Friday, January 19, 2024

कश्मीरी हिन्दुओं के लिए 19 जनवरी की रात कैसे बन गई कातिल ?

19 January 2024

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🚩जनवरी 19 जब-जब यह तारीख आती है, कश्मीरी हिन्दुओं के जख्म हरे हो जाते हैं । यही वह तारीख है जिस दिन जम्मू कश्मीर में बसे हिन्दुओं को अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर कर दिया गया था । इस तारीख ने उनके लिए जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे ।


🚩आपको बता दें कि उस दौर में कश्मीर से केवल पंडितों को ही नहीं बल्कि तमाम हिन्दुओं को प्रताड़ित करके भगाया गया था। हमारे अधूरे इतिहास में केवल पंडितों का नाम इसलिए ऊपर किया गया है ताकि दूसरे हिन्दू भाई शांत रहें । क्योंकि ये नकली इतिहासकार अच्छे से जानते हैं कि हिंदू जाति-पाति में बंटे हैं, एक नहीं है... इसलिए केवल ब्राह्मणों का ही उल्लेख किया गया है।


🚩कश्मीेरी हिन्दुओं को बताया काफिर-


🚩देश की आजादी के बाद धरती के स्वर्ग कश्मीर में नरक का मौहाल बन चुका था । 19 जनवरी 1990 की काली रात को करीब 3 लाख कश्मीरी हिंदुओं ( जिनमें बड़ी संख्या में पंडित थे ) को अपना घर,दुकान,जमीन आदि छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा था । अलगावादियों ने हिन्दुओ के घर पर एक नोटिस चस्पा की थी, जिसपर लिखा था कि ‘या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ…या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’


🚩20 जनवरी 1999 को कश्मीर की मस्जिदों से कश्मीरी हिन्दुओं को काफिर करार दिया गया । मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के जरिए ऐलान किया गया, ‘कश्मीरी पंडित समेत सभी हिन्दू या तो मुसलमान धर्म अपना लें, या चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें ।’ यह ऐलान इसलिए किया गया ताकि कश्मीरी हिंदुओं के घरों को पहचाना जा सके और उन्हें या तो इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर किया जाए या फिर उन्हें मार दिया जाए ।


🚩कश्मीरी हिन्दुओं के सिर काटे गए, कटे सिर वाले शवों को चौक-चौराहों पर लटकाया गया था ।

बड़ी संख्या में कश्मीरी हिन्दुओं ने अपने घर छोड़ दिए । आंकड़ों के मुताबिक 1990 के बाद करीब 7 लाख से अधिक कश्मीरी हिन्दू अपने घरों को छोड़कर कश्मीर से विस्थापित होने को मजबूर हुए ।


🚩खुलेआम हुए थे बलात्कार!!


🚩एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ जिहादियों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद मार-मार कर उसकी हत्या कर दी । घाटी में कई कश्मीरी हिन्दुओं की लड़कियों के साथ जिहादियों ने सामूहिक बलात्कार किया और लड़कियों के अपहरण किए गए ।


🚩मस्जिदों में भारत एवं हिंदू विरोधी भाषण दिए जाने लगे। सभी कश्मीरियों को कहा गया कि इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं ।


🚩डर की वजह से वापस लौटने से कतराते!!


🚩आज भी कश्मीेरी हिन्दुओं के अंदर का डर उन्हें वापस लौटने से रोक देता है । कश्मीरी हिन्दुओं ने घाटी छोड़ने से पहले अपने घरों को कौड़‍ियों के दाम पर बेचा था । 34 वर्षों में कीमतें कई गुना तक बढ़ गई हैं । आज अगर वह वापस आना भी चाहें तो नहीं आ सकते क्योंकि न तो उनका घर है और न ही घाटी में उनकी जमीन बची है । इस मौके पर अभिनेता अनुपम खेर ने एक कविता शेयर की है । आप भी देखिए अनुपम ने कैसे कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द बयां किया है ।


🚩कर्नाटक के श्री प्रमोद मुतालिक, श्रीराम सेना (राष्ट्रिय अध्यक्ष) ने बताया कि यह कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन का प्रश्न नहीं, यह पूरे भारत की समस्या है । हिंदुओं को 1990 में कश्मीर से क्यों निकाला गया ? क्या वो कोई दंगा कर रहे थे ? या उनके घर में हथियार थे ?

उन्हें केवल इसलिए वहां से निकाल दिया गया क्योंकि वे ’हिन्दू´ हैं । आज यही समस्या भारत के विविध राज्यों में उभरनी शुरू हो गई है । इसलिए आज एक भारत अभियान की/राष्ट्र निर्माण की आवश्यकता है ।


🚩अधिवक्ता श्रीमती चेतना शर्मा, हिन्दू स्वाभिमान, उत्तर प्रदेश ने बताया कि राजनैतिक दलों ने हर जगह जाति का नाम देकर हर मामले को राजनैतिक करने का प्रयास किया है । परंतु आज समय आ गया है कि जो स्थिति जैसी है, वैसा ही सत्य रूप दुनिया के सामने लाया जाए । जब भी, जहां भी जनसांख्यिकी बदली है, वहां कश्मीर बना है । अब उत्तर प्रदेश की भी स्थिति वैसी ही होना शुरु हो गई है । कैराना में जो हुआ, वही आज उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में भी होने लगा है । अब मात्र 10 वर्ष में या तो भारत हिन्दू राष्ट्र होगा या हिन्दू विहीन राष्ट्र !


