Thursday, October 12, 2023

जनसंख्या नियंत्रण कानून अत्यंत आवश्यक..... ??

 क्या है भारत में जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण और क्यों है ?



12 October 2023

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🚩भारत में आज एक बड़ी समस्या बढ़ती जनसंख्या है तथा पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी से भारत में जनसंख्या बढ़ी है । 

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है, कि भारत में जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण है यहाँ के तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय का तेजी से अपनी जनसंख्या वृद्धि करने पर focused रहना, जिससे आने वाले समय में ये समुदाय बहुसंख्यक समुदाय को dominate करके अपना वर्चस्व स्थापित कर सके।

रही बात हिन्दुओ की तो 80% से अधिक हिन्दू तो हम दो हमारे दो कानून का पालन करते ही नजर आते हैं। 


🚩भारत में जनसंख्या के विस्फोट को रोकने के लिए अगर अब भी शीघ्रता से कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बना तो आने वाले कुछ सालों में देश की आबादी 200 करोड़ के पार होगी । इसलिए जरूरी है कि इस पर सख्त कानून बनाया जाए ।


🚩वर्तमान में अगर आंकडों को देखा जाए तो विश्व की जनसंख्या लगभग 780 करोड हैं। वर्तमान में भारत की जनसंख्या 138 करोड है यानि पूरे विश्व की जनसंख्या के लगभग 18 प्रतिशत जनसंख्या भारत में रहती है। ये बेहद तेजी से बढती जा रही है । आबादी बढने से स्वास्थ्य, शिक्षा व अन्य जरूरी संसाधनों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। यदि ऐसे ही गती से जनसंख्या बढती रही तो देश की स्थिति और विकट हो सकती है।

 

 🚩वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा किए गए प्रयास

 

🚩देश में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने चिंता व्यक्त की है । इसके लिए उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उपाध्याय ने एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population control Law) बनाने की मांग की है । उपाध्याय का कहाना है कि भारत की जनसंख्या सवा सौ करोड़ नहीं बल्कि डेढ़ सौ करोड़ है । अपने पत्र में उपाध्याय लिखते हैं…

 

🚩वर्तमान समय में सवा सौ करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बूढ़े और बच्चे) बिना आधार के हैं। इसके अतिरिक्त लगभग पांच करोड़ बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं । इससे स्पष्ट है कि हमारे देश की जनसंख्या सवा सौ करोड़ नहीं बल्कि डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं ।

 

🚩यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की लगभग 2% है, पीने योग्य पानी लगभग 4% है, और जनसंख्या दुनिया की 20% है । चीन का क्षेत्रफल 95,96,960 वर्ग किमी और अमेरिका का क्षेत्रफल 95,25,067 वर्ग किमी है जबकि भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किमी है अर्थात हमारा क्षेत्रफल चीन और अमेरिका के क्षेत्रफल का लगभग एक तिहाई है लेकिन प्रतिदिन जनसंख्या वृद्धि की दर चीन से डेढ़ गुना है और अमेरिका से छह गुना ज्यादा है ।

 

🚩जल, जंगल, जमीन की समस्या, रोटी ,कपड़ा ,मकान की समस्या, चोरी, लूट, झपटमारी की समस्या, ट्रैफिक जाम व पार्किग की समस्या, बलात्कार व व्याभिचार की समस्या, आवास व कृषि विकास की समस्या, दूध, दही ,घी में मिलावट की समस्या, फल, सब्जी में रसायन की समस्या, रोड एक्सीडेंट व रोड रेज की समस्या, बढ़ती हिंसा व आत्महत्या की समस्या, अलगाववाद व कट्टरवाद की समस्या, आतंकवाद व नक्सलवाद की समस्या, सड़क रेल व जेल में भीड़ की समस्या, मुकदमों के बढ़ते अंबार की समस्या, अनाज की कमी व भुखमरी की समस्या, गरीबी बेरोजगारी व कुपोषण की समस्या, वायु जल मृदा व ध्वनि प्रदूषण की समस्या, कार्बन वृद्धि व ग्लोबल वार्मिग की समस्या, अर्थव्यवस्था के धीमी रफ्तार की समस्या व थाना तहसील हॉस्पिटल और स्कूल में भीड़ की समस्या का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है। चोर-लुटेरे, झपटमार, जहरखुरानी करने वालों, बलात्कारियों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चलता है कि 80% से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके माँ-बाप ने “हम दो- हमारे दो” नियम का पालन नहीं किया । इन तथ्यों से स्पष्ट है कि भारत की 50% से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट ही है ।

 

🚩अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसंख्या विस्फोट है । ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 140वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 53वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, लिंग असमानता इंडेक्स में 76वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 64वें स्थान पर, रोजगार दर में 42वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 80वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 68वें स्थान पर, एनवायरमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर तथा जीडीपी पर कैपिटा में 139वें स्थान पर हैं लेकिन जमीन से पानी निकालने के मामले में पहले स्थान पर हैं जबकि हमारे पास पीने योग्य पानी मात्र 4% है ।


🚩प्रत्येक वर्ष 5 जून को हम विश्व पर्यावरण दिवस और 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाते हैं, पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए पिछले पांच वर्ष में विशेष प्रयास भी किया गया लेकिन आंकड़े बताते हैं कि वायु, जल, ध्वनि और मृदा प्रदूषण की समस्या कम नहीं हो रही है और इसका मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है । जनसंख्या विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है इसलिए चीन की तर्ज पर एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत अभियान का सफल होना मुश्किल है ।

 

🚩अब तक 125 बार संविधान संशोधन हो चुका है, 3 बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है, सैकड़ों नए कानून बनाये गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी चीजों में से एक जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जबकि ‘हम दो-हमारे दो’ कानून से भारत की 50% समस्याओं का समाधान हो जाएगा ।

 

🚩सभी राजनीतिक दलों के नेता सांसद और विधायक, बुद्धिजीवी, समाजशास्त्री, पर्यावारणविद, शिक्षाविद, न्यायविद, विचारक और पत्रकार इस बात से सहमत हैं कि देश की 50% से ज्यादा समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है । टैक्स देने वाले ‘हम दो-हमारे दो’ नियम का पालन करते हैं लेकिन मुफ्त में रोटी कपड़ा मकान लेने वाले जनसंख्या विस्फोट कर रहे हैं ।

 

