12 जून 2020
वामपंथी बिकाऊ मीडिया का एक ही लक्ष्य है कि ईसाई धर्मगुरु हो अथवा मुस्लिम धर्मगुरु हो उनके ऊपर कोई आरोप लगता है अथवा अपराध सिद्ध भी हो जाये तो उसको इस तरीके से दिखाएंगे की जैसे कोई हिंदु साधु-संत है क्योंकि उनका उद्देश्य है हिंदू संस्कृति के स्तम्भ साधु-संतों को बदनाम करके हिंदू धर्म को नीचा दिखाना और कुछ भोले हिन्दू उनकी बातों में आ जाते हैं और बिकाऊ मीडिया की बात को सच मानकर अपने धर्मगुरुओं को गलत बोलने लग जाते हैं।
मुस्लिमपरस्ती में मीडिया का एक धड़ा इस कदर मदमस्त है कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया तो ये पूरा गिरोह चटपट येन-केन प्रकारेण अर्थात कुछ भी करके पाठकों के सामने ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाएगा कि समुदाय विशेष का अपराध भी ढक जाए और कोई निरपराध समुदाय या व्यक्ति खास तौर पर हिन्दू धर्म प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए।
अभी ताजा मामला आजतक द्वारा प्रकाशित एक लेख का है। जिसमें विजुअल और लेख के गड़बड़झाले से असल अपराधी असलम को पूरी तरह से गायब कर लेख में ‘बाबा’ और ‘भक्त’ जैसे शब्दों का जानबूझकर प्रयोग करते हुए पाठकों को बरगलाने और समुदाय विशेष के असलम को बचाने की शातिराना कोशिश की गई है।
क्या है असल में मामला
मध्य प्रदेश के रतलाम के नयापुरा क्षेत्र में झाड़ फूँक और पानी फूँककर इलाज करने वाले असलम की मौत हाल ही में कोरोना से होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। क्योंकि जब प्रशासन ने असलम के संपर्क में आए लोगों की लिस्ट निकाली तो वो काफी लंबी-चौड़ी निकली। इसके बाद उन लोगों का सैंपल लिया गया, जिसमें से 19 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
लेकिन, जब मीडिया में इस न्यूज़ की रिपोर्टिंग हुई तो पूरा गिरोह असलम को बाबा, भक्त, भगवा को आगे कर बचाने की हड़बड़ी में लग गया। इन्हीं 19 कोरोना पॉजिटिव लोगों को आजतक ने ‘भक्त’ और झाड़फूँक कर इलाज का ढोंग करने वाले असलम को ‘बाबा’ लिखा है।
मीडिया गिरोह का हिन्दूफ़ोबिक प्रपंच
इस तरह से स्पिन देने के मामले में वैसे ‘आजतक’ अकेला नहीं है, ‘नई दुनिया’, ललनटॉप, Ndtv, द वायर से लेकर ज़्यादातर वामपंथी धड़े के मीडिया समूह सालों से खुला-खेल फर्रुखाबादी की तरह अक्सर मुस्लिम आलिम, मौलवी, मुल्ला या किसी झाड़फूँक करने वाले फकीर या ढोंगी को ये बाबा, तांत्रिक, साधु आदि नामों और भगवा, त्रिशूल, त्रिपुण्ड के विजुअल में छिपाते आए हैं।
बहुत ही बारीकी से कभी प्रतीकात्मक तस्वीर के नाम पर तो कभी सीधे खुले में खेलते हैं कि कौन सी जनता जा रही है तहकीकात करने? अगर बाद में पता भी चला तो क्या हो जाएगा? क्योंकि आजतक कभी इन्हें अपनी इन हरकतों पर कोई बड़ा आउटरेज नहीं झेलना पड़ा।
इस तरह से फेक न्यूज़ के माध्यम से ही सही लेकिन समुदाय विशेष के शातिर मुस्लिम अपराधी को बचाने और बेहद सहिष्णु समुदाय अर्थात हिन्दुओं और उनके धार्मिक प्रतीकों को बदनाम करने का उनका मकसद लम्बे समय से पूरा होता आया है।
यहाँ एक बात विचारणीय है कि सोशल मीडिया के दौर में जब पब्लिक ही इन मीडिया गिरोहों के झूठ को पकड़ के इन्हें लताड़ती है तो भी ये पूरा वामपंथी इकोसिस्टम और मीडिया गिरोह उस सच्चाई उजागर करने वाले को ही हेट फ़ैलाने वाला कहकर अपने अपराधों और झूठ से पल्ला झाड़ती नजर आती है। बेनकाब होकर भी अपने किए की न कभी माँगते है और न ही इन्हें कोई अफ़सोस होता है।
गौरतलब है कि नई दुनिया समेत कई अन्य मीडिया पोर्टल ने भी इसी तरह से एक बार फिर से असलम के आगे ‘बाबा’ लगाकर इसे हिंदू स्पिन देने की कोशिश की। वैसे ये पहला मामला नहीं है, जब किसी अखबार ने ऐसा करने की कोशिश की हो।
इससे पहले भी आरोपित ‘मुस्लिमों’ की न केवल पहचान छिपाई गई, बल्कि इस चक्कर में हिंदुओं को बदनाम करने के लिए कई अन्य युक्तियाँ भी प्रयोग में लाई गई। जैसे हाल ही में रेप आरोपित एक और मुस्लिम आलिम असलम फैजी को ‘तांत्रिक’ बताया गया था और साथ ही जादू-टोना करने वाले मौलवी की जगह एक पुजारी का स्केच लगा दिया गया था।
मीडिया गिरोह के लोग शायद अभी भी चेत नहीं रहे हैं। नहीं तो ऐसी गलती जानबूझकर बार-बार नहीं दोहरातें वो भी तब जब इन्हें पता है कि कोई भी दो चार कीवर्ड टाइप कर तुरंत ही उनकी पोल खोल देगा।
संभवतः ऐसा करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इन मीडिया गिरोहों को पता है कि उनका एक फिक्स पाठक या दर्शक वर्ग है। जो ऐसी स्पिन दी हुई चीजों को हाथों-हाथ लपककर उन्हें वायरल कराता है जिससे इनके अतिप्रिय समुदाय विशेष के तमगे में उसके शांतिप्रिय होने का भाव तो जो बेकसूर है हिन्दू समुदाय उसके प्रतीकों और नामों के प्रति लोगों के अंदर घृणा और दुर्भावना फैलती है और ऐसा करना ही इनका असल मकसद है।
यह कोई पहली ऐसी घटना नही है जो ईसाई अथवा मुस्लिम धर्मगुरु को हिंदू धर्मगुरु बताकर बदनाम किया हो वामपंथी बिकाऊ मीडिया हमेंशा से यही करती आई है कि ईसाई और मुस्लिम धर्मगुरुओं के दुष्कर्मो को छुपाना और पवित्र निर्दोष हिंदू साधू-संतों को बदनाम करना क्योंकि उनको पता है हिंदू सहिष्णुता के नाम पर पलायनवादी और वर्ण व्यवस्था के नाम पर जातियों में बंट गए हैं इसके कारण ये वामपंथी हिंदू धर्म को हमेंशा बदनाम करते हैं अभी भी सर्तक हो जाये और कुछ नही कर सके तो बिकाऊ वामपंथी मीडिया का बहिष्कार करें, उसके अखबार नही लें, उसके वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफार्म और टीवी देखना बंद कर दें तो इनकी अक्कल ठिकाने आएगी फिर ये लोग हिन्दू धर्म के खिलाफ झूठ नही फेलायेंगें।
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