Sunday, June 4, 2017

वातावरण प्रदूषण मुक्त कैसे हो?

🚩 *वातावरण प्रदूषण मुक्त कैसे हो?*

विश्व पर्यावरण दिवस : 5 जून

🚩पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में #संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉक होम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया।
Azaad bharat - World_Environment_Day

🚩इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को #पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया। तथा इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए #राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था। 

🚩वन हमारी #धरती की #भूमि के #द्रव्यमान का एक तिहाई हिस्सा आच्छादित करते हैं तथा अपने महत्वपूर्ण कार्यों तथा सेवाओं द्वारा हमारे ग्रह (पृथ्वी) पर संभावनाओं को जीवित रखते है। वास्तव में 1.6 अरब लोग अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं।

स्वास्थ्य एवं #पर्यावरण रक्षक प्रकृति के अनमोल उपहार !!

🚩#अन्न, जल और वायु हमारे जीवन के आधार हैं । सामान्य #मनुष्य प्रतिदिन औसतन 1 किलो अन्न और 2 किलो जल लेता है परंतु इनके साथ वह करीब 10,000 लीटर (12 से 13.5 किलो) #वायु भी लेता है । इसलिए #स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु शुद्ध वायु अत्यंत आवश्यक है ।

🚩#प्रदूषणयुक्त, ऋण-आयनों की कमी वाली एवं ओजोन रहित हवा से रोग प्रतिकारक शक्ति का ह्रास होता है व कई प्रकार की शारीरिक-मानसिक #बीमारियाँ होती हैं ।

🚩#प्रदूषण मुक्त कैसे हो?

🚩#पीपल का वृक्ष दमानाशक, हृदयपोषक, ऋण-आयनों का खजाना, रोगनाशक, आह्लाद व मानसिक  प्रसन्नता का खजाना  तथा रोगप्रतिकारक शक्ति बढानेवाला है । बुद्धू बालकों तथा हताश-निराश लोगों को भी #पीपल के स्पर्श एवं उसकी छाया में बैठने से अमिट #स्वास्थ्य-लाभ व पुण्य-लाभ होता है । #पीपल की जितनी महिमा गायें, कम है । #पर्यावरण की शुद्धि के लिए जनता-जनार्दन एवं #सरकार को बबूल, नीलगिरी (यूकेलिप्टस) आदि जीवनशक्ति का ह्रास करनेवाले वृक्ष सड़कों एवं अन्य स्थानों से #हटाने चाहिए और #पीपल, आँवला, तुलसी, वटवृक्ष व नीम के वृक्ष दिल खोल के #लगाने चाहिए ।

🚩इससे #अरबों रुपयों की दवाइयों का खर्च बच जायेगा । ये #वृक्ष शुद्ध वायु के द्वारा प्राणिमात्र को एक प्रकार का उत्तम भोजन प्रदान करते हैं । 

🚩#पीपल : यह धुएँ तथा धूलि के दोषों को वातावरण से सोखकर #पर्यावरण की रक्षा करनेवाला एक महत्त्वपूर्ण वृक्ष है । यह #चौबीसों घंटे #ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है । इसके नित्य स्पर्श से रोग-प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि, मनःशुद्धि, आलस्य में कमी, ग्रहपीड़ा का शमन, शरीर के आभामंडल की शुद्धि और विचारधारा में धनात्मक परिवर्तन होता है । बालकों के लिए #पीपल का स्पर्श बुद्धिवर्धक है । #रविवार को पीपल का स्पर्श न करें ।

🚩#आँवला : #आँवले का वृक्ष #भगवान #विष्णु को प्रिय है । इसके #स्मरणमात्र से #गोदान का फल प्राप्त होता है । इसके दर्शन से दुगना और फल खाने से तिगुना पुण्य होता है । #आँवले के वृक्ष का #पूजन कामनापूर्ति में सहायक है । #कार्तिक में आँवले के वन में भगवान श्रीहरि की पूजा तथा आँवले की छाया में भोजन पापनाशक है । #आँवले के वृक्षों से वातावरण में ऋणायनों की वृद्धि होती है तथा शरीर में शक्ति का, धनात्मक ऊर्जा का संचार होता है ।