🚩जब तक 2 करोड़ बेघरों को घर दिया जायेगा तब तक 10 करोड़ बेघर और पैदा हो जायेंगे इसलिए एक नया कानून ड्राफ्ट करने में समय खराब करने की बजाय चीन के जनसंख्या नियंत्रण कानून में ही आवश्यक संशोधन कर उसे संसद में पेश करना चाहिए । कानून मजबूत और प्रभावी होना चाहिये और जो व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करे उसका राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता, बिजली कनेक्शन और मोबाइल कनेक्शन बंद करना चाहिए । इसके साथ ही कानून तोड़ने वालों पर सरकारी नौकरी और चुनाव लड़ने तथा पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाना चाहिए । ऐसे लोगों को सरकारी स्कूल हॉस्पिटल सहित अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित करना चाहिये और 10 साल के लिए जेल भेजना चाहिए ।

https://www.hindujagruti.org/hindi/news/155709.html

 

🚩भारत मे हिंदू ज्यादा बच्चें पैदा नहीं कर रहे हैं, मुस्लिम अपनी जनसंख्या बढ़ाने में तेजी से लगे है , रिपोर्ट के अनुसार अगर ऐसे ही चलता रहा ,तो एक दिन हिन्दू भारत में अल्पसंख्यक हो जाएंगे और मुस्लिम बहुसंख्यक । फिर पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी बुरी हालत ... भारत मे हिदुओं की होगी । इसलिए यथाशीघ्र जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना अत्यंत आवश्यक है।


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Wednesday, October 11, 2023

फ़्रांसीसी पत्रकार गॉटियर : दुनियाभर में हिन्दू धर्म पर हो रहे हैं हमले... हिन्दुओं को धर्म रक्षार्थ लड़ना चाहिए !!

 11 October 2023

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🚩फ़्रांसीसी पत्रकार फ्रांस्वा गॉटियर ने कहा है कि, हिन्दू भारत में बहुसंख्यक हैं, लेकिन उनकी मानसिकता अल्पसंख्यकों वाली है। गॉटियर आजकल भारत में ही रहते हैं । वो महाराष्ट्र के पुणे में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति स्थापना कर चुके हैं। इसके लिए लगातार विदेशों से चंदा जुटाने में लगे हुए थे । वे फ्रांस के विभिन्न अख़बारों में काम कर चुके हैं। वो कई दशकों से भारत में रह रहे हैं और उन्होंने एक भारतीय महिला नमृता बिंदर से विवाह भी किया है।


🚩गॉटियर ने एक साक्षात्कार में हिन्दुओं को लेकर कई महत्वपूर्व बातें कही हैं। उन्होंने कहा, “हमें इतिहास से यह सबक मिला है कि हिन्दुओं को लड़ना चाहिए। विश्व में आज भी हिन्दू धर्म पर हमले हो रहे हैं। चाहे पाकिस्तान हो या अफगानिस्तान हो। ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण अब यह बहुत बड़ी समस्या है, विशेषकर पंजाब और दक्षिण में।”


🚩उन्होंने आगे कहा, “केबल टीवी के माध्यम से भारत का पश्चिमीकरण हो रहा है। पूरे विश्व में विशेषज्ञों को भारत के विषय में बताने के लिए सरकारों द्वारा कहा जाता है, जो कि समझने के लिए काफी कठिन देश है। ये विशेषज्ञ हिन्दुओं के प्रति द्वेष भाव रखते हैं।” गॉटियर ने कहा, “हिन्दू धर्म कभी नहीं कहता कि आप धर्मान्तरित हो जाओ या फिर मैं आपको धर्मान्तरित करने के लिए मिशनरी भेज दूँगा।”


🚩उन्होंने इन विशेषज्ञों द्वारा हिन्दुओं के विषय में फैलाई जाने वाली घृणा को लेकर कहा, “ये विशेषज्ञ लगातार कहते रहते हैं कि हिन्दू रूढ़िवाद, इस्लामिक रूढ़िवाद के समान है जो कि बिल्कुल झूठ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हिंदुत्व कभी भी भारत के बाहर विश्व विजय पर नहीं गया और ना ही अपने धर्म को इस तरह से रखा जैसे कि ईसाईयत ने दक्षिण अमेरिका की सभी सभ्यताओं को साफ़ कर दिया और ना ही इस्लाम की तरह जिसने मिस्र की सभ्यता को खत्म कर दिया।”


🚩गॉटियर ने कहा कि हिन्दुओं की संख्या 1.3 अरब है और वह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। हिन्दू सबसे शांतिपूर्ण लोग हैं, लेकिन हिन्दुओं की मानसिकता अल्पसंख्यकों के जैसी है। यही सबसे बड़ी समस्या है। भारत में भी वह बहुसंख्यक हैं, लेकिन मानसिकता अल्पसंख्यक की रखते हैं। जब गॉटियर से पश्चिमी देशों में भारत में हिंदुत्व के बढ़ते प्रभाव को लेकर की जाने वाले नकारात्मक रिपोर्टिंग के विषय में पूछा गया तो उन्होंने इसे बकवास बताया।


🚩गॉटियर ने कहा, “यह बेवकूफी है। हिन्दू विश्व में सबसे सहिष्णु लोग हैं। आज भी हम यह देख रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभी समुदायों- हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई का ध्यान रखते हैं। इसलिए जो भी यह कहता है कि हिंदुत्व के माध्यम से चरमपंथ को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह इस महान धर्म को अपमानित कर रहा है ।”


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Tuesday, October 10, 2023

गरबा क्यों खेलते है और नवरात्रि में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? जानिए......

10 October 2023

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🚩नवरात्रि में विभिन्न प्रांतों में किए जानेवाले धार्मिक कार्यक्रमों का एक महत्त्वपूर्ण अंग है- गरबा । प्रारंभ में विशेषकर यह भक्तिपूर्ण नृत्य गुजरात से ही देशभर में प्रचलित हुआ है । गुजरात में नवरात्रि में अनेक छिद्रों वाले मिट्टी के कलश में दीपक रखते हैं, जो रात्रि के अंधेरे में बड़ा ही सुंदर प्रकाशित होता है । इस दीप कलश का मातृशक्ति के प्रतीक या स्त्री की सृजनशक्ति के प्रतीक के रूप में पूजन भी करते हैं।


🚩गरबा खेलने’ का क्या अर्थ है ?


