Thursday, February 10, 2022

माता-पिता सावधान : ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले बच्चे ने बहन से कर दिया रेप

 

22 मार्च 2021

azaadbharat.org

मोबाइल और इंटरनेट मनुष्य को बहुत नुकसान पहुँचाती है। फिर बच्चों को मोबाइल देना तो ओर भयंकर हानि करता है। मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाने में सक्षम है । इतना ही नहीं यह आपको कई तरह की बीमारियों को शि‍कार बना सकता है ।



जानी-मानी एिडक्शन थैरेपिस्ट मैंडी सालगिरी ने बताया कि बच्चों को मोबाइल देना एक ग्राम कोकेन देने के बराबर हैं।

बात दे कि कोरोना का सबसे ज्यादा बुरा असर बच्‍चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। ऐसे में ऑनलाइन एजुकेशन ही एक मात्र विकल्प बचा है। मोबाइल पर चल रहीं क्लासेस कई तरह का खतरा भी हैं। राजस्थान से एक ऐसी ही चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जो माता पिता को बड़ी चिंता में डालने वाली वाली है। यहाँ एक 12 साल के बच्चे ने पोर्न वीडियो देखकर अपनी 6 साल की बहन का रेप कर दिया। इस घटना के बाद लाखों पेरेंट्स के लिए सावधान हो जाना चाहिए।

पढ़ाई के बाद अश्लील वीडियो देखने लगा

दरअसल, हैरान कर देने वाला यह मामला श्रीगंगानगर जिले का है, जहाँ रायसिंह नगर में रहने वाले बच्चे ने इस घटना को 4 दिन पहले अंजाम दिया है। माता-पिता ने बच्चे की पढ़ाई के लिए मोबाइल फोन खरीद कर उसे दिया था। लेकिन वह पढ़ाई के बाद अश्लील वीडियो देखने लगा। वह ना तो बाहर खेलने जाता और ना ही अपने दोस्तों से बात करता था। जब माता-पिता कुछ कहते तो जवाब देता कि मैं पढ़ाई कर रहा हूँ।

आधी रात को देखता था पोर्न वीडियो

ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान पोर्न वीडियो देखने के बाद उसके दिमाग में निगेटिविटी आती गईं। इतना ही नहीं वह घरवालों के सोने के बाद नींद से जागकर चुपके से देर रात तक अश्लील वीडियो देखा करता था। जिसका परिणाम यह हुआ है कि उसने इस छोटी से उम्र में अपनी ही 6 साल की बहन का रेप कर दिया।

ऐसे गंदी वीडियो का आदी बना बच्चा

पुलिस ने बच्चे को गिरफ्तार कर बाल सुधार केंद्र भेज दिया है। जाँच के दौरान सामने आया है कि आरोपित बच्चा 6ठी क्लास में पढ़ता है। वह पिछले एक साल से स्कूल नहीं जा रहा है। पूछताछ में बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई करने के दौरान उसे पोर्न वीडियो की लिंक आई थी। जिसे उसने गलती से क्लिक कर दिया। इसके बाद वह इसे रोज देखने लगा और इस शर्मनाक घटना को अंजाम दे दिया।


माता-पिता रहें ऐसे सावाधान


पेरेंट्स जो भी मोबाइल बच्चे को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए दें रहे हैं उसमें सारे ऐप डिलीट कर दें। जूम समेत किसी भी ऐप में जब तक जरूरत न हो तब तक कैमरा ऑन न करें। बच्चा जिस भी डिवाइस में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं उसमें एंटीवायरस जरूर एक्टिव रखें। बच्चों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान माता-पिता उनके साथ रहें।

https://twitter.com/OpIndia_in/status/1373763852270067713?s=19


बता दें कि दुनिया का एक सबसे अमीर शख्स, पर बच्चों के लिए मोबाइल नहीं खरीदा । और दूसरा वो व्यक्ति जिसने दुनिया को आईफोन दिया, लेकिन कभी अपने बच्चों को हाथ तक भी नहीं लगाने दिया ।

दनिया के सबसे अमीर शख्सियतों में शुमार बिल गेट्स ने अपने बच्चों को 14 साल की उम्र तक मोबाइल नहीं दिया था ।

इसी तरह ऐप्पल कम्पनी के मालिक स्टीव जॉब्स ने 2011 में न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने अपने बच्चों को कभी भी आईपैड इस्तेमाल नहीं करने दिया था ।

य दो उदाहरण सिर्फ इसलिए हैं ताकि आप यह जान सकें कि मोबाइल बच्चों को देने जैसी चीज नही हैं । दुनिया में मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर भी कई रिसर्च  हुए हैं, जिनके परिणाम चौंकाने वाले हैं । जो बच्चे स्मार्टफोन किसी भी रूप में इस्तेमाल करते हैं (वीडियो देखने-गाना सुनने।) वे अन्य बच्चों की तुलना में देर से बोलना शुरू करते हैं । छह माह से दो साल तक 900 बच्चों पर किए गए सर्वे में यह चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है । हर 30 मिनट के स्क्रीन टाइम (मोबाइल इस्तेमाल) से ही 49% आसार बढ़ जाते हैं कि बच्चा देरी से बोलना शुरू करेगा। वहीं दुनिया की जानी-मानी एडिक्शन थैरेपिस्ट मैंडी सालगिरी ने तो यहां तक कहा है कि बच्चों को स्मार्टफोन देना उन्हें एक ग्राम कोकेन देने के बराबर है।

