24 मार्च 2021
azaadbharat.org
महिलाओं की सुरक्षा के लिये दहेज और बलात्कार निरोधक में सख्ती बनाकर कानून बने हैं पर कुछ लड़कियों द्वारा उस कानून का पैसा ऐठने, बदला लेने की भावना अथवा साजिस के तहत इस कानून का अंधाधुंध दुरुपयोग किया जा रहा है। वैसे ही SC/ST एक्ट आदि कानूनों में भी निर्दोषों को फंसाने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है।
आपको बता दे कि गलत तरीके से कानूनी मामलों में फंसाए गए लोगों के लिए मुआवजे की गाइडलाइन बनाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने एग्जामिन करने का फैसला किया है। बीजेपी के एक अन्य नेता कपिल मिश्रा की ओर से भी अर्जी दाखिल की गई थी,जिसे अश्विनी उपाध्याय की याचिका के साथ टैग कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को एग्जामिन करने का फैसला किया है, जिसमें गलत तरीके से केस में फंसाए गए लोगों को मुआवजा के लिए गाइडलाइंस बनाए जाने का निर्देश की मांग की गई है। अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
इस मामले में बीजेपी के एक अन्य नेता कपिल मिश्रा की ओर से भी अर्जी दाखिल की गई थी,जिसे अश्विनी उपाध्याय की पेंडिंग याचिका के साथ टैग कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी उपाध्याय की ओर से 11 मार्च को अर्जी दाखिल कर फर्जी केस में फंसाने के मामले में ऐसे विक्टिम को मुआवजा दिए जाने के लिए गाइडलाइंस के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में यूपी के विष्णु तिवारी केस का हवाला दिया गया जिन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरी करते हुए कहा कि उन्हें आपसी झगड़े के कारण रेप और एससीएसटी केस में फंसाया गया वह 20 साल जेल में रहा था। सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई थी कि केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वह ऐसे विक्टिम को मुआवजा देने के लिए गाइडलाइंस तैयार करें और इस बाबत लॉ कमिशन की रिपोर्ट को लागू करें।
हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि विष्णु तिवारी को जमीन विवाद के कारण रेप और जातिसूचक शब्द कहने के मामले में फंसाया गया था। अपनी अर्जी में याचिकाकर्ता ने कहा कि विष्णु तिवारी जैसे विक्टिम को मुआवजा दिए जाने के लिए गाइडलाइंस की जरूरत है। इसके लिए लॉ कमिशन की 277 रिपोर्ट को लागू किया जाए। ऐसे विक्टिम जिन्हें फर्जी केस में फंसाया जाता है ,उनको मुआवजा देने के लिए गाइडलाइंस बनाए जाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए और राज्यों को निर्देश दिया जाए कि वह गाइडलाइंस का पालन करें। बाद में कपिल मिश्रा ने भी अर्जी दाखिल की है दोनों याचिका को साथ में जोड़ दिया गया है। स्त्रोत : नवभारत टाइम्स
आपको बता दे कि केवल विष्णु तिवारी को ही फर्जी केस में फंसाकर सालों से जेल में रखा गया था ऐसा नही है ऐसे तो हजारों केस होंगे हो निर्दोष होते हुए भी उनको निचली अदालत से सजा हुई और ऊपरी कोर्ट ने निर्दोष बरी किया लेकिन उनको इतने साल प्रताड़ना जेलनि पड़ी, परिवार बिखर गया, उनका पैसे, समय व इज्जत गई उसकी भरपाई कौन करेगा?
आपको बता दे कि आम जनता की तरह हिंदू धर्म के मुख्य साधु-संतों को बदनाम करने के लिए भी झूठे आरोप लगाए जाते हैं जैसे कि सौराष्ट्र (गुजरात) के श्री केशवानन्द स्वामी ऊपर यौन शोषण का झूठा आरोप थोप कर बारह साल की जेल की सजा दी। सात साल जेल भोगने के बाद ऊपरी कोर्ट से निर्दोष साबित हुए।
शंकराचार्य अमृतानन्द को झूठे केस में जेल भेज दिया और भयंकर यातनाएं दी और 9 साल तक जेल में रखा गया। स्वामी असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर आदि को सालों तक जेल में रखने के बाद बरी किया गया।
ऐसे ही 85 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू पर बलात्कार के झूठे आरोप लगाकर जेल भेजा गया है क्योंकि उन्होंने धर्मांतरण विरोध में कार्य किया, देश समाज और संस्कृति की सेवा 50 साल तक सेवा की जो राष्ट्र विरोधी ताकतों को सहन नही हुआ और उनके खिलाफ षडयंत्र करके मीडिया में बदनाम करवाया और जेल भिजवाया और 7 साल में एक दिन भी जमानत नही दी गई।
बलात्कार कानून की आड़ में महिलाएं आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी ब्लैकमेल कर झूठे बलात्कार के आरोप लगाकर जेल में डलवा रही हैं । फर्जी केस करने वालों पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए, निर्दोष को मुआवजा मिलना चाहिए और इन कानूनों में संशोधन होना चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।
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