Saturday, August 18, 2018

गाय बचाने वाले तीन साधुओं की निर्मम हत्या, सेकुलर, मीडिया ने साधी चुप्पी

18 August 2018
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🚩देश में हिन्दू धर्म को छोड़कर किसी अन्य धर्म के लोगों पर हमला होता है या हत्या हो जाती है तो सेकुलर नेता, वामपंथी, मीडिया सब मिलकर इतना शोर मचाते हैं कि मानो भारत में कोई भयंकर अघटित घटना घट गई हो, मीडिया 24 घण्टे डिबेट बैठा देती है और ब्रेकिंग न्यूज़ न्यूज चलाती है, लेकिन उसकी जगह कोई हिन्दू हो तो ये सभी चुप हो जाते हैं ।
Niram murder, secular, media silent killing of three sadhus save cow
🚩आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश औरैया के जंगल में सैंकड़ों गाएँ काटी जा रही थी, वहाँ पास में ही पुलिस स्टेशन भी था, लेकिन पुलिस आँख के आड़े कान कर रहे थे ।
🚩उस गाँव मे तीन हिन्दू साधू गौतस्करी का विरोध कर रहे थे, ये गौतस्करी करने वाले जिहादियों के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायतें भी कर रहे थे, जिसके कारण गौतस्करों के निशाने पर थे ।
🚩तीनों हिन्दू साधु 14 अगस्त 2018 की रात को मंदिर में सोने के लिए अपने-अपने चारपाई पर चले गए, उसी रात को जिहादियों ने मंदिर पर हमला किया, मंदिर में तीन साधुओं के अलावा कोई नहीं था, ये तीनो ही वृद्ध थे, कई जिहादियों ने हमले को अंजाम दिया और तीनो साधुओं को उनकी चारपाई से बाँधा, हाथों और पैरों को बाँध दिया और सबसे पहले तीनो की जीभ को चाक़ू से काटा
और उसके बाद तीनो की गर्दनो को चाकुओं से काट कर तीनो को मार डाला गया, तीन वृद्ध साधुओं को मौत के घाट उतार दिया गया ।
🚩हिन्दू बाहुल्य देश में इतनी बड़ी घटना हुई है, तीन हिन्दू साधुओं की निर्मम हत्या करवा दी है फिर भी देश की मीडिया, देश के बुद्धिजीवी और नेता चुप है, क्या ये लिंचिंग में नहीं आता ?
🚩लिंचिंग, लिंचिंग, लिंचिंग, लिंचिंग, लिंचिंग, लिंचिंग करने वाले तमाम सेक्युलर, तमाम बुद्धिजीवी, तमाम मीडिया वाले, तमाम नेता इस घटना पर मौन हैं, सबके मुँह में दही जम गयी है, ये लिंचिंग-लिंचिंग तभी करते हैं, जब कोई जुनैद, अख़लाक़ इत्यादि हो, तीन वृद्ध साधुओं की निर्मम हत्या इन लोगों के लिए लिंचिंग में नहीं आती ।
🚩देश के तमाम लोगों को सोचना होगा कि हमारा देश किस तरफ जा रहा है, स्वतंत्रता दिवस पर कई मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में झंडा नहीं फहराने दिया गया, कई जगह राष्ट्रगान नहीं होने दिया गया, साधुओं को मार दिया जा रहा है, पर इस देश की मीडिया, नेता और बुद्धिजीवी, जो हिंदुओं के खिलाफ दिन रात बोलते रहते हैं, इन घटनाओं के होने पर, इनके मुँह में दही जमी हुई है ।
🚩हमे नेताओं मीडिया और बुद्धिजीवी सेकुलरों से पूछना होगा, तीन साधुओं की हत्या क्या लिंचिंग नहीं है, और लिंचिंग है तो तुम सब मौन क्यों हो ?
🚩भारत देश में गाय, गीता, गंगा और साधु ये हिन्दू धर्म के रक्षक है । आज इन सभी पर अत्याचार हो रहा है, कोई गौहत्या रोकने जाता है तो उसको बदनाम किया जाता है या गुंडा बताया जाता है, गीता का प्रचार करने वालों को ढोंगी बताया जाता है, गंगा मैया में आज भी बहुत सारी गंदगी भरी है और हिन्दू साधु-संत, समाज को अच्छी राह पर ले जाते हैं, स्वधर्म की महिमा बताते हैं, प्राचीन संस्कृति की तरफ ले जाते हैं,  जिससे हम स्वस्थ्य, सुखी, सम्मानित जीवन जीते हैं और हमें दुःखी परेशान करने वाली पश्चिम संस्कृति से दूर रहते हैं, जो विधर्मियों को भाता नहीं है तो साधु-संतों को मीडिया द्वारा बदनाम करके जेल भेज देते हैं या उनकी हत्या करवा दी जाती है ।
🚩हिंदुओं को सावधान रहना होगा क्योंकि उनका टारगेट है हिन्दू संस्कृति खत्म करके और हिंदुओं का धर्मान्तरण करवाकर खुद भारत पर राज करें ।
🚩भारत में साधुओं पर हो रहे षड्यंत्र का सभी को मिलकर मुकाबला करना होगा, नहीं तो एक के बाद एक करके साधुओं को खत्म कर दिया जाएगा ।
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Friday, August 17, 2018