मोबाइल के उपयोग से फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है, अतः मोबाइल का कम से कम उपयोग करें और बच्चों को भूलकर भी न दें ।


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इस तरीके से बनाये अपने घर में होली का रंग, सालभर रहे स्वस्थ

21 मार्च 2021

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होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है जो होली, होलिका या होलाका नाम से मनाया जाता है । वसंत की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव भी कहा गया है।



यह वैदिक उत्सव है । लाखों वर्ष पहले भगवान रामजी हो गये । उनसे पहले उनके पिता, पितामह, पितामह के पितामह दिलीप राजा और उनके बाद रघु राजा... रघु राजा के राज्य में भी यह महोत्सव मनाया जाता था ।

होली रंगों का त्यौहार है, हँसी-खुशी का त्यौहार है, लेकिन होली के भी अनेक रूप देखने को मिलते हैं। प्राकृतिक रंगों के स्थान पर रासायनिक रंगों का प्रचलन, ठंडाई की जगह नशेबाजी और लोक संगीत की जगह फ़िल्मी गानों का प्रचलन.... इस आधुनिक रूप से होली मनाने से बहुत नुकसान होता है ।

आपको हम रासायनिक रंगों से होने वाली हानियां और अपने घर में ही सस्ते में प्राकृतिक रंग किस प्रकार बना सकते हैं, उसके बारे में बताते है।

रासायनिक रंगों से होने वाली हानि...

1 - काले रंग में लेड ऑक्साइड पड़ता है जो गुर्दे की बीमारी, दिमाग की कमजोरी करता है ।

2 - हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है जो आँखों में जलन, सूजन, अस्थायी अंधत्व लाता है ।

3 - सिल्वर रंग में एल्युमीनियम ब्रोमाइड होता है जो कैंसर का कारक होता है ।

4- नीले रंग में प्रूशियन ब्लू (कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस) होता है जिससे भयंकर त्वचारोग होता है ।

5 - लाल रंग में मरक्युरी सल्फाइड होता है जिससे त्वचा का कैंसर होता है ।

6- बैंगनी रंग में क्रोमियम आयोडाइड होता है जिससे दमा, एलर्जी होती है ।

अब आपको घर में ही प्राकृतिक रंग बनाने की सरल विधियाँ बता रहे हैं जो आसानी से बनाकर उपयोग कर सकते हैं और मना सकते हैं एक स्वस्थ होली ।

कसरिया रंग - पलाश के फूलों से यह रंग सरलता से तैयार किया जा सकता है। पलाश के फूलों को रात को पानी में भिगो दें । सुबह इस केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लाएं अथवा उबालकर होली का आनंद उठायें ।

यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढ़िया है। शास्त्रों में भी पलाश के फूलों से होली खेलने का वर्णन आता है । इसमें औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है । रक्तसंचार को नियमित व मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ ही यह मानसिक शक्ति तथा इच्छाशक्ति में भी वृद्धि करता है ।

सखा हरा रंग - मेंहदी का पाउडर तथा गेहूँ या अन्य अनाज के आटे को समान मात्रा में मिलाकर सूखा हरा रंग बनायें । आँवला चूर्ण व मेंहदी को मिलाने से भूरा रंग बनता है, जो त्वचा व बालों के लिए लाभदायी है ।


🚩सखा पीला रंग - हल्दी व बेसन मिला के अथवा अमलतास व गेंदे के फूलों को छांव में सुखाकर पीस के पीला रंग प्राप्त कर सकते हैं।

गीला पीला रंग - एक चम्मच हल्दी दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पड़ने वाले रंग जो खाने के काम आते हैं, उनका भी उपयोग कर सकते हैं । अमलतास या गेंदे के फूलों को रात को पानी में भिगोकर रखें, सुबह उबालें ।

लाल रंगः लाल चंदन (रक्त चंदन) पाउडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं । यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है । दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर उबालने से लाल रंग प्राप्त होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलायें ।

पीला गुलाल : (१) ४ चम्मच बेसन में २ चम्मच हल्दी चूर्ण मिलायें | (२) अमलतास या गेंदा के फूलों के चूर्ण के साथ कोई भी आटा या मुलतानी मिट्टी मिला लें ।

पीला रंग : (1) 2 चम्मच हल्दी चूर्ण 2 लीटर पानी में उबालें | (2) अमलतास, गेंदा के फूलों को रातभर भिगोकर उबाल लें ।

जामुनी रंग : चुकंदर उबालकर पीस के पानी में मिला लें।

काला रंग : आँवले के चूर्ण को लोहे के बर्तन में रातभर भिगोयें ।

लाल रंग : (1) आधे कप पानी में दो चम्मच हल्दी चूर्ण व चुटकीभर चूना मिलाकर 10 लीटर पानी में डाल दें | (2) 2 चम्मच लाल चंदन चूर्ण 1 लीटर पानी में उबालें ।

लाल गुलाल : सूखे लाल गुड़हल के फूलों का चूर्ण उपयोग करें ।

हरा रंग : (1) पालक, धनिया या पुदीने की पत्तियों के पेस्ट को पानी में भिगोकर उपयोग करें | (2) गेहूँ की हरी बालियों को पीस लें ।

हरा गुलाल : गुलमोहर अथवा रातरानी की पत्तियों को सुखाकर पीस लें ।

भरा हरा गुलाल : मेहँदी चूर्ण के साथ आँवला चूर्ण मिला लें ।  स्त्रोत : संत श्री आसारामजी आश्रम से प्रकाशित ऋषि प्रसाद

