Showing posts with label Supreme Court. Show all posts
Showing posts with label Supreme Court. Show all posts

Tuesday, July 25, 2017

कश्मीरी पंडितों की मौत की जांच से सुप्रीम कोर्ट का इनकार



जुलाई 25, 2017

उच्चतम न्यायालय ने कश्मीर में 27 वर्ष पहले हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की दोबारा जांच के निर्देश देने से इनकार कर दिया है । न्यायालय में दायर याचिका में वर्ष 1989  में 700 कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामले में दर्ज केसों में से 215 मामलों की दोबारा जांच के आदेश देने की मांग की गई थी ।
kashmir genocide

मुख्य न्यायाधीश जे. एस. खेहर और न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने ‘रूट्स इन कश्मीर’ की याचिका खारिज करते हुए कहा कि, इतने वर्ष बाद सबूत जुटाना बेहद मुश्किल होगा । ‘रूट्स इन कश्मीर’ कश्मीरी विस्थापित पंडितों की संस्था है ।

इतना ही नहीं उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई । न्यायालय ने पूछा कि, आखिर पिछले 27 वर्ष से आप कहां थे ? हम अब इस मामले को नहीं सुन सकते । हमे ऐसा लगता है कि, आप ने ये मांग मीडिया की सुर्खियों में आने के लिए की है ।

न्यायालय के इस सवाल पर याचिकाकर्ता के वकील विकास पडोरा ने कहा ‘माई लॉर्ड हम तो अपनी जान की हिफाजत के लिए भागे-भागे फिर रहे थे । राज्य सरकार कहां थी ? केंद्र सरकार कहां थी ? इन सरकारों को आना चाहिए था । उन्होंने कहा कि, न्यायालय भी तो स्वतः संज्ञान ले सकती थी । बहुत से मामलों में न्यायालय ऐसा करती है। वकील ने न्यायालय में कहा, ”आप पूछते हैं कि, 27 वर्ष से आप कहां थे, हम नहीं सुन सकते । जब आप 1984  दंगा का केस सुन सकते हैं तो कश्मीरी पंडितों का क्यों नहीं ?”

हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील पडोरा की तमाम दलीलों को दरकिनार करते हुए न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई से साफ इंकार कर दिया ।

आपको बता दें कि 1990 में सारे कश्मीरी मुस्लिम सड़कों पर उतर आये थे । उन्होंने कश्मीरी पंडितो के घरो को जला दिया, कश्मीर पंडित महिलाओं का बलात्कार करके, फिर उनकी हत्या करके उनके नग्न शरीर को पेड़ पर लटका दिया था । कुछ महिलाओं को जिन्दा जला दिया गया और बाकियों को लोहे के गरम सलाखों से मार दिया गया । बच्चों को स्टील के तार से गला घोटकर मार दिया गया । कश्मीरी महिलाये ऊंचे मकानों की छतों से कूद कूद कर जान देने लगी और देखते ही देखते कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गई और कश्मीरी पंडित अपने ही देश में विस्थापित होकर दरदर की ठोकर खाने को मजबूर हो गए ।

3,50,000 कश्मीरी पंडित अपनी जान बचा कर कश्मीर से भाग गए । यह सब कुछ चलता रहा लेकिन सेकुलर मीडिया चुप रही । देश- विदेश के लेखक चुप रहे, भारत का संसद चुप रहा, सारे सेकुलर चुप रहे । किसी ने भी 3,50,000 कश्मीरी पंडितो के बारे में कुछ नहीं कहा । और अभी सुप्रीम कोर्ट ने भी  सुनवाई करने से इनकार कर दिया ।

हिन्दुस्तान का हिन्दू आखिर जाये तो जाये कहाँ..???

नेता अपनी सत्ता की खातिर सेकुलरों के तलवे चाटने में मग्न हैं और इसलिए हिन्दू उन्हें दिखाई ही नहीं देते । हिन्दुस्तान के मिलार्ड भी आँख पर हरा चश्मा पहन चुके हैं, ट्रिपल तलाक पर उन्हें मजहब की चिंता रहती है पर दही हांड़ी और जलीकट्टू इन्हें मात्र खेल लगता है ।

एक अखलाक की मौत तो इन्हें दर्दनाक लगती है पर 700 कश्मीरी पंडितों की ह्त्या पर इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ।

हिन्दुओं का दुर्भाग्य है कि वो सेकुलर हिन्दुस्तान के नागरिक हैं ।

जलीकट्टू हो या दही हांडी की ऊंचाई, मिलार्ड सुनवाई के लिए तत्पर रहते हैं, लेकिन राममंदिर मामले में 'डे टू डे' हियरिंग की याचिका मिलार्ड समय का अभाव बताकर खारिज कर देते हैं, वहीं ट्रिपल तलाक वाला मामला छुट्टियों में चलाने के लिए मिलार्ड राजी हो जाते हैं ।

राजनीति से तो हिन्दुओं की उम्मीद टूट चुकी थी अब मिलार्ड भी सेकुलर निकले ।

न्यायपालिका बनी अन्याय पालिका...!!!

