अंग्रेजी दवाइयों से सावधान : सात राज्यों के टेस्ट में फेल हुईं
दवा बनाने वाली 18 बड़ी कंपनियाँ दवा नियामकों के टेस्ट में फेल हो गई हैं।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गोवा, गुजरात, केरल और आंध्र प्रदेश इन सात राज्यों में दवा नियामकों ने टेस्ट करवाया था।
इन सात राज्यों के दवा नियामकों ने 27 दवाओं में गुणवत्ता पर खरा न उतरने, गलत लेबल लगाने समेत कई अन्य खामियां निकाली हैं ।
जिन कंपनियों पर, दवाओं के मानकों पर खरा न उतरने का आरोप है उनमें एबॉट इंडिया, ग्लैक्सो स्मिथकलाइन इंडिया, सन फार्मा, सिप्ला, ग्लेनमार्क जैसी बड़ी कंपनियों के नाम शामिल हैं।
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इन 18 कंपनियों में दवा बनाने वाली वो दो कंपनियां भी शामिल हैं जो बिक्री के मामले में प्रतिस्पर्धी कंपनियों से कहीं आगे हैं।
टेस्ट पर खरा न उतरने के बाद दो कंपनियों ने बाजार में अपनी दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी है।
एबॉट इंडिया की एंटीबायोटिक दवा पेंटाइड्स, एलेम्बिक की एल्थ्रोसिन, कैडिला फार्मा की वासाग्रेन, ग्लेनमार्क फार्मा की सिरफ एस्कॉरिल, टॉरेंट फार्मा की डिलजेम दवा पर दवा नियामकों ने सवाल उठाए हैं।
इसके अलावा 10 अन्य कंपनियों पर भी खराब दवाओं को बेचने का आरोप है।
सावधान ! आप जो जहरीली अंग्रेजी दवाइयाँ खा रहे हैं उनके परिणाम का भी जरा विचार कर लें।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने पूर्व भारत सरकार को 72000 के करीब दवाइयों के नाम लिखकर उन पर प्रतिबन्ध लगाने का अनुरोध किया था ।
क्यों ?
क्योंकि ये जहरीली दवाइयाँ दीर्घ काल तक पेट में जाने के बाद यकृत, गुर्दे और आँतों पर हानिकारक असर करती हैं, जिससे मनुष्य के प्राण तक जा सकते हैं।
कुछ वर्ष पहले न्यायाधीश हाथी साहब की अध्यक्षता में यह जाँच करने के लिए एक कमीशन बनाया गया था कि इस देश में कितनी दवाइयाँ जरूरी हैं और कितनी बिन जरूरी हैं जिन्हें कि विदेशी कम्पनियाँ केवल मुनाफा कमाने के लिए ही बेच रही हैं।
फिर उन्होंने सरकार को जो रिपोर्ट दी, उसमें केवल 117 दवाइयाँ ही जरूरी थीं और 8400 दवाइयाँ बिल्कुल बिनजरूरी थीं।
उन्हें विदेशी कम्पनियाँ भारत में मुनाफा कमाने के लिए ही बेच रही थीं और अपने ही देश के कुछ डॉक्टर लोभवश इस षडयंत्र में सहयोग कर रहे थे।
उन्हें विदेशी कम्पनियाँ भारत में मुनाफा कमाने के लिए ही बेच रही थीं और अपने ही देश के कुछ डॉक्टर लोभवश इस षडयंत्र में सहयोग कर रहे थे।
पैरासिटामोल नामक दवाई, जिसे लोग बुखार को तुरंत दूर करने के लिए या कम करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं, वही दवाई जापान में पोलियो का कारण घोषित करके प्रतिबन्धित कर दी गयी है।
उसके बावजूद भी प्रजा का प्रतिनिधित्व करनेवाली सरकार प्रजा का हित न देखते हुए शायद केवल अपना ही हित देख रही है।
सरकार कुछ करे या न करे लेकिन आपको अगर पूर्ण रूप से स्वस्थ रहना है तो आप इन जहरीली दवाइयों का प्रयोग बंद करें और करवायें। भारतीय संस्कृति ने हमें आयुर्वेद के द्वारा जो निर्दोष औषधियों की भेंट की हैं उन्हें अपनाएँ।
साथ ही आपको यह भी ज्ञान होना चाहिए कि शक्ति की दवाइयों के रूप में आपको, प्राणियों का मांस, रक्त, मछली आदि खिलाये जा रहे हैं जिसके कारण आपका मन मलिन, संकल्पशक्ति कम हो जाती है।
तथा आपके जीवन में खोखलापन आ जाता है।
तथा आपके जीवन में खोखलापन आ जाता है।
एक संशोधनकर्ता ने बताया कि ब्रुफेन नामक दवा जो आप लोग दर्द को शांत करने के लिए खा रहे हैं उसकी केवल 1 मिलीग्राम मात्रा दर्द निवारण के लिए पर्याप्त है, फिर भी आपको 250 मिलीग्राम या इससे दुगनी मात्रा दी जाती है। यह अतिरिक्त मात्रा आपके यकृत और गुर्दे को बहुत हानि पहुँचाती है। साथ में आप साइड इफेक्टस का शिकार होते हैं वह अलग !
अतः हे भारतवासियो ! हानिकारक रसायनों से और कई विकृतियों से भरी हुई एलोपैथी दवाइयों को अपने शरीर में डालकर अपने भविष्य को अंधकारमय न बनायें। शुद्ध आयुर्वेदिक उपचार-पद्धति ही अपनाए ।