08 जुलाई 2020
भारत-पाकिस्तान के विभाजन के 73 वर्षों के बाद 24 जून को यहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को राजधानी इस्लामाबाद में पहले श्री कृष्ण मंदिर के निर्माण की खबर मिली थी। यदि मंदिर बन जाता है तो उन्हें पूजा के लिए शहर के बाहर नहीं जाना होगा। मानवाधिकारों पर संसदीय सचिव लाल चंद माल्ही ने मंदिर का शिलान्यास किया था। लेकिन अब पाकिस्तान में इस मंदिर निर्माण का पुरजोर विरोध हो रहा हैं इसके कारण मंदिर निर्माण का कार्य रोक दिया गया हैं।
जो मुसलमान पाकिस्तान मे एक हिन्दू मन्दिर को स्वीकार नहीं करना चाहते वे भारत मे शरिया कानून लागू करवाना चाहते हैं। तेज आवाज मे 5 बार लाउड स्पीकर पर अजान चलाते हैं। आवाज धीमी करने को कहो तो धमकी देते हैं। तारिक फतेह, तसलीमा नसरीन और सलमान रश्दी को बोलने नहीं देना चाहते। भारत को संविधान से नहीं, कोर्ट से नहीं फतवों से चलाना चाहते हैं। पिछले 70 साल से पाकिस्तान की यही सच्चाई है। सैंकड़ों पुराने मन्दिर और गुरुद्वारों को पिछले 70 साल मे मस्जिद मे बदल दिया परन्तु 1 मन्दिर का बनना बर्दाश्त नहीं है। पुराने मन्दिर खंडहर हो गए हैं।
पहले पूरे पाकिस्तान में हंगामा करके इस्लामाबाद में प्रस्तावित मंदिर को रोका गया। फतवे निकाले गये। सरकार गिराने की धमकी दी गयी। इस "कुफ्र" के लिए इमरान खान को खाक में मिला देने की आवाजें उठी। परिणामस्वरूप इमरान खान सरकार ने कृष्ण मंदिर का निर्माण रुकवा दिया।
लेकिन इतने से भी बात बनी नहीं। कुछ लोग वहां पहुंचे और चारदीवारी की नींव की ईंटे उखाड़कर फेंक दी। बुतपरस्तों की ये मजाल कि इस्लामाबाद में मंदिर बनायेंगे। फिर भी संतोष न हुआ। अब वहां जाकर कुछ लोगों ने अजान दी है। नमाज पढ़ी है ताकि उस जमीन को "पाक" किया जा सके जहां बुतपरस्ती की नींव पड़ रही थी। लेकिन मुझे लगता है इतने से भी बात बनेगी नहीं। जल्द ही मंदिर के लिए एलॉट की गयी जमीन पर गोकशी करके उसे "पवित्र" किया जाएगा ताकि दोबारा वहां मंदिर बनने की संभावना पूरी तरह से समाप्त हो सके।
सहिष्णुता इसको कहते हैं। असहिष्णु हिन्दुओं को अपने मुस्लिम भाइयों से कुछ सीखना चाहिए।
आपको बता दें कि पाकिस्तान में 23% हिंदू थे आज 2% भी नही बचे हैं और पाकिस्तान में हिन्दुओं के 95% मंदिरों पर कब्ज़ा कर उनमें दुकानें चलाई जातीं हैं। कभी मुगल आक्रांताओं और औरंगज़ेब के सिपहसालारों जैसे देसी जिहादियों की मौत कहे जाने वाले सिख समुदाय की हालत भी ऐसी ही है।
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि जबरदस्ती धर्म परिवर्तन की घटनाएं केवल सिंध तक सीमित नहीं है बल्कि देश के अन्य भागों में भी ऐसा हो रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों का अपहरण होता है, उनके साथ बलात्कार किया जाता है और बाद में यह दलील दी जाती है कि, लडकी ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है। उसकी मुस्लिम व्यक्ति से शादी हो गई है और वह अपने पुराने धर्म में लौटना नहीं चाहती। यदि वे उसके अपहरण की एफआईआर करते हैं, तो यह उसे ढूंढ़ने और वापिस काफिर बनाने का पैंतरा है। लडकी नाबालिग होती है, तो उसका नकली जन्म प्रमाणपत्र बनवा लिया जाता है। इन्हीं अत्याचारो से तंग आ कर 5,000 हिन्दू हर साल अपना घरबार छोड कर भारत भाग आते हैं।
एक महिला का कहना है कि पाकिस्तान में अब वह सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं, क्योंकि पुलिस के सामने ही किसी को भी किडनैप कर लिया जाता है। नॉर्थ वेस्ट क्षेत्र में आज कोई महिला सुरक्षित नहीं है।
भारत को ‘असहिष्णु’ बोलनेवाले तथा भारत में रहने से ‘डर’ लगता है, ऐसा कहनेवाले आमिर खान, नसीरूद्दीन शाह क्या पाकिस्तान की इस ‘असहिष्णुता’ पर कुछ कहेंगे ? भारत में अल्पसंख्यक डरा हुआ है, ऐसा ढिंढोरा पिटा जाता है, किंतु पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की यह स्थिती देखकर कौन सच में ‘डरा’ हुआ है, यह ध्यान में आता है।
पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ इतना अत्याचार हो रहा है लेकिन कोई भी मानव अधिकार, संयुक्त राष्ट्र, विदेश मंत्रालय, सरकार, मीडिया, सेक्युलर, वामपंथी , न्यायालय , तथाकथित बुद्धिजीवी सब चुप है क्योंकि हिंदू तो उनको मनुष्य ही नही दिखते है अब खुद हिंदुओं को संगठित होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए नही तो एक के बाद एक की बारी होगी।
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