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Monday, October 12, 2020

अमेरिकन प्रोफेसर : हिन्दू धर्म से बड़ा कोई धर्म नही, हिंदुत्व से बेहतर और कुछ नहीं

12 अक्टूबर 2020


अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना स्थित ऐलोन यूनिवर्सिटी में धार्मिक इतिहास विभाग के सीनियर प्रोफेसर ब्राइन के.पेनिंग्टन इन दिनों में भारत आये है और हिंदुत्व पर गहन खोज कर रहे हैं।




प्रोफेसर ब्राइन ने कहा कि बीते ढाई दशक में मैंने हिंदुत्व को जितना पढ़ा और समझा, उसका सार यही है कि जीवन को संचालित करने की हिंदुत्व से बेहतर कोई और व्यवस्था नहीं। दुनिया के किसी भी धर्म का उद्भव व उद्देश्य मानव सभ्यता के विकास क्रम में और मानवीय जीवनशैली को बेहतर बनाने पर केंद्रित रहा है।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उस मत से मैं पूरी तरह सहमत हूं, जिसमें हिंदुत्व को 'वे ऑफ लाइफ' (जीवन पद्धति) माना गया है। मेरे जीवन में भी हिंदुत्व का बड़ा महत्व है और यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं हिंदुत्व पर शोध कर रहा हूं...।

54 वर्षीय प्रो. ब्राइन हिंदुत्व एवं हिंदू मान्यताओं पर अब तक तीन पुस्तकें लिख चुके हैं। इन दिनों शोध के सिलसिले में वे भारत आए हुए हैं।

माघ मेले में शामिल होने आया हूं-
माघ मेले में शामिल होने और हिंदू धर्म, दर्शन व मान्यताओं पर अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए भारत आए प्रो. ब्राइन ने यहां दैनिक जागरण से चर्चा में कहा, हिंदुत्व पर लंबे शोध में मैंने अब तक यही पाया कि सांस्कृतिक मूल्यों और मान्यताओं के रूप में हिंदुत्व का इतिहास मानव सभ्यता के विकास जितना ही पुराना है। लेकिन एक धर्म के रूप में इसके सभी सांस्कृतिक मूल्यों और समान मान्यताओं का एकीकरण क्रमिक चरण में हुआ।

प्रोफेसर ने बताया कि हिंदू धर्म के इतिहास पर शोध करने के लिए वे वर्ष 1993 में पहली बार भारत आए थे। हिंदुत्व को लेकर अब तक उनकी तीन पुस्तकें 'वास हिंदुइज्म इनवेंटेड', 'रीचिंग रिलीजियन एंड वाइलेंस' और 'रिचुअल इनोवेशन' प्रकाशित हो चुकी हैं।

हिंदुत्व पर अब शोध की थीम क्या है? इस पर उन्होंने कहा, आज भी वही है, जो पहले थी- हिंदुत्व को समझना। इस समय शोध का विषय देवी-देवताओं और हिंदुत्व के बीच संबंध पर केंद्रित है। माघ मेले में सम्मिलित होने के अलावा मुझे कुछ पौराणिक स्थलों और देवी-देवताओं से संबंधित जानकारियों का संकलन करना है।

अमेरिकी विवि का पाठ्यक्रम-
प्रो. ब्राइन के अनुसार अमेरिकी विवि में रिलीजियस स्टडीज में हिंदुत्व के बारे में सबसे पहले हिंदुत्व का इतिहास पढ़ाया जाता है। हिंदू दर्शन को समझा सकने वाले वेद, पुराण, उपनिषद, गीता, रामायण, महाभारत सहित अन्य रचनाएं पाठ्क्रम में शामिल हैं। इसके अलावा स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी व माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर जैसी शख्सियतें भी पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। प्रोफेसर ने स्पष्ट किया कि हिंदुत्व के बारे में जो भी पढ़ाया जाता है, वह प्रमाणों और तथ्यों पर आधारित होता है। इसके लिए शोध भी किया जाता है।

16 साल का था तब पहली बार पढ़ी गीता-

इस अमेरिकी प्रोफेसर ने कहा, जब मैं 16 वर्ष का था, तब पहली बार गीता पढ़ी। इसी के बाद मेरी हिंदुत्व के प्रति रुचि जागृत हुई। फिर तो मैंने वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत सहित सभी धर्मशास्त्रों, 15वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक के सभी संतों और विवेकानंद, गोलवलकर व गांधी जैसे महापुरुषों के बारे में भी अध्ययन किया। महाभारत ग्रंथ को पढ़कर मैं खासा प्रभावित हुआ। महाभारत में जो किरदार हैं, उनका अपना अलग महत्व है। खासकर युधिष्ठिर से मैं सबसे अधिक प्रभावित हुआ। जबकि, रामायण समझने में अति सरल है।