🚩आपको बता दें कि 14 सितंबर 1989 को बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष टिक्कू लाल टपलू की हत्या से कश्मीर में शुरू हुए आतंक का दौर समय के साथ और वीभत्स होता चला गया ।


🚩टिक्कू की हत्या के महीने भर बाद ही जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मकबूल बट को मौत की सजा सुनाने वाले सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी गई । फिर 13 फरवरी को श्रीनगर के टेलीविजन केंद्र के निदेशक लासा कौल की निर्मम हत्या के साथ ही आतंक अपने चरम पर पहुंच गया था । उस दौर के अधिकतर हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई । उसके बाद 300 से अधिक हिंदू-महिलाओं और पुरुषों की आतंकियों ने हत्या की ।


🚩उन कश्मीर हिन्दुओं की हालात की कल्पना कीजिये जब उनके घरों में सामान बिखरा पड़ा था । गैस स्टोव पर देग़चियां और रसोई में बर्तन इधर-उधर फेंके हुए थे । घरों के दरवाज़े खुले थे । हर घर का ऐसा ही हाल था । ऐसा लगता था कि कोई बहुत बड़ा भूकंप के कारण घर वाले अचानक अपने घरों से भाग खड़े हुए हों..कश्मीरी हिन्दू हिंसा, आतंकी हमले और हत्याओं के माहौल में जी रहे थे । सुरक्षाकर्मी थे लेकिन उन्हें मना किया गया था चुप रह कर सब देखते रहने के लिये... ये बात आज तक रहस्य है !

शुरू में उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं । “जम्मू में पहले वो लोग सस्ते होटल में रहे, छोटी-छोटी जगहों पर रहे । बाद में एक धर्मशाला में रहे.. इतना ही नहीं, उनके पेट भीख माग कर भी पले… ।


🚩सरकार प्रयास करें कि वहाँ पुनः हिन्दू बसें।

अन्य राज्यों में हिंदू कम हो रहे हैं। उसके लिए जनता भी ध्यान दे कि जिस तरह से पिछले 75 साल से मुसलमान 8-8 , 10-10 बच्चों को पैदा कर रहे हैं तो हिंदुओं को कम से कम अपनी भी संख्याबल, जन बल पर विचार करना चाहिए और हम दो हमारे दो के फार्मूले को दूर से ही तिलांजलि दे देनी चाहिए ।


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Thursday, January 18, 2024

केके मुहम्मद बोले, ‘जो राम-कृष्ण को नहीं मानता, वो सच्चा मुसलमान नहीं’

19 January 2024

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🚩अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को पुनर्निर्मित राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इससे पहले एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो पुरातत्व विशेषज्ञ केके मुहम्मद का है। केके मुहम्मद बाबरी ढाँचे में हुई खुदाई में शामिल थे। राम मंदिर के सच को बाहर लाने में उनका बड़ा योगदान माना जाता है।


🚩केके मुहम्मद की जो वीडियो वायरल हो रही है, वह लगभग चार साल पुरानी है। उन्होंने साल 2019 में एक लिट फेस्ट में बोलते हुए राम जन्मभूमि में हुई खुदाई के साथ ही देश में मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं कई मस्जिदों के बारे में बताया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कैसे वामपंथी इतिहासकार इस पर बोलने का कभी साहस नहीं जुटा सके।


🚩केके मुहम्मद ने बताया था, कि हिंदुत्व में कोई भी व्यक्ति किसी भी तरीके से रह सकता है। उन्होंने कहा था, “मैं मुस्लिम विद्वानों से बताता हूँ कि पाकिस्तान नाम का मुस्लिम देश बनाने के बाद भी भारत सेक्युलर है तो ये हिन्दुओं के कारण ही संभव है।” केके मोहम्मद ने इस वीडियो में भारतीय मुस्लिमों के भारतीय संस्कृति से सम्बन्ध के विषय में भी बात की।


🚩उन्होंने कहा कि यदि भारत में मुस्लिमों के लिए राम और कृष्ण उनके लिए हीरो नहीं हैं तो वे परफेक्ट मुस्लिम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मलेशिया और इंडोनेशिया में भी मुस्लिम राम और कृष्ण को मानते हैं, जबकि वे उनके देश में नहीं हुए। इसी तरह भारत के मुस्लिमों को भी यही करना था, लेकिन वे समझ नहीं पाए।


🚩उन्होंने ईरान का उदाहरण देते हुए कहा कि ईरान के आज भी राष्ट्रीय हीरो रूस्तम और सोहराब हैं। ये दोनों पर्शिया, जो अब मुस्लिम शासन होने के बाद ईरान बन गया है, के हीरो थे। ये मुस्लिम भी नहीं थे, फिर भी इन्हें ईरान अपना नेशनल हीरो मानता है। 