🚩#आँवले से नित्य स्नान पुण्यमय माना जाता है और #लक्ष्मीप्राप्ति में सहायक है । जिस #घर में सदा #आँवला रखा रहता है वहाँ भूत, प्रेत और राक्षस नहीं जाते ।

🚩#तुलसी : #प्रदूषित #वायु के #शुद्धीकरण में #तुलसी का #योगदान सर्वाधिक है । #तुलसी का पौधा उच्छ्वास में स्फूर्तिप्रद ओजोन वायु छोडता है, जिसमें #ऑक्सीजन के दो के स्थान पर तीन परमाणु होते हैं । #ओजोन वायु वातावरण के बैक्टीरिया, वायरस, फंगस आदि को नष्ट करके #ऑक्सीजन में रूपांतरित हो जाती है । #तुलसी उत्तम प्रदूषणनाशक है । #फ्रेंच डॉ. विक्टर रेसीन कहते हैं : ‘#तुलसी एक अद्भुत औषधि है । यह रक्तचाप व #पाचनक्रिया का नियमन तथा रक्त की वृद्धि करती है ।

🚩#वटवृक्ष : यह #वैज्ञानिक दृष्टि से #पृथ्वी में #जल की मात्रा का स्थिरीकरण करनेवाला एकमात्र #वृक्ष है । यह भूमिक्षरण को रोकता है । इस वृक्ष के समस्त भाग #औषधि का कार्य करते हैं । यह #स्मरणशक्ति व एकाग्रता की वृद्धि करता है । इसमें देवों का वास माना जाता है । इसकी छाया में #साधना करना बहुत लाभदायी है । #वातावरण-शुद्धि में सहायक हवन के लिए वट और पीपल की समिधा का वैज्ञानिक महत्त्व है ।

🚩#नीम : #नीम की #शीतल छाया कितनी सुखद और तृप्तिकर होती है, इसका अनुभव सभीको होगा । #नीम में ऐसी #कीटाणुनाशक शक्ति मौजूद है कि यदि #नियमित #नीम की छाया में दिन के समय विश्राम किया जाय तो सहसा कोई #रोग होने की सम्भावना ही नहीं रहती ।

🚩#नीम के अंग-प्रत्यंग (पत्तियाँ, फूल, फल, छाल, लकडी) उपयोगी और औषधियुक्त होते हैं । इसकी कोंपलों और पकी हुई पत्तियों में #प्रोटीन, कैल्शियम, लौह और विटामिन ‘ए पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं ।


🚩#नोट : #नीलगिरी के वृक्ष भूल से भी न लगायें, ये जमीन को बंजर बना देते हैं । जिस #भूमि पर ये लगाये जाते हैं उसकी शुद्धि 12 वर्ष बाद होती है, ऐसा माना जाता है । इसकी #शाखाओं पर ज्यादातर पक्षी घोंसला नहीं बनाते, इसके मूल में प्रायः कोई प्राणी बिल नहीं बनाते, यह इतना हानिकारक, जीवन-विघातक वृक्ष है।

 🚩 हे समझदार मनुष्यो ! पक्षी एवं प्राणियों जितनी अक्ल तो हमें रखनी चाहिए । हानिकर वृक्ष हटाओ और तुलसी, पीपल, नीम, वटवृक्ष, आँवला आदि लगाओ ।

🚩#पूज्य #बापू जी कहते हैं कि ये #वृक्ष लगाने से आपके द्वारा प्राणिमात्र की बड़ी सेवा होगी । यह लेख पढने के बाद #सरकार में अमलदारों व अधिकारियों को सूचित करना भी एक सेवा होगी । खुद #वृक्ष लगाना और दूसरों को प्रेरित करना भी एक #सेवा होगी । 

🚩 (सोस्त्र : संत श्री आसारामजी आश्रम से प्रकाशित ऋषि प्रसाद अगस्त 2009 )


🚩विश्व पर्यावरण दिवस पर 'इतना' तो हम कर ही सकते हैं ।

🚩#सरकार जितने भी नियम-कानून लागू करें उसके साथ-साथ #जनता की जागरूकता से ही #पर्यावरण की रक्षा संभव हो सकेगी । इसके लिए कुछ अत्यंत सामान्य बातों को जीवन में दृढ़ता-पूर्वक अपनाना आवश्यक है। 

