15 जुलाई 2020
भारत मे साधु-संत ही सनातन धर्म की रक्षा कर रहे हैं, वे हिंदुओ को सनातन धर्म की महिमा बताकर धर्म के प्रति जागरूक करते हैं, धर्मान्तरण रोकते हैं, समाज को व्यसन मुक्त और दुराचार मुक्त बनानें में योगदान देते हैं, राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं इसलिए वे विधर्मियों के हमेशा निशाने पर रहते हैं।
मीडिया भी हिंदू साधु-संतो के खिलाफ खूब दुष्प्रचार करती है लेकिन जब उनकी हत्या कर दी जाती है तो चुप हो जाती है, जबकि बॉलीवुड के लोग आत्महत्या कर दें, तैमूर का खतना हो अथवा उनका ब्रेकप आदि पर दिन रात खबरें दिखाती है पर किसी साधु-संत पर अत्याचार हो रहा हो अथवा साजिश के तहत हत्या कर दी जाए या जेल भेज दिया जाए तो मीडिया मौन धारण कर लेती है, मीडिया के साथ-साथ वामपंथी, लिबरल, तथाकथित बुद्धिजीवी, सेक्युलर, नेता सब चुप हो जाते हैं।
चोर तबरेज अंसारी की पिटाई कर दी जाए या किसी गौ तस्कर पहलू खान को चार लठ मार दिए जाए तब सारी वामपंथी मीडिया व बॉलीवुड के कुछ कुतर्की बिलबिलाने लगते हैं लेकिन साधु की पीट पीटकर हत्या कर दी फिर भी ये सब चुप हैं।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में अब्दुल्लापुर के बाजार में शिव मंदिर के उपाध्यक्ष कांति प्रसाद मंदिर की दुकानों में ही अपनी दुकान करते थे। मंदिर में साफ सफाई से लेकर हर पूजा-पाठ कराने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर थी। वे अक्सर साधू की वेशभूषा में रहते थे। इसी के साथ उनके गले में हमेशा भगवा दुपट्टा होता था।
सोमवार (जुलाई 13, 2020) को वह अपने इसी परिधान में गंगानगर स्थित बिजलीघर में बिजली का बिल जमा कराने गए। लेकिन वापस लौटते समय उन्हें ग्लोबल सिटी के पास अनस कुरैशी मिल गया। उसने कांति प्रसाद का भगवा दुपट्टा देखकर उन पर धार्मिक टिप्पणी की और विरोध करने पर उनकी पिटाई भी कर दी।
कांति प्रसाद ने गाँव लौटकर इस बारे में सबको बताया और उसके परिजनों से भी इस संबंध में शिकायत की। मगर, अनस कुरैशी तभी पीछे से आ गया और उन्हें फिर बेरहमी से मारने लगा। जब कांति प्रसाद के परिवार वालों को इस मामले की खबर हुई तो वह उन्हें भावनपुर थाने ले गए। लेकिन, थाने में कांति प्रसाद की तबीयत बिगड़ने लगी। इसके बाद एंबुलेंस बुलायी गयी और उन्हें मेडिकल कॉलेज में एडमिट करवा दिया गया।
इस दौरान कांति प्रसाद की शिकायत के आधार पर पुलिस ने अनस के खिलाफ धार्मिक टिप्पणी करने, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज कर लिया। किंतु मंगलवार को उपचार के दौरान कांति प्रसाद की मौत हो गई।
इससे साफ पता चलता है कि विधर्मियों को साधु संत अथवा भगवाधारी पसन्द नही आते है क्योंकि उल्लू को सूर्य पसंद नहीं आता, चोर को चौकीदार पंसद नही आता, वैसे ही दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों को हिन्दू संस्कृति और साधु-संत पसंद नहीं आते। इसलिए वें हमेशा उनके खिलाफ षड़यंत्र करते रहते हैं ताकि हिन्दुत्व और साधु-संतों को मिटाया जा सके।
इतिहास उठाकर देख लेंगे तो पता चलेगा कि हमारे साधु-संतों ने कितने कष्ट सहन किए हैं, फिर भी वे हँसते-हँसते हुए इन कष्टों को सहन करते गए और सनातन संस्कृति की रक्षा करते हुए हिंदुओं को जगाते रहे हैं। फिर भी हम इन भगवा वीरों का आदर नहीं करतें। बिकाऊ मीडिया जो इनके बारे में झूठी कहानियां बनाकर दिखाने लगती है तो हम उनको ही सच मानकर अपने ही धर्मगुरुओं को गलत समझकर अपने दिमाग में गलत छवि बना लेते हैं और उनसे नफरत करने लगते हैं।
इसलिए समय की मांग है कि हम इन षड़यंत्रों को समझे और इन हिन्दू विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एकजुट होकर खड़े हो।
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