🚩इस वीडियो में केके मुहम्मद को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि साल 1990 में राम जन्मभूमि के विषय में सच बोलने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था। हालाँकि, बाद में निलंबन को स्थानांतरण में बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि बाबरी को खाली जमीन पर बनाया गया था, लेकिन बाद में हुए सर्वे ने स्पष्ट कर दिया कि यहाँ एक बड़ा मंदिर था।


🚩उन्होंने बताया कि वहाँ कई स्तंभ मिले। ढाँचे वाली जगह से 263 मूर्तियाँ मिलीं। इनमें वराह समेत अन्य कई प्रतीक मिले, जो एक मस्जिद में से कभी नहीं मिल सकते। उन्होंने एक शिलालेख के विषय में भी बताया, जिसमें लिखा था कि यह मंदिर उस अवतार को समर्पित है, जिसने बालि को मारा था। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिमों के लिए बाबरी कोई बहुत बड़े महत्व की नहीं थी।

https://twitter.com/ARanganathan72/status/1747518681301868926?t=hAHWNaxkvDfJCvWtwFHkGw&s=19


🚩केके मुहम्मद ने यह भी कहा कि यदि मुस्लिमों ने इस जगह को हिन्दुओं को दे दिया होता तो ये मामला शांति से निपट जाता। इस दौरान एक दर्शक ने उनसे पूछा कि राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ऐसा दिखाया गया कि इसमें किसी की हार नहीं हुई है। हिन्दू-मुस्लिम एक है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी हार मार्क्सवादियों की हुई। इस पर दर्शक ने उनकी राय पूछी।


🚩केके मुहम्मद ने इसका जवाब देते हुए कहा कि 34-35 साल की लड़ाई के बाद मार्क्सवादी और वामपंथी इतिहासकारों की बड़ी हार हुई है। उन्होंने कुछ कम्युनिस्टों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये लोग अच्छे होते हैं, मगर इरफान हबीब जैसे कुछ इतिहासकार बिल्कुल इसके विपरीत अपना नैरेटिव गढ़ते हैं, जो कि अब पूरी तरह से फेल हो चुका है।


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Wednesday, January 17, 2024

गुरु गोविन्द सिंह के इस सन्देश को पढ़ लिया होता तो हिंदू नही बंटते जातिवाद में

19 January 2024

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🚩गुरु गोविन्द सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ साथ महान विद्वान् भी थे। वे ब्रज भाषा, पंजाबी, संस्कृत और फारसी भी जानते थे और इन सभी भाषाओँ में कविता भी लिख सकते थे। जब औरंगजेब के अत्याचार सीमा से बढ़ गए तो गुरूजी ने मार्च 1705 को एक पत्र भाई दयाल सिंह के हाथों औरंगजेब को भेजा। इसमे उसे सुधरने की नसीहत दी गयी थी। यह पत्र फारसी भाषा के छंद शेरों के रूप में लिखा गया है। इसमे कुल 134 शेर हैं। इस पत्र को “ज़फरनामा” कहा जाता है।


🚩यद्यपि यह पत्र औरंगजेब के लिए था। लेकिन इसमे जो उपदेश दिए गए है वह आज हमारे लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इसमे औरंगजेब के आलावा मुसलमानों के बारे में जो लिखा गया है, वह हमारी आँखें खोलने के लिए काफी हैं। इसीलिए ज़फरनामा को धार्मिक ग्रन्थ के रूप में स्वीकार करते हुए दशम ग्रन्थ में शामिल किया गया है।


🚩जफरनामा से विषयानुसार कुछ अंश प्रस्तुत किये जा रहे हैं। ताकि लोगों को इस्लाम की हकीकत पता चल सके ।


🚩1 – शस्त्रधारी ईश्वर की वंदना–

बनामे खुदावंद तेगो तबर, खुदावंद तीरों सिनानो सिपर।

खुदावंद मर्दाने जंग आजमा, ख़ुदावंदे अस्पाने पा दर हवा।

अर्थ : उस ईश्वर की वंदना करता हूँ, जो तलवार, छुरा, बाण, बरछा और ढाल का स्वामी है और जो युद्ध में प्रवीण वीर पुरुषों का स्वामी है, जिनके पास पवन वेग से दौड़ने वाले घोड़े हैं।


🚩2 – औरंगजेब के कुकर्म :

तो खाके पिदर रा बकिरादारे जिश्त, खूने बिरादर बिदादी सिरिश्त

वजा खानए खाम करदी बिना, बराए दरे दौलते खेश रा

अर्थ :- तूने अपने बाप की मिट्टी को अपने भाइयों के खून से गूँधा और उस खून से सनी मिटटी से अपने राज्य की नींव रखी और अपना आलीशान महल तैयार किया।


🚩3 – अल्लाह के नाम पर छल–

न दीगर गिरायम बनामे खुदात, कि दीदम खुदाओ व् कलामे खुदात

ब सौगंदे तो एतबारे न मांद, मिरा जुज ब शमशीर कारे न मांद

अर्थ : तेरे खु-दा के नाम पर मैं धोखा नहीं खाऊंगा, क्योंकि तेरा खु-दा और उसका कलाम झूठे हैं। मुझे उनपर यकीन नहीं है। इसलिए सिवा तलवार के प्रयोग से कोई उपाय नहीं रहा।


🚩4 – छोटे बच्चों की हत्या–

चि शुद शिगाले ब मकरो रिया, हमीं कुश्त दो बच्चये शेर रा.