🚩जैसे - 
🚩1. प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष यादगार अवसरों (#जन्मदिन, #विवाह की #वर्षगांठ) पर अपने घर, मंदिर या ऐसे स्थल पर फलदार अथवा औषधीय #पौधा-रोपण करें, जहां उसकी देखभाल हो सके। 

 🚩2.#उपहार में भी सबको #पौधे दें। 

🚩3.शिक्षा संस्थानों व #कार्यालयों में विद्यार्थी, #शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारीगण राष्ट्रीय पर्व तथा महत्त्वपूर्ण तिथियों पर पौधे रोपें। 

🚩4.विद्यार्थी एक #संस्था में जितने वर्ष अध्ययन करते हैं, उतने पौधे लगाएं और जीवित भी रखें। 

🚩5.प्रत्येक #गांव/शहर में हर मुहल्ले व कॉलोनी में #पर्यावरण संरक्षण समिति बनाई जाए। 

🚩6.निजी वाहनों का #उपयोग कम से कम किया जाए। 

🚩7.#रेडियो-टेलीविजन की आवाज धीमी रखें। सदैव धीमे स्वर में बात करें। घर में पार्टी हो तब भी शोर न होने दें। 

🚩8.जल व्यर्थ न बहाएं। गाड़ी धोने या पौधों को पानी देने में #इस्तेमाल किये गए पानी का प्रयोग करें। 

 🚩9.अनावश्यक #बिजली की बत्ती जलती न छोडें। पोलोथिन का उपयोग न करें। कचरा कूड़ेदान में ही डालें। 

🚩10.अपना #मकान बनवा रहे हों तो उसमें वर्षा के जल-संरक्षण और उद्यान के लिए जगह अवश्य रखें। 

🚩ऐसी अनेक छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर भी पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। ये आपके कई अनावश्यक खर्चों में तो कमी लाएंगे साथ ही पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की आत्मसंतुष्टि भी देंगे।

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Saturday, June 3, 2017

जस्टिस शर्मा ने गौ-माता के फैसले पर मीडिया को दिया करारा जवाब

 जस्टिस शर्मा ने गौ-माता के फैसले पर मीडिया को दिया करारा जवाब


जून,3, 2017

केरल में जबसे खुल्ले आम #गौ-हत्या शुरू करदी गई तबसे हिन्दुस्तानियों में भारी आक्रोश है उसमें भी बड़ी-बड़ी हस्तियां कूद पड़ी है गोमाता की रक्षा के लिए !!
Azaad bharat Justice Sharma

🚩देवकीनंदन ठाकुर ने भी जाहिर कार्यक्रम में #गौ-हत्या के विरोध में आवाज उठाई और कहा कि #गौ-रक्षको को गुंडा बोला जाता है लेकिन जो गाय की हत्या कर रहे हैं उनको क्या बोलेगे?

🚩जो गाय माता को काटता है समझो वो 33 कोटि  देवी-देवताओं को काटने का पाप कर रहा है । जो भी गौ-माता को काटता है उनको सरेआम फांसी दी जाये ।

🚩उन्होंने केंद्र सरकार को प्रार्थना की है कि जल्द से जल्द देश भर में गौ हत्या करने वालो को फांसी की सजा वाला कानून पारित किया जाए ।



🚩राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस महेशचंद शर्मा ने अपने आखिरी फैसले में बताया कि गाय को #राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और #गौ हत्या पर #उम्रकैद की सजा का प्रावधान होना चाहिए ।

🚩जस्टिस महेशचंद शर्मा साहब ने मीडिया के सामने इंटरव्यू देते समय बताया कि जैसे नेपाल में गाय को #राष्ट्रीय पशु घोषित किया है ऐसे ही भारत में भी करना चाहिए ।

🚩गाय के साथ #धार्मिक आस्था जुड़ी है । भगवान #श्री कृष्ण धरती पर आए तो पहले गाय को धरती पर उतारा था । क्योंकि गाय एक बड़ा डॉक्टर, सर्जन है गाय रहने मात्र से सभी प्रकार की बीमारियां खत्म हो जाती है । गाय के दूध से #सात्विकता बढ़ती है, #धार्मिकता बढ़ती है ।

