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Wednesday, March 1, 2017

'मैं भी शहीद का बेटा पर गुरमेहर से सहमत नहीं', मनीष शर्मा ने दिया करारा जवाब...

'मैं भी शहीद का बेटा पर गुरमेहर से सहमत नहीं', मनीष शर्मा ने दिया करारा जवाब...

रामजस कॉलेज (दिल्ली) में इतिहास विभाग ने 21 फरवरी 2017 से दो दिन का सेमिनार ‘कल्चर ऑफ प्रोटेस्ट’ आयोजित किया था। 

पहले दिन इसमेंmyउमर खालिद (जिसने आतंकी अफजल गुरु के समर्थन में देश विरोधी नारे लगाये थे ) और जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व सदस्य शेहला राशिद को भी बुलाया गया था। लेकिन ABVP
(अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के विरोध की वजह से मंगलवार का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था। 
जिसका AISA(ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन) के छात्रों ने विरोध किया। बुधवार को ABVP और AISA के छात्र आमने-सामने आ गए और मारपीट हुई। 
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मारपीट के बाद दिल्ली की लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ने वाली गुरमेहर कौर की पोस्ट वायरल हो गई ।

इसके बाद हंगामा मचा गुरमेहर की उस तस्वीर पर जिसमें वो एक प्लेकार्ड लिए खड़ी हैं। इस पर अंग्रेजी में लिखा है, ''पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है।''

गुरमेहर कौर की इस पोस्ट का जवाब मनीष शर्मा ने दिया है।
पढ़िये नीचे दी गई चिट्ठी द्वारा !!

हाय गुरमेहर कौर,

पिछले कुछ दिनों में वायरल हुए आपके वीडियो और कुछ इंटरव्यू जिनमें आपने अभिव्यक्ति की आजादी की बात की और कहा कि, 'पाकिस्तान ने आपके डैड की हत्या नहीं की, युद्ध ने उन्हें मार डाला।' इस पोस्ट के चलते आपका नाम हर घर तक पहुंच गया है।

मैं सार्वजनिक तौर पर भावनाओं की अभिव्यक्ति से बचता हूँ लेकिन इस बार लगता है कि बहुत हो गया। मुझे नहीं मालूम कि आप ये जानबूझ कर रही हैं या अनजाने में, लेकिन आपकी वजह से डिफेंस से जुड़े परिवारों की भावनाएं आहत हो रही हैं ।

पहले मैं अपना परिचय दे दूं, मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में आईटी पेशेवर के तौर पर काम करता हूँ।  मेरे पिता भारतीय सेना में अधिकारी थे जो श्रीनगर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान चरमपंथियों से संघर्ष करते हुए मारे गए थे ।

मैं नहीं जानता कि मैं इसके लिए किसे दोष दूं - युद्ध को, पाकिस्तान को, राजनेताओं को और किसे दोष नहीं दूं क्योंकि मेरे पिता वहां संघर्ष कर रहे थे जो विदेशी जमीन ही थी क्योंकि वहां के स्थानीय लोग कहते हैं- इंडिया गो बैक ।

मेरे पिता ने अपनी जान दी उन्हीं लोगों के लिए, हमारे लिए और हमारे देश के लिए । 
बहरहाल, हम दोनों नैतिकता के एक ही धरातल पर मौजूद हैं- आपके पिता ने भी जान दी और मेरे पिता ने भी जान गंवाई है ।

अब कदम दर कदम आगे बढ़ते हैं । आपने कहा कि पाकिस्तान ने आपके पिता को नहीं मारा, ये युद्ध था जिसने आपके पिता को मारा ।

मेरा सीधा सवाल आपसे है? आपके पिता किससे संघर्ष कर रहे थे? क्या ये उनका निजी युद्ध था या फिर हम एक देश के खिलाफ लड़ रहे थे?

जाहिर है ये पाकिस्तान और उसकी हरकतें ही थी, जिसके चलते आपके पिता और उनके जैसे कई सेना अधिकारियों को कश्मीर में तनावपूर्ण माहौल में अपनी जान गंवानी पड़ी ।

अपने पिता की मौत की वजह युद्ध बताना तर्कसंगत लगता है, लेकिन जरा सोचिए उनकी मौत की कई वजहें थी। -

1. पाकिस्तान और उसका विश्वासघाती कृत्य !

2. भारत के राजनीतिक नेतृत्व में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव !

3. हमारे नेतृत्व की एक के बाद एक गलतियां !

4. धार्मिक कट्टरता !

5. भारत में मौजूद स्लीपर सेल जो भारत में रहकर पाकिस्तानी आईएसआई की मदद करते हैं !

और इन सबके अलावा, उनकी मौत की वजह- अपनी ड्यूटी के प्रति उनका पैशन और उनकी प्रतिबद्धता थी ।

ये वजह थी ।

मैं इसे एक्सप्लेन करता हूँ ।

आपके पिता ने अपनी जान तब गंवाई जब उनकी उम्र काफी कम थी, आप महज दो साल की थी। ये देश के प्रति उनका पैशन था, राष्ट्रीय झंडे और अपने रेजिमेंट के प्रति सम्मान का भाव जिसने उन्हें शहीद होने का साहस दिया ।

नहीं तो हम लोग देख रहे हैं कि आपके पिता से ज्यादा उम्र के लोग अभी भी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं और देश के खिलाफ काम कर रहे हैं- किसी कुर्बानी की इनसे उम्मीद के बारे में तो भूल ही जाइए ।


क्या आपको मालूम है कि आपके पिता ने जिस कश्मीर के लिए अपनी जान दी, उसी कश्मीर की आजादी के लिए ये जेएनयू में नारे लगाते हैं ।

वे किस आजादी की बात करते हैं, वे कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बता रहे हैं, ये उनके लिए आजादी है और इसके खिलाफ हम दोनों के पिता ने संघर्ष किया था ।

आप जागरूक नागरिक होने के बाद भी इनकी वकालत कर रही हैं । ये वो लोग हैं जो अपने कभी ना खत्म होने वाले प्रोपगैंडे के लिए आपको प्यादे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं ।

मैंने आपका आज सुबह इंटरव्यू सुना जिसमें आप कह रही हैं कि आप किसी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ नहीं हैं, आप केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात कर रही हैं ।

मेरा आपसे सीधा सवाल है - आपके लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या है? क्या आपके लिए यह भारत के टुकड़े हो, जैसे नारे लगाना है?