एक चर्च में पादरियों ने, 1000 से अधिक बच्चों के साथ किया रेप

17 August 2018

🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । 

🚩अभी हाल ही में अमेरिका के पेन्सिलवेनिया से एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा जा रहा है कि एक कैथोलिक चर्च में पादरियों ने 1,000 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया है और यह काम पिछले कई दशकों से चल रहा था । ग्रांड ज्यूरी की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 300 पादरियों ने पिछले 70 सालों से इस घिनौने काम को अंजाम दिया है । माना जा रहा कि 1940 से बच्चों के साथ रेप और यौन शोषण का कम चल रहा था, जिसमें कई सीनियर चर्च अधिकारी भी शामिल है, जो अब वॉशिंगटन डीसी में आर्कबिशप बने बैठे हैं ।
Pastors in a church, raped with more than 1000 children

🚩इस रिपोर्ट के मुताबिक, कई पीड़ित आगे नहीं आ पाए हैं और कई अपराधी पादरियों के रिकॉर्ड्स को चर्च ने गायब कर दिया है, इसलिए यह आकंलन लगाना गलत नहीं होगा कि पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ भी सकती है । इस रिपोर्ट ने दावा किया है कि चर्चों ने कई पादरियों के बचाने की भी कोशिश की है ।

🚩रिपोर्ट ने कहा, 'सबसे बड़ी बात यह है कि बच्चों की मदद नहीं की गई, लेकिन इस पूरे स्कैंडल को नजरअंदाज किया गया । तथाकथित अपने आप को ईश्वर बताने वाले लोगों ने चर्च में सालों से मासूम लड़कों और लड़कियों का रेप किया । वे ना सिर्फ इस घिनौने करतूतों के लिए जिम्मेदार थे, बल्कि उन्होंने इसको बड़ी चालाकी के साथ छुपाया भी है ।'

🚩रिपोर्ट में दुर्व्यवहार के भयानक दास्तां शामिल हैं, जिसमें एक पादरी ने तो अस्पताल में लड़की के टॉन्सिल निकालने के बाद भी उसका रेप कर दिया था । वहीं, एक अन्य पादरी ने 17 वर्षीय लड़की को अपनाने के बाद, उसे चर्च में रहने की इजाजत दी थी और शादी प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद उस लड़की को तलाक दे दिया था ।

🚩लगभग हर मामले में, अभियोजकों ने पाया कि कई पादरियों पर अपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, क्योंकि कई तो रिटायर्ड हो चुके हैं और 100 से अधिक पादरियों की मौत भी हो चुकी है । अधिकारियों ने फिलहाल दो पादरियों को दोषी ठहराया है, जिसमें से एक दोषी पाया जा चुका है। अटॉर्नी जनरल जोश शापिरो ने कहा कि इस मामले की जांच चल रही है । 

🚩ईसाई पादरियों ने किए कुकर्मों पर एक नजर अभी तक के बड़े आरोपों और जांच पर... 

