Friday, August 23, 2019

अनेक देशों मनाई जाती है जन्माष्टमी,मुस्लिम देश में होता है नेशनल हॉलीडे

🚩श्रीमद् भगवदगीता के चौथे अध्याय के सातवें एवं आठवें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अपने श्रीमुख से कहते हैं-
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।
🚩'हे भरतवंशी अर्जुन ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। साधुजनों (भक्तों) की रक्षा करने के लिए, पापकर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की भली भाँति स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ।'

🚩श्रीमद् भागवत में भी आता है कि दुष्ट राक्षस जब राजाओं के रूप में पैदा होने लगे, प्रजा का शोषण करने लगे, भोगवासना-विषयवासना से ग्रस्त होकर दूसरों का शोषण करके भी इन्द्रिय-सुख और अहंकार के पोषण में जब उन राक्षसों का चित्त रम गया, तब उन आसुरी प्रकृति के अमानुषों को हटाने के लिए तथा सात्त्विक भक्तों को आनंद देने के लिए भगवान का अवतार हुआ।
🚩जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।
🚩भारत समेत विश्व के कई कोनों में कृष्ण भक्त भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं। हालांकि आपको बता दें कि एक ऐसा भी मुस्लिम बहुल देश है जहां जन्माष्टमी के दिन देश में अधिकारिक छुट्टी होती है। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में जन्माष्टमी के दिन नेशनल हॉलीडे होता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पुराने ढाका शहर के ढाकेश्वरी मंदिर में जन्माष्टमी बड़े धूम धाम से मनायी जाती है।
🚩ढाका में इस उत्सव की शुरुआत साल 1902 में हुई थी, लेकिन 1948 में ढाका पाकिस्तान का हिस्सा बनने के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि जब बांग्लादेश पाकिस्तान से आजाद हुआ तो साल 1989 से एक बार फिर यह उत्सव मनाया जाने लगा।
🚩आपको जानकर ये हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में ही 400 से अधिक भगवान कृष्ण के मंदिर हैं। वहीं भगवान कृष्ण को 108 अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है।
🚩कैरेबियाई देशों में भी रहती है धूम । भारत के बाद जन्माष्टमी का सबसे बड़ा उत्सव कैरेबियाई राष्ट्रों में होता है। कैरेबियाई देश गुयाना, त्रिनानद एंड टोबागो, जमैका और सुरीनाम में जन्माष्टमी का बड़े पैमाने पर जश्न होता है।।।
🚩ऑस्ट्रेलिया में भी धूम-धाम से जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है ।
🚩निर्गुण, निराकार,  माया को वश करनेवाले, जीवमात्र के परम सुहृद प्रकट हुए, वह पावन दिन ‘जन्माष्टमी है ।
🚩भगवान श्री कृष्ण का साधु पुरुषों का उद्धार तथा दुष्कृत करनेवालों का विनाश करने के लिए अवतार होता है । तमाम परेशानियों के बीच रहकर भी श्रीकृष्ण जैसी मधुरता और चित्त की समता को  बनाये रखने का संदेश जन्माष्टमी देती है ।
🚩श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव तब पूर्ण माना जायेगा जब हम उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारेगें ।
🚩आज संकल्प करें कि ‘गीता के संदेश आत्मज्ञान के अमृत को हम जीवन मे लायेंगे और जगत में भी इस का प्रचार करेंगे ।
🚩जन्माष्टमी का व्रत करने से 1000 एकादशी व्रत करने का फल मिलता है और 100 जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है ।
🚩जन्माष्टमी की रात्रि को जप करने से मंत्र सिद्धि मिलती है ।
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Thursday, August 22, 2019

जानिए भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर जन्माष्टमी के दिन क्यो अवतार लिया ?