सभी देशवासियों से अनुरोध है कि आप केमिकल रंगों से होली न खेलें और न ही जानवरों जैसे कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैस आदि पर कोई रंग डाले क्योंकि रंग में केमिकल होता है। वो अपने आप को साफ़ करने के लिए अपने को जीभ से चाटते हैं और वो केमिकल उनके पेट में है और बीमार पड़ जाते हैं या मर जाते हैं ।

होली पर गाए-बजाए जाने वाले ढोल, मंजीरों, फाग, धमार, चैती और ठुमरी, वैदिक गानों से ही करनी चाहिए । फिल्मो के गानों से करने से हानि होती है । उससे भी बचें ।

परे साल स्वस्थ्य रहने के लिए क्या करें होली पर..??

1- होली के बाद 15-20 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमकवाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।

2- इन दिनों में भुने हुए चने - ‘होला का सेवन शरीर से वात, कफ आदि दोषों का शमन करता है ।

3- एक महीना इन दिनों सुबह नीम के 20-25 कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।

4- होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य हुआ था । इन दिनों में हरिनाम कीर्तन करना-कराना चाहिए । नाचना, कूदना-फाँदना चाहिए जिससे जमे हुए कफ की छोटी-मोटी गाँठें भी पिघल जायें और वे ट्यूमर कैंसर का रूप न ले पाएं और कोई दिमाग या कमर का ट्यूमर भी न हो । होली पर नाचने, कूदने-फाँदने से मनुष्य स्वस्थ रहता है। ( स्त्रोत्र : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका से)


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गीता में जीवन के हर सवाल का जवाब है, स्कूल में पढ़ाई जानी चाहिए: मौनी रॉय

20 मार्च 2021

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इग्लैंड के विद्वान एफ.एच.मोलेम ने लिखा की बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है। उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है। मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ कि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाये हैं, उनका समाधान गीता ग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है। उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरूपूर लगे इसीलिए गीता जी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं। वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है।



आपको बता दे कि टीवी सीरियल ‘नागिन’ से प्रसिद्ध हुईं अभिनेत्री मौनी रॉय का कहना है कि स्कूलों में बच्चों को श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाई जानी चाहिए। एक इंटरव्यू में मौनी ने कहा कि उन्हें लगता है कि गीता, स्कूल सिलेबस का हिस्सा होना चाहिए क्योंकि उसमें जीवन से जुड़े हर सवाल के जवाब हैं। मौनी यह भी मानती हैं कि मात्र गीता के अध्य्यन से भारतीय परिवारों में पल रही रूढ़िवादी सोच खत्म हो सकती है।

मौनी रॉय के मन में गीता के प्रति इतनी आस्था है कि उन्हें लगता है केवल देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में गीता का पाठ करवाया जाना चाहिए। उनके मुताबिक इसमें निहित ज्ञान की पूरी दुनिया को जरूरत है। IANS से बात करते हुए टीवी एक्ट्रेस ने कहा, “मैंने श्रीमद्भगवदगीता का सार बचपन में पढ़ा था, लेकिन वो मुझे समझ नहीं आया। लॉकडाउन से पहले जब मेरे एक दोस्त ने गीता पढ़ना शुरू किया तो मैंने भी क्लास ली। व्यस्त रहने के कारण मैं कई बार वो क्लास नहीं भी ले सकी। लेकिन लॉकडाउन में मैं बहुत धार्मिक हो गई।"

वह कहती हैं, “मुझे लगता है कि ये अपने विद्यालयों का हिस्सा होनी चाहिए। मुझे सच में लगता है कि ये किताब एक धार्मिक पुस्तक से बहुत ऊपर हैं। इसमें जीवन सार है। अनन्त ज्ञान और मूल जानकारियाँ। अगर आपके दिमाग में कोई भी प्रश्न है तो गीता के पास उसका जवाब है।"

"मौनी के अनुसार, हम अज्ञानता में जीवन जी रहे हैं। हम हकीकत में वेदों और उपनिषद् वाले देश से आते है, तब भी हमें कुछ नहीं पता। हम सोने की खान पर बैठे हैं और हमें उसके बारे में पता ही नहीं है। मनोरंजन उद्योग में बहुत तनाव है। आपके पास शनिवार और रविवार का कॉन्सेप्ट नहीं होता। 9 से 5 की जॉब में हम अपने दिमाग और विचारों में पिस जाते हैं। ऐसे में निश्चित रूप से गीता की हमें आवश्यकता है। मुझे लगता है कि ग्रामीण, शहरी और सभी महानगरों में भगवद्गीता के उपदेशों की सख्त जरूरत है।"

बता दें कि टीवी एक्ट्रेस मौनी रॉय टीवी के साथ-साथ ओटीटी और बॉलीवुड में भी काम कर रही हैं। जल्द ही वह रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के साथ वह फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ में दिखाई देंगी। सोशल मीडिया पर भी उनकी आए दिन तस्वीरें देखने को मिलती रहती हैं। हाल में महाशिवरात्रि पर उन्होंने पूजा करती अपनी फोटो इंस्टाग्राम पर डाली थी।

https://twitter.com/OpIndia_in/status/1373195826940416001?s=19


शरीमद्भगवद्गीता की इतनी महिमा है फिर भी हिंदू लोग नहीं पढ़ते हैं, जिसके कारण हिंदू जितनी अपनी उन्नति करनी है उतनी नहीं कर पाते हैं। गीता में अपने जीवनशैली का पूरा ज्ञान है उससे हर व्यक्ति स्वस्थ, सुखी और सम्मानित जी सकता है, मदरसों में अगर कुरान पढ़ाई जाती है, मिशनरियों स्कूलों में बाइबल पढ़ाई जाती है तो फिर विद्यालयों में गीता क्यो नही पढ़ाई जाती है !? इसमें तो सभी मनुष्यों के लिए उपयोगी बातें  लिखी हैं। अतः सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।