🚩नवरात्रि में प्रथम दिन स्थापित माता की प्रतिमा और कलश के चारों ओर घुमते हुए तालियों के लयबद्ध स्वर के साथ देवी माँ के भक्तिरस पूर्ण गुणगानात्मक भजन और नृत्य को गरबा खेलना कहते हैं। अर्थात तालियों की ध्वनि पर भजन एवं नृत्य करते हुए सगुण उपासना से श्री दुर्गादेवी की स्तुति करना । और इस प्रकार भक्तजन जगत के कल्याण के लिए और दुर्जनों व दुष्ट शक्तियों के विनाश के लिए माता का प्रार्थना पूर्वक आवाहन करते हैं । माता के प्रति भक्ति प्रकट करने, उनको पूर्ण समर्पण करने के लिए गरबा खेला जाता है।


🚩नवरात्रि में अनुचित कृत्यों को रोकें :


🚩पूर्वकाल में ‘गरबा’ नृत्य के समय देवी गीत , कृष्णलीला गीत एवं संत रचित गीत ही गाए जाते थे। वर्तमान काल में भगवती के इस सामूहिक नृत्य की उपासना में विकृतियां आ गई हैं। ‘रिमिक्स’, पश्चिमी संगीत अथवा चलचित्रों के गीतों की ताल पर अश्लील हावभाव में मनोरंजन के लिए गरबे के स्थान पर ‘डिस्को-डांडिया’ खेला जाता है। गरबे को निमित्त बनाकर व्यभिचार आदि भी किया जाता है। पूजास्थल पर तंबाकू सेवन, मद्यपान, ड्रिंक्स, ध्वनि प्रदूषण आदि अनुचित कृत्य भी किए जाते हैं। मूलत: एक धार्मिक उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस कार्यक्रम को व्यावसायिक रूप देकर विकृत कर दिया गया है। इससे संस्कृति और समाज की हानि हो रही है। इसे रोकने हेतु उचित कदम उठाना अत्यावश्यक है।


🚩क्या अनुचित रूप से गरबा खेलने से माँ की कृपा होगी ?


🚩यद्यपि देवी माँ की यह उपासना अन्तर्मुख होने का सुअवसर प्रदान करती है।

तथापि अनुचित रूप से गरबा खेलते समय बढ़े रज-तम के कारण उस स्थान पर कष्टदायक तरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट होती हैं। बढ़ी ही अनिष्टकारी शक्तियां आकृष्ट होती हैं । जिनका वहां उपस्थित व्यक्तियों पर न्यूनाधिक मात्रा में असर होता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति बहिर्मुख और विषयों के आधीन होता जाता है। 


🚩देवी की उपासना स्वरूप परंपरागत गरबा :


🚩जब हम उत्कट भाव से देवी-देवताओं का आदर-सम्मान करेंगे, तभी उनकी कृपा प्राप्त कर पाएंगे। आज पवित्र गरबा नृत्य के दौरान जबरन होने वाले अनाचार जैसे कृत्यों से नहीं। भावपूर्ण पूजन से भक्त पर देवी मां की पूर्ण कृपा होती है। इसलिए गरबा खेलने को हिन्दू धर्म में देवी की उपासना मानते हैं। इसमें देवी का भक्तिरस पूर्ण गुणगान करते हैं।


🚩इस समय देवी के समक्ष पारंपरिक भावपूर्ण नृत्य किया जाता है। नृत्य में प्रत्येक स्तर पर तीन तालियां बजायी जाती हैं एवं छोटे छोटे डंडों से लयबद्ध ध्वनि भी करते हैं। गरबा खेलते समय गोल घेरा बनाते हैं साथ ही देवी के गीत अथवा भजन गाते हैं। नृत्य करते करते माता की स्तुति में अपने नकली मैं-पने को अर्थात् अहं भाव को कुछ क्षणों के लिए भूल जाते हैं और भक्तिभाव में सराबोर होने से एकाग्रता होती है । जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है ।


🚩सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते।।


🚩नवरात्रि महिषासुरमर्दिनी माँ श्री दुर्गादेवी का त्यौहार है। देवी ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिनों तक अर्थात प्रतिपदा से नवमी तक युद्ध कर, नवमी की रात्रि उसका वध किया। उस समय से देवी को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है। जग में जब-जब तामसी, आसुरी एवं क्रूर लोग प्रबल होकर सात्त्विक, उदार एवं धर्मनिष्ठ सज्जनों को छलते हैं, तब देवी धर्मसंस्थापना हेतु पुनः-पुनः अवतार धारण करती हैं। उनके निमित्त यह नवरात्रि का व्रत है।

संदर्भ– सनातन का ग्रंथ, ‘देवीपूजन से संबंधित कृत्यों का शास्त्र‘ एवं अन्य ग्रंथ


🚩ऐसे पवित्र त्यौहार में व्यभिचार करना, मद्यपान करना, लड़के-लकड़ियों के प्रति बुरी नजर रखना, अश्लील कपड़े पहनना- ये सब अनुचित है। इससे माँ प्रसन्न नहीं होतीं, इससे तो और नाराज होती हैं। इसलिए नवरात्रि में पवित्रता बनाए रखें ।


🚩नवरात्रि में लव जिहाद के किस्से भी बढ़ जाते हैं। हिन्दू युवतियों को ध्यान रखना चाहिए कि कहीं कोई जिहादी हिन्दू बनकर आपको प्रेम जाल में फंसा तो नहीं रहा है न?

नहीं तो, वह आपको लव जिहाद में फंसाकर आपकी और आपके परिवार की जिंदगी बर्बाद कर देगा।

पंडाल के व्यवस्थापकों को भी ध्यान रखना चाहिए की कोई विधर्मी नहीं आने पाए और इससे बचाव के लिए गरबा खेलने आने वाले सभी सदस्यों को गौ-मूत्र का पान करवाएं , तिलक लगाएं और आईकार्ड चेक करें । जिससे विधर्मी अंदर प्रवेश नही कर पाएं।


🚩देवी मां का अनादर रोकना चाहिए :


🚩आजकल चित्र, नाटक, विज्ञापन इत्यादि द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं का अनादर किया जा रहा है। इससे समाज में धर्म की हानि होती है। इसको भी रोकना आवश्यक है।


🚩सभी को नवरात्रि में पवित्रता बनाए रखनी चाहिए और कोई देवी माँ का अपमान करता है तो उसको करारा जवाब अवश्य देना चाहिए ।


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Monday, October 9, 2023

भास्कर ने हिन्दुओं को बदनाम करने की बहुत कोशिश की, पर खुल गई उसकी पोल.....

