पुलिस और कोर्ट ने जमींदार को बना दिया मजदूर,12 साल कोर्ट बोला बेकसूर था
पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए बनाई गई है और जब पुलिस से भी व्यक्ति को कोई आस नही दिखती तो न्यायालय में जाता है लेकिन जब वहां पर भी निर्दोष को न्याय नही बल्कि अन्याय मिले तो वह कहाँ जाये..???
देश में सर्वोपरि #न्यायप्रणाली मानी जाती है लेकिन उसमें ही अगर #भ्रष्टाचार आ जाये तो व्यक्ति किस पर भरोसा करेगा???
अभी हाल ही में ऐसे ही एक शख्स की दर्दभरी कहानी सामने आई है जिसे पढ़कर आप भी यही बोलेंगे कि "#रक्षक ही बन गए भक्षक"
The police and the court made the landlord the laborer |
क्या हमारी रक्षा करने वाली पुलिस भी हमे फंसाती है ?
क्या न्याय देने वाले भी उनका साथ देते हैं ??
कभी #जमींदार था, आज #मजदूर है 3 साल जेल में काटे, कानूनी खर्च में सारी जमीन बिकी, अब 12 साल बाद कोर्ट का फैसला - "ये तो बेकसूर था"
चंडीगढ़ #होशियारपुर की ये कहानी एक ऐसे शख्स की है, जिसकी जिंदगी नशे की आदत ने नहीं, नशा खत्म करने के नाम पर होने वाली पुलिसिया कार्रवाई ने तबाह की है । #दर्शन_सिंह अब 38 साल का है। जब पुलिस ने इसे घर से उठाया, तब 26 साल का था...छह किले जमीन का मालिक। फिर खाकी के #करप्ट सिस्टम में ऐसा #फंसा कि केस लड़ते-लड़ते सारी जमीन बिक गई और #इज्जत भी गई। तीन साल जेल में भी काटे। अब 12 साल बाद हाईकोर्ट का फैसला आया है कि दर्शन सिंह बेकसूर है।
#हाईकोर्ट के जस्टिस ए बी चौधरी ने सजा रद्द करने का फैसला सुनाते हुए कहा- होशियारपुर की #अदालत ने सजा सुनाने में गलती की है। संदेह का लाभ आरोपी को देने की जगह पुलिस को दे दिया। इसे सही नहीं ठहराया जा सकता। पुलिस ने चूरा पोस्त के पांच बैग बरामद करने का दावा किया, लेकिन इन सभी पर पुलिस की सील नहीं मिली। ऐसे में #ट्रायल कोर्ट ने बहुत ही साधारण ढंग से सजा सुना दी, जो नहीं होना चाहिए था ।
होशियारपुर के थाना माहिलपुर पुलिस ने 26 जुलाई 2002 को दर्शन सिंह को एक बड़ा तस्कर बताते हुए उसके पास से डेढ़ क्विंटल चूरापोस्त की बरामदगी दिखाई थी। #पुलिस के जुटाए आधे-अधूरे सबूतों के आधार पर जिला अदालत ने भी 27 फरवरी 2005 को उसे दोषी करार देते हुए 10 साल #कैद की #सजा सुना दी। एक लाख रुपए #जुर्माना भी लगाया।
दर्शन सिंह ने जिला अदालत के फैसले को पंजाब एंड हरियाणा #हाईकोर्ट में #चैलेंज किया। हाईकोर्ट से जमानत मिलने में तीन साल लग गए। जेल से बाहर आया तो सबकुछ बदल चुका था। सिर्फ चार कनाल #जमीन बची थी, जिसमें उसके भाई का भी हिस्सा है। वकील की फीस और दूसरे खर्च पूरे करने मुश्किल होने लगे, इसलिए कभी जमींदार रहे दर्शन सिंह को मजदूरी पर उतरना पड़ा।
नशे का #कलंक ऐसा लगा कि कोई भी इस घर में अपनी बेटी का रिश्ता करने को तैयार नहीं हुआ। पिता महिंदर सिंह तो पहले से ही दिव्यांग हैं, एक हादसे में छोटे भाई #सतनाम सिंह के भी दोनों हाथ कट गए। इसलिए घर के ज्यादातर काम दर्शन को ही करने पड़ते हैं।
दर्शन सिंह सवाल करता है- '12 साल बाद मिले इस कागजी न्याय पर खुश होऊं कि दुखी, समझ नहीं आता।
मैंने कोई जुर्म तो किया नहीं था, लेकिन सजा अब भी जारी है। हां, इस बात का थोड़ा सकून जरूर है कि अब कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। जिन लोगों ने मेरे साथ ये सब किया, उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी तो न्याय कैसा?