1990 में मुसलमानों के गुंडों द्वारा मार काट करके भगा दिया जाने वाला मामला पुराना बताकर खारिज कर दिया लेकिन वही दूसरी ओर मिलार्ड 1528 में तोड़े गये राम मंदिर के सबूत कैसे ढूंढ रहे हैं..???

हिन्दुस्तान सेकुलर देश होने की वजह से हिन्दू हर तरह से लाचार है ।

हिंदुस्तान में सेकुलर राजनीति सेकुलर नेता, सेकुलर लोकतंत्र, सेकुलर संविधान, सेकुलर न्यायापालिका हिन्दुस्तान में हिन्दुओं को किसी से भी उम्मीद रखने की जरूरत नही है।

आतंकवादी याकूब को फाँसी रोकने के लिए रात को 12 बजे कोर्ट खुल सकती है लेकिन वहीं दूसरी ओर 27 साल पुराना केस खारिज कर दिया जाता है ।

बाबरी मस्जिद का ढांचा भी तोड़े 25 साल हो गये फिर भी क्यों उसका केस चल रहा है? 

क्यों अभीतक राम मंदिर की परमिशन नही मिल रही है?


हिन्दुस्तान में हिंदुओं को सरकार, न्यायालय द्वारा इसलिए कोई सहायता या न्याय नही मिल रहा है क्योंकि हिंदुओं में एकता नही है, जिस दिन एकता हो जायेगी उस दिन हर जगह से न्याय मिलने लगेगा ।

अतः अब समय आ गया है हिंदुओं के एक होने का..!!

Monday, March 6, 2017

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसान आत्महत्या पर गलत दिशा में है सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसान आत्महत्या पर गलत दिशा में है सरकार

किसानों की खुदकुशी के मामले में केंद्र सरकार की योजनाओं पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजे की व्यवस्था करने की बजाए सरकार को यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई भी किसान खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठाने पर मजबूर न हो।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सरकार से कहा कि ऐसी योजनाएं बनाई जानी चाहिए जिससे किसान खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठाने को मजबूर न हो। पीठ ने सरकार से कहा कि हमें लगता है कि आप गलत दिशा में जा रहे हैं। 

किसान कर्ज लेते हैं लेकिन उसे चुका नहीं पाते। लिहाजा वे खुदकुशी कर लेते हैं और आप उनके परिवारवालों को मुआवजा देते हैं। लेकिन हमारा मानना है कि पीड़ित परिवार को मुआवजा देना समाधान नहीं है बल्कि खुदकुशी को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए। 
                     सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसान आत्महत्या पर गलत दिशा में है सरकार



बैंकों के कर्ज से परेशान होकर किसानों ने की खुदकुशी !!

एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक कर्ज न चुका पाने के कारण खुदकुशी करने वालों किसानों में से 80 फीसदी ने बैंकों से कर्ज लिया था न कि साहूकारों से !!

एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक 2014 की तुलना में 2015 में किसानों के आत्महत्या करने की दर में 41.7 फीसदी का इजाफा हुआ है। 1995 से  31 मार्च 2013 तक के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 2,96 438 किसानों ने आत्महत्या की है ।


सरकारी सूत्रों के अनुसार 2014 में 5650 और 2015 में 8000 से अधिक मामले सामने आए। 

योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन ने बताया कि #बैंक लोन वसूलने में लचीला रुख नहीं अपनाते हैं। उन्होंने बताया कि कर्ज वसूलने में #माइक्रो फानैन्स कंपनियों का ज्यादा बुरा हाल है। यहां तक कि वो लोन वसूलने के लिए #गुडों का भी इस्तेमाल करते हैं।

2014 में देश की जनता ने केंद्र में भाजपा को बहुमत देकर देश की सत्ता सौंपी तो #देश के किसानों और मजदूरों ने सोचा था कि उनके अच्छे दिन आ सकते हैं।  लेकिन आकंड़े देखकर तो लगता है कि #सरकार से किसानो को कोई राहत नही मिल पा रही है ।


बैंकों से लिए कर्ज के कारण मरने को मजबूर हो जाता है किसान..!!