22 अगस्त 2019
🚩पृथ्वी आक्रान्त होकर श्रीहरि से अपने त्राण के लिए प्रार्थना करती है । जो पृथ्वी इन आँखों से दिखती है वह पृथ्वी का आधिभौतिक स्वरूप है, किंतु कभी-कभी पृथ्वी नारी या गाय का रूप लेकर आती है वह पृथ्वी का आधिदैविक स्वरूप है ।
🚩पृथ्वी से कहा गयाः "इतनी बड़ी-बड़ी इमारतें तुम पर बन गयी हैं, इससे तुम पर कितना सारा बोझ बढ़ गया ।"तब पृथ्वी ने कहाः "इन इमारतों का कोई बोझा नहीं लगता किंतु जब साधु-संतों और भगवान को भूलकर, सत्कर्मों को भूलकर, सज्जनों को तंग करने वाले विषय-विलासी लोग बढ़ जाते हैं, तब मुझ पर बोझ बढ़ जाता है।"

🚩जब-जब पृथ्वी पर इस प्रकार का बोझ बढ़ जाता है, तब-तब पृथ्वी अपना बोझ उतारने के लिए भगवान की शरण में जाती है । कंस आदि दुष्टों के पापकर्म बढ़ जाने पर भी, पापकर्मों के भार से बोझिल पृथ्वी देवताओं के साथ भगवान के पास गई और उसने श्रीहरि से प्रार्थना की, तब भगवान ने कहाः "हे देवताओं ! पृथ्वी के साथ तुम भी आये हो, धरती के भार को हल्का करने की तुम्हारी भी इच्छा है, अतः जाओ, तुम भी वृन्दावन में जाकर गोप-ग्वालों के रूप में अवतरित हो मेरी लीला में सहयोगी बनो । मैं भी समय पाकर #वसुदेव-देवकी के यहाँ अवतार लूँगा ।"
🚩वसुदेव-देवकी कोई साधारण मनुष्य नहीं थे । स्वायम्भुव मन्वंतर में वसुदे 'सुतपा' नाम के #प्रजापति और देवकी उनकी पत्नी 'पृश्नि' थीं । सृष्टि के विस्तार के लिए ब्रह्माजी की आज्ञा मिलने पर उन्होंने भगवान को पाने के लिये बड़ा तप किया था ।
🚩#समाज में जब शोषक लोग बढ़ गए, दीन-दुखियों को सताने वाले व चाणूर और मुष्टिक जैसे पहलवानों और दुर्जनों का पोषण करने वाले क्रूर राजा बढ़ गए, समाज त्राहिमाम पुकार उठा, सर्वत्र भय व आशंका का घोर अंधकार छा गया तब भाद्रपद मास (गुजरात-महाराष्ट्र में श्रावण मास) में कृष्ण पक्ष की उस अंधकारमयी अष्टमी, #रोहिणी_नक्षत्र को #कृष्णावतार हुआ । जिस दिन वह निर्गुण, निराकार, अच्युत, माया को वश करने वाले जीवमात्र के परम सुहृद प्रकट हुए वह आज का पावन दिन जन्माष्टमी कहलाता है।
🚩#श्रीमद्_भागवत में भी आता है कि दुष्ट राक्षस जब राजाओं के रूप में पैदा होने लगे, प्रजा का शोषण करने लगे, भोगवासना-विषयवासना से ग्रस्त होकर दूसरों का शोषण करके भी इन्द्रिय-सुख और अहंकार के पोषण में जब उन राक्षसों का चित्त रम गया, तब उन आसुरी प्रकृति के अमानुषों को हटाने के लिए तथा सात्त्विक भक्तों को आनंद देने के लिए भगवान का अवतार हुआ ।
🚩जब समाज में अव्यवस्था फैलने लगती है, सज्जन लोग पेट भरने में भी कठिनाइयों का सामना करते हैं और दुष्ट लोग शराब-कबाब उड़ाते हैं, कंस, चाणूर, मुष्टिक जैसे दुष्ट बढ़ जाते है और निर्दोष गोप-बाल जैसे लोग अधिक सताए जाते हैं, तब उन सताए जाने वालों की संकल्प शक्ति और भावना शक्ति उत्कट होती है और सताने वालों के दुष्कर्मों का फल देने के लिए भगवान का अवतार होता है ।
🚩भगवान अवतरित हुए तब जेल के दरवाजे खुल गए । पहरेदारों को नींद आ गयी । रोकने-टोकने और विघ्न डालने वाले सब निद्राधीन हो गए । जन्म हुआ है जेल में, एकान्त में, वसुदेव-देवकी के यहाँ और लालन-पालन होता है नंद-यशोदा के यहाँ ।  श्रीकृष्ण का प्राकट्य देवकी के यहाँ हुआ है, परंतु पोषण यशोदा माँ के वहाँ होता है ।