🚩ऑस्ट्रेलिया:-
यौन शोषण के मामलों को छिपाने के दोष में पादरी ऐडिलेड में आर्कबिशप फिलिप विलसन को 12 महीने की जेल की सजा सुनाई गई । वह यौन शोषण के मामले को छिपाने वाले दुनिया के सबसे ऊंचे पद पर बैठे अधिकारी (पादरी) भी बने । 

🚩चिली:-
22 मई को यौन शोषण के आरोपों में ही 14 पादरियों को चर्च से निकाल दिया गया था। यह आरोप एक दशक पुराने थे। 

🚩ऑस्ट्रिया:-
यौन शोषण के करीब 800 मामलों का खुलासा हुआ । दो स्कैंडलों की वजह से वैटिकन को उच्च-पदस्थ पादरियों को 1995 और साल 2004 में हटाना पड़ा । 

🚩कनाडा:-
पादरियों के खिलाफ करीब 10 हजार शोषण के स्व-घोषित पीड़ितों ने मुआवजे के लिए प्रदर्शन किया । 

🚩जर्मनी:-
साल 2010 से सैकड़ों कथित मामले सामने आए हैं । साल 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक, 1945 से 1990 के दशक के बीच चर्च में प्रार्थना करने वाले समूह के 547 पूर्व सदस्य पादरियों द्वारा यौन शोषण के पीड़ित थे । 

🚩बेल्जियम:-
चर्च में 2012 के बाद से सैकड़ों यौन शोषण की शिकायतें मिली हैं । 

🚩नीदरलैंड्स:-
पादरियों द्वारा 1945 से 2010 के बीच हजारों नाबालिगों के साथ यौन शोषण हुआ । करीब 800 संदिग्धों की पहचान हुई । 

🚩आयरलैंड:- 
14 हजार 500 बच्चों के पादरियों द्वारा यौन शोषण के पीड़ित होने की जानकारी दी गई । 

🚩अमेरिका:-
1950 से 1980 के बीच 17 हजार शिकायतें मिलीं, जिनके मुताबिक 6 हजार 400 पादरियों ने यौन शोषण किया । 

🚩आपको बता दें कि अभी हाल ही में हजारों बच्चों के साथ यौनशोषण का आरोप साबित होने पर अदालत ने करोड़ों का मुआवजा भरने को कहा, तब एक कैथोलिक चर्च के उच्च पदस्थ पादरी कार्डिनल टिमोथी का एक चौंकाने वाला बयान आया था, मिल्वौकी के Archdiocese (आर्चडियोज़) ने दावा किया है कि बाल यौन शोषण (बच्चों का बलात्कार) पादरियों के लिए एक "ईश्वर प्रदत्त (धार्मिक) स्वतंत्रता 'है ।

🚩पादरी का बयान कितना शर्मनाक है, ईसाई पादरी धर्मगुरु बनकर बैठे हैं और बच्चों के साथ दुष्कर्म करते हैं । जब #अदालत उन पर जुर्म लगाती है तब बयान देते हैं कि बच्चों का यौन शोषण करने की धार्मिक स्वतंत्रता है क्या ऐसे ईसाई के धर्मगुरु,लोगों का क्या भला करे पायेंगे?

🚩धार्मिकता के नाम पर छोटे-छोटे बच्चों के साथ बलात्कार करना, दारू पीना, #मांस खाना, धर्म का पैसा शेयर बाजार में लगाना, लोगों का शोषण करना, कानून का पालन नही करना, समाज उत्थान कार्य के नाम पर भोले-भाले #हिन्दुओं का #धर्मांतरण करवाना और बोलते हैं कि ईसाई धर्म सबसे बड़ा धर्म है ।

🚩सेक्युलर और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों को बदनाम करते हैं, परंतु ईसाई पादरीयों के कुकर्म पर चुप रहते हैं क्योंकि उन्हें #वेटिकन सिटी से फंडिंग होता है ।


🚩कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने #पादरियों और #ननों का #चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय #वासना से भरी थी । 