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हजारों की मुस्लिम भीड़ का हिन्दू गाँव पर हमला: 88 घर, 9 मंदिर क्षतिग्रस्त

19 मार्च 2021

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परोफेसर बरकत ने ढाका यूनिवर्सिटी में किताब के विमोचन के दौरान बताया कि 1964 से 2013 के बीच लगभग 1 करोड़ 13 लाख हिंदुओं ने धार्मिक भेदभाव और उत्पीड़न के कारण से बांग्लादेश छोड़ा । ये आंकड़ा औसतन हर दिन 632 का बैठता है । इसका अर्थ ये भी है कि हर वर्ष 2, 30, 612 हिंदू बांग्लादेश छोड़ रहे हैं । इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि मुस्लिम देशों में हिंदुओं को रहना कितना मुश्किल है, वहाँ उनको कितना प्रताड़ित किया जाता हैं।



आपको बता दे कि बांग्लादेश में बुधवार (मार्च 17, 2021) को हजारों की मुस्लिम भीड़ ने एक हिन्दू गाँव पर हमला बोल दिया। इस्लामी संगठन ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ के बैनर तले भीड़ ने हिन्दू गाँव पर हमला बोला। ये घटना सुनामगंज जिले के ‘शल्ला उपजिला’ इलाके में हुई।

हिन्दू गाँव पर हमले के पीछे मामला बस इतना था कि एक हिन्दू व्यक्ति ने संगठन के जॉइंट सेक्रेटरी जनरल मौलाना मुफ़्ती मामुनुल द्वारा दिए गए कट्टरवादी भाषण की आलोचना की थी।

नवागाँव के एक हिन्दू युवक ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मामुनुल की आलोचना की थी। मौलाना ने अपने भाषण में बंगबंधु मुजीबुर रहमान की मूर्ति लगाने का विरोध किया था। जैसे ही इस सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में खबर फैली, हजारों की मुस्लिम भीड़ ने धारदार हथियारों के साथ हिन्दू गाँव पर हमला बोल दिया।

इस मामले में मंगलवार की रात से ही ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ के नेता लोगों को भड़काने में लगे हुए थे और उसी समय से विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस सोशल मीडिया पोस्ट से सांप्रदायिक शांति भंग हो सकती है।

पलिस ने इस्लामी भीड़ के दबाव में आकर उसी रात उस हिन्दू युवक को गिरफ्तार भी कर लिया था। लेकिन, काशीपुर, चंड़ी और नाचीपुर के हजारों मुस्लिम उग्र होकर निकल पड़े।

आसपास के मुस्लिम बहुल इलाकों से ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ के समर्थक वहाँ हथियारों के साथ आ धमके। बुधवार को सुबह 9 बजे से ही हिन्दुओं के घरों पर हमले शुरू कर दिए गए। इस घटना में 80 से अधिक हिन्दू परिवारों के घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।

हबीबपुर यूनियन चेयरमैन विवेकानंद मजूमदार बकुल ने बताया कि कई हिन्दुओं के घरों को ध्वस्त किया गया है। भीड़ से बचने के लिए स्थानीय हिन्दू वहाँ से भाग खड़े हुए। बांग्लादेश के हिन्दू एक्टिविस्ट राजू दास ने बताया कि इस दौरान 88 घरों व 8 पारिवारिक मंदिरों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

न सिर्फ घरों को क्षतिग्रस्त किया गया, बल्कि अंदर रखे समान भी लूट लिए गए। ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ कई मुल्ला-मौलवियों का संगठन है, जिसकी स्थापना 2010 में सत्ताधारी अवामी लीग से कथित रूप से बंगलादेश को ‘बचाने’ के लिए हुई थी।

चिट्टागोंग के ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ संगठन ने बांग्लादेश की सरकार द्वारा महिलाओं को बराबर के अधिकार देने के फैसले का विरोध करते हुए ‘इस्लाम विरोधी नीतियों’ को बदल कर मुल्क को सेक्युलर बनने से रोकने की कसम ली है।

शल्ला पुलिस थाने के इंचार्ज नजमुल हक़ ने बताया कि पुलिस के साथ-साथ RAB (रैपिड एक्शन बटालियन) को भी मौके पर लगाया गया है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों और उपजिला चेयरमैन अल अमीन से बातचीत कर के माहौल को नियंत्रित किया गया है।

डिप्टी कमिश्नर और एसपी ने घटनास्थल का दौरा किया। अधिकारियों ने बताया कि हिन्दू युवक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और उसे जाँच एजेंसियों को सौंप दिया गया है।

◆ मंदिर पर हमला, माँ काली की मूर्ति में आग लगाई

बांग्लादेशी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, रानीसंकल उपजिला के उत्तरगांव गाँव की है। कुछ उपद्रवियों ने गुरुवार (मार्च 18,2021) रात एक मंदिर में हिंदू देवी काली की मूर्ति को आग लगा दी। पुलिस ने कहा कि हमलावरों ने मंदिर में तोड़फोड़ की और देवी काली की मूर्ति को जला दिया।