🚩#श्रीकृष्ण के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण बात झलकती है कि बुझे दीयों को प्रकाश देने का कार्य और उलझे हुए दिलों को सुलझाने का काम तो वे करते ही हैं, साथ ही साथ इन कार्यों में आने वाले विघ्नों को, फिर चाहे वह मामा कंस हो या पूतना या शकटासुर-धेनकासुर-अघासुर-बकासुर हो फिर केशि हो, सबको श्रीकृष्ण किनारे लगा देते हैं ।
🚩श्रीमद् भगवदगीता के चौथे अध्याय के सातवें एवं आठवें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अपने श्रीमुख से कहते हैं-
🚩यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
🚩परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।
1.परित्राणय साधुनाः साधु स्वभाव के लोगों का, सज्जन स्वभाववाले लोगों का रक्षण करना ।
2. विनाशाय च दुष्कृताम् जब समाज में बहुत स्वार्थी, तामसी, आसुरी प्रकृति के कुकर्मी लोग बढ़ जाते हैं तब उनकी लगाम खींचना।
3.धर्मसंस्थापनार्थायः धर्म की स्थापना करने के लिए अर्थात् अपने स्वजनों को, अपने भक्तों को तथा अपनी ओर आने वालों को अपने स्वरूप का साक्षात्कार हो सके इसका मार्गदर्शन करना।
🚩भगवान के अवतार के समय तो लोग लाभान्वित होते ही हैं किंतु भगवान का दिव्य विग्रह जब अन्तर्धान हो जाता है, उसके बाद भी भगवान के गुण, कर्म और लीलाओं का स्मरण करते-करते हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी मानव समाज लाभ उठाता रहता है ।
🚩व्रत से लाभ:-
जन्माष्टमी का व्रत करने से 1000 एकादशी व्रत करने का पुण्य प्राप्त होता है और उसके रोग, शोक, दूर हो जाते हैं।” धर्मराज सावित्री देवी को कहते हैं किः “जन्माष्टमी का व्रत सौ जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाने वाला है ।”
(ब्रह्मवैवर्त पुराण)
🚩अकाल मृत्यु व गर्भपात से करे रक्षा:-
ʹभविष्य पुराणʹ में लिखा है कि ʹजन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है । जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके घर में गर्भपात नहीं होता । बच्चा ठीक से पेट में रह सकता है और ठीक समय पर बालक का जन्म होता है।ʹ ( स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा साहित्य से )
🌹अधिक जानकारी के लिए देखे
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🚩व्रत-जागरण किस दिन करें?
निशीथकाल – 23 व 24 अगस्त, रात्रि 12-19 से 1-05 तक
इस बार 23 व 24 अगस्त दोनों ही दिन श्रीकृष्ण जयंती का पावन योग है । दोनों ही दिन उपवास मान्य है ।

लेकिन शास्त्रों में आता है कि ‘‘जन्माष्टमी में यदि एक कला (एक मिनट के आस-पास का समय) भी रोहिणी नक्षत्र हो तो उसको श्रीकृष्ण जयंती नाम से कहा जाता है । उसमें प्रयत्नपूर्वक उपवास करना चाहिए ।’’
शास्त्रों में यह बात भी आती है कि ‘‘मुहूर्तमात्र (48 मिनट) भी रोहिणी नक्षत्र संयुक्त अष्टमी हो और फिर नवमी से युक्त हो, ऐसी जन्माष्टमी का व्रत कुल के करोड़ों लोगों को मुक्ति देनेवाला होता है ।’’
24 अगस्त को ऐसा योग होने से व्रत एवं जागरण 24 को करना ज्यादा लाभदायक है।
भगवान के मुख्य मंदिरों - द्वारका, मथुरा, नाथद्वारा, डाकोर आदि में भी जन्माष्टमी 24 को ही मनाया जायेगा ।
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Tuesday, August 20, 2019

क्या मुसलमानों के लिए धर्म पहले और देश बाद में है?

