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Thursday, February 24, 2022

हिंदू ग्रंथ महान हैं, पढ़ने से मिलती है शांति : अमेरिका की स्वर्ण पदक विजेता मिसी

13 जुलाई 2021

azaadbharat.org


हिंदू धर्म सनातन धर्म है जबसे सृष्टि का उद्गम हुआ है तबसे यह धर्म चला आ रहा है, बाकी ईसाई धर्म 2021 और मुस्लिम धर्म करीब 1500 साल पुराना है। बड़ी बात तो ये है कि ईसाई धर्म की स्थापना यीशु ने तथा मुस्लिम धर्म की स्थापना मोहम्मद पैंगबर ने की, लेकिन हिन्दू धर्म की स्थापना किसी ने नहीं की अनादि काल से चली आ रही है और हिन्दू धर्म में ही भगवान व ऋषि-मुनियों के अवतार हुए हैं किसी अन्य धर्म में नहीं हुए हैं। जब-जब अधर्म बढ़ जाता है तब समाज को मार्गदर्शन देने के लिए स्वयं भगवान ही धरा पर अवतार लेते हैं।



सनातन हिन्दू धर्म की महिमा समझकर विदेशी लोग भी हिंदू धर्म के अनुसार आचरण करने लगे हैं।


हिन्दू धर्म की महानता भले ही भारतीय या हिन्दू न समझें परंतु ऐसे कई विदेशी लोग हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म की महानता को न केवल समझा अपितु अनुभव भी किया है।


बता दें कि लंदन ओलंपिक में पांच स्वर्ण पदक जीतने वालीं करिश्माई तैराक मिसी फ्रेंकलिन ने कहा कि "उन्हें हिन्दू ग्रंथों को पढ़ने से मानसिक शांति मिलती है।" अमेरिका की 23 वर्षीय तैराक ने पिछले वर्ष दिसंबर में संन्यास की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। कंधे के दर्द से परेशान इस तैराक ने संन्यास के बाद मनोरंजन के लिए योग करना शुरू किया।


हिन्दू धर्म के बारे में जानने के बाद उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ। वह जार्जिया विश्वविद्यालय में धर्म में पढ़ाई कर रही हैं। फ्रेंकलिन ने लॉरेस विश्व खेल पुरस्कार से इतर कहा कि "मैं पिछले एक साल से धर्म की पढ़ाई कर रही हूं। यह काफी आकर्षक और आंखें खोलने वाला है। मुझे विभिन्न संस्कृतियों, लोगों और उनकी धार्मिक मान्यताओं के बारे में पढ़ना पसंद है। मेरा अपना धर्म ईसाई है लेकिन मेरी दिलचस्पी हिन्दू धर्म में ज्यादा है।"


य ऐसा धर्म हैं जिसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता था, लेकिन उसके बारे में पढ़ने के बाद लगा कि ये शानदार है। तैराकी में सफल फ्रेंकलिन पढ़ाई में भी काफी अच्छी हैं। वह हिन्दू धर्म के बारे में काफी कुछ जानती हैं । वह रामायण और महाभारत की ओर आकर्षित हैं और अपरिचित नामों के बाद भी दोनों महाग्रंथों को पढ़ रही हैं।


उन्होंने कहा कि मुझे उसके मिथक और कहानियां अविश्वसनीय लगती हैं । उनके भगवान के बारे में जानना भी शानदार है । महाभारत और रामायण पढ़ने का अनुभव कमाल का है। महाभारत में परिवारों के नाम से मैं भ्रमित हो जाती हूं, लेकिन रामायण में राम और सीता के बारे में जो पढ़ा वह मुझे याद है ।

स्त्रोत : अमर उजाला


पहले भी कई विदेशी विद्वान और अन्य हस्तियां हिन्दू धर्म को महान बता चुके हैं और बाद में हिन्दू धर्म भी अपना लिया है।


हिन्दुत्व एक व्यवस्था है मानव से महामानव और महामानव से महेश्वर बनाने की । यह द्विपादपशु सदृश उच्छृंखल व्यक्ति को देवता बनाने वाली एक महान परम्परा है । 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का उद्घोष केवल इसी संस्कृति के द्वारा किया गया है..


विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता भारत में ही मिली है । संसार का सबसे पुराना इतिहास भी यहीं पर उपलब्ध है । हमारे ऋषियों ने उच्छृंखल यूरोपियों के जंगली पूर्वजों को मनुष्यत्व एवं सामाजिक परिवेश प्रदान किया, इस बात के लाखों ऐतिहासिक प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं।


यनान के प्राचीन इतिहास का दावा है कि भारतवासी वहाँ जाकर बसे तथा वहाँ उन्होंने विद्या का खूब प्रचार किया । यूनान के विश्वप्रसिद्ध दर्शनशास्त्र का मूल भारतीय वेदान्त दर्शन ही हैं।


समुअल जानसन के अनुसारः 'हिन्दू लोग धार्मिक, प्रसन्नचित्त, न्यायप्रिय, सत्यभाषी, दयालु, कृतज्ञ, ईश्वरभक्त तथा भावनाशील होते हैं । ये विशेषताएँ उन्हें सांस्कृतिक विरासत के रूप में मिली हैं।


हिंदू संस्कृति के प्रति विश्वभर के महान विद्वानों की अगाध श्रद्धा अकारण नहीं हो सकती। इस संस्कृति की उस आदर्श आचार संहिता ने समस्त वसुधा को आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।


🚩विद्वान अल्दू हक्सले बताया है कि "हिन्दुत्व सदा बहने वाला (बारहमासी) दर्शन है जो कि सभी धर्मों का केन्द्र है।"


डॉ. एनी बेसेन्ट ने कहा है कि मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बड़े धर्मों का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है।


जो इस महान हिन्दू धर्म को नहीं समझ पाया वे मनुष्य कहलाने के लायक भी नहीं है । हिन्दू धर्म ही वास्तव में मनुष्य से महेश्वर तक पहुँचा सकती है, जीव से शिव बना सकती है । अतः इसकी महिमा समझें पालन करें, प्रचार करें और रक्षण करें।


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Sunday, February 28, 2021

जापान में होती है हिंदू देवी-देवताओं की पूजा,भारतवासी कब महत्व समझेंगे ?

28 फरवरी 2021


भारत में कुछ लोग पाश्चात संस्कृति की अंधानुकरण करने के कारण देवी-देवताओं का महत्व नहीं समझ रहे हैं और कुछ वोट बैंक के लिए दलितों को उकसा रहे हैं और बोल रहे हैं कि आप हिन्दू नहीं हो इसलिए आपको हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए, लेकिन वास्तव में देखें तो हमारे पुराणों में दलित शब्द है ही नहीं । अंग्रेजों द्वारा आपस में लड़ाने के लिए जाति-पाति बांटी गई जबकि भारतीय संस्कृति में वर्ण व्यवस्था जो है वो कर्म के अनुसार बनाई है, इसलिए किसी के बहकाव में आकर देवी-देवताओं की पूजा नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि विदेशों में देवी-देवताओं का महत्व समझकर उनकी पूजा की जा रही है और उसके लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं । और भारत मे जो देवी-देवताओं की मजाक उड़ा रहे हैं उनको भी जापान से सबक सीखना चाहिए।




जापान में हिंदू देवी देवताओं की पूजा की जाती है। जापान में कई हिंदू देवी-देवताओं को जैसे ब्रह्मा, गणेश, गरुड़, वायु, वरुण आदि की पूजा आज भी की जाती है। कुछ समय पहले नई देहली में फोटोग्राफ़र बेनॉय के बहल के फोटोग्राफ़्स की एक प्रदर्शनी हुई, जिससे जापानी देवी-देवताओं की झलक मिली।

बेनॉय के अनुसार हिंदी के कई शब्द जापानी भाषा में सुनाई देते हैं। ऐसा ही एक शब्द है ‘सेवा’ जिसका मतलब जापानी में भी वही है जो हिंदी में होता है। बेनॉय कहते हैं कि जापानी किसी भी प्रार्थना का अनुवाद नहीं करते। उनको लगता है कि ऐसा करने से इसकी शक्ति और प्रभाव कम हो जाएगा ।