🚩हिंदुस्तानी ऐसे ईसाई पादरियों और उनका बचाव करने वाली मीडिया और सेक्युलर लोगो से सावधान रहें  ।

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Thursday, August 16, 2018

भारत के दसवें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में सबकुछ जानिए

16 August 2018

🚩सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को निधन हो गया । वाजपेयी ने 93 साल की उम्र में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में शाम पांच बजकर पांच मिनट पर अंतिम सांस ली । अटल जी की आत्मा को भगवान परम् शांति दें ।

🚩आरम्भिक जीवन :-
Know everything about India's Tenth
Prime Minister Atal Bihari Vajpayee

उत्तरप्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे । वहीं शिन्दे की छावनी में 25 दिसम्बर 1924 को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था । पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे, इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे । पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए ।

🚩महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका” पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गई । अटल जी की बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई । छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे । कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये । डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे ।

🚩सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2014 दिसंबर में उन्हें  भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।

🚩राजनीतिक जीवन :-

🚩वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् 1968 से 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे । सन् 1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे । सन् 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक | वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे । मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की अच्छी छवि बनायी ।

🚩1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की | अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया । दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए । लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् 1997 में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली । 19 अप्रैल 1998 को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए ।

🚩सन् 2004 में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भा०ज०पा० के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया । इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला । ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भा०ज०पा० विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई । सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में 6-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे ।

🚩भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाना :-

अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया । इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया । यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीकी से संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी । यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊचाईयों को छुआ ।

🚩पाकिस्तान से संबंधों में सुधार :-

19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की ।

🚩कारगिल युद्ध :-

कुछ ही समय पश्चात् पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया । अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया । इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का काफी नुकसान हुआ और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गए ।

🚩स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना :-

भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (अंगरेजी में- गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट या संक्षेप में जी क्यू प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई । इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया । ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था ।

🚩वाजपेयी सरकार के अन्य प्रमुख कार्य :-

-संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया ।

-राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये ।

-राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं ।

-आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों की कीमतें नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमन्त्रियों का सम्मेलन बुलाया ।

-उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया ।

-आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया ।

-ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की ।

🚩कवि के रूप में अटल :-

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे । मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह थे। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं । उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे । वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे । पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है । उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी । इसमें श्रृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर "एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक" की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया । वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता । राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रगट होती ही रही है । उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पाई । विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था ।

🚩अटल जी की प्रमुख रचनायें :-

-मृत्यु या हत्या
-अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
-कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
-संसद में तीन दशक
-अमर आग है
-कुछ लेख: कुछ भाषण
-सेक्युलर वाद
-राजनीति की रपटीली राहें
-बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि
-मेरी इक्यावन कविताएँ

🚩पुरस्कार :-

-1992: पद्म विभूषण
-1993: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
-1994: लोकमान्य तिलक पुरस्कार
-1994: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
-1994: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
-2014 दिसम्बर : भारत रत्न से सम्मानित।
-2015 : डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
-2015 : 'फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड', (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
-2015 : भारतरत्न से सम्मानित

🚩जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य :-

-आजीवन अविवाहित रहे ।

-वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी हैं ।

-परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये ।

-सन् १९९८ में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सी०आई०ए० को भनक तक नहीं लगने दी ।

-अटल सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी थे । वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया ।

-अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दीमें भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था ।

🚩अटल जी की टिप्पणियाँ :-

🚩चाहे प्रधान मन्त्री के पद पर रहे हों या नेता प्रतिपक्ष; बेशक देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की; नपी-तुली और बेवाक टिप्पणी करने में अटल जी कभी नहीं चूके । यहाँ पर उनकी कुछ टिप्पणियाँ दी जा रही हैं ।

"भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो ।"

"क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ ।

"मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है ।

🚩वाजपेयी कवि, पत्रकार व एक प्रखर राष्टवादी वक्ता थे । राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया ।

🚩भगवान उनकी आत्मा को परम शांति दे । 
भावभीनी श्रद्धांजलि....

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