🚩उन्होंने आगे कहा कि मैंने अपने जजमेंट में #सामवेद, #ऋग्वेद, #महाभारत, रामायण सबका आधार लेकर लिखा है कि क्यों मनुष्य के लिए गाय परम उपयोगी है ।



गाय मरने के बाद भी काम में आती है, गाय का मूत्र, गोबर, दूध आदि सभी काम में आते हैं । मेरे मत अनुसार गाय माता को नेशनल पशु घोषित करना ही चाहिए ।

🚩#हिंगोनी गौशाला मामले में अपना डिसीजन देते हुए जस्टिस महेशचंद शर्मा ने कुछ पॉइंट बताये हैं ।

🚩1. #गोमूत्र के सेवन से पिछले जन्म के पाप मिटते हैं। इसके पीछे उनका लॉजिक ये था कि गोमूत्र में गंगा वास करती है। (मुझे हमेशा लगता था कि शिव जी के जूड़े से निकलती है ) गंगा पापनाशिनी है और इसलिए गोमूत्र के सेवन से पिछले जन्मों के पाप कट जाते हैं ।
  

🚩2. गोमूत्र में वो केमिकल होते हैं जो इंसान को बूढ़ा नहीं होने देते। शरीर में किसी भी मिनरल की कमी हो तो गाय का मूत्र पीने से उसकी कमी खत्म हो जाती है ।

🚩3. लीवर, दिल की बीमारी, खून की कमी, गठिया जैसी महा गंभीर बीमारियों का इलाज गौ-मूत्र है ।

🚩4. घर की दीवार, छत, फर्श को गोबर से लीपा जाए। इससे घर रेडियेशन से बच सकता है।

🚩5. गाय का घी पीने से आंखों की रोशनी लौट आती है।

🚩6. गाय के सींग में कॉस्मिक शक्तियां होती हैं।

🚩7. गाय के रंभाने से वातावरण में कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।

🚩8. गाय को आप अपने घर के बाहर रखें । जब वो बछड़े को दुलारती है तो उसके मुंह से फेन जमीन पर गिरता है । इससे धरती पवित्र होती है ।


🚩आपको बता दें कि राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस महेशचंद शर्मा फैसला देने के दूसरे दिन ही रिटायर्ड हो गए हैं लेकिन उनका यह ऐतिहासिक फैसला बड़ा महत्वपूर्ण है उस पर केंद्र सरकार को शीघ्र काम करना चाहिए । 


🚩आपको ये भी बता देते हैं कि #ट्वीटर पर भी मुहिम छिड़ चुकी है ।
#गौरक्षा_हर_कीमत_पर इस हैशटैग को लेकर कई दिनों से बहुत सारे यूजर ट्वीट कर रहे हैं ।

🚩निर्मला पांडे ने लिखा है कि सुनलो पुकार, 
मोदी सरकार, 
शपथ पूरी करो, 
अब क्या देरी क्या इंकार, 
किस का है इन्तजार । #गौरक्षा_हर_कीमत_पर


🚩देव कुमार गुप्ता ने लिखा कि जब हिन्दूओं की मां गाय है और मुस्लिम भाई तो मुस्लिम कैसे अपनी मां को काट सकते हैं,ये भाई-भाई का फर्जी चोला है
 #गौरक्षा_हर_कीमत_पर 

🚩वैशाली चव्हान ने लिखा है कि देश को बचाने के लिए कृषि, कृषि बचाने के लिए किसान और किसान को बचाने के लिए गौरक्षा अति आवश्यक!  #गौरक्षा_हर_कीमत_पर 

🚩रंजन ने लिखा है कि लोगों को भड़काने और और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए गोमाता की बलि क्यों चढ़ाई जा रही? #गौरक्षा_हर_कीमत_पर हो।


🚩सुनीता वासुदेव ने लिखा कि कभी नहीं दिखाता दलाल_मिडिया, कितनी बर्बरता से हो रही गौहत्या। हमारी मानवता क्या मर चुकी है? #गौरक्षा_हर_कीमत_पर 

🚩इस तरह से हजारों लोग ट्वीट कर चुके हैं कि गौरक्षा हर कीमत पर होनी ही चाहिए ।

🚩अब देखते है केंद्र सरकार बड़ी-बड़ी हस्तियों और आम जनता की आवाज कब सुनती है...???

