Wednesday, May 2, 2018

इतिहास देख लो हयातिकाल में सभी संतों की भयंकर निंदा हुई है, बाद में लोग पूजते हैं

🚩भारत देश #ऋषि-मुनियों, #साधु-संतों का देश रहा है, उनके ही मार्गदर्शन में राजसत्ता चलती थी, भगवान #श्रीकृष्ण भी #संदीपनी ऋषि के पास जाते थे, भगवान #श्री राम भी उनके गुरु #वशिष्ठ के पास से सलाह सूचन लेने के बाद ही कुछ निर्यण लेते थे, वर्तमान में भी देश सच्चे साधु-संतों के कारण ही देश में सुख-शांति है और देश की संस्कृति जीवित है।

See history, all saints have been severely condemned
 in the Hyattikalal, people worship afterwards

🚩वर्तमान में #विदेशी फंड से चलने वाली #मीडिया द्वारा एक #कुचक्र चल रहा है जिसमें सभी #हिन्दू साधु-संतों को #बदनाम #किया जा रहा है, भारत की भोली जनता भी उन्हीं को सच मानकर अपने ही धर्मगुरुओं की निंदा करने लगी है और बोलते हैं कि पहले जैसे साधु-संत नहीं हैं पर अगर वे भगवान श्री राम के गुरु की योगवासिष्ठ महारामायण पढ़े तो उसमें भगवान श्री रामजी के गुरुजी विशिष्ठ जी कहते है की "मैं बाजार से गुजरता हूँ तो मूर्ख लोग मेरे लिए न जाने क्या-क्या बोलते हैं पर मेरा दयालु स्वभाव है मैं सबको क्षमा कर देता हूँ ।"
🚩त्रेतायुग में भी भगवान रामजी जिनको पूजते थे उनको भी जनता ने नही छोड़ा तो आज तो कलयुग है लोगों की मति-गति छोटी है इसलिए साधु-संतों की निंदा करेंगे और उनके भक्तों को अंधभक्त ही बोलेंगे ।
🚩आइये आपको बताते हैं पहले जो महापुरुष हो गए उनकी कैसी निंदा हुई और बाद में कैसे लोग पूजते गए..
🚩स्वामी विवेकानंदजी
🚩अत्याचार : ईसाई #मिशनरियों तथा उनकी कठपुतली बने #प्रताप मजूमदार द्वारा दुश्चरित्रता, स्त्री-लम्पटता,  ठगी, जालसाजी, धोखेबाजी आदि आरोप लगाकर अखबारों आदि के द्वारा बहुत #बदनामी की गयी ।
🚩परिणाम : काफी समय तक उनकी जो निंदाएँ चल रही थी उनका प्रतिकार उनके अनुयायियों ने भारत में सार्वजनिक सभाएँ आयोजित करके किया और अंत में #स्वामी विवेकानंदजी के पक्ष की ही #विजय हुई । (संदर्भ : युगनायक विवेकानंद, लेखक - स्वामी गम्भीरानंद, पृष्ठ 109, 112, 121, 122)
🚩महात्मा बुद्ध
🚩अत्याचार : #सुंदरी नामक बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध संबंध एवं उसकी #हत्या के #आरोप लगाये गये और सर्वत्र घोर #दुष्प्रचार हुआ ।
🚩परिणाम : उनके शिष्यों ने सुप्रचार किया । कुछ समय बाद #महात्मा बुद्ध #निर्दोष साबित हुए । लोग आज भी उनका आदर-सम्मान करते हैं ।
(संदर्भ : लोक कल्याण के व्रती महात्मा बुद्ध, लेखक - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, पृष्ठ 25)
🚩संत कबीरजी
🚩अत्याचार : अधर्मी, शराबी, वेश्यागामी आदि कई घृणित #आरोप लगाये गये और बादशाह #सिकंदर के आदेश से कबीरजी को #गिरफ्तार किया गया और कई प्रकार से सताया गया ।
🚩परिणाम : अंत में #बादशाह ने #माफी माँगी और शिष्य बन गया ।
(संदर्भ : कबीर दर्शन, लेखक - डॉ. किशोरदास स्वामी, पृष्ठ 92 से 96)
🚩संत नरसिंह मेहताजी
🚩अत्याचार : जादू के बल पर स्त्रियों को आकर्षित कर उनके साथ स्वेच्छा से विहार करने के #आरोप लगाकर खूब बदनाम व #प्रताड़ित किया गया ।
🚩परिणाम : #नरसिंह मेहताजी #निर्दोष #साबित हुए । आज भी लाखों-करोड़ों लोग उनके भजन गाकर पवित्र हो रहे हैं ।    (संदर्भ : भक्त नरसिंह मेहता, पृष्ठ 129, प्रकाशन - गीताप्रेस)