बांग्लादेश में हिन्दुओं की हत्या और मंदिरों पर हमले कोई नई बात नहीं है। ऐसी घटनाएँ हर कुछ दिन पर सामने आती हैं। सितम्बर 2020 में गाजीपुर, ढाका, बांग्लादेश के दक्खिन सलाना इलाके में स्थित काली मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को खंडित कर दिया गया था।

https://twitter.com/OpIndia_in/status/1372443357260091394?s=19


बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री रवींद्र घोष ने कहा कि बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए हिन्दू लड़े । उसके बदले में उन्हें क्या मिला? यह प्रश्‍न उपस्थित हो रहा है । बांग्लादेश जब से स्वतंत्र हुआ है, तब से आज तक वहां 15 लाख से अधिक हिंदुओं की हत्या की गई है । स्वतंत्रता के पश्‍चात वहां के शासन ने संविधान में इस्लाम धर्मानुसार आचरण करने की धारा घुसाई । तब से निरंतर वहां के हिंदुओं की धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार नकारा जा रहा है। वहां के हिंदुओं को

प्रकार का न्याय अथवा अधिकार नहीं मिलता, अपितु हिंदुओं की भूमि बलपूर्वक दबा ली गई । हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर अत्याचार किए जाते हैं । अभी तक बांग्लादेश के 3 सहस्र 336 मंदिर तोड़े गए हैं । ऐसे विविध प्रकार से हिंदुओं पर अत्याचार और अन्याय किया जाता है ।

भारत में अल्पसंख्यक समुदाय को एक थप्पड़ भी लगा दे तो तो मीडिया दिन-रात खबरें दिखाती रहती है और सेक्युलर लोग उनके बचाव में टूट पड़ते है, लेकिन बांग्लादेश में हररोज इतना हिन्दुओं का पलायन होना व उनके ऊपर इतना अत्याचार होने पर मीडिया और  सेक्युलर लोगों ने चुप्पी क्यों साधी है ???


भारत सरकार को पाकिस्तान व बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।


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साधुओं की हत्या का सिलसिला जारी है, आगरा में साधु की बेहरमी से की हत्या

18 मार्च 2021

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गाज़ियाबाद के एक मंदिर में शांतिप्रिय समुदाय के एक लड़के को क्या एक थप्पड़ लगी,चारों तरफ हल्ला होने लगा लेकिन अभी तक देश में सैंकड़ों साधुओं की हत्या हो गई और अभी भी जारी है लेकिन एक भी वामपंथी मीडिया, तथाकथित बुद्धिजीवी इसपर बात नहीं कर रहे हैं।



आजकल साधु-संतों की हत्या व उनके ऊपर झूठे केस दायर करना, उनको मीडिया द्वारा बदनाम करना, उनके खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर फिल्में बनाना ये कार्य जोरों से चल रहा है पर सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है, जनता की तीव्र मांग है कि साधु-संतों के हत्यारों को फाँसी का प्रावधान होना चाहिए जिसके कारण आगे कोई भी किसी साधु की हत्या न करें और साधुओं की सुरक्षा के लिए भी व्यवस्था करनी चाहिए, साधु-संतो पर जो झुठे केस दायर किये जा रहे हैं उनके खिलाफ भी कार्यवाही करनी चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के आगरा में एक साधु की धारदार हथियार से बेहरमी से हत्या कर दी गई है। जिसके कारण इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। स्थानीय लोगों ने मंदिर परिसर में शव को देखा जिसके बाद यूपी पुलिस को इस घटना की सूचना दी गई। फिलहाल पुलिस शव को अपने कब्जे में लेकर मामले की जाँच करने में जुटी हुई है।

★ मंदिर परिसर में लहूलुहान मिला शव

यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के न्यू आगरा जिले में स्थित मऊ गाँव का है। जहाँ पर यमुना नदी के किनारे जंगलो में हनुमान जी का मंदिर है। इसी मंदिर में ‘शिव गिरि’ नाम के साधु पूजा-अर्चना किया करते थे और मंदिर में ही रहते भी थे। सुबह हुई तो वहाँ पर रहने वाले लोगों ने मंदिर परिसर में खून से लथपथ साधु के शव को देखा। जिसके बाद लोगों ने इस घटना की सूचना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुँच कर शव को कब्जे में लेकर मामले की जाँच शुरू कर दी है। ग्रामीणों ने बताया कि शिव गिरी पिछले 30 साल से मंदिर में पुजारी थे। मूलत: फतेहपुर सीकरी के गाँव खेड़ा भोपुर के निवासी थे।

★ SP सिटी का बयान

आगरा के SP सिटी ने बताया कि न्यू आगरा थाना क्षेत्र के मऊ गाँव में एक साधू की हत्या की खबर मिली थी। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है। मौके से कुल्हाड़ी भी बरामद हुई है जिससे हत्या की बात सामने आ रही है। मुकदमा दर्ज करके जाँच की जाएगी। अभी कोई कारण सामने नहीं आया है।

आगरा के SP सिटी रोहन पी बोत्रे ने बताया कि साधु की हत्या कुल्हाड़ी से काटकर की गई है। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। एसपी ने बताया कि आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम गठित कर दी गई है और जल्द ही हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