20अगस्त 2019
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🚩भारत देश के अधिकतर मुसलमान धर्म को पहले, देश को बाद में मानते हैं। ये मानसिकता देश के लिए भविष्य में बड़ा खतरा हो सकती है।
🚩देश की राजधानी दिल्ली में जामा मस्जिद के शाही ईमाम बुखारी पर 65 वारंट है उसमें कई तो गैर जमानती वारंट है पर पुलिस उसको गिरफ्तार नहीं कर रही। इन्हें देश से कोई मतलब नहीं है, निजी स्वार्थ के लिए कोई भी जुर्म कर देना है। ऊपर से पुलिस बोल रही है कि अगर बुखारी को गिरफ्तार किया तो दंगे भड़क सकते हैं। अब बताओ क्या वो देश के संविधान से ऊपर है, देश से ऊपर है। और इससे दूसरे मुस्लिमों में क्या सन्देश जाएगा! ये देश की कानून व्यवस्था के साथ खेलने में क्यों हिचकिचाएंगे!

🚩पुलवामा हमले के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा कि पाकिस्तान के हर आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। भारत ने परमाणु बम दिवाली के लिए नहीं रखे। इस पर जम्मू-कश्मीर की भूतपूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती कहती है कि पाकिस्तान ने भी परमाणु बम ईद के लिए नहीं रखे है। देश लीजिए कितनी विकृत मानसिकता है इनकी। जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं।
🚩18 जून 2017 को ICC Champions Trophy के फाइनल में पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने भारतीय क्रिकेट टीम को हराया तो देश के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में आतिशबाजी की गई। कुछ मुस्लिम ये भी बोले कि भारतीय टीम हारी तो दुख हुआ पर कौम के जीतने की खुशी हुई। क्या ऐसी मानसिकता देश की अस्मिता के लिए खतरा नहीं है।
🚩अकबरुद्दीन ओवैसी कहता है कि पुलिस हटा लो तो हम देख लेंगे हिन्दुओं को। हिन्दू कायर है, सबको काट डालेंगे। कितना ज़हर है इनके अंदर। देश में अराजकता फैलाने वाला बयान देने वाले मुस्लिमों की सूची लम्बी है। अफसोस इस चीज का है कि ना ही सरकार, ना ही न्याय व्यवस्था ऐसे मुस्लिमों के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं कर रही।
🚩रामपुर, उत्तर प्रदेश के सांसद आज़म खान पर जब मनी लॉन्ड्रिंग करने पर केस दर्ज होता है तो वो बोलता है कि हमारे पूर्वज पाकिस्तान नहीं गए तो इसकी सजा हमें दी जा रही है। इसे कहते है पहले चोरी, फिर सीना जोरी। पहले जुर्म किया, फिर बाद में बचने और देश को भड़काने के लिए उसे बंटवारे और धर्म से जोड़ दिया। मतलब इनको देश के संविधान की धज्जियां उड़ाने का भी कोई अफसोस नहीं। ये तो बेशर्मी की इंतहा है।
🚩एक मीडिया चैनल पर चलती डिबेट में एक मौलवी एक महिला को थप्पड़ मार देता है, ये है असहनशीलता की पराकाष्ठा। मतलब इन्हें कानूनी कार्यवाही का भी कोई डर नहीं है। ये महिलाओं को पैर की जूती समझते हैं, इज्जत तो दूर की बात, हलाला के नाम पर औरतों का शोषण करते हैं। तीन तलाक की कुप्रथा से तत्कालीन केंद्र सरकार ने तो मुस्लिम औरतों को कानून बनाकर बचा लिया है पर दूसरी सरकार आने पर फिर से फिर से तीन तलाक को वैध कराने की धमकी भी मिल रही है।
