Monday, February 26, 2024

केवल अलवर में ही हर महीने काट रहे थे 600 गाय, पुरे भारत में कितनी होगी गौहत्या ?

26 February 2024

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🚩मीडिया रिपोर्टों के अनुसार राजस्थान के अलवर के बीफ मंडी में हर महीने करीब 600 गाय काटी जाती थी। एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए करीब 50 गाँवों में गोमांस की होम डिलिवरी हो रही थी। करीब 300 दुकानों में भी गोमांस की सप्लाई होती थी।


🚩बीफ मंडी का खुलासा दैनिक भास्कर के पत्रकार राजकुमार जैन और राधेश्याम तिवारी ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए किया था। बताया था कि रोजाना 20 गाय काटकर होम डिलीवरी की जा रही है। इसमें पुलिस की मिलीभगत की बात भी कही गई थी। इस खुलासे के बाद जब पुलिस ने दबिश दी तो गोतस्कर फरार हो गए। उनके वाहनों को जब्त कर लिया गया है। घटनास्थल से कई गायों की खाल और हड्डियाँ बरामद हुई हैं।


🚩दैनिक भास्कर ने रविवार (18 फरवरी 2024) को अलवर के बास थाना क्षेत्र में चल रही इस बीफ मंडी का खुलासा किया था। खुलासे में ऐसे वीडियो सामने आए थे जिसमें बिरसंगपुर के पास रुंध गिदवडा के बीहड़ों में गायों को बेरहमी से मार कर उनकी खाल उतारी जा रही थी। व्हाट्सएप पर मांस के ऑर्डर लेकर घर तक सप्लाई की जाती थी। इस मंडी में सैकड़ों की तादाद में खरीदार भी आते थे। गोकशी की यह मंडी करीब 10 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है।


🚩रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि बीफ मंडी की जानकारी होने के बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। खुलासे के बाद भजनलाल सरकार ने संज्ञान लिया। जयपुर रेंज के IG उमेश चंद्र दत्त के नेतृत्व में बास इलाके के उन बीहड़ों में छापेमारी की गई, जहाँ गोकशी होने का दावा किया गया था। सूचना सही पाई गई। पुलिस को देख कर गोतस्कर अपने वाहन छोड़ फरार हो गए।


🚩कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि अलवर के 60 किलोमीटर के इलाके में कई जगहों पर बीफ बिरयानी बेची जा रही थी। गोतस्कर गायों का माँस, हड्डी और खाल बेच कर हर माह लगभग 4 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे थे।


🚩अब बीफ मंडी चलाने वालों को चिन्हित कर कर कार्रवाई की जा रही है। अब तक 25 आरोपितों को गोकशी की FIR में नामजद किया गया है। बीफ मंडी में मिली लगभग 1 दर्जन बाइकों सहित 1 पिकअप जीप को बरामद कर सीज कर दिया गया है।


🚩भारतीय इतिहास में गौहत्या को लेकर कई आंदोलन हुए हैं और कई आज भी जारी हैं। लेकिन अभी तक गौहत्या पर प्रतिबन्ध नहीं लग सका है। इसका सबसे बड़ा कारण राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी होना है। आप कल्पना कीजिये- हर रोज जब आप सोकर उठते हैं तब तक लाखों, हजारों गायों के गलों पर छूरी चल चुकी होती है। गौहत्या से सबसे बड़ा फ़ायदा तस्करों एवं गाय के चमड़े का कारोबार करने वालों को होता है। इनके दबाव के कारण ही सरकार गौहत्या पर प्रतिबन्ध लगाने से पीछे हट रही है। वरना जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता हो वहां सरकार गौहत्या रोकने में नाकाम है। आज हमारे देश की जनता ने नरेन्द्र मोदीजी की सरकार चुनी है। सेक्युलरवाद और अल्पसंख्यकवाद के नाम पर पिछले अनेक दशकों से बहुसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों का दमन होता आया है। उसीके प्रतिरोध में हिन्दू प्रजा ने संगठित होकर जात-पात से ऊपर उठकर एक सशक्त सरकार को चुना है। इसलिए यह इस सरकार का कर्त्तव्य बनता है कि वह बदले में हिन्दुओं की शताब्दियों से चली आ रही गौरक्षा की मांग को पूरा करे और गौहत्या पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाए।


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