16 अगस्त 2020
भारत में भगवान श्री रामजी का नाम लेने पर लिबरल जलने लगते हैं जैसे श्री राम के नाम से रावण और राक्षस जलते थे लेकिन कई देशों में भगवान श्री राम की आराधना की जाती है यहां तक ही अपना राष्ट्रीय ग्रंथ भी रामायण को रखा है और करेंसी पर भी भगवान श्री रामजी के फोटो लगाकर रखे हैं।
ट्विटर पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत पटेल उमराव ने लिखा कि महर्षि महेश योगी ने हॉलैंड में आज से लगभग बीस साल पहले “राम” नाम से करेंसी चलाई थी। साथ ही उन्होंने 1, 5 और 10 ‘राम’ का नोट भी शेयर किया, जिस पर भगवान राम की तस्वीर बनी हुई है और साथ हुई ‘विश्व शांति राष्ट्र’ अंकित किया हुआ है। इस पर ‘नीदरलैंड’ भी लिखा हुआ है।
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इस दावे को आगे बढ़ाया और लिखा कि एक हमारे यहाँ के नेता हैं, जो राम नाम को ही सांप्रदायिक मानते हैं और राम मंदिर पर मोदी सरकार का समर्थन करने से दूर भागते हैं क्योंकि ये सब उनकी तुष्टिकरण की नीति के खिलाफ है। लोगों ने लिखा कि जिस देश में राम का जन्म हुआ, उससे ज्यादा बाहर के लोग उन्हें मान-सम्मान दे रहे हैं और उनके नाम पर करेंसी भी है।
ऑपइंडिया ने जब सोशल मीडिया के इन दावों की पड़ताल की तो पाया कि राम नाम की करेंसी हॉलैंड में है और इसे वहाँ मान्यता भी मिली हुई है। इस दौरान हमें फ़रवरी 2003 की एक बीबीसी की खबर मिली, जिसमें बताया गया था कि डच सेन्ट्रल बैंक ने स्पष्ट कर दिया है कि महर्षि महेश योगी द्वारा जारी की गई ‘करेंसी’ राम उसके नियमों का उलंघन नहीं करती। साथ ही बताया गया था कि उस वक़्त हॉलैंड में 100 से अधिक दुकानें इसका लेनदेन करती हैं।
इसे अक्टूबर 2001 में ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस’ द्वारा लॉन्च किया गया था। कई शहरों और गाँवों में, यहाँ तक कि बड़े मॉल्स में भी इस करेंसी को स्वीकार किया जाता है। डच सेन्ट्रल बैंक ने कहा था कि ये सब कुछ नियमानुसार हो रहा है। महर्षि मूवमेंट के ‘वित्त मंत्री’ रहे बेंजमिल फेल्डमैन ने कहा था कि गरीबी से लड़ने में राम मददगार साबित हो सकता है और कृषि में इसके उपयोग को बढ़ावा मिलना चाहिए।
राम को ‘वर्ल्ड पीस बॉन्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। महर्षि मूवमेंट का कहना है कि इससे विश्व शांति को मजबूती मिलेगी, अर्थव्यवस्था में संतुलन बनेगा और साथ ही गरीबी से लड़ाई में ये कारगर सिद्ध होगा। यूरोप में इसकी कीमत 10 यूरो के बराबर होती है, वहीं अमेरिका में ये 10 डॉलर के बराबर हो जाता है। राम के नोट सिर्फ 3 डेनोमिनाशन में आते हैं। इसका सर्कुलेशन काफी तेजी से बढ़ा था।
फ़िलहाल इसे आर्थिक विशेषज्ञ ‘बेयरर बॉन्ड’ या लोकल करेंसी कहते हैं। नीदरलैंड के 30 शहरों में इसका उपयोग किया जाता है। लोवा में स्थित महर्षि सिटी को इसकी राजधानी कहा जाता है। इसके द्वारा अमेरिका के विभिन्न शहरों में ‘पीस पैलेस’ बनाए जा रहे हैं। इस तरह से ये दवा सही है कि राम करेंसी को हॉलैंड में डच सरकार की मान्यता मिली हुई है और इसकी कीमत 10 यूरो है। लेकिन, बात ‘ लीगल टेंडर’ की हो तो इसे दुनिया की सबसे महँगी करेंसी नहीं कह सकते।
मुस्लिम देश इंडोनेशिया में श्री रामजी
आपको बता दें कि सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया देश में अयोध्या भी है और यहां के मुस्लिम भी भगवान राम को अपने जीवन का नायक और रामायण को अपने दिल के सबसे करीब किताब मानते हैं। रामायण ही नही इंडोनेशियाई रुपिया के 20,000 के नोट पर भगवान गणेश की भी तस्वीर छपी है।
इंडोनेशिया में हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। वहां भगवान गणेश को कला, शास्त्र और बुद्धिजीवी का भगवान माना जाता है।
बौद्ध देश थाईलैंड श्री राम का दीवाना
बौद्ध बहुल देश थाईलैंड के लोगों में हिन्दू धर्म के प्रति भी आस्था दिखती है । यहां के लोग अपने राजा को भगवान राम का वंशज मानते हैं और उन्हें विष्णु का अवतार कहते हैं । थाई संस्कृति और साहित्य का रामायण और श्रीराम से काफी जुड़ाव है । यहां के राजा अपने नाम के साथ राम लिखते थे । इसके अलावा थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक को ‘महेंद्र अयोध्या’ भी कहते हैं । लोगों का मानना है कि यह ‘अयोध्या’ इंद्र ने बसाई थी ।
थाईलैंड में रामायण को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित कर दिया है।
विदेशों में भगवान श्री रामजी व हिंदू देवी देवताओं को इतना आदर पूजन करते है भारत के लीबरल इसकी महत्ता कब समझेंगे।
पाठ्यक्रम में भी गीता, रामायण और महाभारत को शामिल करना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति के बारे में पता रहें।
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