🚩मुस्लिम देश के संविधान को, कानून को नहीं मानते। इन्होंने तो अपने लिए अलग से शरई अदालतों की मांग तक कर रखी है। अब बताओ क्या किसी धर्म विशेष के लिए अलग से अदालत सम्भव है! और देश के संविधान का अपमान करना, उसके खिलाफ मांग करना क्या देश से गद्दारी नहीं है।
🚩जब पुलिस देश में कुछ मस्जिदों में रेड मारती है तो उनमें तलवारें, बंदूकें मिलती हैं। ऐसे लोग क्या देश और उसकी कानून व्यवस्था का सम्मान करेंगे! जहाँ पर नमाज़ पढ़ते हैं, वहीं हथियार भी रखते हैं। इसका मतलब मस्जिदों में इनको गृहयुद्ध के लिए तैयार किया जा रहा है ताकि समय आने पर हिन्दुओं और दूसरे धर्म के लोगों का खात्मा कर सके। कुछ होंगे अच्छे मुसलमान भी है पर गृहयुद्ध की स्तिथि में उनको भी मुस्लिमों का साथ देना होगा। हिन्दू और दूसरे धर्मों के लोग इससे अनभिज्ञ है और इस स्तिथि के लिए तैयार भी नहीं है। उल्टा हिन्दुओं को तो जाति पाति में तोड़ने के षड़यंत्र होते रहते हैं। क्या देश की कानून व्यवस्था के लिए ये खतरा नहीं है!
🚩कुछ मदरसों में देश विरोधी गतिविधियां चलती है, देश के खिलाफ भड़काया जाता है। क्या ऐसी शिक्षा से मुस्लिम युवा देश के खिलाफ खड़े नहीं होंगे! वे भारत को अपना दुश्मन ही मानेंगे। तो बताओ क्या भविष्य होगा देश का!
🚩अब समय आ गया है हिन्दू जाग्रत हो क्योंकि अगर अब हिन्दू एक नहीं हुए तो उनके सामने हिन्दुत्व का विनाश हो जाएगा और वो कुछ नहीं कर सकेंगे। कानून व्यवस्था को उचित कदम उठाने होंगे। सरकार को भी वोटबैंक की चिंता छोड़ देशहित को ऊपर रखकर उचित निर्णय लेने होंगे। देश में समान नागरिकता कानून बनाना होगा।
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Monday, August 19, 2019

नासा ने स्वीकार किया : संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है - केंद्रीय मंत्री


19 अगस्त 2019

संस्कृत भाषा की सर्वोत्तम शब्द-विन्यास युक्ति के, गणित के, कंप्यूटर आदि के स्तर पर नासा व अन्य वैज्ञानिक व भाषाविद संस्थाओं ने भी इस भाषा को एकमात्र वैज्ञानिक भाषा मानते हुए इसका अध्ययन आरंभ कराया है और भविष्य में भाषा-क्रांति के माध्यम से आने वाला समय संस्कृत का बताया है । अतः अंग्रेजी बोलने में बड़ा गौरव अनुभव करने वाले, अंग्रेजी में गिटपिट करके गुब्बारे की तरह फूल जाने वाले कुछ महाशय जो संस्कृत में दोष गिनाते हैं उन्हें कुँए से निकलकर संस्कृत की वैज्ञानिकता का एवं संस्कृत के विषय में विश्व के सभी विद्वानों का मत जानना चाहिए ।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शनिवार को यह टास्क आईआईटी और एनआईटी के निदेशकों और चेयरमैन को दिया कि; वे साबित करें कि, संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है !

नई देहली : देश के प्रमुख संस्थान आईआईटी और एनआईटी के सामने अब एक नया टास्क है . . उन्हें साबित करना है कि, संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है ! केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शनिवार को यह टास्क आईआईटी और एनआईटी के निदेशकों और चेयरमैन को दिया कि, वे साबित करें कि, संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है !