चिहा शुद कि चूँ बच्च गां कुश्त चार, कि बाकी बिमादंद पेचीदा मार.

अर्थ : यदि सियार शेर के बच्चों को अकेला पाकर धोखे से मार डाले तो क्या हुआ। अभी बदला लेने वाला उसका पिता कुंडली मारे विषधर की तरह बाकी है। जो तुझ से पूरा बदला चुका लेगा।


🚩5 – मु-सलमानों पर विश्वास नहीं–

मरा एतबारे बरीं हल्फ नेस्त, कि एजद गवाहस्तो यजदां यकेस्त.

न कतरा मरा एतबारे बरूस्त, कि बख्शी ओ दीवां हम कज्ब गोस्त.

कसे कोले कुरआं कुनद ऐतबार, हमा रोजे आखिर शवद खारो जार.

अगर सद ब कुरआं बिखुर्दी कसम, मारा एतबारे न यक जर्रे दम.

अर्थ : मुझे इस बात पर यकीन नहीं कि तेरा खुदा एक है। तेरी किताब (कु-रान) और उसका लाने वाला सभी झूठे हैं। जो भी कु-रान पर विश्वास करेगा, वह आखिर में दुखी और अपमानित होगा। अगर कोई कुरान कि सौ बार भी कसम खाए, तो उस पर यकीन नहीं करना चाहिए।


🚩6 – दुष्टों का अंजाम —

कुजा शाह इस्कंदर ओ शेरशाह, कि यक हम न मांदस्त जिन्दा बजाह.

कुजा शाह तैमूर ओ बाबर कुजास्त, हुमायूं कुजस्त शाह अकबर कुजास्त.

अर्थ : सिकंदर कहाँ है, और शेरशाह कहाँ है, सब जिन्दा नहीं रहे। कोई भी अमर नहीं हैं, तैमूर, बाबर, हुमायूँ और अकबर कहाँ गए। सब का एकसा अंजाम हुआ।


🚩7 – गुरूजी की प्रतिज्ञा —

कि हरगिज अजां चार दीवार शूम, निशानी न मानद बरीं पाक बूम.

चूं शेरे जियां जिन्दा मानद हमें, जी तो इन्ताकामे सीतानद हमें.

चूँ कार अज हमां हीलते दर गुजश्त, हलालस्त बुर्दन ब शमशीर दस्त.

अर्थ : हम तेरे शासन की दीवारों की नींव इस पवित्र देश से उखाड़ देंगे। मेरे शेर जब तक जिन्दा रहेंगे, बदला लेते रहेंगे। जब हरेक उपाय निष्फल हो जाएँ तो हाथों में तलवार उठाना ही धर्म है।


🚩8 – ईश्वर सत्य के साथ है —

इके यार बाशद चि दुश्मन कुनद, अगर दुश्मनी रा बसद तन कुनद.

उदू दुश्मनी गर हजार आवरद, न यक मूए ऊरा न जरा आवरद.

अर्थ : यदि ईश्वर मित्र हो, तो दुश्मन क्या क़र सकेगा, चाहे वह सौ शरीर धारण क़र ले। यदि हजारों शत्रु हों, तो भी वह बाल बांका नहीं क़र सकते है। सदा ही धर्म की विजय होती है।


🚩गुरु गोविन्द सिंह ने अपनी इसी प्रकार की ओजस्वी वाणियों से लोगों को इतना निर्भय और महान योद्धा बना दिया कि अब भी शांतिप्रिय — सिखों से उलझाने से कतराते हैं। वह जानते हैं कि सिख अपना बदला लिए बिना नहीं रह सकते। इसलिए उनसे दूर ही रहो।


🚩इस लेख का एकमात्र उद्देश्य है कि आप लोग गुरु गोविन्द साहिब कि वाणी को आदर पूर्वक पढ़ें और श्री गुरु तेगबहादुर और गुरु गोविन्द सिंह जी के बच्चों के महान बलिदानों को हमेशा स्मरण रखें और उनको अपना आदर्श मनाकर देश धर्म की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो जाएँ । वरना यह सेकुलर और जिहादी एक दिन हिन्दुओं को विलुप्त प्राणी बनाकर मानेंगे।

गुरु गोविन्द सिंह का बलिदान सर्वोपरि और अद्वितीय है।


🚩सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, बढे धर्म हिन्दू सकल भंड भागे…।


🚩गुरु गोविन्द सिंह के महान संकल्प से खालसा की स्थापना हुई। हिन्दू समाज अत्याचार का सामना करने हेतु संगठित हुआ। पंच प्यारों में सभी जातियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसका अर्थ यही था कि अत्याचार का सामना करने के लिए हिन्दू समाज को जात-पात मिटाकर संगठित होना होगा। तभी अपने से बलवान शत्रु का सामना किया जा सकेगा…


🚩खेद है की हिन्दुओं ने गुरु गोविन्द सिंह के सन्देश पर अमल नहीं किया। जात-पात के नाम पर बटें हुए हिन्दू समाज में संगठन भावना शुन्य हैं। गुरु गोविन्द सिंह ने स्पष्ट सन्देश दिया कि कायरता भूलकर, स्व बलिदान देना जब तक हम नहीं सीखेंगे तब तक देश, धर्म और जाति की सेवा नहीं कर सकेंगे।


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Tuesday, January 16, 2024

आशाराम बापू ने वास्तव में ऐसा क्या किया था, जिससे उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गयी...?