9 October 2023


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🚩भारत में मीडिया का रवैया हमेशा से ही हिन्दू विरोधी रहा है । ये हमेशा से एक तरफा खबर दिखाते या छापते हैं।

उदाहरण के तौर पर जब ओवैसी या जाकिर हुसैन जैसे मुस्लिम नेता हिन्दू देवी-देवताओं और साधु पुरूषो के लिए अपमानजनक बातें बोले या भारत विरोधी बातें बोले या फिर कोई मौलवी या ईसाई पादरी कितने भी बलात्कार करे, कन्हैया लाल जैसे गुंडे छात्रनेता देश को तोड़ने की बात करें..... लेकिन उस ओर कभी समाज का ध्यान केंद्रित नही करते !

.....और अगर कुछ करते हुए दिखते भी हैं तो सिर्फ और सिर्फ उनके बचाव में ।


🚩वहीं अगर कोई हिन्दू हिंदुत्व की बात करे तो उसको तोड़-मरोड़ कर विवादित बयान बना कर पेश किया जाता है ताकि जनता उनके विरुद्ध हो जाये ।


🚩दैनिक भास्कर समूह के गुजराती अखबार ‘दिव्य भास्कर’ ने मंगलवार (3 अक्टूबर 2023) को एक खबर प्रकाशित की है। इसमें दावा किया है कि अहमदाबाद में जय श्रीराम न बोलने पर चार हिन्दू युवकों ने एक मुस्लिम युवक की बुरी तरह से पिटाई की ।


🚩रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला अली तालिब हुसैन और मोहम्मद शहरोज तालिब हुसैन नामक दो भाई अहमदाबाद के मधुपुरा इलाके में रहते हैं। इसमें से अली हुसैन ने शहरोज के साथ हुई मारपीट को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस को दी गई शिकायत में 20 वर्षीय युवक अली तालिब हुसैन ने कहा कि 1 अक्टूबर 2023 की शाम को वह अपने घर पर था। इसी दौरान उसका भाई शहरोज हुसैन वहाँ आया और कहा कि 3-4 लोगों ने उससे झगड़ा किया है और मारने के लिए आए हैं।


🚩इस पर अली हुसैन नीचे गया और देखा कि चार लोग चाकू, चप्पल, पाइप और डंडे लेकर खड़े हुए हैं। रिपोर्ट में आगे दावा किया गया कि वहाँ आए 4 युवकों ने शहरोज पर हमला किया। इससे वह घायल हो गया और उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा।


🚩इसके के बिल्कुल विपरीत, भास्कर ने रिपोर्ट में दावा किया कि , “अली हुसैन ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि 4 लोगों ने उसके भाई शहरोज से ‘जय श्रीराम’ बोलने के लिए कहा था और उसने मना किया तो उसके साथ मारपीट की गई।

”दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार (साभार: दिव्य भास्कर वेबसाइट)


🚩ऑपइंडिया ने ‘दिव्य भास्कर’ के इस दावे का फैक्ट चेक किया है। हालाँकि भास्कर की इस रिपोर्ट को फैक्ट चेक करने के लिए आखिर में लिखी दो लाइनें ही काफी थीं। इसमें लिखा है कि पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि चारों लड़के ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाते हुए सड़क से जा रहे थे। इस पर मुस्लिम युवक को लगा कि वे उससे ‘जय श्रीराम’ कह रहे हैं इसकी वजह से ही झगड़ा हुआ।


🚩भास्कर की रिपोर्ट में ही उसकी ‘हेड लाइन’ की पोल खुल चुकी थी, लेकिन इसके बाद भी ऑपइंडिया ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया। इसमें मामले की जाँच कर रहे मधुपुरा पुलिस स्टेशन के एन. धासुरा ने कहा कि ‘जय श्रीराम’ बोलने को लेकर मजबूर करने जैसी कोई घटना हुई ही नहीं । यह पूरी घटना एक हिन्दी भाषी व्यक्ति के गुजराती न समझने के चलते हुई ।


🚩पुलिस अधिकारी ने ऑपइंडिया से हुई बातचीत में पूरी जानकारी देते हुए कहा कि , “दो हिन्दू युवक सड़क से जा रहे थे। मुस्लिम युवक भी वहाँ खड़ा हुआ था। इसी दौरान हिन्दू युवकों ने आपस में जय श्रीराम कहकर अभिवादन किया, लेकिन मुस्लिम युवक को लगा कि उन लोगों ने उससे ‘जय श्रीराम’ कहा है। इसके बाद वह उन हिन्दुओं से झगड़ने लगा।”


🚩उन्होंने आगे कहा कि, मुस्लिम युवक के गलत समझने और झगड़ा करने के चलते विवाद हुआ। इसके बाद दोनों पक्षों के लोग एकजुट हुए। इसमें से एक युवक को चाकू भी लगी । पर ‘जय श्रीराम’ बोलने के लिए मजबूर करने जैसी कोई घटना नहीं हुई है। यह सिर्फ अफवाह है !


🚩गौरतलब है कि, " भास्कर ने दावा किया कि, मुस्लिम युवक ने आरोप लगाया था कि ‘जय श्रीराम’ नहीं कहने के चलते उसके साथ मारपीट हुई , जो सरासर गलत साबित हुआ ।


🚩बहरहाल , पुलिस अभी इस मामले की जाँच कर रही है। इसके बाद भी भास्कर ने अपनी रिपोर्ट के जरिए झूठी खबर फैलाने की कोशिशें बंद नहीं की हैं ।


🚩इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया की समाज में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है । मीडिया को लोकतांत्रिक व्यवस्था का चौथा स्तंभ भी कहा गया है क्योंकि इसकी जिम्मेदारी देश की जनता की समस्याओं को सबके सामने लाने के साथ-साथ सरकार के कामकाज पर सबका ध्यान आकर्षित करना भी है।


🚩पर मीडिया आज पैसे और टीआरपी की अंधी दौड़ में एक तरफा झूठी खबरें दिखाकर अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही है। इसके कारण आज समाज के हर वर्ग में मीडिया की आलोचनाएं होने लगी हैं ।


🚩भारतीय मीडिया को लेकर अभिनेत्री कंगना रनौत का कहना है कि , “मीडिया का एक सेक्शन ऐसा है जो दीमक की तरह हमारे देश में लगा है और धीरे-धीरे देश की गरिमा, अस्मिता एवं एकता को खाए जा रहा है । झूठी अफवाहें फैलाता रहता है । गंदे-भद्दे और देशद्रोह से भरे हुए विचार खुले तौर पर सबके सामने रखता है । इनके खिलाफ हमारे संविधान में किसी भी तरह की न तो कोई पेनाल्टी है और न ही कोई सजा है ।"


🚩भारतीयों को ये समझना ही होगा कि , इस बिकाऊ और देशद्रोही मीडिया का बहिष्कार करना आज बेहद आवश्यक हो गया है।


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वेब सीरीज़, टीवी सीरियल्स और बॉलीवुड फिल्में !! जानिए क्यों करना चाहिए इनका बहिष्कार..... !?

