अप्रैल फूल मनाते है तो हो जाइये सावधान,
इतिहास पढ़कर आप भी चौंक जायेंगे...
कहीं अप्रैल फूल के नाम पर आप अपनी ही संस्कृति का मजाक तो नही उड़ा रहे...???
"#अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविकता जरुर जान ले...!
इस पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस के रूप में मनाने वाले सावधान....
Azaad Bharat April Fool |
क्या आपको पता है...#अप्रैल फूल का मतलब...???
अथार्त् हिंदुओं का #मूर्खता दिवस...!!! ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है।
दरअसल जब ईसाई अंग्रेजों द्वारा भारतवासियों को 1जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय भी भारतवासी #विक्रमी संवत के अनुसार ही लगभग 1अप्रैल से अपना नया साल मनाते थे, जो आज भी सच्चे #हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है।
आज भी हमारे देश में #बही #खाते और #बैंक 31मार्च को बंद होते हैं और #1अप्रैल से शुरू होते हैं ।
जब भारत गुलाम था तो #ईसाईयत ने #विक्रमी संवत का नाश करने के लिए #साजिश कर 1अप्रैल को #मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दे दिया ताकि हमारी सभ्यता #मूर्खता भरी लगे ।
मतलब जो भी हिन्दुस्तानी विक्रमी संवत के अनुसार नया साल मनाते थे उनको वो मूर्ख बोलते थे और जो उनके अनुसार 1 जनवरी वाला नया साल मनाते थे उनको वे बुद्धिमान समझते थे ।
अब आप स्वयं सोचे कि आपको अप्रैल फूल मनाना चाहिए या अपनी हिन्दू #संस्कृति का आदर करना चाहिए।
आइये जाने अप्रैल माह से जुड़े हुए इतिहासिक दिन और त्यौहार...
हिन्दुओं का पावन महिना इस दिन से शुरू होता है (#शुक्ल प्रतिपदा)
भगवान ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी ।
भगवान श्री राम का राजतिलक हुआ था ।
हिंदुओं के रीति -रिवाज सब इस दिन के कलेण्डर के अनुसार बनाये जाते हैं ।
महाराजा #विक्रमादित्य की काल गणना इस दिन से शुरू हुई।
भगवान #श्री_रामजी का जन्म इस महीने में आता है।
पूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म दिवस भी इसी दिन होता है।
#भगवान #झूलेलाल, भगवान #हनुमानजी, भगवान #महावीर, भगवान #स्वामीनारायण आदि का #प्रागट्य दिवस भी #अप्रैल में ही आता है।
(नॉट : कालगणना अनुसार तिथि कम ज्यादा आने से कई बार मार्च के आखरी में या अप्रैल के पहले सप्ताह में भारतीय नूतन वर्ष और ये सभी त्यौहार आते हैं ।)
अंग्रेज ईसाई सदा से हिंदुओं के विरुद्ध थे क्योंकि उन्हें लगता था कि वे हिन्दू संस्कृति को खत्म करेंगे तो ही भारत पर राज कर पाएंगे इसलिए वो नही चाहते थे कि हिंदुस्तानी ऐसा कोई त्यौहार न मनाये जिससे उनको खतरा हो ।
अंग्रेज चाहते थे कि वो हमारे ही त्यौहार मनाये जैसे नए साल में दारू पीना, दुष्कर्म करना, डांस करना जिससे #भारतवासी अपनी दिव्य संस्कृति भूल जाये और हमारी पतन कराने वाली संस्कृति अपनाए जिससे हम भारत को गुलाम बनाकर ही रखें और #भारत को लूटकर खत्म कर दें ।
इसलिए अंग्रेज #हिंदुओं के त्यौहारों को मूर्खता का दिन कहते थे ।
पर आज भी कुछ ईसाई #मिशनरियों के कॉन्वेंट स्कूल में पढ़े लिखे हिन्दू बिना सोचे समझे बहुत शान से अप्रैल फूल मना रहे हैं ।
"अप्रैल फूल" किसी को बनाकर गुलाम मानसिकता का सबूत ना दे हिन्दू!"
मार्च आखरी या अप्रैल में प्रथम सप्ताह में आने वाला भारतीय सनातन कैलेंडर,जिसका पूरा विश्व अनुसरण करता है उसको भुलाने और मजाक उड़ाने के लिए अंग्रेजो द्वारा अप्रैल फूल मनाया गया था।
1582 में पोप #ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर अपनाने का फरमान जारी कर दिया था जिसमें 1 जनवरी को नए साल के प्रथम दिन के रूप में बनाया गया।
जब अंग्रेज भारत में आये तो भारतवासियों पर भी वही कैलेंडर थोपने लगे लेकिन जिन भारतवासियों ने इसको मानने से इंकार किया, उनका 1अप्रैल को #मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे 1अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय #मूर्ख_दिवस बन गया।
और सबसे बड़ा आश्चर्य!
भारतवासी आज अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए "अप्रैल फूल" डे मना रहे हैं ।
आज मीडिया और ईसाई मिशनरियाँ तो हमारे देश को तोड़ने के लिए लगे ही है लेकिन हम क्यों अपनी महान संस्कृति भूलकर अंग्रेजो की गुलामी वाली प्रथा अपना रहे है।
अब हमें हमारी महान दिव्य सनातन संस्कृति को अपनाना होगा और हमारा पतन कराने वाली पाश्चात्य संस्कृति को भूलना होगा ।
जय हिंद!!