17 January 2024

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🚩आशाराम बापू ने ईसाई बना दिए गए लाखों हिंदू आदिवासियों की घर वापसी करवाई। करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति आस्थावान बना दिया। सैंकड़ों गुरुकुल और 17000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार संस्कारवान जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर अनेकों गौशालाएं खोल दी। वेलेंटाइन डे के दिन करोडों लोगों द्वारा मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया ।

विदेशों में भी उनके लाखों अनुयायी बन चुके थे और वे सनातन संस्कृति का वहाँ प्रचार करने लगे हैं। करोड़ों लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया उसके बाद उन करोडों लोगों ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया बापूजी ने...

उनके अनुयाइयों ने क्लबों में जाना छोड़ दिया। ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे। स्वदेशी अपनाने लगे इसके कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अरबों-खरबों रुपयों का घाटा हुआ और ईसाई मिशनरियों की धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं। इन्हीं कारणों से पूरे सुनियोजित ढंग से उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया।


🚩बताया जाता है कि विदेशी कंपनियों को अरबों-खरबों का घाटा होने और धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने के कारण हिन्दू धर्म विरोधी व राष्ट्र विरोधी ताकतों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा । डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके जी ने बताया है कि इन दोनों ने ही आशाराम बापू को पहले ही बता दिया था कि आप जो धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं, उसके कारण वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे देश में पल रहे विदेशी एजेंट्स के साथ सांठ-गांठ से आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहा है... पर आशारामजी बापू ने कहा कि “देश व धर्म की रक्षा के लिए सूली पर चढ़ जाऊंगा लेकिन हिन्दू धर्म की हानि नहीं होने दूंगा।”


🚩आपको बता दें कि उनके खिलाफ षडयंत्र तो 2004 से शुरू हो गया था और 2008 में उसने जोर पकड़ा। नतीजतन 2013 में झूठे केस में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।


🚩भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए जितना कार्य आशाराम बापू ने किया है, उतना तो आज कोई करने का सोच भी नहीं सकता । देश-विदेश के लोगों को हिन्दू धर्म से न सिर्फ अवगत कराया बल्कि इसकी महानता से भी ओत-प्रोत किया और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया ।  https://youtu.be/wmswegtRqus


🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जाने वाले बापू आशारामजी का हृदय विशाल होने के साथ-साथ देश के कल्याण और मंगल के लिए द्रवीभूत भी रहता है । जब बापू आसारामजी ने देखा कि कई अत्याचारों से जूझ रहा भारत देश धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर अपनी संस्कृति से, अपनी प्रगति से दूर किया जा रहा है तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशी सभ्यता को निकाल फेंकना होगा और फिर उनके 60 सालों से अनवरत, अथक प्रयासों और सेवा प्रकल्पों द्वारा भारत-वासियों को मिली सही राह ।


🚩आज बापू आशारामजी कारागृह में हैं तो सिर्फ इसी वजह से, क्योंकि उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आशारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड्यंत्रों से बचा और करोड़ों देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई। कई विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सही दिशा मिली । बापूजी के द्वारा किये जाने वाले ये सारे देश मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आशारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच के झूठे केस के जरिए उन्हें देश और समाज से दूर किया । https://youtu.be/j1cCIdlT50c


🚩लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते हैं कि बापू आशारामजी केवल एक शरीर हैं अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते हैं और जो सत्य के प्रतीक हैं वे सर्वव्याप्त हैं । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि आयोजन रुकने के बजाय और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी और इनके दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आशारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच भी नहीं आयी । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं !

बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित सेवा और आत्मज्ञान के प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा । 


🚩भारत का स्वर्णिम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई हैं । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थव्यवस्था, राजनीति और यहाँ के लोगों का ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे । अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत अभियान के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक विश्वगुरु बन कर रहेगा । 

https://youtu.be/U-kryE2VPc4


🚩राष्ट्र संस्कृति और समाज सेवा में अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले आशाराम बापू को शीघ्र रिहा करना चाहिए ऐसी विश्व भर के सनातन प्रेमियों की मांग है।


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Monday, January 15, 2024

वैश्विक होगा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह, एफिल टॉवर से लेकर टाइम्स स्क्वायर तक होगा राममय...