🚩स्वामी रामतीर्थ
🚩अत्याचार : #पादरियों और #मिशनरियों ने लड़कियों को भेजकर दुश्चरित्र सिद्ध करने के #षड्यंत्र रचे और खूब #बदनामी की । जान से मार डालने की धमकी एवं अन्य कई प्रताड़नाएँ दी गयी।
🚩परिणाम : स्वामी रामतीर्थजी के सामने बड़ी-बड़ी #मिशनरी #निरुत्तर हो गई। उनके द्वारा प्रचारित वैदिक संस्कृति के ज्ञान-प्रकाश से अनेकों का जीवन आलोकित हुआ । (संदर्भ : राम जीवन चित्रावली,  रामतीर्थ प्रतिष्ठान, पृष्ठ 67 से 72)
🚩संत ज्ञानेश्वर महाराज
🚩अत्याचार : कई वर्षों तक समाज से #बहिष्कृत करके बहुत अपमान व निंदा की गयी । इनके माता-पिता को 22 वर्षों तक कभी तृण-पत्ते खाकर और कभी केवल जल या वायु पीके जीवन-निर्वाह करना पड़ा । ऐसी #यातनाएँ ज्ञानेश्वरजी को भी सहनी पड़ी ।
🚩परिणाम : #लाखों-करोड़ों लोग आज भी संत ज्ञानेश्वर जी द्वारा रचित ‘#ज्ञानेश्वरी गीता’ को श्रद्धा से पढ़-सुन के अपने हृदय में #ज्ञान-भक्ति की ज्योति जगाते हैं और उनका #आदर-पूजन करते हैं । (संदर्भ : श्री ज्ञानेश्वर चरित्र और ग्रंथ विवेचन, लेखक - ल.रा. पांगारकर, पृष्ठ 32, 33, 38)
🚩भक्तिमती मीराबाई
🚩अत्याचार : चरित्रभ्रष्टता का आरोप लगाया गया । कभी नाग भेजकर तो कभी #विष पिला के, कभी भूखे शेर के सामने भेजकर तो कभी #तलवार चला के जान से #मारने के #दुष्प्रयास हुए ।
🚩परिणाम : जान से मारने के सभी #दुष्प्रयास #विफल हुए । मीराबाई के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ती गयी । उनके गाये पदोें को पढ़-सुनकर एवं गा के आज भी लोगों के विकार मिटते हैं, भक्ति बढ़ती है ।
🚩 वर्तमान में भी #शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वतीजी, #स्वामी नित्यानंदजी, #स्वामी केशवानंदजी, श्री #कृपालुजी महाराज, #संत आशारामजी बापू, #साध्वी प्रज्ञा सिंह आदि हमारे #संतों को #षड्यंत्र में फँसाकर #झूठे आरोप लगा के #गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ित किया गया, अधिकांश #मीडिया द्वारा #झूठे आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया परंतु जीत हमेशा सत्य की ही होती रही है और होगी ।
🚩इतिहास उठाकर देखें तो पता चलेगा कि #सच्चे संतों व महापुरुषों की #जय-जयकार होती रही है और आगे भी होती रहेगी । दूसरी ओर #निंदकों की #दुर्गति होती है और समाज उन्हें घृणा की दृष्टि से ही देखता है । अतएव समझदारी इसीमें है कि हम संतों का आदर करके या उनके आदर्शों को अपनाकर लाभ न ले सकें तो कम-से-कम उनकी निंदा करके या सुनके अपने पुण्य व शांति को तो नष्ट न करें ।
🚩#सनातन धर्म के संतों ने जब-जब व्यापकरूप से #समाज को #जगाने का #प्रयास किया है, तब-तब उनको #विधर्मी ताकतों के द्वारा #बदनाम करने के लिए #षड्यंत्र किये गये हैं ।
जिनमें वे हिन्दू संतों को भी मोहरा बनाकर हिन्दू संतों के खिलाफ #दुष्प्रचार करने में सफल हो जाते हैं ।
🚩यह #हिन्दुओं की #दुर्बलता है कि वे विधर्मियों के चक्कर में आकर अपने ही संतों की निंदा सुनकर विधर्मियों की हाँ में हाँ करने लग जाते हैं और उनकी हिन्दू धर्म को नष्ट करने की गहरी साजिश को समझ नहीं पाते । इसे हिन्दुओं का भोलापन भी कह सकते हैं ।
🚩अतः हिन्दू सावधान रहें ।
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Tuesday, May 1, 2018

