05 मई 2020
पाश्चात्य शिक्षा के रंग में रंगे हुए लोग कई बार मानते हैं कि दारू का थोड़ा इस्तेमाल आवश्यक और लाभप्रद है। वें अपने आपको सुधरे हुए मानते हैं। लेकिन यह उनकी भ्रांति है। डॉ. टी.एल. निकल्स लिखते हैं- "जीवन के लिए किसी भी प्रकार और किसी भी मात्रा में अल्कोहल की आवश्यकता नहीं है। दारू से कोई भी लाभ होना असंभव है। दारू से नशा उत्पन्न होता है लेकिन साथ ही साथ अनेक रोग भी पैदा होते हैं। जो लोग सयाने हैं और सोच समझ सकते हैं, वे लोग मादक पदार्थों से दूर रहते हैं। भगवान ने मनुष्य को बुद्धि दी है, इससे बुद्धिपूर्वक सोचकर उसे दारू से दूर रहना चाहिए।"
दारू पीने वालों की स्त्रियों की कल्पना करो। उनको कितना दुःख सहन करना पड़ता है। शराबी लोग अपनी पत्नी के साथ क्रूरता पूर्ण बर्ताव करते हैं। दारू पीने वाला मनुष्य मिटकर राक्षस बन जाता है। वह राक्षस भी शक्ति एवं तेज से रहित होता है। उसके बच्चे भी कई प्रकार से निराशा महसूस करते हैं। सारा परिवार पूर्णतया परेशान होता है। दारू पीने वालों की इज्जत समाज में कम होती है। ये लोग योग तथा भक्ति के अच्छे मार्ग पर नहीं चल सकतें। आदमी ज्यों-ज्यों अधिक दारू पीता है त्यों-त्यों अधिकाधिक कमजोर बनता है।
दारू पीने के अनेकों नुकसान को लेकर 6 अक्टूबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवा पीढ़ी में शराब पीने की बढ़ती समस्या पर चिंता जताते हुए कहा था कि यदि इस बुराई को नहीं रोका गया तो अगले 25 साल में समाज तबाह हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने बताया था कि क्या आप इस बारे में खबर नहीं सुनते कि युवा पीढ़ी खासकर हमारें लड़के शराब और ऐसी चीजों के चंगुल में फंस रहे हैं, जिनसे हमारे पूर्वज घृणा करते थें। यदि हम इस प्रवृत्ति को बढ़ते रहने देंगे तो 20-25 साल में हमारा समाज तबाह हो जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदीजी ने ही कहा था कि शराब युवा पीढ़ी को तबाह कर देगा प्रधानमंत्री के अभी तक सभी निर्णय अच्छे माने गए हैं लेकिन शराब खोलने के फैसले का जनता विरोध कर रही है क्योंकि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन की स्थिति में जब 45 दिन तक लोगों ने दारू नही पिया तो एक भी व्यक्ति नही मरा घरेलु हिंसा भी कम हुई थी और लोगो का स्वास्थ्य भी अच्छा हो रहा था लेकिन जैसे ही राजस्व बढ़ावे के लिए शराब की दुकान खोली तो घरेलु हिंसा बढेगी, रोग भी बढ़ेंगे और लॉकडाउन में लोग अपने घर मे पैसे नही होंगें तो भी कर्जा लेकर अथवा घर के गहनें बेचकर अथवा चोरी करके दारू पिएंगें इससे उनका खुद का आर्थिक नुकसान भी होगा, नुकसान होने के कारण आत्महत्याऐं तक बढ़ सकती हैं! दूसरी बात की ऐसा अनीति से कमाया धन भी देशवासियों को नुकसान करेगा इसलिए प्रधानमंत्री जी से निवेदन है कि ऐसा कोई कदम न उठाएं की देशवासियों का नुकसान हो जाये।
सभी चाहतें हैं कि हमारे भारत देश की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत हो कि विश्व मे किसी की भी न हो क्योंकि पूर्व में हमारा देश सोने की चिड़िया रहा है पर क्या अभी हमारे पास सिर्फ दारू बेचकर ही आर्थिक स्थिति मजबूत करने का तरीका बचा है? इसके अलावा कोई अन्य उपाय नही है? हमारें देशवासी बहुत मेहनती हैं, अगर उनको मौका देंगे तो वें फिर से आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं जैसे कि अगर हम आर्युवेद और देशी गौ माता के उत्पाद बनाकर दुनिया को उसकी महिमा बताकर दें सकते हैं इससे वें लोग स्वस्थ होंगे और हमारा राजस्व बढ़ेगा एकबार इसको करके देखना चाहिए पर शराब की दुकानें चालू करके अर्थव्यवस्था अच्छी करना ये तो हमारे लिए घातक साबित होगा।
शराबी लोग स्वयं तो डूबते हैं साथ ही साथ अपने बच्चों को भी डुबोते हैं। सुविख्यात डॉक्टर डॉक कहते हैं कि दारू पीने वाले लोग अत्यन्त दुर्बल होते हैं। ऐसे लोगों को रोग अधिकाधिक परेशान करते हैं।
दारू के शौकीन लोग कहते हैं कि दारू पीने से शरीर में शक्ति, स्फूर्ति और उत्तेजना आती हैं। परन्तु उनका यह तर्क बिल्कुल असंगत है। थोड़ी देर के लिए कुछ उत्तेजना आती है लेकिन अन्त में दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
जीव विज्ञान के ज्ञाताओं का कहना है कि शराबियों के रक्त में अल्कोहल मिल जाता है अतः उसके बच्चे को आँख का कैन्सर होने की संभावना है। दस पीढ़ी तक की कोई भी संतान इसका शिकार हो सकती है। शराबी अपनी खाना-खराबी तो करता ही है, दस पीढ़ियों के लिए भी विनाश को आमंत्रित करता है।
इन विनाशकारी परिणाम को देखते हुए सरकार को दारू हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए।
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