देखने योग्य नहीं हैं आज के 


8  October 2023


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🚩आजकल के वेब सीरीज, टीवी सीरियल और बॉलीवुड फिल्मों  का सबसे गलत प्रभाव महिलाओं और बच्चों पर देखने को मिल रहा हैं, आज सभी को बहुत अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।

 

🚩आधुनिकता की आड़ में नँगा नाच हो रहा है। ये सब नए सीरियल की देन है जो कि पैसे और टीआरपी के लालच में पता नही क्या क्या परोस रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तो हमारे रीति-रिवाज व सामाजिक परम्पराओं को धूमिल होने में वक़्त नहीं लगेगा।


🚩इन धारावाहिकों का बहिष्कार किया जाना चाहिए जिन धारावाहिकों में भारतीय पारिवारिक मूल्यों को विध्वंस किया जाता है।

इन वेब सीरीज और धारावाहिकों ने तो सारी हदें पार की है क्योंकि वेब सीरीज और धारावाहिकों में कोई पाबंदी नहीं है, लंबे समय तक चलती रहती हैं। इसलिए ये बड़े पैमाने से समाज को बर्बाद कर रहे हैं क्योंकि मोबाईल और टीवी की पहुंच हर घर तक है।


🚩अपने घरों को इन सुनियोजित कलह क्लेशों से कैसे बचाये ?

सबसे पहले बेब सीरीजी और टीवी धारावाहिको का बॉयकाट करे। यहाँ पर हर दूसरे नाटक मे हमारे देश के परिवारों को बर्बादी की ओर धकेला जा रहा है।

"इन वेब सीरीज़ और धारावाहिको में अवैध संबंधो की ट्रेनिंग दी जाती है।"


🚩20-25 साल के बच्चे मिलकर अपनी माँ की दूसरी शादी की तैयारी करते हैं , हद है !

जबकि पिता जीवित है, उसकी कहीं और सेटिंग चल रही है...अब उनकी माँ कम से कम 45-50 वर्ष की आयु में किसी और से शादी कर रही है।

भाई बहन आपस में कह रहे है कि हम बड़े भाग्यशाली है कि हमे अपनी मम्मी की डोली सजाने के अवसर मिल रहा है, सबको यह अवसर नहीं मिलता।

अब उन्हें कौन समझाए कि , हद दर्जे के बेफकूफ हो तुम।

वेब सीरीज और सीरियल वालों ने इतना गलत दिखावा फैलाया है कि सामाजिक और पारिवारिक संस्कारों का सत्यानाश कर दिया है ।


🚩"इन नाटकों ने जो किया है वैसा सत्यानाश तो विदेशी लुटेरे सैंकड़ों सालों में भी नहीं कर पाए थे !"


🚩आइए आज यह संकल्प लें कि ऐसे " वेब सीरीज ,  टीवी सीरियलों और फिल्मों " का हम बहिष्कार करेंगे , जो भारतीय सनातन संस्कृति को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहें हैं।


🚩राजीव दीक्षित जी ने कहा था कि ,

जिस देश में प्राचीन काल में बच्चों को  रामायण, महाभारत तथा महान लोगों के जीवन चरित्र पढ़ाए/सुनाए जाते थे...

उसी देश में आज  ” जब मैं भारत के युवाओं को ‘गंदे-गंदे’  गीत गाते देखता हूँ। तो मुझे बड़ा दुःख होता हैं। "


🚩टीवी की वजह से हर घर को भारी नुकसान हो रहा है। बच्चे मानसिक पागल होकर ‘मौत’  के घाट उतर रहे हैं। बच्चे टीवी में ऐसे विज्ञापन देखते हैं, जो सत्य नही हैं, और उनकी नकल करने की कोशिश करते हैं, और मृत्यु के शिकार हो जाते हैं ।

हर साल टीवी देखकर उसके स्टंट्स का अनुसरण करके मरने वाले लोगों का आंकड़ा बहुत बढ़ गया है। अमेरिका जैसे देश के दो करोड़ लोग टेलीविजन देखकर मानसिक पागल (मेंटल) हो गये।


🚩जब हम बार बार हिंसा, मारपीट वाली वीडियो, फिल्में आदि देखते हैं, तो यह सारे दृश्य हमारी दया, करुणा व प्रेम को खत्म कर देती हैं। इससे क्या होता है, जब हमारे सामने कुछ गलत काम या गलत चीजें हो रही होती हैं, तो हम उसे रोकने में असक्षम (असमर्थ) हो जाते हैं। और चुपचाप उस गलत हो रही चीज को देखते रहते हैं। हम पशु बन जाते हैं।


🚩 इलाज सिर्फ एक इन धारावाहिकों , सीरीजों और फिल्मों का पूर्ण रूप से बहिष्कार...


!! जय श्रीराम !!


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Saturday, October 7, 2023

मुसलमानों की घर वापसी : क्यों और कैसे !? जानिए...

 मुसलमानों की घर वापसी : क्यों और कैसे !? जानिए...


7 October , 2023


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🚩अस्त्र-शस्त्र का उत्तर अस्त्र-शस्त्र से देना उचित है। लेकिन विचारों का उत्तर तो विचार ही हो सकते हैं। किसी विचार, किसी लेख , कविता या पुस्तक की प्रतिक्रिया स्वरूप तलवार निकालना मजबूती नहीं, कमजोरी की निशानी है। किन्तु अरब से लेकर यूरोप, एशिया, अफ्रीका तक, हर कहीं इस्लामी नेता और संगठन सरल, संयत, वैचारिक संघर्ष से बचते हैं। इसे सदैव हिंसा से दबाने की कोशिश करते हैं। सदियों से, बल्कि आरंभ से ही, इस में कोई बदलाव नहीं आया है। स्वयं प्रोफेट मुहम्मद ने अपने विचारों पर किसी के प्रतिवाद, संदेह का यही उत्तर दिया था।


🚩तब क्या इस्लाम कागजी शेर नहीं है? एक दुर्बल, भयभीत मतवाद, जो केवल धमकी, हिंसा, छल-कपट, अनुचित रूप से उठाई जा रही विशेष सुविधाओं, अनुचित-असमान नियमों के बल से चल रहा है। ऐसा मत-विश्वास कितने दिन चलता रह सकता है?