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Friday, June 2, 2017

विजय मानकर ने विश्व मे सबसे श्रेष्ठ ग्रन्थ गीता के लिए कहा कि फाड़कर कचरे में फेंक देना चाहिए

विजय मानकर ने विश्व मे सबसे श्रेष्ठ ग्रन्थ गीता के लिए कहा कि फाड़कर कचरे में फेंक देना चाहिए

अंबेकराइट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट विजय मानकर एक वीडियो में कह रहा है कि गीता को फाड़कर कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए। जो गीता हिंसा को धर्म बताती है और समता को नकारती है उसे इस देश का #राष्ट्रीय ग्रंथ तो क्या,दुनिया के किसी भी ग्रंथ की पंक्ति में बैठने के लायक भी नहीं है।
Azaad Baharat- Vijay Mankar

विजय मानकर पार्टी का गठन 14 अप्रैल 2013 में किया गया था। मुख्यालय नागपुर में है। इस पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में 34 कंडिडेट और पिछले साल केरल के विधानसभा चुनावों में  5 प्रत्याशी उतारे लेकिन सभी को हार ही नसीब हुई। 

विजय मानकर ने भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकली #श्रीमद्भगवद्गीता को ठीक से पढ़ा ही नही है और कुछ भी बयान देना शुरू कर दिया । अगर ठीक से पढ़ता तो उसके दिमाग में जो कचरा भरा है वो निकल जाता और #दिव्य ज्ञान से भरपूर #समता के सिंहासन पर बैठाने वाली गीता का ज्ञान पाकर धन्य हो जाता ।

अगर यही किसी धर्म के ग्रन्थ पर बोलता तो अभीतक न जाने कितने उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए होते, पत्थरबाजी होती, मीडिया छाती पीटने लगती लेकिन हिन्दू सहिष्णु है इसलिए आज हिन्दू चुप है ।

आइये विजय मानकर को याद सद्बुद्धि देने के लिए जानते है श्रीमद्भगवद्गीता की महिमा...
‘यह मेरा हृदय है’- ऐसा अगर किसी ग्रंथ के लिए भगवान ने कहा हो तो वह #गीता का ग्रंथ है । गीता मे हृदयं पार्थ । ‘गीता मेरा हृदय है ।’ 

#गीता ने गजब कर दिया - धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे... युद्ध के मैदान को भी धर्मक्षेत्र बना दिया । युद्ध के मैदान में गीता ने योग प्रकटाया । हाथी चिंघाड़ रहे हैं, घोड़े हिनहिना रहे हैं, दोनों सेनाओं के योद्धा प्रतिशोध की आग में तप रहे हैं । किंकर्तव्यविमूढ़ता से उदास बैठा हुआ अर्जुन को भगावन श्री कृष्ण ज्ञान का उपदेश दे रहे है । 

‘गीता’ में 18 अध्याय हैं, 700 श्लोक हैं, 94569 शब्द हैं । विश्व की 578 से भी आधीक भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है ।

आजादी के समय स्वतंत्रता सेनानियों को जब फाँसी की सजा दी जाती थी, तब ‘गीता’ के श्लोक बोलते हुए वे हँसते-हँसते फाँसी पर चढ जाते थे। 

गीता पढ़कर 1985-86 में गीताकार की भूमि को प्रणाम करने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री मि. पीअर ट्रुडो भारत आये थे । जीवन की शाम हो जाय और देह को दफनाया जाय उससे पहले अज्ञानता को दफनाने के लिए उन्होंने अपने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और एकांत में चले गये । वे अपने शारीरिक पोषण के लिए एक दुधारू गाय और आध्यात्मिक पोषण के लिए उपनिषद् और गीता साथ में ले गये । ट्रुडो ने कहा है : ‘‘मैंने बाइबिल पढ़ी, एंजिल पढ़ी और अन्य धर्मग्रंथ पढ़े । सब ग्रंथ अपने-अपने स्थान पर ठीक हैं किंतु हिन्दुओं का यह ‘श्रीमद् भगवद्गीता’ ग्रंथ तो अद्भुत है । इसमें किसी मत-मजहब, पंथ या सम्प्रदाय की निंदा-स्तुति नहीं है वरन् इसमें तो मनुष्यमात्र के विकास की बातें हैं । गीता मात्र हिन्दुओं का ही #धर्मग्रंथ नहीं है, बल्कि मानवमात्र का #धर्मग्रंथ है ।’’
गीता ने किसी मत, पंथ की सराहना या निंदा नहीं की अपितु मनुष्यमात्र की उन्नति की बात कही । 

