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Tuesday, August 18, 2020

फिर से मारा गया हिंदू समाज पर कुल्हाड़ा, ये लोग अन्य धर्म पर चुप रहते हैं!

18 अगस्त 2020


चारों तरफ से यही साजिशें चली आ रही हैं कि कैसे भी करके सनातन हिंदू धर्म को खत्म कर दिया जाए उसके लिए अनेक प्रकार के षड़यंत्र रचे जा रहे हैं, हिंदू धर्म का अपमान व हिंदू धर्म के प्रति नफरत फैलाने व हिंदू धर्म को नीचा दिखानें में अगर सबसे बड़ा रोल है तो वो बॉलीवुड का रहा हैं। ये लोग ऐसी फिल्में बनाते हैं जिससे हिन्दू देवी देवताओं,  साधु-संतों, ब्राह्मणों, पर्व-त्योहारों और मंदिरों, आश्रमों आदि पर गलत फिल्में दिखाकर जनता को गुमराह करते हैं और बताते हैं कि सारी बुराइयां सनातन हिंदू धर्म में ही हैं लेकिन उससे उलट चर्चों में पादरी क्या करते हैं, मस्जिदों में मौलाना क्या करते हैं इस पर नहीं दिखाते हैं क्योंकि इनको पता है कि ऐसा करने पर कमलेश तिवारी की तरह हत्या हो जायेगी और हिंदू समाज सहिष्णु है तो सोशल मीडिया पर थोड़ा हल्ला करके चुप हो जायेंगे।



अभी कुछ हिंदुओं में जागरूकता आई है लेकिन सभी को जागना होगा और बॉलीवुड के इस हिंदू विरोधी रवैये को उखाड़ फेंकना होगा नहीं तो ये लोग दिमक की तरह हमारी संस्कृति को खा रहे हैं।

आपको बता दें कि एम एक्स प्लेयर पर निर्माता और निर्देशक प्रकाश झा द्वारा MX Original सीरीज "आश्रम" मूवी को 28 अगस्त 2020 को रिलीज की जा रही है। वेब सीरीज में बॉबी देओल लीड रोल में है। इसमें ये बताने का प्रयास किया है कि हिंदू साधु-संत भक्तों की आस्थाओं का दुरुपयोग करके कैसे राजनीति में दखल करते हैं और अय्याशी करते हैं।

वास्तविकता तो यह है कि कितने साधु-संतों ने घोर तपस्या की है फिर वे समाज में आकर उनको सही मार्ग दिखाते हैं, समाज को व्यसनमुक्त बनाने का प्रयास करते हैं, संयमी और सदाचारी समाज को बनाते हैं, गरीबों-आदिवासियों को सहायता करते हैं। गौ माता की रक्षा करते हैं। बच्चों, युवाओं व महिलाओं के उत्थान के लिए केंद्र खोलते हैं। धर्मान्तरण पर रोक लगाते हैं। चिंता ,टेंशन में रह रहे लोगों को शांति देते हैं, स्वदेशी का प्रचार करते हैं, सभी को स्वस्थ, सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाते हैं। राष्ट्र व धर्म की रक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।

बॉलीवुड वाले इस वास्तविकता पर फ़िल्म नहीं बनायेंगे, ये लोग हिंदू धर्म को नीचा दिखाने के लिए झूठी कहानियां बनाकर जनता में परोसेंगे जिससे सोचने समझने की शक्ति नहीं रखने वाले इन झूठी कहानियों पर विश्वास कर लेते हैं और अपने ही धर्म व धर्मगुरुओं पर शंका करने लगते हैं।

चर्च-पादरी का घिनौना चेहरा

आपको बता दें कि कन्नूर (केरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि "चर्च" के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी। एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी। मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी। ’यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है।'