यह एक बुनियादी प्रश्न है, जिस से भारत और वर्तमान विश्व की कई समस्याएं जुड़ी हुई हैं।

दुर्भाग्यवश, इस प्रश्न को भारतीय मुसलमानों के बीच रखने के बदले उन्हें राजनीतिक मतवादों में उलझाए रखा जाता है। उदाहरण के लिए, भारत के साथ जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण, या नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उन्हें उठाया जाता है। लेकिन कश्मीर का विषय ऐसे रखा जाता है, मानो यह मात्र 67 वर्ष पहले से चल रहा मामला हो। कश्मीर तो हजारों वर्ष पुराना सांस्कृतिक क्षेत्र है। क्या उस हजारों वर्ष के इतिहास से यहाँ मुसलमानों का कोई संबंध नहीं? सारी चर्चा राजनीतिक इस्लाम और उस का वर्चस्व बनाए रखने की दृष्टि से की जाती है। मानो वह उद्देश्य तो स्वयंसिद्ध हो, जिस पर प्रश्न उठाना ही अनुचित हो। इसी कारण यहाँ हिन्दू ही नहीं, मुसलमान भी भ्रमित और झूठी बंदिशों में फँसे रहते हैं। इस से किसी का भला नहीं हुआ है।


🚩सौभाग्यवश, आज दुनिया में एक दूसरी प्रक्रिया भी चल रही है। मुस्लिम जगत में विवेकशील पुनर्विचार भी चल रहा है। कूनराड एल्स्ट के शब्दों में, बाहरी भौतिक रूप में अभी मुस्लिम आबादी, संगठन, संस्थान, आदि बढ़ रहे हैं। किन्तु मुसलमानों के आंतरिक मनोजगत में दुविधा और संदेह भी बढ़ रहे हैं। इन दो प्रक्रियाओं के बीच प्रतियोगिता-सी चल रही है। जिम्मी (इस्लाम के सहयोगी गैर-मुसलमान), जिन्हें भारत में सेक्यूलर या वामपंथी या गाँधीवादी आदि कहा जाता है, वे लोग पहली प्रक्रिया को मदद दे रहे हैं। जबकि विवेकशील लोग दूसरी प्रक्रिया को। इस प्रतियोगिता के अंतिम परिणाम पर सस्पेंस जरूर है, किन्तु कोई संदेह नहीं।


🚩आखिर यह बात देखने से मुसलमान कैसे बच सकते हैं कि हिन्दू लोग भी अप्रवासी के रूप में सारी दुनिया में विभिन्न समुदायों के साथ रहते हैं। लेकिन उन के साथ किसी समुदाय के झगड़े का कहीं से कोई समाचार नहीं आता? जबकि मुसलमानों का हर कहीं, हर समुदाय के साथ झगड़ा है। बल्कि, जहाँ दूसरे समुदाय नहीं हैं, वहाँ उन की दूसरे मुसलमानों से वैसी ही हिंसक लड़ाई है।

ऐसा क्यों? इस पर स्वयं असंख्य मुसलमानों का ध्यान गया है। प्रसिद्ध लेखक सलमान रुशदी ने कई वर्ष पहले यह प्रश्न भी उठाया था कि क्या उन के मजहबी मतवाद में ही कोई चीज है जो इस हालत का कारण है ??


🚩सर्वविदित रूप से इस्लामी सिद्धांत के दो भाग हैं – ईश्वर संबंधी और राजनीति संबंधी।

ईश्वर संबंधी विचार इस्लाम का छोटा हिस्सा हैं, लगभग 14 प्रतिशत। जिस में अल्लाह, आख़िरत और जन्नत-जहन्नुम की धारणाएं हैं।

किन्तु इस्लामी मत का बड़ा भाग राजनीतिक है, जिस से काफ़िरों की ख़िलाफ़त , ज़ेहाद, ज़ज़िया, शरीयत, जिम्मी, आदि धारणाएं संबंधित हैं। 


🚩इस राजनीतिक इस्लाम का मूल आधार दूसरों, यानी गैर-मुस्लिमों (‘काफिरों’) को बर्दाश्त नहीं करना है। उदाहरण के लिए, कुरान (2:216) मूर्तिपूजक धर्म को हत्या से भी गर्हित पाप बताता है। इस प्रकार मुसलमानों को हिन्दू, बौद्ध, जैन, आदि तमाम लोगों को सर्वाधिक घृणित मानना सिखाता है। कुल मिलाकर कुरान में 111 आयतें जिहाद को समर्पित हैं। फिर, सीरा (प्रोफेट मुहम्मद की जीवनी) में 67% शब्द जिहाद से संबंधित हैं। हदीस (प्रोफेट मुहम्मद के वचन और कार्य) में 21% सामग्री जिहाद के बारे में हैं।


🚩 जबकि कुछ लोग जिहाद को मुख्यतः ‘आत्म-सुधार’ मानते हैं, जो कि सिरे से बिल्कुल गलत धारणा है । क्योंकि संपूर्ण इस्लामी शास्त्र (सीरा+ कुरान + हदीस) में यह नगण्य-सा हिस्सा है। हदीसों में 98% विवरण सशस्त्र-हिंसा से संबंधित हैं। सुन्ना (सीरा और हदीस) और कुरान में बार-बार दुहराई गई बात है कि दूसरों से इस्लाम कबूल करवाओ, यहूदियों-क्रिश्चियनों को जिम्मी बना कर हीन और अपमानित हालत में रखो, उन से ज़ज़िया टैक्स लो, उन्हें भगाओ या मार डालो।


🚩इस प्रकार, राजनीतिक इस्लाम मुख्यतः काफिरों (गैर-मुसलमानों) के प्रति दुर्व्यवहार है। इस्लाम का सैद्धांतिक-व्यवहार काफिरों के विरुद्ध नितांत असहिष्णुता और हिंसा से भरा है। यही सारी दुनिया में उस का वास्तविक इतिहास भी रहा है, जो पिछले चौदह वर्षों के मुस्लिम साहित्य में ही खुल कर एक समान मिलता है।


🚩चूँकि इस मूल सैद्धांतिक-व्यवहार को इस्लामी ईमाम, आलिम-उलेमा आज भी पूर्णतः सही और यथावत् अनुकरणीय मानते हैं, इसलिए उस के नतीजों का हिसाब करना चाहिए। विशेषकर काफिरों को ( सभी ग़ैरमुस्लिमों को ! यह उनका अधिकार ही नहीं, कर्तव्य भी है !!