क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब आपके लिए लोगों- मेरे और आपके अपने पिता और उनकी तरह सीमा पर दिन रात गश्त लगा रहे जवानों के अपमान करने का अधिकार मिल जाना है?

मिस कौर, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है । अगर आपके पिता आज जीवित होते तो वे आपको बेहतर बता पाते ।

मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है- आप अपने पिता से कुछ सीखिए । कम से कम अपने देश का सम्मान करना सीखिए क्योंकि देश हमेशा पहले आता है ।

मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी बात स्पष्टता से रख पाया हूँ ।

जय हिंद !!

मीडिया ने झूठ फैलाया था, करगिलर में शहीद नही हुए थे गुरमेहर कौर के पिता

यह घटना साल 1999 की है जब पाक घुसपैठियों ने जम्मू में राष्ट्रीय रायफल्स के कैंप पर हमला कर दिया था। गुरमेहर के पिता अमनदीप सिंह अपने कैंप को बचाने के लिए आतंकियों के सामने दीवार बन के खड़े हो गए। गोलीबारी में आखिर अमनदीप शहीद हो गए।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू बोले- जवानों की मौत पर जश्न मनाते हैं वामपंथी, यूनिवर्सिटी जाकर बच्चों को मत करें गुमराह !!

किरण रिजिजू ने कहा यह राष्ट्रवादी और गैर-राष्ट्रवादी विचारधारा रखने वाले लोगों के बीच की वैचारिक लड़ाई है।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि ‘सेना के शहीद की बेटी के मस्तिष्क को कौन प्रदूषित कर रहा है’ संबंधी उनका बयान वामपंथियों पर केंद्रित था, साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि वह अपने विचार व्यक्त करने को स्वतंत्र है। रिजिजू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही उन्होंने सवाल उठाया था कि 20 वर्षीय गुरमेहर कौर के मस्तिष्क को कौन प्रदूषित कर रहा है। 

रिजिजू ने कहा, ‘मैं अपने बयान पर कायम हूँ । कोई भी व्यक्ति जो सोशल मीडिया पर लिखता हो, उसे सजग रहना चाहिए । लेकिन विपरीत विचार रखने वालों को भी बोलने दिया जाना चाहिए। गुरमेहर युवा लड़की है और उसे अपने मन की बात रखने देना चाहिए। जब मैं कहता हूँ कि कोई उसके (गुरमेहर) मस्तिष्क को प्रदूषित कर रहा है, तब मेरा आशय वामपंथियों से होता है।’

गृह राज्य मंत्री रिजिजू ने कहा कि अगर कौर को कोई धमकी मिली है तब उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ लोग इस मुद्दे को लेकर राजनीति कर रहे हैं। वामपंथियों के रूख को लेकर आलोचना करते हुए रिजिजू ने कहा कि जब भी भारतीय सैनिक मरते हैं, वे उत्सव मनाते हैं।


रिजिजू ने आगे कहा, ‘मेरा वामपंथियों से कहना है कि जब भी कोई हमारा जवान शहीद होता है तो आप लोग जश्न मनाते हैं। जब साल 1962 में भारत और चीन की लड़ाई हुई थी, तब भी आपने चीन का साथ दिया था। आज भी हमारा कोई जवान आतंकियों के साथ लड़ाई लड़ते हुए शहीद हो जाता है तो आप जश्न मनाते हैं। आप लोग यूनिवर्सिटी और कॉलेज में जाकर लोगों और हमारे बच्चों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं, यह ठीक नहीं है।’

साथ ही उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस एक परिवार तक सीमित है। उनकी कोई विचारधारा नहीं है, इसलिए वे लोग चुप बैठे हैं। यह राष्ट्रवादी और गैर-राष्ट्रवादी विचारधारा रखने वाले लोगों के बीच की वैचारिक लड़ाई है। देश इसका निर्णय करेगा कि देश किस दिशा में जाएगा और भारत को कैसे मजबूत करना है यह देशवासी तय करेंगे।’ रिजिजू ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘अराजक’ करार देते हुए कहा कि वे कुछ ऐसे छात्रों का पक्ष ले रहे हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय में समस्या खड़ी कर रहे हैं।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि गुरमेहर कौर शहीद की बेटी है। आज उस शहीद की भी आत्मा रो रही होगी यह देखकर कि जवानों की लाश पर जश्न मनाने वाले लोग उनकी बेटी को गुमराह कर रहे हैं।

आपको बता दें कि इस घटना के बाद कई हस्तियां ट्वीटर पर भिड़ी और केजरीवाल और राहुल गाँधी जैसे नेताओं ने कौर का स्पोट भी लिया लेकिन देशभक्तों ने उनको करारा जवाब दिया है ।

देश को तोड़ने के लिए पढ़ने वाले बच्चों का ब्रेन वोश किया जा रहा है और उनसे भारत के ही विरोध में बुलवाया जा रहा है और फिर उनके समर्थन में कई देशविरोधी नेता, हस्तियाँ और मीडिया आ जाती है ।
अतः देशवासी इन षड्यंत्रकारियों से सावधान रहें ।