गौरतलब है कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के गोवर्धन इलाके में दो साधुओं की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। दोनों साधु गोवर्धन मार्ग पर मौजूद गिरिराज बगीचा के पीछे बने आश्रम में रहते थे। आश्रम में रामायण का पाठ कर रहे दोनों साधुओं ने अपने एक और साथी के साथ सुबह की चाय पी थी। जिसके बाद तीनों के ही मुँह से झाग निकलता हुआ देखा गया। बताया गया कि आश्रम में ही मौजूद गाय के दूध से चाय बनाकर इन लोगों ने पी थी, जिसके बाद यह घटना हुई।

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साधुओं की जिस तरह बेरहमी से हत्यायें हो रही है और उनको जिस तरह मीडिया में बदनाम किया जा रहा है और जिस तरह से उनके खिलाफ जूठे रेप केस बनाकर जेल भिजवाया जा रहा है उससे तो लग रहा है कि जल्दी साधु-संत की संख्या नहीं के बराबर रह जायेगी क्योंकि साधु-संतों ने ही राष्ट्र और धर्म की असली सेवा करते है वही समाज को सही रास्ते ले जाते है जो राष्ट्र विरोधी ताकतों को पसंद नही है इसलिए उनके खिलाफ ऐसे षडयंत्र चल रहे हैं, जनता की मांग है कि साधुओं की सुरक्षा के लिए कड़े प्रावधान बनाने चाहिए।

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पानी तो केवल बहाना है, मंदिर असली निशाना है...

17 मार्च 2021

azaadbharat.org

साल 2018 शुरू होते ही माहौल बनाया जाने लगा था कि मंदिरों में बलात्कार होते हैं क्योंकि जम्मू के कठुआ में एक मामले में मंदिर के पुजारी और उसके बेटे-भतीजे पर एक 8 साल की लड़की के रेप का आरोप लगा। हालाँकि, इस केस का एक आरोपित विशाल जंगोत्रा निर्दोष पाया गया। ग्रामीणों का कहना था कि लड़की के अपहरण के बाद मंदिर में छिपाया ही नहीं जा सकता। लेकिन, तब तक मंदिरों को बदनाम करने वाले इस काम में आगे निकल चुके थे।



हाल ही में मायावती की अनधिकृत बायोपिक कही जा रही फिल्म ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’ में ऋचा चड्ढा के मुख्य किरदार के माध्यम से दिखाया गया है कि मंदिरों में दलितों को प्रवेश नहीं दिया जाता है।अब जब देश के लाखों मंदिर बर्बाद हो चुके हैं, कइयों की मरम्मत के लिए रुपए नहीं हैं और जिनके पास हैं वो सरकार के पास चले जाते हैं – वामपंथी-इस्लामी गठजोड़ ने बचे-खुचे मंदिरों को बदनाम करने का ठेका ले लिया है।

बस यही ‘सॉरी आसिफ’ प्रकरण का सार है। बच्चे की जिस तरह से पिटाई की गई, उसका कोई समर्थन नहीं कर सकता। उसे डाँट कर वहाँ से भगाया जा सकता था या फिर पुलिस को सूचित किया जा सकता था। दो लोगों ने उसकी पिटाई कर दी और वीडियो वायरल हो गया। मामला गाजियाबाद के डासना स्थित देवी मंदिर का है। वीडियो वायरल होने के बाद स्वरा भास्कर सरीखे सेलेब्रिटीज ने इस ट्रेंड में भागीदारी सुनिश्चित की।

कठुआ वाले मामले के बाद भगवान शिव के त्रिशूल पर कंडोम की तस्वीर बना कर वायरल किया गया था। अबकी बाबासाहब भीमराव आंबेडकर द्वारा एक बच्चे को चुल्लू से पानी पिलाने की तस्वीर वायरल कर लिखा गया कि यहाँ पानी पीने का संघर्ष पुराना है। इसकी तुलना कथित जमींदारी प्रथा से कर के दलितों को हिन्दुओं से अलग दिखा कर मुस्लिमों के साथ उनकी एकता प्रदर्शित की है। ‘भीम आर्मी’ जैसे दलों के नेता आसिफ से मिलने पहुँचने लगे।

‘भीम आर्मी’ वाले मीडिया के सामने आकर बोलने लगे कि दलितों का मंदिरों में प्रवेश पहले से ही वर्जित है। जबकि वहाँ के स्थानीय लोगों का कहना है कि नाबालिग आसिफ मंदिर के भीतर पानी पीने क्यों आया जब बाहर आसपास कई नल थे? मंदिर में कई बार डकैती हो चुकी है। एक हिन्दू नेता की हत्या हो गई थी। एक महंत को जान की धमकी मिलती रहती है। ऐसे में एक मुस्लिमों के प्रभाव वाले इलाके में एक भी ऐसी मस्जिद नहीं थी, जहाँ आसिफ पानी पी पाता?