16 January 2024

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🚩राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका और यूरोप तक के श्रद्धालु उत्साहित हैं। फ्रांस का एफिल टॉवर हो या न्यूयॉर्क का टाइम्स स्क्वायर, हर जगह विशाल पर्दों पर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के प्रसारण की तैयारी है। इतना ही नहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न इलाकों में कार रैली भी निकाली जाएगी। यहाँ तक कि इस्लामिक मुल्कों में भी रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का लाइव प्रसारण होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कार्यक्रम की तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं।


🚩लोगों के उत्साह का आलम देखिए कि अयोध्या में होने वाले इस कार्यक्रम को लेकर विदेश तक में लोग इंतज़ार कर रहे हैं। इस तरह से अब ये एक वैश्विक कार्यक्रम बन रहा है, जिस पर पूरी दुनिया की नज़रें बनी हुई हैं। फ्रांस की राजधानी पेरिस में 21 जनवरी, 2024 को ‘राम रथ यात्रा’ भी प्रस्तावित है, जिसमें पूरे यूरोप से श्रद्धालु जुट रहे हैं। साथ ही एफिल टॉवर के पास भी कार्यक्रम का आयोजन होगा। अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर पर तो राम मंदिर के शिलान्यास के कार्यक्रम का भी लाइव प्रसारण हुआ था, अब प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का होगा।


🚩नॉर्थ अमेरिका के कई इलाकों, कनाडा में भी मंदिरों में 22 जनवरी को धार्मिक आयोजन होंगे, विशेष पूजा-अर्चना होगी। कैलिफोर्निया, वाशिंगटन और शिकागो सहित USA के कई शहरों में कार रैलियाँ होंगी। भारतीय समय के अनुसार 12:30 बजे कार्यक्रम होना है। उस दौरान जहाँ पेरिस में सुबह होगी, वहीं अमेरिका में रात होगी।

चूँकि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद रामलला अपने मंदिर में विराजने जा रहे हैं, इसीलिए श्रद्धालुओं ने तैयारियाँ भी ख़ास कर के रखी हैं।


🚩पेरिस में रहने वाले अविनाश मिश्रा ने बताया कि इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनते हुए यूरोप के लोग पेरिस में ‘राम रथ यात्रा’ में भाग लेंगे और एफिल टॉवर के पास प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव प्रसारण देखेंगे। उन्होंने इस यात्रा का नक्शा शेयर करते हुए श्रद्धालुओं से इसका हिस्सा बनने की अपील की। ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट ने भी इस कार्यक्रम से जुड़ी सूचना को रीट्वीट किया है। अविनाश ने कहा कि इस प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन का लाइव प्रसारण देखना श्रद्धालुओं के लिए सौभाग्य की बात है।


🚩नॉर्थ अमेरिका और कनाडा में ‘द मांडू मंदिर एम्पावरमेंट काउंसिल’ ने कई देवस्थानों में कार्यक्रम की योजना बनाई है। वाशिंगटन और शिकागो के बाद अब कैलिफोर्निया में कार रैली होनी है। श्रद्धालुओं ने कहा कि भले ही वो सदेह अयोध्या में उपस्थित रहने में अक्षम हैं, लेकिन भगवान राम उनके हृदय में रहते हैं और वो उनकी वापसी से हर्षित हैं।


🚩न्यूयॉर्क सिटी के मेयर एरिक एडम्स ने कहा कि ये हिन्दुओं की जनसंख्या को देखते हुए ये एक बहुत महत्वपूर्ण घटना है, ये आध्यात्मिकता के पथ पर बढ़ने और त्योहार मनाने का एक अच्छा अवसर है।


🚩इतना ही नहीं, 160 अलग-अलग देशों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होना है। VHP (विश्व हिन्दू परिषद) ने इसकी रूपरेखा तैयार की है। 50 देशों में बड़े आयोजन होने हैं। अमेरिका में 300, मॉरीशस में 100, UK में 25, ऑस्ट्रेलिया में 30 और कनाडा में 30 लोकेशनों से अयोध्या में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव प्रसारण होगा। आयरलैंड, फिजी, इंडोनेशिया और जर्मनी में भी बड़े-बड़े कार्यक्रम होंगे, जहाँ लाइव प्रसारण दिखाया जाएगा।


🚩अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और फिजी समेत 50 देशों के प्रतिनिधियों को अयोध्या इस समारोह में उपस्थित रहने के लिए बुलाया गया है। इंडोनेशिया और सऊदी अरब जैसी इस्लामिक मुल्कों में भी लाइव स्ट्रीमिंग की योजना है। हवन पूजा और हनुमान चालीसा पाठ जैसे कार्यक्रम 160 देशों में होने हैं।


🚩खुशी की बात ये भी है कि अब देश का सबसे बड़ा राज्य, उत्तर प्रदेश भी इस कार्यक्रम के जरिए विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। दुनिया भर में हिन्दू पुनरुत्थान की एक इस नई गाथा के लोग साक्षी बनेंगे।


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Sunday, January 14, 2024

मकर संक्रांति के बारे में इतना जान लिया तो जीवन चमक उठेगा...

