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Friday, February 11, 2022

दिनभर ट्वीटर पर टॉप ट्रेड रहा '13 अप्रैल नववर्ष' जानिए लोगो ने क्या कहा?

10 अप्रैल 2021

azaadbharat.org


बरह्म पुराण में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र सुदी प्रतिपदा रविवार था । 



चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है । इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है । हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है ।

इस वर्ष में 13 अप्रैल 2021 से हिंदू नुतन वर्ष प्रारंभ होगा इसको लेकर शनिवार को टॉप ट्रेड चल रहा था हैशटैग था "#13अप्रैल_नववर्ष" इस हैशटैग को लेकर लाखों ट्वीट भी हुई, आइए आज आपको बताते हैं क्या बता रही थी जनता...।


1◆ इंदिरा भार्गव लिखती है कि चैत्र माह न शीत न ग्रीष्म ! ये माह पूरा पावन काल माना गया है ऐसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं श्रीराम रूप धारण कर उतर आए।

हिन्दु धर्म पृथ्वी के उद्गम से ही है 

और सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है

#13अप्रैल_नववर्ष https://t.co/fZdmAtcaPE


2◆ महेश ने लिखा कि हिन्दू धर्म का नूतन वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को मनाया जाता है क्योंकि

(१)उस दिन ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना हुई

(२)सतयुग का प्रारंभ

(३)भगवान श्री राम का राज्याभिषेक

(४)नवरात्र का शुभारंभ

(५)युधिष्ठिर संवत का प्रारंभ

#13अप्रैल_नववर्ष

https://twitter.com/maheshsahni35/status/1380837889085382659?s=19


3◆ मीनू लिखती है कि

#13अप्रैल_नववर्ष

हमारा नववर्ष आने वाला है ,हिंदू राष्ट्र की जय ,सभी हिंदुओं संगठित हो देश की रक्षा करें https://t.co/ciD4o84cPa


4◆ संत श्री आशारामजी बापू हैन्डल से लिखा गया कि "चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना हुई, भगवान श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक दिवस,  झुलेलालजी का अवतरण दिवस, चैत्री नवरात्र प्रारम्भ आदि पर्वोत्सव एवं जयंतियाँ वर्ष-प्रतिपदा से जुड़कर और अधिक महान बन गयीं"

#13अप्रैल_नववर्ष

 https://t.co/v2WSF4GW5u


5◆ अमित सोनी ने लिखा कि 

'इस साल सभी भारतीयों को चैत्री शुक्ल प्रतिपदा को अपने घर पर भगवा ध्वज फहराये, सूर्य भगवान को अर्घ्य दें, शंख ध्वनि और भजन-कीर्तन करें।'

#13अप्रैल_नववर्ष https://t.co/Y8oRKtZenn


6◆ संत श्री आशारामजी आश्रम हैन्डल से ट्वीट करके बताया कि 'जिस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ किया था वह था चैत्र मास के शुक्ल पक्ष का प्रथम दिन । जहाँ देशी संवत् का स्वागत सात्त्विक भावना , व्रत , पूजन आदि से होता है। चैत्री नूतन वर्ष के दिन कोई भी शुभ कार्य करने हेतु मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती ।'

#13अप्रैल_नववर्ष https://t.co/8Ci448tY4w


7◆ मुकेश ने लिखा कि चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सृष्टि का आरंभ हुआ था॥

हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शुरु होता है।

इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है।

जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर नववर्ष की शुरूआत करते हैं॥

#13अप्रैल_नववर्ष

https://twitter.com/MuskanChhutlan1/status/1380837555856412674?s=19



8◆ सुरेश डाभी ने लिखा कि

जी हाँ, विश्व वंदनीय पूज्य Sant Shri Asharamji Bapu बताते हैं कि "हिंदू संस्कृति में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नव वर्ष मनाने से मन प्रसन्न व शरीर स्वस्थ रहता है।" आओ मिलकर हिंदू संस्कृति की रक्षा हेतु #13अप्रैल_नववर्ष मनाए। https://t.co/XN1Q59itok


इस तरीके से लाखों ट्वीट हुई थी 13अप्रैल_नववर्ष हैशटेग को लेकर, सभी ने एक ही अपील की कि इस वर्ष 13 अप्रैल 2021 को अपना चैत्री हिंदू नववर्ष जरुर मनाएं।


