पानीपत : खूंखार आतंकी सैयद अब्दुल करीम टुंडा को सबूतों और गवाहों के अभाव में पानीपत बस स्टैंड धमाका केस में जिला न्यायालय ने बरी कर दिया है।
टुंडा, लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठन से जुड़ा रहा है और उस पर भारत में 40 से ज्यादा बम धमाके करने के आरोप हैं।
पानीपत में 1 फरवरी 1997 को बस स्टैंड के पास एक निजी बस में धमाका हुआ था। इस धमाके में लगभग 13 लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे। इसमें से एक की मृत्यु हो गई थी। इस विस्फाेट केस में अब्दुल करीम टुंडा को आरोपी बनाया गया था।
अब्दुल करीम टुंडा कैप्सूल बम बनाने में माहिर है।
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बताया जाता है कि बांग्लादेश में बम बनाने के दौरान विस्फाेट हो गया जिसमें उसका बायां हाथ उड़ गया। वह देसी तकनीक से बम बनाना सिखाता था। लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों में उसकी भारी डिमांड थी। वह 1985 में आईएसआई से ट्रेनिंग ले चुका था।
दिल्ली,पानीपत,सोनीपत,लुधियाना, कानपुर और वाराणसी में हुए कई बम ब्लास्ट में टुंडा आरोपी था।
26/11 मुंबई अटैक के बाद भारत ने जिन 20 आतंकियों को सौंपने की मांग पाकिस्तान से की थी,उनमें टुंडा का भी नाम शामिल था।
पूछताछ में उसने आईएसआई और लश्कर से लिंक होने की बात भी कबूली थी। वहीं अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद जैसे देश के दुश्मनों का भी करीबी बताया जाता है।
मार्च 2016 में दिल्ली में 4 मामलों में अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया गया था ।
दिल्ली पुलिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक टुंडा की 3 बीवियां जरीना,मुमताज और आसमा 7 बच्चों के साथ लाहौर में रहती हैं। उसके पुत्र लाहौर और कराची में उसका धंधा संभालते हैं।
जांचकर्ताओं के मुताबिक टुंडा ने उन्हें बताया कि उसकी दूसरी बीवी मुमताज से उसका तीसरा पुत्र अब्दुल वारिस भारत में एक आतंकवादी घटना में शामिल था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसे एक बार गिरफ्तार भी किया था।
2013 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तारी के बाद टुंडा ने दावा किया था कि वारिस भी लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय सदस्य था। उसने एक भारतीय जेल में 8 वर्ष की सजा काटी और उसके बाद पाकिस्तान लौटा।
अब जनता के मन में टुंडा की बरी को लेकर एक प्रश्न बार-बार उठ रहा है कि टुंडा के खिलाफ इतने सबूत होने के बाद भी उसे बरी किया जाता है लेकिन बिना सबूत 2008 से जेल में बन्द साध्वी प्रज्ञा को अभी तक बरी क्यों नही किया गया?
ऐसे ही 2010 से जेल में बंद स्वामी असीमानन्द को भी अभी तक बरी क्यों नहीं किया गया ?
क्या हिन्दू होना गुनाह है...???
क्या हिन्दू होना गुनाह है...???
आपको बता दें कि एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट भी दे दी है,उसके बावजूद भी जमानत तक नही होना बड़ा आश्चर्य है!!!
जब कि साध्वी प्रज्ञा केंसर से पीड़ित हैं उनका चलना, फिरना, उठना, बैठना भी मुश्किल हो रहा है फिर भी ईलाज के लिए भी जमानत नहीं देना कितना बड़ा अन्याय हैं!
स्वामी असीमानंद ने भी ईसाई धर्मान्तरण पर रोक लगाई थी इसलिए उनको टारगेट बनाकर जेल भेज दिया गया था ।
जॉइंट इंटेलीजेंस कमेटी के पूर्व प्रमुख और पूर्व उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. एस डी प्रधान ने देश में भगवा आतंक की थ्योरी को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं।
जिसमे उन्होंने बताया है कि साध्वी प्रज्ञा और स्वामी असीमानंद का ब्लास्ट में नाम ही नही था और ब्लास्ट पाकिस्तान द्वारा ही करवाया गया था । इसका पुख्ता सबूत होने पर भी चिंदमर ने राजनीतिक फायदे के लिए साध्वी प्रज्ञा और स्वामी असीमानन्द जैसे हिंदुत्व निष्ठों को जेल भेजा गया है।
अब बड़ा सवाल यह है कि टुंडा के खिलाफ इतने अहम सबूत होने पर भी वह बरी हो जाता है लेकिन इन हिन्दू संतों के खिलाफ सबूत नही होने पर भी जेल में रहते है तो क्या हिंदुत्व निष्ठ होना गुनाह है?
ऐसे ही संत आसारामजी बापू को भी क्लीन चिट मिल चुकी है लेकिन उनको भी अभीतक जमानत तक नही मिल पा रही है ऐसे ही श्री धनंजय देसाई को भी बिना सबूत जेल में रखा हुआ है ।
हिन्दूवादी सरकार आने पर भी इन हिंदुत्व निष्ठों को जमानत तक नही मिलना और खूंखार आतंकी टुंडा बरी हो जाना, कितना बड़ा आश्चर्य है ।
तरुण तेजपाल, सलमान खान, जय ललिता, लालू प्रसाद यादव आदि भी अपराध सिद्ध होने पर भी बरी हो जाते है तो इन निर्दोष हिंदुत्व में निष्ठा रखने वालों को जमानत क्यों नही मिल रही है...???
निर्दोष हिन्दू संतों को कब मिलेगा न्याय???
"क्या देर से न्याय मिलना अन्याय का ही रूप नहीं ?"
सोचो हिन्दू !!!