 14 January 2024

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🚩हिन्दू संस्कृति अति प्राचीन संस्कृति है। इसमें मानव जीवन पर ग्रह, नक्षत्रों की दशा , दिशा व चाल से पड़ने वाले प्रभावों के अनुसार ही वार, तिथि, त्योहार ,पर्व आदि बनाये गये हैं । उसमें से एक है मकर संक्रांति..!!! इस साल 15 जनवरी 2024 सोमवार को मकर संक्रांति मनाई जायेगी ।


🚩सनातन हिंदू धर्म ने माह को दो भागों में बाँटा है- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष । इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँट रखा है। पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। उक्त दो अयन को मिलाकर एक वर्ष होता है ।


🚩मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव का रथ पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिशा बदलते हुए थोड़ा उत्तर की ओर बढ़ता जाता है, इसलिए इस काल को उत्तरायण कहते हैं ।


🚩इसी दिन से अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है । कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी इसी दिन से होती है ।


🚩सूर्य पर आधारित हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत अधिक महत्व माना गया है । वेद और पुराणों में भी इस दिन का विशेष उल्लेख मिलता है । होली,रक्षाबंधन, जन्माष्टमी,नवरात्रि, दीपावली, शिवरात्रि और अन्य कई त्योहार जहाँ विशेष कथा पर आधारित हैं, वहीं मकर संक्रांति खगोलीय घटना है, जिससे जड़ और चेतन की दशा और दिशा तय होती है । मकर संक्रांति का महत्व हिंदू धर्मावलंबियों के लिए वैसा ही है जैसे वृक्षों में पीपल, हाथियों में ऐरावत और पहाड़ों में हिमालय ।


🚩सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश की समयावधि को मकर संक्रांति कहा जाता है । यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसे समूचे भारत में सभी राज्यों में मनाया जाता है। चाहें इसका नाम प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग हो और इसे मनाने के तरीके भी भिन्न हो, किंतु यह बहुत ही महत्व का पर्व है ।


🚩विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है:


🚩मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश : मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है । सूर्य की पूजा की जाती है । चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है ।


🚩गुजरात और राजस्थान : उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है। पतंग उत्सव का विशेष आयोजन किया जाता है ।


🚩आंध्रप्रदेश : संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है ।


🚩तमिलनाडु : किसानों का ये प्रमुख पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है । घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है।


🚩महाराष्ट्र : लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं और एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं।


🚩पश्चिम बंगाल : हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है।


🚩असम : भोगली बिहू के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है ।


🚩पंजाब : एक दिन पूर्व लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है । धूमधाम के साथ समारोहों का आयोजन किया जाता है ।


🚩इसी दिन से हमारी धरती एक नए वर्ष में और सूर्य एक नई गति में प्रवेश करता है। वैसे वैज्ञानिक कहते हैं कि 21 मार्च को धरती सूर्य का एक चक्कर पूर्ण कर लेती है तो इसे माने तो नववर्ष तभी मनाया जाना चाहिए। इसी 21 मार्च के आसपास ही विक्रम संवत का नववर्ष शुरू होता है और गुड़ी पड़वा मनाया जाता है, किंतु 14/15 जनवरी ऐसा दिन है, जबकि धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों को ठीक नहीं माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।


🚩महाभारत में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था। उत्तरायण में देह छोड़ने वाली पुण्यात्माएँ या तो कुछ काल के लिए देवलोक में चली जाती हैं या पुनर्जन्म लेकर अपना ईश्वर प्राप्ति का संकल्प पूर्ण करती हैं।


🚩दक्षिणायन में देह छोड़ने पर बहुत काल तक आत्मा को अंधकार का सामना करना पड़ सकता है । यह सब कुछ प्रकृति के नियम और उस जीव के कर्मों के तहत है, इसलिए सभी कुछ प्रकृति से बद्ध है ।


🚩क्या करें मकर संक्रांति पर्व पर ?


🚩मकर संक्रांति या उत्तरायण दान-पुण्य का पर्व है । इस दिन किया गया दान-पुण्य, जप-तप अनंतगुना फल देता है । इस दिन गरीब को अन्नदान, जैसे तिल व गुड़ का दान देना चाहिए। इसमें तिल या तिल के लड्डू या तिल से बने खाद्य पदार्थों को दान देना चाहिए । कई लोग रुपया-पैसा भी दान करते हैं।


🚩मकर संक्रांति के दिन को बहुत शुभ माना जाता है,ये खरीदारी के लिए भी बेहद शुभ दिन ।


🚩उत्तरायण के दिन भगवान सूर्यनारायण के इन नामों का जप विशेष हितकारी है ।


🚩ॐ मित्राय नमः । ॐ रवये नमः ।

ॐ सूर्याय नमः । ॐ भानवे नमः ।

ॐ खगाय नमः । ॐ पूष्णे नमः ।

ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ॐ मरीचये नमः ।

ॐ आदित्याय नमः । ॐ सवित्रे नमः ।

ॐ अर्काय नमः । ॐ भास्कराय नमः ।

ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः ।


🚩ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नम:। इस मंत्र से सूर्यनारायण की वंदना करनी चाहिए। उनका चिंतन करके प्रणाम करना चाहिए। इससे सूर्यनारायण प्रसन्न होंगे, निरोगता देंगे और अनिष्ट से भी रक्षा करेंगे।