ख्वाजा दिल मुहम्मद ने लिखा : ‘‘रूहानी गुलों से बना यह गुलदस्ता हजारों वर्ष बीत जाने पर भी दिन दूना और रात चौगुना महकता जा रहा है । यह गुलदस्ता जिसके हाथ में भी गया, उसका जीवन महक उठा । ऐसे गीतारूपी गुलदस्ते को मेरा प्रणाम है । सात सौ श्लोकरूपी फूलों से सुवासित यह गुलदस्ता करोड़ों लोगों के हाथ गया, फिर भी मुरझाया नहीं ।’’

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रुडो एवं ख्वाजा-दिल-मुहम्मद ही इसकी प्रशंसा करते हैं ऐसी बात नहीं, कट्टर मुसलमान की बच्ची और अकबर की रानी ताज भी इस गीताकार के गीत गाये बिना नहीं रहती । 
सुनो दिलजानी मेरे दिल की कहानी तुम ।
दस्त ही बिकानी, बदनामी भी सहूँगी मैं ।।
देवपूजा ठानी मैं, नमाज हूँ भुलानी ।
तजे कलमा कुरान सारे गुनन गहूँगी मैं ।।
साँवला सलोना सिरताज सिर कुल्ले दिये ।
तेरे नेह दाग में, निदाग हो रहूँगी मैं ।।
नन्द के कुमार कुरबान तेरी सूरत पै ।
हूँ तो मुगलानी, हिन्दुआनी ह्वै रहूँगी मैं ।।

अकबर की रानी ताज अकबर को लेकर आगरा से वृंदावन आयी । कृष्ण के मंदिर में आठ दिन तक कीर्तन करते-करते जब आखिरी घड़ियाँ आयीं, तब ‘हे कृष्ण ! मैं तेरी हूँ, तू मेरा है...’ कहकर उसने सदा के लिए माथा टेका और कृष्ण के चरणों में समा गयी । अकबर बोलता है : ‘‘जो चीज जिसकी थी, उसने उसको पा लिया । हम रह गये...’’ 

इतना ही नहीं महात्मा थोरो भी गीता के ज्ञान से प्रभावित हो के अपना सब कुछ छोड़कर अरण्यवास करते हुए एकांत में कुटिया बनाकर जीवन्मुक्ति का आनंद लेते थे । 


जीवन का दृष्टिकोण उन्नत बनाने की कला सिखाती है गीता ! युद्ध जैसे घोर कर्मों में भी #निर्लेप रहना सिखाती है #गीता ! कर्तव्यबुद्धि से ईश्वर की पूजारूप कर्म करना सिखाती है गीता ! मरने के बाद नहीं, जीते-जी मुक्ति का स्वाद दिलाती है गीता !                        

#श्रीमद्भगवद्गीता के विषय में संतों एवं विद्वानों के विचार

जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए गीताग्रंथ अद्भुत है । विश्व की 578 भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है । हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों एवं भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, होती रहेंगी क्योंकि  इस  ग्रंथ  में  किसी  भी  देश,  जाति, पंथ  के  सभी  मनुष्यों  के  कल्याण  की अलौकिक सामग्री भरी हुई है । अतः हम सबको #गीताज्ञान में अवगाहन करना चाहिए। भोग, #मोक्ष, #निर्लेपता, #निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करानेवाला यह गीताग्रंथ विश्व में अद्वितीय है ।
                                                                           - ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री 🚩लीलाशाहजी महाराज 


विरागी जिसकी इच्छा करते हैं, संत जिसका प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं और पूर्ण ब्रह्मज्ञानी जिसमें ‘अहमेव ब्रह्मास्मि’ की भावना रखकर रमण करते हैं, भक्त जिसका श्रवण करते हैं, जिसकी त्रिभुवन में सबसे पहले वन्दना होती है, उसे लोग ‘भगवद्गीता’ कहते हैं ।                                                                             - संत ज्ञानेश्वरजी