सकारात्मक आस्था के मामले में हिंदू धर्म सर्वश्रेष्ठ-

प्रो. ब्राइन का मानना है कि सकारात्मक आस्था के मामले में हिंदू धर्म सभी धर्मों में श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा, इसका उदाहरण गंगा नदी के रूप में देखा सकता है। गंगा को माता का दर्जा दिया गया है, लेकिन उसका जल सभी के लिए बराबर है। हिंदुत्व में मानव सभ्यता के उच्चतम आदर्शों व मूल्यों का समावेश है और प्रकृति पूजा इसके मूल में है।

डॉ. डेविड फ्रॉली कहते हैं : हिंदुत्व बहुत पावरफुल कल्चर है, ‘‘भारत को अपने लक्ष्य तक पहुँचना है और वह लक्ष्य है अपनी आध्यात्मिक संस्कृति का #पुनरुद्धार । इसमें न केवल भारत का अपितु मानवता का कल्याण निहित है । यह तभी सम्भव है जब भारत के बुद्धिजीवी आधुनिकता का मोह त्यागकर अपने हिन्दू धर्म और अध्यात्म की कटु आलोचना से विरत होंगे ।

अमेरिका के प्रोफेसर भी खुलकर हिन्दू धर्म को महान बता रहे हैं लेकिन भारत मे सेक्युलर के नाम पर हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने की भारी कोशिश की जा रही है और मीडिया, सेक्युलर नेता आदि हिन्दू विरोधी बातें #करते हैं यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट भी हिन्दू धर्म के खिलाफ कई बार जजमेंट दे चुका है, सरकार भी सेक्युलर एजेंडे में ही चल रही है हिन्दू धर्म पर भारी खतरा मंडार रहा है।

हिन्दू धर्म की महिमा अमेरिका के प्रोफेसर समझ रहे हैं तो भारत के हिन्दू कब समझेंगे ? गीता पढ़कर हिन्दू धर्म की महत्ता समझ गये तो भारत में हिन्दू गीता, उपनिषद आदि हिन्दू धर्मग्रंथों को क्यों नही पढ़ रहे हैं? हिंदुओं ने अपने धर्म की उपेक्षा करने लगे है और पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित होने लगे हैं इसलिए आज हिंदुत्व पर प्रहार होने लगा है और विदेशी ताकतें हिन्दुओं का धर्मान्तरण करवा रहे हैं ।

अभी भी हिन्दू जगा नही और अपने धर्म की महिमा समझकर लौटा नही तो आगे जाकर बहुत भुगतना पड़ेगा। अतः हिन्दू धर्म की महिमा समझकर उस अनुसार आचरण करें और अन्य लोगों को भी प्रेरित करें ।

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Wednesday, April 26, 2017

मुस्लिम धर्म से परेशान होकर मुस्लिम परिवारों ने अपनाया हिन्दू धर्म

🚩मुस्लिम धर्म से परेशान होकर #मुस्लिम परिवारों ने अपनाया #हिन्दू धर्म

🚩उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में अपने ही #धर्म के लोगों से परेशान होकर दो दर्जन से भी ज्यादा मुस्लिम लोगों ने #हिंदूधर्म को अपना लिया है और साथ ही सभी #वैदिक हिंदू धर्म अपनाने की #धार्मिक प्रक्रिया पूरी की । घर वापसी करने वाले मुस्लिमों को आर्य समाज और संघ के नेता द्वारा आयोजित विशेष पूजन के बाद #हिंदूधर्म में वापिस शामिल किया गया है। 
ghar vapsi

🚩#आर्य समाज और संघ के नेता का दावा है कि सभी लोगों ने अपनी मर्जी से हिंदू धर्म अपनाया है।

आपको बता दें कि यह मामला रविवार को अम्बेडकरनगर जिले के #आलापुर क्षेत्र का है जहां दर्जन भर से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों ने #हिंदू धर्म अपना लिया है और साथ में इन लोगों ने मुस्लिम नाम को छोड़कर #हिंदू नाम भी रख दिया है। हालांकि, सुरक्षा कारणों से इन लोगों के नामों को उजागर नहीं किया गया है। 

🚩आर्य समाज के प्रधान #हिमांशु त्रिपाठी ने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक #महर्षि दयानंद सरस्वती के पदचिन्हों पर चलते हुए परम पिता #परमेश्वर की प्रेरणा से बिना किसी लोभ, भय अथवा दबाव के एक दर्जन से अधिक लोगों ने पूर्ण #वैदिक विधि-विधान के साथ विशेष का कार्यक्रम #आचार्य शर्ममित्र शर्मा द्वारा सम्पन्न कराया ।
 विश्व हिन्दू परिषद के #प्रवीण तोगड़िया ने भी कुछ समय पहले बताया था कि हमने करीब 5 लाख #मुस्लिमों को हिन्दू धर्म में वापसी करवाई है ।

🚩क्या आप जानते हैं कि अखण्ड भारत में मुस्लिम #धर्म था ही नही लेकिन विदेशी आक्रमणकारी मुगलों ने भारत में आकर लूट-पाट की और हिन्दुओं को क्रूर मुगलों ने #तलवार की नोक पर जबरदस्ती मुस्लिम धर्म में परिवर्तन करवाया लेकिन अब जिन मुस्लिमों को पता चल रहा है कि हमारे पूर्वज #हिन्दू थे हमें जबरदस्ती मुस्लिम धर्म परिवर्तन करवाया था तो अब  #मुस्लिम धर्म छोड़कर फिर से #हिन्दूधर्म अपना रहे हैं ।

🚩शरिया एक्ट से कई मुस्लिम लोग #परेशान हैं ।


जानिये क्या है शरिया लॉ एक्ट ??
भारत में कैसे आया ??