🚩लेकिन राजनीतिक इस्लाम के सिद्धांत-व्यवहार से आज तक हुए और अभी भी हो रहे परिणामों पर मुसलमानों को भी सोचना ही होगा। इसने काफिरों को ही नहीं, मुसलमानों को भी प्रभावित किया है। अन्यथा उनके अपने मुस्लिम समाज के मध्य भी अशान्ति के मुख्य वजह पर पर्दा पड़ा रहेगा। इस बात पर कि राजनीतिक इस्लाम और संपूर्ण मानव-समाज, जीव-जगत, एवं ब्रह्मांड की सच्चाई के बीच ताल-मेल न था , न है और ना ही कभी हो सकता है। इस के सिवा मुस्लिम अशान्ति के बाकी सारे कारण कम महत्वपूर्ण हैं।


🚩इस समस्या का समाधान सैनिक तरीके से नहीं, बल्कि शिक्षा में है। ध्यान दें, कुरान में असंख्य बार कई प्रसंगों में ‘प्रमाण’, ‘स्पष्ट प्रमाण’, की बातें की गई है। अतः मुसलमान किसी विचार-बिन्दु, विषय में प्रमाण, सबूत, एविडेंस के महत्व से परिचित हैं। केवल उन्हें प्रमाण वाली कसौटी को उन विचारों, कानूनों, विवरणों, दलीलों पर भी लागू करके देखने की जरूरत है जिन्हें वे स्वतः-प्रमाणिक मानते रहे हैं। जैसे, मूर्तिपूजकों को घृणित समझना; इस्लाम से पहले या बाहर के मानव-समाजों को मूर्ख मानना; जीने के बदले मरने को अधिक अच्छा मानकर ‘जन्नत’ पाने के लिए हर तरह के चित्र-विचित्र काम करना; जिहाद को सब से बड़ा कर्तव्य समझना; मनुष्य को गुलाम बनाकर बेचना-खरीदना; स्त्रियों को मात्र भोग की वस्तु या संपत्ति के रूप में देखना; आदि मान्यताओं को विवेक से देखने की जरूरत है। ये मान्यताएं कोई ईश्वरीय देन या ‘सर्वकालिक सत्य’ नहीं हैं – इसलिए इसकी परीक्षा की जानी चाहिए और बचपन से ही सही शिक्षा और उत्तम संस्कार दिए जाने चाहिए।

(पुस्तक अंश- अक्षय प्रकाशन, नई दिल्ली, 2020, पृ. 128)

- डॉ. शंकर शरण (२२ सितम्बर २०२०)


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Friday, October 6, 2023

हॉलीवुड अभिनेता सिलवेस्टर स्टेलोन ने भारत आकर किया श्राद्धकर्म।

 विदेश की नामी हस्तियाँ भी अपने पितरों की मुक्ति और शांति के लिए श्राद्ध करने भारत आती हैं.....

6 October 2023


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🚩‘श्राद्ध’ पितृऋण चुकाने के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है। श्राद्धविधि में किए जानेवाले मंत्रोच्चारण में पितरों को गति देने की सूक्ष्म शक्ति समाई हुई होती है। श्राद्ध में पितरों को तर्पण करने से वे संतुष्ट होते हैं। श्राद्धविधि करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और हमारा जीवन भी सुव्यवस्थित,सुखमय और संपन्न हो जाता है।


🚩हिन्दू धर्म में एक अत्यंत सुरभित पुष्प है कृतज्ञता की भावना, जो कि बालक में अपने माता-पिता के प्रति स्पष्ट परिलक्षित होती है। हिन्दू धर्म का व्यक्ति अपने जीवित माता-पिता की सेवा तो करता ही है, उनके देहावसान के बाद भी उनके कल्याण की भावना करता है एवं उनके अधूरे शुभ कार्यों को पूर्ण करने का प्रयत्न करता है।


🚩अपने पूर्वजों की सद्गति के लिए हिन्दूधर्म में की जाने वाली श्राद्ध-विधि विदेशी लोगों को भी आकर्षित करती है और शायद यही कारण है कि, कई विदेशी लोग अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाने की यह विधि करने के लिए भारत आते है एवं पूरी श्रद्धा से यह विधि करते हैं ।


🚩हॉलीवुड अभिनेता सिलवेस्टर स्टेलोन ने करवाया श्राद्ध 


🚩अपने 36 वर्षीय बेटे पुत्र सेज स्टेलोन की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए रॉकी बेलबोआ सीरिज के लिए मशहूर हॉलीवुड अभिनेता सिलवेस्टर स्टेलोन ने भी हिंदू कर्मकांड को अपनाया। कुछ साल पहले पितृ पक्ष के दौरान स्टेलोन के बेटे का पिंडदान कनखल के सतीघाट पर किया गया।


🚩स्टेलोन को उनके बेटे की आत्मा हर जगह नजर आ रही थी। इससे वो मानसिक रूप से परेशान हो गए थे। ऐेसे में हिंदू दर्शन और कर्मकांड से प्रभावित होकर स्टेलोन ने अपने भाई माइकल और उनकी पत्नी को बेटे के पिंडदान के लिए हरिद्वार भेजा था।


🚩यूरोपियन लोगो ने किया पितरों का श्राद्ध


 🚩यूरोप के देश चेक रिपब्लिक से 10 विदेशियों का दल (Group of Europeans) दो साल पहले कानपुर पहुंचा था। सनातन धर्म अनुसार विधि विधान का पालन करते हुए सभी ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए श्राद्धकर्म किया था और भारत में 15 दिन रुक कर हवन पूजन और धार्मिक अनुष्ठान आदि किया था।


