पैनल के सदस्य हैं। हर्ष मंदर सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के एक विदेशी वित्त पोषित एनजीओ, सोनिया गाँधी की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी थे, जिसने हिंदू विरोधी सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार किया था। ध्यान दें कि मार्च 2020 में, ऑपइंडिया ने यह खबर प्रसारित की थी कि हर्ष मंदर ने कैसे मुस्लिमों को सड़कों पर आने के लिए उकसाया और हिंसा भड़काने का प्रयास किया था।

https://twitter.com/OpIndia_in/status/1756549387424334121?t=rGrUJhVLWELSslvR0cqNpw&s=19


🚩इससे यह प्रमाणित होता है कि वामपंथी जो भारत की संप्रभुता पर हमला करते रहे हैं, वे अब सम्मेलनों में हिंदू के खिलाफ अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। वे इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि 2047 तक भारत को कैसा होना चाहिए। उनका उद्देश्य 2047 तक भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र में बदलना है। यहाँ यह कहना गलत नहीं होगा कि कट्टर इस्लामी और वामपंथी भारत में अशांति पैदा करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर रहे हैं, जो 1947 में भारत के विभाजन और हिन्दुओं के नरसंहार का कारण थी।


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