★ लिम्का वर्ल्ड रिकॉर्ड

भारतीय सभ्यता के रंग जापान में देखने को मिलते हैं। सरस्वती के कई मंदिर भी जापान में देखने को मिलते हैं। संस्कृत में लिखी पांडुलिपियां कई जापानी घरों में मिल जाती है। बेनॉय का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में ‘मोस्ट ट्रेवल्ड फोटोग्राफ़र’ के रूप में दर्ज है।

★ आधार ही संस्कृत

जापान की राजधानी टोक्यो में पांचवी शताब्दी की सिद्धम स्क्रिप्ट को आज भी देखा जा सकता है। इसे गोकोकुजी कहते हैं। बेनॉय का कहना है कि ये लिपि पांचवी शताब्दी से जापान में चल रही है और इसका नाम सिद्धम है। भारत में ऐसी कोई जगह नहीं, जहां ये पाई जाती हो ।

आज भी जापान की भाषा ‘काना’ में कई संस्कृत के शब्द सुनाई देते हैं । इतना ही नहीं काना का आधार ही संस्कृत है। बहल के अनुसार जापान की मुख्य दूध कंपनी का नाम सुजाता है। उस कंपनी के अधिकारी ने बताया कि ये उसी युवती का नाम है जिसने बुद्ध को निर्वाण से पहले खीर खिलाई थी।
स्त्रोत : बीबीसी

भातीय सभ्यता अपनाकर, हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करके एवं संस्कृत व हिन्दी भाषा का प्रयोग करके जापान दुनिया मे टेक्नोलॉजी में नंबर एक पर है, आज उस देश के सामने कोई भी देश आंख नहीं दिखा सकता लेकिन भारत में ऐसी विडंबना है कि भारतवासी अपने ही हिन्दू देवी-देवताओं को भूल रहे हैं, कई तो देवी-देवताओं को गालियां तक दे रहे हैं । अपनी संस्कृति को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं, अपनी महान संस्कृत एवं हिन्दी भाषा को भूलकर अंग्रेजी भाषा को अपना रहे हैं, कितनी विडंबना है, हमारी संस्कृति को भूलने के कारण ही आज हम पीछे रह गये और जापान हमारी संस्कृति को अपनाकर महान बन रहे हैं ।

दुनिया का सबसे प्राचीन हिन्दू धर्म अपनी उदारता, व्यापकता और सहिष्णुता की वजह से पूरी दुनिया के लोगों को ध्यान खींच रहा है। ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जैसे देश में तो सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म बन गया है।

एक तरफ विदेशी भी हिन्दू धर्म की महिमा जानकर हिन्दू धर्म और संस्कृति की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, दूसरी ओर हिन्दू बाहुल देश भारत में ही ईसाई मिशनरियां और कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग हिन्दू धर्म को मिटाकर अपना धर्म बढ़ाना चाहते हैं इसलिए लालच देकर एवं जबरन धर्मान्तरण, लव जिहाद आदि करके हिन्दू धर्म को तोड़ रहे हैं ।

हिन्दू धर्म में रहने वाले भी कुछ लोग हिन्दू धर्म की महिमा समझते नही हैं और बोलते हैं कि सर्व धर्म समान । सर्व धर्म सम्मान तो हो सकता है पर सर्व धर्म समान नहीं हो सकते ।  महान सनातन हिन्दू धर्म को किसी धर्म के साथ जोड़ना मूर्खता है।

हिन्दू संस्कृति की आदर्श आचार संहिता ने समस्त वसुधा को आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।

हिन्दू धर्म का यह पूरा वर्णन नही हैं इससे भी कई गुणा ज्यादा महिमा है क्योंकि हिन्दू धर्म सनातन धर्म है इसके बारे में संसार की कोई कलम पूरा वर्णन नही कर सकती । आखिर में हिन्दू धर्म का श्लोक लिखकर विराम देते हैं ।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः

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