भगवद्गीता कचिदधीता गंगाजललवकणिका पीता। येनाकारिमुरारेरर्र्चा तस्य यमै क्रियते चर्चा ।।
जिस मनुष्य ने #श्रीमद्भगवद्गीता का थोडा भी अध्ययन किया हो, श्रीगंगाजल का एक बिन्दु भी पान किया हो अथवा भगवान श्रीविष्णु का सप्रेम पूजन किया हो, उसे यमराज नजर उठाकर देख भी नहीं सकते । अर्थात् वह संसार-बंधन से मुक्त होकर आत्यन्तिक आनन्द का अधिकारी हो जाता है 
 -जगद्गुरु श्री शंकराचार्यजी

🚩गीता के ज्ञानामृत के पान से मनुष्य के जीवन में #साहस, #समता, #सरलता, #स्नेह, #शांति, #धर्म आदि दैवी गुण सहज ही विकसित हो उठते हैं । अधर्म, अन्याय एवं शोषकों का मुकाबला करने का #सामर्थ्य आ जाता है । #निर्भयता आदि दैवी गुणों को विकसित करनेवाला, भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करनेवाला यह ग्रंथ पूरे विश्व में अद्वितीय है । - संत आसारामजी बापू


‘गीता’ शास्त्र एक परम रहस्यमय ग्रंथ है । इसका प्रचारक भगवान को अत्यंत प्रिय है । भगवान ने स्वयं कहा है :
‘मनुष्यों में उससे बढकर मेरा प्रिय कार्य करनेवाला कोई भी नहीं है तथा पृथ्वी भर में उससे बढकर मेरा प्रिय दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं जो गीता-ज्ञान का प्रचार करता है ।’ -स्वामी रामसुखदासजी
                                                                                      
‘भगवद्गीता’ के उपदेश पर कोई शंका नहीं कर सकता क्योंकि वह मानों ठीक मर्मस्थल को स्पर्श करता है । वह सब आवश्यकताओं की समान रूप से पूर्ति करता है, उसमें विकास की प्रत्येक श्रेणी पर विचार किया गया है । यह एक ही ग्रंथ है, जिसमें छोटे-से-छोटा और बडे-से-बडा मनुष्य, अतिशय प्रखर बुद्धि का विचारक, सभीको कुछ-न-कुछ जानने तथा सीखने की सामग्री मिल जाती है, मार्ग सीखने के लिए कोई-न-कोई ध्रुव तारा मिल जाता है । वे धन्य हैं जो गीता को पढते हैं, सुनते हैं, सुनाते हैं ।                   
                                                                                                        - 🚩रेवरेंड आर्थर

‘गीता’ के संदेश का प्रभाव आचार-विचारों के क्षेत्र में भी सदैव जीता-जागता प्रतीत होता है। 
- श्री अरविन्द घोष (स्त्रोत्र : ऋषि प्रसाद )

जिस पवित्र #गीता जी का विश्व की 578 से भी अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है । उसी से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि गीता जी कितना लोगों के लिए उपयोगी हो रही होगी ।

#गीता ही एक ऐसा ग्रन्थ है जिसकी आज भी जयंती मनाई जाती है और किसी भी ग्रन्थ की जयंती नही मनाई जाती है ।

पवित्र #गीता ग्रन्थ ही विश्व में सुख, शांति ला सकता है बाकि किसी भी ग्रन्थ में ताकत नही है । 

दुनिया में जितने भी ग्रन्थ हैं वे गीता जी का कुछ न कुछ अंश लेकर ही चमके हैं । #गीता जी के ज्ञान बिना मनुष्य पशुतुल्य है ।

गीता विश्व में श्रेष्ठ ग्रन्थ है उसकी बराबरी में आजतक कोई ग्रन्थ बना ही नही है । ऐसे पवित्र ग्रन्थ के लिए विजय मानकर अपनी तुच्छ बुद्धि का परिचय देते हुए अपना दिमागी कचरा समाज में फैला रहा है । ये कहाँ तक उचित है ???

भारत का #राष्ट्रीय ग्रन्थ #गीताजी को और #राष्ट्रीय पशु #गाय माता को घोषित कर देना चाहिए ।

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