सान डियेगो चर्च के अधिकारियों ने पादरियों के द्वारा किये गये बलात्कार, यौन-शोषण आदि के 140 से अधिक अपराधों के मामलों को निपटाने के लिए 9.5 करोड़ डॉलर चुकाने का ऑफर किया था। चर्च की आड़ में चल रहे यौन शोषण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं। सन् 1950 से 2002 के काल में पादरियों के द्वारा किये गये यौन-शोषण के 10,667 अपराध दर्ज किये गये। उनमें से 3300 की जाँच पूरी होने के पहले ही वे मर गये। बाकी 7700 में से 6700 पादरियों को अपराधी घोषित किया गया। सन् 2002 में आयरलैंड के पादरियों के यौन-शोषण के अपराधों के कारण 12 करोड़ 80 लाख डॉलर का दंड चुकाना पड़ा। मई 2009 में प्रकाशित रायन रिपोर्ट के अनुसार 30,000 बच्चों को इन संस्थाओं में ईसाई ननों और पादरियों द्वारा प्रताड़ित और उनका शोषण किया जाता रहा।

मदरसों का हाल

उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने बताया था कि "मदरसों में बच्चों को बाकियों से अलग कर कट्टरपंथी सोच के तहत तैयार किया जाता है। यदि प्राथमिक मदरसे बंद ना हुए तो 15 साल में देश का आधे से ज्यादा मुसलमान आईएसआईएस का समर्थक हो जाएगा । ये देश के लिए भी खतरा है। उन्होंने कहा था कि 'कुछ मरदसों में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां हैं, जो बंद होनी चाहिए ।

आपको बता देते हैं कि जुलाई 2018 में पुणे के एक मदरसे के मौलवी को अपने ही मदरसे के बच्चों का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है । साथ ही 36 बच्चों को भी मुक्त कराया गया था । कुछ समय पहले दिल्ली में काफी लड़कियों को मदरसों में बंधक बनाकर रखा था उनको भी छुड़ाया था।

बॉलीबुड में इन चर्च व पादरी और मदरसे व मौलाना पर फ़िल्म क्यों नहीं बना रहे हैं? इनको सिर्फ साधु-संत में ही गलती क्यों दिखाई देती है?  हो सकता है कुछ दुष्ट लोग साधु का वेश पहनकर हिंदू धर्म को बदनाम करते होंगे लेकिन इसके कारण सबको खराब क्यों बताया जाता है? साधु-संतों की अच्छाई क्यों नहीं दिखाई जाती है? उनके ऊपर हो रहे षडयंत्र के ऊपर फ़िल्म क्यों नहीं बनाई जाती हैं, साधु-संतों की हत्या और झूठे केस बनाकर जेल भेजने के षड़यंत्र वाली फिल्में बॉलीवुड वाले क्यों नहीं बनाते हैं?

वास्तविकता यही है कि बॉलीवुड हमेशा हिंदू विरोधी रहा है और वो कभी भगवान तो कभी देवी-देवताओं तो कभी मंदिरों तो कभी साधु-संतों तो कभी ब्राह्मणों को नीचा दिखाने व अन्य मजहब के लोगों को अच्छा दिखाने वाली फिल्में इसलिए बनाते हैं कि उनका उद्देश्य यही है कि सनातन हिंदू धर्म को खत्म कर दिया जाए और साधु-संतों को तो खासकर इसलिए टारगेट करते हैं कि वे हिंदुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक करते हैं, व्यसन छुड़वाते हैं, धर्मान्तरण रोकते हैं इसके कारण ये लोग हिंदू धर्म के साधु-संतों की बदनामी करने के लिए धर्म विरोधी लोगों से फंड लेकर ऐसी फिल्में बनाते हैं।

सभी सनातनियों से निवेदन है कि "आश्रम" व अन्य हिंदू विरोधी फिल्मों को देखे ही नहीं। इससे अपने आप ये लोग ऐसी फ़िल्में बनाना बंद कर देंगे और यूट्यूब पर वीडियो को रिपोर्ट और डिसलाइक जरूर करें तभी सनातन धर्म विरोधी लोगों की आँखे खुलेगी।

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