मीडिया ट्रायल न्यायधीशों को प्रभावित करने कि एक बड़ी प्रवृत्ति - दिल्ली उच्च न्यायालय

🚩मीडिया ट्रायल इतना खतरनाक है कि किसी भी अच्छे व्यक्ति कि छवि को खराब कर दे और बुरे व्यक्ति को महान बना दे। भारत में आज यही सब चल रहा है । इसके लिए न्यायलय ने भी चिंता जताई है।
🚩दिल्ली उच्च न्यायलय ने कहा है : ‘‘मीडिया में दिखायी गयी खबरें न्यायधीश के फैसलों पर असर डालती हैं । खबरों से न्यायधीश पर दबाव बनता है और फैसलों का रुख भी बदल जाता है। पहले मीडिया अदालत में विचाराधीन मामलों में नैतिक जिम्मेदारियों को समझते हुए खबरें नहीं दिखाता था लेकिन अब नैतिकता को हवा में उड़ा दिया है।
🚩मीडिया ट्रायल के जरिये दबाव बनाना न्यायधीशों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति है। जाने-अनजाने में एक दबाव बनता है और इसका असर आरोपियों और दोषियों की सजा पर पड़ता है ।’’
A big tendency to influence media trial judges - Delhi High Court

🚩सर्वोच्च न्यायलय के पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति के एस. राधाकृष्णन् का मानना है : ‘‘मीडिया ट्रायल अच्छा नहीं है क्योंकि कई बार इससे दृढ़ सार्वजनिक राय कायम हो जाती है जो न्यायपालिका को प्रभावित करती है । मीडिया ट्रायल के कारण कई बार आरोपी कि निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती ।’’
🚩न्यायधीशों की बात सही है अभी हाल कि तीन ताजा उदाहरण देते है।
🚩पहला कठुआ में जनवरी की घटना का तूल पकड़ता है अप्रैल में! और एक हिन्दू को पकड़ा जाता है जबकि रिपोर्ट में स्पष्ट आया है कि रेप हुआ ही नही लेकिन मीडिया ट्रायल के कारण एक हिंदू युवक को जेल जाना पड़ा और मंदिर को बदनाम किया गया ।
🚩दूसरा मामला सलमान खान है अभी हाल ही में जोधपुर सेशन कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई लेकिन जैसे ही मीडिया ने सलमान खान के फेवर में खबरें दिखानी शुरू किया तो दो दिन में ही जमानत मिल गई ।
🚩तीसरा मामला है हिन्दू संत आसारामजी बापू का जब भी उनकी जमानत अर्जी लगती है तो मीडिया उनके खिलाफ खबरे चलाना शुरू कर देती जिससे उनको जमानत नही मिल पाती और निर्णय सुनाने पहले ही उनके खिलाफ खबरें दिखाना शुरू किया जिससे उनको उम्रकैद की सजा दी गई जबकि गवाहों और सबूतों के आधार पर केस बनता ही नही है और मीडिया जिसको रेप (बलात्कार) शब्द उपयोग कर रही है वास्तविकता में उनके ऊपर रेप का कोई आरोप ही नही है केवल छेड़छाड़ी के ही आरोप है, उसमे ही उनको उम्रकैद कि सजा दे दी तो कही न कही मीडिया ट्रायल का ही प्रभाव है ।
🚩पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रविशेखर सिंह बताते हैं : ‘‘कई देशों में मीडिया ट्रायल के खिलाफ बड़े सख्त कानून बनाये गये हैं। इंग्लैंड में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1981 की धारा 1 से 7 में मीडिया ट्रायल के बारे में सख्त निर्देश दिये गये हैं । कई बार इस कानून के तहत बड़े अखबारों पर मुकदमा भी चलाये गये हैं । धारा 2(2) के तहत प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसा कोई समाचार प्रकाशित नहीं कर सकता जिसके कारण ट्रायल की निष्पक्षता पर गम्भीर खतरा उत्पन्न होता हो । जिस तरह भारत में मीडिया ट्रायल के द्वारा केस को गलत दिशा में मोड़ने का प्रचलन हो रहा है, ऐसे में अन्य देशों की तरह भारत में भी मीडिया ट्रायल पर सख्त कानून बनाना बहुत ही आवश्यक हो गया है।’’