गांव के ही कुछ लोगों के साथ हमारा जमीन का विवाद था। उन लोगों ने पुलिस के साथ मिलकर मुझे #फंसाया था ।
तो ये थी दर्शन सिंह की दर्दभरी दास्तान...!!
अब आपने देखा कि कैसे-कैसे झूठे केस हो जाते हैं और पुलिस की मिलीभगत से कोर्ट भी सजा सुना देता है और व्यक्ति अपनी जमीन, गहने, #घर आदि सबकुछ बेचकर न्याय पाने के लिए दिन-रात लगा रहता है लेकिन उसको अन्याय ही मिलता है और जो उसकी इज्जत, #आबरू की धज्जियां उड़ जाती है वो अलग ।
ऐसे सैकड़ों नहीं हजारों नहीं लाखों केस हैं जिनको बिना सबूत के जेल में रखा गया उनको जमानत तक नही मिल पाई और सालो के बाद कोर्ट बोलता है कि ये #बेकसूर हैं ।
स्वामी #असीमानंद, #साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, संत #आसारामजी बापू, धनंजय देसाई पर एक भी आरोप सिद्ध नही हुआ है यहाँ तक कि कई केसों में #क्लीन चिट भी मिल चुकी है लेकिन उनको एक साधारण जमानत भी नही मिल पाई । जब कोर्ट उनको निर्दोष बरी करेगा तो क्या उनकी इज्जत, पैसा, समय उनको वापिस कर पायेगा ???
अंग्रेजों द्वारा बनाये गए #कानून द्वारा कछुआ छाप चलने वाली न्यायप्रणाली में जो अभी भ्रष्टाचार व्याप्त हुआ है उसके लिए पूर्व हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के जजों ने सवाल उठाये हैं ।
कई जज तो #रिश्वत लेते पकड़े भी गये हैं ।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खरे ने कहा है कि आपके पास पैसे नही हैं तो कोर्ट के तरफ भूलकर भी नही देखना।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व #न्यायधीश काटजू ने कहा था कि भारतीय #न्याय_प्रणाली में 50% जज भ्रष्ट हैं ।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश #संतोष_हेगड़े भी सवाल उठा चुके हैं कि ‘धनी और प्रभावशाली’ तुरंत जमानत हासिल कर सकते हैं ।
कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस के एल #मंजूनाथ ने कहा कि यहाँ #सत्यनिष्ठा और #ईमानदारी के लिए कोई स्थान नहीं है और इस देश में न्याय के लिए कोई जगह नहीं ।
इसलिये आज न्याय प्रणाली से जनता का भरोसा उठ गया है ।
देश में 2.78 लाख #विचाराधीन कैदी है । इनमें से कई ऐसे हैं जो उस अपराध के लिए मुकर्रर सजा से ज्यादा समय जेलों में बिता चुके हैं ।
आरोप साबित होने पर भी कई बड़ी हस्तियाँ बाहर घूम रही है और अभी तक जिन पर आरोप साबित नही हुआ है वो जेल में है । पूर्ण रूप से अब ये समझा जाता है कि मीडिया और #पॉलिटिक्स की आपस में मिलीभगत के कारण न्यायप्रणाली में भी भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया है ।
जनता के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि निर्दोषों के लिए न्याय प्रणाली #भ्रष्ट मुक्त होकर शीघ्र निर्णय कब लेगी ???