🚩यदि इस दिन नदी तट पर जाना संभव नहीं है, तो अपने घर के स्नानघर में पूर्वाभिमुख होकर जल पात्र में तिल मिश्रित कर के स्नान करें । साथ ही समस्त पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना,सरस्वती, नर्मदा,कावेरी, गोदावरी आदि नदियों का एवं तीर्थ का स्मरण करते हुए ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र और भगवान भास्कर का ध्यान करें । साथ ही इस जन्म व पूर्व जन्म के ज्ञात-अज्ञात मन, वचन, शब्द, काया आदि से उत्पन्न दोषों की निवृत्ति हेतु क्षमा याचना करते हुए सत्य धर्म के लिए निष्ठावान होकर सकारात्मक कर्म करने का संकल्प लें । जो संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता…. वह 7 जन्मों तक निर्धन और रोगी रहता है ।


🚩तिल का महत्व :-


🚩विष्णु धर्मसूत्र में उल्लेख है कि मकर संक्रांति के दिन तिल का 6 प्रकार से उपयोग करने पर जातक के जीवन में सुख व समृद्धि आती है ।


🚩तिल के तेल से स्नान करना ।

तिल का उबटन लगाना ।

पितरों को तिलयुक्त जल अर्पण करना।

तिल की आहुति देना ।

तिल का दान करना ।

तिल का सेवन करना।


🚩ब्रह्मचर्य बढ़ाने के लिए :-


🚩ब्रह्मचर्य रखना हो, संयमी जीवन जीना हो, वे उत्तरायण के दिन भगवान सूर्यनारायण का सुमिरन करे एवं संकल्प लेवे,जिससे ओज, तेज,बुद्धि बल बढ़े ।

ॐ सूर्याय नमः… ॐ शंकराय नमः…

ॐ गं गणपतये नमः… ॐ हनुमते नमः…

ॐ भीष्माय नमः… ॐ अर्यमायै नमः…

ॐ… ॐ… ॐ...


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Friday, January 12, 2024

प्राण-प्रतिष्ठा से पहले जान लें अयोध्या मंदिर की हर एक बात

13 January 2024

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🚩अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है। राम मंदिर का पहला तल बनकर तैयार हो चुका है। अब मंदिर से जुड़ी ऐसी बातें सामने आई हैं, जो भगवान राम की जन्मस्थली पर बन रहे मंदिर की दिव्यता, भव्यता और नव्यता का परिचय करा रही हैं। भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण भारत की परंपरागत नागर शैली में हो रहा है, जो अगले 1000 वर्षों तक दुनिया में बदलाव का साक्षी रहेगा।


🚩गर्भगृह में रामलला की 51 इंच लंबी प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जिसमें रामलला 5 साल के बाल स्वरूप में होंगे। प्रतिमा में रामलला को खड़े हुए दिखाया गया है। प्रतिमा ऐसी है जो राजा का पुत्र और विष्णु का अवतार लगे। गर्भगृह में रामलला कमल के फूल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब 8 फुट होगी।


🚩भगवान राम को समर्पित रामलला का यह मंदिर तीन मंजिला होगा। इसमें 5 मंडप होंगे। खास बात ये है कि भगवान राम के बाल स्वरूप यानि रामलला भूतल पर विराजमान रहेंगे। वहीं, दूसरे तल पर रामदरबार रहेगा। इस राम दरबार में भगवान राम, माता सीता, भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ-साथ भक्त बजरंग बली भी रहेंगे।


🚩रामलला के भव्य मंदिर की खासियत:


🚩रामलला का भव्य मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। इसकी लंबाई (पूर्व से पश्चिम तक) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊँचाई 161 फीट रहेगी। रामलला का मंदिर तीन मंजिला का होगा। प्रत्येक मंजिल की ऊँचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे।


🚩रामलला मंदिर निर्माण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि रामलला के मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालस्वरुप रामलला (श्रीरामलला का विग्रह) तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। रामलला के मंदिर में 5 मंडप होंगे। इन मंडपों के नाम- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप हैं।


🚩भव्य राममंदिर का निर्माण लगातार जारी 


🚩मंदिर की खंभों और दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियाँ उकेरी जा रही हैं। रामलला के मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियाँ चढ़कर सिंहद्वार से होगा। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।


🚩परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, माँ भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में माँ अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। रामलला के मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। रामलला के मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी।


🚩रामलला के मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे। दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है एवं तथा वहाँ जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।


🚩रामलला के मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। रामलला के मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। रामलला के मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊँची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।


🚩मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे। 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहाँ दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।


🚩रामलला के मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।


🚩रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए तैयारियाँ जोरों-शोरों से हो रही हैं। 3000 वीआईपी समेत 7000 लोगों को निमंत्रण भेजे गए हैं। इनमें कारसेवकों का परिवार भी हैं, जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपनी जान गवा दी। ट्रस्ट का कहना है कि लगभग 15000 लोगों के आने का इंतजाम होगा।


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