इग्नू में आयोजित ज्ञानोत्सव 2076 समारोह में मंत्री ने कहा, ‘हम संस्कृत की काबिलियत सिद्ध नहीं कर पाए, इसीलिए हम पर सवाल उठाए जाते हैं ! मैं आईआईटी और एनआईटी के कुलपतियों और कुलाधिपतियों से आग्रह करता हूं कि, हमें इसे साबित करना चाहिए !’  उन्होंने आलोचकों को चुनौती देते हुए कहा कि; वे उन्हें बताएं कि, संस्कृत से ज्यादा वैज्ञानिक भाषा कौन सी है ?

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

उन्होंने कहा, ‘नासा ने इस बात को स्वीकार किया है कि, संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसमें शब्द उसी तरह लिखे जाते हैं, जिस तरह बोले जाते हैं। अगर बोलनेवाले कंप्यूटर की बात करें तो संस्कृत उनके लिए ज्यादा उपयोगी होगी ! अगर नासा संस्कृत को ज्यादा वैज्ञानिक भाषा मान सकती है तो आपको क्या दिक्कत है ?’

उन्होंने कहा कि, संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है ! अगर आप संस्कृत से पुरानी किसी भाषा के बारे में जानते हैं तो हमें बताएं। उन्होंने दावा किया कि, हिंदू ग्रंथों में गुरुत्वाकर्षण बल की चर्चा इसाक न्यूटन से हजारों वर्ष पहले की गई है !

मंत्री ने दावा किया कि, ऋषि प्रणव ने सबसे पहले एटम और मॉलीक्यूल का आविष्कार किया। रोचक बात यह है कि, मंत्री ने आईआईटी-मुंबई में दावा किया था कि, चरक ऋषि ने सबसे पहले एटम और मॉलीक्यूल की खोज की थी ! स्त्रोत : झी न्यूज

आपको बता दे कि देववाणी संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है । यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है । संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा और वैज्ञानिक भाषा भी है । इसके सकारात्मक तरंगों के कारण ही ज्यादातर श्लोक संस्कृत में हैं । आज दुनिया मे जितनी भाषाएँ है संस्कृत से ही उनका उद्गम हुआ है ।

बता दें कि देववाणी संस्कृत मनुष्य की आत्मचेतना को जागृत करने वाली, सात्विकता में वृद्धि , बुद्धि व आत्मबलप्रदान करने वाली सम्पूर्ण विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है । अन्य सभी भाषाओ में त्रुटि होती है पर इस भाषा में कोई त्रुटि नहीं है । इसके उच्चारण की शुद्धता को इतना सुरक्षित रखा गया कि सहस्त्र वर्षों से लेकर आज तक वैदिक मन्त्रों की ध्वनियों व मात्राओं में कोई पाठभेद नहीं हुआ और ऐसा सिर्फ हम ही नहीं कह रहे बल्कि विश्व के आधुनिक विद्वानों और भाषाविदों ने भी एक स्वर में संस्कृत को पूर्णवैज्ञानिक एवं सर्वश्रेष्ठ माना है । 

संस्कृत भाषा ही एक मात्र साधन हैं, जो क्रमशः अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं ।  इसका अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएं ग्रहण करने में सहायता मिलती है । वैदिक ग्रंथों की बात छोड़ भी दी जाए तो भी संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरंतर होती आ रही है । संस्कृत केवल एक भाषा मात्र नहीं है, अपितु एक विचार भी है । संस्कृत एक भाषा मात्र नहीं, बल्कि एक संस्कृति है और संस्कार भी है। संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है और वसुधैव कुटुंबकम की भावना भी है ।

केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों को सभी स्कूलों, कॉलेजों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना चाहिए जिससे बच्चों की बुद्धिशक्ति का विकास के साथ साथ बच्चे सुसंस्कारी बने ।

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