🚩भारत में अलग-अलग समाज के लोग रहते हैं । भारतीय #संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार भारत में रहने वाले सभी लोगों को एक समान संरक्षण का अधिकार है, लेकिन जहाँ मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दों की बात आती है वहाँ कई अहम मुद्दों पर मुसलमान #शरिया के अनुसार उन मुद्दों का निराकरण करते हैं। ये मुद्दे है निकाह, तलाक, विरासत, बच्चों का उत्तराधिकार आदि। 
अधिकतर शरिया या शारियत सुनने व पढ़ने में आता है।

 आखिर ये है क्या और कब से ये लागू हुआ ?  

🚩 जिसका हवाला देते हुए तमाम मौलाना कहते हैं कि उनके मामलों में दखल ना दे #सरकार .. 


🚩इस्लामिक समाज शरीयत के अनुसार चलता है। शरीयत में #मोहम्मद पैगंबर द्वारा किए हुए काम के शब्द शामिल हैं । #मोहम्मद पैगंबर के बाद कई संस्थाओं ने अपने अनुसार इस्लामिक कानूनों की व्याख्या की और इन्हें प्रसारित व प्रचारित किया। इस्लामिक लॉ की #चार संस्थायें हैं जो कुरान में लिखे शब्दों की व्याख्या करती हैं। ये संस्थाएं हैं हनफिय्या , मलिकिय्या, शफिय्या और हनबलिय्या । जो अलग-अलग सदी में विकसित हुई थी। मुस्लिम देश अपने अपने मुताबिक इन संस्थाओं के #कानूनों का पालन करते हैं ।


शरीयत आखिर भारत में कैसे आया ? 


🚩भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लिकेशन एक्ट ब्रिटिशों की देन है। #ब्रिटिश सरकार का #भारतीयों पर जब राज करना मुश्किल होने लगा तब #ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों पर उनके सांस्कृतिक नियमों के आधार पर राज करने की प्रक्रिया निकाली। #ब्रिटिश सरकार ने मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दे पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। उन्होंने मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दों के लिए मुस्लिम लॉ एक्ट लाकर उन्हें उनके व्यक्तिगत मुद्दों पर उठे विवादों को शरीयत के अनुसार ही सुलझाने की छूट दे दी।   #ब्रिटिश सरकार ने 1937 मुस्लिम लॉ एक्ट लाकर जो विभाजन करवाने का कार्य किया वैसा ही कार्य कुछ #पूर्ववर्ती सरकारों ने किया । 

🚩सन् 1985 में एक 62 वर्ष की मुस्लिम महिला शाह बानो ने #सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसमें उसने अपने पूर्व पति से गुजारे #भत्ते की मांग की थी। #सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस मांग से सहमत होकर इस मुद्दे को सही बताया और अपनी मुहर लगाई। इस फैसले का मुस्लिम समाज में काफी #विरोध देखने को मिला व इसे कुरान के खिलाफ बताया। इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था। तब तत्कालीन  #प्रधानमन्त्री  ने वोट बैंक के #लालच में ऐसा फैसला लिया जिससे देश आज भी प्रभावित है। तत्कालीन #प्रधानमन्त्री  राजीव गांधी ने मुस्लिम महिला संरक्षण तलाक अधिकार अधिनियम को पास कर दिया। 

🚩जिसके अनुसार पति के लिए #तलाकशुदा पत्नी को गुजारा #भत्ता देना तो जरूरी हो गया था लेकिन साथ ही ये प्रावधान भी था कि यह #भत्ता केवल #इद्दत की अवधि के दौरान ही देना होगा। #इद्दत तलाक के 90 दिनों बाद तक ही होती है । 

🚩उपरोक्त #कानून की पूरी विवेचना आदि वर्तमान में #सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के लिए आवश्यक है जिससे समान नागरिक #आचार संहिता का पालन हो कर सबके लिए समान कानून बन सके । फिलहाल 3 #तलाक के विषय में 3 #तलाक के तमाम समर्थक शरीयत एक्ट पर चल कर 3 #तलाक को कायम रखने की मांग कर रहे हैं ।    

🚩अब #न्यायालय और #सरकार को भारतीय संविधान से अलग चलने वाले #शरिया कानून को तुरन्त #खत्म कर देना चाहिए ।


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