हिन्दू धर्म पृथ्वी के उद्गम से ही है और सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है; परंतु दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दू ही इसे समझ नहीं पाते । पाश्चात्य कल्चर को योग्य और अधर्मी कृत्यों का अंधानुकरण करने में ही अपने आप को धन्य समझते हैं । 31 दिसंबर की रात में नववर्ष का स्वागत और 1 जनवरी को नववर्षारंभ दिन मनाने लगे हैं ।


सभी हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने का संकल्प लें | इस वर्ष 13 अप्रैल 2021 को हिन्दू नववर्ष आ रहा है । सभी हिन्दू तैयारी शुरू कर दें । 


आज से ही अपने सभी सगे-संबंधी, परिचित और मित्रों को पत्र एवं सोशल मीडिया आदि द्वारा शुभ संदेश भेजना शुरू करें । 


सस्कृति रक्षा के लिए गांव-शहरों में नववर्ष निमित्त प्रभात फेरियां, झांकियों की सजावट वाली यात्राएं, पोस्टर लगाकर, स्थानिक केबल पर प्रसारण करवाकर नववर्ष का प्रचार-प्रसार जरूर करें ।


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Thursday, February 10, 2022

भारतवासी भूल गए खुद का नववर्ष,आ रहा है 13 अप्रैल को, ऐसे करें तैयारी

31 मार्च 2021

azaadbharat.org

हिन्दू धर्म पृथ्वी के उद्गम से ही है और सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है; परंतु दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दू ही इसे समझ नहीं पाते । पाश्चात्य कल्चर को योग्य और अधर्मी कृत्यों का अंधानुकरण करने में ही अपने आप को धन्य समझते हैं । 31 दिसंबर की रात में नववर्ष का स्वागत और 1 जनवरी को नववर्षारंभ दिन मनाने लगे हैं ।



अग्रेजी कालगणना ने इस वर्ष अपने 2021 वें वर्ष में पदार्पण किया है, जबकि हिन्दू कालगणना के अनुसार इस चैत्र शुक्ल 1 खर्व 15 निखर्व, 55 खर्व, 21 पद्म (अरब) 93 करोड़ 8 लाख 53 सहस्र 123 वां वर्ष आरंभ हो रहा है ।

(टिप्पणी : 1 खर्व अर्थात 10,00,00,00,000 वर्ष (हजार करोड़ या वर्ष) और 1 निखर्व अर्थात 1,00,00,00,00,000 वर्ष (दस हजार करोड़ वर्ष)

नव संवत्सर 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , 13 अप्रैल 2021 से प्रारंभ हो रहा है यही हिन्दुओं का नया वर्ष है, इसे धूमधाम से जरूर मनाएं ।

चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही हिन्दुओं का वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं ।

भारतीय नववर्ष की विशेषता   -

पराणों में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र सुदी प्रतिपदा रविवार था ।

चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है । इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है । हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है ।

पड़-पौधों में फूल, मंजरी ,कली इसी समय आना शुरू होते हैं , वातावरण में एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है। जीवों में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है । इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था । भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था। नवरात्र की शुरुआत इसी दिन से होती है । जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर नववर्ष की शुरूआत करते हैं।

परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है । इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है । वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है । चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया ।

न शीत न ग्रीष्म । पूरा पावन काल । ऐसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं  श्रीराम रूप धारण कर उतर आए,  श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था । आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी । यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है । संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हिन्दुओं का नया साल विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है ।

कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता । पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत्र में ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी ।

चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास । मधु मास अर्थात आनंद बांटता वसंत का मास । यह वसंत आ तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में । सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है ,पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में ।

चारों ओर पकी फसल का दर्शन ,  आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है । खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।

नई फसल घर में आने का समय भी यही है । इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है , जिससे पेड़ -पौधे , जीव-जन्तु में नवजीवन आ जाता है । लोग इतने मदमस्त हो जाते हैं कि आनंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं । गौरी और गणेश की पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है । चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है ,  मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि में होता है ।

सभी हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने का संकल्पं | इस वर्ष 13 अप्रैल 2021 को हिन्दू नववर्ष आ रहा है । सभी हिन्दू तैयारी शुरू कर दें ।

आज से ही अपने सभी सगे-संबंधी, परिचित और मित्रों को पत्र एवं सोशल मीडिया आदि द्वारा शुभ संदेश भेजना शुरू करें ।

सस्कृति रक्षा के लिए गांव-शहरों में नववर्ष निमित्त प्रभात फेरियां, झांकिया की सजावट वाली यात्राएं, पोस्टर लगाकर, स्थानिक केबल पर प्रसारण करवाकर नववर्ष का प्रचार-प्रसार जरूर करें ।


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