🚩विश्व हिन्दू परिषद के मुख्य संरक्षक व पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय श्री अशोक सिंहलजी कहते हैं : ‘‘मीडिया ट्रायल के पीछे कौन है ? हिन्दू धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के लिए मीडिया ट्रायल पश्चिम का बड़ा भारी षड़्यंत्र है हमारे देश के भीतर ! मीडिया का उपयोग कर रहे हैं विदेश के लोग ! उसके लिए भारी मात्रा में फंड्स देते हैं, जिससे हिन्दू धर्म के खिलाफ देश के भीतर वातावरण पैदा हो ।’’
🚩मीडिया विश्लेषक उत्पल कलाल कहते हैं: ‘‘यह बात सच है कि संतों, राष्ट्रहित में लगी हस्तियों पर झूठे आरोप लगाकर मीडिया ट्रायल द्वारा देशवासियों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है । जनता पर अपनी बात को थोपना, सही को गलत, गलत को सही दिखाना - क्या इससे प्रजातंत्र को मजबूती मिलेगी । मीडिया के ऐसी रिपोर्टिंग पर सरकार, न्यायपालिका और जनता द्वारा लगाम कसी जानी चाहिए ।
🚩राजस्थान उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश सुनील अम्बवानी ने बताया था कि जब तक लोगों की मान्यता नहीं बनी है तब तक वह न्यायधीश किसी से नहीं डरता है । लेकिन मीडिया कई मामलों में पहले ही सही-गलत की राय बना चुका होता है । इससे न्यायधीश पर दबाव बन जाता है कि एक व्यक्ति जो जनता कि नजर में दोषी है, उसको अब दोषी ठहराने की जरूरत है । न्यायधीश भी मानव है । वह भी इनसे प्रभावित होता है ।
🚩कई न्यायविद् एवं प्रसिद्ध हस्तियाँ भी मीडिया ट्रायल को न्याय व्यवस्था के लिए बाधक मानती हैं । एक याचिका कि सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश न्यायमूर्ति कुरीयन जोसेफ ने कहा है : ‘‘दंड विधान संहिता की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज आरोपी के बयान भी मीडिया को जारी कर दिये जाते हैं। अदालत में मुकदमा चलता है, उधर समान्तर मीडिया ट्रायल भी चलता रहता है।’’ सर्वोच्च न्यायलय ने कहा है : ‘‘मीडिया का रोल अहम है और उससे उम्मीद कि जाती है कि वह इस तरह अपना काम करे कि किसी भी केस कि छानबीन प्रभावित न हो । जब मामला अदालत में हो, तब मीडिया को संयम रखना चाहिए । उसे न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने से बचना चाहिए।’’
🚩उच्चतम न्यायलय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर कहते हैं : ‘‘मीडिया ट्रायल काफी चिंता का विषय है । यह नहीं होना चाहिए। इससे अभियुक्त के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की धारणा बनती है । फैसला अदालतों में ही होना चाहिए ।’’
🚩अब मीडिया पर लगाम लगाना जरूरी है नही तो एक के बाद एक इसके शिकार होते रहेंगे ।
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