मदिर में आने के कुछ तय नियम-कानून होते हैं। वहाँ लोग स्नान करने के बाद भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं। मंदिर प्रशासन के कायदों के हिसाब से चीजें होती हैं। क्या कल को आसिफ को शौच लग जाए तो वो किसी दूसरे मजहब या धर्म के पवित्र स्थल में कर देगा और बाद में इसे ‘स्वच्छ भारत’ से जोड़ दिया जाएगा? आसिफ को अगर किसी ने भेजा था, तो उसका पता लगाया जाना चाहिए।

एक नाबालिग के नाम पर राजनीति नई नहीं है। शाहीन बाग़ आंदोलन के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस तरफ लोगों का ध्यान दिलाया भी था कि कैसे पुरुष खुद रजाई में सो रहे हैं और महिलाओं को सड़क पर भेज दिया गया है। बिलकिस दादी से लेकर कई महिलाओं की तस्वीरें वायरल की गईं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी तस्वीरें बिकती हैं। महिलाओं, खासकर बुजुर्गों, के नाम पर सहानुभूति आती है।

JNU में ऐसे ही एक दिव्यांग छात्र को आगे कर के पोस्टर बॉय बना दिया गया था और उसके बहाने दिल्ली पुलिस पर निशाना साधा गया था। हाल ही में हजारीबाग की तस्वीर वायरल हुई, जहाँ करीब एक दर्जन बच्चों को सड़क पर नमाज पढ़ने भेज दिया गया और उनका स्पीड ब्रेकर की तरह उपयोग किया गया। बसों से लेकर बाइक्स तक रुके रहे। अगर बच्चों की गलती नहीं है तो उन्हें आगे कर के कौन प्रोपेगंडा की फसल काटना चाह रहा है?

आखिर क्यों सॉरी आसिफ? ये बात उसके अम्मी-अब्बू कहें, जिन्होंने उसे सिखाया नहीं कि मंदिर में बिना मतलब घुस कर कुछ भी नहीं शुरू कर देते। ये बात वहाँ का मुस्लिम समाज कहे जिन्होंने मस्जिदों में पानी पीने की व्यवस्था नहीं की। अगर की, तो आसिफ को बताया नहीं। आसिफ को सॉरी वो सेलेब्रिटीज बोलें, जिन्हें लगता है कि मंदिरों ने उनकी कमाई खा ली है और उन्हें वही सब करना चाहिए, जैसा बॉलीवुड के लोग चाहते हैं।

हिन्दू शर्मिंदा नहीं होगा क्योंकि ये मामले प्यास और पानी से जुड़ा ही नहीं हुआ है। हिन्दू सॉरी इसीलिए नहीं बोलेंगे, क्योंकि कश्मीर में उनके नरसंहार के बाद भी बॉलीवुड का एक डायरेक्टर कहता है कि अपना नरसंहार करने वालों को ही सॉरी बोलो। हिन्दुओं को कोई सॉरी बोलने को इसीलिए न कहे, क्योंकि डासना में जो हुआ वो एक स्थानीय मारपीट थी जिसे सांप्रदायिक रंग देकर मंदिर को बदनाम करने वाला नैरेटिव गढ़ा गया।

उस मंदिर में अक्सर मुस्लिम समाज के लोग आते हैं और हिन्दू बहू-बेटियों के साथ छेड़खानी करते हैं – ऐसा वहाँ के स्थानीयोगों और महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती का भी कहना है। जब निर्भया मामले में एक नाबालिग बलात्कार कर सकता है तो फिर क्या जहाँ इस तरह की घटनाएँ आम हैं, वहाँ के लोग ऐसे किसी लड़के पर उसकी हरकतों को देख कर शक नहीं कर सकते? 15 साल का लड़का पढ़ा-लिखा भले न हो, उसे आसपास की समझ तो होती है।

🚩दोनों पक्षों के सामने आने से पहले ही ‘सॉरी आसिफ’ ट्रेंड होने लगता है, मीडिया उसका इंटरव्यू लेने लग जाता है, ‘भीम आर्मी’ उसके घर पहुँच जाती है और मंदिरों के विरोध में प्रोपेगंडा फैलाया जाता है – क्या ये सब कुछ ही देर में अचानक हो गया? इस पूरे प्रकरण में दूसरे पक्ष की एक ही गलती है कि उसने लड़के की पटाई की। ये नहीं होना चाहिए था। जैसा कि महंत यति ने सवाल पूछा – मंदिरों में डकैती होती थी तब वामपंथी मीडिया पोर्टल्स कहाँ थे?

ऐसे कृत्यों से सांप्रदायिक तनाव बढ़ता है। राम मंदिर को उन्होंने घृणा का प्रतीक साबित करने की लाख कोशिशें की, लेकिन जनभावनाओं के आगे सफल नहीं हो पाए। इसीलिए, अब किसी भी मंदिर, संत या हिन्दू एक्टिविस्ट को लेकर पूरे समुदाय को शर्मिंदा महसूस करने का ज्ञान दिया जा रहा है। नहीं, हिन्दू सॉरी नहीं बोलेगा। हिन्दू समुदाय शर्मिंदा नहीं है। आसिफ को उसके परिवार और मुस्लिम समाज सॉरी कहे, जिन्होंने उसे सिखाया नहीं कि मंदिर के नियम-कायदे क्या होते हैं।

https://twitter.com/OpIndia_in/status/1372012311435644928?s=19


सकड़ो मंदिरों का नियंत्रण सरकार के हाथ में है, और कुछ मंदिर व आश्रम बचे हैं, वे भी सरकार के पास चले जाएं और हिंदू समाज पूरी दुनिया में बदनाम हो इसके लिए साधू-संतों व मदिरों पर षडयंत्र किये जा रहे हैं। उसके लिए हिंदुस्तानी सावधान रहें।

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कोरोना वायरस से बचना है तो होली पर इतना काम जरूर करें