गरीब #किसान बैंकों से कर्ज लेकर खेती करता है और जब बे मौसम बरसात, ओले और तेज हवाओ और सूखे से उसकी #फसल नष्ट हो जाती है तो वो कर्ज नहीं चुका पाता है तो बैंक उससे कर्ज वसूलने के लिए उसके खेतों को नीलाम करके अपना कर्ज वसूलती है। जिसकी वजह से वो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। 


हजारों करोड़ के डिफाल्टर गरीबों का कर्ज माफ..!!

वहीं दूसरी तरफ #केंद्र सरकार ने विजय माल्या समेत 63 डिफाल्टरों का तकरीबन सात हजार करोड़ रुपए का बकाया लोन माफ करने का फैसला किया है। #डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआई ने बकाया वसूल नहीं कर पाने पर शीर्ष 100 विलफुल डिफाल्टरों में से 63 पर 7016 करोड़ रुपए का लोन माफ करने का फैसला किया है।

आपको बताते चलें कि 63 डिफाल्टरों की ये राशि कुल 100 डिफाल्टरों का 80 फीसदी है। यह छूट बैंक की प्रक्रिया बैड लोन के अंतर्गत की गई है। सभी कंपनियों को बैंक ने विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया।

विजय माल्या के अलावा #किंगफिशर एयरलाइंस का तकरीबन 1201 करोड़ रुपए, केएस ऑयल का 596 करोड़ रुपए, सूर्या फार्मास्यूटिकल का 526 करोड़ रुपए, जीईटी पावर का 400 करोड़ रुपए और साई इंफो सिस्टम का 376 करोड़ रुपए शामिल है। डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, उसने इस बारे में एसबीआई के अधिकारियों से जानकारी मांगनी चाही तो उसे कोई जवाब नहीं मिला।


सिर्फ #गरीब #किसान के #कर्ज माफी के लिए नहीं है #केंद्र #सरकार के पास पैसा..!!


एक तरफ जहाँ बैंक अमीर डिफाल्टरों के हजारों करोड़ यूँ ही माफ कर देता है वहीं दूसरी तरफ गरीब #किसानों का उतना कर्ज भी माफ नहीं कर पा रही है जो इन डिफाल्टरों का 20 फीसदी भी नहीं होगा।


सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने अडानी ग्रुप के ऊपर लगे 200 करोड़ के जुर्माने को भी माफ कर दिया ।


केंद्र #सरकार का ये दोगलापन किसानों के साथ कब तक जारी रहेगा.???


आपको जानकर आश्चर्य होगा कि #महाराष्ट्र में एक मंडी में किसान टमाटर लेकर आया तो एक किलो #टमाटर की कीमत केवल #पांच पैसे लगाई गई जिससे किसान ने उसे वापिस लाकर अपने खेतों में डाल दिया ऐसे ही कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ की एक मंडी ने टमाटर की कीमत 2 रूपये किलो लगाई तो उसने सड़कों पर टमाटर फेंक दिए जिससे सड़कें लाल हो गई थी । 


मध्य प्रदेश में भी कुछ दिन पहले #मंडी में #प्याज का भाव नही दिया गया तो सड़कों पर प्याज डाल दी गई । 


ये तो एक-दो उदाहरण तौर पर बताया गया है लेकिन #किसान दिन-रात मेहनत करता है जब फसल लेकर मंडी में आता है तो उसको निराश होने पड़ता है क्योंकि सिंचाई के पानी, खाद्य, बीज, कीटनाशक दवाइयों आदि का पैसा भी फसल की बिक्री से नही निकल पाता है । जो किसान ने कड़ी मेहनत की उसको तो वो गिनता ही नही।


पूर्व सरकार से ही किसानों का बहुत शोषण होता रहा है । #किसानों के बढ़ते संकट का निवारण करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए।


अब केंद्र सरकार को अन्नदाता किसानों को कर्ज से मुक्त कर देना चाहिए और उनके लिए पानी, बिजली, बीज, खाद्य, दवाइयां आदि सस्ते भाव देकर उनको राहत देनी चाहिये जिससे किसान भी अपना जीवन परिवार के साथ खुशहाली से जी सके ।