🚩इन सभी ने स्वीकार किया है कि मृत्यु के बाद किसी न किसी रूप में पित्र या पूर्वज विद्यमान रहते हैं और ये सभी अपने ही वंश के सदस्यों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित या फिर दुष्प्रभावित करते रहते हैं। चेक गणराज्य के प्लाम्पलोव शहर के डिप्टी मेयर रहे जीरी कोचन्द्रल अपनी पत्नी वेरा कोचन्द्रल के साथ आए थे, जो खासे प्रभावित भी हुए थे।


🚩जीरी का कहना है कि, यह सब देखना और इसकी अनुभूति करना इनके दल के लिए अकल्पनीय जैसा है। ये सभी हवन के बाद आनंद से भर जाते हैं। चेक रिपब्लिक के नागरिक पीटर की माने तो वो सभी यहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए ही आए हैं। वैदिक संस्कृति में होने वाले संस्कारों को देखकर वे खुद को खुशकिस्मत भी मानते हैं। इनको साथ लाए राजीव सिन्हा की माने तो यहां सभी राज्यों से लोग आते जाते हैं, विदेशियों का भी एक जत्था यहां आया है , जो प्रसन्नता और शांति की अनुभूति कर रहा है।


🚩अभी तक यही कहा जाता है कि, विदेशियों की परंपरा में अपने पूर्वजों की मुक्ति का अनुष्ठान नहीं किया जाता क्योंकि पाश्चात्य संस्कृति में पुनर्जन्म की मान्यता को लेकर काफी मतभेद हैं। लेकिन वैदिक संस्कृति में रम चुके ये लोग पितरों के श्राद्ध और पूजा अर्चना के बाद सुख की अनुभूति कर रहे हैं ।


🚩कुछ साल पहले यह विधि करने के लिए रूस के नताशा स्प्रबनोभा, सरगे और एकत्रिना ने धर्मनगरी गया आकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था।


🚩गया में पिंडदान किया रुसी नागरिकों ने:


🚩इन लोगों ने ऐतिहासिक विष्णुपद मंदिर, फल्गु के देवघाट, प्रेतशिला और रामशिला वेदी पर पिंडदान किया और पूर्वजों के लिए स्वर्गलोक की कामना की। इन लोगों ने विष्णुपद मंदिर में पूजा अर्चना की। मीडिया से बात करते हुए इन लोगों ने कहा कि, सनातन धर्म के बारे में पढ़ा था जिसमें पिंडदान को काफी महत्वपूर्ण माना गया है और इस परंपरा को भारतीय वेशभूषा में संपन्न करने के बाद उनकी आकांक्षा आज पूरी हो गयी है !


🚩बता दें कि वर्ष 2017 में मोक्ष स्थली गया में पितरों की मुक्ति के महापर्व पितृपक्ष मेला के दौरान देवघाट पर अमेरिका, रूस, जर्मनी और स्पेन के कई विदेशी नागरिकों ने अपने पितरों की मुक्ति की कामना को लेकर पिंडदान व तर्पण किया था। उन्हीं में से जर्मनी की एक नागरिक इवगेनिया ने कहा था कि, भारत धर्म और अध्यात्म की धरती है। गया आकर मुझे आंतरिक शांति की अनुभूति हो रही है। मैं यहां अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आई हूँ।


🚩इन विदेशियों को हिन्दू धर्म के अनुसार आचरण करते देख एक संतोष होता है, कि हमारी संस्कृति इतनी महान है, जिसमें हर जाति,वर्ग और देश के और यहां तक की समस्त चराचर जगत के मंगल की व्यवस्था है। 


🚩माता-पिता, निकट संबंधियों या अन्य किसी के भी मरणोपरांत यात्रा सुखमय एवं क्लेशरहित हो तथा उन्हें सद्गति मिले, इस हेतु किया जानेवाला संस्कार है ‘श्राद्ध’। श्राद्ध-विधि करने से पितरों की कष्ट से मुक्ति मिलती है और हमारा जीवन भी सुगम व सुखमय हो जाता है। परंतु दुर्भाग्यवश आज हिन्दुओं को ऐसी विधियाँ करना पिछड़ापन लगता है। उनकी मॉडर्न जीवनशैली को श्राद्धकर्म अंधश्रद्धा लगती है।


🚩धर्मशिक्षा का महत्त्व...

अपने रीति-रिवाजों को अंधश्रद्धा मानना , हिन्दू समाज की बड़ी ही दु:खद स्थिति है। आज हिंदुओं को धर्मशिक्षा न मिलने के कारण ही उनका इस प्रकार अध:पतन हो रहा है।

आज ऐसी स्थिति है कि, विदेशों से आकर श्रद्धालु हिन्दूधर्म तथा अध्यात्म के बारे में जानकारी प्राप्त कर हिन्दूधर्म के अनुसार आचरण करने लगे हैं, वहीं हिन्दूधर्म की पुण्यभूमि भारतवर्ष के कई हिन्दुओं को ही आज धर्माचरण करना पिछड़ेपन जैसे लगता है।


🚩मृत्यु के बाद जीवात्मा को उत्तम, मध्यम एवं कनिष्ठ कर्मानुसार स्वर्ग या नरक में स्थान मिलता है। पाप-पुण्य क्षीण होने पर वह पुनः मृत्युलोक (पृथ्वी) पर आता है। स्वर्ग में जाना यह पितृयान मार्ग है एवं जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त होना यह देवयान मार्ग है।


🚩पितृयान मार्ग से जाने वाले जीव पितृलोक से होकर चन्द्रलोक में जाते हैं। चंद्रलोक में अमृतान्न का सेवन करके निर्वाह करते हैं। यह अमृतान्न कृष्ण पक्ष में चंद्र की कलाओं के साथ क्षीण होता रहता है। अतः कृष्ण पक्ष में वंशजों को उनके लिए आहार पहुँचाना चाहिए, इसीलिए श्राद्ध एवं पिण्डदान की व्यवस्था की गयी है। शास्त्रों में आता है कि अमावस के दिन तो पितृतर्पण अवश्य करना चाहिए।


🚩भगवान श्रीरामचन्द्रजी भी श्राद्ध करते थे।

जिन्होंने हमें पाला-पोसा, बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, हममें भक्ति, ज्ञान एवं धर्म के संस्कारों का सिंचन किया उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण करके उन्हें तर्पण-श्राद्ध से संतुष्ट व प्रसन्न करने के दिन ही हैं श्राद्धपक्ष। इस दिनों में पितृऋण से मुक्त होने के लिए हमें श्राद्ध अवश्य करना चाहिए ।


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