16 मार्च 2021

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दसी गाय का गोबर में अनेकों ऐसे गुण छिपे हैं जिन के बारे में हम जानते ही नहीं हैं। आयुर्वेद में भी इन सब का बहुत महत्व पाया जाता है और इसके मूत्र को बड़े-बड़े रोगों को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका के एक रिसर्च में देशी गाय का गोबर को भी एक महान औषधि सिद्ध किया है। गोबर में कीटाणुओं को दूर करने की बहुत बड़ी शक्ति होती है।



गाय के गोबर के कण्डों से होली जलाने पर गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है, जिससे गौहत्या कम हो सकती है, कंडे बनाने वाले गरीबों को रोजी-रोटी मिलेगी, और वतावरण में शुद्धि होने से हर व्यक्ति स्वस्थ रहेगा ।

दूसरा कि वृक्षों को काटना नहीं पड़ेगा जिससे वातावरण में संतुलन बना रहेगा।

वातावरण अशुद्ध होने पर कोरोना जैसे भयंकर वायरस आ जाते हैं, अगर देशी गाय के गोबर के कंडे से होली जलाई जाए तो कोरोना जैसे एक भी वायरस वातावरण में नहीं रहेंगे और हमारा स्वास्थ्य उत्तम हो जायेगा जिससे देश के करोड़ों रूपये बच जाएंगे।


•★ गोबर के फायदे..

वज्ञानिक कहते हैं कि गाय के गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। आम मान्यता है कि गाय के गोबर के कंडे से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग जाते हैं तथा दुर्गंध का नाश हो जाता है।

गौमूत्र और गोबर, फसलों के लिए बहुत उपयोगी कीटनाशक सिद्ध हुए हैं। कीटनाशक के रूप में गोबर और गौमूत्र के इस्तेमाल के लिए अनुसंधान केंद्र खोले जा सकते हैं, क्योंकि इनमें रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों के बिना खेतिहर उत्पादन बढ़ाने की अपार क्षमता है। इसके बैक्टीरिया अन्य कई जटिल रोगों में भी फायदेमंद होते हैं। गौमूत्र अपने आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध रखता है।

कषि में रासायनिक खाद्य और कीटनाशक पदार्थ की जगह गाय का गोबर इस्तेमाल करने से जहां भूमि की ऊर्वरता बनी रहती है, वहीं उत्पादन भी अधिक होता है। दूसरी ओर पैदा की जा रही सब्जी, फल या अनाज की फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। जुताई करते समय गिरने वाले गोबर और गौमूत्र से भूमि में स्वतः खाद डलती जाती है।

एक गाय का गोबर 7 एकड़ भूमि को खाद और मूत्र 100 एकड़ भूमि की फसल को कीटों से बचा सकता है। केवल 40 करोड़ गौवंश के गोबर व मूत्र से भारत में 84 लाख एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है।

गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है। प्राचीनकाल के मकानों की दीवारों और भूमि को गाय के गोबर से लीपा-पोता जाता था। यह गोबर जहां दीवारों को मजबूत बनाता था वहीं यह घरों पर परजीवियों, मच्छर और कीटाणुओं के हमले भी रोकता था। आज भी गांवों में गाय के गोबर का प्रयोग चूल्हे बनाने, आंगन लीपने एवं मंगल कार्यों में लिया जाता है।

दशी गाय के गोबर के है ये 5 चौका देने वाले फायदे

1•● काटने पर

बर्र, मच्छर, मक्खी, मकड़ी के काटने पर काटे हुए स्थान पर तुरंत गाय का गोबर मलें और लेप करके बांध दें ऐसा दिन में 2-3 बार करें इससे जहर का असर कम हो कर आराम मिलता है।

2•● मिर्गी में सहायक

सखे गोबर की राख को पानी में मिला लें और छान लें। छानकर इस पानी को पीने से मिर्गी की बीमारी में लाभ होगा।

3•● पेट के कीड़े

पट में कीड़े होने की अवस्था में गाय के गोबर की सफेद राख को 1 गिलास पानी में 1 चम्मच मिला कर इसे कपडे से छान लें। रोगी को तीन दिन तक सुबह शाम यह पानी पिलाने से लाभ होगा।

4•● खाज खुजली

गाय के गोबर को सुखा कर जला कर भस्म बना लें। गाय के मक्खन को 100 बार पानी से धो लें। इसके बाद इस मक्खन में 25 ग्राम भस्म को मिला कर रख लें। और जब भी खाज खुजली हो इसे लगायें तुरंत लाभ होता है।


5•● एड़ी का दर्द

जब किसी भी कारण से एड़ी में दर्द होने लगे और चलने फिरने में परेशानी हो तो रोज सूर्य उदय से पहले गाय के ताजा गोबर में एड़ी को रख कर 10 मिनट खड़े रहें अगर सुबह शाम दोनों टाइम करें तो और भी ज्यादा लाभ देता है। ( गोबर ताजा और गर्म होना चाहिए) इससे दर्द कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा।

वज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसी प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।

रस में गाय के घी से हवन पर वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं कि एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर एक टन ऑक्सीजन बनती है।

आपने अब देशी गाय के गोबर के कंडों को जलाने की महिमा जानी तो आइए हम सभी मिलकर संकल्प करते हैं कि इस बार सिर्फ गाय के गोबर के कंडे से ही होली जलाएंगे, इसके लिए अभी से अपनी नजदीकी गौशाला का संपर्क करें और कंडे बनाने का ऑर्डर दें जिससे आपको कंडे पर्याप्त मात्रा में मिल सकते हैं।


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